Download App

ये ऐप हैं आपके स्मार्टफोन की बैटरी के लिए खतरनाक

आज के समय में हर हाथ में एक स्मार्टफोन जरूर मिल जाएगा. स्मार्टफोन की बैटरी का जल्दी खत्म हो जाना यूजर्स के लिए हमेशा ही बड़ी परेशानी रही है. आज हम आपको ऐसे ऐप्स के बारे में बता रहे हैं जो जाने अनजाने आप अपने स्मार्टफोन में रखते हैं और इससे आपके स्मार्टफोन को काफी नुकसान पहुंचता है. अगर आप इस सबसे बचना चाहते हैं तो अपने फोन पर नजर दौड़ाएं और अगर इनमें से कोई ऐप आपके फोन में है तो जल्द से जल्द उसे अनइंस्टॉल कर दें .

बैटरी सेवर या रैम क्लीनिंग ऐप

इस लिस्ट का सबसे पहला ऐप बैटरी सेवर या रैम क्लीनिंग ऐप है, ये वो ऐप है जो तब भी आपके फोन में चलता रहता है जब आप फोन पर कोई काम नहीं कर रहे होते हैं.

फेसबुक ऐप

एक ऐप जो तकरीबन हम सभी के फोन में होगा वो है फेसबुक का ऐप. ये सबसे ज्यादा पॉपुलर स्मार्टफोन ऐप तो है, पर साथ ही साथ ये सबसे ज्यादा बैटरी लेने वाले ऐप्स में से भी एक है.

एंटी वायरस ऐप्स

एंटी वायरस ऐप्स सुरक्षा की नजर से तो अच्छे होते हैं, कुछ एंटी वायरस ऐप्स जैसे कि बैटरी सेवर या रैम मैनेजमेंट ऐप समय-समय पर फोन में चलते रहते हैं और स्मार्टफोन को स्कैन करने के अलावा पोटेंशियल थ्रेट से भी बचाते हैं पर इनसे बैटरी भी ज्यादा खर्च होती है.

फोटो एडिटिंग ऐप

अगर आप फोटो के शौकीन हैं और हर वक्त फोटो लेते हैं उनको एडिट करते हैं और सोशल माडिया पर भी शेयर करते हैं तो इनके ऐप्स भी काफी बैटरी खर्च करने वाले होते हैं. ये भी आपके फोन की बैटरी लाइफ को कम करते हैं. कोशिश करें कि ऐसे ऐप ना रखें.

एक्स्ट्रा ब्राउजर ऐप्स

आप डिफॉल्ट ब्राउजर ऐप्स के अलावा इंस्टॉल किये गये एक्स्ट्रा ब्राउजर ऐप्स को हटा सकते हैं ये आपके फोन के लिए काफी हद तक बेहतर साबित हो सकता है.

गेमिंग ऐप्स

इन सबके अलावा गेमिंग ऐप्स जैसे कि हाल ही में खासा लोकप्रिय रहा पोकेमोन गो जैसे गेम भी काफी हद तक फोन की बैटरी लाइफ को कम करते हैं, इसलिए इन्हें अनइंस्टॉल किया जाना ही सही होता है.

वॉट्सऐप पर हैं Block, तो ऐसे करें खुद को Unblock

आज के समय में वॉट्सऐप का बहुत अधिक चलन हैं. इसके बिना तो कोई किसी का कोई काम होता ही न हो जैसे. कई बार ऐसा होता हैं कि हमे कोई पहचान का व्यक्ति या दोस्त अपने वॉट्सऐप में हमें ब्लॉक कर देता है. जिसके कारण हम अच्छा खासा-परेशान हो जाते हैं. साथ ही उस दोस्त से न जाने कितनी मिन्नतें करते है. फिर भी वह अनब्लॉक नहीं करता हैं.

अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है, तो परेशान होने की जरुरत नहीं. हम आपको ऐसे ट्रिक के बारे में बता रहे है. जिससे आप आसानी से खुद को अनब्लॉक कर सकते हैं. जानिए इस ट्रिक के बारें में.

