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बांग्लादेश को रोशन करेगा भारत

पावर सरपल्स होने के बाद भारत बांग्लादेश के साथ मिलकर पावर ट्रांसमिशन की क्षमता दोगुनी करने को लेकर काम कर रहा है. दोनों देश तीसरी ग्रिड को बनाने के लिए भी तैयार हैं जिससे दोनों देशों में बढ़ती पावर जनरेशन का फायदा उठाया जा सके.

सूत्रों के अनुसार भारत और बांग्लादेश बहरामपुर-बेहरामारा लाइन की क्षमता को दोगुना कर 1 हजार मेगावॉट करने को लेकर काम कर रहे हैं. इसके साथ ही त्रिपुरा-कोमिला लाइन की क्षमता को बढ़ाकर 200 मेगावॉट किया जाएगा. अभी तक इन दो लाइनों के द्वारा ही दोनों देशों के बीच पावर ट्रांसमिशन होता है. अब तीसरी लाइन असम से बिहार होते हुए बांग्लादेश पहुंचेगी. अभी यह प्रॉजेक्ट शुरुआती चरण में है जिसकी क्षमता 2000 मेगावॉट होगी.

नई लाइन उत्तर-पूर्वी राज्यों में पनबिजली परियोजनाओं को नई गति देगी. इनमें से कई परियोजनाएं बांग्लादेश के साथ मिलकर बनेंगी. एशियाई डिवेलपमेंट बैंक के अनुसार इस तरह के प्रॉजेक्ट और लाइन्स क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों के प्रयोग को बढ़ावा देते हैं. बांग्लादेश के अलावा भारत नेपाल को पावर का निर्यात करता है और भूटान से पावर का आयात करता है. भारत में इस साल पावर जनरेशन पिछले साल की तुलना मे 9 प्रतिशत बढ़ा है.

पशुओं की कुछ आम परेशानियां खास इलाज

समयसमय पर पशुओं को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो जाती हैं, जिन को ले कर पशुपालक हर वक्त पशु विशेषज्ञ तक नहीं पहुंच पाते. इसलिए वे पुराने घरेलू तरीकों से इलाज करते?हैं. इन से कभी पशुओं को फायदा होता है, कभी नहीं भी होता. पशुओं की इन्हीं आम समस्याओं को ले कर कई कंपनियां पशुओं के लिए गुणकारी उत्पाद बनाती रहती है, जिन्हें इस्तेमाल कर के पशुपालक अपने पशुओं की अच्छी देखभाल कर सकते हैं. पशुओं को अकसर होने वाली तकलीफों के इलाज के लिए मेनकाइंड फार्म कंपनी ने अपने कुछ उत्पाद पेश किए हैं. जिन के बारे में पशुपालकों को जानना चाहिए.

पेट व चमड़ी में होने वाले कीड़ों के लिए

* क्या आप का पशु अधिक दानाचारा खाने के बाद भी कम दूध देता है?

* क्या पशु के गोबर में बुलबुले दिखते हैं

* क्या गोबर पतला, चिकना व बदबूदार है

* क्या पशु की खाल सूखी, खुरदरी व चमक रहित हो गई है

इन सभी परेशानियों का कारण?है पेट, आंत व त्वचा पर पाए जाने वाले कीड़े. इन के इलाज के लिए अपने पशु को फेंडीकाइंड प्लस दें, जो गोली के रूप में आती?है. बड़े पशु को 1 गोली व?छोटे पशु को आधी गोली देनी होती है.

फेंडीकाइंड प्लस के फायदे :

यह दवा सभी तरह के कीड़ों से छुटकारा दिलाती है. यह गाभिन पशुओं के लिए भी सुरक्षित है. कंपनी कहती?है कि हर 3 से 4 महीने पर फेंडीकाइंड खिलाओ और पेट व चमड़ी के कीड़ों से नजात पाओ.

