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अलविदा मुबारक बेगम: कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी…

मशहूर गायिका मुबारक बेगम का लंबी बीमारी के बाद 76 साल की उम्र में सोमवार रात को निधन हो गया. उनका निधन मुंबई के जोगेश्वरी स्थित अपने घर में सोमवार रात साढ़े नौ बजे हुआ था.

मुबारक बेगम को 1950 से 1970 के दौरान हिंदी सिनेमा जगत में शानदार योगदान के लिए याद किया जाता है. मुबारक बेगम ने 50 के दशक में अपने करियर की शुरुआत रेडियो से की थी. लेकिन जल्दी ही वो फिल्मों में गाने लगीं, तब लता मंगेशकर भी अपने करियर की शुरुआत कर रही थीं. मुबारक बेगम बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टरों से लेकर मोहम्मद रफी तक के साथ काम कर चुकी थीं.

राजस्थान की रहने वाली मुबारक बेगम को बड़ा ब्रेक फिल्म मधुमति के गाने 'हाले दिल सुनाइए से…' मिला. फिल्म उस दौर में हिट साबित हुई. किरदार शर्मा की फिल्म 'हमारी याद आएगी' से उन्हें शोहरत मिली और इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक नगमे इंडस्ट्री को दिए.

मुबारक ने हमेशा के लिए दिलों में बसने वाले बेहद खूबसूरत गीत दिए जिनमें 'हमारी याद आएगी' का गीत 'कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी..' हमराही का 'मुझको अपने गले लगा लो..' खूनी खजाना का 'ऐ दिल बता..' डाकू मंसूर का गीत 'ऐजी-ऐजी याद रखना सनम…' शामिल हैं.

आप भी सुनें गीत – 'कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी…'

इस तारीख को शादी करना पसंद करेंगे सलमान खान

बॉलीवुड के सुलतान यानी सलमान खान की शादी का इंतजार कर रहे प्रशंसकों के लिए खुशखबरी है. यह कहना बहुत जल्दबाजी होगा, लेकिन बॉलीवुड के सुलतान की शादी की तारीख 18 नवंबर हो सकती है.

दरअसल बालीवुड स्टार सलमान खान ने दिग्गज टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा की आत्मकथा 'एस अगेंस्ट ऑड्स' को लॉन्च करते हुए कहा कि वो 18 नवंबर के दिन शादी करना पसंद करेंगे.

यह वही तारीख है जिस दिन सलमान के माता-पिता सलीम खान और सलमा की शादी हुई थी, यही नहीं दो साल पहले इसी तारीख पर सलमान की बहन अर्पिता की भी शादी हुई थी और अब सलमान खान भी इसी दिन शादी करना चाहते हैं.

लॉन्च के समय जब सलमान खान से उनकी शादी की अफवाहों के बारे में पूछा गया तो सलमान का जवाब था, '18 नवंबर, ये कुछ बीस-पच्चीस नवंबर से चल रहा है लेकिन पता नहीं कौन सा साल में होगा, लेकिन होगा'.

आपको बता दें कि हाल ही में रोमानियाई मॉडल और लूलिया वंतूर और सलमान की शादी को लेकर बॉलीवुड में काफी गॉसिप चल रहे हैं.

तो अब रोबोट बनाएगा दूरबीन

वैज्ञानिकों ने एक अत्यंत बड़ी दूरबीन डिजाइन की है जिसे रोबोट अंतरिक्ष में ही जोड़कर तैयार कर सकते हैं. यह ब्रह्मांड में अंदर तक झांकने में खगोलविदों की क्षमता बढ़ाएगी. इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में एक भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल है.

अंतरिक्ष दूरदर्शी डिजाइन करने की नई अवधारणा में अंतरिक्ष में अत्यंत बड़ी दूरबीन तैयार करने के लिए एक असेंबली रोबोट का इस्तेमाल किया जाता है जो पुजोर्ं को जोड़-जोड़कर संरचना तैयार करता है.

