प्रिज्मा एप कुछ ही दिनों में काफी फेमस हो चुकी है. यह फोटो फिल्टर एप पहले केवल आईफोन यूजर्स के लिए ही उपलब्ध थी, लेकिन अब एंड्रायड यूजर्स का भी इस एप के लिए इंतजार खत्म ही चुका है. जी हाँ! प्रिज्मा एप अब गूगल प्ले स्टोर पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है.
प्रिज्मा एप पिछले हफ्ते ही एंड्रायड के लिए उपलब्ध करा दी गई थी, हालाँकि तब ये केवल बीटा वर्जन के लिए ही थी. लेकिन अब सभी एंड्रायड और गूगल मोबाइल यूजर्स इस एप को इस्तेमाल कर सकते हैं. एंड्रायड यूजर को इस एप का बेसब्री से इंतजार था. तो अब आप इस एप पर अपने हाथ अजमा सकते हैं.
आइए आपको बताते हैं इसके कुछ खास फीचर्स और यह भी कि आप इसे कैसे डाउनलोड कर सकते हैं-
– प्रिज्मा एक फोटो फिल्टर एप है. ऐसा नहीं है कि प्रिज्मा में जो दिया है वो पहले नहीं आया. बल्कि इसमें जो फिल्टर्स दिये हैं वो कमाल के हैं.
– प्रिज्मा एप आपकी फोटो को पेंटिंग में बदल देती है. इससे फोटो को एक अलग ही अंदाज मिलता है.
– इस एप में कई फेमस आर्टिस्ट के स्टाइल दी गए हैं जैसे, मंक, पिकासो व अन्य. – यह एप काफी फेमस हो चुकी है.
– पहले यह एप केवल iOS पर ही उपलब्ध थी लेकिन अब यह एंड्रायड पर भी मौजूद है.
– अब एंड्रायड यूजर्स इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.
एंड्रॉयड फोन में अक्सर ये समस्या आती है कि वो हैंग हो जाता है. ऐसे में इरिटेट होना लाजमी है. हम आपको बताने जा रहे हैं वो कॉमन कारण जिनकी वजह से अक्सर फोन हैंग होता है. साथ ही जानें उनके सॉल्यूशन भी. कौन से हैं वो कारण…
1. अनावश्यक अपडेट करना
कई स्मार्टफोन कंपनियां अपने हैंडसेट के पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करने की सुविधा देती हैं. अपडेट का क्रम जैलीबीन >> किटकैट >> लॉलीपॉप >> मार्शमैलो हो सकता है. लेकिन ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट होने से स्मार्टफोन स्लो हो सकता है. इसकी बड़ी वजह फोन में पुराने हार्डवेयर के साथ कम स्पीड वाला प्रोसेसर और रैम हो सकती है. एंड्रॉइड फोन में कई बार ये समस्या ऐप्स अपडेट करने पर भी आती है. जिस ऐप का काम पड़ता हो उसे ही अपडेट करें.
सॉल्यूशन
कंपनी जो ऑपरेटिंग सिस्टम देती है, वो ही डिवाइस के लिए परफेक्ट होता है. अपडेट तभी करें जब फोन में ऑक्टाकोर प्रोसेसर और कम से कम 2GB रैम हो.
2. कई ऐप्स का ओपन रहना
यूजर जब स्मार्टफोन पर ऐप्स का इस्तेमाल करके उन्हें बैक करता है, तब वे बंद ना होकर मिनिमाइज हो जाते हैं. यानी वे बैकग्राउंड में ओपन रहते हैं. इस तरह धीरे-धीरे बैकग्राउंड में कई ऐप्स ओपन हो जाते हैं. ये ऐप्स फोन की रैम का स्पेस घेरते हैं, साथ ही इंटरनेट एक्सेस करने पर ये वर्क भी करते हैं. इस वजह से फोन लगातार स्लो होने लगता है और कई बार हैंगिंग की प्रॉब्लम आ जाती है.