ऐसे जाने कि कहीं आप ब्लॉक तो नहीं

– अगर आपने किसी को वॉट्सऐप में मैसेज किया है और वह सेंट का एक क्लिक दिख रहा है, तो समझ जाए आप ब्लॉक हैं.

– इसके अलावा अगर आप ब्लॉक है, तो उसकी प्रोफाइल पिक्चर, लास्ट सीन और कोई मैसेज नहीं भेज पा रहे है. तो आप ब्लॉक है.

ऐसे करें खुद को अनब्लॉक

– अगर आप खुद को किसी के वॉट्सऐप में अनब्लॉक करना चाहते है, तो इसके लिए अपने वॉट्सऐप में क्लिक करें.

– इसके बाद सेंटिंग में जाएं.

– सेंटिंग में जाने के बाद डिलीट अकाउंट में जाएं. और क्लिक करें. इसमें वह आपका नंबर पूछेगा.

– इसमें आप अपना नंबर डालकर अकाउंट डिलीट करें. फिर वॉट्सऐप अनइंस्टॉल कर दें.

– अनइंस्टॉल करने के बाद फोन को रिस्टार्ट करें.

– फोन रिस्टार्ट करने के बाद फिर से वॉट्सऐप प्ले स्ट्रोर में जाकर इंस्टॉल करें. और फिर निर्देशन अनुसार लॉग इन करें.

– ऐसा करने से आप खुद अपने दोस्त के फोन से अनब्लॉक हो जाएंगे.

भारत का नाम हुआ अमीर देशों में शुमार

भारत ने दुनिया के 10 शीर्ष धनी देशों में स्थान बनाया है जहां कुल वैयक्तिक संपदा 5,600 अरब डॉलर(लगभग 38 हजार अरब रुपए) की है जबकि सूची में शीर्ष स्थान पर अमेरिका है.

न्यू वर्ल्ड वेल्थ की रिपोर्ट में इस सूची के आधार पर भारत सातवें स्थान पर है और वह कनाडा (4,700 अरब डॉलर), ऑस्ट्रेलिया (4,500 अरब डॉलर) और इटली (4,400 अरब डॉलर) से पहले आता है. इन तीन देशों का स्थान सूची में आठवां, नौवां और 10वां है. कुल वैयक्तिक संपत्ति रखने के संदर्भ में दुनिया में शीर्ष स्थान पर अमेरिका है. अमेरिका में यह संपत्ति 48,900 अरब डॉलर की है. जबकि दूसरे स्थान पर चीन और तीसरे स्थान पर जापान आता है जहां वैयक्तिक संपत्ति क्रमश: 17,400 अरब डॉलर और 15,100 अरब डॉलर की है.

अन्य 10 शीर्ष देशों की सूची में ब्रिटेन चौथे स्थान पर है जिसकी वैयक्तिक संपदा 9,200 अरब डॉलर की है जिसके बाद पांचवें स्थान पर जर्मनी आता है जिसकी वैयक्तिक संपदा 9,100 अरब डॉलर है और छठे स्थान पर फ्रांस आता है जिसकी वैयक्तिक संपदा 6,600 अरब डॉलर की है. दुनिया के 10 धनी देशों में भारत का स्थान व्यापक तौर पर उसकी आबादी के कारण है. ऑस्ट्रेलिया का सूची में स्थान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है कि उसकी आबादी सिर्फ 2.2 करोड़ है.

“पैसा बानाने के चक्कर में बर्बाद हो रहे हैं क्रिकेटर”

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज ग्लेन मैकग्रा का मानना है कि लोकप्रिय टी-20 लीग से कम समय में ज्यादा पैसा मिलने की वजह से दुनियाभर के तेज गेंदबाजों को नुकसान हो रहा है क्योंकि वे शुरुआती सफलता के बाद कड़ी मेहनत नहीं कर रहे हैं.

