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भारत में अवार्ड बस टीवी शो की तरह हैं: अजय देवगन

अजय देवगन अपने आपको बौलीवुड का सबसे बड़ा स्टार समझते हैं और उनका यह अहसास उनके एटीट्यूड का हिस्सा बन गया है. यह बहुत अच्छी बात है. मगर हर कलाकार को याद रखना चाहिए कि बौलीवुड में हर शुक्रवार को लोगों की किस्मत बदलती रहती है.

बहरहाल, इन दिनों अजय देवगन हवा में उड़ रहे हैं. इसकी वजह उनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘‘शिवाय’’ के अलावा फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ है. फिल्म ‘शिवाय’ में अजय देवगन ने अभिनय भी किया है, मगर फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ के वह एक निर्माता हैं. यह फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ वही फिल्म है, जिसके कुछ सेक्सी सीन इंटरनेट पर लीक हो चुके हैं. इन सेक्सी दृश्यों आदिल हुसेन और राधिका आप्टे हैं. फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ को कई अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों में सराहा जा चुका है. इसे कई अवार्ड भी मिल चुके हैं. इस फिल्म को जब लंदन में ‘लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल’ में दिखाया गया, तो वहां पर फिल्म की निर्देशक लीना यादव के साथ अजय देवगन स्वयं मौजूद थे.

अब यह फिल्म भारत में प्रदर्शित होने वाली है. सोमवार को मुंबई में फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ का ट्रेलर अजय देवगन, लीना यादव, तनिष्ठा चटर्जी और सुरवीन चावला की मौजूदगी में लांच किया गया. इस अवसर पर जब एक पत्रकार ने अजय देवगन से पूछा कि वह ‘पार्च्ड’ के लिए अवार्ड लेने लंदन गए थे और आप बता रहे हैं कि इस फिल्म को कितने अवार्ड मिले. मगर भारत में आयोजित होने वाले अवार्ड समारोहों से आप गायब रहते हैं?

इस पर अजय देवगन ने भारतीय अवार्डों की तुलना टीवी शो से करते हुए कहा- ‘‘अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में रचनात्मकता, अभिनय व प्रतिभा को सम्मानित किया जाता है. हमारे यहां जितने भी अवार्ड समारोह होते हैं, यह अवार्ड नही होते हैं. यह ऐसा समारोह होता है, जिसमें हम सभी जाते हैं, नाचते गाते हैं. और जो समय पर पहुंच गया, उसे अवार्ड मिल जाता है. हमारे यहां यह अर्वाड समारोह तो मनोरंजक टीवी शो होते हैं, जिनमें कलाकार जाते हैं, नाचते हैं, बातें करते हैं और अवार्ड लेकर वापस आते हैं. इसमें जितने ज्यादा कलाकार आएंगे, शो उतना ही अच्छा बनेगा. यह दबाव बनाने वाले अवार्ड है.’’

इसी समारोह में जब एक अंग्रेजी समाचार पत्र के पत्रकार ने अजय देवगन से पूछा कि उनकी फिल्म ‘शिवाय’ और करण की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ एक ही दिन प्रदर्शित हो रही हैं, तो इससे हर फिल्म के सामने सिनेमा घर कितने होंगे, इसका संकट नहीं आएगा? इसका फिल्म पर किस तरह का असर पड़ेगा? इस पर अजय देवगन ने कहा-‘‘आप 28 अक्टूबर के बाद मुझसे मिलिएगा, तब सवाल जवाब कीजिएगा.’’

जब एक पत्रकार ने पूछा कि फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ के जो सेक्सी दृश्य इंटरनेट पर लीक हो चुके हैं, वह दृश्य क्या हर भारतीय दर्शक फिल्म में देख सकेगा? इस पर अजय देवगन ने उस पत्रकार पर तंज कसा या फिल्म के दृश्यों के लीक होने पर अपना गुस्सा जाहिर किया, यह तो अजय देवगन जाने. पर अजय देवगन ने कहा-‘‘आपने देख लिए, तो आप खुश हैं. आपकी ही वजह से फिल्मों की पायरेसी होती है. अब दर्शक सिनेमा घर में जाकर देखेगा कि उसे क्या देखने को मिलेगा,क्या नहीं.’’

अजय देवगन ने आगे एक अन्य सवाल के जवाब में कहा-‘‘यदि इसी तरह फिल्में लीक होती रहीं, तो फिल्में बनना बंद हो जाएंगी.’’