सॉल्यूशन
किसी भी ऐप का इस्तेमाल करने के बाद उसे नेविगेशन की (Navigation Key) की मदद से प्रॉपर बंद करना चाहिए. Navigation Key पर कुछ देर तक टैब करने पर ओपन ऐप्स की लिस्ट आ जाती है. इस लिस्ट की मदद से आप ओपन ऐप्स को बंद कर सकते हैं.
3. कैशे का इकट्ठा होना
ऐसे यूजर्स जो स्मार्टफोन पर इंटरनेट का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, उनका फोन अक्सर स्लो हो जाता है और बाद में हैंगिंग की समस्या आने लगती है. दरअसल, इंटरनेट पर जब भी कुछ सर्च किया जाता है, तब वो फोन की टेम्परेरी मेमोरी में सेव हो जाता है. जब ये डाटा बहुत ज्यादा हो जाता है, तब स्मार्टफोन स्लो हो जाता है.
सॉल्यूशन
स्मार्टफोन के कैशे को हमेशा डिलीट करते रहना चाहिए. इसके लिए जिस ब्राउजर का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसकी हिस्ट्री में जाकर टेम्परेरी फाइल डिलीट कर देनी चाहिए.
4. थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टॉल करना
कई यूजर्स स्मार्टफोन में ऐसे थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टॉल कर लेते हैं जो प्ले स्टोर पर भी नहीं होते. इन ऐप्स से सॉफ्टवेयर के करप्ट होने का खतरा रहता है. साथ ही ये फोन को हैंग करने का भी काम करते हैं.
सॉल्यूशन
केवल वही थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टॉल करें जो ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद हों.
5. अपने आप एक्स्ट्रा ऐप्स का इन्स्टॉल होना
स्मार्टफोन में कई बार ऐप्स इन्स्टॉल करने के दौरान कुछ एक्स्ट्रा ऐप्स भी इन्स्टॉल हो जाते हैं. ये ऐप्स आपको दिखाई नहीं देते, लेकिन फोन की रजिस्ट्री में ये सेव हो जाते है. बाद में ये स्मार्टफोन को स्लो और हैंग करना शुरू कर देते हैं.
सॉल्यूशन
स्मार्टफोन में एंटीवायरस होने पर वह इन एक्स्ट्रा ऐप्स को क्लीन कर देगा. हालांकि, जिन स्मार्टफोन में कम स्पीड वाला प्रोसेसर होता है या फिर रैम कम होती है, वे एंटीवायरस से भी स्लो हो जाते हैं. ऐसे में उसकी जगह क्लीनर ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं.
6. इंटरनल मेमोरी में जगह ना होना
स्मार्टफोन की डिफॉल्ट मेमोरी इंटरनल होती है. यानी यूजर कोई ऐप्स इन्स्टॉल करे, फोटो-वीडियो बनाए या फिर कोई डाटा शेयर करे, ये सभी फोन की इंटरनल मेमोरी में आते हैं. ऐसे में जब फोन की मेमोरी में जगह कम बचती है तो स्लो होने से लेकर हैंग होने तक की प्रॉब्लम आने लगती हैं.
सॉल्यूशन
फोन की इंटरनल मेमोरी के डाटा को मेमोरी कार्ड में शिफ्ट कर देना चाहिए. यूजर चाहे तो कई ऐप्स भी मेमोरी कार्ड में मूव कर सकता है.
7. फोन को कभी ऑफ या रिस्टार्ट नहीं करना
कई यूजर्स ऐसे हैं जो स्मार्टफोन को कभी ऑफ या रिस्टार्ट नहीं करते. ऐसे में लगातार इस्तेमाल में आने से फोन स्लो होने लगता है और हैंगिंग की प्रॉब्लम भी आती है. दरअसल, फोन के लगातार ऑन बने रहने से उसमें मौजूद ऐप्स प्रॉपर बंद नहीं हो पाते.