वायुमंडलीय प्रभावों और पृथ्वी पर जगह निश्चित होने की वजह से जमीन पर स्थित दूरबीनों की एक सीमा होती है.अंतरिक्ष आधारित दूरबीनों में ये कमी तो नहीं होती लेकिन उनकी दूसरी सीमाएं होती हैं जिनमें पूरे प्रक्षेपण यान का आयतन और द्रव्यमान की क्षमता शामिल है.

कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और अमेरिका में नासा की जेट प्रोपल्शन लैब में निकोलस ली और उनके सहयोगियों द्वारा डिजाइन की गयी तथा रोबोट के माध्यम से तैयार की गयी यह अंतरिक्ष दूरबीन (आरएएमएसटी) मुख्यत: रोबोट के माध्यम से किये जाने वाले उन कार्यों पर ध्यान देती है जिनमें अंतरिक्षयात्रियों की शारीरिक थकान एक मुद्दा होता है.

VIDEO: लड़की को होटल में बुलाया, बाथरूम में पहले से छिपे थे दो लोग और फिर…

आज के दौर में हर उम्र के लोगों के सिर पर सोशल मीडिया का जादू छाया है. वे दिन रात इस पर लगे रहते हैं. इस दौरान रेप और फ्रॉड के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं, जिनमें सबसे ज्‍यादा नुकसान लड़कियों का हो रहा है. ऐसे में हाल ही में यूट्यूब पर एक वीडियो अपलोड हुआ है. ये वीडियो पैरेंट्स से लेकर बच्‍चों तक सभी को देखना चाहिए. इसमें एक लड़का अपनी फेसबुक फ्रेंड को होटल में मिलने बुलाता है और फिर उसके साथ…

होटल मिलने जाती है

सोशल मीडिया पर सावधानी बरतना बेहद जरूरी है. अगर इस पर अपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाही की गई तो लेने के देने पड़ सकते हैं. इससे साफ है कि यह जितना तेजी से लोगों को पूरी दुनिया से जोड़ती है उतनी ही तेजी से अंधेरे में भी ढकेलती है. आज न्‍यूज चैनल व सोशल मीडिया पर रेप व फ्रॉड के मामले में चर्चा में रहते है. लड़कियां फेसबुक पर दोस्‍तों से काफी जल्‍दी घुल मिल जाती है. कुछ दिनों में ही ये दोस्‍ती प्‍यार में बदल जाती है. वे कई बार तो फेसबुक फ्रेंड से मिलने होटल तक में पहुंच जाती है. जिसके बाद उनके साथ रेप जैसे कांड हो जाते हैं. इन घटनाओं में अधिकांश टीनएजर्स फंसते हैं.

मंकी कैप पहने थे

हालांकि यूट्यूब अपलोड हुए इस वीडियो में काफी शॉकिंग दिखाया गया है. इसमें एक लड़का अपनी फेसबुक फ्रेंड को मिलने के लिए होटल के कमरे में बुलाता है. महज 4 वीक की दोस्‍ती में लड़की लड़के से मिलने पंहुच जाती है. इस दौरान लड़की को नहीं पता होता है कि बाथरूम में कोई और भी है, तभी अचानक से बाथरूम से दो लोग मंकी कैप पहनकर निकल आते हैं. लड़का अलग खड़ा रहता है और वे लोग उस लड़की को पकड़कर बेड पर बैठाते हैं. वहीं दो लोगों द्वारा पकड़े जाने पर वह लड़की रोने चिल्‍लाने लगती है. ऐसे में थोड़ी देर बाद जब वे लोग अपना चेहरा दिखाते हैं तो लड़की शॉक्‍ड हो जाती है.

नीचे लिंक पर क्लिक कर आप भी देखिए ये शॉकिंग वीडियो…

http://www.sarita.in/web-exclusive/guy-and-a-girl-in-a-hotel-room-what-do-you-expect-will-happen-next

भूकंप की चेतावनी देगा ये ऐप

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा एंड्रॉयड एप लॉन्च किया, जो स्मार्टफोन से सूचनाएं इकट्ठा कर संभावित भूकंप का पता लगा सकता है. यह ऐप आपको भविष्य में आने वाले भूकंप के बारे में आगाह करेगा. बर्कले स्थित कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के एक दल की ओर से विकसित 'माइशेक' एप गूगल प्ले स्टोर से हासिल किया जा सकता है.

