भाजपा सहित दूसरे दल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अधूरा मुख्यमंत्री कहते आरोप लगाते थे कि प्रदेश में पांच और साढे पांच मुख्यमंत्री काम करते है. भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तक इस तरह के बयान मंच से दे चुके है. अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भाजपा पर पलटवार करते कहा है कि भाजपा में हिम्मत है तो वह अपने एक मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी का नाम घोषित कर चुनाव मैदान में उतरे. अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा बाते बनाने में माहिर है यह लोग धर्म के नाम पर सबको लड़ाने का काम करते हैं. भाजपा विकास के नाम पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा के लोग कहते थे कि उत्तर प्रदेश में पांच और साढे पांच मुख्यमंत्री काम करते हैं. मेरा जबाव है कि वह चुनाव में अपने एक मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा कर मुकाबला करे. उनको सच्चाई पता चल जायेगी. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा आरोप लगाती थी कि मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की स्टेयरिग मेरे हाथ में नहीं है. सोचों की जब मैं अनुभवी नहीं था तब प्रदेश का इतना विकास कर दिया. अब तो मुझे प्रदेश सरकार चलाने का अनुभव हो गया है. अब मैं कितना अच्छा काम कर सकता हूं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा मेरी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. चुनाव में जो वादा किया वो पूरा किया. भाजपा बताये कि उसने लोकसभा चुनाव में जो वादे किये उसमें से कितने पूरे किये. भाजपा विकास की बात करती है और काम लड़ाने का करती है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी सरकार के कामकाज पर चुनाव लड़ना चाहते है. वह चाहते है कि लोग उनके कामकाज को समझे और उस पर वोट दे.
अखिलेश यादव ने भाजपा की कमजोर नस पर दबाव बढ़ा दिया है. भाजपा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा से बचना चाहती है. भाजपा में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम को लेकर गुटबाजी चल रही है. कई नेता अपने अपने नाम को आगे लाना चाहते हैं. ऐसे में भाजपा इस विवाद को चुनावों तक टालना चाहती है. केन्द्र से लेकर प्रदेश स्तर तक भाजपा के कई नेताओं के नाम चलते हैं, बंद होते रहे हैं. अब अखिलेश यादव भाजपा की कमजोर नस को दबाना चाहते हैं. जिससे भाजपा में फैली गुटबाजी सामने आ सके.
भाजपा कई प्रदेशों में अपने मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी की घोषणा कर चुकी है. उसमें बहुत सारे परिणाम उसके हक में नहीं रहे हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में वह अपनी रणनीति साफ नहीं कर पा रही कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी का नाम घोषित करे या नहीं. अखिलेश भाजपा की इस उहापोह का लाभ लेना चाहते हैं. अब देखना है कि भाजपा इसका जवाब कैसे और कब देती है?