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VIDEO: वंदे मातरम या One Day मातरम, क्या है आपके लिए तिरंगे की कीमत

इन दिनों आप स्‍वतंत्रता दिवस की तैयारियां करने में व्‍यस्‍त होंगे. वैसे भी स्‍वतंत्रता दिवस मनाने का सबसे ज्‍यादा जोश बच्‍चों में ही तो होता है. 15 अगस्‍त को आप लोग झंडा तो जरूर खरीदते होंगे, जोर से वंदे मातरम का नारा भी लगाते होंगे और सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर भी चेंज करते होंगे.

करते हैं न ये सब आप. आखिर बस एक दिन तिरंगा खरीदकर या प्रोफाइल पिक्चर अपडेट करके हमें अपनी देशभक्ति जो दिखानी है. फिर चाहे शाम होते होते हमारा राष्ट्र ध्वज किसी कचरे के डब्बे से लेकर किसी के पैरों तले रौंदा जा रहा हो.

लेकिन जनाब हकीकत यह है कि हमारा वंदे मातरम असल में One Day मातरम है.

जानना चाहते हैं कैसे, तो इस लिंक पर क्लिक कर देखें हमारी असलियत बताने वाला ये  वीडियो, जिसे देखकर आप शर्म से पानी पानी हो जाएंगे…  

http://www.sarita.in/web-exclusive/reality-of-freedom-because-vande-mataram-is-only-one-day-mataram

Reality of freedom because Vande Mataram is only One Day Mataram

तिरंगा झंडा हमारे देश का राष्‍ट्रीय ध्‍वज है, इसलिए इसे खरीदने के बाद सावधानी से संभालना चाहिए. एक बात याद रखना झंडे को कभी जमीन पर नहीं गिराना. झंडा कोई खेलने की चीज नहीं है, झंडे से अपने दोस्‍तों के साथ खेलना या उसके साथ मस्‍ती करना गलत बात है. आप झंडे को लहराएं, उसे घर में लगाएं, दोस्‍तों को दें पर ऐसा कुछ भी ना करें, जिससे झंडे का अपमान हो.

अगर आप भी आजादी के इस पर्व पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की तैयारियों में जुटे हैं तो तिरंगा से जुड़ी ये अहम बातें आपके लिए जानना बेहद जरूरी हैं.

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

भारत का राष्ट्रध्वज समतल और आयताकार तिरंगा है. इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 2:3 होता है. तीन रंगों की समान आड़ी पट्टिका जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद तथा नीचे हरे रंग की पट्टी है. सफेद रंग की पट्टी पर मध्य में सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ का चौबीस शलाकाओं वाला चक्र है, जिसका व्यास सफेद रंग की पट्टी की चौड़ाई के बराबर होगा.

तिरंगे के रंग और उनका अर्थ

राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है. बीच की पट्टी का श्वेत रंग धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है. निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है. सफेद पट्टी पर बने चक्र को धर्म चक्र कहते हैं. इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है. इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है.

जब सबका हुआ तिरंगा

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के इसे फहराने की अनुमति मिल गई. अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते हैं. बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का कठोरतापूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें.

विशेष परिस्थिति

जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होता है तथा राष्ट्रीय शोक घोषित होता है, तब ध्वज को झुका दिया जाना चाहिए, लेकिन जहां जिस भवन में उस राष्ट्र विभूति का पार्थिव शरीर रखा है, वहां उस भवन का ध्वज झुका रहेगा तथा जैसे ही पार्थिव शरीर अंत्येष्टि के लिए बाहर निकालते हैं, वैसे ही ध्वज को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाएगा.

शवों पर लपेटना

राष्ट्र पर प्राण न्योछावर करने वाले फौजी रणबांकुरों के शवों पर एवं राष्ट्र की महान विभूतियों के शवों पर भी ध्वज को उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए लपेटा जाता है, तब केसरिया पट्टी सिर तरफ एवं हरी पट्टी पैरों की तरफ होना चाहिए, न कि सिर से लेकर पैर तक सफेद पट्टी चक्र सहित आए और केसरिया और हरी पट्टी दाएं-बाएं हों. याद रहे शहीद या विशिष्ट व्यक्ति के शव के साथ ध्वज को जलाया या दफनाया नहीं जाता, बल्कि मुखाग्नि क्रिया से पूर्व या कब्र में शरीर रखने से पूर्व ध्वज को हटा लिया जाता है.

तिरंगे का नष्टीकरण

अमानक, बदरंग कटी-फटी स्थिति वाला ध्वज का स्वरूप फहराने योग्य नहीं होता. ऐसा करना ध्वज का अपमान होकर अपराध है, अतः वक्त की मार से जब कभी ध्वज ऐसी स्थिति हो जाए तो गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ उसे अग्नि प्रवेश दिला दिया जाता है. या वजन/रेत बांधकर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है. यही प्रकिया पार्थिव शरीरों पर से उतारे गए ध्वजों के साथ भी किया जाता है.

तिरंगे का दुरुपयोग

राष्ट्रीय ध्‍वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दे या वस्‍त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है. जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक फहराया जाना चाहिए. इस ध्‍वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्‍पर्श नहीं कराया जाना चाहिए. इसे वाहनों पर, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता. किसी अन्‍य ध्‍वज या ध्‍वज पट्ट को हमारे ध्‍वज से ऊंचे स्‍थान पर नहीं लगाया जा सकता है. तिरंगे ध्‍वज को वंदनवार, ध्‍वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता. तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रूमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

तिरंगे का अपमान

फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाएगा. उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है. प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टू नेशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक, ध्वज और संविधान के अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त क़ानून हैं. अगर कोई शख़्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपड़ा बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा. तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहन लेना भी ग़लत है. अगर कोई शख़्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपड़ा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है.

कैसे बनता है तिरंगा

1968 में तिरंगा निर्माण के मानक तय किए गए. ये नियम अत्यंत कड़े हैं. केवल खादी या हाथ से काता गया कपड़ा ही झंडा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. कपड़ा बुनने से लेकर झंडा बनने तक की प्रक्रिया में कई बार इसकी टेस्टिंग की जाती है. खादी बनाने में केवल कपास, रेशम और ऊन का प्रयोग किया जाता है. इसकी बुनाई सामान्य बुनाई से भिन्न होती है. ये बुनाई बेहद दुर्लभ होती है. निर्माण के लिए हाथ से बनी खादी का उत्पादन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के एक समूह द्वारा पूरे देश में मात्र ‘गरग’ गांव में किया जाता है जो उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिले में बेंगलूर-पूना रोड पर स्थित है. इसकी स्थापना 1954 में हुई, परंतु अब निर्माण ऑर्डिनेंस क्योरिंग फैक्टरी शाहजहांपुर, खादी ग्रामोद्योग आयोग मुंबई एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग दिल्ली में होने लगा है. निजी निर्माताओं द्वारा भी राष्ट्रध्वज का निर्माण किए जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन गौरव व गरिमा को दृष्टिगत रखते हुए यह जरूरी है कि ध्वज पर आईएसआई (भारतीय मानक संस्थान)की मुहर लगी हो. बुनाई से लेकर बाजार में पहुंचने तक कई बार बीआईएस प्रयोगशालाओं में इसका परीक्षण होता है. बुनाई के बाद सामग्री को परीक्षण के लिए भेजा जाता है. कड़े गुणवत्ता परीक्षण के बाद उसे वापस कारखाने भेज दिया जाता है. इसके बाद उसे तीन रंगों में रंगा जाता है. केंद्र में अशोक चक्र को काढ़ा जाता है. उसके बाद इसे फिर परीक्षण के लिए भेजा जाता है. बीआईएस झंडे की जांच करता है इसके बाद ही इसे बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है.

पेस को खेलगांव में नहीं मिली छत

ओलंपिक की ओपनिंग सेरेमनी से पहले रियो में भारतीय टेनिस सुपरस्टार लिएंडर पेस को रहने के लिए कमरे नहीं दिए जाने की खबर आई है. ओलंपिक के लिए बने खेलगांव में उन्हें अभी तक कमरा नहीं मिल सका है.

सूत्रों के मुताबिक पेस ने बताया कि कमरा नहीं मिलने की वजह से उन्हें भारतीय ओलंपिक टीम के मिशन प्रमुख के कमरे में रुकना पड़ा है. टीम के कैप्टन जीशान अली ने भी उनकी बात को सही बताया है. उन्होंने बताया कि पेस ने खेल गांव में न रुकने की बात कभी नहीं कही.

भारत की ओर से सबसे ज्यादा बार ओलंपिक में हिस्सा

ओलिंपिक खेलों में भारत की ओर से सबसे ज्यादा बार हिस्सा लेने वाले पेस ने कहा कि टीम को मिले अपार्टमेंट में तीन बेडरूम हैं. उनमें से एक रोहन बोपन्ना के पास है. दूसरा उनके फिजियो थेरेपिस्ट के पास है. तीसरा बेडरूम जीशान अली के नाम पर दिया गया है. ऐसी हालत में पेस मिशन प्रमुख के कमरे में ही ठहरे हैं.

4 अगस्त की सुबह रियो पहुंच गए थे पेस

दूसरी ओर कैप्टन जीशान अली ने बताया कि लिएंडर पेस के चार अगस्त को रियो पहुंचने के बारे में भी उन्हें जानकारी मिली थी. तब पेस वर्ल्ड टीम टेनिस खेल रहे थे. उन्होंने कहा कि मुझे चिंता थी कि चार अगस्त की शाम को रियो पहुंचने के बाद पेस को 6 अगस्त के मैच के लिए प्रैक्टिस करने का मौका नहीं मिल पाएगा. उन्होंने बताया कि पेस सुबह ही पहुंच गए थे.

कैसे अपडेट करें एंड्रायड स्मार्टफोन

स्मार्टफोन के लिए अपडेट्स काफी जरुरी होते हैं. अक्सर यह देखा जाता है कि यूजर इन अपडेट्स को लेने से कतराते हैं. लेकिन ऐसा सही नहीं है. एंड्रायड अपडेट करने से आपके स्मार्टफोन की कई दिक्कतें दूर हो सकती हैं.

एंड्रायड अपडेट होने फोन में कई नए फीचर्स एड हो सकते हैं. आपके एंड्रायड पर जो भी अपडेट हो उसे अप्लाई करने पर फोन की परफॉरमेंस पर बेहतर होती है. साथ ही स्मार्टफोन में जो भी परेशानियां हो रही हैं या बग्स हैं वो भी ठीक हो जाती हैं.

जैसे मान लीजिए आपके फोन में हीटिंग इशू हो रहे हैं तो हो सकता है कि आपके एंड्रायड पर मौजूद अपडेट से वो समस्या हल हो जाए.

डाटा बैकअप

अपने स्मार्टफोन को अपडेट करने से पहले आप फोन का डाटा बैकअप कर लें. हालांकि इसके काफी कम चांस होते हैं कि इस प्रक्रिया में आपका डिवाइस क्रेश हो जाए.

स्टेप 1

अब अपने एंड्रायड स्मार्टफोन को अपडेट करने के लिए सबसे पहले फोन की सेटिंग में जाएं.

स्टेप 2

सेटिंग में जाकर आप स्क्रीन पर स्क्रोल करें, आपको सबसे अंतिम विकल्प अबाउट फोन का मिलेगा.

स्टेप 3

यहां पर आपको सिस्टम अपडेट का विकल्प मिलेगा. आप सिस्टम अपडेट पर अपने एंड्रायड फोन में अपडेट पाने के लिए क्लिक करें.

अपडेट कर सकते हैं

यदि आपके फोन में अपडेट उपलब्ध होगा तो आपको बता दिया जाएगा, इसके बाद आप फोन को अपडेट कर सकते हैं.

डिवाइस अप टू डेट

यदि आपके एंड्रायड फोन में कोई अपडेट उपलब्ध नहीं होगा तो आपकी स्क्रीन पर मैसेज आ जाएगा कि आपका डिवाइस अप टू डेट है.

पाकिस्तान को नहीं मिलेगा अमेरिका का साथ

अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद रोक कर उसे एक बड़ा झटका दिया है. यह सैन्य मदद इसलिए रोकी गई है क्योंकि रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कांग्रेस को इस बात का प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया है कि पाकिस्तान खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहा है.

पेंटागन के प्रवक्ता एडम स्टंप ने कहा, ‘इस बार पाकिस्तान की सरकार को कोष (30 करोड़ डॉलर) जारी नहीं किया जा सका क्योंकि रक्षा मंत्री ने अब तक इस बात को प्रमाणित नहीं किया है कि पाकिस्तान ने वित्तीय वर्ष 2015 राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार कानून (एनडीएए) के अनुरूप पर्याप्त कदम उठाए हैं.’ पाकिस्तान के लिए गठबंधन सहयोग कोष (सीएसएफ) के तहत वित्तीय वर्ष 2015 में एक अरब डॉलर मंजूर किए गए थे. इसमें से वह 70 करोड़ डॉलर ले चुका है.

रक्षा मंत्रालय को 30 जून तक कांग्रेस के समक्ष पुनर्निर्धारण का अनुरोध पेश करना था. स्टंप ने कहा कि इस समयसीमा के अनुरूप चलने के लिए कार्टर ने वर्ष 2015 में बाकी बची सीएसएफ की 30 करोड़ डॉलर की राशि के पुनर्निर्धारण का अनुरोध किया. यह राशि मूल रूप से पाकिस्तान के लिए मंजूर की गई थी. स्टंप ने कहा कि इस फैसले से पाकिस्तानी सेना द्वारा बीते दो साल में किए गए त्यागों का महत्व 'कम नहीं हो जाता है'.

वित्तीय वर्ष 2016 में पाकिस्तान के लिए सीएसएफ के तहत 90 करोड़ डॉलर मंजूर किए गए हैं. इसमें से 35 करोड़ डॉलर तभी दिए जा सकते हैं, जब रक्षा मंत्री यह प्रमाणपत्र देंगे कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई की है. स्टंप ने कहा, ‘पाकिस्तान सीएसएफ अदायगी का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है. वर्ष 2002 के बाद से उसे लगभग 14 अरब डॉलर मिल चुके हैं.’

गांगुली ने कोहली की रणनीति पर उठाए सवाल

पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने वेस्टइंडीज द्वारा भारत के खिलाफ किंग्सटन टेस्ट ड्रॉ कराने के बाद टीम इंडिया के वर्तमान टेस्ट कप्तान विराट कोहली की रणनीति पर सवाल उठाए हैं. गांगुली के अनुसार कोहली को स्लो गेंदबाजों का अच्छी तरह उपयोग करना चाहिए और उमेश यादव को अटैकिंग गेंदबाज के रूप में देखना चाहिए.

गांगुली के अनुसार विराट को दूसरे टेस्ट मैच में अमित मिश्रा की जगह रविचंद्रन अश्विन को पहले गेंदबाजी सौंपनी चाहिए थी. पहली पारी में 304 रनों से पिछड़ने के बाद वेस्टइंडीज दूसरी पारी में 48 रनों पर 4 विकेट खोकर संकट में था.

लेकिन रोस्टन चेज (137 नाबाद) की अगुआई में मध्यक्रम के बल्लेबाजों के जुझारू प्रदर्शन की बदौलत वेस्टइंडीज ने 6 विकेट पर 388 रन बनाते हुए मैच ड्रॉ करवा लिया.

सूत्रों के अनुसार गांगुली ने कहा, विराट के पास पांच विशेषज्ञ गेंदबाज थे, लेकिन वे उनका लाभ नहीं उठा पाए. मुझे लगता है कि अंतिम दिन की शुरुआत में जब विराट ने अमित को गेंद सौंपी उनकी बजाए उन्हें अश्विन को गेंदबाजी पर लगाना चाहिए था.

अश्विन हमारे मुख्य गेंदबाज है और वे लय में भी है जिसके चलते उन्हें ज्यादा मौका दिया जाना चाहिए था. इसी तरह इस मैच में उमेश यादव से ज्यादा गेंदबाजी नहीं करवाई गई, जबकि उनका अच्छी तरह उपयोग किया जाना चाहिए.

भारत में लॉन्च हुआ एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी

चीन की स्मार्टफोन मेकर कंपनी लेईको (LeEco) भारतीय फोन मार्केट में मिली सफलता के बाद अब टीवी बाजार में भी अपनी पकड़ बनाना चाहती है. कंपनी ने भारत में पहला  एंड्रॉयड  आधारित स्मार्ट टीवी की एक सीरीज लॉन्च की है. लेईको के Super3 TV सीरीज के तहत तीन मॉडल पेश किए हैं, यह 55 इंच और 65 इंच के आकार में उपलब्ध होंगे. हालांकि चीन में कंपनी Super4 सीरीज तक लॉन्च कर चुकी है.

59,790 से शुरुआत

कंपनी इसकी बिक्री आगामी 10 से 12 अगस्त के बीच लेमॉल डॉट कॉम और फ्लिपकार्ट पर करेगी. इनकी कीमत विभिन्न आकारों के आधार पर 59,790 रुपए से शुरू होकर 1,49,790 रुपए के बीच है. इस सीरीज के सबसे सस्ते स्मार्टटीवी Super3 X55 की कीमत 59,790 रुपए है. वहीं Super3 X65 की कीमत 99,790 रुपए और Super3 Max65 की कीमत 1,49,790 रहेगी.

यह एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित टीवी हैं. इस टीवी पर कंपनी प्रोडक्ट की वारंटी दो साल जबकि उसके पैनल की वारंटी चार साल की दे रही है. इसके अलावा शुरुआती समय में कंपनी इसके साथ अपने क्लाउड सेवा पर उपलब्ध सामग्री (कंटेंट) को भी दो साल तक मुफ्त मुहैया कराएगी. कंपनी ने इस पर सामग्री मुहैया कराने के लिए इरोज नाउ और हंगामा टीवी जैसे नेटवर्क के साथ साझेदारी की है.

अब किसी भी एटीएम में जमा करें सेविंग्स

हमें किसी भी बैंक के एटीएम से कैश निकालने की सुविधा लगभग एक दशक पहले मिली थी. अब जल्द ही बैंक अपने कस्टमर्स को बचत खाते में पैसा डालने के लिए किसी भी बैंक के एटीएम में डिपॉजिट करने की सुविधा दे सकते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने तीन बैंकों के एक पायलट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर दिलीप अस्बे ने कहा, 'हमें एक पायलट प्रोजेक्ट के लिए आरबीआई से ग्रीन सिग्नल मिल गया है. हम पायलट प्रोजेक्ट अगस्त के दूसरे हफ्ते तक शुरू कर देंगे. इसके लिए हम डुअल मशीन यूज करेंगे जिनमें कैश निकालने और जमा करने, दोनों की फैसिलिटी होगी.'पायलट प्रोजेक्ट के लिए जिन तीन बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया गया है उनमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक शामिल हैं.

यह व्यवस्था लागू होने पर बैंक कस्टमर्स पैसा डिपॉजिट करने के लिए किसी भी बैंक के कियोस्क में जा सकेंगे. वहां वे अपने सेविंग्स एकाउंट में कैश डिपॉजिट कर सकेंगे. अस्बे ने कहा, ‘इस फैसिलिटी से नई पीढ़ी के उन एटीएम को बढ़ावा मिलेगा, जो रीसाइकल्ड कैश पर काम करते हैं. इससे मशीन में कैश रीलोड करने की प्रॉब्लम दूर हो जाती है और लोगों को एक बार में एक नोट के बजाय पूरी रकम जमा करने में मदद मिलेगी. हिताची और ओकेआई जैसी जापानी कंपनियों ने देश में ऐसे एटीएम पेश किए हैं.’

वीडियो में दिखने वाली चीजों को छू सकेंगे आप

जल्द ही आप वीडियो में मौजूद चीजों को छू सकेंगे. MIT के वैज्ञानिक इसके लिए एक नई इमेजिंग तकनीक का विकास कर रहे हैं. पारंपरिक कैमरे और एल्गोरिदम "कलन गणित" का इस्तेमाल कर इंटरेक्टिव डायनेमिक वीडियो (IDV) किसी चीज के छोटे छोटे, लगभग अदृश्य कंपन को देखता है ताकि वीडियो सिमुलेशन तैयार किया जा सके जिससे उपयोगकर्ता उस चीज जैसी किसी बिल्ली या पेड़ को काल्पनिक रूप से महसूस कर सकते हैं.

मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस लैबोरेट्री (CSAIL) के पीएचडी छात्र ए डेविस ने कहा, इस तकनीक से हमें चीजों के फिजिकल बिहेवियर को कैप्चर करने में मदद मिलती है जिससे हमें वर्चुअल स्पेस में उनके साथ प्रयोग करने का एक तरीका हासिल होता है.

सरकार का गैरजरूरी दखल

मोटापा बुरा है पर सरकार मोटापा कम करने के नाम पर टैक्स लगा दे, यह और बुरा है. केरल सरकार ने बर्गर, पिज्जा, टैको आदि पर 14.5 प्रतिशत का मोटापा टैक्स लगा कर इन्हें महंगा कर दिया है ताकि लोग अच्छा पौष्टिक खाना खाएं. पर यह सरकार की लोगों की जिंदगी में अनावश्यक दखल है. कल्पना करिए कि केरल सरकार फैसला करे कि आम पुरुष नागरिक का केरल में वजन

55 किलो हो और हर नागरिक जो उस से ज्यादा वजन का है, या तो अपना वजन घटाए वरना टैक्स दे. क्या यह चलेगा?

सरकार को जनता के स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए पर टैक्स के चाबुक से नहीं. मोटे तो वे लोग भी होते हैं जो डोसे, चावल, लड्डू खाते हैं. उन के खाने पर बर्गर, पिज्जा जैसा टैक्स क्यों नहीं? और फिर कल को बर्गर का नाम बदल कर ब्रैड इडली, पिज्जा का नाम बदल कर चीज डोसा कर दिया गया, तब सरकार क्या करेगी?

केरल की कम्युनिस्ट सरकार को सेहत का खयाल है तो पहले वह केरल के गटरों की सफाई तो कराए जहां बदबूदार कूड़ा सड़ता रहता है. वहां भी देश के अन्य हिस्सों की तरह पान की पीक हर कोने में नजर आ जाएगी. लेकिन सरकार ऐसे काम करने से कतराती है क्योंकि इस में आय होती नहीं. उल्टे, पगपग पर सरकारी शाही कारिंदों के काम न करने पर जनता का गुस्सा उस को सहना पड़ता है. टैक्स लगाना आसान है क्योंकि एक आदेश दिया और काम हो गया.

यह भी लगता है कि इस मोटापा टैक्स के पीछे पैसे वालों की हैसियत से चिढ़ भी है. कम्युनिस्ट सरकार जानती है कि पीक तो पान खाने वालों की है, पिज्जाबर्गर वालों की नहीं, पर उन्हें परेशान कर के वह अपना गरीब प्रेम दिखा रही है पर यह गलत तरीका है. लोगों की आय पर टैक्स लग ही रहा है तो अतिरिक्त करों की क्या जरूरत, वह भी निजी पसंद पर. यह नागरिकों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है.

आशा करें कि यह सुझाव या तो छोड़ दिया जाएगा या फिर अदालत इसे ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ का फैसला मान कर निरस्त कर देगी.

 

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