Download App

तो बिक गया याहू

याहू के बिकने की खबर सुनने के बाद आपके दिमाग में यही आया होगा कि अब आपके याहू ईमेल या याहू से जुड़ी अन्य चीजों का क्या होगा. टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी वेराइजन ने याहू को 4.83 बिलियन डॉलर में खरीदा. अभी कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा. सोमवार को डील की अधिकारिक घोषणा करते हुए वेराइजन ने बताया कि याहू से जुड़ी सभी चीजें वेराइजन एओएल (AOL) बिजनस का पार्ट बन जाएंगी. एओएल बिजनस को वेराइजन ने पिछले साल 4.4 बिलियन डॉलर में खरीदा था.

याहू-मेल का क्या होगा?

अमेरिका में जीमेल के बाद याहू दूसरा सबसे लोकप्रिय ईमेल सर्विस है. यूरोप और लैटिन अमेरिका में कई ज्यादा पसंद और यूज किया जाता है. इस लिए वेराइजन के पास इसे चालू रखने के पर्याप्त कारण हैं. वेराइजन ने एओएल के साथ भी ऐसा ही किया था. याहू के 22.5 करोड़ यूजर्स हैं इस लिए अगले साल तक याहू मेल को कोई खतरा नजर नहीं आता.

याहू साइट्स का क्या होगा?

वेराइजन ने याहू को अपनी मीडिया और एडवर्टाइजिंग प्लेटफॉर्म को मजबूत करने के लिए खरीदा है जिससे साफ है कि याहू की वेबसाइट्स वेराइजन के काम की है. याहू पहले ही अपनी कम लोकप्रिय साइट्स जैसे याहू हेल्थ, याहू रियल इस्टेट आदि को याहू पहले ही बंद कर चुका है, लेकिन अब भी लोगों की पसंद याहू फाइनैंस, याहू स्पोर्ट्स के अभी बंद होने की आशंका नहीं है.

याहू का नाम रहेगा?

याहू और इंटरनेट 90 के दशक में एक-दूसरे के पूरक बन गए थे लेकिन इंटरनेट अब जिस दौर में है, यह कहना मुश्किल है कि याहू नाम की वजह से जी पाएगा. इसी कारण यह कहना मुश्किल है याहू के नाम का क्या होगा.

पाकिस्तान को इंग्लैंड का करारा जवाब

जो रूट (254 और 71* रन) की शानदार बैटिंग और क्रिस वोक्स (कुल 7 विकेट) की घातक बॉलिंग के दम पर इंग्लैंड ने पाकिस्तान के खिलाफ दूसरा टेस्ट मैच 330 रन से जीत लिया. इंग्लिश टीम को ये जीत चौथे ही दिन मिल गई.

इस तरह उसने पाक से पहले टेस्ट में मिली हार का बदला भी ले लिया. चार टेस्ट मैचों की सीरीज अब 1-1 से बराबर हो गई है.

पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 565 रनों का लक्ष्य था. लेकिन खेल के चौथे दिन अपनी दूसरी पारी में चाय के बाद पाकिस्तान की पूरी टीम महज 234 रनों पर ही सिमट गई.

मैचे के चौथे दिन इंग्लैंड ने सुबह 1 विकेट पर 98 रन से आगे खेलते हुए दूसरी इनिंग 173/1 रन पर घोषित कर पाक के सामने 565 रन का लक्ष्य रखा. टारगेट का पीछा करते हुए पाक टीम 234 रन पर ही धराशायी हो गई.

पाकिस्तान की दूसरी इनिंग में इंग्लैंड के लिए एंडरसन, मोईन अली और वोक्स ने 3-3 विकेट लिए. इंग्लैंड टीम के लिए पहली इनिंग में डबल सेन्चुरी लगाने वाले जो रूट ने दूसरी पारी में भी शानदार 71 रन बनाए.

मैच में कुल 325 रन बनाने वाले जो रूट प्लेयर ऑफ मैच चुने गए. दोनों टीमों के बीच हुए पहले मैच में उन्होंने 48 और 9 रनों बनाए थे. इस मैच में इंग्लैंड को 75 रन से हार का सामना करना पड़ा था.

इंग्लैंड की ओर से जेम्स एंडरसन, मोइऩ अली और जे वॉक्स ने 3-3 विकेट लिए. इंग्लैंड के गेंदबगाज जेम्स एंडरसन ने तीन विकेट लेकर इस मैच से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अच्छी वापसी की है. पहली पारी में पाकिस्तान की जीत के हीरो रहे गेंदबाज़ यासिर शाह इस टेस्ट में बुरी तरह से फ़्लॉप रहे.

रनों के मामले में यह इंग्लैंड की पांचवी सबसे बड़ी जीत है. चार मैचों की इस सीरीज में अभी तक पाकिस्तान और इंग्लैंड एक-एक मैच जीत कर बराबरी पर हैं.

पाकिस्तान और इंग्लैंड टेस्ट मैचों में अब तक 79 मैचों में आमने सामने हो चुके हैं, जिसमें से इंग्लिश टीम ने 23 में जीत हासिल की है. 19 में उसे हार का सामना करना पड़ा है और 37 मुकाबले ड्रॉ पर समाप्त हुए हैं. इसके साथ ही इंग्लैंड का पाकिस्तान के खिलाफ जीत का प्रतिशत 29.11 हो गया.

दीपिका कुमारीः आम से ओलंपिक तक

एक दिन वह अपनी मां के साथ बाजार जा रही थी. सड़क के किनारे आम के पेड़ पर लटके आमों को देख कर वह आम खाने के लिए मचल उठी. मां ने लाख समझाया पर वह मासूम लड़की आम खाने की जिद पर अड़ गई. मां ने उससे कहा कि आम काफी ऊंचाई पर है इसलिए पेड़ पर नहीं चढ़े. तभी बेटी ने सड़क के किनारे पड़े पत्थर को उठाया और आम पर निशाना लगा कर पत्थर चला दिया. पलक झपकते ही आम नीचे आ गिरा. उस दिन लड़की की मां गीता को अपनी बेटी का लक्ष्य पर निशाना साधने की प्रतिभा का पता चला. उस दिन के बाद से लगातार अपने लक्ष्यों पर निशाना साधने वाली छोटी सी लड़की आज दुनिया की नंबर-वन तीरंदाज दीपिका कुमारी बन चुकी है और आज समूचा देश उससे यह उम्मीद लगाए बैठा है कि अगले ओलंपिक में वह गोल्ड मेडल जीतेगी.

झारखंड की राजधनी रांची शहर से 15 किलोमीटर दूर रातू चेटी गांव में दीपिका का परिवार रहता है. उसके पिता शिवनारायण महतो औटो रिक्शा चला कर अपने परिवार का गुजारा चलाते है. शिवनारायण बताते हैं कि दीपिका का खेलना-कूदना और तीरंदाजी का शौक उन्हें कतई पसंद नहीं था. इसके लिए वह अकसर दीपिका को डांट-फटकार लगाया करते थे और पढ़ाई में मन लगाने पर जोर देते थे. अपनी धुन की पक्की दीपिका पढ़ाई तो करती रही पर साथ में निशानेबाजी की लगातार प्रैक्टिस भी करती रही. इस वजह से आज उनकी बेटी के नाम का डंका रांची ही नहीं समूची दुनिया में बज रहा है.

