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ऐसे निपटें फेसबुक हैरेसमेंट से

क्या आपको पता है कि जिंदगी में दोस्तों की खिड़की खोलने वाला फेसबुक आपकी जिंदगी में जहर घोल सकता है? रोज प्यार और खुशनुमा लम्हों को आप तक पहुंचाने वाला फेसबुक जहन्नुम की सैर करा सकता है?

फेसबुक पर किसी का इंपॉस्टर अकाउंट न सिर्फ पर्सनल लाइफ बल्कि प्रोफेशनल लाइफ को भी गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है. क्या कोई तोड़ है फेसबुक के इस बुरे साइड इफेक्ट का?

अक्सर फेसबुक पर परेशानी झेलने वाले इंपॉस्टर का शिकार होते हैं. आखिर क्या है इंपॉस्टर? इसका मतलब फेसबुक के ऐसे अकाउंट्स से है जो असल में अपनी जो पहचान बता रहे हैं, वह नहीं हैं. यह गुमनाम फेसबुक अकाउंट्स से इस लिहाज से अलग होते हैं कि उनमें कोई पहचान नहीं होती. इंपॉस्टर में बाकायदा नाम पता और फोन नंबर तक होता है. इसके जरिए किसी खास इंसान की पहचान के साथ से खुद को पेश करने की कोशिश की जाती है.

क्यों बनते हैं फेसबुक के ऐसे अकाउंट्स?

ऐसे में दिमाग में पहला सवाल यही आता है कि क्या कोई भी किसी के नाम का फेक अकाउंट इतना आसानी से बना सकता है? इसका जवाब है, हां. फेसबुक पर इंपॉस्टर अकाउंट बनाने के लिए सिर्फ

– जिसका अकाउंट बनाना है उसकी तस्वीर (किसी को भी सोशल मीडिया अकाउंट से कॉपी हो सकता है)

– एक ईमेल अड्रेस (कुछ भी रखा जा सकता है, इसे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है)

– नाम, पते और फोन नंबर जैसी सामान्य चीजें

बस इतनी सी सही-गलत जानकारी देते ही एक फेसबुक का इंपॉस्टर अकाउंट तैयार हो जाता है. इस पूरे प्रॉसेस में जो सबसे बड़ा झोल है वह है सिक्यॉरिटी ऑथेंटिकेशन का न होना.

क्या है सिक्यॉरिटी ऑथेंटिकेशन

इस ऑथेंटिकेशन के जरिए टेक्नॉलजी कंपनियां यह सुनिश्चित करती हैं कि जो अकाउंट बना रहा है वह असल में वही है जो जानकारी दे रहा है. इसके सबसे आसान तरीके के रूप में एक मोबाइल नंबर देने का ऑप्शन दिया जाता है. जैसे ही वैलिड मोबाइल नंबर दिया जाता है कंपनी 'वन टाइम पासवर्ड' बताए गए मोबाइल नंबर पर भेजती है. सिर्फ चंद मिनटों तक ही वैलिड रहने वाले इस पासवर्ड को डालने के बाद ही अकाउंट एक्टिवेट होता है. फिलहाल फेसबुक पर इस तरह के ऑथेंटिकेशन का प्रावधान नहीं है. इससे इंपॉस्टर अकाउंट्स बनाना न सिर्फ आसान हो जाता है बल्कि इन्हें ट्रेस करना भी मुश्किल हो जाता है.

ऐसे बच सकते हैं इंपॉस्टर से

– अपने बारे में पर्सनल जानकारी फेसबुक पर न दें. अगर दें भी तो 'only me' की सेटिंग्स चुनें.

– अक्सर लोग अपने घर परिवार के लोगों के बारे में और फैमिली ग्रुप को भी सबके देखने के लिए ओपन रखते हैं. ऐसा न करें. अपने फ्रेंड और फैमिली को हाइड कर लें.

– ऐसा भी देखने को मिलता है कि अक्सर इंपॉस्टर करने वाला करीबी रिश्तेदार या दोस्त होता है. बेहतर होगा कि सतर्क रहें और फेसबुक को असल दुनिया का विकल्प न बनने दें.

– लोग अपने गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड के साथ तस्वीरें अपलोड करते है जो बाद में इंपॉस्टर बड़ी ही चतुराई से इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करने से बचें. अगर फोटो अपलोड भी करें तो उसकी कस्टमाइज्ड सेटिंग्स कर दें. इससे तस्वीर आपके चुने हुए लोगों को ही दिखेगी.

– फेसबुक अपनी पॉलिसी में भी कहता है कि उन लोगों के ही फ्रेंड बनाए जिन्हें आप असल जिंदगी में जानते हों. ऐसे में अनजान लोगों से जितना दूर रहा जाए उतना रिस्क कम हो जाता है.

महेश भट्ट की नई स्मिता पाटिल

फिल्म अर्थ में अभिनय का जो जज्बा फिल्मकार महेश भट्ट को स्मिता पाटिल में दिखा था, टीवी सीरियल नामकरणका स्टार कास्ट का चुनाव करते बरखा बिष्ठ में वही जज्बा दिखा है.