सॉल्यूशन
इसका आसान उपाय ये है कि स्मार्टफोन को बंद करके उसकी बैटरी और मेमोरी कार्ड को रिमूव करके फिर से लगाना चाहिए. सप्ताह में एक बार ऐसा जरूर करना चाहिए.
8. सही चार्जर का इस्तेमाल नहीं करना
स्मार्टफोन यूजर्स अक्सर किसी भी चार्जर से फोन को चार्ज कर लेते हैं, लेकिन ये सही नहीं है. किसी भी चार्जर से फोन को चार्ज करने से फोन की बैटरी पर असर पड़ता है. बैटरी खराब होने से भी फोन स्लो या हैंग हो सकता है.
सॉल्यूशन
हमेशा अपनी कंपनी के चार्जर का ही इस्तेमाल करें, क्योंकि कई चार्जर अलग-अलग वोल्ट का आउटपुट देते हैं. ऐसे में बैटरी कम वोल्ट की है तो वो खराब हो सकती है.
9. गैर जरूरी ऐप्स को फोन में रखना
कई यूजर्स स्मार्टफोन में ऐसे ऐप्स रखते हैं जिनका इस्तेमाल वे कभी नहीं करते. इनमें ज्यादातर फोटो एडिटिंग, म्यूजिक और वीडियो से जुड़े ऐप्स होते हैं. ये फोन की इंटरनल मेमोरी का स्पेस कवर करते हैं, जो फोन के स्लो होने का कारण भी बन जाता है.
सॉल्यूशन
यदि वीडियो और म्यूजिक प्लेयर से काम चल रहा है तो इससे जुड़े दूसरे ऐप्स नहीं डालने चाहिए. यूजर को ये ऐसा ऐप इन्स्टॉल करना चाहिए जो सभी फॉर्मेट की फाइल प्ले कर सके.
आपने हमेशा बाबा रामदेव को योग करते हुए या कभी कबार बयानबाजी करते हुए देखे होगा. लेकिन योग गुरू बाबा रामदेव का यह अंदाज देख आप भी चौंक जाएंगे. जी हां इस बार मंच पर बैठने वाले बाबा रामदेव ने मैदान पर फुटबॉल खेली.
राजधानी के जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में फुटबॉल के महामुकाबले के लिए जब देश के दिग्गज मैदान में उतरे, तो पूरी दिल्ली ने चीयर किया. मौका था राजनीति के दिग्गजों और बॉलीवुड स्टार्स के बीच खेले गए फुटबॉल मैच का. बॉलीवुड टीम की कप्तानी अभिषेक बच्चन ने की और नेताओं के टीम की कप्तानी का जिम्मा योगगुरु बाबा रामदेव ने संभाला.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए 'स्वच्छ भारत अभियान' और 'महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम' को बढ़ावा देना इस मैच का उद्देश्य था. 'बेटी बचाओ', बेटी पढ़ाओ' और 'स्वच्छ भारत' जैसे अभियान को बढ़ावा देने के लिए ये चैरिटी मैच खेला गया.
यूं तो ऐसे मैच कई बार देखे गए हैं लेकिन मैच तब ज्यादा रोमांचक हो गया जब मैदान पर योग गुरू बाबा रामदेव भी दौड़ लगाते नजर आए. इस दौरान पहले बाबा ने खेल का उद्घाटन किया.
50 साल के बाबा रामदेव सभी राजनेताओं व अभिनेताओं को कड़ी टक्कर देते नजर आए. कभी गेंद के पीछे भागते तो कभी गेंद छीनने का प्रयास करते दिखे. अपनी परिचित वेशभूषा में ही वो मैदान पर उतरे और पूरे मैच में वही चर्चा का विषय बने रहे.
मैच के आखिरी वक्त में बाबा खुद ही मैदान पर गए. पहले बाबा अपने कपड़ों को संभालते हुए नजर आए लेकिन बाद में वो लगातार फुटबॉल खेलते रहे. उन्होंने इसके लिए अपनी खड़ाऊ की जगह फुटबॉल के जूते भी पहने.
मैदान में उतरे ये बॉलीवुड स्टार्स
राजधानी में आयोजित इस महामुकाबले में बॉलीवुड से अभिषेक बच्चन , डिनो मोरिया, रणबीर कपूर, शबीर अहलूवालिया, करन वाही जैसे सितारे फुटबॉल खेलते नजर आए, तो दूसरी तरफ मनोज तिवारी, बाबुल सुप्रियो, प्रवेश वर्मा जैसे नेताओं ने मैदान में पसीना बहाया.
इस रोमांचक मैच में बाबा रामदेव भी अपना दमखम दिखाने से पीछे नहीं हटे. बाबा रामदेव और बाबुल सुप्रियो ने इस मौके पर रियो ओलंपिक में जाने वाले खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं.
बॉलीवुड स्टार्स को मिली जीत
मैच में बाबुल सुप्रियो, प्रवेश वर्मा और मनोज तिवारी ने अपनी टीम को बचाने के लिए खूब दम लगाया, लेकिन बॉलीवुड स्टार्स गोल पर गोल करते गए और नेताओं का स्कोर जीरो पर ही अटका रहा. इस तरह से फुटबॉल का ये रोमांचक मैच 10–0 के स्कोर पर सिमट गया और अभिषेक बच्चन की टीम विजयी रही. इस चैरिटी मैच का लोगों ने खूब लुत्फ उठाया.
अमेरिका में नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में देश को अमेरिका का पहला दोस्त बताने की भरपूर कोशिश की है और अमेरिका, जो पाकिस्तान की आतंकवादियों को पनाह देने की वजह से परेशान है, इस से काफी खुश है. पर इस का मतलब यह नहीं है कि अमेरिका की दोस्ती की वजह से भारत को दुनिया में जरमनी या चीन की जगह मिल जाएगी.
अमेरिकी संसद कैपिटोल में चाहे हम कितने ही गाल बजा लें कि भारत में वही लोकतंत्र है जो अमेरिका में है या डाक्टर भीमराव अंबेडकर अमेरिका के ही कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढ़े थे, सच तो यह है कि जमीनी हकीकत में भारत 1947 से कुछ गज आगे बढ़ा है. आज भी देश के गांवों, कसबों और शहरों के गरीबों के महल्ले ऐसे हैं, जैसे सीरिया में बमबारी के बाद वहां के इलाके नजर आते हैं.
अमेरिका के शहरों में भव्य बाजारों में ऊंची जातियों के भारतीय मूल के अमेरिकियों के साथ घूमते हुए देश का बखान करना एक बात है, पर यह सच नहीं झुठलाया जा सकता है कि भारत का हर नौजवान, एमबीए, डाक्टर, इंजीनियर हो या एक साधारण मजदूर, देश से बाहर जा कर काम करना चाहता है. नरेंद्र मोदी को जो तालियां मिल रही हैं, वे उन लोगों की हैं, जो भारत से गए थे और धर्म की गठरी साथ ले गए थे. और अब नरेंद्र मोदी में उन्हें भारतीय पोप नजर आ रहा है. उन की भारत लौट कर आने की कतई मंशा नहीं है.
हम अमेरिका, जरमनी, स्वीडन, चीन का मुकाबला तब करेंगे, जब विदेशों में बसे भारतीय भारत लौटने की कोशिश करें. उन्हें भारत में अपने बढि़या अच्छे कल की आस हो. भारत ने साइंस, टैक्नोलौजी, कंप्यूटर सौफ्टवेयर में काफी छलांगें मारी हैं, पर अभी भी दुनिया के देश भारत को बराबर का नहीं समझ रहे हैं. हां, बड़ा देश होने की वजह से हम दुनिया के बहुत से देशों के लिए बड़े खरीदार हैं और इसीलिए हमें भाव मिलता है. खरीदार इसलिए हैं, क्योंकि भारत का मजदूर चाहे भारत में हो या विदेशों में हो, आज भी जीतोड़ मेहनत करता है, पर उस के पास पैसा बचता कहां है? वह तो यहां के धन्ना सेठों, अफसरों और नेताओं की जेबों में चला जाता है, जो उस पैसे से मौज करते हैं.