दीपिका की बचपन की बातों को याद करते हुए शिवनारायण कहते हैं कि एक दिन दीपिका ने उनसे तीर और धनुष खरीद कर देने की मांग की. पहले तो उन्होंने मना कर दिया कि बेकार के कामों में वह मन नहीं लगाए और पढ़-लिख कर अफसर बने. बाद में सोचा कि बेटी ने उनसे पहली बार कुछ मांगा है, इसलिए बाजार की ओर चल दिये. तीरंदाजी में उपयोग होने वाले तीर-धनुष की कीमत सुनकर तो उनका माथा ही घूम गया. उसकी कीमत 2 लाख रूपये थी. उन्होंने बेटी को अपनी मजबूरी बता दी. इसके बाद भी दीपिका निराश नहीं हुई और वह बांस से बने तीर-धनुष से ही लगातार प्रैक्टिस करती रही और आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई.

दीपिका की मां गीता महतो फख्र के साथ बताती हैं कि तीरंदाजी को लेकर वह इतनी सीरियस थी कि जब भी मौका मिलता तो पेड़ पर लटके फलों पर निशाना साधती रहती थी. आम के मौसम में तो उसकी प्रैक्टिस और बढ़ जाती थी. उसके दोस्त जिस आम को तोड़ने को कहते थे, उस पर निशाना लगा कर गिरा देती थी. वह कहती हैं कि हर मां-बाप को चाहिए कि वे अपने बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाने और उसे तराशने में हर मुमकिन मदद करें. कुछ साल पहले झारखंड के ही लोहरदगा जिले में तीरंदाजी की प्रतियोगिता हो रही थी. दीपिका उसमें भाग लेने की जिद कर रही थी. हार कर उसके पिता ने उसे लोहरदगा जाने के लिए 10 रुपये दिये. उसने प्रतियोगिता में भाग लिया और पहला इनाम लेकर लौटी. उसके बाद से अब तक दीपिका के इनाम जीतने का उसका सफर लगातार जारी है.

13 जून 1994 को जन्मी दीपिका ने साल 2005 में झारखंड के अर्जुन तीरंदाजी एकेडमी में दाखिला लिया और 2006 में उसे जमशेदपुर के टाटा स्पोटर्स एकेडमी में दाखिला मिल गया. वहां उसे हर महीने स्टाइपन के तौर पर 500 रुपये भी मिलने लगे. उसी साल मैक्सिको में हुए विश्व तीरंदाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीत कर उसने दुनिया का ध्यान खींचा. उसके बाद तो मेडल जीतने की उसने झड़ी ही लगा दी. साल 2009 में यूएसए में आयोजित 11 यूथ वल्र्ड तीरंदाजी चैम्पियनशिप में भी उसने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया. उसके बाद साल 2010 में दिल्ली में हुए कौमनवेल्थ गेम्स में भी उसने रिकर्व इवेंट में 2 गोल्ड मेडल झटक कर भारत का परचम लहराया. साल 2010 को चीन में हुए एशियन गेम्स में उसे ब्रोंज मेडल पर ही संतोष करना पड़ा. मई 2012 में तुर्की में आयोजित महिला तीरंदाजी वर्ल्ड कप में कोरिया की ली संग जीन को पछाड़ कर 2 गोल्ड मेडल अपनी झोली में डाल लिये. पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी संघ की ताजा विश्व रैंकिग में दीपिका को नंबर 1 पर जगह मिली है. इससे पहले भारत की डोला बनर्जी को यह खिताब मिला था. इसके अलावा साल 2011 से 2013 तक वह लगातार फिटा आर्चेरी वर्ल्ड कप के सिल्वर मेडल जीत चुकी है. अब पूरे देश को यह भरोसा है कि ओलंपिक में दीपिका गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाएगी.

आखिर ‘मदारी’ में कहां चूके इरफान

फिल्म ‘‘मदारी’’ को आम दर्शकों तक पहुंचाने के लिए इरफान ने अपनी इस फिल्म को हौलीवुड स्टाइल में जमकर प्रचारित किया. पर उनका सारा प्रयास, सारी मेहनत काम नहीं आयी. फिल्म ‘‘मदारी’’ ने पूरे देश में बाक्स आफिस पर पहले दिन दो करोड़ पच्चीस लाख तथा दूसरे दिन तीन करोड़ पचास लाख रूपए ही कमाए.

अपनी फिल्म ‘‘मदारी’’ को सही ढंग से प्रचारित करने के लिए इरफान ने कई तरह के गुणा भाग लगाए. अपनी फिल्म को सुरक्षित रिलीज के लिए उन्होने दस जून की बजाय 15 जुलाई को रिलीज करने का फैसला किया और सारा काम छोड़कर वह पूरे दो माह तक अपनी इस फिल्म के प्रचार के लिए अकेले ही जुटे रहे. इरफान ने मुंबई की लोकल ट्रेन में फिल्म के प्रचार का आडियो टेप पूरे दो दिन तक लगातार बजवाया. यह पहला मौका था, जब किसी ने अपनी फिल्म को प्रचारित करने के लिए मुंबई की लोकल ट्रेन का उपयोग किया हो. इरफान ने कई शहरों की यात्रा की. पटना में लालू यादव से लेकर दिल्ली में अरविंद केजरीवाल तक से मुलाकात की. पर इतना सब करते हुए इरफान यह भूल गए कि राजनेताओं के साथ डमरू बजाने से फिल्म को दर्शक नहीं मिलते. दूसरी बात फिल्म के प्रमोशन के वक्त इरफान अपनी फिल्म की कहानी को छिपाने के प्रयास में राजनेताओं की ही तरह हवाबाजी मे बड़ी बड़ी बाते करते रहे. इसी का खमियाजा उन्हे भोगना पड़ रहा है.

मजेदार बात यह है कि फिल्म ‘‘मदारी’’ के प्रमोशन के ही सिलसिले में जब इरफान पत्रकारों से मिल रहे थे, तो ‘‘सरिता’’ पत्रिका से बात करते हुए इरफान ने कहा था-‘‘सिनेमा को लेकर मैं सब कुछ समझ चुका हूं. मैंने समझा कि दर्शकों को इंगेज करके मैं सिर्फ उन्हें अपना दर्द नहीं बता सकता. मैं उन्हें सिर्फ नसीहत नहीं दे सकता. मैं अपने अंदर चल रहे इमोशन को उन तक नही पहुंचा सकता. इसके लिए मुझे सबसे पहले मनोरंजक तरीके से दर्शकों को इंगेज करना पड़ेगा. मेरे लिए सिनेमा सिर्फ मनोरंजन या सिर्फ इंगेज करने का साधन नहीं है. सिनेमा इमोशन का माध्यम है. इसलिए दर्शक को दोनों तरह से इंगेज करना पड़ेगा.’’

