ब्लैकमनी पर बनी विशेष जांच कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी पांचवी रिपोर्ट पेश कर दी. एसआईटी ने 3 लाख से अधिक के कैश ट्रांजैक्शन पर रोक की सिफारिश करने के साथ-साथ ऐसे ट्रांजैक्शन्स को गैरकानूनी और दंडनीय घोषित करने के लिए अलग कानून बनाने की भी बात कही.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एसआईटी को महसूस होता है कि बड़ी मात्रा में अघोषित धन को जमा करके उसे कैश के रूप में प्रयोग किया जाता है. रिपोर्ट में एसआईटी ने अधिकतम कैश रखने की सीमा को 15 लाख करने का सुझाव दिया है. उसने कहा है कि समय-समय पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा की गई कार्रवाइयों में बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होना इस बात की पुष्टि करता है कि नकदी के रूप में बड़ी मात्रा में अघोषित संपत्ति रखी जाती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति अथवा इंडस्ट्री को अधिक कैश रखने की अनिवार्यता है तो वह क्षेत्रीय आयकर आयुक्त की अनुमति के बाद उसे रख सकता है. वित्त मंत्रालय ने इन सिफारिशों पर आम लोगों समेत सभी संबद्ध पक्षों से प्रतिक्रिया मांगी है. गौरतलब है कि ब्लैक मनी पर जांच के लिए मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एसआईटी का गठन किया गया था. न्यायमूर्ति (रिटायर्ड) एमबी शाह इसके अध्यक्ष हैं, जबकि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरिजित पसायत उपाध्यक्ष हैं तथा कुल 11 एजेंसियां इसके तहत काम कर रही हैं.

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