मैकग्रा ने पीसीए स्टेडियम में अंडर-23 कोचिंग क्लीनिक के बाद कहा, 'मुझे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जो सबसे बड़ा मसला लगता है वह यह है कि वे कितनी कड़ी मेहनत करते हैं. यदि खिलाड़ी आईपीएल या ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश खेलकर थोड़ी सफलता हासिल कर लेते हैं तो उन्हें लगता है कि वे उच्च स्तर को हासिल कर चुके हैं और वे कड़ी मेहनत करना बंद कर देते हैं और बहुत ज्यादा प्रैक्टिस नहीं करते हैं.'

उन्होंने कहा, 'युवा बोलर्स को कड़ी मेहनत करने के लिये तैयार रहना होगा और फिर उन्हें अपनी जगह बरकरार रखने के लिये और कड़ी मेहनत करनी होगी. इसके लिये कोई आसान विकल्प या शॉर्ट कट नहीं है. कई बार मैं देखता हूं कि युवा क्रिकेटर किसी खास स्तर पर पहुंचते हैं तो अचानक ही उन्हें अच्छा पैसा मिलने लगता है और वे मेहनत करना बंद कर देते हैं.'

मैकग्रा ने कहा, 'मेरा मानना है कि पैसे को हमेशा सबसे ज्यादा प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए. यह अच्छा है कि क्रिकेटर अच्छी कमाई कर रहे है लेकिन अगर आपने पैसे को दूसरी श्रेणी में रखा और हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने, उसके लिये जी तोड़ मेहनत करने और खुद को बेस्ट साबित करने पर ध्यान दिया तो पैसा हमेशा आता रहेगा. मेरा मानना है कि हर क्रिकेटर को इस ओर ध्यान होना चाहिए. आपका सबसे बड़ा लक्ष्य अपने देश का प्रतिनिधित्व करना होना चाहिए.'

क्रिकेट बोर्ड अब गुलाबी गेंद से दिन-रात के क्रिकेट मैचों पर विचार कर रहे हैं और मैकग्रा ने कहा कि इससे खेल में नए आयाम जुड़ेंगे. उन्होंने कहा, 'मुझे इससे परहेज नहीं है. टी-20 तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन मेरे लिए टेस्ट क्रिकेट वास्तव में महत्वपूर्ण है.' मैकग्रा ने कहा कि इस तरह के मुकाबलों से बोलर्स और खासकर फास्ट बोलर्स फायदे में रहेंगे.

लेटेस्ट ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट का अपडेट मिलना शुरू

गूगल ने अपने लेटेस्ट ऐंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट (Nougat) को रिलीज कर दिया है. नेक्सस डिवाइसेज को इसका अपडेट मिलना शुरू हो गया है. अब तक इस OS का बीटा वर्जन ही उपलब्ध था. एक अलग बात देखने को यह मिली कि अब तक ऐंड्रॉयड के हर नए वर्जन के साथ गूगल नया नेक्सस डिवाइस लॉन्च करता रहा है, मगर इस बार कोई डिवाइस लॉन्च नहीं किया गया.

ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट का अपडेट सबसे पहले नेक्सस यूजर्स को OTA के जरिए दिया जा रहा है. नेक्सस 5X, नेक्सस 6P, नेक्सस 9, नेक्सस प्लेयर, पिक्सल C टैब और जनरल मोबाइर 4G डिवाइसेज (ऐंड्रॉयड वन) को ओवर द एयर यह अपडेट मिलेगा. यूजर्स को डिवाइस पर अपडेट के बारे में नोटिफिकेशन मिलेगी. इसके अलावा खुद भी सेटिंग्स में जाकर यह देखा जा सकता है कि अपडेट का ऑप्शन आया है या नहीं.

नेक्सस डिवाइसेज के बाद ऑफिशल ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट अपडेट उन यूजर्स को मिलेगा, जो अभी अपने डिवाइसेज पर इसका प्रिव्यू बिल्ड इस्तेमाल कर रहे हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि इसके बाद ऐंड्रॉयड मार्शमैलो वाले स्मार्टफोन के लिए इसे जारी किया जाएगा. फाइनल वर्जन जारी होने जाने के बाद अब स्मार्टफोन कंपनियां 'ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट' पर आधारित स्किन डिवेलप कर सकती हैं.

ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट में मल्टी विंडो सपॉर्ट, बेहतर नोटिफिकेशंस, नंबर ब्लॉकिंग, 72 नए इमोजी और इंप्रूव्ड डोज जैसे फीचर्स डाले गए हैं. एलजी के आने वाले स्मार्टफोन LG V20 को ऐंड्रॉयड 7.0 नॉगट के साथ लॉन्च होने वाला पहला डिवाइस बताया जा रहा था, मगर अब गूगल ने भी अपनी ऐंड्रॉयड वेबसाइट पर डाली एक पोस्ट में इसकी पुष्टि की है.

इसके साथ ही कंपनी अपने ऐंड्रॉयड बीटा प्रोग्राम को उन यूजर्स के लिए जारी रखना चाहती है, जो लेटेस्ट फीचर्स को अन्य यूजर्स से पहले आजमाना चाहते हैं. गूगल के इंजिनियरिंग वीपी डेव बर्क ने ब्लॉग पोस्ट में बताया है कि अब ऐंड्रॉयड के लिए रेग्युलर मेनटेनेंस साइकल के आधार पर अपडेट दिए जाएंगे.

ये अपडेट अगली कुछ महीनों में मिलेंगे और पहले इनका प्रिव्यू वर्जन जारी किया जाएगा. गूगल के मुताबिक सितंबर महीने में पहला अपडेट जारी किया जाएगा. यह नहीं बताया गया है कि इस अपडेट में क्या खास होगा.

रेप के बाद की ये 8 तस्वीरें देखिए, और सोचिए…

आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बलात्कार जैसा अपराध अपने पैर लगातार पसारते जा रहा है. दुनिया के किसी ना किसी कोने से रोज़ सैंकड़ो बलात्कार की ख़बरें सामने आती है. लेकिन हर बलात्कार पर यह कहा जाता है कि गलती जरूर लड़की की ही रही होगी. या फिर कई तुगलकी फरमान सुनने को मिलते हैं जैसे "फास्टफूड खाने से ऐसी घटनाएं बढ़ती हैं" या फिर "रात में बाहर निकलेंगी तो यही तो होगा".

सिर्फ यही नहीं ऐसी कई बातें हैं, जो हर तरफ से लड़कियों पर ही तंज कसते हुए नजर आती हैं. लोग कहते हैं "जरूर लड़की ने छोटे कपड़े पहने होंगे", या "वह जरूर लड़कों के साथ घूमती होगी". ऐसी कई बातें है जिनके दम पर आज समाज हर बलात्कार पर एक महिला को ही दोषी मानने लग गया है.

आज हम आपके लिए लेकर आए हैं समाज के इन्ही तंजो पर सीधे हमला करती हुई फोटोग्राफर याना मजरकेविच (Yana Mazurkevich) की यौन उत्पीड़न पर एक फोटो सीरीज. इसे ना केवल हर तरफ सराहा जा रहा है बल्कि साथ ही इसके असर को भी देखा जा रहा है. इस सीरीज में 8 फोटोज है, जिनमे रेप पीड़िताओं को दिखाया गया है. ये ऐसी फोटोज है जिनमे महिला रेप के लिए खुद को जिम्मेदार बताती दिखाई गई हैं. फोटोज में महिलाएं उनपर हुए रेप के लिए वही बातें कहती दिख रही हैं, जो समाज उनसे कहता है.