स्टार प्लस पर दिखाये जाने वाले टीवी शो नामकरणकी कहानी 10 साल की बच्ची अवनि के आसपास घूमती है. बरखा ने अवनि की मां का किरदार निभाया है. सिंगल मदर के रूप में शो की कहानी बरखा बिष्ठ के आसपास घूमती है.

शो में बरखा पर रोमांटिक गीत भी शूट हुये हैं. टीवी शो पर इस तरह के गाने पहली बार दिखाई देंगे. खुद महेश भटट इन गानों को अपनी फिल्मों से भी बेहतर मानते है.

बरखा कहती है कि महेश भटट के साथ काम करके मैं खुद को लकी मानती हॅू. वह मुझ पर पूरा भरोसा करते है. वह मेरी तुलना स्मिता पाटिल जैसी अभिनेत्री से करते है.

महेश भटट जरूरत से ज्यादा लंबे खीचें जा रहे टीवी सीरियलो को सही नहीं मानते. उनका कहना है कि ऐसे सीरियल अपनी पकड़ खो देते हैं. उनका कहना है कि नामकरण’  से टीवी की दुनिया में नया बदलाव आयेगा.

बरखा कहती है कि फिल्मों के मुकबले टीवी में काम करना मुश्किल होता है. टीवी में एक दिन में 5 से 6 सीन शूट करने पडते है. वहीं फिल्मो में एक सीन में ही कई दिन लग जाते है.

फिल्म राजनीति में आइटम सांग करने वाली बरखा ने कहा कि मुझे डांस का शौक है इस कारण यह आइटम डांस किया था. वैसे मुझे फिल्मों में काम करने का बहुत शौक नहीं है. अगर मुझे केन्द्र में रखकर कोई फिल्म तैयार हो सकेगी तो काम कर सकती हूं. 

‘बार बार देखो’ है कटरीना-रणबीर की कहानी?

बॉलीवुड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह कभी भी किसी भी मुद्दे पर एकमत नही होता. दूसरी खासियत यह है कि हर घटना या हर फिल्म की रिलीज के बाद बॉलीवुड में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो जाती हैं.

नित्या मेहरा निर्देषित और कटरीना कैफ व सिद्धार्थ मल्होत्रा के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘बार बार देखो’’ के प्रदर्षित होते ही बॉलीवुड में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

बॉलीवुड में चर्चा हो रही है कि क्या कटरीना कैफ ने अपने पूर्व प्रेमी रणबीर कपूर को सीख देने के लिए इस फिल्म का निर्माण करवाया है? क्या नित्या मेहरा ने कटरीना कैफ व रणबीर कपूर के रिश्तों को लेकर पिछले तीन चार वर्ष के दौरान मीडिया में जो कुछ छपता रहा है,उसी को अपनी फिल्म की कहानी का आधार बनाया है.

बॉलीवुड से जुड़े तमाम लोगों का मानना है कि फिल्म में जो कुछ दिखाया गया है, वह कहीं न कहीं काफी कुछ वही है, जो पिछले कुछ वर्षों के दौरान समय समय पर कटरीना कैफ और रणबीर कपूर के रिष्तों को लेकर मीडिया में छपता रहा है.

कटरीना कैफ हमेशा फिल्मों में बिकनी पहनने से परहेज करती रही हैं. पर वह 2013 में दुबई में अपने प्रेमी रणबीर कपूर के साथ छुट्टियां मनाने के दौरान समुद्री बीच पर लाल रंग की बिकनी में नजर आयी थीं.

यह बिकनी तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी. और अब फिल्म‘‘बार बार देखो’’ में कटरीना कैफ दिया के किरदार में लाल रंग की बिकनी पहने हुए नजर आयीं.

फिल्म‘‘बार बार देखो’’में कटरीना कैफ ने दिया का किरदार निभाया है. कटरीना कहती हैं, ‘‘यह किरदार मेरी जिंदगी के काफी करीब है. मैं भी निजी जिंदगी में करियर के साथ ही परिवार व रिशतों को अहमियत देती हूं. ’’

उन्होंने कहा कि ‘‘यदि जिंदगी के किसी मोड़ पर मेरे सामने प्यार व शादी तथा करियर में से किसी एक को चुनने की नौबत आ गयी,तो मैं करियर की बजाय प्यार व शादी को ही चुनना पसंद करुंगी. मगर किसी दबाव के तहत यह निर्णय नहीं लूंगी. उस वक्त मेरा दिल इस बात से सहमत होना चाहिए.यदि मेरे दिल ने कहा, तो मैं घर पर रहकर घर को संवारने व बच्चों की परवरिश पर ध्यान देना चाहूंगी. मैं तो इस बात पर यकीन करती हूं कि हर औरत को अपने दिल की सुननी चाहिए.’’

