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पहली बार ऐसे होगा क्रिकेट सिलेक्टर्स का सेलेक्शन

बीसीसीआई ने सिलेक्टर्स को चुनने की जोनल प्रोसेस खत्म कर दी है. बीसीसीआई के 88 साल के इतिहास में पहली बार अब इंटरव्यू के जरिए सिलेक्टर्स को चुनने का फैसला किया है. पुरुष, महिला और जूनियर सिलेक्शन कमेटी तीनों के लिए इंटरव्यू की प्रोसेस अपनाई जाएगी.

10 सितंबर को इस बारे में एड जारी करने वाले बीसीसीआई ने एप्लीकेशन की आखिरी तारीख 14 सितंबर तय की है.

नहीं मानी लोढ़ा समिति की सारी सिफारिशों…

जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने जोनल सिस्टम को खत्म करने की सिफारिश की थी. बीसीसीआई ने ऐसा तो कर दिया है लेकिन समिति की कई सिफारिशों को नजरअंदाज भी किया है.

लोढ़ा कमेटी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, केवल पूर्व भारतीय टेस्ट खिलाड़ी ही पुरुष और महिला सिलेक्शन कमेटी के लिए योग्य होंगे, बशर्ते उन्होंने कम से कम पांच साल पहले खेल से संन्यास ले लिया हो.

दूसरी तरफ बीसीसीआई का मापदंड कहता है, “एप्लीकेशन देने वाला भारतीय, टीम का टेस्ट या वनडे इंटरनेशनल मैच में कप्तान रहा हो, या भारत में 50 से अधिक फर्स्ट क्लास मैच खेले हों.’

जूनियर पैनल के लिए बीसीसीआई का कहना है कि काबिल उम्मीदवारों ने भारत में 50 से ज्यादा फर्स्ट क्लास मैच खेले हों. लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों में कम से कम 25 फर्स्ट क्लास मैचों की बात कही गई है.

60 पार क्रिकेटर नहीं बन पाएंगे सिलेक्टर्स

बीसीसीआई ने काबिल उम्मीदवारों के लिए 60 साल की उम्र तय की है. इसके अलावा उम्मीदवार पूर्व सिलेक्टर्स नहीं होना चाहिए और साथ ही आईपीएल की किसी भी फ्रेंचाइजी से जुड़ा नहीं होना चाहिए. न ही वह क्रिकेट अकादमी चलाता हो और न ही उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड हो.

बीसीसीआई ने यह स्पष्ट नहीं किया कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक वह सिलेक्शन कमेटियों को पांच मेंबर्स के बजाय तीन मेंबर्स तक करेगी या नहीं. लोढ़ा कमेटी की रिपोर्ट का कहना था कि कमेटी के मेंबर्स में से सबसे ज्यादा टेस्ट मैच खेलने वाले को कमेटी का प्रेसिडेंट बनाया जाए.

मोबाइल के कमजोर सिग्नल को कहें बाय-बाय

कई बार ऐसा होता है कि कोई जरूरी कॉल करनी होती है मगर सिग्नल नहीं आ रहा होता. कई बार सिग्नल कमजोर होने की वजह से कॉल बार-बार कट जाती है. इन समस्याओं के अलावा कई बार घर या ऑफिस पर मोबाइल सिग्नल से जुड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है.

8 ऐसे तरीके, जिन्हें आजमाकर आप कमजोर नेटवर्क की समस्या हल कर सकते हैं….

1. ऑफ करके फिर ऑन करें

कई बार फोन को ऑफ करके ऑन करने से भी समस्या सुलझ जाती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि फोन ऑन होने पर नए सिरे से नेटवर्क तलाश करके उसी टावर से कनेक्ट होता है, जिसका सिग्नल स्ट्रॉन्ग होता है. आप अपने फोन एयरप्लेन मोड में डालकर एक बार फिर उससे निकालेंगे, तो भी ऐसा ही होगा.

2. अपने फोन को चार्ज करें

अगर आपके फोन की बैटरी लो है तो भी सिग्नल की समस्या हो सकती है. बैटरी लो होने पर बहुत से फोन पावर सेविंग मोड में चले जाते हैं. इसलिए यह आपके सेल सिग्नल को ट्रांसमिट करने में कम पावर इस्तेमाल करता है. इसलिए बैटरी कम है तो चार्ज कीजिए और अगर चार्ज नहीं कर पा रहे तो पावर सेविंग फीचर्स को बंद कर दीजिए. मगर ध्यान रहे कि इसके बाद आपकी बैटरी और तेजी से खर्च होगी.