लेकिन क्या ये सही है. क्या लोग जो कह रहे है वो सही है….लड़की के कपडे…रात में बाहर निकलना और ऐसे ही कई ताने. क्या यही वे सब वजहें है जिनमे रेप जैसा क्राइम अपने पैर फैला रहा है. या फिर यह समाज की गन्दी मानसिकता का एक उदाहरण है. सोचियेगा जरूर…

फोटो देखने के लिए यहां क्लिक करें

रेप के बाद की ये 8 तस्वीरें देखिए, और सोचिए…

हम उस समाज का हिस्सा हैं जहां बलात्कार हो जाए तो कहा जाता है कि 'लड़कों से गलतियां हो जाती हैं', 'फास्टफूड खाने से ऐसी घटनाएं बढ़ती हैं', 'महिला होते हुए इतना साहसी भी नहीं होना चाहिए', 'रात में बाहर निकलेंगी तो यही तो होगा',  'जरूर छोटे कपड़े पहने होंगे', 'लड़कों के साथ घूमती होगी' और न जाने क्या-क्या. हमारे ही समाज का एक हिस्सा रेप के लिए महिला को ही दोषी मानता है.

समाज की इसी सोच पर चोट करने के लिए फोटोग्राफर याना मजरकेविच (Yana Mazurkevich) ने यौन उत्पीड़न पर एक फोटो सीरीज शूट की है. जिसे हर जगह सराहना मिल रही है. याना ने अपनी तस्वीरों में पीड़िताओं को दिखाया है जो रेप के लिए खुद को जिम्मेदार बताती दिखाई गई हैं.

इस सीरीज में कुल 8 तस्वीरें हैं. जिसमें दिखाया गया है कि पुरुष के हाथों द्वारा  महिलाओं को पीछे से जकड़ा गया है, और महिलाएं उनपर हुए रेप के लिए वही बातें कहती दिख रही हैं, जो समाज उनसे कहता है. समाच का सच दिखाती ये सशक्त तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं.

 

1. मुझे पता होना चाहिए था कि खुद को कैसे बचाना चाहिए

क्या हम उस समाज में रह रहे हैं जहां लड़कियों को सिर्फ ये सिखाया जाता है कि बलात्कार से खुद को कैसे बचाना है?

 

2. मुझे अकेले नहीं घूमना चाहिए था

समाज में सभी को निडर होकर चलने के पूरी आजादी होनी चाहिए.

 

3. मैं शायद ज्यादा फ्रेंडली हो गई थी

हंसकर बातें करने का मतलब ये जरा भी नहीं कि इसमें लड़की की रजामंदी है.

 

4. मेरी गलती थी, मैंने शराब पी थी

शराब पीने का ये मतलब नहीं कि किसी और को बलात्कार करने के लिए छूट मिल गई हो. इसके लिए जिम्मेदार रेप करने वाले हैं.

 

5. मैं अपने बॉयफ्रेंड को ना नहीं कह सकती

हां कहने का ये मतलब नहीं कि उसे रेप करने की आजादी मिल गई.

 

6. मेरी स्कर्ट बहुत छोटी थी

छोटे कपड़े रेप को आमंत्रण नहीं देते. रेप तो उनका भी होता है जो पूरा शरीर ढककर रखते हैं.

 

7. मुझे अपनी ड्रिंक नीचे नहीं रखनी चाहिए थी

अगर कोई तुम्हारे पेय में कुछ मिलाता है तो इसके लिए तुम जिम्मेदार नहीं हो.

 

8. मुझे पता होना चाहिए था कि ऐसा कुछ हो सकता है

तुम्हें सोचना भी क्यों चाहिए कि तुम्हारा रेप हो जाएगा?