इरफान ने सिनेमा को लेकर अपनी समझ को लेकर जो कुछ कहा था, वह उसे अपनी फिल्म ‘‘मदारी’’ का हिस्सा बनाने में असफल रहे. इरफान ने फिल्म को प्रचारित करने के लिए हौलीवुड स्टाइल को अपनाया, मगर दस साल से हौलीवुड फिल्मों में अभिनय करते हुए वह यह नहीं समझ पाए कि फिल्म कैसी बनायी जानी चाहिए. हौलीवुड फिल्में भारत में सफलता के तमगे गाड़ रही हैं. मगर हौलीवुड फिल्मों में अभिनय करने के बावजूद इरफान नहीं समझ पाए कि फिल्म में कहानी किस स्तर पर महत्व दिया जाना चाहिए. क्या इरफान भूल गए कि हौलीवुड में फिल्म की कहानी व पटकथा पर सबसे अधिक जोर दिया जाता है.

इरफान का दावा है कि फिल्म ‘‘मदारी’’ में उन्होने आम इंसान को जगाने की बात की है. उन्होने फिल्म में जबाबदेही तय करने की बात की. उन्होने आम इंसान की बेबसी के साथ एक पिता का दर्द बयां करते हुए दर्शक को इमोशनली जोड़ने की बात की है. मगर सच यह है कि फिल्म के अंदर इन बातों को सही अंदाज में पेश करनें में वह असफल रहे. अब शायद इरफान को अहसास हो रहा होगा कि फिल्म के निर्देशक के तौर पर इस फिल्म से निशिकांत को जोड़ना उनकी सबसे बड़ी भूल रही. फिल्म में इमोशन कहीं नहीं है. फिल्म के अंदर इरफान रो रहे थे, पर दर्शक हंस रहा था. फिल्म ‘‘मदारी’’ से आम इंसान गायब है. फिल्म में भारतीय पिता कहीं उभर ही नहीं पाया. ऐसे में दर्शक फिल्म ‘मदारी’ के संग कैसे जुड़े? उम्मीद है कि अभिनेता के साथ साथ निर्माता बन चुके इरफान अपनी अगली फिल्म में सिनेमा की अपनी समझ को सही मायनों में उपयोग करने का प्रयास करेंगे.

अर्जन बाजवा पहुंचे लंदन

कई टीवी सीरियलों में अभिनय कर शोहरत बटोरने के बाद फिल्म ‘‘रूस्तम’’ से फिल्मों में अपने अभिनय करियर की शुरूआत करने वाले अभिनेता अर्जन बाजवा महज एक फिल्म में ही अभिनय कर इतना थक गए कि उन्हे छुट्टियां मनाने के लिए लंदन जाना पड़ा है. अर्जन बाजवा ने फिल्म ‘‘रूस्तम’’ में विक्रम मखीजा का किरदार निभाया है. अर्जन बाजवा का दावा है कि वह ‘रूस्तम’ के लिए लगातार शूटिंग करके थक गए थे. इसलिए अपनी थकान मिटाने व नई उर्जा प्राप्त करने के लिए लंदन घूमने गए हैं. जहां वह एक पर्यटक की तरह न सिर्फ घूम रहे हैं, बल्कि खरीददारी भी कर रहे हैं. चलिए, लंदन से वापस आने के बाद अर्जन बाजवा कितनी उर्जा के साथ काम शुरू करते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा.

भूमि की चाहत को मिली उड़ान

फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ में एक मोटी औरत का किरदार निभा कर मशहूर हुई हीरोइन भूमि पेडनेकर की इस फिल्म को जब 63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार मिला, तो उन की खुशी का ठिकाना न रहा. खुशी के इन पलों में उन की आंखों से आंसू छलक पड़े. पहली फिल्म में इतनी बड़ी कामयाबी उन के लिए खास थी. पिता महाराष्ट्र के और मां हरियाणा के जाट परिवार की होने के बावजूद भूमि की बातों में पंजाबी लहजा ज्यादा है. मुंबई की भूमि ने अपना 32 किलो वजन बड़ी मुश्किल से कम किया है और वे अगली फिल्म ‘मनमर्जियां’ के लिए तैयार हैं.

भूमि पेडनेकर ने बताया, ‘‘मैं ने 6 साल तक यशराज फिल्म्स में कास्टिंग डायरैक्टर शानू शर्मा के साथ असिस्टैंट के रूप में काम किया. तब मुझे कभी लगा नहीं था कि मैं फिल्मों में काम करूंगी. लोग सोचते हैं कि मैं ने यशराज फिल्म्स में काम किया, इसलिए फिल्म मिल गई, जबकि ऐसा नहीं था. अपने क्षेत्र में काम को समझने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी थी.’’ भूमि पेडनेकर को हमेशा से डायरैक्टर बनने की इच्छा थी. ऐक्टिंग के बारे में तो कभी सोचा नहीं था. उन्होंने बताया, ‘‘मैं कास्टिंग का काम करती थी, जहां आडिशन करते हुए ऐक्टिंग करनी पड़ती है. पहले भी कई बार शानू शर्मा ने मुझे ऐक्टिंग करने की बात कही, पर हर बार मैं टाल जाती थी, क्योंकि मुझे तो डायरैक्टर बनना था.

‘‘आदित्य चोपड़ा ने भी मेरे काम को देखा था. एक दिन जब मैं आडिशन ले रही थी, तो शानू शर्मा पीछे से आईं और कहा कि तुम अपना समय क्यों बरबाद कर रही हो, तुम्हारे अंदर डायरैक्टर बनने का कोई लक्षण नहीं है.

‘‘इसी दौरान फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ पर काम चल रहा था. आदित्य ने मुझे औफर दिया. मैं ने आडिशन दिया और चुन ली गई.’’

भूमि पेडनेकर ने कई बड़े कलाकारों के आडिशन किए हैं. उन्हें वह दिन अभी भी याद है, जब वे फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ में लीड हीरो की तलाश कर रही थीं. तभी रणवीर सिंह नाम का नया चेहरा मिला. उस की ऐक्टिंग एकदम अलग थी. उस में एनर्जी लैवल उतना ही था, जितना अब है. भूमि पेडनेकर फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ के वक्त  85 किलो की थीं, जिसे कम करना उन के लिए आसान नहीं था. वे कहती हैं, ‘‘अकसर लड़कियां वजन कम करने के लिए ब्रेकफास्ट में कुछ भी नहीं खातीं. या वे जो खाती हैं, वह बहुत कम होता है, जिस से उन के शरीर को पोषण नहीं मिलता. ‘‘मैं अपने बे्रकफास्ट में फलों का जूस, अंडे वगैरह शामिल करती हूं. इस के अलावा मिस्सी रोटी, पोहा या उपमा खाती हूं. साथ ही, मैं डांस और कसरत भी करती हूं. फिलहाल भूमि पेडनेकर फिल्म ‘मनमर्जियां’ में एक बार फिर आयुष्मान खुराना के साथ काम कर रही हैं.

आयुष्मान खुराना के बारे में भूमि पेडनेकर का कहना है, ‘‘वे एक प्रतिभावान और ईमानदार कलाकार हैं. मैं ने जब फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ में उन के साथ काम किया था, तो उन्होंने बहुत मदद की थी. अपनी फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना भूमि पेडनेकर के लिए एक सपना था. जब पुरस्कार का ऐलान हुआ, तो वे अपने घर में सो रही थीं. उन के फोन पर 28 मिस्ड काल आई थीं. वे घबरा गई थीं. फोन किया तो पता चला कि अवार्ड मिला है. उन्होंने इस खुशी को अपने परिवार के साथ मनाया. वैसे, फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ के बाद भूमि पेडनेकर की जिंदगी में काफी बदलाव आया है. वे बताती हैं, ‘‘पहले लोग पहचानते नहीं थे, अब कहीं भी जाने पर लोग ‘भूमि’ कह कर बुलाते हैं. अब मेरी प्रोफैशनल लाइफ पूरी तरह बदल चुकी है.’’ भूमि पेडनेकर ने बताया कि वे मीनाकुमारी की जिंदगी पर बनने वाली फिल्म में काम करना चाहती हैं, क्योंकि उन्होंने कम समय में ही जिंदगी के तमाम उतारचढ़ाव देखे थे, जिन के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.

धर्म के जहरीले बोल

भारत माता की जय न बोलने वाले को देशद्रोही कहा जा सकता है, पर उसे नहीं जो खुलेआम कहती फिरे कि भारत को उन नागरिकों से मुक्त कराना है, जो तिलक नहीं लगाते, मंदिरों को चंदा नहीं देते, भगवा पहनने वालों के पैरों की धूल नहीं चाटते. यह किस तरह का देश है जो आज भी 15वीं सदी में जीने की कोशिश कर रहा है जब न बिजली थी, न किताबें थीं, न इतिहास था? थीं तो सिर्फ गपों से भरी धर्मगुरुओं की बेसिरपैर की बात साध्वी प्राची ने देश को मुसलिम मुक्त बनाने की बात खुलेआम कह दी और उस पर भड़काऊ भाषण देने का कोई मुकदमा नहीं चला. गाय की हत्या का नाम लेने वालों को मारने का इस देश में लाइसैंस है, पर जिंदा नागरिकों का सफाया करने की वकालत करने वालों को हार पहनाए जा रहे हैं. यह कौन सा न्याय है? यह कैसा कानून है?

देश को आज विकास की जरूरत है, पर वही पार्टी, जो विकास का नारा जापती है, देश को धर्म, जाति, उपजाति के नाम पर बांटने की खुली न सही छिपी बातें कर ले, तो कोई कुछ नहीं कहता. आज धर्म पर टिकी राजनीति ने देश के शहरों को ही नहीं, बल्कि गांवों तक को बांट दिया है. हर छोटीमोटी जाति अपना संगठन बना कर झंडा लहराती घूम रही है और कभी आरक्षण मांगती है, कभी अपने बनावटी देवता के मंदिर के लिए जगह मांगती है.इन्हीं में से एक रामवृक्ष को कोई और देवता याद नहीं आया तो उस ने सुभाषचंद्र बोस को नेता मान कर मथुरा की 280 एकड़ जमीन पर कब्जा कर शहर बसा डाला और उस की इतनी हिम्मत हो गई कि पुलिस से मोरचा ले लिया. ऐसा ही पहले एक रामपाल  ने हरियाणा में किया था.

इन की जड़ में साध्वी प्राची जैसों के बयान हैं. ये लोग कभी कहते हैं कि 5 बच्चे करो, 3 को हम हिंदू आतंकवादी बनाएंगे. कभी डराते हैं कि 20 साल में देश में मुसलिमों का राज हो जाएगा. ये कभी वर्षा के लिए साधुओं की ताकत की बात करते हैं, तो कभी गाय की हत्या करने के नाम पर 10-20 को मारपीट डालते हैं. इन्हें काबू में करने का कोई कानून नहीं है. भारत माता की जय न बोलने वाला, वंदे मातरम न गाने वाला देशद्रोही है. हार्दिक पटेल को 6 महीने से पकड़ रखा है, जबकि वह वही हक मांग रहा है, जो पहले बीसयों गुट मांगते रहे हैं. देशद्रोही तो असल में हर वह कट्टरपंथी है, जो समाज को 18वीं सदी में ले जाना चाहता है, जो उसे पूजापाठ, जाति, धर्म के गड्ढे में धकेलना चाहता है. देशद्रोही तो हर वह नेता है, जो वोट अपने काम पर नहीं, अपनी जाति पर मांगता है. देशद्रोही तो हर वह धन्ना सेठ है, जो बैंकों में जमा गरीबों के पैसा ले उड़ा है. पर इस देश को तो जयकार न करने वालों की पड़ी है. यह देश कछुए की चाल से ही बढ़ेगा, पक्का है.

महाराष्ट्र में डांस बार पर बैन का मतलब?

सड़क पर भीख मांगने और कुछ गलत करने से अच्छा है कि औरतें स्टेज पर डांस कर के रोजीरोटी कमाएं, जिंदगी बिताएं. आप यह नहीं कह सकते कि डांस नहीं हो सकता. यह तल्ख टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा डांस बार के लाइसैंस के लिए कुछ नई शर्तें बढ़ाए जाने के मामले की सुनवाई करते समय की थी. बड़ी अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से साफसाफ कहा है कि नियमन और प्रतिबंध में फर्क होता है. सरकार एक तरफ नियमन की बात कर रही है, जबकि उस की नीयत डांस बार को प्रतिबंधित करने की है.

ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र सरकार ने डांस बार मामले को नाक का सवाल बना लिया है. शायद यही वजह है कि वह अदालत के आदेशों की लगातार अनदेखी कर रही है. गौरतलब है कि 18 अप्रैल, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा था कि उस के आदेश के बावजूद मुंबई में डांस बार के लाइसैंस क्यों नहीं जारी किए गए? बड़ी अदालत ने एक हफ्ते के भीतर इस सवाल का जवाब मांगते हुए मुंबई के डीसीपी, लाइसैंसिंग को भी पेश होने का आदेश दिया था. डांस बार के नए कानून के बाबत अदालत ने कहा कि वह पहले ही कह चुकी है कि वहां बेहूदा डांस नहीं होगा और यह कानून में भी प्रतिबंधित है, लेकिन सरकार उस नए कानून को आधार बनाते हुए अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रही है, जो अभी तक नोटिफाई नहीं हुआ.

सुनवाई के दौरान याची डांस बार ओनर्स ने अदालत को बताया था कि उस के आदेश के बाद 15 मार्च, 2016 को 2 लाइसैंस जारी किए गए थे, लेकिन वे 18 मार्च को वापस ले लिए गए और संबंधित अफसर को भी पद से हटा दिया गया. 25 अप्रैल, 2016 को मामले की दोबारा सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बड़ी अदालत की खंडपीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार उस के आदेश का पालन क्यों नहीं कर रही है? आखिर वह चाहती क्या है? राज्य सरकार की ओर से पेश हुई सौलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने अदालत से कहा कि सरकार चाहती है कि डांस बार में कोई बेहूदगी न हो.

इस पर रजामंदी जताते हुए अदालत ने कहा कि सरकार काम करने वाली जगहों पर औरतों की इज्जत बनाए रखे. बेइज्जती को किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा, लेकिन डांस पर बैन नहीं लगाया जा सकता. सरकार की नई शर्तों पर टिप्पणी करते हुए बड़ी अदालत ने कहा कि डांस बार के लाइसैंस के लिए बंबई म्यूनिसिपल कारपोरेशन के स्वास्थ्य विभाग की मंजूरी लेना जरूरी नहीं है, क्योंकि होटल व रैस्टोरैंट का लाइसैंस लेते समय उन के मालिक स्वास्थ्य विभाग से पहले ही प्रमाणपत्र ले लेते हैं. अदालत का कहना था कि डांस बार का लाइसैंस लेते समय आवेदक की आपराधिक बैकग्राउंड की जांच जरूरी है. इस के अलावा डांस बार के स्टेज की ऊंचाई 3 फुट और दर्शकों की बार बालाओं से दूरी 5 फुट तय की जाए.

