देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी अगले साल पहली अप्रैल के बजाए किसी और तारीख से भी लागू हो सकती है. खुद सरकार ने कि नयी कर व्यवस्था को लागू करने के पहले सात चुनौतियों को पार करना है.
राज्यसभा में बुधवार की देर शाम को भले ही वस्तु व सेवा कर यानी जीसएटी से जुड़ा संविधान संशोधन बिल पारित हो गया, लेकिन उसके बाद भी नयी कर व्यवस्था को लागू करने के पहले लंबी चौड़ी प्रक्रिया तो पूरी करनी ही है, कई चुनौतियों से भी पार पाना है. वित्त मंत्रालय ने ऐसी ही सात चुनौतियों का जिक्र किया-
- टैक्स की दर
- छूट पाने वाले सामान व सेवाओं की सूची
- कितने तक के कारोबार वाले जीएसटी के दायरे में आएंगे
- केंद्र व राज्यों के लिए आमदनी का नया आधार. साथ ही राज्यों के लिए मुआवजे का आधाऱ.
- मॉडल जीएसटी कानून पर आम राय बनाना
- जीएसटी देने वालों पर कंट्रोल और
- टैक्स का कम्पाउंडिंग
फिलहाल, वित्त मंत्री अरूण जेटली कह रहे हैं कि जीएसटी लागू करने के लिए 1 अप्रैल का लक्ष्य रखा गया है. अगले सत्र में सरकार का लक्ष्य जीएसटी से जुड़े विशेष कानून लाने की होगी. गौर करने की बात ये है कि जीएसटी एक ट्रांजैक्शन यानी लेन-देने पर लगने वाला टैक्स है. इसीलिए इनकम टैक्स की तरह इसे पहली अप्रैल से ही लागू करने की कोई बाध्यता नहीं होती. यही वजह है कि सरकार ने लक्ष्य जरुर तय किया है, लेकिन मुमकिन है कि नये कानून को लागू करने की तारीख अलग हो सकती है.