विकल्प ढूंढ़ना गलत नहीं

पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू और उन की पत्नी नवजोत कौर का भारतीय जनता पार्टी को छोड़ जाना एक आश्चर्य की बात है. अब तक तो ऐसा लग रहा था कि दलबदल का ट्रैफिक केवल वन वे है, भारतीय जनता पार्टी की ओर. नवजोत सिंह सिद्धू को कुछ अरसा पहले ही खुश करने के लिए राज्य सभा में मनोनीत किया गया था, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया था पर 2014 का अनुभव शायद वे भूले नहीं थे, जिस में उन्हें 10 साल की सेवा के बावजूद अमृतसर की लोक सभा सीट से हटा दिया गया था ताकि अरुण जेटली को चुनाव लड़वाया जा सके. यह बात दूसरी थी कि मोदी लहर में भी अरुण जेटली चुनाव हार गए थे.

नवजोत सिंह सिद्धू अब शायद आम आदमी पार्टी में जाएंगे, जो पंजाब में मुख्यमंत्री पद के लिए एक अच्छा चेहरा ढूंढ़ रही है. अरविंद केजरीवाल को भगवा ब्रिगेड और सोशल मीडिया चाहे जितना बुराभला कहता रहे, कांगे्रस और भारतीय जनता पार्टी भले ही कोसे, थोड़ी समझदार चाहे अनपढ़ व गरीब ही सही, लोगों में आम आदमी पार्टी एक ठीकठाक पर्याय है. पंजाब से आम आदमी पार्टी ने 2014 में 3 सीटें लोक सभा चुनावों में जीती थीं और वहां की जनता कांगे्रस और अकाली भाजपा दोनों से तंग आ गई हो तो बड़ी बात नहीं. आम आदमी पार्टी की तरह नवजोत सिंह सिद्धू सदा आम आदमी ही रहे. क्रिकेटर के रूप में तो वे आम आदमी के लिए ही खेलते थे. कपिल शर्मा के टैलीविजन कौमेडी शो में भी वे आम आदमी से जुड़े रहे हैं और उन में इन दोनों पार्टियों की राजसी बू नहीं घुसी है.

भारतीय जनता पार्टी की लड़खड़ाहट अब साफ दिख रही है. महंगाई पर नियंत्रण नहीं है. देश का विकास कागजों और आंकड़ों में ही हो रहा है. साफसुथरी सड़कों का जाल है पर वह मनमोहन सिंह सरकार की ज्यादा देन है. इन सड़कों के किनारे गरीबी पसरी किसी को भी दिख जाएगी. काले धन को वापस लाने की बात को चुनावी जुमला कह कर उड़ा दिया गया है और यदि वह आ भी जाता तो कौन सा आम आदमी के पास जाता? यहां तो गैस की सब्सिडी भी समाप्त हो गई. टैक्स बढ़ गए हैं. ऐसे में लोगों का पर्याय ढूंढ़ना कोई बड़ी बात नहीं है. जो लोग एक के बाद एक कतार लगा कर भारतीय जनता पार्टी से जुड़े थे, वे सत्ता की मलाई के लिए गए थे, जनता की भलाई के लिए नहीं. अब अगर सारी सत्ता 1-2 हाथों में हो तो कहीं और जाने में हरज क्या है . वैसे भी पिछले राज्यों के चुनावों में असम के अलावा भाजपा कहीं और जीत भी नहीं पाई थी, इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू का आईपीएल -इंडियन पौलिटिकल लीग में कंपनी बदल लेना गलत कैसे कहा जा सकता है?

शक्ति को जैंडर से न जोड़ें

जो यह सोच रहे थे कि सोनिया गांधी का युग समाप्त  हो गया है, उन्हें निराशा हो रही होगी कि पश्चिम बंगाल व बिहार में कुछ सीटें जीतने के बाद सोनिया ने भारतीय जनता पार्टी की सरकारें गिराने की हर संभव कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड और अरुणाचल में अपनी सरकारें बचा लीं. बिहार, बंगाल और इन 2 पहाड़ी राज्यों में कांगे्रस का अंत लगभग लिखा जा चुका था पर सोनिया गांधी ने हिम्मत नहीं हारी. यही हिम्मत उन्होंने 1997 में दिखाई थी, जब सीताराम केसरी से कांग्रेस अध्यक्ष पद छीना और यही हिम्मत 2004 में भी दिखाई जब लोकप्रिय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुकाबला किया. सोनिया ही नहीं, ममता बनर्जी, मायावती, जयललिता भी ऐसी विकट स्थितियों से निकली हैं, बिना किसी खास पुरुष संरक्षण के. जो औरतों को कमजोर समझते हैं उन के लिए ये 4-5 महिला नेता एक सबक हैं कि शक्ति को जैंडर से न जोड़ो, यह व्यक्तित्व का हिस्सा है, यह काफी कुछ गंवा देने के बाद भी हिम्मत न हारना है.