नरेंद्र मोदी का यह 41वां विदेश दौरा था, पर क्या 2 साल में वे एक भी ऐसा बदलाव देश में लाए हैं, जो उन्होंने विदेश से सीखा हो? क्या हमारी सड़कें सुधरी हैं? क्या बाजार साफ हुए हैं? क्या कसबों से रंगदारी खत्म हुई है? क्या पाखंड का खेल कम हुआ है? क्या हम ने ईमानदारी से काम करना शुरू किया है?
इस देश की अपने गाल बजाने की आदत पुरानी है. हर छोटा राजा भी अपने को चक्रवर्ती कहलाना चाहता था और अश्वमेध यज्ञ कराता था. आज भी यही हो रहा है. प्रधानमंत्री दुनियाभर में घोडे़ दौड़ा रहे हैं और देश के राज्यों के मुख्यमंत्री अपने विज्ञापन देशभर के समाचारपत्रों में कि देखो स्वर्ग उतर आया है.
जोधपुर हाईकोर्ट ने काला हिरण और चिंकारा शिकार के मामले में सलमान खान को बड़ी राहत देते हुए उन्हें बरी कर दिया है. 18 साल पुराने चिंकारा-हिरण शिकार के दो मामलों में सलमान पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी.
आज कोर्ट ने सलमान को रिहा करने का फैसला सुनाया. फैसला सुनाए जाने के दौरान उनकी बहन अलवीरा भी अदालत में मौजूद थीं. इस फैसले के बाद राजस्थान सरकार ने कहा है कि वो फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी.
सलमान खान ने निचली अदालत के फैसले को जोधपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी जिस पर आज फैसला सुनाया गया. दरअसल, मामला 'हम साथ साथ हैं' फिल्म की शूटिंग के दौरान का है और सलमान पर आरोप है कि 28 सितंबर 1998 को उन्होंने दो चिंकारा के शिकार किए थे.
चिंकारा वन्य जीव अधिनियम के तहत संरक्षित जीव हैं. लिहाजा मामल संगीन है. निचली अदालत ने 10 अप्रैल को सलमान खान को दोषी ठहराया था.
हाईकोर्ट में सलमान के वकील ने दावा किया है कि ये केस सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर, दोनों ही केस ड्राइवर हरीश दुलानी के बयान पर आधारित है.
इसके अलावा हिरणों की खाल भी बरामद नहीं हुई है. यही नहीं सलमान के वकील का कहना है कि जिस ड्राइवर हरीश दुलानी के बयान पर केस दर्ज हुआ है वो क्रॉस एग्जामिनेशन में पेश नहीं हुआ है.
इसके अलावा दावा किया गया है कि जिस एयरगन से शिकार का आरोप है उससे चिंकारा को नहीं मारा जा सकता.
और एक ही जगह पर चिंकारा के दो शिकार के मामलों में 5 और 1 साल की सजा क्यों? हालांकि विश्नोई समुदाय के वकील क दावा है कि उनके पास सलमान खान को कड़ी सजा दिलाए जाने के पुख्ता आधार हैं.
हाईकोर्ट के इस फैसले के बावजूद शिकार का ये जंजाल उनका पीछा नहीं छोड़ेगा क्योंकि इन दो केस के अलावा भी सलमान खान पर जोधपुर के कांकाणी वन क्षेत्र में काले हिरण के शिकार और गैरकानूनी तरीके से हथियार ले जाने का मामला भी अभी निचली अदालत में चल रहा है.
हां इतना जरूर है कि अगर सलमान खान चिंकारा मामले में बरी हो जाते हैं तो बाकी दो केस में उनकी राह आसान जरूर हो जाएगी.
18 साल में 18 दिन जेल में काटे
– सलमान हिरण शिकार के तीन मामलों में पुलिस ज्यूडिशियल कस्टडी में 18 दिन जेल में रह चुके हैं.
– पहली बार सलमान को वन विभाग ने 12 अक्टूबर, 1998 को हिरासत में लिया था. 17 अक्टूबर तक जेल में रहे.
– घोड़ा फार्म मामले में 10 अप्रैल 2006 को पांच साल की सजा सुनाई गई. छह दिन जेल में रहे.
– सेशन कोर्ट ने इस सजा की पुष्टि की. तब 26 से 31 अगस्त 2007 तक जेल में रहे.
5 बातें जिनसे सलमान को हुआ फायदा
जिन्होंने मुकदमा कराया वो गायब
– वन अधिकारी ललित बोड़ा ने दवा व्यापारी अरुण के ड्राइवर हरीश दुलानी के बयान पर शिकार के मुकदमे दर्ज कराए थे.
– वन विभाग ने मैजिस्ट्रेट के सामने बयान करवा कर उसे छोड़ा था. डिफेंस की ओर से उसका क्रॉस वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ, वह गायब हाे गया.
बाकी आरोपी बरी तो ये दोषी कैसे
– भवाद और घोड़ा फार्म हाउस के मुकदमों में सलमान के साथ 12 आरोपी थे. 10 को संदेह का लाभ मिला.
– मुंबई का रहने वाला शिकार के लिए कैसे उम्मेद पैलेस से निकला, कैसे पता चला कि हिरण यहां मिलेंगे. कोई तो उसे ले गया होगा?
– जब दूसरे बरी हो गए तो सलमान अब तक आरोपी क्यों है?
सजा बढ़ाने की अपीलें क्यों?
– सरकार ने सलमान की एक साल की सजा को कम माना, सजा बढ़ाने तथा गोरधन सिंह को फिर से आरोपी मानने के लिए दो अपीलें कर दी.
– यानी सरकार ने दूसरे 11 लोग जो बरी हो चुके, उन्हें गोरधन की तरह फिर से आरोपी बनाने की अपील क्यों नहीं की? प्रॉसिक्यूशन के पास इसका ठोस जवाब नहीं था.
जिप्सी सर्च की अलग रिपोर्टें
– वन विभाग ने जिप्सी जब्त कर तलाशी ली. इसकी सर्च रिपोर्ट में सिर्फ खून के धब्बे मिले.
– बाद में पुलिस ने भी जिप्सी की तलाशी ली तो उन्हें जिप्सी में छर्रे हिरण के बाल मिल गए जो वन विभाग की तलाशी में नहीं मिले.
– ऐसे दोनों सर्च रिपोर्ट भी अलग-अलग हो गई.
छर्रे अलग, चाकू भी छोटा
– पुलिस को उम्मेद भवन में सलमान के कमरे की तलाशी में बंदूक की गोलियां मिली थीं. जिप्सी में मिले छर्रे उन गोलियों के नहीं थे.
– हिरण का गला रेतने वाला चाकू बरामद किया था, जब्ती में रखा चाकू पॉकेट वाला है जिससे गला रेतना मुश्किल होता है.
सलमान की संकटमोचक अलवीरा
सलमान खान पर फैसला आने से पहले ही उनकी बहन अलवीरा जोधपुर पहुंच गई थीं. सलमान का परिवार अलवीरा को सलमान के लिए संकटमोचक मानता है. अलवीरा रविवार देर शाम अपने वकील के साथ आनंद देसाई के साथ जोधपुर पहुंची और जोधपुर में अपने वकील से मुलाकात की. अलवीरा ने जोधपुर में केस देख रहे वकीस हस्तीमल सारस्वत से करीब एक घंटे तक आने वाले फैसले पर चर्चा की.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने काला धन रखने वालों को कारावास सहित कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा कि चैन की नींद सोने के लिए 30 सितंबर तक अपनी अघोषित संपत्ति की घोषणा करें. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी जूलरी तथा रियल एस्टेट में अपना काला धन इन्वेस्ट किया है, वे अगर चैन से सोना चाहते हैं तो तय तिथि तक ब्लैक मनी की जानकारी सरकार को दें.
पीएम मोदी ने ऑल इंडिया जेम्स ऐंड जूलरी ट्रेड फेडरेशन द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में आभूषण कारोबारियों से भी ब्लैकमनी का खुलासा करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार की इस योजना को सफल बनाने में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हर आभूषण कारोबारी अपने ग्राहकों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. उन्होंने कालेधन वालों से इससे मुक्ति पा लेने का आह्वान करते हुए कहा, 'चैन से सोने से बड़ा जीवन का सुख क्या है, सरकार से क्यों डरें? जिनके पास अघोषित आय है उसे 30 सितंबर से पहले घोषित कर दें क्योंकि उसकी सरकार उसके बाद किसी की नींद हराम नहीं करना चाहती है.'
गौरतलब है कि सरकार ने अघोषित संपत्ति के बारे में जानकारी देकर कार्रवाई से बचने के लिए एक खास योजना शुरू की है. सरकार की इस योजना के तहत घरेलू अघोषित आय का खुलासा किया जा सकता है और टैक्स के साथ जुर्माना भरकर सरकारी कार्रवाई से बचा जा सकता है. इस योजना के तहत 45 प्रतिशत जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है. आपको बता दें कि आयकर विभाग बिना पैन (PAN) के किए गए 90 लाख बड़े लेनदेन के बारे में पता लगा चुका है.
बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिला है. करीब 15 दिन पहले टैक्स ऑफिस ने खान को विदेश में इन्वेस्टमेंट का ब्योरा देने को कहा है. टैक्स ऑफिस ने बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड और दुबई जैसी जगहों पर शाहरुख खान के इन्वेस्टमेंट की डिटेल मांगी है.
टैक्स अथॉरिटी के पास बड़ी संख्या में ऐसे इंडियंस की जानकारी है जिन्होंने विदेश में इन्वेस्टमेंट कर रखा है. यह अभी तक क्लियर नहीं हो पाया है कि डिपार्टमेंट के पास कोई प्राइमा फेसी प्रमाण है, जिसके आधार पर यह माना जाए कि शाहरूख खान की विदेश में स्थित एसेट को इनडिस्क्लोज वेल्थ माना जाए.
सेक्शन 131 के तहत भेजा नोटिस
शाहरुख खान को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 131 के तहत नोटिस भेजा गया है. इसके तहत टैक्स अथॉरिटी के पास इन्क्वायरी करने के अधिकार होते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स हेवन देशों की कंपनियों में खान के घोषित इन्वेस्टमेंट से परे जाकर इन कंपनियों की गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल करना चाहता है. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं है कि डिपार्टमेंट के पास खान की विदेशी संपत्तियों में ब्लैक मनी है या नहीं. इंडस्ट्री सोर्सेस के मुताबिक, शाहरुख खान के अलावा वैसे कुछ अन्य इंडस्ट्रियलिस्ट को भी इस तरह के नोटिस मिले हैं, जिन्होंने सिंगापुर के जरिए इसी तरह का इन्वेस्टमेंट किया है.
आईटी डिपार्टमेंट की ओर से एक्शन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब सरकार ब्लैक मनी के खुलासे के अपने वादे की पूरा करने के लिए उन अमीर भारतीयों की पड़ताल में जुटी है, जिन्होंने विदेश में अपने बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी का एलान नहीं किया है.
मशहूर अभिनेता कमल हासन की बेटी श्रुति हासन ने बालीवुड में 2009 में फिल्म ‘‘लक’’ से कदम रखा था. उसके बाद वह ‘‘दिल तो बच्चा है जी’’, ‘‘डी डे’’ तथा कुछ माह पहले प्रदर्शित फिल्म ‘‘राकी हैंडसम’’ में नजर आयीं. मगर बौलीवुड में श्रुति हासन की एक भी फिल्म ने बाक्स आफिस पर पानी नहीं मांगा. जिसके चलते उनका करियर आगे नहीं बढ़ पा रहा है. यह एक अलग बात है कि वह दक्षिण भारत में तेलगू व तमिल भाषायी फिल्में भी कर रही हैं. संगीत के क्षेत्र में भी कार्यरत हैं. मगर उनकी अपनी कोई पहचान नही बन पायी. जबकि हर पिता चाहता है कि उनके बच्चों का भविष्य मजबूत हो जाए. बच्चों का अपना करियर बन जाए.
इसी के चलते अब कमल हासन ने खुद ही अपनी बेटी श्रुति हासन का करियर संवारने का निर्णय लेते हुए अपनी होम प्रोडक्शन की त्रिभाषी फिल्म ‘‘शाबाश नायडू’’ में अभिनय करने के लिए जोड़ा है. तमिल, तेलगू व हिंदी इन तीन भाषाओं में बनने वाली इस फिल्म का हिंदी में नाम ‘‘शाबाश कुंडू’’ होगा.
सूत्रों की माने तो इस फिल्म में कमल हासन व श्रुति हासन, निजी जिंदगी की ही तरह पिता व पुत्री के किरदारों में होंगे. इस फिल्म की कहानी व पटकथा कमल हासन ने ही लिखी है. हिंदी के संवाद सौरभ शुक्ला लिखेंगे. इस त्रिभाषी फिल्म का निर्माण व निर्देशन भी कमल हासन खुद ही कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार इस फिल्म में रमय्या कृष्णन, सिद्दिकी, अनंत महादेवन भी अभिनय कर रहे हैं. कमल हासन इस फिल्म को अमरीका के लास एंजेल्स शहर में फिल्माने वाले हैं.
‘विक्की डोनर’, ‘मद्रास कैफे’ व ‘राकी हैंडसम’ जैसी हिंदी फिल्मों का निर्माण करने के बाद जान अब्राहम अब मराठी भाषा की फिल्मों का निर्माण करना चाहते हैं. इस तरह जान अब्राहम भी दूसरे कलाकारों की भांति क्षेत्रीय सिनेमा में कदम रखने जा रहे हैं. इससे पहले अभिनेता रितेश देशमुख मराठी भाषा में ‘‘बालक पालक’’ व ‘‘लय भारी’’ जैसी सफल व चर्चित फिलमों का निर्माण कर चुके हैं, तो वहीं एकता कपूर व संजय लीला भंसाली भी मराठी भाषा की फिल्म का निर्माण कर चुके हैं. जबकि अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने भी एक मराठी भाषा की फिल्म का निर्माण किया है, जो कि बहुत जल्द रिलीज होगी.
वास्तव में ‘नटंरग’ ,‘लय भारी’ जैसी मराठी फिल्मों के सुपर डुपर हिट होने के बाद हिंदी भाषी कलाकारों के मन में मराठी भाषा की फिल्में बनाने का जोश सवार हुआ है. इतना ही नहीं जिस तरह से महज दो करोड़ की लागत में बनी मराठी भाषा की फिल्म ‘‘सैराट’’ ने सौ करोड़ कमा लिए हैं, उससे भी लोग मराठी भाषा की फिल्मों के निर्माण की तरफ रूख कर रहे हैं.
खुद जान अब्राहम कहते हैं-‘‘मैं मराठी भाषा में फिल्म का निर्माण करना चाहता हूं. मैने ‘लय भारी’ व ‘सैराट’ सहित कुछ मराठी फिल्में देखी हैं. इससे मेरे मन में यह भाव पैदा हुआ कि मराठी संस्कृति व भाषा से ओतप्रोत फिल्म का निर्माण किया जाए.’’