सरकार द्वारा दी जा रही छूट कम कर दिए जाने और किस्त पर सर्विस टैक्स लगाने से महंगे पशुओं का बीमा कराने से किसानों व पशुपालकों का मोहभंग हो गया है. इस के चलते सरकार द्वारा पशु अस्पतालों को दिए गए सालाना टारगेट भी कई जगहों पर पूरे होते नजर नहीं आ रहे हैं. पशु सेहत महकमा के अफसरों द्वारा किसानों को योजना के फायदे नहीं बताने से भी पशुपालक व किसान पशुओं का सरकारी बीमा कराने से कतरा रहे हैं.

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने पशुधन बीमा योजना शुरू की थी. 2 साल पहले तक किस्त की राशि पर 75 फीसदी तक छूट सरकार द्वारा दी जाती थी. छूट ज्यादा होने के कारण किसान अपने पशुओं का बीमा कराने के लिए आसानी से तैयार हो जाते थे. महंगे पशुओं की मौत होने पर क्लेम का पैसा मिलने के कारण किसानों को काफी राहत भी मिलती थी. लेकिन अब सरकार ने किस्त पर मिलने वाली रकम को 75 फीसदी से घटा कर 50 फीसदी कर दिया है.

इस के अलावा किस्त के पैसे पर भी बीमा कंपनी द्वारा 4 फीसदी से बढ़ा कर 14 फीसदी तक सर्विस टैक्स लगा दिया गया है. इतना ही नहीं. बीमा कंपनी द्वारा किसानों से किस्त तो पूरी वसूली जाती है, लेकिन किसानों को बीमा कराने के लिए तैयार पशु चिकित्सकों को ही करना पड़ता है. इस के लिए उन्हें किसी तरह का कमीशन भी बीमा कंपनी की ओर से नहीं दिया जाता है. यही वजह है कि पशु डाक्टर भी अब किसानों व पशुपालकों के पशुओं का बीमा कराने के मामले में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. नतीजा यह है कि इस से बीमा का टारगेट ही पूरा नहीं हो पा रहा है.    

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