अदालतने राज्य सरकार की उस शर्त को सिरे से खारिज कर दिया, जिस में कहा गया था कि डांस बार के वीडियो फुटेज इलाकाई थाने को मुहैया कराए जाएं. अदालत ने कहा कि अगर इतनी ही निगरानी करनी है, तो आप निरीक्षण कर सकते हैं, पुलिस भेज सकते हैं, प्रवेश और निकासी के रास्तों पर सीसीटीवी कैमरे लगा सकते हैं. इस से पहले 29 फरवरी, 2016 को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था, जिस में कहा गया था कि डांस बार का सीसीटीवी कैमरे के जरीए इलाकाई पुलिस थाने में लाइव फीड देने से संचालकों के राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन नहीं होगा. इस से वहां काम कर रही औरतों की सिक्योरिटी तय होगी, जो दर्शकों के बरताव को ले कर अकसर परेशान रहती हैं. दरअसल, राज्य सरकार की इस शर्त का कोई मतलब समझ में नहीं आता किडांस के लाइव वीडियो फुटेज इलाकाई पुलिस को दिए जाएं. आखिर इस बात की क्या गारंटी है कि पुलिस डांस बार में कोई गलत हरकत देख कर मौके पर पहुंचेगी ही?

यह भी तो हो सकता है कि संबंधित थाने की पुलिस वीडियो फुटेज का इस्तेमाल अपने मनोरंजन के लिए कर ले? सवाल है कि डांस बार में किसी तरह की गलत हरकत न हो, यह तय करने की जिम्मेदारी किस की है? कानून व्यवस्था को नुकसान न पहुंचे, डांस बार बालाओं की इज्जत पर कोई आंच न आए, यह देखना राज्य सरकार और मुंबई प्रशासन की जिम्मेदारी है. यह सब करने के बजाय महाराष्ट्र सरकार ऐसे 18 नए नियमकानून ले आई है, जिन में से ज्यादातर अव्यावहारिक हैं. कहा गया है कि स्कूलकालेज या मंदिर के एक किलोमीटर के दायरे में डांस बार नहीं खुलेंगे. यहां सवाल उठता है कि रिहायशी इलाकों में शराब ठेके खोलने के लिए सरकार ने क्या मानक तय कर रखे हैं? कितने शराब ठेके स्कूलकालेज या मंदिर से तय दूरी से दूर हैं?

डांस बार में किस आमदनी वाले लोग जाते हैं? आप डांस बार में नियमकानून तोड़ने वाले दर्शकों व बार मालिकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर सकते हैं, बड़ा जुर्माना लगा सकते हैं और डांस बार जाने के लिए उम्र की सीमा को तय कर सकते हैं. डांस बार बालाओं के काम के घंटे और कम से कम तनख्वाह तय करने जैसी सरकार की बातें तो समझ में आती हैं, साथ ही उन्हें घर से लाने व ले जाने की जिम्मेदारी डांस बार संचालक उठाएं, यह भी जायज शर्त है, लेकिन हर विभाग से अतिरिक्त एनओसी लेने जैसी बातें समझ से परे हैं, क्योंकि ऐसी इजाजत होटलरैस्टारैंट संचालक पहले ही हासिल कर चुके होते हैं. होटल ऐंड बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल के मुताबिक, बार मालिक अपने यहां काम करने वाली औरतों व लड़कियों की सिक्योरिटी का खयाल हमेशा रखते रहे हैं.

वैसे भी नए नियमों के तहत राज्य सरकार डांस बार बालाओं को छूने या उन पर पैसे लुटाने वालों को 6 महीने की कैद और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान पहले ही कर चुकी है. प्रवीण अग्रवाल महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री रंजीत पाटिल के उस तर्क को सिरे से नकारते हैं, जिस के तहत उन्होंने कहा था कि यह कदम बार बालाओं का शोषण रोकने के लिए उठाया गया है. बकौल प्रवीण अग्रवाल, ‘‘नए नियमकानून बनाने से पहले राज्य सरकार को बार मालिकों से बात कर के उन के सुझाव लेने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.’’ सब जानते हैं कि साल 2005 में महाराष्ट्र की विलासराव देशमुख सरकार द्वारा डांस बार पर बैन लगाने के बाद तकरीबन 70 हजार बार बालाएं बेरोजगार हो गई थीं. इस का नतीजा यह हुआ कि ज्यादातर बार बालाएं देश के विभिन्न राज्यों में जा कर देह धंधे में उतर गईं. डांस बार बंद होने से तकरीबन डेढ़ लाख लोग प्रभावित हुए थे. 12 अप्रैल, 2006 को जब बांबे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर व एसएस निज्जर की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा डांस बार पर बैन लगाने के फैसले को खारिज किया, तो उस ने साफ कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 19-1-जी यानी कोई भी कारोबार, नौकरी या व्यापार करना के खिलाफ है.

बांबे हाईकोर्ट के इसी आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई, 2013 को अपनी मुहर लगाते हुए कहा था कि डांस बार पर बैन लगाने से जिंदगी गुजारने के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है. तब से राज्य सरकार किसी न किसी बहाने से नए लाइसैंस जारी करने में अड़ंगे लगा रही है. उसे तत्काल डांस बार के नए लाइसैंस जारी करने चाहिए. मजे की बात यह है कि राज्य सरकार की कोई भी दलील अदालत में टिक नहीं सकी. उस की ओर से कहा गया कि डांस बार की आड़ में जिस्मफरोशी का धंधा परवान चढ़ रहा था. वहीं आरआर पाटिल फाउंडेशन के अध्यक्ष विनोद पाटिल का कहना था कि डांस बार दोबारा खोलने से अपराध बढ़ेंगे. सवाल यह है कि क्या मौजूदा समय में मुंबई या महाराष्ट्र के दीगर इलाके अपराधमुक्त हैं? क्या वहां जिस्मफरोशी नहीं होती? दरअसल, महाराष्ट्र सरकार का रवैया यह बताता है कि हमारी राज्य सरकारें अपनी कमी को स्वीकारने से किस कदर गुरेज करती हैं, अपनी बातों को सही साबित करने के लिए किस हद तक मनमानी पर उतर आती हैं और इस दौरान उन्हें न तो संविधान का खयाल रहता है और न ही न्यायपालिका की इज्जत का. वे अपना सियासी नफानुकसान देखते हुए ही कोई फैसला लेती हैं, भले ही उस से जनता के हितों पर गलत असर पड़ता हो.

महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ सब से बड़ी अदालत का रवैया उचित है. अदालत किसी भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार की मनमानी सहने के लिए मजबूर नहीं है. अदालत चुनाव में नहीं उतरती, वह सिर्फ सुबूतों के आधार पर ही सच और गलत का फर्क करते हुए अपना फैसला देती है, जिस के पीछे किसी नफानुकसान का गणित नहीं होता.