3. जगह बदलें

आप अपना फोन जिस तरीके से पकड़ते हैं, उसका भी असर पड़ता है. अगर आप फोन का ऐंटेना कवर कर रहे हैं तो सिग्नल कमजोर हो जाएगा. इसलिए अपना ग्रिप बदलिए. आपको यह पता होना चाहिए कि आपके फोन का ऐंटेना है कहां. कई बार जगह का भी फर्क पड़ता है. अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज भी सिग्नल को बाधित करते हैं. अगर आप कहीं इमारत के अंदर हैं तो बाहर आएं. छत और दीवारों की वजह से सिग्नल कमजोर हो जाता है. कई बार तो खिड़की खोलने से भी आपका काम बन सकता है. इसके अलावा जगह बदलकर भी देखी जा सकती है.

4. आबादी वाली जगह पर जाएं

अगर आप ट्रैवल करते हुए किसी ऐसी जगह पर हैं, जहां सिग्नल नहीं है तो वहां से ऐसी जगह पर जाइए, जहां आबादी हो. ऐसा इसलिए, क्योंकि ज्यादातर सेल्युलर ट्रांसमिटर एक ही दिशा में सिग्नल छोड़ते हैं. इन्हें उस तरफ पॉइंट किया जाता है, जहां आबादी होती है. इसी वजह से कई बार टावर के सामने खड़े होने पर भी सिग्नल कमजोर होता है.

5. अच्छा फोन लीजिए

अगर आपको हर जगह कमजोर सिग्नल मिलता है तो संभव है कि समस्या फोन की है. हो सकता है कि यह खराब हो गया हो या फिर इसका ऐंटेना कमजोर हो गया हो. जिन जगहों पर बाकी लोगों को सिग्नल की समस्या न हो, वहां आपका फोन नेटवर्क ढूंढता फिर रहा हो तो इसका मतलब है कि फोन बदलने का वक्त आ गया है.

6. बेहतर कैरियर इस्तेमाल कीजिए

हमेशा समस्या फोन की नहीं होती. कई बार कैरियर भी समस्या करते हैं. जहां आप रहते हैं या काम करते हैं, वहीं पर नेटवर्क अच्छा न आए तो आपको समझना चाहिए कि नेटवर्क में भी समस्या हो सकती है. अगर उसी नेटवर्क वाले अन्य किसी व्यक्ति को भी यही समस्या हो रही है तो आपको किसी और नेटवर्क प्रोवाइडर को अपनाने की जरूरत है. ऐसी कंपनी का सिमकार्ड लें, जिसका नेटवर्क मजबूत हो.

7. वाई-फाई से करें कॉलिंग

यह तरीका आप हमेशा तो नहीं अपना सकते, मगर फिर भी काम का साबित हो सकता है. आईफोन और ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में भी यह ऑप्शन आजमाया जा सकता है. आप सेल्युलर सिग्नल के बजाय वाई-फाई सिग्नल इस्तेमाल कर सकते हैं, मगर आपको पहले चेक करना पड़ेगा कि आपका सेल्युलर और वाई-फाई प्रोवाइडर ऐसी सुविधा देते हैं या नहीं. जैसे कि एक ऐप के जरिए जियो यूजर्स जियोफाई के जरिए वॉइस कॉलिंग कर सकते हैं.

8. मोबाइल सिग्नल बूस्टर आजमाएं

अगर घर पर अक्सर कमजोर सिग्नल रहता है तो आप सिग्नल रिपीटर ट्राई कर सकते हैं. बहुत सारे मोबाइल सिग्नल बूस्टर ऑनलाइन उपलब्ध हैं.

अगर औरतें एकजुट हो जाएं

अगर औरतें एकजुट हो जाएं, तो वे बदलाव की बड़ी ताकत बन सकती हैं. पाकिस्तान जैसे मुल्कों में उनके बीच का बंटवारा सिर्फ उन्हीं लोगों को फायदा पहुंचाता है, जो पितृसत्तात्मक यथास्थिति बनाए रखना चाहते हैं. वुमेन्स पार्लियामेंटरी कॉकस की संस्थापिका और इस संगठन की मौजूदा प्रमुख के बीच पिछले बुधवार को जैसी कटुता दिखी, उसने महिला सांसदों के इस फोरम के भविष्य को लेकर कई चिंताएं पैदा कर दीं.