बॉलीवुड में यह भी चर्चा है कि क्या फिल्म ‘‘बार बार देखो’’ में दिया और जय के बीच जो लड़ाई है,क्या वही लड़ाई निजी जिंदगी में कटरीना कैफ और रणबीर कपूर के बीच होती रही है? तो क्या कटरीना चाहती है कि फिल्म ‘बार बार देखो’ के जय की तरह रणबीर कपूर के विचारो में परिवर्तन आ जाए?

अब असली सच्चाई कटरीना कैफ और रणबीर कपूर ही जानते हैं,मगर दोनों अपने खत्म हुए रिश्ते को लेकर खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं है. इसलिए अटकलों का बाजार गर्म है.

मंहत ज्ञानदास चाहते है राहुल बनें पीएम और अखिलेश सीएम

कभी अभिनेता तो कभी संत, वोट के लिये किस किस को दस्तक नहीं दे रहे नेता. इसे लोकतंत्र की खूबी कहे या सियासत का फसाना. वोट के लिये ऐसी मजबूरी की कल्पना देश को आजाद कराने वालों ने कभी नहीं की होगी. देश और प्रदेश की राजनीति में अयोध्या का बडा रोल है. अयोध्या देश के सबसे बड़े प्रदेश का हिस्सा है जहां लोकसभा की 80 और विधानसभा की 425 सीटें है. अयोध्या का असर प्रदेश ही नहीं प्रदेश के बाहर भी पड़ता है.

भारतीय जनता पार्टी अयोध्या के सहारे 2 सीटों से सत्ता की कुर्सी तक पहुंच गई तो प्रदेश में समाजवादी पार्टी सबसे मजबूत पार्टी बन गई. अयोध्या की प्रभुसत्ता से जहां राजनीतिक दलों को मजबूती हासिल हुई वहीं अयोध्या के संतों की प्रभुसत्ता बढ़ी. राममंदिर आंदोलन के समय अयोध्या में मंहत परमहंसदास और ज्ञानदास का नाम सबसे मजबूत आधार बना.

अयोध्या के संतों की बिरादरी इसी के आसपास घूमती थी. मंहत परमहंसदास रामजन्मभूमि दास के प्रमुख रहे. वह विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा से जुड़े थे. जिस समय भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपाई प्रधानमंत्री थे प्रधानमंत्री कार्यालय में अयोध्या प्रकोष्ठ बना था. मंहत परमहंसदास सीधे प्रधानमंत्री से बात करते थे. मंहत परमहंसदास के गुस्से के सामने कई बार विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल तक को पीछे हटना पड़ता था. जिस समय मंहत परमहंसदास का रूतबा सत्ता से लेकर संगठन तक कायम था उसी समय अयोध्या में हनुमान गढ़ी के मंहत ज्ञानदास उनको प्रबल विरोध करते थे.

विश्व हिन्दू परिषद संतों की धुरी का काम ज्ञानदास करते थे. यह वह दौर था जब विश्व हिन्दू परिषद का विरोध अयोध्या का कोई संत नहीं करता था. ज्ञानदास विश्व हिन्दू परिषद की कट्टरवादी विचारधारा का विरोध करते ऐसे लोगों के साथ खड़े रहे जो अध्योध्या में अमन और शांति पंसद करते थे. अब मंहत परमहंस जीवित नहीं है.

अयोध्या के संतों में विश्व हिन्दू परिषद का वर्चस्व टूट चुका है. मंहत ज्ञानदास नेताओं के केन्द्र में है. समाजवादी पार्टी हो या कांग्रेस सीधे राममंदिर से अपने को दूर रखते अयोध्या के प्रभाव का लाभ उठाने के लिये हनुमानगढ़ी के दर्शन कर प्रदेश की जनता को संदेश देना चाहते है वह ज्ञानदास को अपना जरीया बना लेते है.

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने संतो को अपने आवास पर बुलाया तो ज्ञानदास ने उनको प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया. किसान यात्रा के दौरान जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अयोध्या गये तो हनुमान गढ़ी के मंहत ज्ञानदास से मिले और उनसे आशीर्वाद लिया. ज्ञानदास ने कहा कि उन्होंने राहुल को सफल होने का आशीर्वाद दिया है.

देश की राजनीति में राहुल गांधी और अखिलेश यादव चर्चित चहरे हैं. दोनों एक दूसरे का पूरा सम्मान करते हैं. समय पड़ने पर दोनों के बीच बेहतर राजनैतिक संबंध बन सकते हैं. ऐसे संकेत खुद अखिलेश यादव और राहुल गांधी दे चुके हैं. राहुल गांधी अपनी किसान यात्रा के समय प्रदेश की अखिलेश सरकार पर किसी भी तरह का आरोप नहीं लगा रहे हैं. ऐसे में अगर मंहत ज्ञानदास की बात सही हो जाये तो कोई अचम्भे वाली बात नहीं है.

अखिलेश को केडर पर नहीं सैलेब्रेटी पर भरोसा

अगर किसी नेता को अपने काम की पहचान बताने के लिये अभिनेता पर निर्भर होना पड़े तो लोकतंत्र में राजनीतिक दलो पर प्रश्न चिन्ह लगना लाजमी है. केवल समाजवादी पार्टी की नहीं दूसरे दलो का भी यही हाल है. जिसके चलते राजनीति फैक्ट्री में तैयार प्रोडक्ट बन कर रह गई है. जिसे बेचने के लिये सैलेब्रेटी फेस की जरूरत आ गई है.

केन्द्र सरकार के स्वच्छता अभियान के बाद अभिनेत्री विद्या बालन अब समाजवादी पेंशन योजना का प्रचार भी करेंगी. जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी अपने कामों के प्रचार के लिये विद्या बालन के बाद माधुरी दीक्षित और नवाजुद्दीन सिद्दकी को भी ब्रांड एम्बेसडर बनाने की तैयारी में है.

सवाल उठता है कि जिस तरह से सौन्दर्य प्रसाधनों के सही असर के न पड़ने पर उसका प्रचार करने वालों पर कार्रवाई की बात अदालत ने कही और मैगी में खराबी पाये जाने पर उसका प्रचार करने वाले अभिनेताओं पर मुकदमें कायम हुए. क्या सरकार की योजना का सही लाभ लोगों तक न पहुंचने के मामले में योजना का प्रचार करने वाले ब्रांड को जिम्मेदार माना जायेगा?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि हम जिन महिलाओं को समाजवादी पेंशन दे रहे हैं उनको यह ही पता नहीं है कि उनको यह पेंशन कौन दे रहा है? कुछ जिलों में तो मैंने खुद महिलाओं से पूछा कि यह पेंशन कौन दे रहा है तो वह बता नहीं पाई.

अब विद्या बालन जी आ गई हैं तो यह महिलाओं को पता चल जायेगा कि यह पेंशन कौन दे रहा है? अखिलेश यादव यही नहीं रूके. उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास भी संगठन है और प्रचार भी करते है लेकिन गांव की महिलायें हमसे ज्यादा विद्या बालन की बात सुनती हैं. उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार ने विद्या बालन को समाजवादी पेंशन योजना का ब्रांड एम्बेसडर बनाया है.

समाजवादी पार्टी के विषय में यह सभी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के गांवों में सबसे ज्यादा जनाधार वाली पार्टी है. जिसका हर जाति और धर्म के बीच जनाधार है. समाजवादी पार्टी की इसी लोकप्रियता ने 2012 में पार्टी को बहुमत दिलाया था. जिसके बाद अखिलेश यादव को सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला था. 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होंगे. अब मुख्यमंत्री को यह लग रहा है कि समाजवादी पार्टी के संगठन और कार्यकर्ताओं से अधिक गांव की महिलायें फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन को पहचानती हैं.

देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री का यह बयान पार्टी के संगठन पर सवालिया निशान लगा रहा है. दरअसल यह बात लंबे समय से कही जा रही है कि प्रदेश सरकार के कामकाज का सही प्रचार नहीं हो रहा है. प्रदेश सरकार ने अपने कामकाज को लेकर पुस्तके छपवाईं. जिनको बांटने का काम सूचना विभाग और पार्टी संगठन को दिया गया. यह पुस्तकें बड़ी तादाद में बिना बंटे ही रद्दी में बिक गंई.

पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव भी कह चुके हैं कि पार्टी के नेता सही तरह से सरकार के कामों की चर्चा जनता में नहीं कर रहे हैं. यह एक तरह के राजनीतिक गिरावट की हालत है. जहां नेता को अपने काम का प्रचार करने के लिये अभिनेता पर निर्भर रहना पडता है. राजनीति एक प्रोडक्ट बन गई है. जिसे बेचने के लिये एक सुदंर, परिचित और लोकप्रिय चेहरे की जरूरत पड़ रही है.

पार्टी और सरकार के प्रचार को लोगों तक पहुंचाने के लिये सरकार के पास सूचना विभाग जैसा व्यापक तंत्र है. करोडों का बजट है. मीडिया के जरीये अपनी बात पहुचाने में सरका सबसे अधिक खर्च कर रही है.इसके बाद भी अगर नेता को अपने काम की पहचान के लिये अभिनेता पर निर्भर रहना पड़े तो यह अच्छा नहीं है. प्रचारतंत्र के जानकार लोगो का कहना है कि प्रचार के लिये बजट को खत्म करने का यह तरीका है. आज भी गांवों में लोग विद्या बालन से अधिक पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव को नाम और चेहरे से पहचानते है.

नहीं थम रहा राजतरु स्टूडियो और गौरंग दोषी के बीच का विवाद

गौरंग दोषी अदालत या कानून को मानते ही नहीं. गौरंग दोषी संग अमिताभ बच्चन, अनीस बज़मी व अनिल कपूर भी फंसे हैं. गौरंग दोषी और विवादों का तो चोली दामन का साथ है. पर एक अंग्रेजी दैनिक के अनुसार इस बार गौरंग दोषी ने खुलेआम अदालत से पंगा ले लिया है. इसकी मूल वजह फिल्म ‘आंखें’ का सिक्वअल है. बहरहाल, ‘राजतरु स्टूडियो’ के राजवीर राजतरु के अनुसार अब गौरंग दोषी पर ‘अदालत के आदेश की अवहेलना’ का आरोप लग चुका है. यह आरोप पूरी तरह से गौरंग दोषी की जिद का परिणाम है.

राजतरु स्टूडियो के राजवीर राजतरु की माने तो वास्तव में 2002 में गौरंग दोषी ने फिल्म ‘आंखें’ का निर्माण किया था, जिसका निर्देशन विपुल अमृतलाल शाह ने किया था. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, परेश रावल, सुष्मिता सेन व अन्य कलाकारों ने अभिनय किया था. 2013 में राजतरु स्टूडियो के राजीव राजतरु ने 2013 में गौरंग दोषी से फिल्म आंखे का सिक्वअल बनाने के अधिकार खरीदें. इस फिल्म को विपुल अमृतलाल शाह ही निर्देशित करने वाले थे. पर फिल्म का निर्माण शुरू नहीं हो पाया. पटकथा वगैरह तैयार होने के बाद 2015 में जब राजतरु स्टूडियो ने आंखे के सिक्वअल आंखे 2 पर काम शुरू किया, तो पता चला कि गौरंग दोषी ने भी आंखे 2 पर काम शुरू कर दिया.

गौरंग दोषी को आंखे 2 बनाने से रोकने के लिए राजतरु स्टूडियो ने 4 अगस्त 2016 को अदालत का दरवाजा खटखटाया. तब 9 अगस्त 2016 को गौरंग दोषी के वकील ने अदालत को सूचित किया कि गौरंग दोषी आंखे 2 को लेकर कोई काम नहीं कर रहे हैं. गौरंग दोषी के वकील ने दावा किया कि गौरंग ऐसी कोई फिल्म नहीं बना रहे हैं. गौरंग दोषी ने अदालत को लिखित दिया कि वह फिल्म नहीं बना रहे हैं. पर 17 अगस्त 2016 को गौरंग दोषी ने निर्देशक अनीस बज़मी, अमिताभ बच्चन,अनिल कपूर व अन्य कलाकारों की मौजूदगी में मुंबई के सरकारी स्टूडियो फिल्म सिटी में फिल्म का शानदार मुहूर्त किया. जिसकी तस्वीरे अखबारों में छपने के अलावा न्यूज चैनलों पर वीडियो प्रसारित हो चुके थे. यह अदालत के आदेश की अवहेलना थी.

राजवीर राजपूत ने कहा, ‘इस मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त 2016 को हुई. इस सुनवाई के दौरान अदालत ने गौरंग दोषी को आदेश दिया कि वह अपनी फिल्म का प्रमोशन नहीं करेंगे. फिल्म से संबंधित कोई जानकारी या फोटो वगैरह मीडिया में नहीं देंगे. लेकिन गौरंग दोषी ने अदालत के इस आदेश की परवाह किए बगैर 23 अगस्त को फिल्म का पोस्टर लॉन्च किया. दो पत्रिकाओें में फिल्म का विज्ञापन छपवाया. अपने प्रचारक से कहकर गौरंग दोषी ने अपने मुंबई के खार स्थित आफिस में मीडिया को बुलाकर खुद व अभिनेता अर्जुन रामपाल ने फिल्म आंखे 2 को लेकर लंबी बात की. जिस पत्रकार ने आंखे 2 के अलावा दूसरे सवाल किए, उन पत्रकारों को इंटरव्यू नहीं दिया गया.’

राजवीर राजतरु के अनुसार मुंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस जे काठावाला ने पाया कि गौरंग दोषी बार बार अदालत के आदेश की अवहेलना कर रहे हैं. वह अदालत को बार बार गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं. मजेदार बात यह है कि गौरंग दोषी ने एक माह के अंदर अपने चार वकील बदले. 22 अगस्त को सुनवायी के दौरान गौरंग दोषी की तरफ से नया वकील हाजिर हुआ था. अब इस मामले में अगली सुनवायी 14 सितंबर को होनी है.

इस बीच राजवीर राजतरु का दावा है कि यदि गौरंग दोषी की तरफ से आंखे 2 पर काम बंद नहीं किया गया, तो उनके खिलाफ अदालत गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकती है. इतना ही नही राजतरु स्टूडियो की तरफ से इस सिलसिले में निर्देशक अनीस बज़मी, अभिनेता अमिताभ बच्चन व अनिल कपूर को भी नोटिस भिजवायी गई है.

मामला अदालत में होने के नाम पर गौरंग दोषी इस मसले पर कुछ कहना नहीं चाहते. मगर अंग्रेजी अखबार में इस खबर के छपने के बाद फिल्म आंखे 2 का निर्माण कर रहे गौंरग दोषी ने अपने प्रचारक के माध्यम से पत्रकारों को ईमेल भिजवाकर सफाई दी है. गौरंग दोषी के प्रचारक ने ईमेल मे लिखा है कि वह गौरंग दोषी और फिल्म आंखे 2 के कानूनी सलाहकार का बयान भेज रहे हैं. मगर ईमेल या बयान में कहीं भी कानूनी सलाहकार यानी कि वकील के नाम का जिक्र नही है.

इस ईमेल जो बयान है, वह इस प्रकार हैः

‘राजतरु स्टूडियो की तरफ से जो गलत व भ्रामक बातें छपवायी गयी हैं, उस पर अपने क्लाइंट की तरफ से स्पष्टीकरण देना जरुरी है. पहली बात तो मेरे क्लाइंट के खिलाफ अदालत की अवमानना का कोइ मसला नही है. सम्माननीय जज ने कारण बताओ नोटिस जारी की है, जिसका जवाब हमारे क्लाइंट देने वाले हैं. दूसरी बात मेरी जानकारी के अनुसार निर्देशक या कलाकारों को कोई नोटिस नहीं भेजी गयी है. यह कहना कि हमारे क्लाइंट के वकील चिराग मोदी ने 9 अगस्त को अदालत से कहा था कि हमारे क्लाइंट आंखे 2 पर काम नहीं कर रहे हैं, यह भी गलत है. राजतरु स्टूडियो को अच्छी तरह से पता है कि हमारे क्लाइंट ने आंखे 2 के निर्माण के अधिकार ‘ईरोज इंटरनेशनल प्रा. लिमिटेड’ से खरीदे हैं, जिनके पास भारत सहित परे विश्व मे इस फिल्म का नाम, मीडिया इंटलेक्च्युलअल प्रापर्टी, कॉपीराइट सहित सभी अधिकार हैं.

यह कहना भी गलत है कि यद आंखे 2 पर हमारे क्लाइंट ने काम बंद नहीं किया, तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट निकल जाएगा. हकीकत में यह राजवीर राजतरु हैं, जो कि मामला अदालत में होने पर भी मीडिया में गलत बातें प्रचारित कर जज महोदय को भ्रमित कर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित करने का अपराध कर रहे हैं. इस तरह तो राजवीर पर ‘अदालत की अवमानना’ का मसला बनता है. हमारे क्लाइंट अदालत के समक्ष राजवीर के खिलाफ ‘अदालत की अवमानना’ का मसला उठाएंगे. इसके अलावा हमारे क्लाइंट राजतरु स्टूडियो के राजवीर के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी करने वाले हैं.’

राजतरु स्टूडियो और गौरंग दोषी दोनो अपनी अपनी बातें कह रहे हैं. अब यह अदालत ही तय कर सकती है कि सच क्या है?

 

औरत को पुचकार, मर्द को फटकार

वह औरतों से खूब प्यार से मीठी-मीठी बातें करता है. खूब पुचकारता है. उसके बदन को सहलाता है, टटोलता है. काफी देर तक उसके जिस्म पर हाथ फेरता रहता है. औरत या लड़की के इलाज के नाम पर जम कर अपने सेक्स की भूख को शांत करता है.

वहीं कोई मर्द मरीज अपने इलाज के लिए आता है तो उसे 2-3 मिनट में ही चलता कर देता है. झाड़-फूंक के जरिए रोगियों का इलाज करने वाले ढ़ोंगी और पाखंडी बाबाओं का यही हथकंडा है.

बीमारियों के इलाज और झाड़-फूंक करने वाले ठग बाबा और ओझा मर्दों के झाड़-फूंक में कम और औरतों के झाड़-फूंक में ज्यादा दिलचस्पी लेता है. ढोंगी बाबा इलाज के नाम पर औरतों को नशा कराके बेहोश करने के बाद बलात्कार तक कर डालता है. लेकिन फिर भी लोगों की आंखें नहीं खुल रही हैं और सबकुछ जानने के बाद भी लोग बाबाओं के बुने जाल में पफंसने चले जाते हैं.

वहीं मर्दों का भूत-प्रेत झाड़ने के नाम पर उनके शरीर पर डंडा, जूता, चप्पल, थप्पड़ की धुंआधार बारिश की जाती है. हर महीने पूर्णमासी के मेले के मौके पर तकरीबन हर जिलों के गांवों में बाबाओं का धंधा खूब चलता रहता है.

पटना में तो जिला अधिकारी के ऑफिस और पुलिस हेडक्वार्टर के पास ही भूत-प्रेत झाड़ने और डायन-चुड़ैल भगाने का धंधा बेरोक टोक चलता रहता है. पूर्णमासी के दिन तो वहां बाबाओं की ठगी का खुला खेल चलता रहता है. कानून का पालन करने और कराने वालों के नाक के नीचे लूट और ठगी का जाल पफैला रहता है और वे लोग तमाशा देखते रहते हैं.

पटना के गंगा नदी के किनारे क्लेक्ट्रेरियट घाट के किनारे बिहार के गया जिला के शेरघाटी इलाके का रहने वाला किसान मदन साहनी बताता है कि उसकी 22 साल की बीबी सीमा को 3-4 दिनों से काफी उल्टियां हो रही थी. गांव के डाक्टरों को दिखाया पर कोई पफायदा नहीं हुआ. उसकी हालत बिगड़ती गई तो उसकी झाड़-फूंक के लिए बाबा के पास लेकर गया.

