भारतीय सिनेमा के इतिहास पर यदि गौर किया जाए, तो देश में केंद्र की सरकार बदलते ही फिल्मकारों की सोच बदल जाती है. सभी केंद्र की सरकार को ध्यान में रखते हए अपनी फिल्म के लिए कहानी चुनने लगते हैं. हम इसके लिए अतीत की कब्र खोदने की जरुरत महसूस नहीं करते. मगर जब से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी है, तब से जिस तरह का सिनेमा भारत में बन रहा है, उस पर बारीकी से गौर किया जाए, तो यही सच सामने आता है कि सरकार बदलने के साथ ही भारतीय फिल्मकारों की सोच बदल जाती है. फिलहाल तमाम फिल्मकार अपनी फिल्मों में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियानों को ही किसी न किसी बहाने प्रचारित कर रहे हैं.
इस चर्चा के पीछे हमारा मसकद ‘‘सरिता’’ पत्रिका के पाठकों के सामने हर्षवर्धन कपूर की विक्रमादित्य मोटावणे के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘‘भावेष जोशी’’ की विषय वस्तु के सच को रखना है. बौलीवुड और मीडिया में चर्चाएं गर्म हैं कि ‘‘भावेष जोशी’’ की कहानी एक गुजराती युवक की कहानी है, जिसके पास कुछ सुपर पावर हैं. यानी कि यह फिल्म एक सुपर हीरो की कहानी है. मगर खुद हर्षवर्धन कपूर पूरी तरह से इस बात से सहमत नहीं है. वह फिल्म ‘भावेष जोशी’ की कहानी पर खुलकर बात नहीं करना चाहते. मगर हर्षवर्धन कहते हैं-‘‘फिल्म ‘भावेष जोशी’ में मेरा किरदार आम सुपरहीरो वाला नहीं है. इस फिल्म को या मेरे किरदार को कृष न समझें. भावेष एक सजग हीरो है. यह बड़े बजट वाली फिल्म नहीं है. इसे आप कामिक की किताब की तरह पढ़ सकते हैं. यह एक हीरो के जन्म की कहानी है. यह विक्रमादित्य मोटावणे की एक्शन प्रधान कमर्शियल फिल्म है.’’
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