नेशनल असेबंली की अपनी जोशीली तकरीर में पीपीपी सांसद और वुमेन्स पार्लियामेंटरी कॉकस की सरपरस्त डॉक्टर फहमीदा मिर्जा ने हाल के महीनों में इस संगठन की अनदेखी पर गहरी बेचैनी जाहिर की. उन्होंने अपनी बातों से यह भी संकेत किया कि कॉकस की इस हालत के लिए इसके मेंबरान के निजी मुकाबले जिम्मेदार हैं.

वुमेन्स पार्लियामेंटरी कॉकस की सेक्रेटरी और पीएमएल-नवाज की सांसद शाइस्ता परवेज ने कॉकस की कामयाबी की दुहाई देते हुए मुखालिफ जमातों की सांसदों पर तंज कसा कि वे इस संगठन की मदद नहीं कर रही हैं. पिछले कई बरसों से वुमेन्स पार्लियामेंटरी कॉकस के बैनर तले महिला सांसद जैसी एकजुटता दिखाती आ रही हैं, वह अब एक अफसोसनाक और आत्मघाती मोड़ लेती दिख रही है, जिससे इस संगठन की साबित ताकत के खत्म होने का अंदेशा पैदा हो गया है.

पाकिस्तानी संसद के इतिहास की जो कुछ मिसाल देने लायक चीजें हैं, उनमें से एक साल 2008 में डॉक्टर मिर्जा के नेशनल असेंबली की स्पीकर चुने जाने के बाद गठित यह संगठन भी है. साल 2008 के बाद कुछ वर्षों में अभूतपूर्व तरीके से औरतों की खैरख्वाही वाले जो कई आईन बने, उनके पीछे इस संगठन का अहम रोल रहा है. इनमें साल 2010 का छेड़छाड़-विरोधी कानून शामिल है. इसी तरह, तेजाबी हमले से मुतल्लिक पाकिस्तान पिनल कोड में बदलाव का बिल था, और पुरानी दकियानूस रवायतों पर रोक से जुड़े कानून थे. मौजूदा वुमेन्स पार्लियामेंटरी कॉकस को इसे तंग सियासी मोहरा बनाने की बजाय आगे ले जाना चाहिए. उन्हें सत्ता के गलियारे में औरतों की आवाज बुलंद करनी चाहिए.

फ्लिपकार्ट में जॉब चाहिए?

ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट त्योहारी सीजन से पहले अपनी डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को चुस्त दुरूस्त बनाने के लिए 10,000 से अधिक अस्थायी कर्मचारी रखेगी. ऑनलाइन रिटेल या ई-कॉमर्स कंपनियां आगामी त्योहारी सीजन में अपनी ब्रिकी बढ़ाने के लिए विभिन्न तरह की पेशकश शुरू करने की तैयारी में हैं.

फ्लिपकार्ट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी नितिन सेठ ने कहा, त्योहारी सीजन आने के साथ ही हमें उम्मीद है कि सेल अच्छी और बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि आपूर्ति के वैकल्पिक मॉडल की नई क्षमताओं के साथ-साथ हम देश भर में डिलीवरी और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को चुस्त दुरूस्त बनाने के लिए 10,000 से अधिक अस्थायी भर्तियां करने की सोच रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये भर्तियां त्योहारी सीजन में भारी मांग की अपेक्षा को ध्यान में रखते हुए की जाएंगी.

उल्लेखनीय है कि प्रतिद्वंद्वी स्नैपडील ने भी 15 सितंबर से 15 नवंबर के बीच 10,000 अस्थायी नौकरियां देने की उम्मीद जताई है. सेठ ने फ्लिपकार्ट से 800 लोगों की छंटनी संबंधी खबरों को खारिज कर दिया और कहा कि ये सब गलत और आधारहीन है.

भाजपा के लिए बुरा संकेत

गुजरात में मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल का त्यागपत्र यह साफ करता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा अब चल नहीं रहा. पहले पाटीदार विद्रोह हुआ जिस कारण बिना वजह नेता हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का आरोप लगा कर जेल में रखा गया और अब ऊना में गाय का चमड़ा उतारने के नाम पर दलितों की बेरहमी से की गई पिटाई से दलित आक्रोश का फैलना भारतीय जनता पार्टी के लिए बुरे संकेत हैं.

यह बात गुजरात कांग्रेस के लिए कोई सुखद संदेश लगे, ऐसा भी नहीं है. गुजरात की भाजपा और कांग्रेस में कोई मूलभूत अंतर नहीं है. दोनों पार्टियां संतोंमहंतों के इशारों पर चलती हैं और दोनों का मुख्य आधार वे पिछड़े पटेल–जिन की बीसियों उपजातियां हैं–हैं, जो अब पैसे वाले हो गए हैं, पर अब संतोंमहंतों का आदेश आंख मूंद कर मानने को तैयार नहीं हैं.

2002 में कांग्रेस का समर्थन करने वाले मुसलिमों को खलनायक बना कर नरेंद्र मोदी ने चुनाव जीते थे, पर धीरेधीरे नायक कौन है, समझ आने लगा है और नायकों के सेवक पिछड़े व दलित विद्रोह पर उतर आए हैं. उन्होंने सरकार के खिलाफ मोरचा खोल कर भाजपा की दशकों की मेहनत पर पानी फेर दिया है और पिछले पंचायत व नगरपालिका चुनावों में यह बात साफ हो गई थी कि आनंदीबेन पटेल नरेंद्र मोदी की चमक का लाभ नहीं उठा पा रहीं.

गुजरात में इस तरह के बदलाव पहले भी होते रहे हैं, क्योंकि चाहे जो कहा जाए गुजरात कोई विशिष्ट राज्य नहीं है. वहां की सरकारें और समाज वैसे ही हैं, जैसे और जगह हैं और गुजराती व्यापारी थोड़े ही ज्यादा जाने जाते हैं. ऐसा नहीं है कि उन्होंने देश के व्यापार पर एकाधिकार जमा रखा हो.

गुजरात की जो भी आभा थी, वह पाटीदार व दलित आंदोलनों से और बिगड़ गई. मुसलिम दंगों पर तो कट्टर हिंदुओं को एतराज न था, पर पाटीदार व दलित दंगे सहन नहीं हो सकते और आनंदीबेन को जाना पड़ा.

देश के अधिकांश राज्यों में बड़ी पार्टियों के मुख्यमंत्री खिलौना मात्र हैं और अपने दमखम पर राज नहीं कर रहे हैं. उन्हें हर समय दिल्ली का डर रहता है. यह राज्यों की असुरक्षा का कारण है. इन राज्यों के मुकाबले पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु के नेता अपने फैसले ले सकते हैं और उन्हें अपनी गद्दी बचाए रखने की चिंता नहीं रहती. गुजरात में आनंदीबेन की जगह जो मुख्यमंत्री बनेगा, वह नरेंद्र मोदी की कृपा पर बनेगा और नरेंद्र मोदी इसे कितना संभाल सकेंगे, यह बड़ा सवाल है.             

अगले महीने से यात्रा करिए ‘हमसफर’ के साथ

राजधानी, शताब्दी और दुरंतो ट्रेनों में सर्ज प्राइसिंग शुरू करने के बाद भारतीय रेलवे अगले महीने से 'हमसफर' ट्रेनों को चलाने जा रहा है. इन ट्रेनों का किराया सामान्य मेल या ऐक्सप्रेस सेवाओं से तकरीबन 20 फीसदी ज्यादा होगा.

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 2016-17 के रेल बजट में 'हमसफर' ट्रेनों का ऐलान किया था. ये ट्रेनें एक खास श्रेणी की सेवा ही उपलब्ध कराएंगी यानी इनमें केवल एसी 3 कोच ही रहेंगे. शुरुआत में इस ट्रेन सेवा के नई दिल्ली से गोरखपुर के बीच शुरू होने की संभावना है.

रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हमसफर ट्रेन रातभर के सफर के लिए विशेष सेवाओं वाली इंटरसिटी ट्रेन है. इसमें मौजूद सेवाएं दूसरे एसी 3 कोचों में नहीं मिलेंगी. हमसफर ट्रेनों में सीसीटीवी, जीपीएस आधारित पैसेंजर इन्फर्मेशन सिस्टम, आग और धुएं को पकड़ने और रोकने वाला सिस्टम और हर बर्थ पर मोबाइल, लैपटॉप के चार्जिंग पॉइंट होंगे. इसमें इंटीग्रेटेड ब्रेल डिस्प्ले भी होगा.

इसके अलावा हमसफर की खूबसूरती भी दूसरी ट्रेनों से बेहतर होगी. ट्रेन के अंदर और बाहर का डिजाइन भी बदला जाएगा और महाराजा एक्सप्रेस की तरह विनाइल शीट्स यूज होगी.

एक रेलवे अधिकारी ने बताया, 'इस विशेष सेवा वाली ट्रेन कई आधुनिक सुविधाएं हैं, जिससे रेलवे पर ज्यादा भार आया है. इसलिए इसका किराया भी ज्यादा रहेगा.' हालांकि उन्होंने किराये के बारे में जानकारी नहीं दी और कहा कि अभी यह तय नहीं हुआ है, पर यह 20 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से फीसदी से ज्यादा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जिन रूट पर इंटरसिटी की ज्यादा मांग होगी, वहीं हमसफर ट्रेनों को चलाया जाएगा.

ब्लैक मनी को वाइट में बदलने का आखिरी मौका

आयकर विभाग ने देश में अघोषित संपत्ति (कालाधन) रखने वालों से कहा है कि वह ऐसी संपत्ति की घोषणा जल्द करें. घरेलू स्तर पर कालेधन की जानकारी देने के लिए शुरू की गई आयकर खुलासा योजना (आईडीएस) बंद होने में सिर्फ 20 दिन ही बचे हैं. विभाग ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा है, आयकर खुलासा योजना 30 सितंबर 2016 को बंद हो रही है. जल्दी करें, केवल 20 दिन बचे हैं, अभी घोषणा करें.

विभाग ने कहा कि आयकर विभाग के इंटरनेट आधारित ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिए ऐसी परिसंपत्ति का खुलासे करने की भी व्यवस्था सक्रिय की गई है जिससे जानकारी देने वाली की गोपनीयता बनी रहेगी. सीबीडीटी ने आईडीएस पर छठा स्पष्टीकरण जारी करते हुये कहा था कि 30 सितंबर को समाप्त हो रही चार महीने की योजना को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. आयकर विभाग की नीति निर्माता संस्था केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आय खुलासा योजना के बारे में विभिन्न प्रकार के सवालों के जवाब जारी किये हैं. ये जवाब कई किस्तों में जारी किये गये ताकि लोगों की शंका का समाधान किया जा सके.

सरकार ने हालांकि, इस योजना के तहत अघोषित संपत्तियों की घोषणा करने वालों की सुविधा के लिये कर और जुर्माने के भुगतान की अवधि को बढ़ा दिया है. घोषित संपत्ति पर कर और जुर्माने का भुगतान तीन किस्तों में किया जा सकेगा. घोषित संपत्ति पर जो भी कर और जुर्माना बनेगा उसका 25% नवंबर 2016 में, अगली 25% राशि का भुगतान 31 मार्च 2017 तक और शेष बची राशि का भुगतान 30 सितंबर 2017 तक किया जा सकता है. इससे पहले पूरी राशि का भुगतान 30 नवंबर 2016 तक किया जाना था.

पसर्नल एप्स को ऐसे करें हाइड और अनहाइड

आज के समय में लगभग हर व्यक्ति स्मार्टफोन यूज करता है और तो और एप्स भी डाउनलोड करता है. कई एप्स ऐसी होती हैं जो कोई भी किसी को दिखाना नहीं चाहता और उन्हें हाइड कर यानि छुपाकर रखना चाहता है. वैसे तो ये हर दूसरे यूजर की परेशानी होती है कि वो एप्स को कैसे हाइड करें लेकिन अगर आप भी इसी समस्या से परेशान हैं तो हम आपके लिए ले आएं हैं इस परेशानी से निजात पाने का तरीका. इन स्टेप्स को फॉलो कर आप किसी भी एप को हाइड और अनहाइड कर सकते हैं.

1. इसके लिए आपको अपने स्मार्टफोन में Apex launcher एप को डाउनलोड कर इंस्टॉल करना होगा.

2. एप इंस्टॉल होने के बाद उसे ओपन करें और Drawer setting में जाएं.

3. इसके बाद Hidden apps पर टैप करें.

4. यहां आपको एप्स की लिस्ट दिखाई देगी. आप जिस भी एप को हाइड करना चाहते हैं उसे सेलेक्ट कर सेव कर दें.

5. इसके बाद हाइड की गई एप्स आपके फोन में दिखाई नहीं देंगी.

इसके अलावा अगर आप फिर से एप्स को अपने फोन की स्क्रीन पर चाहते हैं तो एक बार फिर Drawer setting में जाकर Hidden apps पर टैप करें. यहां जिस एप को आप वापस स्क्रीन पर देखना चाहते हैं उसपर टैप कर सेव पर क्लिक कर दें. इस तरह से हिडेन एप्स स्क्रीन पर दिखाई देने लगेंगी.

क्रिकेट को बदल देगा ‘एनर्जाइजर ओवर’

ICC जहां क्रिकेट को दर्शकों के मुताबिक ढालने के लिए लगातार नए नए प्रयोग कर रहा है, वहीं रेड बुल ने भी इससे प्रेरणा लेते हुए रेड बुल कैंपस क्रिकेट टूर्नामेंट में दो पारियों के कॉनसेप्ट और एक एनर्जाइजर ओवर के साथ नया प्रयोग किया है.

रेड बुल कैंपस क्रिकेट वर्ल्ड फाइनल्स के पांचवें चरण में आयोजकों ने एक 'एनर्जाइजर ओवर' की शुरुआत की जिसमें इस ओवर में बनाए गए रन दोगुने हो जायेंगे और अगर टीम कोई विकेट गंवाती है तो विपक्षी टीम के स्कोर में पांच रन जोड़ दिए जाएंगे.

एनर्जाइजर ओवर कई टीमों के लिए मैच का रुख पलटने वाला साबित हो रहा है. पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच हुए मैच में बांग्लादेश ने इसी ओवर के दम पर दो विकेट से जीत दर्ज की थी. बांग्लादेश ने जीत के लिए 153 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 16वें ओवर में 28 रन जोड़े.

बांग्लादेश के कोच शहक ममून ने कहा, 'यह अच्छा प्रयोग है. इससे टीम को मदद मिल सकती है और उससे जीत का मौका भी प्रभावित हो सकता है. यह पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों है, इसलिए इस तरह के टूर्नामेंट के लिए अच्छा प्रयोग है. लेकिन मुझे नहीं लगता कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू किया जा सकता है.'

भारत के ऑलराउंडर यश नाहर भी इसके पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को ज्यादा फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा, 'इससे लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम को फायदा मिलेगा, अगर उन्हें अंत के ओवरों में काफी रन जुटाने हैं. यह किसी भी तरफ जा सकता है लेकिन मैं इस विचार के पक्ष में नहीं हूं.'

भारतीय कप्तान हितेश वालुंज को भी लगता है कि यह अच्छा है, बशर्ते इसमें एनर्जाइजर ओवर सात से 15वें ओवर में लिया जाए. उन्होंने कहा, 'यह अच्छा विचार है, लेकिन अगर इसे सातवें से 15वें ओवर के बीच में लिया जाए. इसे इन्हीं ओवर में लेना अनिवार्य बना देना चाहिए. वर्ना अगर यह अंतिम ओवर में लिया जायेगा तो इससे उबरने का समय नहीं मिलेगा.'

रेड बुल कैंपस क्रिकेट हर साल होने वाला इंटरनैशनल टी20 टूर्नामेंट है, जो कॉलेज क्रिकेट टीमों के बीच खेला जाता है. इससे युवा खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है.

वावरिंका और कर्बर ने जीता US ओपन 2016 का खिताब

दुनिया के नंबर तीन टेनिस खिलाड़ी स्टेनिसलास वावरिंका ने यूएस ओपन के फाइनल में नंबर वन खिलाड़ी नोवाक जोकोविच को हराकर ग्रैंड स्लैम पर कब्जा जमा लिया. जर्मनी की एंजेलिक कर्बर ने 2016 में अपना स्वर्णिम सफर जारी रखते हुए यूएस ओपन टेनिस टूर्नामेंट का महिला एकल का खिताब जीतकर विश्व में नंबर एक खिलाड़ी बनने की उपलब्धि का शानदार जश्न मनाया.

फाइनल में पिछले साल के चैंपियन जोकोविच को चार सेटों के कड़े मुकाबले में 6-7, 6-4, 7-5, 6-3 से हराकर वावरिंका ने पहली बार यूएस ग्रैंड स्लैम जीता है. यह उनके करियर का तीसरा ग्रैंडस्लैम है.

इस साल के साल के शुरू में ऑस्ट्रेलियाई ओपन जीतने वाली दूसरी वरीयता प्राप्त कर्बर ने चेक गणराज्य की दसवीं वरीय कारोलिना पिलिसकोवा को तीन सेट तक चले कड़े मुकाबले में 6-3, 4-6, 6-4 से हराया.

वावरिंका छठी वरीयता प्राप्त जापान के केई निशिकोरी को 4-6, 7-5, 6-4, 6-2 से हारकर फाइनल में पहुंचे थे, जबकि जोकोविच ने फ्रांस के गाएल मोंफिल्स को हराकर यूएस ओपन टेनिस टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बनाई थी.

वावरिंका ने जीत के बाद 15 साल पहले 9/11 के आतंकी हमले में मरे लोगों को भी याद किया. उन्होंने जोकोविच को एक शानदार आदमी और चैंपियन बताया. वहीं जोकोविच ने भी वावरिंका की तारीफ में कहा कि “तुम निर्णायक क्षणों में अधिक साहसी खिलाड़ी थे. तुम जीत के हकदार थे.”

कर्बर ने जीत के बाद कहा, ‘‘यहां इस साल खिताब जीतने को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती. एक साल में दूसरा ग्रैंडस्लैम जीतना शानदार है. यह मेरे करियर का सर्वश्रेष्ठ साल रहा. मैंने पांच साल पहले यहां सेमीफाइनल में पहुंचकर शुरूआत की थी और अब मेरे हाथ में ट्रॉफी है.’’

बायें हाथ से खेलने वाली 28 वर्षीय कर्बर ने ऑस्ट्रेलियाई ओपन में सेरेना विलियम्स को हराकर खिताब जीता था लेकिन विंबलडन फाइनल में वह इस अमेरिकी खिलाड़ी से हार गयी थी.

सेरेना के सेमीफाइनल में पिलिसकोवा के हाथों हारने के साथ ही कर्बर ने अपने लिये विश्व में नंबर एक स्थान सुरक्षित कर लिया था. रैंकिंग जारी होने पर वह आधिकारिक रूप से नंबर एक खिलाड़ी बन जाएंगी.

कर्बर ने कहा, ‘‘नंबर एक बनना और ग्रैंडस्लैम खिताब जीतना बचपन से मेरा सपना था. यह मेरे लिये बहुत मायने रखता है.’’ पिलिसकोवा इससे पहले कभी किसी ग्रैंडस्लैम के तीसरे दौर से आगे नहीं बढ़ी थी.

उन्होंने फाइनल तक की राह में वीनस और फिर सेरेना विलियम्स को हराया. वह एक ग्रैंडस्लैम में दोनों विलियम्स बहनों को हराने वाली चौथी खिलाड़ी हैं.

जब पिलिसकोवा को आखिरी फोरहैंड बाहर गया कर्बर खुशी से झूम उठी. वह बॉक्स में गयी जहां उनके कोच टोर्बेन बेल्ज बैठे हुए थे और फिर कोर्ट पर लौटी जहां अश्रुधारा बह रही थी. कर्बर ने बड़े मैचों में खेलने के अपने अनुभव का पूरा फायदा उठाया. उन्होंने बेसलाइन से अच्छा खेल दिखाया.

पहले सेट में वह पिलिसकोवा के डबल फाल्ट की बदौलत सेट प्वाइंट तक पहुंची और फिर फोरहैंड शाट से 44 मिनट में यह सेट अपने नाम किया. पिलिसकोवा ने इसके बाद अपनी तीखी सर्विस और करारे शाट से कर्बर की कड़ी परीक्षा ली. चेक गणराज्य की खिलाड़ी ने मैच का अपना पहला ब्रेक प्वाइंट लेकर 4-3 से बढ़त बनायी.

तीन गेम बाद सेट के लिये सर्विस करते हुए पिलिसकोवा मैच का चौथा ऐस जमाकर सेट प्वाइंट तक पहुंची और फिर करारा शॉट जमाकर मैच को बराबरी पर ला दिया. कर्बर ने स्वीकार किया कि दूसरे सेट में उन्होंने थोड़ा नकारात्मक खेल दिखाया.

इसके बाद उन्होंने तीसरे सेट के शुरू में अपनी सर्विस गंवा दी लेकिन पिलिसकोवा इसका फायदा नहीं उठा पायी. उन्होंने छठे गेम में दो गलतियां की और कर्बर ब्रेक प्वाइंट लेने में सफल रही. जर्मन खिलाड़ी ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.

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