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बौलीवुड के नए कैसोनोवा साहिल आनंद

बौलीवुड में तमाम अभिनेता अपनी रोमांटिक अदाओं की वजह से कैसोनोवा माने जाते रहे हैं. अब इसी श्रेणी में एक नया नाम जुड़ा है साहिल आनंद का. करण जोहर की फिल्म ‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ के अलावा कुछ अन्य फिल्मों व सीरियलों में अभिनय का जलवा विखेरने के बाद साहिल आनंद अब मोंज्वाय मुखर्जी के निर्देशन में बनी रोमांटिक कामेडी फिल्म ‘‘है अपना दिल तो आवारा’’ में कैसोनोवा की इमेज के कारण सुर्खियां बटोर रहे हैं.

फिल्म ‘‘है अपना दिल तो आवारा’’ में साहिल आनंद का संगीतज्ञ टोनी सिंह का किरदार औरत बाज भी है. उसका व्यक्तित्व ऐसा है कि  कोई भी लड़की या औरत घुटनों के बल गिर कर उसके सामने प्रेम का प्रस्ताव रखने पर मजबूर हो जाती है. वह एक कान इंसान है. पर उसके सपनों में पूजा मेहता छायी रहती हैं. पूजा मेहता का किरदार नियति जोशी ने निभाया है. साहिल आनंद और नियति जोशी के बीच कई गर्मागर्म किसिंग सीन के अलावा शारीरिक संबंधों के भी दृश्य हैं.

इस संबंध में साहिल आनंद कहते हैं-‘फिल्म में मेरे किरदार के संबंध कई लड़कियों के साथ हैं. जिसकी वजह से सेट पर लोग मुझे कैसोनोवा बुलाते हैं. पर मुझे लगता है कि मैने अपने किरदार के साथ न्याय करने का प्रयास किया है.’’

अब कामचोरों की खैर नहीं

केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अब कामचोरी भारी पड़ेगी. सरकार ने कहा है कि यदि कर्मचारियों का कार्य प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है तो उन्‍हें वार्षिक इंक्रीमेंट नहीं दिया जाएगा. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अधिसूचित करने के साथ ही वित्‍त मंत्रालय ने इस संबंध में अलग से अधिसूचना जारी की है. इसमें कर्मचारियों के प्रमोशन और फाइनेंशियल अपग्रेडेशन के लिए परफॉर्मेंस अप्रैजल के बेंचमार्क को ‘गुड’ से ‘वेरी गुड’ लेवल तक बढ़ाया गया है.

मंत्रालय ने कहा है कि वेतन आयोग की सिफारिशों को स्‍वीकार करते हुए संशोधित एश्‍योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) स्‍कीम को पहले की तरह 10, 20 और 30 साल की सर्विस के लिए आगे भी जारी रखा जाएगा. वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को यह सुझाव दिया था कि जो कर्मचारी संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं, उन्‍हें वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ न दिया जाए.

सेबी और ट्राई समेत तमाम नियामकीय संस्‍थाओं के प्रमुखों को अब 4.5 लाख रुपए प्रति महीने का वेतन दिया जाएगा, जबकि इन संस्‍थाओं के पूर्णकालिक सदस्‍यों को चार लाख रुपए प्रति महीने दिए जाएंगे. वित्‍त मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है.

टॉरंट पर DVD से महीनों पहले कैसे आ जाती थीं फिल्में?

Kickass Torrents को दुनिया की सबसे बड़ी पाइरेसी वेबसाइट माना जाता था. इसके कथित फाउंडर को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया और वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया. आप अब इस वेबसाइट को फिलहाल नहीं खोल सकते.

किकऐस टॉरंट्स और उसके ऑपरेटर के खिलाफ की गई शिकायत में एक चार्ट का जिक्र है जिसमें पॉप्युलर फिल्मों की सिनेमा रिलीज डेट, डीवीडी रिलीज डेट और टॉरंट पर रिलीज की डेट शो की गई है.