वशीकरण मंत्र

रवि अपने दोस्त दिनेश के साथ पठान बस्ती की 2-3 गलियों को पार कर जब बंद गली के दाईं ओर के छोटे से मकान के सामने पहुंचा, तो वह उदास लहजे में बोला, ‘‘भाई, ऐसा लगता है, जैसे सालों से यह मकान खाली पड़ा है.’’

‘‘अरे, यह भी तो सोचो कि इस का किराया महज एक हजार रुपए महीना है. शहर की अच्छी कालोनियों में 3 हजार रुपए से कम में तो आजकल कमरा नहीं मिलेगा. यहां तो साथ में रसोई भी है.’’

‘‘हां, यह बात तो ठीक है. अभी यहीं रह लेते हैं, बाद में देख लेंगे.’’

दूसरे दिन शाम को थोड़ा सा सामान एक रिकशे पर लाद कर रवि वहां आ पहुंचा. ताला खोल कर कमरे में आया. उदास मन से फोल्डिंग चारपाई बिछा कर कमरे और रसोईघर में झाड़ू लगाई.

कुछ देर बाद रवि दरवाजे को ताला लगा कर गली के नुक्कड़ वाली चाय की दुकान की ओर जाने ही लगा था कि उस की नजर सामने वाले दोमंजिला मकान के बाहर टंगे बोर्ड की ओर उठी, जिस पर लिखा था : पंडित अवधकिशोर शास्त्री : 5 पुश्तों से ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ : तंत्रमंत्र साधना द्वारा वशीकरण करवाना : रोग निवारण : बंधे कारोबार में उन्नति : प्रेम विवाह करवाने के लिए शीघ्र मिलें. फोन नं…

रवि ने अपने कदम आगे बढ़ाए ही थे कि तभी सामने वाला दरवाजा खुला. 24-25 साल की सांवले रंग की एक औरत ने बाहर झांका, तो रवि के मुरझाए चेहरे पर मुसकान उभर आई. वह बोला, ‘‘नमस्ते, मैं ने यह सामने वाला कमरा किराए पर लिया है.’’

‘‘नमस्ते,’’ वह औरत थोड़ा शरमाते हुए मुसकराई.

‘‘यह बोर्ड… यह नाम मैं ने कहीं और भी पढ़ा है,’’ रवि ने उस औरत के चेहरे पर नजरें टिकाते हुए पूछा.

‘‘जरूर पढ़ा होगा. मेरे पति का दफ्तर बसअड्डे के सामने है… ज्यादातर लोग उन से वहीं मिलते हैं,’’ कह कर वह औरत फिर मुसकराई, ‘‘क्या आप की भी कोई समस्या है? रात को या सुबह यहीं पंडितजी से बात कर लीजिएगा. वैसे, आप का नाम?’’

‘‘रवि… और आप का?’’

‘‘सुधा.’’

‘‘अच्छा, चलता हूं… फिर मिलेंगे,’’ कहता हुआ रवि आगे बढ़ गया. नुक्कड़ की दुकान पर चाय पीते समय रवि की उदासी काफी हद तक दूर हो चुकी थी. अपने सामने वाले मकान की उस औरत को देखने के बाद वह काफी खुश नजर आ रहा था. रात को रवि दरवाजे पर ताला लगा रहा था कि सामने वाले मकान के समीप एक मोटरसाइकिल आ कर रुकी, जिस से एक चोटीधारी, पंडितनुमा अधेड़ उम्र का शख्स नीचे उतरा. उसी समय 10-11 साल का एक लड़का और उस से 2-3 साल बड़ी एक लड़की बाहर निकल कर आई. दोनों एकसाथ बोल उठे, ‘पापाजी, नमस्ते.’ उस शख्स ने उन दोनों बच्चों के गाल थपथपाते हुए पीछे मुड़ कर रवि की ओर देखा, तो मुसकराते हुए बोला, ‘‘इस मकान में आप ही नए किराएदार आए हैं… इस के मालिक तेजपाल का मुझे फोन आया था. अच्छा हुआ, आप आ गए… काफी समय से यह घर खाली पड़ा था. आइए, भीतर बैठते हैं… सुधा, 2 कप चाय लाना.’’

बिना किसी नानुकर के रवि उस शख्स के पीछेपीछे भीतर जा पहुंचा. दोनों एक सजेधजे कमरे में जा कर बैठ गए. रवि ने पूछा, ‘‘आप ही पंडित अवधकिशोरजी हैं?’’

‘‘हां…हां… वैसे, मेरा दफ्तर बसअड्डे के सामने है.’’

तभी सुधा चाय ले कर आ गई, तो पंडितजी ने परिचय कराया, ‘‘यह मेरी पत्नी सुधा है… और ये सामने वाले मकान में नए किराएदार आए हैं.’’

‘‘नमस्ते…’’ दोनों ने मुसकराते हुए एकदूसरे का अभिवादन किया. सुधा के बाहर जाते ही पंडितजी ने पूछा, ‘‘आप का परिवार कहां रहता है?’’

‘‘जी… क्या कहूं… मांबाप बचपन में ही गुजर गए. चाचाचाची ने घरेलू नौकर बना कर पालापोसा. गांव में मेरे हिस्से की जो थोड़ी सी जमीन थी, वह भी उन्होंने हड़प ली. बस यही समझिए कि दरदर की ठोकरें खाता हुआ न जाने कैसे आप के शहर में आ पहुंचा हूं.’’

‘‘किसी फैक्टरी में नौकरी करते हो?’’ पंडितजी ने पूछा.

‘‘जी, भानु सैनेटरी उद्योग में.’’

‘‘देखो, इनसान को घर जरूर बसाना चाहिए. अकेले आदमी की जिंदगी भी भला कोई जिंदगी होती है.

‘‘अब मुझे देखो, 5-6 साल पहले पत्नी गुजर गई. दोनों बच्चों के पालने की समस्या मुंहबाए खड़ी थी. फिर घर की जिम्मेदारियां भी थीं और जीवनसाथी की जरूरत का एहसास भी था. सो, 42 साल की उम्र में दूसरी शादी कर ली… ढूंढ़ने पर गरीब घर की सुधा मिल गई, जो हर लिहाज से नेक पत्नी साबित हो रही है. वैसे, तुम्हारी उम्र कितनी है?’’

‘‘27-28 साल होगी…’’ रवि उदास लहजे में बोला, ‘‘पहले मैं नूरां बस्ती में रहता था. वहां एक लड़की पसंद भी आई थी, पर वह किसी पढ़ेलिखे बाबू की पत्नी बनना चाहती थी. हालांकि उस का बाप हमारी फैक्टरी में ही नौकरी करता है, लेकिन उस  लड़की को अपनी खूबसूरती पर घमंड है.’’

‘‘अरे भाई, देखने में तो तुम भी हट्टेकट्टे और तंदुरुस्त नौजवान हो…’’ पंडितजी हंसते हुए बोले, ‘‘कहो तो उसी लड़की से तुम्हारे फेरे डलवा दें?’’

‘‘क्या… ऐसा मुमकिन है क्या?’’ रवि को तो जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई.