ऐप उपयोगकर्ता के फोन में काम करता रहता है और फोन में मौजूद एक्सेलरोमीटर हर वक्त कंपन को रिकॉर्ड करता रहता है. यदि यह कंपन भूकंप की प्रकृति का होता है, तो इस कंपन के आंकड़े कैलीफोर्निया स्थित बर्कले सिस्मोलॉजिकल लैबोरेटरी के पास विश्लेषण के लिए चले जाते हैं.

अंग्रेजी भाषा में यह ऐप 12 फरवरी को लॉन्च किया गया था और तब से अब तक दुनियाभर में 1,70,000 लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है. बर्कले सिस्मोलॉजिकल लैबोरेटरी के निदेशक और विश्वविद्यालय के पृथ्वी और ग्रह विज्ञान

विभाग में प्रोफेसर और अध्यक्ष रिचर्ड एलेन ने कहा, 'हमें लगता है कि माइशेक से भूकंप की चेतावनी और तीव्र तथा अधिक सटीक हो सकती है.'

फरवरी से अब तक इस ऐप के नेटवर्क ने चिली, अजेंटीना, मेक्सिको, मोरक्को, नेपाल, न्यूजीलैंड, ताईवान, जापान में भूकंप का पता लगाया है. इस नेटवर्क ने 2.5 तीव्रता जैसे छोटे और इक्वोडोर में 16 अप्रैल, 2016 को आए 7.8 तीव्रता जैसे बड़े भूकंपों को दर्ज किया है.

जाओ, उठा कर पटको और देर से आओ

रियो ओलंपिक के लिये भारतीय दल के सदभावना दूत और बालीवुड अभिनेता सलमान खान ने खेल के महाकुंभ में भाग ले रहे खिलाड़ियों को उनकी आधिकारिक जर्सी सौंपने के बाद ब्राजील जाने लेकिन देर से लौटने यानि पदक के साथ वापस आने की शुभकामनाएं दी.

ओलंपिक में जाने वाले खिलाड़ियों के विदाई कार्यक्रम में सलमान और मशहूर संगीत निर्देशक ए आर रहमान विशेष तौर पर उपस्थित थे. उन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ और खेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में खिलाड़ियों को उनकी जर्सी और गुलदस्ते भेंट किये.

इससे पहले आईओए अध्यक्ष एन रामचंद्रन, महासचिव राजीव मेहता और जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने रियो के लिये भारतीय खिलाड़ियों की आधिकारिक जर्सी और ब्लेजर को पेश किया.

जितनी देर से हो आना

सलमान ने समारोह में मौजूद ऐथलीटों को एक और सलाह दी. उन्होंने कहा कि आपसे बस यही कहूंगा कि जा रहे तो वहां से जितनी देर से हो सके वापस लौटना. उनके कहने का मतलब था कि जो खिलाड़ी जितनी देर तक मैदान में टिका रहेगा उसके उतने ही आगे तक जाने की संभावना होगी और वह मेडल जीतेगा.

प्रेशर में नहीं रहना

उन्होंने टेनिस स्टार सानिया मिर्जा से पूछा कि क्या आप प्रेशर में खेलती हैं. इस पर सानिया ने कहा कि हां वह मैदान पर प्रेशर में होती हैं. सलमान ने कहा कि यह अपना-अपना अंदाज होता है कि कोई प्रेशर लेता है और कोई प्रेशर देता है. मगर आपमें से कोई प्रेशर में मत रहना. सवा करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं आपके साथ है.

हाल में अपनी फिल्म सुल्तान में पहलवान की भूमिका निभाने वाले सलमान ने कहा, ‘करोड़ों देशवासियों की प्रार्थनाएं आपके साथ है. अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करो और बाकी उपर वाले (ईश्वर) के उपर छोड़ दो. लेकिन सब कुछ उपर वाले पर ही नहीं छोड़ना.’

जाओ और उठाकर पटकोः सलमान खान

सलमान ने विदाई समारोह में एथलीटों से कहा, 'मैं आप लोगों से पहले भी मिला था तब अच्छा लगा था और जब आज मिल रहा हूं तो भी अच्छा लग रहा है. मेरा आपसे यही कहना है कि अपना बेस्ट करो और रियो से जितना लेकर आ सकते हो, ले आओ.'

सुपर स्टार ने कहा, 'पूरे देश की दुआएं और प्रार्थनाएं आपके साथ हैं, बाकी आप सब ऊपर वाले पर छोड़ दो. मैं मुंबई से यहां इसलिए आया हूं कि आपको प्यार, मोहब्बत और सम्मान वाली विदाई दे सकूं. आप में जीतने की क्षमता है और आप कर सकते हैं. जाओ और उठा उठाकर पटको.'

जब हम ऑस्कर जीत सकते हैं तो ओलंपिक मेडल भी जीतेंगेः रहमान

सलमान के साथ भारतीय दल के दूसरे गुडविल एम्बैसडर और ऑस्कर विजेता संगीतकार ए आर रहमान भी मौजूद थे. रहमान ने कहा, 'आप यह देखकर हैरान हो रहे होंगे कि यहां एक संगीतकार क्यों मौजूद है. मेरा मानना है कि संगीत दिलों को जोड़ता है. मैं पहले सोचता था कि हमें ऑस्कर क्यों नहीं मिलता है लेकिन हमें ऑस्कर मिला. इसी तरह हमारे खिलाड़ी भी ओलंपिक में मेडल जीत सकते हैं.'

रहमान ने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, 'दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है. जीतने का एक ही मंत्र है कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करो और कभी उम्मीद मत छोड़ो. ओलंपिक में भी हम दुनिया को दिखा सकते हैं कि हम क्या कर सकते हैं.' रहमान ने फिर फिल्म लगान का गाना 'बढ़े चलो बढ़े चलो…' भी गाया.

सलमान और रहमान ने इस अवसर पर मौजूद भारतीय खिलाड़ियों को रियो ओलंपिक की जर्सी और फूलों का गुलदस्ता भेंट किया. शुरुआत टेनिस स्टार सानिया मिर्जा से हुई और फिर यह सिलसिला बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू, बी सुमित रेड्डी, किदाम्बी श्रीकांत ,पहलवान बबीता, रविंदर खत्री, हरदीप सिंह, साक्षी मलिक, संदीप तोमर और विनेश फोगाट से होता हुआ महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर तक पहुंचा.

सानिया की जोड़ीदार प्रार्थना थोंबरे, जूडोका अवतार सिंह, टेबल टेनिस खिलाड़ी मणिका बत्रा, तैराक साजन प्रकाश और शिवानी, कुश्ती कोच जगमिंदर सिंह और कुलदीप सिंह, जिमनास्टिक कोच नंदी, टेबल टेनिस कोच संदीप गुप्ता, बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद, हॉकी खिलाड़ी विकास दाहिया और जूडो कोच यशपाल को भी ओलंपिक जर्सी भेंट की गई.

पहलवान योगेश्वर दत्त कार्यक्रम में नहीं पहुंचे. उनकी अनुपस्थिति से हालांकि सवाल पैदा कर दिये क्योंकि वह योगेश्वर ही थे जिन्होंने सलमान को ओलंपिक दल का दूत बनाने का विरोध किया था.

आईओए सूत्रों के अनुसार योगेश्वर अस्वस्थ होने के कारण कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाए. महिला पहलवान बबिता कुमारी ने उनकी जर्सी ली.

इंगलैंड का ईयू से हटना

इंगलैंड द्वारा यूरोपीय यूनियन को छोड़ देने का फैसला दुखदायी है. बड़े सपनों के साथ अलगअलग भाषाओं, अलग तरह के इतिहास, आपसी युद्धों की यादों, अलग रीतिरिवाजों, बहुधर्मी, बहुरंगी बातों को भुला कर एक संयुक्त यूरोप की 26 साल पहले जो कल्पना की गई थी वह अब धराशायी हो गई है. प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने काफी प्रचार किया कि ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन से बाहर न जाए पर 51.9 फीसदी जनता ने जनमत संग्रह के तहत फैसला कर के ब्रुसैल्स से मुंह मोड़ लिया.

