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अनमोल पल (भाग-1)

‘‘मैं तुम्हें संपूर्ण रूप से पाना चाहता हूं. इस तरह कि मुझे लगे कि मैं ने तुम्हें पा लिया है. अब चाहे तुम इसे कुछ भी समझो. पुरुषों का प्रेम ऐसा ही होता है, जिसे वे प्यार करते हैं उस के मन के साथसाथ तन को भी पाना चाहते हैं. तुम इसे वासना समझती हो तो यह तुम्हारी सोच है. पाना तो स्त्री भी चाहती है, लेकिन कह नहीं पाती. पुरुष कह देता है. तुम इसे पुरुषों की बेशर्मी समझो तो यह तुम्हारी अपनी समझ है, लेकिन जिस्मानी प्रेम प्राकृतिक है. इसे नकारा नहीं जा सकता. यदि तुम मुझ से प्रेम करती हो और तुम ने अपना मन मुझे दिया है तो तन के समर्पण में हिचक कैसी?

‘‘मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हम एकांत में मिलें, जैसे कि मिलते आए हैं और एकदूसरे को चूमतेसहलाते हद से गुजर जाएं फिर बाद में एहसास हो कि हम ने यह ठीक नहीं किया. हमें मर्यादा का उल्लंघन नहीं करना चाहिए. अच्छा है कि इस बार हम मानसिक रूप से तैयार हो कर मिलें. वैसे भी कितनी बार हम एकांत के क्षणों में हद से गुजर जाने को बेचैन से रहे हैं, लेकिन मिलने के वे स्थान सार्वजनिक थे, व्यक्तिगत नहीं.

‘‘भले ही उन सार्वजनिक स्थानों पर दुरम्य पहाडि़यों पर उस समय कोई न रहा हो. क्या तुम मुझ से प्यार नहीं करतीं? क्या मुझे पाने की तुम्हारी इच्छा नहीं होती, जैसे मेरी होती है. शायद होती हो, लेकिन तुम कह नहीं पा रही हो, तो चलो, मैं ने कह दिया.

‘‘इस बार हम मिलने से पहले मानसिक रूप से तैयार हो कर मिलें. दो जवां जिस्म बने ही एकदूसरे में समा जाने के लिए होते हैं. मैं ने अपने मन की बात तुम से कह दी. तुम्हारे जवाब की प्रतीक्षा है.’’

टुकड़ोंटुकड़ों में विदित ने अपनी बात एसएमएस के जरिए सुहानी तक पहुंचा दी. अब उसे सुहानी के उत्तर की प्रतीक्षा थी. विदित ने सुहानी को एसएमएस करने से पहले कई बार सोचा कि ऐसा कहना ठीक होगा या नहीं. कहीं सुहानी इस का गलत अर्थ तो नहीं निकालेगी. लेकिन वह क्या करता? कब तक इच्छाओं को मन में दबा कर रखता. कितनी बार दोनों एकांत में मिले. कितनी बार दोनों तरफ से प्रगाढ़ आलिंगन हुए. कितनी बार दोनों बहुत दूर तक निकले और वापस आ गए. वापस आने की पहल भी विदित ने की. सुहानी तो तैयार थी उस रोमांचक यात्रा के लिए. खैर, जो भी हो, अब लिख दिया तो लिख दिया. वही लिखा जो उस के मन में था, दिमाग में था. दोनों की मुलाकात फेसबुक के माध्यम से हुई. विदित ने उस की पोस्ट को हर बार लाइक किया. कमैंट्स बौक्स में जा कर जम कर तारीफ की.

सुहानी भी चौंकी. इतनी रुचि मुझ में कौन ले रहा है, जबकि मैं दिखने में भी साधारण हूं. फेसबुक पर मेरा ओरिजनल फोटो है. मेरा पूरा विवरण भी दर्ज है. कमैंट्स और लाइक तो उसे और भी मिले थे, लेकिन ये कौन जनाब हैं, जो इतना इंट्रस्ट ले रहे हैं. जवाब में उस ने मैसेज भेजा, ‘‘मेरे बारे में सबकुछ जान लीजिए. यदि आप कुछ उम्मीद कर रहे हैं तो.’’ दूसरी तरफ से भी उत्तर आया, ‘‘मैं सबकुछ जान चुका हूं. यदि आप का स्टेटस सही है तो. हां, आप मेरे बारे में जरूर जान लें. मैं ने कुछ छिपाया नहीं. पारिवारिक विवरण, फोटो सभी के बारे में जानकारी है.’’

‘‘मैं ने भी कुछ नहीं छिपाया,’’ मैं ने भी जवाब दिया.

दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना और यह भी जाना कि विदित शादीशुदा था. उस की उम्र 40 साल थी. वह स्वास्थ्य विभाग में अकाउंटैंट था. उस के 2 बच्चे थे, जो प्राइमरी स्कूल में पढ़ रहे थे. विदित की पत्नी कुशल गृहिणी थी. फिर भी विदित जीवन में कुछ खालीपन महसूस कर रहा था. सुहानी 35 वर्ष की अविवाहित महिला थी, जो एक बड़ी कंपनी में अकाउंटैंट थी. उस के घर पर बुजुर्ग मातापिता थे. 2 बहनों की शादी उस ने अपनी नौकरी के बल पर की थी. पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभातेनिभाते न उस ने किसी की तरफ ध्यान दिया, न उस की तरफ किसी ने. उसे लगा मुझ साधारण दिखने वाली युवती पर कौन ध्यान देगा. फिर अब तो विवाह की उम्र भी निकल चुकी है. मातापिता भी नहीं चाहते थे कि कमाऊ लड़की उन्हें छोड़ कर जाए. यह किसी ने नहीं सोचा कि उस की भी कुछ इच्छाएं हो सकती हैं.

‘‘क्या हम कहीं मिल सकते हैं?’’ विदित ने फेसबुक मैसेंजर पर मैसेज भेजा.

‘‘क्यों मिलना चाहते हैं आप मुझ से?’’ सुहानी ने रिप्लाई किया.

‘‘आप मुझे अच्छी लगती हैं.’’

‘‘आप परिवार वाले हैं.’’

‘‘परिवार वाले का दिल नहीं होता क्या?’’

‘‘वह दिल तो आप की पत्नी का है.’’

विदित ने मैसेज नहीं किया. सुहानी को लगा, ‘शायद यह नहीं लिखना चाहिए था, हो सकता है मात्र मिलने की चाह हो. शादी का मतलब यह तो नहीं कि वह किसी से बात ही न करे. मिल न सके. किसी ने तो उसे पसंद किया. उस के सोशल साइड के स्टेटस को, जिस में निराशा भरे चित्रों की भरमार थी. उदास गजलें और गीत थे. किसी ने भी आज तक उसे व्यक्तिगत जीवन और न ही सोशल साइट्स पर इतना पसंद किया था. फिर मिलने में, बात करने में क्या हर्ज है? वह भी तो पहली बार किसी ऐसे व्यक्ति से मिल रही है जो उस से मिलना चाह रहा था.’ सुहानी ने मैसेज किया, ‘‘व्यक्तिगत बात के लिए व्हाट्सऐप ठीक है,’’ अपने व्हाट्सऐप से सुहानी ने विदित के व्हाट्सऐप पर मैसेज किया. अब बातचीत व्हाट्सऐप पर होने लगी.

‘‘मैं आप को क्यों अच्छी लगी?’’ सुहानी ने पूछा.

‘‘पता नहीं, लेकिन आप को देख कर लगा कि मैं आप को तलाश रहा था,’’ विदित ने जवाब दिया.

‘‘माफ कीजिए और आप का परिवार?’’

‘‘परिवार अपनी जगह है. उस का स्थान कोई नहीं ले सकता. वैसे ही जैसे आप की जगह कोई नहीं ले सकता.’’

‘‘मैं कल दोपहर औफिस लंच के समय आप को रीगल चौराहे के पास वाले कौफी हाउस में मिल सकती हूं,’’ सुहानी ने बताया.

‘‘मैं वहां पहुंच जाऊंगा.’’

सुहानी सोचती रही, ‘मिलना चाहिए या नहीं. एक शादीशुदा, बालबच्चेदार व्यक्ति से मिल कर भविष्य के कौन से सपने साकार हो सकते हैं? वैसे भी क्या हो रहा है अभी? फिर मिलना ही तो है. कितनी अकेली रह गई हूं मैं. साथ की सहेलियां शादी कर के अपने ससुराल व परिवार में मस्त हैं. मैं ही रह गई हूं अकेली. घर पर कब किस ने मेरे बारे में, मेरी इच्छाओं के बारे में सोचा है. क्या मैं अपनी मरजी से किसी से मिल भी नहीं सकती? चलो, आगे कुछ न सही लेकिन किसी को कुछ तो पसंद आया मुझ में.’

दोनों तरफ एक उमंग थी. वह नियत समय पर कौफी हाउस में मिले. दोनों को एकदूसरे की यह बात पसंद आई कि जैसा सोशल मीडिया पर अपना स्टेटस व फोटो डाला है, वैसे ही थे दोनों, अन्यथा लोग होते कुछ और हैं और दिखाते कुछ और हैं. कौफी की चुसकियां लेते दोनों एकदूसरे को देखते रहे. आंखों से तोलते रहे. सुहानी सोच रही थी कि क्या बात करूं? कैसे बात करूं? तभी विदित ने कहा, ‘‘आप ने अभी तक शादी क्यों नहीं की?’’

‘‘इस उम्र में शादी,’’ सुहानी ने निराशा भरे स्वर में उत्तर दिया.

‘‘अभी कौन सी आप की उम्र निकल गई. ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो 40 के आसपास विवाह करते हैं.’’

‘‘मैं ने सब की तरफ ध्यान दिया लेकिन मेरी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया.’’

‘‘तो अब ध्यान दिए देता हूं,’’ विदित ने हंसते हुए कहा, ‘‘आप दिखने में अच्छी हैं. अपने पैरों पर खड़ी हैं. कौन आप से शादी करने से इनकार कर सकता है. अच्छा बताइए, आप को कैसा लड़का पसंद है?’’

सुहानी ने हंसते हुए कहा, ‘‘इस उम्र में शादी के लिए लड़का नहीं पुरुष ढूंढ़ना पड़ेगा, वह भी अधेड़.’’

‘‘मेरी तरह,’’ विदित बोला.

‘‘हां, खैर ये सब छोडि़ए. आप अपनी सुनाइए. मिल कर कैसा लगा? क्या चाहते हैं आप मुझ से,’’ एक ही सांस में सुहानी कह गई.

‘‘देखिए, मैं ने अपने बारे में कुछ नहीं छिपाया आप से. सुनते हुए अजीब तो लगेगा आप को लेकिन क्या करूं, दिल के हाथों मजबूर हूं. आप मुझे अच्छी लगीं.’’

‘‘आमनेसामने भी,’’ सुहानी ने कहा.

‘‘जी, आमनेसामने भी?’’ विदित बोला.

‘‘मुझे भी आप की ईमानदारी अच्छी लगी. आप ने भी कुछ नहीं छिपाया.’’

‘‘मेरे मन में कोई चोर नहीं है, तो छिपाऊं क्यों? हां, मैं शादीशुदा हूं, 2 बच्चे हैं मेरे, लेकिन यह कोई गुनाह तो नहीं. फिर यह किस किताब में लिखा है कि शादीशुदा व्यक्ति को कोई अच्छा लगे तो वह उसे अच्छा भी न कह सके. कोई उसे पसंद आए तो वह उस पर जाहिर भी न कर सके,’’ विदित ने अपनी बात रखते हुए कहा.

‘‘हां, हम अच्छे दोस्त भी तो हो सकते हैं,’’ सुहानी ने कहा तो विदित चुप रहा. इस बीच दोनों ने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए, जो पहले से ही सोशल साइट्स से उन को मालूम थे.

‘‘हमें मोबाइल पर ही बात करनी चाहिए. चाहे तो एसएमएस के जरिए भी बात कर सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत बातें सोशल साइट्स पर बिलकुल नहीं,’’ सुहानी ने बात आगे बढ़ाई.

‘‘आप ठीक कह रही हैं. इस का मतलब यह हुआ कि आप मुझ से आगे बात करेंगी.’’

‘‘हां, बात करने में क्या बुराई है?’’

‘‘और मिलने में?’’

‘‘मिल भी सकते हैं, लेकिन मैं देर रात तक घर से बाहर नहीं रह सकती. कमाती हूं तो क्या? हूं तो महिला ही न. घर पर जवाब देना पड़ता है. शादी नहीं हुई तो क्या? पूछने को मातापिता, नजर रखने को अड़ोसपड़ोस तो है ही,’’ सुहानी बोली.

‘‘हां, मैं भी आप से ऐसे समय मिलने को नहीं कहूंगा जिस में आप को समस्या हो,’’ विदित ने कहा.

 सुहानी का लंच टाइम खत्म हो चुका था. वह दफ्तर जाने के लिए खड़ी हो गई.

‘‘अच्छा लगा आप से मिल कर,’’ सुहानी ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘मुझे भी,’’ विदित खुशी जाहिर करते हुए बोला, ‘‘आज मेरी एक इच्छा पूरी हो गई. आगे न जाने कब दोबारा मिलना होगा.’’

‘‘कल ही,’’ सुहानी मुसकराते हुए बोली.

‘‘क्या, सच में?’’ विदित ने खुशी से कहा.

‘‘हां, यहीं मिलते हैं,’’ सुहानी ने वादा किया.

‘‘थैंक्स,’’ विदित ने धन्यवाद भरे भाव से कहा.

‘‘और बात करनी हो तो मोबाइल पर?’’ सुहानी ने पूछा.

‘‘कभी भी.’’

‘‘मैं रात 10 बजे के बाद अपने कमरे में आ जाती हूं. आप के साथ तो पत्नी व बच्चे होते होंगे,’’ सुहानी ने पूछा.

‘‘नहीं, बच्चे तो अपनी मां के साथ अलग कमरे में सोते हैं. मांबेटों के बीच मुझे कौन पूछता है?’’ निराशा भरे स्वर में विदित बोला.

‘‘मैं अकेला सोता हूं कमरे में. आप बात कर सकती हैं,’’ और वे विदा हो गए. दूसरे दिन वे फिर मिले. दोनों मिलने के लिए इतने बेकरार थे कि बड़ी मुश्किल से दिन व रात कटी. ऐसा लगा जैसे दूसरा दिन आने में वर्षों लग गए हों. बात कैसे शुरू करें? क्या कहें एकदूसरे से. सो राजनीति, साहित्य, सिनेमा, संगीत की बातें होती रहीं.

‘‘तुम्हारे फेसबुक अकाउंट पर मुकेश के दर्द भरे गीतों का बड़ा संकलन है,’’ विदित ने सुहानी से कहा.

‘‘हां, मुझे दर्द भरे गीत बहुत पसंद हैं,  खासकर मुकेश के और तुम्हें?’’

‘‘मेरी तो समझ में आता है मेरा एकांत, मेरा अकेलापन, इसलिए ये गीत मुझे खुद से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं. लेकिन आप को क्यों पसंद हैं?’’ सुहानी ने पूछा.

‘‘शायद दर्द मेरा पसंदीदा विषय है,’’ विदित ने कहा.

‘‘लेकिन तुम से मिलने के बाद मुझे प्रेम भरे गीत भी अच्छे लगने लगे हैं,’’ सुहानी ने कहा, ‘‘एक बात पूछूं. आप घर पर दर्द भरे गीत सुनते हैं?’’

‘‘नहीं, अब नहीं सुनता. पत्नी को लगता है कि मुझे अपना कोई पुराना प्रेमप्रसंग याद आता है. तभी मैं ऐसे गाने सुनता हूं और फिर घरपरिवार की जिम्मेदारियों में कुछ सुननेपढ़ने का समय ही कहां मिलता है?’’ विदित ने उदासी भरे स्वर में कहा.

‘‘आप की पत्नी से बनती नहीं है क्या?’’ सुहानी ने पूछा.

‘‘नहीं, ऐसा नहीं है. पहले सब ठीक था, लेकिन अब वह मां पहले है, पत्नी बाद में. मैं ने पिछली बार जिक्र किया था अकेले सोने के विषय में. बच्चे मां के बिना नहीं सोते. दोनों बच्चे मां के अगलबगल लिपट कर सोते हैं. पत्नी दिन भर घर के कामकाज और दोनों बच्चों की जिम्मेदारियां संभालते हुए इतनी थक जाती है कि सोते ही गहरी निद्रा में चली जाती है.

‘‘एकदो बार मैं ने उस से प्रणय निवेदन भी किया, तो पत्नी का जवाब था कि अब मैं 2 बच्चों की मां हूं, बच्चों को छोड़ कर आप के पास आना ठीक नहीं लगता. बच्चे जाग गए तो क्या असर पड़ेगा उन पर? आप दूसरे कमरे में सोइए. आप कहेंगे तो मैं बच्चों को सुला कर थोड़ी देर के लिए आ जाऊंगी. वह आई भी थकीहारी तो बस मुरदे की तरह पड़ी रही. उस ने कहा जो करना है, जल्दीजल्दी करो. शारीरिक संबंध पूर्ण होते ही वह तुरंत बच्चों के पास चली गई. कभीकभी ऐसा भी हुआ कि हम संभोग की मुद्रा में थे, तभी बच्चे जाग गए और वह मुझे धकियाती हुई कपड़े संभालती बच्चों के पास तेजी से चली गई. बस, फिर धीरेधीरे इच्छाएं मरती रहीं. तुम्हें देखा तो इच्छाएं फिर जाग उठीं. एक बात कहूं, बुरा तो नहीं मानोगी?’’

‘‘नहीं, कहो,’’ सुहानी बोली.

‘‘फेसबुक पर जब तुम से बात होने लगी तो मेरे दिलोदिमाग में तुम समा चुकी थीं. एक बार पत्नी को कुछ जबरन सा कमरे में ले कर आया. संबंध बनाए, लेकिन दिलदिमाग में तुम्हारी ही तसवीर थी. अचानक मुंह से तुम्हारा नाम निकल गया.

‘‘पत्नी ने दूसरे दिन समझाते हुए कहा, ‘यह सुहानी कौन है? रात को उसी को याद कर के मेरे साथ संभोग कर रहे थे आप. जमाना अब पहले जैसा नहीं रहा. किसी ऐसीवैसी लड़की के चक्कर में मत फंस जाना, जो संबंध बना कर ब्लेकमैल करे. न मानो तो जेल भिजवा दे. फिर इस परिवार का, इस घर का, बच्चों का क्या होगा? समाज में बदनामी होगी सो अलग. सोचसमझ कर कदम उठाना. मैं पत्नी हूं आप की, मेरा अधिकार तो कोई नहीं छीन सकता, लेकिन अपनी हवस के कारण किसी जंजाल में मत उलझ जाना.’’

‘‘मैं ऐसी नहीं हूं,’’ सुहानी ने कहा. उसे लगा कि विदित उसे सुना कर ये सब कह रहा है.

‘‘अरे… मैं तो तुम्हें सिर्फ पत्नी की बात बता रहा हूं. मुझे तुम पर भरोसा है. हम ने ईमानदारी से अपना सच एकदूसरे को बताया है. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है. क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा है.’’

‘‘आजमा कर देख लो,’’ सुहानी ने दृढ़ स्वर में कहा. लंच टाइम खत्म हो चुका था. उन्हें मजबूरन अपनी बात समाप्त कर के उठना पड़ा. इस वादे के साथ कि वे फिर मिलेंगे. वे फिर मिले. उन की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया. मुलाकातों के स्थान भी बदलने लगे. कभी वे पार्क में टहलते तो कभी किसी रेस्तरां में साथ बैठ कर भोजन करते. कभी साथ मूवी देखते.

‘‘मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. अकेले में जहां हम दोनों के अलावा कोई तीसरा न हो,’’ विदित ने कहा.

‘‘मेरी एक सहेली कंपनी के काम से बाहर गई है. उस के फ्लैट की चाबी मेरे पास है. हम थोड़े समय के लिए वहां जा सकते हैं,’’ सुहानी ने कहा.

‘‘किसी ने हमें देख लिया तो,’’ विदित ने शंका व्यक्त की.

‘‘मैं किसी की परवा नहीं करती,’’ सुहानी ने दृढ़ स्वर में कहा.

‘‘कब चलना है?’’ विदित ने पूछा.

‘‘आज, अभी. 1 घंटे का लंच है. बात करेंगे, चाय पीएंगे और जो कहना है कह लेना.’’ कौफी हाउस से टैक्सी ले कर वे सीधे फ्लैट पर पहुंचे.  सुहानी ने चाय बनाई और विदित को दी. विदित ने सुहानी का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं.’’

‘‘मैं भी.’’ विदित ने सुहानी को अपने शरीर से सटा लिया. दोनों एकदूसरे से लिपटे हुए थे. सांसों में तेजी आ गई थी, विदित ने सुहानी के माथे पर अपने होंठ रख दिए. सुहानी ने स्वयं को विदित को सौंप दिया. दोनों एकदूसरे में समाने का प्रयास करने लगे.            

 – क्रमश:

मीरा नायर की ‘‘क्वींस आफ कटवे’’ 7 अक्टूबर को आएगी

सितंबर माह में ‘‘टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में वर्ल्ड प्रीमियर होने के बाद मीरा नायर की फिल्म ‘‘क्वींस आफ कटवे’’ 7 अक्टूबर को भारत में अंग्रेजी व हिंदी भाषा में प्रदर्शित होगी. दिल को छू लेने वाली यह फिल्म युगांडा की एक सत्यकथा पर आधरित है.

फिल्म ‘‘क्वींस आफ कटवे’’ ग्रामीण युगांडा की सड़कों से उभरी एक दलित लड़की की प्रेरणादाक कथा है. यह एक ऐसी आम युवा लड़की की कहानी है, जिसका जीवन उस वक्त पूरी तरह से बदल जाता है, जब उसका साबका शतरंज के खेल से पड़ता है. उसे अपने परिवार और अपने समाज से ऐसा सहयोग व प्रोत्साहन मिलता है कि उसके अंदर एक अंतरराष्ट्रीय शतंरज चैंपियन बनने का दृढ़ संकल्प पैदा हो जाता है.

‘‘डिजनी’’ निर्मित फिल्म ‘‘क्वींस आफ कटवे’’ में आस्कर विजेता लुपिता नियोंग, गोल्डन ग्लोब के लिए नोमीनेटेड डेविड ओयलोवो के साथ नवोदित अदाकारा मदीना नलवंगा ने अभिनय किया है.

अभिनेता सुरेंद्र पाल को उनके ड्रायवर ने लगाया चूना

‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘सिया के राम’’ में लंकेश रावण के पिता का किरदार निभा रहे अभिनेता सुरेंद्र पाल को लोग पिछले 27 वर्षों से ‘‘महाभारत’’ के द्रोणाचार्य के रूप में पहचानते आए हैं. बौलीवुड व टीवी इंडस्ट्री में सुरेंद्र पाल की गिनती ऐसे कलाकारों में होती है, जो कि कभी विवादों में नहीं रहते और हर कलाकार व तकनीशियन की मदद के लिए तैयार रहते हैं. मगर उनके अपने ड्रायवर मोहन कुमार साव ने ही उन्हे तीस हजार रूपए का चूना लगा दिया.

सूत्रों के अनुसार सुरेंद्र पाल के सेंट्रल बैंक के डेबिट व क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर एटीएम से दस दस हजार कर तीन बार यानी कि कुल तीस हजार रूपए निकाले गए. जब यह घटना तीन बार घट गयी, तो सुरेंद्र पाल ने इसकी शिकायत 20 अगस्त को पुलिस व सायबर सेल से की. वर्सोवा पुलिस स्टेशन, मुंबई के पीएसआई अतुल सनप ने जांच पड़ताल शुरू की और इस चोरी के लिए सुरेंद्र पाल के 28 वर्षीय ड्रायवर मोहन कुमार साव को गिरफ्तार कर उसके पास से तीस हजार रूपए भी बरामद कर लिए.

मोहन कुमार साव पिछले साढ़े तीन वर्षों से सुरेंद्र पाल के साथ काम कर रहा था. मोहन कुमार साव ने पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि जब सुरेंद्र पाल खरीददारी किया करते थे, तो कई बार वह उनके साथ होता था. खरीददारी के बाद डेबिट कार्ड से भुगतान करते समय जब सुरेंद्र पाल अपने कार्ड का पिन नंबर मिलाते थे, तो वह पीछे खड़े रहकर वह नंबर देखता रहता था और उसे यह पिन नंबर याद हो गया था. एक दिन जब सुरेंद्र पाल गाड़ी में अपना सारा सामान उसके भरोसे छोड़कर हेल्थ क्लब चले गए, तो उसने सामान की तलाशी कर डेबिट कार्ड लेकर एटीएम से तीन बार पैसे निकाले. चौथी बार उसने कोशिश की, तो पता चला कि कार्ड ब्लाक हो गया. क्योंकि एक ही दिन एक ही एटीएम से इस कार्ड पर सिर्फ तीन बार ही रकम निकाली जा सकती थी. उसके बाद उसने वह डेबिट कार्ड यथास्थान रख दिया.

मगर मोहन कुमार यह भूल गया था कि एटीएम में लगे कैमरे में उसका चेहरा कैद हो चुका है, जिसकी मदद से पुलिस ने उसे पकड़ा. पुलिस ने मोहन कुमार को दफा 419, 420, 66(क) और 66(ड) के तहत गिरफ्तार किया. जब पुलिस ने मोहन कुमार को मेट्रोपोलीटीन मजिस्ट्रेट की अदालत में 23 अगस्त को पेश किया, तो जज ने उसे चार दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

सोनम का गुस्सा..किससे और क्यों?

19 फरवरी को प्रदर्शित फिल्म ‘‘नीरजा’’ में बेहतरीन परफार्मेंस देने के बावजूद सोनम कपूर के पास एक भी फिल्म नहीं है. यह एक दुखद बात ही है कि एक सफल चर्चित फिल्म ‘नीरजा’ में अभिनय करने के बावजूद सोनम कपूर को किसी फिल्मकार ने अपनी फिल्म का आफर नहीं दिया. आखिरकार सोनम कपूर की बहन रिया कपूर ने फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ बनाने की घोषणा की, जिसमें सोनम कपूर के साथ करीना कपूर व स्वरा भास्कर भी हैं. अब यदि यह बात छपने लगे कि करीना कपूर ने ‘वीरे दी वेडिंग’ छोड़ दी है, तो सोनम को गुस्सा आना स्वाभाविक है.

इस फिल्म पर सवालिया निशान खड़े होने से सोनम के करियर पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है. ऐसे में सोनम का सामने आकर सफाई देना जरुरी बनता है. यही वजह है कि इस तरह की खबरों के छपने के बाद सोनम कपूर ने मुंबई में ‘आई एम सी महिला विभाग’ के एक कार्यक्रम में पितृसत्तात्मक समाज पर हमला बोलते हुए कहा कि, ‘‘जो भी खबरें छप रही हैं. वह गलत है. करीना कपूर ने फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ नहीं छोड़ी है. वह मां बनने के बाद अप्रैल 2017 में हमारी फिल्म की शूटिंग करेंगी.’’

पर सोनम कपूर ने मीडिया को कोसने से पहले यह नहीं सोचा कि करीना कपूर ने मीडिया से जो कुछ कहा, उसी वजह से मीडिया में यह चर्चा शुरू हुई. इसी समारोह में सोनम कपूर ने आगे कहा-‘‘हमारा पितृसत्तात्मक समाज है. हम अभिनेत्रियां, स्पोर्टस वूमन ही नहीं मीडिया में काम करने वाली औरतों को भी अजीब तरह की रूकावटों का सामना करना पड़ता है. लोग हमारा आकलन हम किस तरह से दिखाई देते हैं और हम गर्भवती हैं या नहीं, के आधार पर करते हैं. हमें मुद्दों के आधार पर आंका जाता है. हमें सक्षम या सशक्त औरत के रूप में नहीं देखा जाता. यह माना जाता है कि औरतें बहुत से काम नही कर सकती. यह अन्याय है. पर मैं आशावादी इंसान हूं. मुझे लगता है कि चीजे बेहतर हो जाएंगी. देखिए, अभी ओलंपिक में पी वी सिंधू ने जो कमाल किया है, उसे पूरी दुनिया नमन कर रही है. हम महिलाओं की मदद करते हैं, तो हमारा समाज बेहतर हो सकता है.’’

एक गैर फिल्मी मंच से अपनी फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ को लेकर सोनम ने जो कुछ कहा, यदि उसे सच माना जाए, तो यह तय है कि यदि इस फिल्म में करीना कपूर बनी रहती हैं, तो यह फिल्म अप्रैल 2017 के पहले शुरू नहीं होगी. तो दूसरी तरफ बौलीवुड से जुड़े तमाम लोग रिया कपूर व सोनम कपूर के बयान से सहमत नजर नही आ रहे हैं.

दिलीप ट्रॉफी: बल्लेबाजों पर भारी पड़ी गुलाबी गेंद

दिलीप ट्रॉफी की हिस्ट्री में पहली बार खेले जा रहे डे-नाइट मैच के पहले दिन बॉलर्स का बोलबाला रहा. इंडिया रेड और इंडिया ग्रीन के बीच हो रहे मैच के पहले दिन कुल 17 विकेट गिरे. ऐसा लगा जैसे बैट्समैन पिंक बॉल का सामना करने में कम्फर्ट महसूस नहीं कर रहे थे.

इंडिया रेड की टीम बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाई और 161 रन पर ढेर हो गई. जवाब में इंडिया ग्रीन की पारी भी लड़खड़ा गई. खेल खत्म होने तक 116 रन जोड़ने में उसने सात विकेट गंवा दिए.

फ्लड लाइट ने कराई किरकिरी

पहली बार पिंक बॉल से चैलेंजर्स ट्रॉफी फॉर्मेट में खेली जा रही दिलीप ट्रॉफी में तीन टीमें हिस्सा ले रही हैं. इससे पहले देश के पांचों जोनों की टीमें हिस्सा लेती रही हैं. यह पहला मौका है जब यह टूर्नामेंट फ्लड लाइट्स के बीच खेला जा रहा है.

मैच के ऑर्गनाइजर्स को उस बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब मैच के दौरान दो बार फ्लड लाइट बंद हो गई. मैच शुरू होने से पहले ही फ्लड लाइट ने धोखा दे दिया, जिसकी वजह से मैच करीब 17 मिनट की देरी से शुरू हुआ.

डिनर ब्रेक के बाद मैच करीब सात बजे शुरू होना था लेकिन फ्लड लाइट के बल्ब ही खराब हो गए. इन्हें दोबारा ठीक किया गया. इस बारे में यूपी क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) के एक अधिकारी ने कहा "बिजली ट्रिप कर गई थी जिससे समस्या हुई और मैच में कुछ देरी हुई."

मैच के बीच में दो बार फ्लड लाइट बंद होने के कारण रात नौ बजे खत्म होने वाला मैच रात साढ़े दस बजे तक चला.

पहले दिन बॉलर्स का रहा बोलबाला

इंडिया रेड के कप्तान युवराज सिंह ने टॉस जीता और पहले बैटिंग करने का फैसला किया. मुकुंद (77 रन) के अलावा अनुरीत (32) और ईश्वर पांडे (17) बेस्ट स्कोरर रहे.

कप्तान युवराज ने निराश किया और वे 9 बॉल पर एक चौका लगाकर चार रन ही बना सके. वहीं टीम के केवल चार बैट्समैन ही डबल डिजिट तक पहुंच सके. पहले ही दिन 17 विकेट गिरे.

इंडिया ग्रीन के लिए सौरभ तिवारी 27 और अशोक डिंडा 8 रन बनाकर क्रीज पर हैं. पहले दिन इंडिया ग्रीन के लिए संदीप शर्मा ने 4, प्रज्ञान ओझा ने 3 और अंकित राजपूत ने 2 विकेट लिए.

वहीं इंडिया रेड के लिए नत्थू सिंह, कुलदीप यादव ने 3-3 विकेट झटके.

कब हुआ था पिंक बॉल से पहला मैच

इंटरनेशनल क्रिकेट में पहला डे-नाइट टेस्ट मैच 27 नवंबर 2015 से ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड ओवल मैदान पर खेला गया था. यह मैच ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के बीच हुआ था. इसमें ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को तीन विकेट से हराया था.

भारत में कब हुआ पहली बार इस्तेमाल

इस साल जून में सुपर लीग के फाइनल के दौरान ईडन गार्डन मैदान भारत में पहली बार पिंक बॉल से कोई टेस्ट मैच खेला गया. इस मैच में मोहन बागान और भवानीपुर क्लब के बीच मुकाबला हुआ था.

इस साल भारत भी खेलेगा पिंक बॉल से पहला डे-नाइट टेस्ट

क्रिकेट मैचों के दौरान स्टेडियम में लगातार कम हो रही दर्शक संख्या को देखते हुए बीसीसीआई ने अब टेस्ट मैच को भी डे-नाइट कराने का फैसला किया है. इस साल अप्रैल में मुंबई में हुई बीसीसीआई की बैठक में इस बारे में फैसला लिया गया था.

टीम इंडिया इस साल अक्टूबर में न्यूजीलैंड टीम के इंडिया दौड़े के वक्त एक डे-नाइट टेस्ट मैच खेलेगी. इंडिया-न्यूजीलैंड के बीच होने वाले इसी टेस्ट मैच की रिहर्सल दिलीप ट्रॉफी के दौरान की जा रही है. रिहर्सल करने का मकसद आर्टिफिशल लाइट्स में पिंक बॉल के बिहैवियर को चेक करना है.

अब वेंडिंग मशीन से मिलेंगी दवायें

आम आदमी मोहल्‍ला क्लिनिक पर अब मेडिसिन ऑटोमेटेड वेंडिंग मशीन (एमवीएम) से दवाएं मिलेंगी. राजेंद्रनगर स्थित मोहल्‍ला क्लिनिक देश की पहली एमवीएम का उद्घाटन किया गया. इस मशीन से 50 तरह की प्रेसक्‍्राइब्‍ड दवाएं प्राप्‍त की जा सकेंगी, टेबलेट से लेकर बोतल तक शामिल हैं. इसे डवलेप करने वाली संस्‍था का दावा है कि देश में यह इस तरह की पहली मशीन है.

9 और मोहल्‍ला क्लिनिक पर लगेंगी मशीनें

मशीन का उद्घाटन यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसऐड) इंडिया मिशन डायरेक्‍टर एम्‍बेसेडर जोनाथन एडल्‍टन और एएएमसी की प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर डॉ. नूतन मुंदेजा ने किया. इस मौके पर वाधवानी इनीसिएटीव फॉर सस्‍टेनेबल हेल्‍थकेयर(विश) के फाउंडर सुनील वाधवानी भी मौजूद रहे. यूएसऐड और विश ने ही स्‍केल प्रोजेक्‍ट के तहत इस वेंडिंग मशीन को भेंट किया है. इस तरह की वेंडिंग मशीन 9 और आम आदमी मोहल्‍ला क्लिनिक पर लगाई जाएंगी. बता दें कि एएएमसी दिल्‍ली सरकार की पहल पर शुरू किए गए हैं जिनकी संख्‍या इस समय 100 हो गई है.

सेंसर टेक्‍नोलॉजी पर काम करेगी मशीन

एमवीएम को विश संस्‍था और टेली चिकित्‍सा ने मिलकर डेवलप किया है. यह दवाओं को डिस्‍पेंस करने में सेंसर तकनीक पर काम करेगी. जो कि डॉक्‍टर द्वारा प्रेसक्रिप्‍शन पर आधारित होगी. इस मौके पर डॉ. नूतन ने कहा कि इस तरह की मशीन की शुरूआत से यह समझा जा सकता है कि अब कितनी आसानी से और माडर्न तकनीक से दवाओं को प्राप्‍त किया जा सकेगा. यूएसऐड जोनाथन एडेल्‍टन ने कहा कि  संस्‍‍था कई सालों से भारत सरकार के साथ काम करके मेडिकल सेवाओं को आसान करने में लगा हुआ है. विश के फाउंडर सुनील वाधवानी ने कहा कि इस मशीन से कई बातें आसान हो जाएंगी मसलन एएएमसी में फुल टाईम फार्मासिस्‍ट की भी जरूरत नहीं होगी.

भारत को पछाड़ पाक बना नम्बर 1

पाकिस्तान पहली बार टेस्ट रैकिंग में नंबर एक पर पहुंचा है. इससे पहले उसकी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नंबर दो की थी जो उसने हाल के दिनों के अलावा नवंबर 2015 में यूएई में इंग्लैंड पर 2-0 से जीत के बाद हासिल की थी. वैसे पाकिस्तान को शीर्ष पर बने रहने के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करना होगा. वैसे भी इस साल नंबर वन की रैंकिंग इधर से उधर होती रही है.

पाकिस्तान टेस्ट रैंकिंग में टॉप पोजिशन हासिल कर दुनिया की बेस्ट टेस्ट क्रिकेट टीम बन गई है. साल 2014 से टीम के कुछ बेहतरीन प्रदर्शन के चलते पाकिस्तान को यह मुकाम हासिल हो सका है. पाक ने छह सीरीज खेलीं, जिसमें से उसने 4 सीरीज अपने नाम कीं. पिछले 17 टेस्ट मैचों में से महज 4 में हार कर उसने 10 मैचों में जीत दर्ज की है, जबकि तीन मैच ड्रॉ कराने में सफल रहा.

पाकिस्तान ने इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला 2-2 से बराबर की थी. उसे श्रीलंका की ऑस्ट्रेलिया पर जीत से फायदा मिला और वह 111 अंक लेकर दूसरे स्थान पर पहुंच गया. भारत ने वेस्ट इंडीज को सेंट लूसिया टेस्ट मैच में हराया और वह नंबर एक पर पहुंच गया. चौथे टेस्ट मैच से पूर्व भारत के 112 अंक थे, लेकिन यह मैच ड्रॉ होने से उसके 110 अंक रह गए और वह दूसरे स्थान पर खिसक गया.

कौन से थे ये 10 बेहतरीन मैच जिसने पाक को अव्वल बनाया

विपक्षी टीम: ऑस्ट्रेलिया

जुल्फिकार बाबर का कमाल

साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए इस मैच में यूं तो यूनुस खान ही छाए रहे जिन्होंने दोनों ही पारियों में शतक ठोंका. हालांकि ऑस्ट्रेलिया की तरफ से डेविड वॉर्नर ने भी बेहतरीन जवाब देते हुए अपना शतक पूरा किया, लेकिन जुल्फिकार बाबर के बेहतरीन प्रदर्शन ने इस पूरे मैच का रुख ही पलट कर रख दिया.

जुल्फिकार ने दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया के पांच विकेट चटका दिए और पाकिस्तान यह मैच 221 रन के बड़े अंतर से जीत गया.

विपक्षी टीम: ऑस्ट्रेलिया

मिस्बाह का शानदार प्रदर्शन

साल 2014 में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में पाकिस्तान का प्रदर्शन वाकई काबिले तारीफ था. सीरीज के दूसरे मैच में भी यूं तो वही चेहरे खास रहे जिन्होंने पहले मैच में अपनी धाक जमाई थी, फिर चाहे वह जुल्फिकार बाबर हों जिन्होंने इस मैच में भी पांच विकेट चटकाए, या फिर युनुस खान जिन्होंने एक बार फिर शतक ठोंक दिया.

लेकिन यह मैच मिस्बाह के शानदार प्रदर्शन के लिए याद किया जाएगा, जिन्होंने 56 गेंदों पर शतक ठोंक कर विवियन रिचर्ड्स के रेकॉर्ड की बराबरी कर ली. मिस्बाह ने दूसरी पारी में भी शतक (नाबाद 101 रन) जमाया. पाकिस्तान यह मैच 356 रन से जीता.

विपक्षी टीम: न्यूजीलैण्ड

अहमद शहजाद का धांसू शतक

ऑस्ट्रेलिया को धराशायी करने के बाद अब अगला नंबर न्यूजीलैण्ड का था. तीन मैचों की सीरीज के पहले मैच में अहमद शहजाद के शानदार 176 रन की बदौलत पाकिस्तान ने न्यूजीलैण्ड को 248 रनो के अंतर से मात दे दी.

हालांकि इसमें राहत अली की भी बड़ी भूमिका रही, जिन्होंने कुल छह विकेट चटकाए.

विपक्षी टीम: बांग्लादेश

अजहर अली का दोहरा शतक

ढाका में खेले गए इस मैच में अजहर अली ने 428 गेंदों पर 20 चौकों और दो छक्कों की मदद से शानदार 226 रन बनाए थे. दो मैचों की सीरीज के इस दूसरे मैच में पाकिस्तान ने 328 रनों के विशाल अंतर से जीत दर्ज की थी.

विपक्षी टीम: श्रीलंका

यासिर शाह का कमाल

पिछले दस सालों के भीतर पाकिस्तान की श्रीलंका में यह पहली टेस्ट जीत थी. सरफराज अहमद के 96 और असद शफीक के शतक की बदौलत टीम ने 117 रनों की लीड ले रखी थी.

हालांकि यह कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं है, लेकिन पाकिस्तान के लेग स्पिनर यासिर शाह की फिरकी में श्रीलंकाई बैट्समैन फंसते चले गए और इस अंतर को पाट नहीं सके. शाह ने इस मैच में कुल 76 रन देकर 7 विकेट चटकाए थे.

विपक्षी टीम: श्रीलंका

युनुस खान एक बार उभरे

पाकिस्तान के टेस्ट क्रिकेट इतिहास में घरेलू मैदान से बाहर यह शायद सबसे बड़ा चेज था, जो कि युनुस खान के शानदार 173 रनों की बदौलत मुमकिन हो सका. युनुस ने 18 बाउंड्री की बदौलत 271 गेंदों पर यह स्कोर बनाया था.

पाकिस्तान ने न सिर्फ इस मैच में जीत दर्ज की, बल्कि सीरीज में 2-1 से अपने नाम कर ली.

विपक्षी टीम: इंग्लैण्ड

मिस्बाह का उम्दा परफॉर्मेंस

मिस्बाह उल हक की बेहतरीन बल्लेबाजी की बदौलत पाकिस्तान ने इंग्लैण्ड के खिलाफ 491 रनों का पहाड़ सा स्कोर खड़ा कर दिया, जिसके जवाब में पांचवें दिन तक इंग्लैण्ड 178 रनों के अंतर से पीछे रह गया.

मिस्बाह ने पहली इनिंग्स में 102 जबकि दूसरी में 87 रनों की उम्दा पारी खेली.

विपक्षी टीम: इंग्लैण्ड

हफीज का बेहतरीन 151

पाकिस्तान के शारजाह में खेले गए दो मैचों की सीरीज के दूसरे मैच में हफीज ने शानदार 151 रनों की पारी खेली थी. इस मैच को जीतने के साथ ही पाकिस्तान ने यह सीरीज 2-0 से अपने नाम कर ली थी.

विपक्षी टीम: इंग्लैण्ड

लॉर्ड्स में यासिर का कमाल

एक बार फिर यासिर शाह ने पाकिस्तान को जीत का गौरव दिलाया. एशिया के बाहर खेले गए मैचों में यह उनका पहला निर्णायक प्रदर्शन था, जिसमें उन्होंने 10 विकेट चटकाए.

लगभग हाथ से निकल चुके इस मैच में पाकिस्तान की इस जीत ने क्रिकेट प्रेमियों को वाकई चौंका दिया था.

विपक्षी टीम: इंग्लैण्ड

युनुस के शानदार 218 रन

टेस्ट मैचों में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे युनुस खान पर ऐसा लगता था कि उम्र का कोई असर ही नहीं है. उन्होंने एक बार फिर बेहतरीन बैटिंग का मुजायरा करते हुए पाकिस्तान की डूबती नैया को पार लगा दिया.

31 चौकों और 4 छक्कों की मदद से उन्होंने 308 गेंदों पर अपना छठा दोहरा शतक पूरा किया. युनुस ने 218 रन बनाए थे. हालांकि यह मैच ड्रॉ रहा, लेकिन इससे पाकिस्तान की हार का खतरा टल गया.

अखिलेश यादव का भाजपा पर पलटवार

भाजपा सहित दूसरे दल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अधूरा मुख्यमंत्री कहते आरोप लगाते थे कि प्रदेश में पांच और साढे पांच मुख्यमंत्री काम करते है. भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक इस तरह के बयान मंच से दे चुके है. अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर पलटवार करते कहा है कि भाजपा में हिम्मत है तो वह अपने एक मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी का नाम घोषित कर चुनाव मैदान में उतरे. अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा बाते बनाने में माहिर है यह लोग धर्म के नाम पर सबको लड़ाने का काम करते हैं. भाजपा विकास के नाम पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के लोग कहते थे कि उत्तर प्रदेश में पांच और साढे पांच मुख्यमंत्री काम करते हैं. मेरा जबाव है कि वह चुनाव में अपने एक मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर मुकाबला करे. उनको सच्चाई पता चल जायेगी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा आरोप लगाती थी कि मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की स्टेयरिग मेरे हाथ में नहीं है. सोचों की जब मैं अनुभवी नहीं था तब प्रदेश का इतना विकास कर दिया. अब तो मुझे प्रदेश सरकार चलाने का अनुभव हो गया है. अब मैं कितना अच्छा काम कर सकता हूं.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा मेरी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. चुनाव में जो वादा किया वो पूरा किया. भाजपा बताये कि उसने लोकसभा चुनाव में जो वादे किये उसमें से कितने पूरे किये. भाजपा विकास की बात करती है और काम लड़ाने का करती है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सरकार के कामकाज पर चुनाव लड़ना चाहते है. वह चाहते है कि लोग उनके कामकाज को समझे और उस पर वोट दे.

अखिलेश यादव ने भाजपा की कमजोर नस पर दबाव बढ़ा दिया है. भाजपा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा से बचना चाहती है. भाजपा में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम को लेकर गुटबाजी चल रही है. कई नेता अपने अपने नाम को आगे लाना चाहते हैं. ऐसे में भाजपा इस विवाद को चुनावों तक टालना चाहती है. केन्द्र से लेकर प्रदेश स्तर तक भाजपा के कई नेताओं के नाम चलते हैं, बंद होते रहे हैं. अब अखिलेश यादव भाजपा की कमजोर नस को दबाना चाहते हैं. जिससे भाजपा में फैली गुटबाजी सामने आ सके.

भाजपा कई प्रदेशों में अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा कर चुकी है. उसमें बहुत सारे परिणाम उसके हक में नहीं रहे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में वह अपनी रणनीति साफ नहीं कर पा रही कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी का नाम घोषित करे या नहीं. अखिलेश भाजपा की इस उहापोह का लाभ लेना चाहते हैं. अब देखना है कि भाजपा इसका जवाब कैसे और कब देती है?  

करीना कपूर नहीं करेंगी ‘वीरे दी वेडिंग’

आखिरकार ‘सरिता’ की ही खबर सच साबित होने वाली है. 4 जुलाई को ‘‘सरिता’’ ने इसी जगह ‘‘करीना कपूर और ऐश्वर्या रायः एक ही पथ के राही’’ शीर्षक के तहत अपने पाठकों को बताया था कि करीना कपूर का करियर किस तरह ऐश्वर्या राय के ही पद चिन्हों पर चल रहा है. हमने इस लेख में यह भी लिखा था कि करीना कपूर और फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ की निर्माता रिया कपूर के आश्वस्त करने के बावजूद फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ में करीना कपूर के अभिनय करने की कोई संभावनाएं नहीं हैं. और लगभग दो माह पहले लिखी गयी हमारी बात सच साबित हो रही है. अब यह  लगभग साफ हो चुका है कि फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ से करीना कपूर बाहर हो चुकी हैं. मगर बौलीवुड के सूत्रों के अनुसार कुछ निजी मजबूरियों के चलते रिया कपूर इसे स्वीकार नहीं कर रही हैं.

वास्तव में दिसंबर माह में करीना कपूर मां बनने वाली हैं. इसी के चलते अब उनका शरीर इस बात को खुलेआम बताने लगा है. इसे अब किसी तरह से भी छिपाना संभव नहीं है, और कैमरे की आंख तो आम इंसानों की आंख से कई गुना ज्यादा तेज होती है. इसी के चलते करीना कपूर के अति नजदीकी सूत्र दावा कर रहे हैं कि करीना कपूर ने स्वयं फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ की निर्माता से कह दिया है कि वह उनकी फिल्म नहीं कर पाएंगी. और वह अपनी फिल्म के लिए उनकी जगह दूसरी अभिनेत्री की तलाश कर लें. वैसे करीना कपूर ने यह भी साफ कर दिया है कि वह रोहित शेट्टी की फिल्म ‘‘गोलमाल 4’’ में स्पेशल गाना नहीं कर रही हैं, जैसा कि रोहित शेट्टी की तरफ से दावा किया जा रहा है.

यूं तो करीना कपूर भी अभी खुलकर कुछ नहीं कह रही हैं. लेकिन हाल ही में एक इंवेंट के दौरान करीना कपूर ने जो कुछ कहा, उसके मायने तो यही निकलते हैं. वास्तव में दो दिन पहले एक इंवेंट में जब पत्रकारों ने करीना कपूर से फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ को लेकर सवाल किया, तो करीना कपूर ने कहा- ‘‘फिल्म को लेकर अभी हम लोग काम कर रहे हैं. मैं तब काम करना शुरू करुंगी, जब मैं खुद को बेहतर महसूस करुंगी. वैसे मैं एक काम काजी औरत की तरह काम करती रहूंगी. मैं चाहे जो काम करुं, मगर मैं कुछ भी छिपाने का प्रयास नहीं करुंगी. क्योंकि मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है. मैं जिस तरह दिखाई दे रही हूं, उसी रूप में फिल्मकार मुझे अपनी फिल्म में दिखाना चाहें, तो ठीक है.’’

करीना कपूर के नजदीकी सूत्रों का दावा है कि अभी भी करीना कपूर सुबह थकान महसूस करती हैं. कुछ दिनों बाद उनके लिए बिस्तर से उठना भी समस्या होगी. इसके अलावा करीना को लगता है कि जब फिल्म की शूटिंग शुरू होगी, तब शायद वह खुद को पूरी तरह से स्वस्थ महसूस न कर सकें. इसी के चलते करीना कपूर ने रिया कपूर से बात करके बता दिया है कि वह ‘वीरे दी वेडिंग’ नहीं कर पाएंगी. करीना कपूर अपनी तरफ से फिल्म की निर्माता को अंधेरे में नहीं रखना चाहतीं. 

जी हां! जून माह के अंतिम दिनों में जब करीना कपूर के गर्भवती होने की खबर उजागर हुई थी, तब फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ की निर्माता रिया कपूर ने दावा किया था कि उनकी फिल्म ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ की शूटिंग अगस्त माह के प्रथम सप्ताह से शुरू होगी और अगस्त माह में करीना कपूर की शूटिंग पूरी हो जाएगी. जी हां! ‘‘वीरे दी वेडिंग’’ की शूटिंग अगस्त माह में बैंकाक में होनी थी. लेकिन अगस्त माह खत्म होने जा रहा है और इस फिल्म की शूटिंग के शुरू होने की कोई संभावनाएं नजर नहीं आ रही है. रिया के अति नजदीकी सूत्रों की माने तो अभी तक इस फिल्म की पटकथा का ही काम पूरा नहीं हुआ और इस फिल्म की शूटिंग अक्टूबर माह से पहले शुरू होने की संभावनाएं नहीं है. ऐसे हालात में सभी अंदाजा लगा सकते हैं कि करीना कपूर अक्टूबर माह में कैसे शूटिंग करेंगी. शायद इसी के चलते करीना कपूर ने स्वयं खुद को इस फिल्म से अलग करने का फैसला लिया है.

मगर रिया कपूर कहती हैं-‘‘जो भी चर्चाएं हो रही हैं, वह गलत है. करीना कपूर हमारी फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ का हिस्सा हैं. हम करीना कपूर के साथ अक्टूबर माह में कुछ दिन शूटिंग करेंगे. बाकी शूटिंग हम 2017 में करेंगे.’’

चलिए, न घोड़ा दूर न मैदान..बहुत जल्द सच सामने आ ही जाएगा..

तिरंगे पर भारी लघु शंका

भारतीय जनता पार्टी की तिरंगा यात्रा देश भर मे अपने देश प्रेम की वजह से कम बल्कि तिरंगे के अपमान के चलते ज्यादा चर्चाओं में बनी हुई है. एक मंत्री ने मोटर साइकल पर बिना हेलमेट पहने तिरंगा यात्रा मे शिरकत की, इस पर बवाल अभी थमा नहीं था कि मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले की बिजावर तहसील मे तिरंगा यात्रा के दौरान एक भाजपा नेता पवन जैन का देश प्रेम पेट के दबाव के आगे छू हो गया और वे तिरंगा हाथ मे पकड़े ही सड़क किनारे पेट हल्का करने खड़े हो गये.

इन नेता जी को राजनीति का अभी इतना तजुर्बा नहीं है कि इसमे खतरा विरोधियों से कम अपने वालों से ही ज्यादा रहता है. इनके साथियों ने यह प्राकृतिक क्रिया न केवल केमरे मे कैद की बल्कि उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया. अब कांग्रेसी हल्ला मचा रहे हैं कि हाथ मे तिरंगा लेकर सरेआम पेशाब करने वाले इस नेता के खिलाफ कार्रवाई की जाये.

मामला दिलचस्प होने के साथ साथ गम्भीर भी है, जिसे लेकर अब ये नेता जी दिक्कत मे पड़ गये हैं कि क्या करें. बेहतर होता अगर भाजपा इस यात्रा की योजना बनाते वक्त अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देती कि वे कम खाकर और कम पीकर इसमे शामिल हों और इस पर भी बर्दाश्त न हो तो हाजत पर जाने के पहले झंडा किसी साथी को पकड़ा जायें.

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