दुधारू पशुओं के लिए

दुधारू पशुओं में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी एक आम समस्या होती?है. यही कैल्शियम और फास्फोरस अन्य पोषक तत्त्वों व पानी के साथ मिल कर पशुओं में दूध बनाते हैं. दूध की जितनी ज्यादा मात्रा पशु के शरीर से निकलेगी, उतना ज्यादा कैल्शियम और फास्फोरस शरीर से बाहर निकलेगा. अच्छा खानपान होने के बावजूद पशु के शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस की कमी हो जाती?है, इसलिए दुधारू पशुओं को कैल्शियम सप्लीमेंट समयसमय पर देते रहना चाहिए.

कैल्सिमस्ट डी एस के फायदे

* यह दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन के कारण होने वाली कैल्शियम और फास्फोरस की कमी को पूरा करता?है.

* यह हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है.

* इस में मौजूद विटामिन डी 3 पशु के शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस की मात्रा को बढ़ाता?है.

* इस में मौजूद विटामिन बी 12 दूध बढ़ाने में सहायक है और पशु को ताकत देता है.

इस्तेमाल : बड़े पशुओं को 100 मिलीलीटर और छोटे पशुओं को 20-50 मिलीलीटर रोजाना देने से उन का विकास अच्छा होता है. ज्यादा दूध देने वाले मवेशियों के लिए यह उत्तम कैल्शियम सप्लीमेंट है.

पशु बांझपन

पशुओं में दूध उत्पादन में कमी और बांझपन की समस्या की वजह असंतुलित आहार और दानेचारे में विटामिनों और मिनरल की कमी है. टोटाविट स्ट्रांग मिश्रण इस समस्या का एक आधुनिक और प्रभावशाली हल है.

टोटाविट स्ट्रांग के फायदे

* टोटाविट स्ट्रांग 12 चिलेटेड मिनरलों, 5 विटामिनों व ऐसे अनेक जरूरी तत्त्वों की पूर्ति करता है, जो दूध में फैट की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं.

* टोटाविट स्टांग देने से पशु सही समय पर हीट में आता है और इस से प्रजनन कूवत बढ़ती है.

* टोटाविट स्टांग से पशु की पाचन कूवत और बच्चा पैदा करने की ताकत बढ़ती है.

* यह पशु की रोग प्रतिरोधक कूवत भी बढ़ाता है.

* यह केले के स्वाद में उपलब्ध है.

अधिक जानकारी के लिए फार्मा कंपनी की वेबसाइट 222.द्वड्डठ्ठद्मद्बठ्ठस्रश्चद्धड्डह्म्द्वड्ड.ष्शद्व पर भी विजिट कर सकते हैं.

चीन की बराबरी करने में बरसों लगेंगे : राजन

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि रुपये की मौजूदा स्थिति काफी ठीक-ठाक है और इसके अवमूल्यन के किसी भी प्रयास से मुद्रास्फीतिक दबाव बढ़ सकता है. इससे अवमूल्यन का लाभ भी गायब हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को चीन के प्रति व्यक्ति जीडीपी के स्तर को प्राप्त करने के लिए अभी काफी सफर तय करना होगा जिसके लिए देश को लगातार कई और वर्षों तक मजबूत वृद्धि की जरूरत होगी. राजन राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान में परिचर्चा में भाग ले रहे थे.

वैश्विक नरमी से निपटने के लिए रूपये के अवमूल्यन की संभावना के बारे में एक सवाल पर राजन ने कहा, रूपये के मूल्य का मुद्दा काफी जटिल है. कुछ लोग मानते हैं कि निर्यात बढ़ाने के लिए रूपये का अवमूल्यन होना चाहिए. अवमूल्यन के कड़ाई के साथ कई तरीके होते हैं, लेकिन इनमें से बहुत से तरीकों के लिए वित्तीय प्रणाली में उल्लेखनीय कार्रवाई की जरूरत है, जिनका इस्तेमाल हमारे पड़ोसी देशों ने लंबे समय तक किया है. उन्होने कहा कि इसके कई विपरीत प्रभाव भी हैं. यदि आपको आयात के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा तो देश में मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी. आपको तेल के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा, जिसका मुद्रास्फीतिक असर होगा. गवर्नर ने कहा, इससे आपको अवमूल्यन से मिलने वाला लाभ समाप्त हो जाएगा. मेरा मानना है कि आज रुपये का मूल्य ठीक है. मुझे नहीं लगता कि किसी समस्या के हल के लिए हम एक तरह या दूसरी तरफ चलने पर जोर देना चाहिए.

गवर्नर ने इसके साथ ही कहा कि कोई भी वृद्धि पर्यावरण की कीमत पर नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा, क्या जीडीपी के आंकड़े ही यह कहने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि हम विकसित हो चुके हैं? निश्चित रुप से नहीं. वित्तीय समावेश के लिए बैंकों के महाजनों से हाथ मिलाने के सवाल पर राजन ने कहा कि वह इस विचार से असहमत नहीं हैं, लेकिन वसूली जैसे कई मुद्दों पर विचार करने की जरुरत है. देश की सहकारी बैंकिंग प्रणाली की स्थिति के बारे में राजन ने कहा कि यह प्रणाली अपनी उत्साह गंवा चुकी है. उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकिंग प्रणाली देश की वित्तीय प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है. मैं इस बात पर जोर दूंगा कि इसका देश के उन हिस्सों में पहुंचना काफी महत्वपूर्ण है जहां वित्तीय संस्थान नहीं पहुंच सके हैं.

ज्यादा पैदावार के लिए जल निकासी प्रौद्योगिकी

शुरू से ही जमीन से पानी निकालने के तरीके अपनाए जा रहे हैं. एक फ्रैंच इंजीनियर, हैनरी डार्सी ने साल 1856 में जल निकासी के तरीकों पर परीक्षण किया था. उस के बाद जल निकासी के बहुत से तरीके खोजे गए और भूमि से जल निकासी का इंजीनियरिंग विज्ञान के?रूप में विकास हुआ, जो अब आधुनिक खेती की जमीन से जल निकासी प्रणाली का डिजाइन तैयार करने का खास जरीया बन गया?है. हालांकि इन सिद्धांतों की मदद से अभी भी जमीन से जल निकासी समस्या का कोई ठोस हल नहीं निकल सका है.

भूमि जल निकासी क्यों?: पौधों की जड़ों के आसपास की मिट्टी में मौजूद फालतू पानी और लवण पौधों के लिए नुकसानदायक होते है. खराब जल निकासी वाली मिट्टी में फसल की उपज में भारी कमी हो सकती है. बहुत देर तक पानी भरा रहने पर जल क्षेत्र में आक्सीजन की कमी हो जाने के कारण पौधे मर जाते हैं. जल निकासी पौधों की सही बढ़वार के लिए जरूरी है. जड़ क्षेत्र में हवा, पानी व लवण की सही मात्रा तय करने के लिए खराब जल निकासी वाले खेतों से बाहरी तरीकों से जल निकासी जरूरी है.

भूमि जल निकासी प्रौद्योगिकी : मोटे तौर पर 2 प्रकार की जल निकासी प्रणालियां प्रचलित?हैं. सतही जल निकासी व उपसतही जल निकासी. सतही जल निकासी में मानसूनी वर्षा के दौरान समतल और निचले खेतों की सतह पर पाए जाने वाले ज्यादा पानी को निकाला जाता है. उप सतही जल निकासी में उथले जल तल वाले इलाकों में पानी के तल और लवणता को सही किया जाता है. भारत में लगभग 150 लाख हेक्टेयर खेती की भूमि पानी के भराव और लवणता से प्रभावित है, जिस के कारण फसल उत्पादन को?भारी नुकसान होता?है.

सतही जल निकासी : सतही जल निकासी नेटवर्क का एक सिलसिलेवार क्रम?है, जो सब से ऊंचाई पर बनी मुख्य नाली से खेतों के न्यूनतम स्तर पर बनी नाली तक फैला होता?है. मध्यवर्ती स्तर पर संचयन नालियां और उप मुख्य नालियां होती हैं. खेतों की नालियों के आकार की उथली नालियां होती हैं, जो कि लगभग 15-20 सेंटीमीटर गहरी होती?हैं, जिन्हें खेत के मुख्य ढलान के आरपार लगभग 100 मीटर के अंतराल पर बनाया जाता?है. संचयन नालियां 40 सेंटीमीटर औसत गहराई की होती हैं, जिन की तली की चौड़ाई कम से कम 20 सेंटीमीटर होती है. इन्हें खेतों के चारों ओर इस तरह बनाया जाता है कि इन में खेतों की नालियों से निकलने वाला पानी आसानी से आता रहे. इन का डिजाइन जल निकासी वाले इलाकों के मुताबिक तैयार किया जाता?है. खेतों की नालियों का निकास ऐसा होना चाहिए जिन से बह कर आने वाला पानी धीरे से निकासी नाली में चला जाए.

खेतों में इस तरह के बांध बनाए जाते हैं, जो नाली में पानी के ज्यादा बहाव को रोक सकें, जिन से मिट्टी का कटाव न हो और नाली में गाद या तलछट न जमा हो. सही जल निकासी के लिए खेतों की सतह को समतल होना चाहिए. उपमुख्य और मुख्य नालियों की डिजाइन इस प्रकार से तैयार की जाती है कि उन से बह कर आने वाला सारा पानी नीचे की नालियों में जमा हो सके. चूंकि ऊंचाई की नालियां ऊपरी बहाव से निचले बहाव की ओर बढ़ती हैं, इसलिए उन नालियों के पास शुरू में थोड़ा छोटा भाग होता है और उस में निचले बहाव की ओर सही तरीके से इजाफा होता है.

सतही नालियों के निर्माण की लागत का अंदाजा उन में शामिल जमीन पर किए जाने वाले कामों की लागत के अनुसार लगाया जाता?है. पुलिया या?पाइप आदि की लागत नालियों की खुदाई पर लगने वाली लागत के अलावा होती है.

उपसतही जल निकासी : उपसतही जल निकासी के लिए मिनरल फिल्टर डिजाइन और छोटे पैमाने की जल निकासी के लिए मृत्तिका टाइल वाली नालियों का डिजाइन तैयार करना जरूरी है. फिल्टर इस्तेमाल में कमखर्ची के लिहाज से उपसतही जल निकासी प्रणाली को लगाने की

2 तकनीकें हैं. मृत्तिका टाइलों के जोड़ों के?ऊपर चुने हुए स्थानों पर फिल्टर को स्थापित करना और फिल्टर को प्लास्टिक शीट से कवर करना ताकि उपसतही जल की नालियों में सीधे बहाव को रोका जा सके. कोई भी व्यक्ति नालियों में?टाइलें लगा सके, इस के लिए नालियां चौड़ी व गहरी होनी चाहिए. जहां भी फिल्टर को लगाना हो, वहां इस के लिए स्टील  स्लाइडिंग खुला बक्सा और स्टील की चलायमान सेपरेटर प्लेट का इस्तेमाल होता?है. नाली को पाटने से पहले मिनरल फिल्टर के ऊपर प्लास्टिक की एक शीट डाल दी जाती है ताकि टाइलों में मिट्टी न घुसे.

मृत्तिका टाइल वाली जल निकासी नाली की डिजाइन व उस का इस्तेमाल : उपसतही जल निकासी के लिए मृत्तिका टाइल की नालियां सब से सस्ता तरीका है. मिट्टी की अच्छी तरह से पकाई हुई टाइलें मजबूत होती?हैं और लंबे समय तक चलती हैं. ये छोटे पैमाने पर हाथ से बनाई जाने वाली उपसतही जल निकासी प्रणाली के लिए कुम्हार से बनवाई जाती हैं. 10-15 सेंटीमीटर व्यास की मृत्तिका टाइलों का इस्तेमाल किया जाता है. टाइलों में मिट्टी को जाने से रोकने के लिए उन में बने?छेदों से उन में जाने वाले जल बहाव को बढ़ाया जा सकता है.

 

] डा. प्रभा शंकर तिवारी, डा. एस के सिंह*, डा. हंसराज सिंह

(कृषि विज्ञान केंद्र, गाजियाबाद* भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान केंद्र,?झांसी)

 

काला धन छुपाने वाले हो जायें सावधान

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कालाधन छुपाने वालों को आगाह करते हुए कहा कि उसने बड़ी राशि के लेन-देन से जुड़ी नौ लाख जानकारियों का डेटाबेस बनाया है. बोर्ड इस जानकारी का मिलान इस समय चल रही एकमुश्त कालाधन अनुपालन सुविधा योजना की घोषणाओं के साथ करेगा.

सीबीडीटी के चेयरमैन अतुलेश जिंदल ने कहा कि इस तरह की अघोषित संपत्ति व नकदी रखने वालों को आगे आना चाहिए और आय घोषणा योजना (आईडीएस) का लाभ उठाते हुए इसकी घोषणा करनी चाहिए. यह योजना 30 सितंबर तक खुली है. उन्होंने कहा, 'एक विस्तृत ब्यौरा तैयार किया गया और हमने बड़ी राशि के लेनदेन व संभावित अघोषित आय के मामलों से जुड़ी सूचनाओं के नौ लाख आंकड़ों का डेटाबेस तैयार किया है. इस डेटाबेस की प्राथमिकता तय की गई है. अन्य प्रवर्तन उपायों के साथ कर चोरी रोकने के लिए यह भी एक उपाय है. हम करदाताओं को पत्र जारी करेंगे और उन्हें बताएंगे कि हमारे पास सूचना है.'

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, 'हम निश्चित रुप से उन्हें पाक साफ होने का अवसर देना चाहेंगे. लोगों को इस सुविधा का फायदा उठाना चाहिए. हम यह कहना चाहते हैं कि हमारे पास यह डेटाबेस है और हम उन्हें इससे अवगत कराएंगे. आईडीएस का इस्तेमाल करने या नहीं करने का विकल्प उनके पास होगा.'

BCCI में मंत्रियों और सरकारी अफसरों की ‘नो एंट्री’

लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के खिलाफ दायर बीसीसीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला सुना दिया है. जस्टिस लोढ़ा कमेटी की ओर से बीसीसीआई में सुधारों को लेकर जो सिफारिशें की गई हैं उनमें से कई बीसीसीआई को मंजूर नहीं थीं. जिनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये निर्देश

किसी पद के लिए आयु सीमा 70 साल होगी.

मंत्री और सरकारी अधिकारी बीसीसीआई की गवर्निंग काउंसिल से नहीं जुड़ेंगे.

गवर्निंग काउंसिल में CAG का एक सदस्य शामिल होगा.

राज्यों में एक से ज्यादा क्रिकेट एसोसिएशन होने पर सभी को एक-एक बार वोट करने का मौका दिया जाएगा, यानी रोटेशन प्रक्रिया लागू होगी.

सट्टेबाजी पर संसद को कानून बनाने के लिए कहा गया. साथ ही यह भी तय करने के लिए कहा गया कि बीसीसीआई कैसे आरटीआई के दायरे में आए.

विज्ञापन पॉलिसी का निर्णय बीसीसीआई खुद करे.

सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की सिफारिश ‘टू प्लेयर्स एसोसिएशन’ को स्वीकार किया है.

लोढ़ा कमेटी पुराने और नए प्रावधानों पर गौर करने के बाद 6 महीने में रिपोर्ट फाइल करेगी.

सुप्रीम कोर्ट में इन मुद्दों को लेकर थी बहस

बीसीसीआई ने वन स्टेट, वन वोट पॉलिसी का विरोध किया है. इसके पीछे वजह बताई गई है कि समय के साथ अलग-अलग राज्यों में कई एसोसिएशन बन गए हैं, अगर एक वोट का नियम लागू किया जाएगा तो बाकी एसोसिएशन के साथ अन्याय होगा.

बोर्ड ने लोकपाल की नियुक्ति का भी विरोध किया है. बोर्ड का कहना है कि लोकपाल को वोटिंग की शक्ति दिया जाना आईसीसी के नियमों का उल्लंघन होगा.

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को दिए जाने वाले पैसे के पीछे के मापदंडों की जानकारी मांगी. कोर्ट ने कहा कि यह अनियंत्रित और राजनीतिक रूप से प्रेरित है.

बोर्ड ने विज्ञापन पॉलिसी को लेकर लोढ़ा समिति की सिफारिशों का विरोध किया है और कहा कि इन पर फिर विचार किया जाए.

कोर्ट ने सवाल किया कि बोर्ड क्यों चाहता है कि इसमें मंत्रियों को शामिल किया जाए और आयु सीमा की बाध्यता क्यों नहीं मानने को तैयार?

बीसीसीआई और आईपीएल के लिए अलग-अलग गवर्निंग काउंसिल के गठन का भी विरोध.

बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट के फैसला का सम्मान करता है: राजीव शुक्ला

बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारी और इंडियन प्रीमियर लीग (आीपीएल) के चेयरमैन राजीव शुक्ला ने कहा कि बीसीसीआई सुधारों पर दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसला का सम्मान करता है और लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने पर काम करेगा.

लोढ़ा समिति ने हालांकि बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के तहत लाने का फैसला संसद पर छोड़ दिया है. शुक्ला ने कहा, “हम सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं. हम इस पर विचार करेंगे कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को किस तरह लागू किया जा सकता है.”

पूर्व खिलाड़ी बिशन सिंह बेदी और कीर्ति आजाद ने भी सर्वोच्च अदालत के फैसले के प्रति समर्थन जाहिर किया. बेदी ने सोमवार को ट्वीट किया, “हम सभी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिष्टता और सहजता के साथ स्वकार कर लेना चाहिए. आखिरकार किसी व्यक्ति विशेष या राजनेता से बढ़कर यह भारतीय क्रिकेट के हित के लिए है.”

आजाद ने ट्वीट किया, “मेरी बात सही साबित हुई, सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया. अब डीडीसीए और बीसीसीआई के खिलाफ मेरे अगले कदम का इंतजार कीजिए.”

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीसीसीआई में मौजूद कुछ शीर्ष अधिकारियों को पद छोड़ना पड़ सकता है. बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर भी इसमें शामिल हैं. अनुराग हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ (एचपीसीए) के भी अध्यक्ष हैं.

अदालत के फैसले से प्रभावित होने वाले अन्य सदस्यों में बोर्ड सचिव अजय शिरके, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी. तीनों अधिकारियों को अपने-अपने राज्य क्रिकेट संघों का पद छोड़ना पड़ सकता है.

बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार और एन. श्रीनिवासन को भी भविष्य में अध्यक्ष पद हासिल करने का सपना त्यागना पड़ेगा, क्योंकि दोनों ही 70 की आयु पार कर चुके हैं.

VIDEO: दुनिया के सबसे एडल्ट सवाल का जवाब देगा Sex Chat With Pappu and Papa

उसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता, उसको सुन कर हर कोई ऐसे डर जाता है, जैसे कोई भूत का नाम सुन लिया. ऐसा क्या है इसमें, जो कोई इसके बारे में बात नहीं करना चाहता?

हां, हम उस बेचारे हीनभावना के शिकार सेक्स की बात कर रहे हैं. ऐसा क्या है इस चीज़ के बारे में बात करने में या इसका नाम लेने में जो लोग अच्छे-खासे आदमी को गलत समझ लेते हैं? खुद इसके बारे में बात नहीं करते, जो बात करता भी है, उसे गलत समझ लेते हैं!

बिना सिर पैर की एडल्ट मूवी देख लेंगे, लेकिन सेक्स एजूकेशन के बारे में बात नहीं करेंगे! भैय्या, इतनी नाइंसाफी मत करो इस मामूली सी चीज़ के साथ और इसे हव्वा बनाना बंद करो.

यही संदेश लेकर आई है Y-Films की नई पेशकश Sex Chat With Pappu & Papa. ये डिजिटल फिल्म इन सभी चीज़ों के बारे में बात करती है, जिनको परिवार में A-Rated मान कर नज़रंदाज़ कर दिया जाता है. खासकर मां-बाप और बच्चों के बीच इस तरह की कोई बात नहीं होती. इसी गैप को भरने की कोशिश है Sex Chat With Pappu and Pappa, जिसे थोड़ा गंभीर न कर, लाइट और मनोरंजक तरीके से बताया जाएगा.

ये कहानी है वात्सा परिवार की, जिसका एक 7 साल का सदस्य है पप्पू. पप्पू के दिमाग में जो भी "ऊल-जुलूल" सवाल आते हैं, वो अपने पापा आनंद से पूछ डालता है. जवाब देने में क्या कॉमेडी होती है, ये है Sex Chat With Pappu & Papa.

इसे डायरेक्ट किया है आशीष पाटिल ने और सचिन पिलगांवकर, आनंद तिवारी, संजीदा शेख़, कबीर साजिद, अल्का अमीन बने हैं वात्सा परिवार के मेंबर.

नीचे दिए गए लिंक पर आप भी देखिए इस फिल्म का जबरदस्त ट्रेलर…

http://www.sarita.in/web-exclusive/sex-chat-with-pappu-and-papa

‘‘फ्लाइंग जट’’ का ट्रेलर रिलीज

‘‘हीरोपंती’’ और ‘‘बागी’’ जैसी सफल फिल्मों के बाद टाइगर श्रॉफ अपनी तीसरी फिल्म ‘‘फ्लाइंग जट’’ को लेकर अति उत्साहित हैं. जिसमें उनके साथ जैकलीन फर्नांडिस और हालीवुड अभिनेता नॉथन जॉन्स हैं

रेमो डिूसजा निर्देशित फिल्म ‘‘ए फ्लाइंग जट’’ का ट्रेलर रिलीज हे गया है. इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ ने पंजाबी सुपर हीरो का किरदार निभाया है. इस फिल्म में टाइगर श्रॉफ नीले रंग की पगड़ी पहने, आंखों में मास्क लगाए तथा नीले व पीले रंग की सुपर हीरो की पोशाक में हैं.

सूत्रों की माने तो टाइगर श्रॉफ ने इस फिल्म में पंजाब के एक ऐसे सुपर हीरो का किरदार निभाया है, जो कि बिगड़ते पर्यावरण को बचाने के काम में लगा हुआ है. यूं तो फिल्म के फिल्मकार इसकी कथा को बताने में यकीन नहीं रखते.

मगर बहुत कुरेदने पर टाइगर श्रॉफ स्वीकार करते हैं, ‘‘फिल्म ‘ए फ्लाइंग जट’ में मेरा सुपर हीरो का किरदार एक बच्चा है, जो कि बच्चों की तरह दिखता है. बच्चों की तरह हरकतें करता है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पहली बार किसी फिल्म में एक सुपर हीरो एक बहुत बडे़ मुद्दे को लेकर आता है. और यह बड़ा मुद्दा है- बिगड़ा हुआ पर्यावरण. इससे अधिक इस फिल्म को लेकर मैं कुछ नहीं कह सकता.’’

VIDEO: शख्स जो अपना ही सिर धड़ से कर लेता है अलग

अगर आपके सामने खड़े-खड़े कोई शख्स अपना ही सिर धड़ से अलग कर ले तो क्या होगा. यकीनन आप डर से सन्न हो जाएंगे. आपके आंखे फटी की फटी रह जाएगी. लेकिन जादूगरों के लिए ऐसा कर ना कोई बड़ी बात नहीं है अप ने हुनर और ट्रिक्स के जरिए वो ऐसे-ऐसे करतब करते हैं कि आप सहम जाएंगे.

मशहूर मैजिशियन रिच फर्गूसन योगा और अपनी क्रिएटीविटी की मदद से वह अपने सिर को धड़ से काफी दूर तक ले जाते हैं. आपको देखने पर लगेगा कि उनका सिर धड़ से अलग हो चुका है, लेकिन अगले ही पल आप कतो अहसास हो जाएगा कि ये सब बस एक मैजिक था.

पेशे से एक कॉमेडियन, मेंटलिस्ट और मैजिशियन रिच ने इस प्रैंक के जरिए कई लोगों को डराया और हैरान कर दिया. जैसे ही वो बीच सड़क पर अपना सिर धड़ से अलग करते लोग चिल्लाने लगते. बच्चे भागने लगते. रिच ने लोगों के इस रिएक्शन को अपने कैमरे में कैद किया और उसे यूट्यूब पर अपलोड कर दिया. इस वीडियो को अब तक लाखों लोग देख चुके हैं.

आप भी देखिए क्या होता है जब रिच अपना सिर धड़ से अलग करते हैं…

 

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