हमारा समाज हमारी औरतों को परतंत्र रहने का पाठ पहले दिन से सिखाता है. यौन रक्षा के नाम पर इस पर हजार बंधन लगा देता है, जो उस के पूरे व्यक्तित्व पर छा जाते हैं. वह अपनेआप में सिकुड़ जाती है, दया की भीख मांगने को मजबूर की जाती है. विफल होना उस का दोष नहीं है पर सजा उसे ही दी जाती है. विवाह न हो तो अपशकुनी मानी जाती है. बच्चे न हों तो पति को नहीं उसे दोषी माना जाता है. ऐसे समय सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, जयललिता, मायावती, हिलेरी क्लिंटन, ऐंजेला मार्केल एक नई ऊर्जा दे रही हैं कि शारीरिक बनावट का व्यक्तित्व से कुछ भी लेनादेना नहीं है. जिन घरों में पत्नी की भी चलती है, वहां अनुशासन रहता है. वहां नए मंसूबे बनते हैं. वहां पतिपत्नी मिल कर जोखिम भरे फैसले ले सकते हैं. विवाह, प्रेम, सैक्स व बच्चों से जुड़े पतिपत्नी एकदूसरे के पूरक हैं, पर केवल तभी जब औरत को हाड़मांस की गुडि़या न समझा जाए.

अरुणाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे विधायकों को मुख्यमंत्री बदल कर सोनिया गांधी ने ऐसा पलटा मारा कि भारतीय जनता पार्टी, जिस ने राज्यपाल के पद का भरपूर दुरुपयोग किया और जिसे सुप्रीम कोर्ट से फटकार भी पड़ी, और भाजपा कानूनी, व्यावहारिक व राजनीतिक मामलों में सोनिया गांधी से बुरी तरह हार गई. सोनिया गांधी ने विद्रोही विधायकों में से एक को मुख्यमंत्री मान लिया. हर औरत को इस तरह की हिम्मत दिखाने की जरूरत है. आज के बदलते परिवेश में औरत को अकेले घर भी चलाना है, काम भी करना है, छोटाबड़ा व्यवसाय भी चलाना है, नापसंद पति से छुटकारा भी पाना ह, तो सौतनों से भी निबटना है. अगर उस में आत्मविश्वास होगा तो सब उस के साथ रहेंगे, उसे आदर देंगे. दया नहीं, भीख नहीं, हक मिलेगा. शास्त्र चाहे कुछ भी कहते रहें, चलेगी तो हिम्मत की. भाजपा और कांगे्रस की लड़ाई ने देश की औरतों को बहुत बड़ा संदेश दिया है.

ताज जीतती युवतियां

विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी फैशन डिजाइनर लिली पुलित्जर ने एक बार कहा था कि हमेशा अपना अदृश्य ताज पहनो. इस बात को हमारे देश की युवतियां सत्य सिद्ध कर रही हैं. हमारे देश की छोटीछोटी किशोरियां भी दर्पण के सामने खड़ी हो कर मिस इंडिया की तरह अपनी भावभंगिमाएं बनाती दिखती हैं, क्योंकि सौंदर्य प्रतियोगिताओं का प्रभाव किशोरियों पर अधिक पड़ता है. देशभर की अनेक युवतियां इस सपने को सच करने का जज्बा महसूस करती हैं. रीता फारिया, जीनत अमान, जूही चावला, ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा से ले कर लारा दत्ता तक इन की लंबी सूची है. इन सभी का प्रादुर्भाव मिस इंडिया से ही हुआ है.

गत 3 वर्ष में देखा गया है कि भारतीय युवतियों ने विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिताओं में जीत के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. 8 सर्वोत्तम भारतीय सुंदरियों ने विश्व स्तर पर कठिन प्रतियोगिताओं में ताज जीते हैं. भूमंडलीकरण व बदलते सामाजिक परिदृश्य में, बीते 10 वर्ष में विभिन्न सौंदर्य प्रतियोगिताएं अस्तित्व में आई हैं. इन प्रतियोगिताओं में भारतीय प्रतियोगियों ने अपनी काबिलीयत व दूरदर्शिता सिद्ध करते हुए इन सभी मंचों पर भारत को स्थायी स्थान दिलाया है. वर्ष 2013 में पूर्वा राणा ने भारत के लिए मिस युनाइटेड कौंटिनैंट में दूसरे स्थान का ताज जीत कर एक नई शुरुआत की. इस से पूर्व मिस वर्ल्ड हैरिटेज 2013 में स्वाति केन ने भी दूसरे स्थान का ताज प्राप्त किया था. 2013 में ही मिस एशिया पैसिफिक का खिताब सृष्टि राणा ने अपने नाम करते हुए सर्वश्रेष्ठ का ताज जीता. 2014 के मिस युनाइटेड कौंटिनैंट्स में दूसरे स्थान का ताज गैल निकोल डि सिल्वा ने अपने सिर बंधवा लिया. आशा भट्ट मिस सुपरनैशनल 2014 का सम्मानजनक खिताब जीतने वाली पहली भारतीय युवती बनीं.

मिस युनाइटेड कौंटिनैंट्स 2015 की प्रतियोगिता में भारत की श्रेया मिश्रा ने तीसरे स्थान का ताज अपने सिर बंधवा लिया, जिस का अनुसरण करते हुए लोक स्वास्थ्य प्रबंधन में परास्नातक वर्तिका सिंह ने ‘मिस ग्रैंड इंटरनैशनल 2015’ में द्वितीय स्थान प्राप्त किया. सौंदर्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कुछ मंचों का गठन हुआ है. मिस इंडिया संगठन ने 2 नई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की स्थापना की है. ये हैं मिस इंडिया, इस की विजेता मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करती है तथा मिस दीवा, इस की विजेता मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करती है. सुपर नैशनल मिस ग्रैंड इंटरनैशनल और मिस युनाइटेड कौंटिनैंट्स प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं.

सैकड़ों से शुरू हुई इन प्रतियोगिताओं में अब प्रतिभागियों की संख्या 10 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है. प्रतिभागी न केवल मैट्रो शहरों की हैं बल्कि दूरदराज के गांवों से भी बढ़चढ़ कर इन प्रतियोगिताओं में भाग ले रही हैं. मंच के व्यवस्थापकों ने बताया कि पिछले दिनों मिस इंडिया बनने का ख्वाब पाले असम के एक दूरस्थ गांव की मुसलिम युवती ने अपना आवेदन भेजा था. पहले चक्र में वजन में भारी होने के कारण जब उस से यह पूछा गया कि क्या तुम्हारे घर के पास कोई व्यायामशाला है तो उस का जवाब था कि मेरे गांव से सब से नजदीकी शहर की दूरी 8 घंटे की है. इसलिए अपनी काया को छरहरा बनाने के लिए किसी व्यायामशाला में तो नहीं जा सकती, लेकिन मैं अपने खेतों में दौड़ लगा कर अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगी. इन प्रतियोगिताओं में डाक्टर, पायलट, डिजाइनर, अर्थशास्त्री, अभियंता व अन्य उच्च शिक्षित युवतियां भी अपनी चुनौती दे रही हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें