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नीता अंबानी बनी आईओसी की पहली भारतीय महिला सदस्य

प्रमुख खेल प्रमोटर और रिलायंस फाउंडेशन की अध्यक्षा नीता अंबानी को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का सदस्य चुना गया. विश्व में ओलंपिक खेलों के संचालन करने वाली इस प्रतिष्ठित संस्था से जुड़ने वाली वह पहली भारतीय महिला हैं.

आईओसी कार्यकारी बोर्ड ने जून में नीता को नामांकित किया था और 31वें ओलंपिक खेलों के उदघाटन समारोह से एक दिन पहले विश्व संस्था ने अपने 129वें सत्र में उन्हें आईओसी सदस्य के रूप में चुना.

52 वर्षीय नीता भारत से आईओसी की वर्तमान में एकमात्र सक्रिय सदस्य हैं और वह 70 साल की उम्र होने तक विश्व संस्था से जुड़ी रहेंगी. भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व महासचिव रणधीर सिंह 2011 से 2014 तक आईओसी में रहे थे.

वह अभी इस विश्व संस्था के मानद सदस्य हैं. नीता ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा, ‘आईओसी द्वारा चुने जाने से मैं वास्तव में अभिभूत हूं. यह विश्व स्तर पर भारत के बढ़ते महत्व की पहचान है. यह भारतीय महिलाओं की पहचान है.’

उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से युवाओं के विकास में खेलों को एक प्रेरक शक्ति मानती आई हूं. मेरा मानना है कि खेल विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों और पीढ़ियों को करीब लाता है और इसमें एकता के सूत्र में बांधने की ताकत है. मैं पूरे राष्ट्र में ओलंपिक की भावना और खेलों को पहुंचाने की कोशिश करुंगी.”

गौरतलब है कि आईओसी में पहले भारतीय प्रतिनिधि सर दोराबजी टाटा थे जबकि राजा रणधीर सिंह वर्तमान में आईओसी के मानद सदस्य हैं. वह 2000 से 2014 तक इसके सदस्य रहे थे.

ओलंपिक चार्टर और आईओसी नियमों के अनुसार जिस श्रेणी के तहत अंबानी के नाम पर विचार किया जा रहा है, वह उन स्वयं सेवकों के लिये है जो आईओसी और ओलंपिक अभियान का अपने देश में प्रतिनिधित्व करेंगे. वे आईओसी के अंदर अपने देश के प्रतिनिधि नहीं होते हैं. इस तरह के नामांकितों की सेवानिवृति की उम्र 70 साल होती है.

ऐसा भी होता है

परिवार के मुखिया को विवाह में सपरिवार शामिल होने के लिए शुभविवाह का निमंत्रण मिला. सामाजिक व्यवहार और परंपरा निभाने के लिए सब खुशीखुशी जाने के लिए तैयार हो गए. मुखिया ने कहा कि प्रोग्राम तय कर लो. कहां, कब पहुंचना है, देख लो और चलो. वहां सब बच्चे शामिल होंगे और हम सब को आशीर्वाद देंगे.

शादी का आयोजन एक बड़े शहर के बड़े होटल में आयोजित था जिस का ब्योरा निमंत्रणपत्र में विधिवत दिया था. जानकारी के लिए वे मूल निमंत्रणपत्र अपने साथ ले कर गए थे. पूरा परिवार उस शहर के उस होटल में पहुंच गया और रिसैप्शन से होते हुए शादी हौल में पहुंचा. वहां कुछ आयोजन हो रहा था, वहां स्त्रीपुरुषबच्चे सभी थे. लेकिन उन का अपना नजदीकी, न दूर का संबंधी, न ही जानकार दिखाई दिया. वे सब हैरान रह गए. वे सोचने लगे कि क्या करें, कहीं हम गलत पते पर तो नहीं आए. रिसैप्शन पर आए, पूछा और बताया कि हम इस निमंत्रण के अनुसार आए हैं. रिसैप्शनिस्ट ने बड़ी विनम्रता से जवाब दिया, ‘‘सर जी, आप जिस आयोजन में आए हैं, उन का होटल में बुकिंगसमय पूरा हो गया था और वे सब यहां से चले गए हैं. होटल में अब जिन का आयोजन चल रहा है वे दूसरे लोग हैं. इसलिए आप को अपने रिश्तेदार नहीं दिख रहे हैं. हां, मेरी जानकारी में पहली पार्टी के लोग अभी 5 मिनट पहले ही यहां से जा चुके हैं.’’

सरन बिहारी माथुर, नासिक (महा.)

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मेरा बेटा 8वीं क्लास में पढ़ता है. मैं ने बेटे के बेहतर भविष्य के लिए राष्ट्रीय स्तर के कोचिंग इंस्टिट्यूट में प्रवेश पाने के लिए 700 रुपए की परीक्षा फीस दे कर बैठाया कि इस से इस की मैरिट की भी परीक्षा हो जाएगी और स्कौलरशिप भी मिल जाएगी. साथ ही, मेधावी छात्रों के साथ पढ़ने का एक वातावरण भी मिलेगा. रिजल्ट निकलने वाले दिन हमारी बेचैनी कम न थी कि न जाने बेटा सफल होगा या नहीं. इंटरनैट पर जा कर जैसे ही ‘इसे चुना गया है’ देखा, अत्यंत खुशी हुई.

पर जब पता चला कि स्कौलरशिप के बाद भी 2 साल के लिए 3 लाख रुपए की फीस जमा करनी है तो हमारे पैरों तले की जमीन ही खिसक गई क्योंकि एक मध्यवर्गीय परिवार के लिए इतना खर्च करना मुश्किल है. सच, पढ़ाई की महंगाई ने तो अभिभावकों की हिम्मत ही पस्त कर दी है.

सुप्रीति मिश्रा, पटना (बिहार)

जीएसटी: राह में मुश्किलें अभी और भी हैं

देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी अगले साल पहली अप्रैल के बजाए किसी और तारीख से भी लागू हो सकती है. खुद सरकार ने कि नयी कर व्यवस्था को लागू करने के पहले सात चुनौतियों को पार करना है.

राज्यसभा में बुधवार की देर शाम को भले ही वस्तु व सेवा कर यानी जीसएटी से जुड़ा संविधान संशोधन बिल पारित हो गया, लेकिन उसके बाद भी नयी कर व्यवस्था को लागू करने के पहले लंबी चौड़ी प्रक्रिया तो पूरी करनी ही है, कई चुनौतियों से भी पार पाना है. वित्त मंत्रालय ने ऐसी ही सात चुनौतियों का जिक्र किया-

– टैक्स की दर

– छूट पाने वाले सामान व सेवाओं की सूची

– कितने तक के कारोबार वाले जीएसटी के दायरे में आएंगे

– केंद्र व राज्यों के लिए आमदनी का नया आधार. साथ ही राज्यों के लिए मुआवजे का आधाऱ.

– मॉडल जीएसटी कानून पर आम राय बनाना

– जीएसटी देने वालों पर कंट्रोल और

– टैक्स का कम्पाउंडिंग

फिलहाल, वित्त मंत्री अरूण जेटली कह रहे हैं कि जीएसटी लागू करने के लिए 1 अप्रैल का लक्ष्य रखा गया है. अगले सत्र में सरकार का लक्ष्य जीएसटी से जुड़े विशेष कानून लाने की होगी. गौर करने की बात ये है कि जीएसटी एक ट्रांजैक्शन यानी लेन-देने पर लगने वाला टैक्स है. इसीलिए इनकम टैक्स की तरह इसे पहली अप्रैल से ही लागू करने की कोई बाध्यता नहीं होती. यही वजह है कि सरकार ने लक्ष्य जरुर तय किया है, लेकिन मुमकिन है कि नये कानून को लागू करने की तारीख अलग हो सकती है.