कूटनीति दर कूटनीति

जिस तरह राममंदिर, शाहबानो प्रकरण, आरक्षण विरोध, गोपूजा, दलित विरोध, इतिहास का पुनर्लेखन आदि मसले भारतीय समाज को जोड़ने वाली गोंद को पतला कर रहे हैं, वैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कश्मीर मुद्दे के मुकाबले बलूचिस्तान के मुद्दे को उठाना तीनों देशों यानी भारत, पाकिस्तान, चीन के बीच थोड़ेबहुत सुधरे संबंधों को फिर से खराब कर रहा है.

मई 2014 में शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री व अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित कर नरेंद्र मोदी ने अच्छी शुरुआत की थी. जिस तरह चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग का अहमदाबाद में साबरमती के किनारे स्वागत किया था और जिस तरह वे अचानक पाकिस्तान जा कर नवाज शरीफ की पोती की शादी में शरीक हुए थे, उस से लगा था कि तीनों देशों में अगर दोस्ती नहीं, तो कम से कम बैरभाव कम होगा.

बलूचिस्तान के मामले में पाकिस्तान उतना ही संवेदनशील है जितना भारत कश्मीर के अपने आंतरिक मामले में दखल न सहन करने को तत्पर है. बलूचिस्तान के लोगों को इसलामाबाद से चाहे जो शिकायत हो, वह कश्मीर मामले का हल नहीं हो सकता. पाकिस्तान कभी भी कश्मीर के मामले पर चुप सिर्फ इसलिए नहीं बैठेगा कि भारत बलूचिस्तान का मोरचा न खोल दे. वैसे भी, बलूचिस्तान से भारत की सीमा तो मिलती नहीं कि हम सिवा बयानों के ज्यादा कुछ कर सकें.

चीन बलूचिस्तान के मामले को ले कर ज्यादा गंभीर है और यह मुद्दा पाकिस्तान-चीन मैत्री को और पक्का कर देगा. चीन पाकिस्तान के जरिए व्यापार का सुगम रास्ता वैसे ही खोज रहा है. बलूचिस्तान का मामला पाकिस्तान को सदा के लिए चीन की झोली में डाल सकता है. बलूचिस्तानी कूटनीति देश के लिए उलटी पड़ सकती है.

गनीमत यह है कि भारत और अमेरिका के संबंध सुधर रहे हैं और अमेरिका के पाकिस्तान व चीन दोनों से संबंधों में खुरखराहट पैदा हो रही है. पर यह हमारी विदेश नीति के कारण नहीं हो रहा है. यह तो अमेरिका की जरूरत है जो भारत को चीन व रूस से अलग रखना चाहता है और पाकिस्तान से उपज रहे आतंकवाद का सफाया करना चाहता है.

कश्मीर को बचाने के लिए भारत को चाहे जो करना पड़े, करेगा. पर ऐसे कदम उठाने से कोई लाभ नहीं जिस में तेजाब ऐसी बोतल से फेंका जाए जो हाथ में ही टूट जाए और हाथ जला बैठे.

देश के विकास के लिए आंतरिक शांति भी चाहिए और बाहर से भी. पाकिस्तान से हर समय पैंतरेबाजी कश्मीर समस्या का हल नहीं है. पाकिस्तान हमेशा कश्मीर में दखल देगा. यह हमारा काम है कि हम कश्मीरियों को अपनाएं, समझाएं, फुसलाएं या नियंत्रित करें. यह सही कूटनीति होगी.

वॉट्सऐप से अब ‘लो लाइट’ में भी लें सेल्फी

व्हाट्सऐप इस समय सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली मैसेजिंग ऐप है. फेसबुक अधिकृत यह ऐप लगातार अपडेट करते हुए जरूरी बदलाव करती रहती है. यह सेल्फी का दौर है, ऐसे में व्हाट्सऐप ने सेल्फी क्लिक करने में सुविधा के मद्देनजर कुछ नए फीचर्स जोड़े हैं. इस फीचर के इस्तेमाल से अब आप अंधेरे में भी बेहतर तस्वीर ले सकेंगे.

वॉट्सऐप के लेटेस्ट बीटा वर्जन में ऐड किए गए नए फीचर्स फोटो से जुड़े हुए हैं. इनकी मदद से आप तस्वीरों को बेहतर बना सकते हैं. ये फीचर लगभग वैसे ही हैं, जैसे कि स्नैपचैट और अन्य ऐप्स पर पहले से मौजूद है. अभी भले ही ये वॉट्सऐप के बीटा ऐप पर ही मौजूद है, मगर उम्मीद है कि जल्द ही सभी यूजर्स इन्हें इस्तेमाल कर पाएंगे. आप ऑफिशियल रिलीज से पहले भी इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं.

अगर आप वॉट्सऐप के जरिए किसी दोस्त को कोई फोटो खींचकर भेजना चाहते हैं तो फोटो खींचने के बाद आपको तस्वीर के टॉप में क्रॉप के अलावा कुछ नए ऑप्शंस दिखाई देंगे. इनमें से एक स्माइली है, दूसरे में T लिखा है और तीसरे में पेंसिल बनी हुई है. सबसे पहले बात करते हैं स्माइली की. स्माइली के ऑइकॉन पर टैप करने पर क्या होता है…

ऐड करें स्माइली

जैसे ही आप स्माइली वाले आइकॉन पर क्लिक करेंगे, बहुत सारे स्माइली नजर आएंगे. आप इनमें से जो भी स्माइली तस्वीर में ऐड करना चाहते हैं, उस पर टैप करें.

आप जिस भी स्माइली पर टैप करेंगे, वह तस्वीर पर ऐड हो जाएगा. आप इसे स्क्रीन पर मूव करके उस जगह पर ले जा सकते हैं, जहां इसे लगाना चाहते हैं.

तस्वीर पर ऐड करें टेक्स्ट

T का अर्थ है टेक्स्ट. आप फोटो पर कोई टेक्स्ट भी ऐड कर सकते हैं. जैसे ही आप T पर टैप करेंगे, कीबोर्ड खुलेगा और आप कुछ भी लिख सकते हैं. राइट साइड में आपको कलर बार दिखेगी, उससे आप चुन सकते हैं कि टेक्स्ट का कलर क्या होगा.

​टेक्स्ट लिखने के बाद जैसे ही आप एंटर या ओके प्रेस करेंगे, टेक्स्ट फोटो पर आ जाएगा. आप इसे भी कहीं भी मूव करके प्लेस कर सकते हैं. अब आखिरी ऑप्शन है पेंसिल का. इस पर टैप करें.

पेंसिल टूल से करें डूडलिंग

​यह ऑप्शन आपको डूडल करने की आजादी देता है. कलर बार से कोई भी कलर चुनिए और चाहे कोई टेक्स्ट लिखिए या फिर डूडल कीजिए. इस तरह से इन फीचर्स को इस्तेमाल करके आप तस्वीरों को और मजेदार बना सकते हैं.

फ्रंट फ्लैश

इन फीचर्स के अलावा वॉट्सऐप ने कम रोशनी में बेहतर सेल्फी लेने के लिए फ्रंट फ्लैश का फीचर भी ऐड किया है. इससे सेल्फी लेते वक्त स्क्रीन वाइट हो जाती है, जिससे रोशनी थोड़ी बेहतर हो जाती है.

डाउनलोड

ध्यान रहे कि ये फीचर अभी वॉट्सऐप के बीटा वर्जन 2.16.264 में ही मौजूद हैं. अगर आपने वॉट्सऐप के बीटा प्रोग्राम के लिए साइनअप किया है तो आप प्ले स्टोर पर जाकर अपना अपडेट इस्तेमाल कर सकते हैं. या फिर आप Apkmirror.com से यह वर्जन डाउनलोड कर सकते हैं. इसके अलावा आप यहां पर क्लिक करके भी इस ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं. ध्यान रहे कि प्ले स्टोर के अलावा किसी अन्य जगह से डाउनलोड ऐप्स को इंस्टॉल करने के लिए आपको सेटिंग्स में जाकर परमिशंस देनी होंगी.

अमेरिका का ये दर्द बना रहेगा

पंद्रह वर्ष पहले 9/11 हमले के बाद अमेरिका का उद्देश्य था, बड़े पैमाने पर क्रूरता फैलाने वाले आतंकी संगठन अल-कायदा को नेस्तानाबूद करना और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकना. साल 2011 में अल-कायदा के मुखिया ओसामा बिन लादेन को ढूंढ़कर मार गिराया गया, मगर जिस जहरीली विचारधारा का वह नुमाइंदा था, वह पूरी दुनिया में नए रूप में फैल चुकी है. अब नई पीढ़ी के आतंकी और आतंकवादी संगठन जन्म ले रहे हैं. इनमें आईएस जैसा क्रूर व बर्बर संगठन भी है.

9/11 के समय भी, जब पूरा अमेरिका बदले की आग में जल रहा था, कई लोगों का मानना था कि ओसामा बिन लादेन को मार गिराना और अल-कायदा की मददगार अफगानिस्तान की तालिबानी हुकूमत को सत्ता से उखाड़ फेंकना समस्या का हल नहीं है. धर्म की ओट में कट्टर विचारधारा का प्रसार और पश्चिमी-विस्तार व वर्चस्व से जुड़ी शिकायतें इस समस्या के मूल में हैं. उस वक्त भी यह कहा गया था कि इस विचारधारा को महज पुलिस और सैनिकों के बूते पश्चिम खत्म नहीं कर सकता.

इसके अंत की राह इस्लाम और इस्लामिक मुल्कों की संस्कृति के भीतर से निकलेगी, जब उदार व प्रगतिशील ताकतें वहां मजबूत होंगी. सीरिया और इराक में आईएस का उदय और दुनिया भर में कहीं भी किसी के द्वारा आतंकी हमला करने की बढ़ती प्रवृत्ति बताती है कि अमेरिका के प्रयास सफल नहीं हुए हैं. यहां तक कि आईएस के खिलाफ सैन्य अभियानों में मिली सफलता भी आश्वस्त नहीं करती कि अब उस विचारधारा का अंत हो जाएगा, जो आतंकवाद की नींव है.

लिहाजा 9/11 के इस 16वें वर्ष में बेशक इराक और अफगानिस्तान में युद्ध अब अंत होने को है, मगर दुनिया उस सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं है, जिसकी कल्पना ओसामा को घेरने और तालिबानी हुकूमत को उखाड़ फेंकने के अभियान के साथ की गई थी. कहना अतिशयोक्ति नहीं कि पर्ल हार्बर और अब्राहम लिंकन, जॉन एफ केनेडी, मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या की तरह 9/11 हमले के दाग भी वक्त बीतने के साथ बेशक धुंधले हो जाएं, मगर वे कभी खत्म नहीं होंगे और हमारा दर्द बना रहेगा.

पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीत दीपा ने रचा इतिहास

भारत की दीपा मलिक ने तब इतिहास रचा जब वह रियो में गोला फेंक एफ-53 में रजत पदक जीतकर पैरालंपिक में पदक हासिल करने वाले देश की पहली महिला खिलाड़ी बनी. दीपा ने अपने छह प्रयासों में से सर्वश्रेष्ठ 4.61 मीटर गोला फेंका और यह रजत पदक हासिल करने के लिए पर्याप्त था.

भारत के अब रियो पैरालंपिक में तीन पदक हो गए हैं. दीपा को इस उपलब्धि के लिए हरियाणा सरकार की योजना के तहत चार करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार मिलेगा. बहरीन की फातिमा नदीम ने 4.76 मीटर गोला फेंककर स्वर्ण पदक जीता जबकि यूनान की दिमित्रा कोरोकिडा ने 4.28 मीटर के साथ कांस्य पदक हासिल किया.

दीपा के हौसले के सामने पस्त हुई बीमारी

दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवा से ग्रस्त है. वह सेना के अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की मां हैं. 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था, दीपा के 31 ऑपरेशन किए जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे.

गोला फेंक के अलावा दीपा ने भाला फेंक, तैराकी में भाग लिया था. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में पदक जीत चुकी है. भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीते थे.

दीपका का रजत पदक भारत का पैरालंपिक खेलों में तीसरा पदक है. उनसे मरियप्पन थांगवेलु और वरुण सिंह भाटी ने पुरूषों की उंची कूद में क्रमश: स्वर्ण और कांस्य पदक जीते थे.

दिग्गज खिलाड़ियों ने दीपा की सराहना की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सचिन तेंदुलकर और अभिनव बिंद्रा जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने इतिहास रचने वाली दीपा मलिक की जमकर प्रशंसा की. दीपा पैरालंपिक खेलों में पदक जीतकर यह कारनामा करने वाली पहली महिला खिलाड़ी हो गई हैं. दीपा ने रियो डि जेनेरियो पैरालंपिक खेलों में गोलाफेंक एफ 53 स्पर्धा में रजत पदक हासिल किया.

प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर बधाई देते हुए कहा, 'शानदार, दीपा. पैरालंपिक में आपके रजत पदक ने राष्ट्र को गौरवांवित किया है. बधाइयां.'

महान क्रिकेटर तेंदुलकर ने कहा कि पैरालंपिक में लाजवाब प्रदर्शन के लिए बहुत बहुत बधाई दीपा और बहुत सारी जीत के लिए शुभकामनाएं.

बिंद्रा ने कहा, 'बहुत बहुत बधाई दीपा. आप भारत के लिए एक प्रेरणा हैं.'

मैं गर्भनिरोधक गोली लेती हूं तो भविष्य में मुझे गर्भधारण करने में कोई परेशानी तो नहीं होगी.

सवाल

मैं 19 वर्ष की हूं और अभी मैं ने बी.ए. द्वितीय वर्ष पास किया है. मेरी कुछ समय पहले ही सगाई हुई है. बी.ए. फाइनल की परीक्षा देने के बाद मेरी शादी है. मैं शादी के तुरंत बाद संतानोत्पत्ति नहीं चाहती. विवाह के बाद यदि मैं परिवार नियोजन के लिए गर्भनिरोधक गोली लेती हूं तो भविष्य में मुझे गर्भधारण करने में कोई परेशानी तो नहीं होगी? कृपया उचित सलाह दें?

जवाब

आप की उम्र अभी बहुत कम है. आप न तो मानसिक और न ही शारीरिक रूप से मातृत्व की जिम्मेदारी के योग्य हैं. इसलिए शादी के बाद गर्भनिरोधक गोलियां ले सकती हैं. ये पूरी तरह सुरक्षित होती हैं और भविष्य में जब भी आप संतानोत्पत्ति चाहें इन्हें लेना बंद कर दें. आप चाहें तो किसी चिकित्सक से सलाह भी ले सकती हैं.

 

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

अनुराग कश्यप ने यह क्या कहा?

बौलीवुड में अनुराग कश्यप की गिनती उन फिल्मकारों में होती है, जो खुद को ही हमेशा सही साबित करते रहते हैं. पर अब उन्होंने उस बात की पुष्टि कर दी है, जिसकी चर्चाएं बौलीवुड में लंबे समय से होती रही है. बौलीवुड में आम चर्चा यही रही है कि रणबीर कपूर के करियर को कश्यप भाईयों यानी कि अनुराग कश्यप और अभिनव कश्यप ने मटियामेट कर दिया.

वास्तव में 2013 में प्रदर्शित अभिनव कश्यप निर्देशित और अनुराग कश्यप निर्मित फिल्म ‘‘बेशरम’’ से पहले रणबीर कपूर का करियर उंचाईयों पर था. लेकिन फिल्म ‘बेशरम’ की बाक्स आफिस पर असफलता ने रणबीर करियर पर चोट की थी. उसके बाद 2015 में अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी फिल्म ‘‘बांबे वेल्वेट’’ ने तो रणबीर कपूर के करियर पर ऐसी कील ठोकी, जिससे वह अब तक उबर नहीं पाए हैं. ‘बांबे वेल्वेट’ के बाद रणबीर कपूर की ‘राय’ व ‘तमाशा’ दोनों ने बाक्स आफिस पर पानी नहीं मांगा. अब हालात यह हैं कि कोई भी फिल्मकार रणबीर कपूर के साथ फिल्म करने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा है.

बहरहाल, एक समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ ने जब अनुराग कश्यप से रणबीर कपूर के खत्म होते करियर पर सवाल किया, तो अनुराग कश्यप ने रणबीर कपूर के करियर में आयी गिरावट के लिए खुद को दोषी माना है. अनुराग कश्यप ने कहा है-‘‘सच यही है कि ‘बांबे वेल्वेट’ और ‘बेशरम’ ने निजी स्तर पर मुझे भी प्रभावित किया. इन फिल्मों की असफलता मुझसे अपने काम की जिम्मेदारी लेने को कहती हैं.’’

अब अनिल कपूर संवारेंगे करण बलूनी का करियर

बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हैं कि अनिल कपूर ने अब करण बलूनी को बतौर निर्देशक स्थापित करने के लिए कमर कस ली है. करण बलूनी से अनिल कपूर का परिचय बहुत पुराना है. वैसे बौलीवुड में तमाम लोग करण बलूनी को अनिल कपूर की बेटी रिया कपूर के प्रेमी के रूप में भी जानते हैं. यह एक अलग बात है कि अब तक इस बात को रिया कपूर या करण बलूनी ने स्वीकार नहीं किया है. मगर रिया कपूर निर्मित फिल्म ‘‘आएशा’’ में करण बलूनी ने बतौर सहायक निर्देशक काम किया था. इन दिनों करण बलूनी, अनिल कपूर के ही टीवी सीरियल ‘‘24’’ के सेकंड सीजन में बतौर सहायक निर्देशक काम कर रहे हैं.

हम यहां याद दिला दें कि कुछ वर्ष पहले करण बलूनी ने बतौर निर्देशक सात हीरो वाली फिल्म ‘‘सात’’ की योजना पर काम करना शुरू किया था. फिल्म के लिए कलाकारों का चयन भी हो गया था. मगर फिल्म का बजट इतना अधिक था कि यह फिल्म हमेशा के लिए बंद कर दी गयी थी. लेकिन अब खबर आ रही है कि अनिल कपूर ने करण बलूनी से वादा किया है कि वह उनके इस सपने को पूरा करनें में पूरा सहयोग देंगे.

बौलीवुड के सूत्रों की माने तो अनिल कपूर के इशारे पर ही करण बलूनी ने अपनी फिल्म ‘‘सात’’ पर पुनः काम करते हुए इसकी पटकथा में कुछ बदलाव करने शुरू कर दिए हैं. नई पटकथा तैयार होने के बाद कलाकारों के नामों पर नए सिरे से विचार किया जाएगा. अब यदि कल को करण बलूनी के निर्देशन में बनने वाली इस फिल्म के निर्माता के रूप में अनिल कपूर का नाम सामने आए, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

मजेदार बात है कि ‘‘सात’’ बंद होने के बाद से चुप रहे करण बलूनी ने अब कहा है-‘‘मेरी फिल्म ‘सात’ हमेशा के लिए बंद नहीं हुई है. मैं सीरियल ‘24’ के सेकंड सीजन में व्यस्त हूं. इस सीरियल के बाद मैं पुनः अपनी फिल्म पर काम करुंगा.’’

भावेष जोशी राजनीतिक फिल्म है या सुपर हीरो की..?

भारतीय सिनेमा के इतिहास पर यदि गौर किया जाए, तो देश में केंद्र की सरकार बदलते ही फिल्मकारों की सोच बदल जाती है. सभी केंद्र की सरकार को ध्यान में रखते हए अपनी फिल्म के लिए कहानी चुनने लगते हैं. हम इसके लिए अतीत की कब्र खोदने की जरुरत महसूस नहीं करते. मगर जब से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी है, तब से जिस तरह का सिनेमा भारत में बन रहा है, उस पर बारीकी से गौर किया जाए, तो यही सच सामने आता है कि सरकार बदलने के साथ ही भारतीय फिल्मकारों की सोच बदल जाती है. फिलहाल तमाम फिल्मकार अपनी फिल्मों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियानों को ही किसी न किसी बहाने प्रचारित कर रहे हैं.

इस चर्चा के पीछे हमारा  मसकद ‘‘सरिता’’ पत्रिका के पाठकों के सामने हर्षवर्धन कपूर की विक्रमादित्य मोटावणे के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ की विषय वस्तु के सच को रखना है. बौलीवुड और मीडिया में चर्चाएं गर्म हैं कि ‘‘भावेष जोशी’’ की कहानी एक गुजराती युवक की कहानी है, जिसके पास कुछ सुपर पावर हैं. यानी कि यह फिल्म एक सुपर हीरो की कहानी है. मगर खुद हर्षवर्धन कपूर पूरी तरह से इस बात से सहमत नहीं है. वह फिल्म ‘भावेष जोशी’ की कहानी पर खुलकर बात नहीं करना चाहते. मगर हर्षवर्धन कहते हैं-‘‘फिल्म ‘भावेष जोशी’ में मेरा किरदार आम सुपरहीरो वाला नहीं है. इस फिल्म को या मेरे किरदार को कृष न समझें. भावेष एक सजग हीरो है. यह बड़े बजट वाली फिल्म नहीं है. इसे आप कामिक की किताब की तरह पढ़ सकते हैं. यह एक हीरो के जन्म की कहानी है. यह विक्रमादित्य मोटावणे की एक्शन प्रधान कमर्शियल फिल्म है.’’

यूं तो हर्षवर्धन कपूर की पहली फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ सात अक्टूबर को प्रदर्शित होने वाली है, जिसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने किया है. ‘‘मिर्जिया’’ पूर्णरूपेण एक प्रेम कहानी वाली फिल्म है, जिसे अति भव्य स्तर पर बनाया गया है. मगर फिल्म ‘भावेष जोशी’ की कहानी का पूरी तरह से साफ नजर नहीं आ रही है.

लेकिन जब हमने हर्षवर्धन कपूर से बात की, तो हर्षवर्धन कपूर ने हमे जो कुछ बताया, उससे तो फिल्म ‘भावेष जोशी’ एक राजनीतिक फिल्म लगती है. ‘‘सरिता’’ पत्रिका से खास बातचीत करते हुए हर्षवर्धन कपूर ने कहा-‘‘मैं अमरीका फिल्म पटकथा लेखन व अभिनय का प्रषिक्षण लेने गया था. जब मैं वापस आया, तो मेरी पहली बातचीत विक्रमादित्य मोटावणे के साथ फिल्म ‘भावेष जोशी’ के लिए बात हुई थी. उस वक्त इस फिल्म की पटकथा कांग्रेस की सरकार की पृष्ठभूमि में लिखी गयी थी. क्योंकि उस वक्त केंद्र और महाराट्र में कांग्रेस की सरकार थी. उस वक्त मैं 21 साल का था और कहानी 26 से 28 साल की उम्र के युवक की थी. तो मुझे लगा कि मैं बहुत युवा हूं. इसलिए नहीं किया था.’’

पर जब हमने उनसे कहा कि अब तो वह फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ की शूटिंग कर रहे हैं? तो हर्षवर्धन ने कहा-‘‘लगभग साढ़े तीन वर्ष ‘मिर्जिया’ को देने के बाद मैं 26 साल का हो गया हूं. और भावेष जोशी भी इसी उम्र का है. इसलिए कर रहा हं. फिल्म ‘भावेष जोशी’, ‘मिर्जिया’ से बहुत अलग है. फिल्म ‘भावेष जोशी’ मुंबई के बारे में है. इसकी पटकथा मुझे बहुत पसंद आयी. मेरा दावा है कि अब तक आपने इस तरह की फिल्म देखी नहीं होगी. यह बहुत समसामायिक है. पहले फिल्म की पटकथा में कांग्रेस के शासन की पृष्ठभूमि थी. अब भारतीय जनता पार्टी है.’’

जब हमने कहा कि अब जब आप चार वर्ष बाद फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ कर रहे हैं, तो फिल्म की पटकथा में बदलाव किया गया है और यह फिल्म एक राजनीतिक फिल्म है? इस पर हर्षवर्धन कपूर ने कहा-‘‘पटकथा में  कुछ बदलाव किया गया है. पर समस्याएं तो होनी है, कांग्रेस के शासन में अलग समस्याएं थी, अब भाजपा के शासन में अलग समस्याएं हैं. फिल्म में जो कुछ है, उस पर मैं अभी विस्तार से बात नहीं कर सकता हूं. इसलिए यह फिल्म राजनीतिक है या नहीं, यह भी नही पता. पर यह फिल्म एक युवक और उसके यकीन की कहानी है. वह समाज में बदलाव के लिए एक लड़ाई लड़ता है. ‘भावेष जोशी’ इस बारे में भी है कि शहरी युवा पीढ़ी किस तरह की एक बंदिश वाली जिंदगी जीती है. उसके आउटडोर गतिविधियों के लिए साधन नहीं है.’’

‘मिर्जिया’ और ‘भावेष जोशी’ के बीच झूल रहे हर्षवर्धन

सात अक्टूबर को राकेश ओमप्रकाश मेहरा निर्देशित फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ प्रदर्शित होने वाली है, जिसमें हर्षवर्धन कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई है. तो वहीं वह अब विक्रमादित्य मोटावणे की फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ की भी शूटिंग शुरू कर चुके हैं. जबकि हकीकत यह है कि हर्षवर्धन कपूर ‘‘मिर्जिया’’ और ‘‘भावेष जोशी’’ दोनों फिल्में एक एक बार करने से इंकार कर चुके थे.

हाल ही में हर्षवर्धन कपूर से जब हमने फिल्म‘‘मिर्जिया’’ को लेकर लंबी बातचीत की, उस वक्त उनसे जो बाते हुई, उससे ‘‘मिर्जिया’’ और ‘‘भावेष जोशी’’ के बीच वह किस तरह झूलते रहे, उसकी कहानी जो खुलकर सामने आयी है, वह इस प्रकार हैः

राकेश ओमप्रकाश निर्देशित फिल्म ‘‘दिल्ली 6’’ की दिल्ली में शूटिंग चल रही थी. जिस दिन इस फिल्म की नायिका और हर्षवर्धन कपूर की बहन सोनम कपूर इस फिल्म के लिए रामलीला वाले सीन की शूटिंग कर रही थीं, उसी दिन हर्षवर्धन कपूर अपनी बहन से मिलने सेट पर पहुंच गए थे. उन्हे देखते ही राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने उनके सामने अपनी फिल्म ‘‘मिर्जिया’’ का प्रस्ताव रखा था, जिसे उस वक्त हर्षवर्धन ने यह कहकर ठुकरा दिया था कि वह अभी तैयार नहीं है. वैसे उस वक्त तक फिल्म की पटकथा पूरी नहीं हुई थी और गुलजार फिल्म की पटकथा लिखने में व्यस्त थे. उसके बाद हर्षवर्धन अमेरिका चले गए. वहां पर उन्होंने चार वर्ष फिल्म पटकथा लेखन व एक साल अभिनय का प्रशिक्षण हासिल किया. उसके बाद जब हर्षवर्धन वापस मुंबई आए, तो वह 22 वर्ष के हो चुके थे. तब उन्हे सबसे पहले विक्रमादित्य मोटावणे ने फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ का आफर दिया था. हर्षवर्धन को फिल्म की पटकथा पसंद आयी थी, मगर उन्हे लगा कि वह किरदार में फिट नही बैठते हैं. इसलिए इंकार कर दिया था.

खुद हर्षवर्धन कहते हैं-‘‘मुझसे ‘दिल्ली 6’ के समय चर्चा हुई थी, तो मैने कहा था कि मैं तैयार नहीं हूं. क्योंकि उस वक्त मैं पढ़ाई कर रहा था. मैंने राकेश सर से कहा था कि मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी अभी निभा नहीं पाउंगा. राकेश सर अपने स्टिंक्ट पर भरोसा करते हैं. अगर उन्हे अंदर से अच्छा लगता है, तो वह उस पर कायम रहते हैं. उस दिन मुझे देखकर उनके दिल की आवाज ने कहा था कि यही लड़का मिर्जा के किरदार को निभा सकता है. जिसकी सोच से उनकी सोच मिलती है, उससे वह हटते नहीं है.’’

इस बीच राकेश ओमप्रकाश मेहरा ‘दिल्ली 6’ के बाद फिल्म ‘‘भाग मिल्खा भाग’’ पूरी कर चुके थे. इस फिल्म के शो के दौरान राकेश ओम प्रकाश मेहरा और हषवर्धन कपूर जब आमने सामने हुए, तो एक बार फिर राकेश ओम प्रकाशस मेहरा ने उनके सामने ‘मिर्जिया’ का प्रस्ताव रख दिया. इस बार हर्षवर्धन कपूर ने इसे स्वीकार कर लिया.

हर्षवर्धन कपूर कहते हैं-‘‘जब अमरीका से वापस आया, तो मेरे अंदर पटकथा की समझ विकसित हो चुकी थी. मुझे लगा कि अब मैं देख सकता हूं कि राकेश सर ने मुझे इसके लिए क्यों चुना और मुझे लगा कि मैं इस किरदार को निभा सकता हूं. मुझमें और आदिल में थोड़ी बहुत समानता है. आदिल ज्यादा बोलता नहीं है. बहुत संजीदा इंसान है. मेरा जो लुक है, वह भी इस फिल्म के काफी करीब है.’’

हर्षवर्धन कपूर को ‘मिर्जिया’ के लिए निर्देशक राकेष ओमप्रकाश मेहरा के निर्देश पर पूरे 18 माह तक खास तरह का प्रशिक्षण हासिल करना पड़ा. उसके बाद फिल्म की शूटिंग में वक्त लगा. इस बीच साढ़े तीन वर्ष का वक्त गुजर गया. ‘मिर्जिया’ की शूटिंग पूरी होने के बाद जब पुनः हर्षवर्धन को फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ का आफर मिला, तो उन्होंने इससे जुड़ने का फैसला कर लिया. इस बीच फिल्म की पटकथा बदल चुकी थी. हषवर्धन कपूर फिल्म ‘भावेष जोषीशी’ के लिए भी कुछ दिन शूटिंग कर चुके हैं. फिलहाल वह अपनी पहली फिल्म ‘मिर्जिया’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं.

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