यूरोपीय यूनियन ने यूरोप में क्रांति ला दी हो, ऐसा कुछ हुआ नहीं. जो यूरोपीय देश यूनियन से बाहर रहे उन्हें लंबीचौड़ी हानि नहीं हुई. बौर्डरों को समाप्त करने से जिन्हें इधर से उधर जाना था, उन्हें आराम हुआ पर चूंकि यूरोपीय यूनियन एक देश, एक संसद, एक राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री वाला मौडल न बना सका, इसलिए उस की सदस्यता हर देश में हमेशा एक राजनीतिक हथियार बनी रही.

जैसे तिलक और टोपी हिंदू और मुसलिम को एक ही करैंसी के बावजूद अलग करते हैं वैसे ही, हर देश में अलगअलग राजनीतिक दलों की उपस्थिति ने वह रूप नहीं बनाया जिस में गाजर और गोभी को अलग से पहचाना न जा सके. वह सिर्फ मिक्स्ड वैजीटेबल जैसा बन पाया और जरा सी आर्थिक तकलीफ होते ही उन में अलगाववाद उभर आया.

ब्रिटेन वैसे भी यूरोप की मुख्य जमीन से अलग था. टनल से उसे जोड़ा गया था पर समुद्र ने उस में अलगाव का खारा पानी मिला रखा था. अंगरेज यूरोपीय कानूनों, उदारता, जरमनी के बढ़ते प्रभाव, ग्रीस, इटली की आर्थिक समस्याओं से डरने लगे थे. उन्हें लगा था कि पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका से भाग कर आ रहे शरणार्थियों का बोझ उन्हें भी उठाना पड़ेगा.

यूरोपीय यूनियन ने शत्रुओं को भी काबू करने में सफलता नहीं पाई. रूस के व्लादिमीर पुतिन हर रोज धमकियों में बात करते. आतंकवादी जब चाहे, जहां चाहे हमला कर रहे थे और यूरोपियन यूनियन, अमेरिका की तरह पश्चिमी एशिया, अफगानिस्तान व पाकिस्तान को सजा देने की हिम्मत नहीं रखता था. ऐसे में सदस्यता का कोई मतलब नहीं रह जाता.

इंगलैंड के यूरोपीय यूनियन छोड़ने के बाद दुनियाभर में छोटे देशों की मांग बढ़ने लगेगी. आज के इंटरनैटी युग में सीमाएं कुछ परेशान करती हैं पर रोकती नहीं हैं. हवाई अड्डों पर वीजा कंट्रोल पर लाइनें लगती हैं पर महीनों नहीं लगतीं. जो यूरोपीय देश यूरोपीय यूनियन से बाहर हैं, वे भी मजे में हैं.

भारत के लिए कठिनाइयां खड़ी हो सकती हैं. अब तक अलग राज्य की ही मांग कभीकभार होती थी, अब अलग देश की मांग भी तूल पकड़ सकती है. कश्मीर, नागालैंड, बोड़ोलैंड, मध्य प्रदेश के माओवादी इलाके ऐसी जगहें हैं जो इंगलैंड के अलग हो कर स्वतंत्र रहने से प्रेरणा ले सकती हैं.

अलग अलग लड़कर कमजोर होंगे दलित

उत्तर प्रदेश में दलितों की लड़ाई लड़ने का दावा कई दल कर रहे हैं. देखने वाली बात यह है कि बहुजन समाज पार्टी से अलग होने के बाद भी यह दल एकजुट होकर एक मंच पर नहीं आ रहे हैं. बसपा नेता मायावती पर करीब करीब एक जैसे आरोप लगाने वाले दलित नेता आर के चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य अपने अलग अलग दल बनाकर दलितों के भले की बात करने का दावा कर रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने लोकतांत्रिक बहुजन मंच और आरके चौधरी ने बीएस-4 नाम से अपने अपने दल बनाये हैं.

यह दोनो ही नेता बसपा के पुराने नेता हैं. इनकी सोच दलितों के भले की है. यह दलितों की भलाई के काम भी करना चाहते हैं. बसपा से अलग होकर इनके पास यही रास्ता बचा है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब बसपा छोड़ी तो यह बात उठी कि वह सपा, कांग्रेस या भाजपा में जा सकते हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी अलग राह चुनते हुये नई पार्टी का गठन किया है. अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार के लिये वह बहुत सारी रैलियों और चुनावी दौरों की घोषणा भी कर चुके हैं.

स्वामी प्रसाद मौर्य की राह पर ही चलते हुये आरके चौधरी ने भी अपनी अलग पार्टी बनाई और रैली का ऐलान किया. आरके चौधरी पहले भी अपनी पार्टी बीएस-4 बना चुके थे. जब वह पहली बार बसपा से अलग हुये थे. इस बार आरके चौधरी ने अपनी रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बुलाया है. आरके चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य एक जैसे काम करने के बाद के बाद भी एक मंच पर एकत्र नहीं हो पा रहे हैं. बात केवल आरके चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य की नहीं है. दलितों की अगुवाई करने वाले बहुत सारे नेता एक जैसी सोच रखने के बाद भी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं. पूरे देश में यही हालात हैं.

बसपा के जनक कांशीराम इस बात को जानते समझते थे. वह पूरे दलित समाज को एक साथ लेकर चलना चाहते थे. कांशीराम के बाद बसपा मायावती की जेबी पार्टी बनकर रह गई. पार्टी में बना अनुशासन तानाशाही में बदल गया. इसकी वजह से ही पुराने बसपा के नेता पार्टी में घुटन का अनुभव करने लगे. इसके पहले भी बसपा से अलग हुये नेता बहुत प्रयास करने के बाद भी अपनी हालत मजबूत नहीं कर पाये, जिसकी वजह से बसपा में तानाशाही बढ़ती गई.

बसपा को लगता है कि दलित केवल चुनाव चिन्ह के नाम पर उसको वोट देगा.अ ब हालात बदल चुके हैं. पिछले कई सालों में चुनाव दर चुनाव यह बात खुलकर सामने आई भी है. इसके बाद भी बसपा के अगुवा इस बात को समझने को तैयार नहीं हैं. बसपा से अलग हुये नेता भले ही अपना भला न कर पाये हों, पर वह बसपा का नुकसान करने में सफल रहे हैं.

1993 में सपा और बसपा एकजुट होकर चुनाव लड़े, तो भाजपा उत्तर प्रदेश से बाहर हो गई. पर जैसे ही सपा-बसपा अलग हुये भाजपा की ताकत बढ़ती गई. 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा बसपा की आपसी कलह को अपने लिये सही मान रही है. बसपा से अलग हुये नेताओं की सोच है कि अगर वह अपने स्तर पर विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर ले गये, तो चुनावों के बाद बेहतर हालत में होकर दूसरे दल से समझौता करेंगे. अलग अलग होकर यह दल भाजपा और सपा से क्या मुकाबला करेंगे, यह चुनाव के बाद समझ आयेगा. दलितों की आपसी लड़ाई का लाभ सपा और भाजपा को जरूर होगा. अब तक जो बसपा मुख्य लड़ाई में दिख रही थी, अब पिछड़ती नजर आ रही है.                    

मूंगफली रहे निरोग

मूंगफली एक तिलहनी फसल है. दुनिया में भारत मूंगफली का सब से ज्यादा उत्पादन करने वाला देश है. लेकिन भारत की औसत उपज काफी कम है. भारत में मूंगफली की फसल गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश व राजस्थान में सब से ज्यादा उगाई जाती है. इस की खेती खरीफ व गरमी के मौसम में की जाती है. मूंगफली की कम पैदावार के कारणों में सब से बड़ा कारण है इस फसल पर रोगों का प्रकोप. किसान रोगों से फसल को बचा कर मूंगफली की पैदावार बढ़ा सकते हैं. मूंगफली के रोग हैं:

कालर राट

यह रोग ‘एसपरजिल्लस नाइजर’ नामक कवक से होता है. यह रोग सभी इलाकों में पाया जाता है. बीज बोने के बाद किसी भी अवस्था में इस का संक्रमण हो सकता है. यह रोग बोआई के करीब 20 से 40 दिनों के अंदर दिखाई पड़ता है. रोग की शुरुआत में पौधों का मुख्य अक्ष मुरझा जाता है लेकिन जमीन के ऊपरी तनों व जड़ों पर कोई असर दिखाई नहीं देता. कुछ समय बाद मुख्य अक्ष मर जाता है.