हालांकि जीएसटी लागू होने के बाद आस्ट्रेलिया, मलयेशिया और कनाडा जैसे देशों में कम से कम पहले दो साल तक महंगाई बढ़ी. क्या भारत इससे अलग रह सकता है, इसके जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि महंगाई इस बात पर निर्भर करेगी कि रेट स्ट्रक्चर क्या होगा. फिलहाल, आम धारना यही है कि जीएसटी लागू होने के बाद कुछ सामान भले ही सस्ते हो जाए, लेकिन सेवाओं के दाम बढ़ने तय है, क्योंकि सर्विस टैक्स बढ़ेगा. ऐसे में मोबाइल फोन के बिल से लेकर हवाई टिकट के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ सकते हैं.

यह भी खूब रही

मेरी पोस्टिंग मध्य प्रदेश के गुना जिले में स्थित परियोजना कार्यालय में थी. परियोजना कार्यालय परिसर में टाउनशिप था जिस में मुझे सरकारी क्वार्टर मिला था. मेरे कुछ मित्रों को सिगरेट पीने की बुरी आदत थी. एक मित्र रमेश अपनी पत्नी से छिप कर सिगरेट पीता था. सिगरेट पीने के बाद वह सौंफ, इलायची खा कर घर जाता था ताकि सिगरेट की दुर्गंध न आए. एक शाम हम सभी मित्र क्लब में पार्टी मना रहे थे. पार्टी समाप्त होने पर कुछ मित्रों ने अपने घर जाने से पहले सिगरेट पीने की चाहत जताई. लेकिन सिगरेट किसी के पास नहीं थी. रमेश ने कंपनी के ड्राइवर, जो कि एक सर्वेंट क्वार्टर मे रहता था, को टाउनशिप में स्थित दाऊ की दुकान से उस के नाम पर सिगरेट की एक डब्बी लाने को कहा. 15-20 मिनट हो गए लेकिन ड्राइवर सिगरेट ले कर नहीं आया. रमेश ने फोन किया तो उस ने बताया कि वह 10 मिनट पहले उन के क्वार्टर में उन की पत्नी को सिगरेट की डब्बी यह कह कर दे आया कि साहब ने मंगाया है. दरअसल, रमेश ड्राइवर से सिगरेट को क्लब में ले कर आने को कहना भूल गया था.

अगले दिन रमेश से जब औफिस में मुलाकात हुई तो उस ने बताया कि रात को घर पहुंचने पर पत्नी के सामने उसे स्वीकारना पड़ा कि वह कभीकभी सिगरेट पीता है. रमेश ने हमें यह भी बताया कि इस घटना के बाद उस ने अपनी पत्नी के सामने सिगरेट को कभी हाथ न लगाने की कसम खा ली है. मित्रमंडली के सभी सदस्य इस वाकेआ को सुन कर हंसे बिना नहीं रह सके.

अजय कुमार थापा, गाजियाबाद (उ.प्र.)

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मेरा 7 साल का बेटा सचिन बहुत शैतान तथा बेबाक है. एक दिन पति के बौस घर पर आने वाले थे. पति के बौस की नाक की बनावट कुछ अलग थी. हमें डर था कि सचिन उन की नाक के बारे में न बोल दे. इसलिए हम ने सचिन को समझाबुझा, कुछ खिलौने और खानेपीने की चीजें दे कर पीछे वाले कमरे में बैठा दिया और हौल में आने से मना कर दिया. बौस के आने पर मैं उन्हें अभिवादन कर के चायनाश्ता बनाने लगी. लेकिन मन में उथलपुथल मची थी कि कहीं सचिन कमरे से बाहर आ कर बौस को कुछ कह न दे. इसी घबराहट में मैं चाय ले कर आई. बौस के लिए चाय बनातेबनाते मेरे मुंह से निकल गया, ‘‘सर, आप की नाक में कितनी चीनी डालूं?’’

यह सुन वे बेचारे भौचक्के से हो कर मेरी ओर देखने लगे और पति बुरी तरह खिसिया गए. इस घटना को जब याद करती हूं तो सोचती हूं, यह भी खूब रही.

नीलू चोपड़ा, जनकपुरी (न.दि.)

उत्सव के रंग में जब चॉकलेट होगी खास

परिवार और उनके दोस्तों के मद्देनज़र मोंड़ेलिज़ इंडिया फूड्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी मजेदार और मस्ती भरे गुणों के साथ कैडबरी मर्वेल्स क्रिएशन्स को लौंच किया है. इसके दो फ्लेवर्स जेली पॉपी कैंडी और कुकी नट क्रंच उपलब्ध होंगे और यह देश के हर प्रान्त में मिलेंगे. इसे केवल देश में ही नहीं, विदेशों में भी उतारा जायेगा. यूथ और परिवार की पसंद को इसमें खास महत्व दिया गया है, इसलिए इस बार इसमें जेली, बीनीस, जेम्स और पोपिंग कैंडी जैसी आकर्षक वस्तुओं को शामिल किया गया है.

इसका आकर भी खास है, ताकि परिवार के सभी बड़े, बुजुर्ग, बच्चे  अपने इच्छानुसार तोड़ कर खा सकें. इस अवसर पर मोंड़ेलिज़ इंडिया के मार्केटिंग डायरेक्टर प्रशांत पेरेस बताते है कि भारतीय उपभोक्ता अब किसी भी नई चीज को परखना और उसे टेस्ट करना पसंद करते हैं. चाहे शहर हो या गाँव, चॉकलेट सभी खाते हैं. उत्सवी माहौल को देखते हुए इस चॉकलेट की अहमियत सबके लिए होगी.

 

 

हो जाए गजल सी

झील के तट पे, सांझ के वक्त सी

बाल खोले हो जाए, गजल सी

मदभरी चाल की हिरनी सी

गालों की लाली है कमाल सी

हर तरफ अंधेरों की तासीर में

भोर के उजाले में दिखे तब्बसुम सी

रूपसुधा हो बहती हो बयार सी

खिले हुए चेहरे की आंगन के धूप सी

ठहर गई हर तरफ सुधियों की रैन

मस्तमस्त सपनों के मोती जड़ी नींद सी

पलकों से झांकती लाजवंती चितवन से

कैसे संभाल पाऊं, सिमट रही चिडि़या सी

होंठों के मधुप्यालों में सोती रही प्यास

क्षणभरे उन्माद में श्वेत बदन के आस सी

कांप उठे तब भी, व्याकुल हो मन भी

वर्षा में भीग कर झीनेझीने आंचल सी.

 

                       – प्रमोद सिंघल

 

यूरोप की यात्रा पर क्यों जा रहे हैं इम्तियाज अली

बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली सात अगस्त से एक माह के लिए यूरोप की यात्रा पर जा रहे हैं. सूत्रों की माने तो इस बार यूरोप यात्रा के पीछे इम्तियाज अली का मकसद अपनी नई अनाम फिल्म के लिए लोकेशन की तलाश करना है. उनकी इस नई फिल्म में शाहरुख खान के साथ अनुष्का शर्मा होंगी. सूत्रों के अनुसार शाहरुख खान चाहते हैं कि इम्तियाज अली उनके साथ वाली पूरी फिल्म यूरोप में ही फिल्माएं.

सूत्रों का दावा है कि इम्तियाज अली ने शाहरुख खान की बातों को मान देते हुए अपनी इस फिल्म की नब्बे प्रतिशित शूटिंग यूरोप में ही करेंगे. यह एक प्रेम कहानी प्रधान फिल्म है. सूत्रों का मानना है कि शाहरुख खान को लगता है कि अनुष्का शर्मा के साथ उनकी रोमांटिक फिल्म ‘‘रब ने बना दी जोड़ी’’ हिट थी, इसलिए इस बार भी अनुष्का शर्मा के साथ उनकी यह रोमांटिक फिल्म हिट हो जाएगी. यानी कि शाहरुख खान अब अपने करियर को लेकर फंक फूंक कर कदम रख रहे हैं.

शाहरुख खान के अति नजदीकी सूत्रों के अनुसार अपनी पिछली फिल्म ‘‘दिलवाले’’ के समय शाहरुख खान ने जो गलतियां की थी, उनसे सबक सीखते हुए शाहरुख खान ने अपनी पूरी पीआर टीम को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. और अब वह एक स्थापित पी आर कंपनी के साथ रिश्ता जोड़ने जा रहे हैं. इतना ही नहीं शाहरुख खान ने अपनी होम प्रोडक्शन कंपनी ‘‘रेड चिल्ली’’ की मार्केटिंग टीम से भी कई लोगों की विदायी कर दी है. बौलीवुड से जुड़े लोग मान रहे हैं कि यदि शाहरुख खान अपनी गलतियों से सबक सीखकर कदम उठा रहे हैं, तो शायद आने वाला वक्त उनका साथ दे दे.

क्या कोई सलमान खान के साथ धोखाधड़ी कर सकता है?

बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि ‘‘यशराज फिल्मस’’ के कर्ताधर्ता आदित्य चोपड़ा इन दिनों अभिनेता सलमान खान के साथ धोखाधड़ी करने पर उतारू हैं. सूत्रों के अनुसार ‘यशराज फिल्मस’ ने अब तक फिल्म ‘‘धूम 3’’ में आमिर खान को तथा फिल्म ‘‘फैन’’ में शाहरुख खान को उनकी पारिश्रमिक राशि के अलावा  फिल्म के लाभ में हिस्सा देना तय किया था. सूत्रों के अनुसार जब आदित्य चोपड़ा ने फिल्म ‘‘सुल्तान’’ के लिए सलमान खान से संपर्क किया था, तो सलमान खान ने इस फिल्म में इसी शर्त पर काम करने के लिए हामी भरी थी कि आदित्य चोपड़ा उन्हे भी उनकी पारिश्रमिक राशि के अलावा फिल्म के लाभ मे उतना ही हिस्सा देंगे, जितना कि उन्होने ‘‘धूम 3’’ में आमिर खान को दिया था.

उस वक्त आदित्य चोपड़ा इस बात के लिए तैयार हो गए थे. पर अब फिल्म बाजार में चर्चाएं हो रही हैं कि आदित्य चोपड़ा अब सलमान खान को फिल्म ‘सुल्तान’ के लाभ मे हिस्सा नही देना चाहते, इसलिए जानबूझकर ‘‘यशराज फिल्मस’’ की तरफ से ‘सुल्तान’ के बाक्स आफिस कलेक्शन को कम करके बताया जा रहा है. यानी कि अब आदित्य चोपड़ा ने सलमान खान को धोखा देने का मन बना लिया है.

मगर बौलीवुड का एक तबका, जो कि फिल्म बाजार को अच्छी तरह से समझता है और जिनकी पैनी नजर ‘सुल्तान’ के बाक्स आफिस कलेक्शन पर बनी हुई है, वह इस चर्चा को महज ‘यशराज फिल्मस’ का गिमिक मान रहा है. इस तबके के अनुसार ‘‘यशराज फिल्मस’’ ने कल्पना की थी कि ‘सुल्तान’ बाक्स आफिस पर ‘धूम 3’ का रिकार्ड तोड़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. इसलिए ‘यशराज फिल्मस’ की ही तरफ से खबर फैलायी जा रही है कि सलमान को लाभ का हिस्सा न देने के लिए ‘सुल्तान’ के बाक्स अफिस के आंकड़े को कम करके बताया जा रहा है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या सलमान खान को समझ नही है.

बहरहाल, इस मसले का असली सच तो सलमान खान व ‘यशराज फिल्मस’ ही बता सकते हैं.