फिल्म के डीवीडी स्टोर पर आने से कई हफ्तों पहले और पहली स्क्रीनिंग के कुछ दिनों बाद ही फिल्में टॉरंट पर उपलब्ध हो जाया करती थीं. ये कैसे होता है? इस वेबसाइट के खिलाफ की गई शिकायत में यह भी कहा गया था कि इस वेबसाइट पर उपलब्ध कई फिल्मों में telecine या TC लिखा होता है.

'Warcraft' की अभी तक डीवीडी नहीं आई है लेकिन सिनेमा में आने के कुछ समय बाद ही यह टॉरंट पर उपलब्ध हो गई. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इसे टेलीसीन से कन्वर्ट किया गया था. टेलीसीन एक ऐसी मशीन है जिससे किसी मूवी की ऑरिजनल सिनेमा रील्स को डिजिटल फाइल में कन्वर्ट किया जाता है.

यह मशीन सिनेमा रील्स को रिकॉर्ड कर लेती है और इसके बाद डिजिटल रिकॉर्डिंग में बदल देती है. इसके बाद इसे टॉरंट साइट्स पर शेयर किया जाता है. ऐसा करने वाली किकऐस टॉरंट्स पहली ऐसा साइट नहीं थी लेकिन यह एक ऐसी साइट बन गई जहां सभी टॉरंट साइट्स से पहले फिल्में उपलब्ध हो जाती थीं.

मिंत्रा की हुई जबोंग

देश की प्रमुख ऑनलाइन फैशन रिटेल कंपनी मिंत्रा ने अपनी कॉम्‍पटीटर जेबांग को खरीद लिया है. फ्लीपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल ने ट्वीट कर इस सौदे की जानकारी दी. जबोंग को खरीदने के बाद अब मिंत्रा देश का सबसे बड़ा ऑनलाइन फैशन रिटेल ब्रांड बन गया है.

इससे पहले जबोंग को खरीदने के लिए फ्यूचर ग्रुप, स्नैपडील और आदित्य बिड़ला की एबोफ  जैसी कंपनियों के बीच होड़ चल रही थी, लेकिन इन सबसे आगे निकलते हुए फ्लीपकार्ट ने बाजी मार ली.

फैशन रिटेल ब्रांड जबॉन्ग की शुरुआत 2012 में हुई थी. लेकिन मार्केट में बढ़ते कॉम्‍पटीशन के चलते पिछले एक साल में कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. वहीं जबोंग की सेल्स में भी लगातार गिरावट आ रही थी. 2016 की पहली तिमाही में कंपनी का रेवेन्‍यू 243 करोड़ रुपए था. इसके साथ ही मैनेजमेंट में तेजी से बदलाव भी हो रहा था. पिछले साल जबॉन्ग के सह संस्थापक अरुण चंद्रन मोहन और प्रवीण सिन्हा ने कंपनी को बाय-बाय कह दिया था.

यह डील फ्लीपकार्ट के लिए काफी महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है. जबोंग का कारोबार मिंत्रा के साथ जुड़ने के बाद अब यह देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन फैशन रिटेलर है. हालांकि दूसरे खिलाड़ी जैसे अमेजन, आदित्‍य बिड़ला की एबोफ के अलावा टाटा जैसी कंपनियां इस सेगमेंट में तेजी से पांव पसार रही हैं.

ओलंपिक से बाहर हुए ग्रेंडस्लैम शंहशाह

मशहूर स्विस खिलाड़ी और 17 बार के ग्रैंड स्लैम विनर रहे रोजर फेडरर ने ऐलान किया है कि वह रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं लेंगे. फेडरर के घुटनों में चोट की वजह से उनकी सर्जरी करनी पड़ी. इसलिए वह अगले महीने से शुरू हो रहे ओलंपिक में शामिल नहीं हो पाएंगे.

34 साल के लोकप्रिय खिलाड़ी ने अपनी टीम के डॉक्टरों से सलाह-मशविरा करने के बाद एक फेसबुक पोस्ट में इस फैसले का ऐलान किया. फेडरर ने कहा कि उनके लिए यह फैसला लेना 'बेहद मुश्लिक था'

लेकिन जल्दी रिकवर करने के लिए वह रियो और 2016 में होने वाली किसी और टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. पीठ में समस्या के चलते फेडरर इस साल के फ्रेंच ओपन में भी हिस्सा नहीं ले पाए थे.

हालांकि इसके बाद उन्होंने जून में विंबलडन चैंपियनशिप में जोरदार वापसी की थी. इसके बावजूद विंबलडन के सेमी-फाइनल में उन्हें अपने कनाडाई प्रतिद्वंद्वी मिलोस रोआनिक के हाथों मात खानी पड़ी थी.

फेसबुक पर फेडरर ने अपने फैंस के नाम एक भावुक पोस्ट लिखकर इन बातों की जानकारी दी.

उन्होंने लिखा,'डियर फैंस, मैं यह सूचित करते हुए बेहद निराश हूं कि मैं रियो ओलंपिक गेम्स में स्विटजरलैंड का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाऊंगा. अपनी टीम के डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद मैंने यह बेहद मुश्किल फैसला लिया है. डॉक्टरों का कहना है कि घुटनों की रिकवरी के लिए मुझे इस साल होने वाले किसी टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेना चाहिए. हालांकि मैं अनुभव से जान पाया हूं कि मैं काफी खुशकिस्मत हूं क्योंकि अपने कॅरियर के दौरान मैं बहुत कम ही चोटिल हुआ हूं. टेनिस, टूर्नामेंट्स, कॉम्पिटिशन और जाहिर है आपके लिए मेरा प्यार हमेशा की तरह बना रहेगा. मैं साल 2017 में अपनी पूरी एनर्जी के साथ दमदार वापसी करने के लिए उत्साहित हूं. आपसे लगातार मिलने वाले सपोर्ट के लिए शुक्रिया.'

VIDEO: अपने इस MMS से पानी बचाने का संदेश दे रही है ये लड़की

आपने अब तक कई बार एमएमएस लीक होने के कई मामले सुने होंगे. और सुनने के साथ साथ इंटरनेट पर जाकर उन एमएमएस को देखने की भी कोशिश की होगी. लेकिन इस लड़की का ये हॉट बाथरूम एमएमएस वीडियो आपकी आंखे खोल कर रख देगा.

एक लड़की बाथरूम में आती है और कुछ ऐसा ऐसा होता है जो आपने सपने में भी नहीं सोचा होगा. इस एमएमएस में भी ऐसा ही है, जैसे और एमएमएस में भी देखा होगा आपने, लेकिन इसमें अंत में कुछ ऐसा हो जाता है, जो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक है.

यह पूरा वीडियो देखने के बाद आप भी इस लड़की को सोच को सलाम करोगे, यह सोच हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही जरूरी हो गई है. हम अभी भी नहीं समझे तो ना जाने क्या से क्या हो जायेगा.

आप भी नीचे लिंक पर क्लिक कर देखें वीडियो 

http://www.sarita.in/web-exclusive/girl-gives-the-message-of-society-through-her-bathroom-mms

गूगल दिलाएगा अनचाही कॉल्स से छुटकारा

गूगल ने मोबाइल यूजर्स को अनचाही कॉल्स से छुटकारा दिलाने की योजना बना ली है. सर्च गेंट ने सोमवार को बताया कि इसके गूगल फोन ऐप को अपडेट करने के बाद यह फीचर नेक्सेस और ऐंड्रॉयड फोन यूजर्स को स्पैम कॉल्स से छुटकारा दिलाने में मददगार होगा.

गूगल ने बताया कि यह स्पैम कॉल्स से बचने के लिए बनाया गया नया फीचर है जो कि यूजर्स को ऐसी कॉल्स के लिए ऑटोमैटिकली वॉर्न करेगा और उन नंबर्स को ब्लॉक कर देगा जिनसे स्पैम कॉल्स आ रही हैं.

नेक्सेस और ऐंड्रॉयड के वे यूजर्स जिनके फोन में कॉलर आईडी ऐक्टिवेट है उनके फोन्स में लेटेस्ट वर्जन के अपडेट होते ही स्पैम प्रोटेक्शन फीचर ऐक्सेस हो जाएगा. हालांकि अभी तक यह साफ नहीं है कि गूगल किस तरह अनचाही कॉल्स को आइडेंटिफाइ कर पाएगा.

नेक्सेस और ऐंड्रॉयड वन फोन यूजर्स को जब कोई स्पैम कॉल आएगी तो उनकी डिवाइस स्क्रीन पर 'suspected spam caller' या 'spam' लिखा हुआ दिखाई देगा. इसके बाद फोन हिस्ट्री में जाकर यूजर्स स्पैम कॉल्स देख सकते हैं और उस नंबर को ब्लॉक या रिपोर्ट कर सकते हैं.

नरसिंह की जगह प्रवीण को ओलंपिक का टिकट

अगले महीने से ब्राजील के रियो में होने वाले ओलंपिक से पहले ही भारतीय दल के नरसिंह यादव के डोप टेस्ट में फंसने की वजह से बड़ा झटका लगा है. डोपिंग एजेंसी नाडा की अनुशासन समिति के सामने पेश होने से पहले ही प्रतिबंधित दवाएं लेने के आरोपी पहलवान नरसिंह यादव का पत्ता कट गया है.

रेसलिंग फेडरेशन ने नरसिंह की जगह प्रवीण राणा को ओलंपिक का टिकट दे दिया है. ये सब तब हुआ जब नाडा में नरसिंह के केस की सुनवाई होनी है.

ओलंपिक रिंग में उतरने से पहले ही देश के सुल्तान नरसिंह यादव का रियो ओलंपिक में जाने का सपना टूट गया है. डोपिंग की जांच करने वाली एजेंसी ‘नाडा’ नरसिंह यादव के मामले की सुनवाई करने वाली है.

डोप टेस्ट में फेल नरसिंह यादव के पास अनुशासन समिति के सामने बेगुनाही साबित करने का मौका है लेकिन उससे पहले ही रेसलिंग फेडरेशन ने प्रवीण राना को नरसिंह यादव की जगह ओलंपिक का टिकट दे दिया है.

राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी यानि नाडा की जांच में नरसिंह के ‘ए’ और ‘बी’ दोनों नमूनों में प्रतिबंधित मेथेंडाइनोन नाम का स्टेरॉयड मिला है. नरसिंह का आरोप है कि उनके खाने में साजिश के तहत किसी ने ये स्टेरॉयड मिला दिया था.

नरसिंह यादव का मामला बहुत जटिल है. नाडा ने अगर उनके साथ साजिश की बात मान भी ली तब भी नरसिंह यादव ओलंपिक में नहीं जा पाएंगे क्योंकि प्रतिबंधित दवाएं उनके शरीर के अंदर हैं और वो तब तक खेल नहीं पाएंगे जब तक शरीर दवा मुक्त न हो जाए.

वहीं डोपिंग के आरोपों में फंसे पहलवान नरसिंह यादव ने थाने में लिखित शिकायत भी दर्ज करा दी है. नरसिंह ने थाने में कहा, ‘मेरे खाने में कुछ मिलाया गया था इसकी जांच होनी चाहिए.’

नरसिंह की उम्मीद बरकरार

हालांकि प्रवीण राणा का नाम दिए जाने के बाद भी ऐसी उम्मीदें बनी हुई हैं कि अब भी नरसिंह ओलंपिक में जा सकते हैं. अगर नरसिंह डोपिंग के आरोप से बरी हुए तो उन्हें ओलंपिक में खेलने का मौका मिल सकता है. प्रवीण का नाम अभी इसलिए दिया गया है ताकि ओलंपिक में कोटा बना रहे.

कौन हैं प्रवीण राणा?

23 साल के प्रवीण राना फ्री स्टाइल रेसलर हैं. 66 से 74 किलोग्राम में दांव लगाते हैं. प्रवीण राणा को पहलवान सुशील कुमार का चेला भी माना जाता है.

2014 के एशियन एम्स में सुशील कुमार चोट के कारण नहीं खेल पाए थे तो उनकी जगह प्रवीण राना को मौका मिला था. प्रवीण राणा इससे पहले अमेरिका में 2014 में हुए रेसलिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. प्रवीण ने साल 2015 में 70 किलोग्राम में इटली में भी गोल्ड मेडल जीता था.

प्रवीण राणा की उपलब्धियां

2012 में नई दिल्ली में पहले हरी राम इंडियन ग्रां प्रि टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक

2010 में रोहतक में जूनियर नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक

2010 में रांची में 55वीं सीनियर कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक

2008 में उबेकिस्तान में कैडेट एशियन कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक

2008 में पुणे में तीसरे राष्ट्रमंडल युवा खेलों में स्वर्ण पदक

नरसिंह मेरा अपना छोटा भाई: सुशील कुमार

इसी बीच पहलवान सुशील कुमार ने भी नरसिंह विवाद में पहली बार खुलकर बात करते हुए कहा कि वो नरसिंह को अपना छोटा भाई मानते हैं और उनपर लग रहे तमाम साजिश के आरोप पूरी तरह से गलत हैं.

ओलंपिक में जाने को लेकर सुशील और नरसिंह में था विवाद

74 किग्रा भार वर्ग में नरसिंह यादव ने क्वालीफाई किया था. जिसके बाद सुशील कुमार का रियो ओलंपिक में जाने का रास्ता रुक गया था. जिसके सुशील ने इस मामले को लेकर खेल मंत्रालय से लेकर डब्ल्यूएफआई और कोर्ट तक गुहार लगाई थी.

सुशील कुमार चाहते थे कि नरसिंह से उनका ट्रायल्स करा दिया जाए और जो इस मुकाबले को जीते उसे रियो ओलंपिक में भेज दिया जाए. अंत में सुशील कुमार को कोर्ट में हार का सामना करना पड़ा और नरसिंह को ओलंपिक का टिकट मिला था.

नरसिंह यादव के खाने में कथित दवाई मिलाने वाले आरोपी की पहचान

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण सिंह ने कहा कि सोनीपत कैंप में नरसिंह यादव के खाने में कथित दवाई मिलाने वाले आरोपी की पहचान कर ली गई है. भारतीय कुश्ती संघ के मुताबिक जिस आरोपी की पहचान की गई है, वह एक सीनियर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी का भाई है और छत्रसाल अखाड़े में प्रैक्टिस करता है. हालांकि सुशील कुमार के मुद्दे पर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा. साई सेंटर के रसोइये ने भी इस आरोपी की पहचान की है.

कुश्ती संघ के मुताबिक, पहचाने गए लड़के ने नरसिंह के खाने में दवाई मिलाने की बात भी मानी है. नरसिंह पहले दिन से ही कह रहे हैं कि उन्हें किसी साजिश के तहत फंसाया गया है.

ब्रजभूषण सिंह पहले ही पहलवान नरसिंह यादव के समर्थन में ऐलान कर चुके थे कि नरसिंह के खिलाफ साजिश हुई है. सिंह ने तो यहां तक आरोप लगाया कि सोनीपत के कैंप में नरसिंह के साथ कोई साजिश की गई.

सिंह ने नरसिंह की तारीफ करते हुए कहा था कि 50 से ज्यादा कुश्ती लड़ चुके नरसिंह ने कभी भी डोप टेस्ट देने से मना नहीं किया. कई खिलाड़ी यह टेस्ट देने से मना करते हैं.

उन्होंने कहा कि नरसिंह की इस बात की सभी जगह तारीफ होती है और यहां तक की खुद नाडा भी नरसिंह की इस बात के लिए तारीफ कर चुका है. फेडरेशन का आरोप था कि 5 जून को खाने में छौंक लगाते समय प्रतिबंधित दवा डाली गई.

ऐसे परिवार कैसे खुश रह सकता है

स्वास्थ्य में सुधार और लंबी आयु तक जीना अब नई समस्याएं पैदा कर रहा है. घर में पला बेटा बड़ा होने के बाद विवाह और बच्चों के बाद घर में और ज्यादा जगह चाहता है, तो मातापिता जिन्होंने अपने पैसे से मकान बनाया हो अपने क्षेत्र को खाली करने को तैयार नहीं होते. दिल्ली के तिलक नगर इलाके में पहली मंजिल पर रह रहे बेटेबहू के खिलाफ एक 65 वर्षीय मां को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा कि बेटे बहू को घर से निकालो. अदालत ने थोड़ा समय तो लिया पर फिर फैसला दिया कि बेटाबहू मकान खाली करें, पिछले सालों का किराया दें और आगे हर माह 10 हजार मां को दें. यह निर्णय निचली अदालत का है और हो सकता है कि अपील में बेटेबहू को रहने की अनुमति मिल ही जाए.

ऐसे मामले नए नहीं हैं. सदियों से चले आ रहे हैं जब बेटाबहू वृद्ध मातापिता या दादादादी को घर से बाहर निकालते रहे हैं. अब ऐसे मामले चौंकाने वाले बन रहे हैं, क्योंकि अब मिल्कीयत निकाले गए की होती है. हिंदू अविभाजित संपत्ति कानून में बेटे का पैतृक संपत्ति पर हक पैदा होते ही हो जाता था और पिता के मरने के बाद वह हक बेटों में बंट जाता था और तब न तो मां को कुछ मिलता था न ही बहनों को.

अब संपत्ति पर मां का भी हक है और बहनों का भी. बहुत मामलों में जो मकान, शेयर, जमापूंजी होती ही मां के नाम है और बेटाबहू लालच में सेवा करते हैं, फर्ज या प्यार में नहीं. मांबेटे का प्यार तो स्वाभाविक होना चाहिए पर कई बार बहू की जिद के तो कई बार मां के अहम के कारण मनमुटाव बहुत बढ़ जाता है. आज के युग में मांओं को अनपढ़ नहीं माना जा सकता. उन्हें ही समझना होगा कि व्यवहार ऐसा हो कि चाहे बेटाबहू उन के घर में रहते हों, वे मिल्कीयत का सवाल ही न उठाएं.

खानेपीने में, घूमने में, रीतिरिवाजों पर आदरसम्मान के सवालों को ले कर सवाल खड़ा करना गलत होगा. बड़ा होता बेटा एक बिछुड़े रिश्तेदार की तरह हो जाता है. उस की अपनी जिंदगी होती है, अपनी जिम्मेदारियां होती हैं, अपनी परेशानियां होती हैं. बेटे को मां और पत्नी की चक्की में न पीसा जाए, क्योंकि बेटा वैसे ही आर्थिक व सामाजिक चक्कियों का शिकार होता है. समर्थ मांओं को बेटेबेटियों पर सीमित ही विश्वास करना चाहिए, क्योंकि वे अपनी जिंदगी में क्या कर रहे हैं और कौन से जोखिम ले रहे हैं, यह आमतौर पर पता नहीं चलेगा.

आज आयु 85-90 साल तक की हो गई है और 60 के बाद प्लानिंग कर ली जानी चाहिए, केवल वृद्धों को ही नहीं, बच्चों को भी. बच्चों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब वे अपने बुढ़ा रहे मातापिता से झगडे़ंगे तब तक उन के अपने बेटे बेटियां भी समझदार हो गए होंगे और इतिहास दोहराया जा सकता है. परिवार में एक स्वस्थ परंपरा बनी रहे, उस की जिम्मेदारी सब की है.

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