जिस कोयला घोटाले की आंच में कांग्रेस सरकार भस्म हो गई थी, वह अभी बुझी नहीं है. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 204 खानों का पट्टा निरस्त कर दिया था और मोदी सरकार ने फैसला किया था कि अब बोली इंटरनैट से लगाई जाएगी. इंटरनैट भगवा सरकार के लिए एक नए मंत्र, यज्ञ, हवन व शास्त्र की तरह अवतरित हुआ है, जिस की आड़ में हर कुकर्म को भाग्य का फल कह कर करवाया जा सकता है और जिस में दक्ष होने के कारण इंटरनैटी पंडों की एक बड़ी फौज तैयार हो रही है.
कंपट्रोलर ऐंड औडीटर जनरल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन 11 खानों को इंटरनैटी नीलामी के सहारे मोदी सरकार ने 2015 में अलौट किया था, उन में भारी हेराफेरी हुई है. खासतौर पर नियम ही ऐसे बनाए गए थे कि केवल अपने लोग ही इस नीलामी में भाग ले सकें. बड़े समूहों ने अपनी छोटी कंपनियों को एकसाथ बोली लगाने को कह दिया. कुछ बड़े समूहों ने आपसी सांठगांठ कर ली.
यह मामला तूल नहीं पकड़ रहा, क्योंकि भगवा भक्तों को तो इस सरकार में कोई खराबी उसी तरह नजर नहीं आती, जैसे रामायण, महाभारत, पुराणों, स्मृतियों के देवीदेवताओं के कुकर्मों में नजर नहीं आती. जो आराध्य है, वह हर दोष से ऊपर है. वह गलत हो ही नहीं सकता. जो गलती पकड़े, उसे ईशनिंदक या नया शब्द देशद्रोही कह कर चुप करा दो.
यह स्पष्ट है कि सरकार का ढर्रा आज भी वैसा ही है, जैसा 2014 से पहले था. देश में न कोई सामाजिक सुधार हो रहा है, न आर्थिक और न ही राजनीतिक. देश के हर हिस्से में भयंकर धुआं फैल रहा है, कहीं धर्म के नाम पर, कहीं जाति के नाम पर, कहीं गाय के नाम पर, कहीं आरक्षण के नाम पर. ऐसे में कोयले की खानों में भभक रहे भ्रष्टाचार की ओर नजर किस की जाएगी. कांग्रेसी तो बोलेंगे नहीं, क्योंकि उन के तो चेहरे वैसे ही कोयले से काले हैं, दूसरी पार्टियां भी शरीफ नहीं हैं.