मेरी पोस्टिंग मध्य प्रदेश के गुना जिले में स्थित परियोजना कार्यालय में थी. परियोजना कार्यालय परिसर में टाउनशिप था जिस में मुझे सरकारी क्वार्टर मिला था. मेरे कुछ मित्रों को सिगरेट पीने की बुरी आदत थी. एक मित्र रमेश अपनी पत्नी से छिप कर सिगरेट पीता था. सिगरेट पीने के बाद वह सौंफ, इलायची खा कर घर जाता था ताकि सिगरेट की दुर्गंध न आए. एक शाम हम सभी मित्र क्लब में पार्टी मना रहे थे. पार्टी समाप्त होने पर कुछ मित्रों ने अपने घर जाने से पहले सिगरेट पीने की चाहत जताई. लेकिन सिगरेट किसी के पास नहीं थी. रमेश ने कंपनी के ड्राइवर, जो कि एक सर्वेंट क्वार्टर मे रहता था, को टाउनशिप में स्थित दाऊ की दुकान से उस के नाम पर सिगरेट की एक डब्बी लाने को कहा. 15-20 मिनट हो गए लेकिन ड्राइवर सिगरेट ले कर नहीं आया. रमेश ने फोन किया तो उस ने बताया कि वह 10 मिनट पहले उन के क्वार्टर में उन की पत्नी को सिगरेट की डब्बी यह कह कर दे आया कि साहब ने मंगाया है. दरअसल, रमेश ड्राइवर से सिगरेट को क्लब में ले कर आने को कहना भूल गया था.
अगले दिन रमेश से जब औफिस में मुलाकात हुई तो उस ने बताया कि रात को घर पहुंचने पर पत्नी के सामने उसे स्वीकारना पड़ा कि वह कभीकभी सिगरेट पीता है. रमेश ने हमें यह भी बताया कि इस घटना के बाद उस ने अपनी पत्नी के सामने सिगरेट को कभी हाथ न लगाने की कसम खा ली है. मित्रमंडली के सभी सदस्य इस वाकेआ को सुन कर हंसे बिना नहीं रह सके.