जमीन की सतह के साथ एक धब्बा बन जाता है जो कि फफूंद के बीजाणुओं से ढक जाता है, जैसेजैसे रोग आगे बढ़ता है पौधों का कौलर भाग मुरझाने लगता है. पौधों की नीचे वाली पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. कौलर रोट का सब से खास लक्षण सूखे मौसम में तुरंत मुरझा कर सूख जाना है. बाद में रोग लगे भागों

का झड़ना शुरू होता है और फिर पौधे नष्ट हो जाते हैं.

रोकथाम

* साफ व बिना रोग लगे बीज इस्तेमाल करने चाहिए.

* टूटे हुए, कटे हुए और संक्रमित बीजों को निकाल देना चाहिए.

* बीज को अच्छी तरह सुखा कर जमा करना चाहिए.

* बिना रोग लगे अच्छे बीजों की बोआई करनी चाहिए.

* बीजों को बोआई से पहले 2 ग्राम कार्बंडाजिम या

3 ग्राम थीरम से प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें.

* कवकनाशी और कीटनाशी दोनों रसायनों से बीजों को उपचारित करने से ज्यादा फायदा होता है.

* फसल चक्र अपनाएं.

* खेत में समय पर सिंचाई करें.

* रोगी पौधों के अवशेषों को खेत में न रहने दें.

टिक्का या पत्तीधब्बा रोग

यह रोग भी कवक से फैलने वाला होता है, जो 2 तरह का होता है:

अगेती धब्बा रोग : यह रोग सरकोस्पोरा अरेचिडीकोला नाम के कवक से होता है. सब से पहले रोग के लक्षण पत्तियों पर धब्बों के रूप में दिखाई पड़ते हैं. फसल बोने के करीब 30 दिनों बाद गोल या किसी भी आकार के धब्बे बनते हैं. पत्ती की ऊपरी सतह पर धब्बे का रंग लाल, भूरा या काला व निचली सतह पर हलका भूरा होता है.

पिछेती धब्बा रोग : यह रोग ‘फीयोआइसेरीयोप्सिस परसोनेटा’ फफूंद से फैलता है. यह रोग ज्यादा नुकसानदायक होता है, क्योंकि इस का फैलाव तेजी से होता है. इस रोग के कारण बने धब्बों का आकार छोटा या गोलाकार और रंग गहरा भूरा या काला होता है. धब्बे पत्तियों के अलावा तने पर भी बनते हैं. रोग जब बढ़ जाता है, तो पत्तियां गिर जाती हैं और पैदावार में कमी आती है.

ये दोनों ही प्रकार के रोग जमीन व बीज से होते हैं. फसल पर रोग शुरू में ही तेजी से बढ़ने लगता है. 25 से 30 डिगरी व अधिक नमी रोग को बढ़ावा देती है. रोग का दूसरा संक्रमण खड़ी फसल में पौधे से पौधे और खेत से दूसरे खेत में हवा, कीट व बारिश के द्वारा होता है.

रोकथाम

* रोग लगी फसल के ठूंठों को फसल कटाई के बाद खेत से निकाल कर गड्ढे में दबा दें या जला दें.

* फसलचक्र अपनाएं.

* खेत के अंदर व आसपास उगे खरपतवारों को समय पर निकालते रहें.

* फसल पर रोग के लक्षण दिखाई देते ही कार्बंडाजिम 0.1 फीसदी या मेंकोजेब 0.2 फीसदी घोल का छिड़काव करें. जरूरत के हिसाब से 10 से 15 दिनों के अंतर पर छिड़काव दोहराएं.

रोली रोग या किट्ट रोग

यह रोग ‘पक्सीनिया अरेचिडिस’ नामक कवक से होता है. सब से पहले पत्ती की निचली सतह पर संतरे के रंग के छोटेछोटे दाने दिखाई देते हैं. बाद में ये दाने पत्ती की ऊपरी

सतह पर उभर आते हैं. दानों की बनावट गोलाकार होती है. इस रोग के लक्षण पौधे के सभी ऊपरी भागों पर दिखाई देते हैं. रोग लगे पौधों के दाने सिकुड़े व छोटे रह जाते हैं. पैदावार में कमी आती है.

रोकथाम

* फसलचक्र अपनाएं और खेत में लगातार मूंगफली की फसल न लें.

* खेत के आसपास के खरपतवारों को खत्म करें

* रोग के लक्षण दिखाई देते ही मेंकोजेब 0.2 फीसदी या क्लोरोथेलोनिल 0.2 फीसदी घोल का छिड़काव करें. इस से टिक्का रोग की भी रोकथाम हो जाती है.

कालिका क्षय

यह रोग ‘पी नट बड नेक्रोसिस वायरस’ से होता है व थ्रिप्स कीट से फैलता है. शुरू में इस रोग से नई निकली पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे व धारियां बन जाती हैं. बाद में मुलायम पत्तियां निकलने के बाद ये सूखना शुरू हो जाती हैं. रोग के बढ़ जाने पर पौधे की बढ़वार रुक जाती है व पौधा झाड़ीनुमा हो जाता है. रोगी पौधे के बीज सिकुड़े व छोटे रह जाते हैं.

रोकथाम

* बोआई देरी से करें (जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में).

* बीज की मात्रा सामान्य से अधिक रखें.

* कतार से कतार की दूरी सामान्य से कम रखें.

* मूंगफली के साथ बाजरा या ज्वार की मिलीजुली खेती (1:3) करने से रोग में कमी होती है.

* फसल 40 दिनों की हो जाने पर डाइमिथोएट या मोनोक्रोटोफास का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.

* मूंगफली की रोगरोधी किस्मों का इस्तेमाल करें जैसे कादिरी 3, आईसीजीएस 11, आईसीजीवी 86388, आईसीजीबी 86029, टेग 24, बीएसआर 1.

मूंगफली का पुंज

विषाणु रोग

यह रोग ‘पी नट क्लंप वायरस’ के नाम से भी जाना जाता है. इसे विषाणु गुच्छा रोग भी कहते हैं. इस रोग के कारण पौधे बौने हो कर गहरे हरे रंग के गुच्छों में बदल जाते हैं. खेत में रोग के लक्षण शुरू में छोटेछोटे समूहों में दिखते हैं. बाद में पूरे खेत में रोग फैल जाता हैं. यह रोग जमीन में पाए जाने वाले ‘पोलीमिक्सा ग्रेमिनिस’ नामक कवक द्वारा होता है.

रोकथाम

* खरपतवारों को खेत से निकालते रहें.

* बीमारी लगी फसल से मिले बीजों का इस्तेमाल न करें.

* मूंगफली के रोग लगे खेतों में रबी मौसम में सरसों की फसल लगाएं.

* रोग लगे खेतों में मूंगफली बोने से पहले गरमी के मौसम में बाजरे की बोआई करें. बीज की मात्रा 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के आसपास रखें. बोआई के 15 दिनों बाद बाजरे के पौधों को निकाल दें. उस के बाद मूंगफली बोएं.

* मूंगफली बोते समय कापर आक्सीक्लोराइड कवकनाशी का 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बना कर कूड़ों में छिड़काव करें.

पीलिया रोग

यह रोग पोषक तत्त्वों की कमी का रोग है. इस रोग में फसल पीली पड़ जाती है व उपज में कमी आती है.

रोकथाम

जिन खेतों में मूंगफली में पीलिया रोग लगता है, वहां 3 साल में 1 बार बोआई से पहले 250 किलोग्राम गंधक या 25 किलोग्राम हरा कसीस प्रति हेक्टेयर की दर से डालें. या हरा कसीस के 0.5 फीसदी घोल (5 ग्राम प्रति लीटर पानी) या गंधक के अम्ल का 1 मिलीलीटर प्रति 1 लीटर पानी में घोल बना कर 2 बार छिड़काव करें. पहला छिड़काव फूल आने से पहले करें व दूसरा फूल आने के बाद करें.

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