बाबा ने कहा कि उसके उफपर प्रेत की छाया है. उसे ठीक करने के लिए सीमा का ऑपरेशन करना पड़ेगा. इसके लिए ढाई हजार रूपया, 5 किलो सेव, 2 किलो संतरा, एक किलो मेवा, एक किलो घी और हवन का सामना लगेगा. रजनी की लगातार बिगड़ती हालत देख मदन सारा खर्च उठाने को तैयार हो गया.

जब सारा सामान आ गया तो बाबा ने सीमा को लिटा कर उसे चादर से पूरी तरह ढक दिया. उसके बाद कुछ बुदबुदाते हुए मंत्र पढ़ने का ड्रामा करता हुआ चादर के भीतर हाथ घुसा कर ऑपरेशन करने का काम शुरू कर दिया.

ऑपरेशन के बहाने वह सीमा के जिस्म से खेलता रहा और उसका पति मदन चुपचाप खड़ा तमाशा देखता रहा. पति के सामने ही बाबा सीमा के अंगों से खेलता रहा और आध घंटा के बाद जब बाबा का मन भर गया तो उसने मदन से कहा कि ऑपरेशन खत्म हो गया और वह अपनी बीबी को घर ले जाए.

झाड़-फूंक के बाद भी सीमा की तबीयत ठीक नहीं हुई तो उसे इलाज के लिए बाद में पटना के बड़े डॉक्टर के पास ले जाया गया. कुछ समय के इलाज के बाद सीमा की तबीयत ठीक हो गई. डॉक्टरों ने बताया कि सीमा को मलेरिया हुआ था.

ढोंगी बाबाओं की कारगुर्जरियों को देख आसानी से अंजादा लगाया जा सकता है कि वह ठग है और उसकी दिलचस्पी सिर्फ औरतों की झाड़-फूंक और टोटका करने में है. टोटके के बहाने वह औरतों के जिस्म को अपने हाथों से टटोल-टटोल कर अपनी वासना की प्यास बुझाने का मजा लेता है.

औरतों के घरवालों के सामने बड़ी ही चालाकी और बेशर्मी से बीमार औरत के कपड़ों के भीतर अपना हाथ घुसेड़ देता है और आंखें बंद कर मंत्र पढ़ने का ढोंग करता रहता है. औरत के घरवालें भी बाबा की सेक्सी हरकतों को इलाज करने का तरीका समझ कर चुपचाप तमाशा देखते रहते हैं और बाबा अपना ‘खेला’ कर लेता है.

आमतौर पर यही देखा जाता है कि चाहे कोई भी बीमारी हो, बाबा उसे भूत, प्रेत, डायन, बुरी आत्मा, चुड़ैल, जिन्न आदि का प्रकोप बता कर अनपढ़ गांव वालों को अपने जाल में पफंसा लेता है.

शेखुपरा जिला के भदौसी गांव की रजिया खातून को शादी के 7 साल बाद भी बच्चा नहीं हो रहा था तो उसके परिवार वाले भी बाबा के पास इलाज के लिए गए. बाबा ने औरत के घरवालों के सामने ही औरत के कपड़ों के भीतर हाथ घुसा कर मंतर पढ़ने का ड्रामा करने लगा.

8-10 मिनट तक अंगों को सहलाने के बाद बाबा ने 5 हजार रूपए का पूजा और हवन का सामान लाने को कहा और 3 रात पूजा करने की बात कही. रजिया के शौहर परवेज ने बताया कि गांव के स्कूल के हेडमास्टर ने पटना या दिल्ली जाकर इलाज कराने की सलाह दी. पटना में डॉक्टर से इलाज कराने के बाद उसकी बीबी को बच्चा हुआ. वह बाबा के चक्कर में फंस कर पैसा और समय बर्बाद करने से बच गया.

औरतों को सहला-पुचकार कर घंटों समय लगा कर इलाज किया जाता है वहीं मर्दो का इलाज बड़े ही टरकाउ तरीके से मिनट 2 मिनट में कर दिया जाता है. पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल के डॉक्टर विमल कारक कहते हैं कि झाड़-फूंक कर इलाज करने वाले बाबाओं का 2 ही मकसद होता है. रूपया और सेक्स की भूख को शांत करना.

भूत-प्रेत झाड़ने के नाम पर गांव के लोग आसानी से उनके जाल में फंस जाते हैं और अपनी आंखों के सामने बाबा की बेशर्म हरकतों को पुतला बने देखते रहते हैं. इलाज के नाम पर बाबा अपनी सेक्स की आग को ठंडा करता है और औरत के घरवालों से रूपया भी ठग लेता है. इसे ही कहते हैं हींग लगे न फिटकिरी और रंग चोखा आए.  

नालंदा जिला के नूरसराय गांव का रहने वाला 42 साल का श्याम राय बताता है कि पिछले महीने उसके सिर में चक्कर आने लगा. हर 2-4 दिनों पर जोर का चक्कर आने लगा. उसके घरवाले उसे बाबा के पास ले गए तो बाबा ने दूर से ही देख कर कहा कि उसके सिर पर भूत का साया है.

जब घरवालों ने उसका इलाज करने का अनुरोध किया तो पहले तो बाबा ने कहा कि अभी उसके पास समय नहीं है. अभी 12 ऑपरेशन करना है. 5 दिनों के बाद आएं. जब लोगों ने बाबा से मिन्नतें की तो बाबा ने उसे बाहर बैठने को कहा.

5 घंटे के बाद बाबा हाथ में डंडा लिए अपनी झोपड़ी से बाहर निकला. आते ही उसने सुखदेव के सिर पर डंडे से मारना चालू कर दिया. 8-10 डंडा मारने के बाद बाबा ने कहा कि अब भूत परेशान नहीं करेगा, फल, फूल और हुमाद के लिए 501 रूपया दानपेटी में डाल दो.

खास तकनीक से बनेगा टोक्यो ओलंपिक मेडल

2020 में जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खेल होने वाला है. इन खेलों के मेडल बनाने के लिए जापान एक अनोखा तरीका अपना रहा है.

सूत्रों के मुताबिक जापान ओलंपिक मेडल के लिए पुराने इलेक्टॉनिक उपकरणों, जिनमें स्मार्टफोन भी शामिल हैं को रिसाइकल करने की योजना बना रहा है. ओलंपिक खेलों के लिए बनाए जाने वाले गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल पूरी तरह दान में दिए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से बनाए जाएंगे.

इसका अर्थ यह है कि नए मेडल बनाने के लिए जापान को खदानों की जरूरत नहीं होगी. बल्कि वह लगातार बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से ही मेडल बना लेगा.

खेलों की आयोजन समिति ने जापानी कंपनियों से ऐसे आइडिया देने के लिए कहा है जिससे लोगों को इस काम के लिए डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. अगर यह योजना कारगर हो जाती है तो मेडल्स बनाने के लिए खान से धातु निकालने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी या बहुत कम हो जाएगी.

किसानों ने बनाई खुद की कंपनी

इसे किसानों को बिचौलियों से बचाने की मुहिम कहें या उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना, लेकिन जो भी हो, अब किसानों के अच्छे दिन आने शुरू हो जाएंगे यानी किसान यहां अपनी फसल बेच सकेगा. फसल के मूल्य के साथ कंपनी को जो भी लाभ होगा, किसान उसे आपस में बांट लेंगे.

नाबार्ड के सहयोग से बनी इस कंपनी का नाम ‘बदायूं फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड’ रखा गया है. कृषि के संस्थागत विकास से किसानों की माली हालत सुधारने के लिए केंद्र सरकार कृषि उत्पादक संगठन द्वारा इस योजना में बोआई से ले कर फसल बेचने तक जितना फायदा होगा, उसे किसानों में बांटा जाएगा.

यह जानकारी देते हुए नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक सुधीर सक्सेना ने बताया कि यह कंपनी शेयर आधारित है. इस में 500 से 1 हजार किसान शामिल किए जाएंगे.

कंपनी बन जाने से किसानों को खाद बीज के साथ-साथ कीटनाशक भी सीधे कंपनी से खरीदने का अधिकार मिल जाएगा और वे फसल की बिक्री सीधे कर सकेंगे. कंपनी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन और रख-रखाव में खर्च होने वाली धनराशि नाबार्ड द्वारा 3 सालों तक वहन की जाएगी.

पंकज स्नूकर विश्व चैंपियनशिप में बॉन्ज जीतने वाले पहले भारतीय

पंकज आडवाणी प्रतिष्ठित सैंगसोम 6 रेड स्नूकर विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. उन्होंने सेमीफाइनल में चीन के डिंग जुनहुई के खिलाफ शिकस्त के बाद कांस्य पदक हासिल किया.

क्वार्टर फाइनल में आडवाणी को वॉकओवर मिला था क्योंकि माइकल होल्ट निजी कारणों से प्रतियोगिता से हट गए थे. जुनहुई ने आडवाणी को 7-4 :0-37, 68-0, 73-0, 41-26, 49-15, 7-57, 0-57, 67-0, 57-0, 20-34, 69-9 से हराया.

आडवाणी ने अपने प्रदर्शन पर कहा, "इस चैंपियनशिप में इस तरह की प्रतिस्पर्धा के बीच भारत के लिए पहला पदक जीतना दर्शाता है कि आपने अच्छा प्रदर्शन किया है. मैं इस टूर्नामेंट के लिए बाहरी व्यक्ति था और इतनी आगे तक आना काफी अच्छा लगता है."

उन्होंने कहा, "डिंग शानदार खिलाड़ी है. मैंने ग्रुप चरण में उसे हराया था लेकिन आज वह बेहतर खिलाड़ी था. मैं उन्हें फाइनल के लिए शुभकामनाएं देता हूं."

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