फसलों की गहाई में आज थ्रैसर की खास अहमियत है. जो काम आम तरीके से करने में काफी समय लगता था, वही काम अब मशीनों ने आसान कर दिया?है. आज बाजार में कई प्रकार के मल्टीक्रौप थ्रैसर मौजूद हैं, जिन के पुर्जों में हलका सा बदलाव कर के या चलाते समय उन को इस्तेमाल करने की तकनीक को थोड़ा हेरफेर कर के कई अलगअलग फसलों की गहाई आसानी से की जा सकती?है. मक्का, सोयाबीन,?ज्वार, बाजरा, सरसों, मूंग, चना, उड़द वगैरह फसलों की गहाई अच्छी क्वालिटी वाले थ्रैसर से की जा सकती है.

अगर हम अच्छी मशीन इस्तेमाल नहीं करते?हैं, तो हमें अपने अनाज में टूटफूट ज्यादा मिलेगी या साथसुथरा अनाज नहीं मिलेगा, इसलिए अनाज में टूटफूट से बचाव के लिए गहाई मशीन यानी थ्रैसर मशीन का सही चयन करना जरूरी है. कुछ मशीन निर्माता कुछ खास फसलों के लिए खास थ्रैसर भी बनाते हैं. आज तमाम कंपनियां थ्रैसर बना रही हैं, जिन में साइको एग्रोटेक कंपनी योद्धा के नाम से थ्रैसर बना रही है. इस के अलावा अमर मक्का थ्रैसर, ग्रिल एग्रो आदि अनेक कंपनियां मक्का थ्रैसर व मल्टी क्रौस थ्रैसर बना रही हैं. कुछ कृषि यंत्र निर्माता अलगअलग अनाज के लिए खास थ्रैसर भी बनाते हैं. चूंकि ऐसे थ्रैसर किसी खास फसल के लिए ही बनाए जाते हैं, तो जाहिर है कि उन से बेहतर नतीजे मिलेंगे. आइए जानते?हैं मक्का थ्रैसर में बारे में, जिसे खासतौर पर मक्के की गहाई के लिए बनाया गया है.

प्रकाश मक्का थ्रैसर

इस थ्रैसर के बाबत हमारी बात अनिल कुमार गर्ग से हुई जिन्होंने बताया, ‘हम किसानों के लिए कई कृषि यंत्र तैयार कर रहे?हैं. आज के समय में ज्यादातर किसान हमारे द्वारा बनाए गए कृषि यंत्रों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं. यह थ्रैसर हम ने खासतौर से मक्के की गहाई के लिए बनाया है. इसे 45 हार्सपावर के किसी भी ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जा सकता?है. इसे 35 हार्सपावर के ट्रैक्टर के साथ भी चला सकते हैं, लेकिन तब अनाज की गहाई की कूवत कम हो सकती?है.

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