मेरे एक रिश्तेदार बहुत अंधविश्वासी हैं. उन के बेटे का जन्मदिन था. सो, उन्होंने उस का तुलादान करवाने का फैसला किया. सर्दी के दिन थे और मौसम बहुत ठंडा था. उन्होंने बेटे को जगाया और तड़के ही तुलादान की रस्में अदा करने के लिए बेटे को ठंडे पानी से नहाने को कहा. ठंडे पानी से नहाने के बाद बेटा ठंड की चपेट में आ गया. जिस के कारण उसे 10 दिन अस्पताल में दाखिल रहना पड़ा. अंधविश्वास के कारण एक पिता ने ठंड के मौसम में भी अपने बेटे को ठंडे पानी से नहाने को मजबूर किया. ऐसा अंधविश्वास देश में कब तक और रहेगा.
प्रदीप गुप्ता, बिलासपुर (हि.प्र.)
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मेरी छोटी बहन के पति का, शादी के कुछ ही समय बाद, अचानक देहांत हो गया. मांबाबूजी को इस से गहरा सदमा लगा. हमेशा सजधज कर रहने वाली मेरी बहन हिंदू रीतिरिवाजों के अनुसार सादगी से रहने लगी. यह देख कर मुझे बहुत दुख होता था. सब से ज्यादा दुख उस समय होता था जब शादीब्याह में होने वाली रस्मों में उसे शामिल नहीं किया जाता था. इस बात को ले कर बड़ेबुजुर्गों से अकसर मेरी बहस हो जाया करती थी कि इस में उस का क्या दोष है. अब पुराने रीतिरिवाजों को छोड़ देना चाहिए, उसे भी हमारी तरह जीने का हक है. लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुनता था. फिर मैं ने सोचा, शुरुआत मुझे ही करनी होगी. लोगों के विरोध के बावजूद मेरे बेटे की शादी में होने वाली रस्मों में मैं ने उसे ही आगे किया. इस से उस में आत्मविश्वास जागा. अब वह हमेशा सजीधजी रहती है तथा पति की जगह उसे अनुकंपा नियुक्ति भी मिल गई है.