हमारी बेडि़यां

मेरे एक रिश्तेदार बहुत अंधविश्वासी हैं. उन के बेटे का जन्मदिन था. सो, उन्होंने उस का तुलादान करवाने का फैसला किया. सर्दी के दिन थे और मौसम बहुत ठंडा था. उन्होंने बेटे को जगाया और तड़के ही तुलादान की रस्में अदा करने के लिए बेटे को ठंडे पानी से नहाने को कहा. ठंडे पानी से  नहाने के बाद बेटा ठंड की चपेट में आ गया. जिस के कारण उसे 10 दिन अस्पताल में दाखिल रहना पड़ा. अंधविश्वास के कारण एक पिता ने ठंड के मौसम में भी अपने बेटे को ठंडे पानी से नहाने को मजबूर किया. ऐसा अंधविश्वास देश में कब तक और रहेगा.

प्रदीप गुप्ता, बिलासपुर (हि.प्र.)

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मेरी छोटी बहन के पति का, शादी के कुछ ही समय बाद, अचानक देहांत हो गया. मांबाबूजी को इस से गहरा सदमा  लगा. हमेशा सजधज कर रहने वाली मेरी बहन हिंदू रीतिरिवाजों के अनुसार सादगी से रहने लगी. यह देख कर मुझे बहुत दुख होता था. सब से ज्यादा दुख उस समय होता था जब शादीब्याह में होने वाली रस्मों में उसे शामिल नहीं किया जाता था. इस बात को ले कर बड़ेबुजुर्गों से अकसर मेरी बहस हो जाया करती थी कि इस में उस का क्या दोष है. अब पुराने रीतिरिवाजों को छोड़ देना चाहिए, उसे भी हमारी तरह जीने का हक है. लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुनता था. फिर मैं ने सोचा, शुरुआत मुझे ही करनी होगी. लोगों के विरोध के बावजूद मेरे बेटे की शादी में होने वाली रस्मों में मैं ने उसे ही आगे किया. इस से उस में आत्मविश्वास जागा. अब वह हमेशा सजीधजी रहती है तथा पति की जगह उसे अनुकंपा नियुक्ति भी मिल गई है.

ज्योति सराफ, भोपाल (म.प्र.)

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हरियाणा के एक पिछड़े गांव में मेरी ससुराल है. जब भी वहां जाती, कई बातों में अंधविश्वास नजर आता. मैं सोचती कि 2 दिन ही तो रुकना है, क्यों कुछ बोलें. वैसे भी हम ने लवमैरिज की थी. लंबी बीमारी के बाद जून के महीने में मेरे ससुरजी का देहांत हो गया. हम वहां गए. अगले दिन मेरी ननद ने बताया कि चौथे के बाद ही मुझे सिर धो कर नहाना है. एक तो गांव में बिजली कम ही रहती थी, ऊपर से घर रिश्तेदारों से खचाखच भरा हुआ. पसीने के कारण मेरी पीठ और सिर में घमोरियां निकल आईं. खुजली करकर के मैं परेशान हो गई. मैं ने बड़ी ननद से नहाने की इजाजत मांगी तो वे कहने लगीं, मेरे पिता की मृत्यु पर तुम इतनी सी बात भी नहीं निभा सकतीं. यही होता है लवमैरिज करने का नतीजा. सब चुप रहे, मेरी आंखें भर आईं. 

प्रीति गुप्ता, हरिद्वार (उ.खं.) 

टौक टू ए के

बातबात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसते रहने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब मोदी की ‘मन की बात’ की तर्ज पर दिल्लीवासियों से रेडियो के जरिए बात करेंगे. शो का नाम है टौक टू ए के यानी अरविंद केजरीवाल. यानी नकल में उन्होंने मोदी को आदर्श मान लिया. जाहिर है ये बातें बड़ी दिलचस्प होंगी. सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के साथ अरविंद केजरीवाल का भी लोग मजाक बनाते हैं. मजाक बनाने वालों की राय यह है कि अगर घर में उन की स्लीपर भी खो जाएं तो वे इसे मोदी की साजिश बताने लगते हैं. अब रेडियो जौकी बन कर भी वे मोदी को कोसें तो किसी को हैरानी नहीं होगी.

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