‘‘बेटा, मैं ज्योतिष का ही नहीं, तंत्रमंत्र का भी अच्छा माहिर हूं. ऐसा वशीकरण मंत्र दूंगा कि वह लड़की तुम्हारे कदमों में लिपटती नजर आएगी.’’

‘‘सच…?’’ रवि ने खुशी से झूमते हुए पूछा, ‘‘क्या आप आज यानी जल्दी ही वह वशीकरण मंत्र मुझे दे सकेंगे? कहीं ऐसा न हो कि देर हो जाने पर वह किसी दूसरे शख्स की दुलहन बन जाए.’’

‘‘अरे, मैं ने तो अभी तक तुम्हारा नाम भी नहीं पूछा?’’ पंडितजी ने उस की ओर देखा.

‘‘जी… रवि.’’

‘‘बहुत अच्छा… अभी कहां जा रहे हो?’’

‘‘मैं ढाबे पर खाना खाने… घर पर खाना नहीं बना सकता मैं.’’

‘‘चलो, आज हमारे साथ ही खा लेना…’’ पंडितजी ने पत्नी सुधा को आवाज लगाई, ‘‘थोड़ी देर में भोजन की 2 थालियां ले आना. रवि भी मेरे साथ ही खाना खाएंगे.’’

‘‘पंडितजी, आप बेकार में तकलीफ कर रहे हैं… मुझे तो ढाबे पर खाने की आदत ही है. वैसे, आप ने जो वशीकरण मंत्र की बात कही है, उस की फीस कितनी होगी?’’

‘‘कल शाम को मेरे दफ्तर आ जाना, वहीं फीस की बात कर लेंगे… तुम तो अब हमारे पड़ोसी हो… काम हो जाने पर मुंहमांगा इनाम लेंगे.

‘‘भाई, तुम्हें मनपसंद पत्नी मिल जाए… यही हमारी फीस होगी. वैसे ज्यादा क्या, शगुन के तौर पर 11 सौ रुपए दे देना.’’ तभी सुधा भोजन की 2 थालियां ले कर आ गई. स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद रवि को उस रात गहरी नींद आई. अगले दिन शाम के 6 बजे रवि पंडितजी के दफ्तर जा पहुंचा. उन्होंने उस के लिए फौरन चाय मंगवाई. बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. थोड़ी देर बाद कागज का एक टुकड़ा पंडितजी ने रवि के सामने रखा, ‘‘मैं ने वशीकरण मंत्र पहले ही लिख रखा था… इसे ठीक से पढ़ लो.’’

‘‘यह तो साधारण सा मंत्र है…’’ रवि ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘अब इस के जाप की विधि…?’’

‘‘हां…हां, वही बताने जा रहा हूं. इस खाली जगह पर उस लड़की का नाम लिख देना… वही बोलना है.’’ रवि ने मंत्र पढ़ना शुरू किया और खाली जगह पर ‘मधु’ का नाम लिया, तो पंडितजी मुसकराए, ‘‘लड़की का नाम तो काफी अच्छा है. अब तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं… वैसे, तुम्हारी ड्यूटी तो शिफ्ट में होगी?’’

‘‘नहीं, आजकल मैं मैनेजर साहब के दफ्तर में चपरासी की ड्यूटी बजा रहा हूं… सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक… इस में कोई समस्या तो नहीं है?’’

‘‘नहीं… नहीं… अब ध्यान से सुनो. हर रोज रात को सोने से पहले एक माला फेरनी होगी. 40 दिनों तक इसी क्रम को दोहराना है. तुम ने क्या बताया था, वह लड़की नूरां बस्ती में रहती है?’’

‘‘जी हां.’’

‘‘जब भी रात को माला फेरने बैठो, तो तुम्हारा चेहरा उस लड़की के घर की दिशा में ही होना चाहिए. दिशा का ठीकठीक अंदाजा है न?’’

‘‘जी हां…’’

‘‘बस, अब तुम एकदम बेफिक्र हो जाओ… हर दूसरेचौथे दिन मधु की गली के चक्कर लगाते रहना. तुम खुद अपनी आंखों से देखोगे कि तुम्हारे प्रति उस की चाहत किस कदर बढ़ती चली जा रही है. यह लो तावीज… जरा ठहरो… मैं इस पर गंगाजल छिड़क देता हूं.’’ पंडितजी ने कोई मंत्र बुदबुदाते हुए बोतल में से पानी के कुछ छींटे तावीज पर फेंके और फिर उसे रवि के बाएं बाजू पर बांध दिया, ‘‘जाओ, तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.’’ रवि ने जेब से 11 सौ रुपए निकाल कर पंडितजी के हाथ पर रख दिए.

‘‘बेटा, 40 दिन के बाद पंडित अवधकिशोर का चमत्कार देखना. अच्छा, मुझे अभी एक यजमान के यहां जाना है…’’ रवि अपने कमरे का ताला खोल रहा था कि सामने से सुधा की आवाज सुनाई दी, ‘‘नमस्कार… पंडितजी ने सुबह मुझे सबकुछ बता दिया था. मंत्रजाप की विधि सीख ली और तावीज भी बंधवा लाए. कितने दे आए?’’

‘‘11 सौ रुपए,’’ रवि ने मुसकराते हुए बताया.

‘‘गनीमत है कि 21 सौ या 31 सौ रुपए नहीं ऐंठ लिए…’’ सुधा ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘अब तो पूरे 40 दिन बाद ही प्रेमिका आप के पीछेपीछे चल रही होगी. खैर, चाय पीएंगे आप?’’

‘‘रहने दो… बच्चे बेकार में शक करेंगे,’’ रवि ने सुधा की आंखों में झांका.

‘‘दोनों ट्यूशन पढ़ने गए हैं… घंटेभर बाद लौटेंगे.’’ उस दिन चाय पीते समय रवि ने महसूस किया कि सुधा उस की तरफ खिंच रही है. उस की हर अदा में छिपे न्योते को वह साफसाफ समझ रहा था. हफ्तेभर बाद एक दिन रवि शाम को 5 बजे ही अपने कमरे पर लौट आया. दरवाजा खुलने की आवाज सुनते ही सुधा ने बाहर झांका. फिर बाहर सुनसान गली का मुआयना करने के बाद वह तेज कदमों से रवि के कमरे में आ पहुंची, ‘‘जल्दी से यहां आ जाओ. मैं चाय बनाती हूं.’’

‘‘चाय तो बाद में पी लेंगे… पहले जरा मुंह तो मीठा कराओ,’’ कहते हुए रवि ने सुधा को बांहों में कसते हुए उस के होंठों पर चुंबनों की झड़ी सी लगा दी. ‘‘अरेअरे, क्या करते हो… दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा,’’ सुधा ने नाटकीय अंदाज में खुद को छुड़ाने की कोशिश की.

‘‘ठीक है, चलो… मैं अभी आता हूं,’’ रवि की बांहों से छूटते ही सुधा अपने कमरे में जा पहुंची. उस दिन चाय पीते समय रवि और सुधा के बीच काफी बातें होती रहीं. सुधा ने बताया कि उस के मातापिता भी जल्दी ही चल बसे थे. मौसामौसी ने नौकरानी की तरह उसे घर में रखा. विधुर पंडितजी ने उन्हीं के गांव के रहने वाले एक जानने वाले के जरीए शराबी मौसा पर अपने रुतबे और दौलत का चारा फेंका. 50 हजार रुपए में सौदा तय हुआ और फिर 20 साला सुधा अधेड़, विधुर के पल्ले बांध दी गई.

‘‘सुधा, अब जल्दी ही तुम्हारी सब समस्याओं का समाधान हो जाएगा… चिंता मत करो,’’ रवि हौले से बोला.

‘‘क्या कह रहे हो? तुम तो खुद ही अपनी प्रेमिका की समस्या से परेशान हो… मेरे लिए तुम क्या कर पाओगे?’’

‘‘मेरी बात गौर से सुनो, पंडितजी के तंत्रमंत्र से कुछ होने वाला नहीं… ये सब तांत्रिकों के ठगी के तरीके मात्र हैं. अंधविश्वासी, आलसी और टोनेटोटकों के चक्कर में पड़ने वाले लोग ही आसानी से इन के शिकार होते हैं. ‘‘मैं ने तुम्हारे नजदीक आने के लिए ही पंडितजी के साथ एक चाल चली है. वे या बच्चे किसी तरह का शक न करें, इसलिए उन से मेलजोल बढ़ाने के लिए तुम्हारी खातिर 11 सौ रुपए देने पडे़.

‘‘सुनो, इस तरह बात करते हुए हम कभी भी पकड़े जा सकते हैं. जल्दी ही मैं तुम्हें एक चिट्ठी दूंगा, तुम भी चिट्ठी द्वारा ही जवाब देना,’’ कहते हुए रवि अपने कमरे की ओर चल दिया. हालांकि रवि को जरा भी भरोसा नहीं था, पर फिर भी वह हर रोज मधु के नाम की एक माला का जाप जरूर करता था कि शायद इस बार पंडितजी का वशीकरण मंत्र कुछ काम कर जाए. 20-22 दिन बाद जब वह नूरां बस्ती में मधु का दीदार करने पहुंचा, तो एक परिचित ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘कहो दोस्त, कहां भटक रहे हो? चिडि़या तो फुर्र हो गई… तुम्हारी मधु तो पिछले हफ्ते ही ब्याह रचा कर विदा हो गई.’’

‘‘सच कह रहे हो तुम?’’ रवि के दिल को धक्का लगा.

‘‘अरे भाई, मैं झूठ क्यों बोलूंगा. उस के घर वालों से जा कर पूछ लो,’’ उस आदमी ने कहा. अब थकेहारे कदमों से उस गली से लौटने के अलावा रवि के पास कोई चारा ही न था. एक दिन पंडितजी ने सुबहसुबह रवि का दरवाजा खटाखटाया, ‘‘क्या बात है, आजकल तुम नजर ही नहीं आ रहे? मेरे खयाल से वशीकरण मंत्र जाप के 40-50 दिन तो हो ही गए होंगे… तुम ने खुशखबरी नहीं सुनाई?’’ पंडितजी ने खड़ेखड़े ही पूछा.

‘‘जी हां…’’ रवि ने मुसकराते हुए  कहा, ‘‘आप के आशीर्वाद से मधु पूरी तरह मेरे वश में हो गई है. धन्य हैं आप और धन्य है आप का वशीकरण मंत्र.’’

‘‘बहुत अच्छे…’’ कहते हुए पंडितजी बाहर चले गए. उसी दिन शाम को जब बच्चे ट्यूशन से लौटे, तो सुधा को घर में न पा कर उन्होंने पंडितजी को फोन किया. वह फौरन ही घर आ पहुंचे. उन्होंने सामने देखा कि रवि के कमरे के बाहर भी ताला लगा हुआ था. 4-5 पड़ोसियों से पूछा, पर सभी ने न में सिर हिला दिया.  फिर एक वकील दोस्त को साथ ले कर नजदीकी थाने में पत्नी सुधा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई और रवि की गैरमौजूदगी के कारण पत्नी के संग उस की मिलीभगत का शक भी जाहिर किया. तकरीबन एक हफ्ते तक जगहजगह पूछताछ करने और ठोकरें खाने के बाद पंडितजी का शक पक्का हो गया कि रवि ही सुधा को भगा कर ले गया है.

इसी सिलसिले में पंडितजी अपने साथ वाले दफ्तर के बंगाली तांत्रिक से बातचीत कर रहे थे, तो उस ने हंसते हुए कहा, ‘‘पंडितजी, आप खुद को ज्योतिष शास्त्र का माहिर कहते हो… क्या कभी आप ने अपनी पत्नी का भविष्यफल नहीं देखा, उस की हस्तरेखाएं नहीं देखीं कि वह किस शुभ घड़ी में, किस दिन, किस आशिक के संग भागने जा रही है?’’

‘‘चुप भी रहो यार, क्यों जले पर नमक छिड़कते हो,’’ पंडितजी गुस्से से बोले.

‘‘तुम ने उस नौजवान का क्या नाम बताया था, जिस के साथ उस ने भागने….?’’

‘‘रवि.’’

‘‘तुम ने जो उसे वशीकरण मंत्र दिया था, लगता है, उस ने उस का जाप अपनी प्रेमिका का नाम ले कर नहीं, तुम्हारी पत्नी सुधा का नाम ले कर किया होगा,’’ बंगाली तांत्रिक ने ठहाका लगाया, तो पंडितजी आगबबूला होते हुए बोले, ‘‘तुम्हारी ठग विद्या से भी मैं अच्छी तरह वाकिफ हूं. जबान संभाल कर बोलो… इस हमाम में हम सभी नंगे हैं…’’

इस पुलिसवाली की इन हॉट तस्वीरों ने इंस्टाग्राम पर मचा दिया धमाल

कहते हैं कि शरीर की सुंदरता से क्या होता है, मन सुंदर होना चाहिए. लेकिन मन की सुंदरता की पहली सीढ़ी ही है शरीर की सुंदरता. सुंदर दिखने की चाह सबको होती है. ज्यादातर लोग चेहरे को सुंदर बनाने की जुगत में लगे रहते हैं और उनके उपाय लीपा-पोती के अलावा कुछ भी नहीं है और इन उपायों से कभी भी स्थायी सुंदरता नहीं मिलती.

लेकिन यहां हम आपको सुंदरता या आकर्षक दिखने पर कोई लेक्चर नहीं देने वाले हैं, बल्कि हम आपको एक ऐसी पुलिस ऑफिसर की तस्वीरें दिखाने जा रहें हैं, जिसने अपनी सुन्दर काया से Instagram पर खूब वाहवाही बटोरी है.

जर्मनी की Adrienne Kolesza 31 साल की हैं और पुलिस ऑफिसर हैं. Adrienne बेहद खूबसूरत हैं. आजकल वो अपनी सेक्सी बॉडी के कारण Instagram पर बहुत फेमस हो गईं हैं. उनके इस टाइम 1,00,000 फॉलोवर्स हैं. इतना ही नहीं उनके कुछ फॉलोवर्स ने तो उनको कमेंट भी किया है कि वो उनके हाथों गिरफ़्तार होना चाहते हैं.

तो आइये अब आपको दिखाते हैं उनकी बेहतरीन तस्वीरें. बस इस लिंक पर क्लिक करें और देखें…

http://www.sarita.in/web-exclusive/this-hot-police-officer-instagram-will-make-you-wish-she-arrest-you

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें