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Xiaomi ला रहा है फोल्ड टच स्क्रीन मोबाइल

आज हर कंपनी अपने ग्राहकों के लिए नई-नई तकनीक के मोबाइल फोन लेकर आ रही है ताकि वह मार्केट में छाए रहें. कुछ ऐसा ही एक फोन Xiaomi लाने की तैयारी में है जो फोल्ड हो सकता है. सुनकर आपको अचरज होगा लेकिन यह सही खबर है. इस तकनीक पर लेनोवो, सैमसंग और एलजी भी काम कर रहे हैं.

Xiaomi के इस फोल्ड होने वाले टच स्क्रीन मोबाइल फोन का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में वायरल है. इस 30 मिनट के वीडियो को कुछ हफ्ते पहले इंटरनेट पर डाला गया था. इस वीडियो में यह साफ नहीं है कि यह फोन हर तरफ घुम सकता है. वीडियो में यह फोन एक व्यक्ति के हाथ में है और वह इस फोन को फोल्ड कर रहा है. इतना ही नहीं इस फोन की और क्या खासियत है और यह कब मार्केट में आएगा यह भी अभी साफ नहीं है.

इससे पहले रिपोर्ट आई थी कि 2017 में सैमसंग 2017 में OLED स्क्रीन वाले दो स्मार्टफोन लाने वाला है जो फोल्ड भी हो सकते हैं. एक मॉडल का फोन आधा ही फोल्ड हो सकता है जबकि दूसरा पांच इंच को मोबाइल फोन खोलने पर टैबलेट साइज का आठ इंच का पैनल हो जाएगा.

AFC फाइनल में पहुंचने वाला पहला भारतीय क्लब बना BFC

भारतीय कप्तान सुनील छेत्री के दोहरे गोल की मदद से बंगलुरू एफसी ने इतिहास रचते हुए गत चैम्पियन ‘जोहोर दारू ताजिम’ को 3-1 से हराकर एएफसी कप फुटबॉल फाइनल में जगह बना ली.

बंगलुरू ने बेहतर गोल औसत की मदद से फाइनल में प्रवेश किया. मलेशिया में पहला राउंड 1-1 से ड्रॉ रहा था जिससे बंगलुरू का गोल औसत 4-2 रहा.

भारतीय फुटबॉल के लिए यह दिन ऐतिहासिक रहा क्योंकि अभी तक कोई भी भारतीय क्लब इस प्रतिष्ठित उपमहाद्विपीय टूर्नामेंट के फाइनल में नहीं पहुंच सका है.

मलेशिया के लिए शफीक रहीम ने 11वें मिनट में गोल किया. छेत्री ने 41वें मिनट में बराबरी का गोल दागा और 67वें मिनट में टीम को बढत दिलाई. बंगलुरू के लिये तीसरा गोल स्पेनिश डिफेंडर जुआन अंतोनियो गोंजालेस फर्नांडिस ने 75वें मिनट में किया.

खचाखच भरे स्टेडियम में मेजबान टीम 41वें मिनट तक एक गोल से पीछे थे. इसके बाद कप्तान ने मोर्चे से अगुवाई करते हुए पहला गोल किया. दूसरे हाफ में छेत्री ने 30 गज की दूरी से शानदार किक लेते हुए दूसरा गोल किया. लिंगदोह ने आखिरी गोल में एंकर की भूमिका निभाते हुए गत चैम्पियन को टूर्नामेंट से बाहर कर दिया. उनकी फ्री किक पर लुआन ने 18 गज की दूरी से यह गोल किया.

Jio सिम यूज करने से जल्दी खत्म हो रही है Battery?

5 सितंबर से सभी 4जी स्मार्टफोन उपभोक्ताओं के लिए रिलायंस जियो सिम शुरू कर देने के बाद से ही यूजर्स इसकी और आकर्षित हो गए थे. इसके अलावा कंपनी मुफ्त में ढ़ेर सारी सर्विस दे रही है. जियो वेलकम ऑफर के तहत 31 दिसंबर तक के लिए सभी सेवाएं मुफ्त में दी जा रही हैं. इसके तहत 31 दिसंबर तक जियो के अनलिमिटेड वाइस कॉलिंग, एसएमएस, वीडियो कॉल्स, अनलिमिटेड 4जी डाटा और जियो ऐप्स का लाभ ले सकते हैं. इस कारण कई टेलिकॉम कंपनियों के ग्राहक रिलायंस जियो की ओर रुख कर रहे हैं.

लेकिन रिलायंस जियो सिम का इस्तेमाल कर रहे लोगों को धीरे-धीरे कई तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं. सबसे बड़ी दिक्कत 4जी इंटरनेट की स्पीड घटने की आ रही है. वहीं वॉयस कॉलिंग और नेटवर्क में आ रही समस्या के साथ ही कुछ यूजर्स को बैटरी जल्दी खत्म होने की दिक्कत भी आ रही है. रिलायंस जियो सिम का इस्तेमाल करते हुए अगर बैटरी जल्दी खत्म हो रही है तो इन तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

1. जियो सिम खरीदने से लेकर इसका इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले आपको MyJio ऐप डाउनलोड कराई जाती है. इसके अंदर ही जियो टीवी, सिनेमा, म्यूजिक, जियो क्लाउड जैसी जियो की ढेर सारी अन्य ऐप्स का संग्रह है. कई यूजर्स इसमें दी गई सभी ऐप को डाउनलोड कर लेते हैं, जो लगातार बैटरी का इस्तेमाल करती रहती हैं. ऐसे में सही होगा कि जियो की उन ऐप्स को uninstall कर दिया जाए जिनका आप इस्तेमाल नहीं करते. इससे ना सिर्फ बैटरी की खपत कम होगी, बल्कि फोन की स्टोरेज के लिए भी सही रहेगा.

2. अगर आप जियो की ऐप्स को फोन से नहीं हटाना चाहते या फिर हटाने के बाद भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको बैकग्राउंड डेटा बंद करना होगा. दरअसल इनमें से कई ऐप लगातार बैकग्राउंड में चलती रहती हैं. ये ऐप फोन का इंटरनेट डेटा तो इस्तेमाल करती ही हैं, साथ ही बैटरी भी खर्च करती हैं. बैकग्राउंड में इनका चलना बंद करने के लिए आपको सेटिंग में कुछ बदलाव करने होंगे.

3. दरअसल, लगातार इंटरनेट एक्सेस की वजह से भी बैटरी हीट होती है और तेजी से डिस्चार्ज होती है. ऐसे में जरूरत ना होने पर इंटरनेट बंद कर दें और वाईफाई हॉटस्पॉट को ऑन करने से भी बचें. 

ब्लॉक हो सकता है आपका एटीएम…!

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने करीब 6 लाख डेबिट कार्ड्स को ब्लॉक कर दिया है. सुरक्षा चक्र में सेंध लगने की वजह से देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक एसबीआई ने यह फैसला लिया है. बैंक के सूत्रों के मुताबिक एसबीआई के नेटवर्क से बाहर के किसी एटीएम से ऐसी गड़बड़ी हुई है. यह पहला मौका है, जब भारत में किसी बैंक ने इतने बड़े पैमाने पर अपने डेबिट कार्ड्स को ब्लॉक किया है.

एसबीआई के चीफ टेक्नॉलजी ऑफिसर शिव कुमार भसीन ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, 'यह सिक्योरिटी ब्रीच का मामला है, लेकिन यह हमारे बैंकिंग सिस्टम से जुड़ा मसला नहीं है. कई दूसरे बैंकों को भी इस समस्या का सामना करना पड़ा है. यह समस्या लंबे समय से चल रही है.' भसीन ने कहा कि एसबीआई नेटवर्क से जुड़े एटीएम ही इससे प्रभावित नहीं हैं.

भसीन ने कहा, 'इस मालवेअर से कुछ एटीएम प्रभावित हुए हैं. जब लोग वायरस से प्रभावित एटीएम और स्विचेज में एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उनके डेटा के चोरी होने की संभावना बढ़ जाती है.' एसबीआई के नेटवर्क से जुड़े तमाम ग्राहकों ने यह पाया है कि बैंक ने उनके डेबिट कार्ड को ब्लॉक कर दिया है. एसबीआई ने अपनी शाखाओं को ब्लॉक किए गए कार्ड्स के बारे में जानकारी दी है. जल्दी ही ब्लॉक किए गए कार्डों को दोबारा जारी किया जाएगा.

भसीन ने कहा, 'ग्राहकों को पैनिक में आने की जरूरत नहीं है. वह ब्रांच में संपर्क कर सकते हैं, फोन बैंकिंग पर कॉल कर सकते हैं या फिर इंटरनेट के जरिए दोबारा कार्ड के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इसके अलावा वह अपने डेबिट कार्ड का पिन नंबर भी इंटरनेट बैंकिंग के जरिए सेट कर सकते हैं.'

विराट को सिर्फ इनसे लगता है डर

भारतीय टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने अपनी जिंदगी पर लिखी गई किताब 'ड्रिवन' का जब विमोचन किया तो वो काफी भावुक नजर आए. मौके पर पूर्व कप्तान कपिल देव, टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले, पूर्व टीम डायरेक्टर रवि शास्त्री और पूर्व धुरंधर ओपनर वीरेंद्र सहवाग भी मौजूद थे.

इस दौरान विराट ने अपने दिल की बातों को खुलकर सामने रखा और ये भी बता डाला कि आखिर वो सबसे ज्यादा किससे डरते हैं.

विराट के मुताबिक आज जब वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के शीर्ष स्तर पर पहुंच गए हैं, फिर भी वो अपने कोच राजकुमार शर्मा व उनकी डांट से सबसे ज्यादा डरते हैं.

विराट ने कहा, 'वो (राजकुमार) एकमात्र ऐसे इंसान हैं जिनकी डांट से मैं डरता हूं. आज भी मैं उन्हें कुछ नहीं कह पाता और ये उनके प्रति मेरा सम्मान है. ऐसे किसी का आपके साथ होना हमेशा अच्छा होता है.'

विराट ने अपनी किताब के विमोचन के दौरान ये भी कहा कि उनके लिए रिश्तों में इमानदारी सबसे ज्यादा अहम है. इसीलिए 1998 से लेकर आज तक उनके सिर्फ एक ही कोच रहे हैं और वो हैं राजकुमार शर्मा.

विराट ने कहा कि ये कभी नहीं बदलने वाला. इसके अलावा विराट ने ये भी कहा कि उन्होंने आइपीएल में भी अब तक सिर्फ एक ही टीम (बंगलुरु) से खेला है और ये भी कभी नहीं बदलने वाला.

80 प्रतिशत से ज्यादा ऐंड्रॉयड यूजर्स खतरे में

अगर आपके स्मार्टफोन में ऐंड्रॉयड मार्शमैलो से पहले का कोई मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है तो सावधान रहें. आपका फोन अभी भी उस वायरस  का शिकार हो सकता है, जो मोबाइल का रूट ऐक्सेस लेने के बाद इन्फर्मेशन को हैकर्स को भेज देता है.

चीता मोबाइल ने चर्चित ऐंड्रॉयड ट्रोजन 'गोस्ट पुश' के इंप्रूव्ड वर्जन के बारे में नई रिपोर्ट जारी की है. जिन लोगों के डिवाइस इस वायरस  से इन्फेक्ट हुए हैं, उनमें से ज्यादातर ने अनऑफिशल ऐप्स डाउनलोड किए थे. रिपोर्ट कहती है कि जिन ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से इन्स्टॉल नहीं किया जाता, उनमें वायरस  होने का खतरा ज्यादा होता है.

रिपोर्ट कहती है कि हर दिन ऐंड्रॉयड डिवाइसेज पर करीब 10 लाख ऐप डाउनलोड किए जाते हैं. इनमें से 1 पर्सेंट में किसी न किसी तरह का मैलवेयर होता है. ज्यादातर ऐप्स में ट्रोजन होते हैं. एक दिन में इंस्टॉल होने वाले करीब 10,000 सॉफ्टवेयर में मैलवेयर होते हैं और यह आंकड़ा चिंता का विषय है.

गोस्ट पुश (Ghost Push) एक ऐसा ही वायरस है, जिसे हैकर्स और ऑनलाइन क्रिमिनल इस्तेमाल करते हैं. इसका पता सबसे पहले 2014 के आखिर में पता चला था. पिछले साल ही इस वायरस  ने 9 लाख डिवाइसेज को इन्फेक्ट कर दिया था. सबसे ज्यादा भारतीय यूजर्स के स्मार्टफोन्स इस वायरस  की चपेट में आए थे.

एक बार फोन में आने के बाद यह वायरस  रूट ऐक्सेस हासिल कर लेता है और कई तरह की जानकारियां चुराने में हैकर्स की मदद करता है. इसलिए यह जरूरी है कि कोई अनऑफिशल APK फाइल इंस्टॉल करनी है तो पहले ऐंटीवायरस  रन करके उसे स्कैन कर लिया जाए.

रिसर्चर्स ने यह भी पाया है कि ज्यादातर इन्फेक्टेड फाइल्स अडल्ट वेबसाइट्स या ठगने वाले ऐडवर्टाइजिंग लिंक्स से डाउनलोड होती हैं. चिंता की बात यह है कि ऐंड्रॉयड मार्शमैलो 6.0 से पहले के OS पर रन करने वाले किसी भी फोन को यह वायरस  इन्फेक्ट कर सकता है. गौरतलब है कि अभी 80 फीसदी से ज्यादा ऐंड्रॉयड डिवाइसेज मार्शमैलो से पहले वाले OS पर रन कर रहे हैं.

क्रिमिनल्स ने इस सॉफ्टवेयर्स को अन्य ऐप्स के साथ मिलाकर फैलाने में कामयाबी हासिल की है. सुपर मारियो और वर्डलॉक के नाम पर ऐप बनाकर उन्होंने हर दिन सैकड़ों डाउनलोड करवाए. चिंता की बात यह भी है कि गूगल का सिक्यॉरिटी सिस्टम भी इन्हें पकड़ नहीं सका. इस वायरस  को फैलाने का दूसरा तरीका रहा- फर्जी मोबाइल वेबसाइट्स.

इसी तरह से पिछले दिनों गॉडलेस वायरस  ने भी ऐंड्रॉयड फोन्स को इन्फेक्ट किया था और 90 प्रतिशत स्मार्टफोन्स को उससे खतरा था.

कांग्रेस ने तोड़ा नीतीश का भ्रम

बिहार में नीतीश सरकार की सहयोगी कांग्रेस ने नीतीश के प्रधानमंत्री बनने की कोशिशों को जोरदार झटका दिया है. नीतीश की पार्टी जदयू ने पिछले दिनों ही नीतीश को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार ही नहीं बताया बल्कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकल्प के तौर पर पूरे देश में सबसे बेहतरीन उम्मीदवार करार दे डाला था.

जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दरकिनार कर नीतीश को प्रधानमंत्री का सबसे अच्छा दावेदार बताया है. नीतीश भी पिछले लोक सभा में मिली करारी हार के बाद से ही नरेंद्र मोदी को चुनौती देने की जुगत में लगे हुए हैं.

जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दो दिनों बाद ही कांग्रेस महासचिव और बिहार के प्रभारी सीपी जोशी पटना पहुंचे और प्रदेश कांग्रेस के मुख्यालय सदाकत आश्रम में मीडिया से बातचीत के दौरान नीतीश के प्रधानमंत्री बनने के उम्मीदों को जोर का झटका धीरे से दे दिया.

जोशी ने अपनी बातों से साफ कर दिया कि बिहार में उनके सहयोगी दल जदयू और राजद किसी मुगलते में नहीं रहें. उन्होंने साफ तौर पर कांग्रेस आलाकमान की मंशा जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार राहुल गांधी ही हैं.

दूसरे दल किसे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करते हैं, इससे कांग्रेस को कोई लेनादेना नहीं है. जोशी ने मुस्कुराते हुए नीतीश के प्रधानमंत्री के दावेदारी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अभी इस तरह की कोई ‘वेकेंसी’ नहीं है. इस बारे में चर्चा करना ही बेकार है.

जोशी ने ठहाका लगाते हुए कहा कि जदयू की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार हो सकते हैं, पर कांग्रेस की ओर से तो राहुल गांधी ही उम्मीदवार हैं. प्रधानमंत्री बनने के साथ-साथ जोशी ने नीतीश कुमार के बिहार से बाहर भी महागठबंधन बनाने की मुहिम को जोरदार झटका देकर दिल्ली उड़ गए.

उन्होंने कहा कि बिहार में उनके सहयोगी दलों को समझ लेना चाहिए कि उनके साथ कांग्रेस का गठबंधन केवल बिहार लेवल पर ही है. दूसरे राज्यों और केंद्रीय स्तर पर किसी के साथ चुनावी गठबंधन नहीं है और न ही किसी के साथ महागठबंधन बनाने जैसी कोई बातचीत चल रही है.

गौरतलब है कि पिछले बिहार विधन सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को पटखनी देने के बाद से ही नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच कर मोदी को चुनौती देने की जुगत में लगे हुए हैं. नीतीश को नरेंद्र मोदी के कद के बराबर खड़ा करने की तैयारी उनकी पार्टी जदयू लगातार कर रही है.

243 सीटों वाली विधन सभा चुनाव में भाजपा को 53 सीटों पर समेट कर नीतीश, लालू और कांग्रेस के गठबंधन ने मोदी को धूल चटाया था. नेशनल लेवल पर खुद को प्रोजेक्ट करने के लिए ही नीतीश कुमार ने संघवाद और भाजपा के खिलापफ देशव्यापी मुहिम छेड़ने के लिए तमाम समाजवादियों और सियासी दलों को एक झंडे तले लाने की कवायद शुरू कर रखी है. इसके पीछे उनकी निगाहें साल 2019 में होने वाली लोक सभा चुनाव पर ही टिकी हुई है.

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह साफ लहजे में कहते हैं कि नीतीश कुमार की अगुवाई में नेशनल लेवल पर राजनीतिक मंच बनाने की मुहिम चल रही है और दूसरे राज्यों में भी महागठबंधन बनाने की कोशिश की जा रही है.

इसके लिए नीतीश कुमार इलाकाई दलों के नेताओं से लगातार मिल रहे हैं. कई इलाकाई दल नीतीश को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे देखना चाहते हैं. अब अगले 3 सालों तक नीतीश समूचे देश में घूम-घूम कर समाजवादियों और भाजपा विरोधी दलों को एक बैनर के नीचे लाएंगे. 

सफलता के साथ प्यार जरूरी: कंगना रनौत

‘क्वीन’ फिल्म से चर्चा में आने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत आज बॉलीवुड की क्वीन कही जाती हैं. अत्यंत स्पष्ट भाषी और बोल्ड स्वभाव की कंगना, फिल्मी दुनिया में गॉडफादर न होने के बावजूद, अभिनय कर उन्होंने अपनी मंजिल पाई. थिएटर से फिल्मों की ओर रूख करने वाली कंगना को बचपन से अभिनय का शौक था. उनके इस सफर में काफी मुश्किलें आईं, पर उन्होंने उसे दरकिनार कर अपना रास्ता तय किया.

शुरुआत में कई बार उनकी इमानदारी, बोलने के लहजे और शरीर के आकार को लेकर काफी आलोचना की गई. लेकिन कंगना ने उसे नजरंदाज किया. हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गाँव से ताल्लुक रखने वाली कंगना ने ‘गैंगस्टर’ फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. ‘क्वीन’ फिल्म उनके जीवन की टर्निंग पॉइंट थी जहां से वह पूरी फिल्म इंडस्ट्री में छा गईं. अपने काम और उसकी सफलता को लेकर वह अधिक चिंतित नहीं रहतीं, क्योंकि उसे हमेशा अभिनय करते रहना पसंद है. वह एकमात्र ऐसी अभिनेत्री हैं जिसने ‘बी ग्रेड’ फिल्मों में भी काम किया है. चेतन भगत की नॉवेल ‘वन इंडियन गर्ल’ के विमोचन पर उनसे हुई बातचीत के पेश हैं कुछ अंश.

प्र. इस किताब की कोई ऐसी घटना ,जिससे आप अपने आप को रिलेट कर सकती हैं?

यह एक सेंसेटिव किताब है जिसकी कई घटनाएं मुझसे जुड़ी हुई हैं. खासकर कामकाजी महिलाओं से मैं अपने आप को जोड़ सकती हूं. मैंने कई जगह देखा है कि अगर कोई महिला पुरुष से सफल होती है तो उसकी वैल्यू कम हो जाती है. अधिकतर पुरूष महिला को अपने से कमतर देखना चाहते हैं, वह आगे बढ़ने पर उसे कुछ न कुछ बात कहकर यह प्रूव करना चाहते हैं कि उनकी सोच सही नहीं. ऐसा मेरे साथ भी हुआ. इससे मुझमें और अधिक मेहनत करने की प्रेरणा जगी. दरअसल किसी पुरुष की सफलता महिला सबसे अधिक सेलिब्रेट करती है. मुझे याद आता है कि मेरा रिलेशनशिप हमेशा मेरे विरूद्ध रहा. जब मैं सफल नहीं थी, उसने साथ दिया और ज्योही मैं सफल हुई, मेरा पार्टनर मुझसे ईर्ष्या करने लगा. उसका विश्वास मुझसे उठ गया और मेरा रिश्ता टूट गया. मैं बहुत दुखी हुई पर कोई चारा नहीं था, क्योंकि मैं अब पीछे नहीं जा सकती थी.

प्र. अभी आप एक सफल और सबसे अधिक मेहनताना पाने वाली अभिनेत्री बन चुकी हैं, ऐसे में आप क्या कुछ खो रही हैं?

जीवन में सफलता के साथ प्यार जरूरी है और यह हर महिला के लिए आवश्यक है. जो मुझे नहीं मिला जब मैं सफल हुई मुझसे मेरा प्यार छूट गया.मैंने हमेशा एक अच्छे जीवन साथी की कल्पना की थी जो मेरी सफलता को एन्जॉय करें. जो मुझे नहीं मिल पाया. ऐसे कम पुरूष होते हैं जो महिलाओं को सहयोग देते हैं,आज ऐसे पुरुषों की परिवार में आवश्यकता है. मुझे याद आता है जब मुझे पहली बार अवार्ड मिलने पर मैंने एक पार्टी रखी तो मेरा बॉयफ्रेंड खुश होने के वजाय अजीब नजर आया.

प्र. आप अपने जर्नी को कैसे देखती है?

मैंने जो करनी चाही, किया. मुझे इस बात का दुःख नहीं कि मैंने ‘बी ग्रेड’ फिल्में की हैं. मुझे जो फिल्म उत्साहित करे, उसे करती हूं. कोई मापदंड मैंने अपने लिए तैयार नहीं किया है. मैं आगे बढ़ना चाहती हूं इसमें जो फिल्म आ जाये उसे करती हूं . हर फिल्म मेरे लिए एक चुनौती लेकर आती है और जब फिल्म सफल होती है तो खुशी मिलती है. एक ‘आउटसाइडर’ को किसी फिल्म को ना कहने का हक नहीं होता. यही वजह है कि आज मैं सफल अभिनेत्री बन पाई. फिल्म गैंगस्टर,फैशन,वो लम्हे, तनु वेड्स मनु की सीरीज, क्वीन, कृष आदि सभी फिल्मों के द्वारा मेरी पहचान बनी. पहले लोगों ने मेरे पहनावे, बोलचाल और फिगर को लेकर काफी मजाक उड़ाया, पर मैंने उसे नजरअंदाज किया आज मेरे पहनावे की सब तारीफ करते हैं.

प्र. आप ऋतिक के साथ हुई कंट्रोवर्सी को कैसे लेती हैं?

मुझे बहुत अजीब लगता है कि 43 साल के बेटे को बचाने उसके पिता हमेशा क्यों आगे आते हैं. सारे बड़े नाम वाले पिता अपने बेटे को कितना अपने पीछे छुपाकर रखेंगे. उनका बेटा एडल्ट है अपनी समस्या खुद सुलझा सकता है. वह  मेरे सामने आये, मैं उसके किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार हूं.

प्र. आपको अगर सुपर पावर मिले तो क्या बदलना चाहती है?

मैं पुरूष और समाज की सोच को बदलना चाहती हूं जहां महिलाओं को अपने इच्छानुसार सबकुछ करने का मौका मिले. उनकी दखलंदाजी महिलाओं के जीवन में ना हो.

प्र. आपके सपनों का राजकुमार कैसा होगा?

ऐसा इंसान जो मेरी सफलता से खुश हो, मिलना मुश्किल है. जब आप सफल नहीं होते तब आपका कोई मोल नहीं होता और सफल होने पर एक कॉम्पिटीशन का सामना हमेशा करना पड़ता है. जैसा मेरे साथ पहले हुआ, जब मैं सफल नहीं थी तो मैं क्या पहनूं, ड्रेस का मूल्य कितना है, कब सेक्स करूं, ये सब उसके मर्जी से था. जब सफल हुई तो ‘ईगो’ सामने आया इसलिए अब मैं सतर्क हो चुकी हूं और अपने काम पर ध्यान दे रही हूँ.

प्र. क्या आप फैमिनिस्ट हैं?

नहीं मैं नारीवादी नहीं हूं, मैं इसे ‘ह्यूमनिज्म’ कहूंगी. जो एक पुरुष में होने चाहिएं. जो बिना किसी शर्त के महिलाओं का साथ दे. सालों से महिलाएं त्याग के नाम पर प्रताड़ित की जाती रही हैं. परिवार में बच्चों की देखभाल को एक जिम्मेदारी का नाम दिया जाता है. परिवार सम्भालने का काम कम नहीं होता. ये महिलाएं एक भविष्य का निर्माण कर रही हैं. मेरे हिसाब से एक हाउसवाइफ को मान-सम्मान नहीं मिलता और करियर ओरिएंटेड महिला को प्यार और विश्वास नहीं मिलता. आधुनिक महिलाओं को ऐसी परिस्थिती से गुजरना पड़ रहा है.

प्र. आगे कौन सी फिल्में कर रही हैं?

आगे कई फिल्में है जिसमें अभी मैं ‘सिमरन’ फिल्म की शूटिंग कर रही हूं. जिसमें मैं एक तलाकशुदा महिला की भूमिका निभा रही हूं.                                                    

भाजपा में ‘सीएम फेस’ की रेस

भाजपा में ‘सीएम फेस’ की रेस एक बार फिर से तेज हो गई है. भाजपा में पल-पल बदलते नेताओं के महत्व से कयास लगाना मुश्किल हो गया है. पर जिस तरह से भाजपा के पुराने नेता बेचैनी अनुभव कर रहे हैं उससे साफ होता जा रहा है कि भाजपा का सीएम फेस केन्द्र सरकार के मंत्रीमंडल से ही निकलेगा.

भाजपा के कुछ नेता तो पहले खुद को सीएम का फेस प्रोजेक्ट कराते हैं. पर जब यह मामला तूल पकड़ने लगता है तो खुद ही उससे इंकार करने लगते हैं. लखनऊ के मेयर डाक्टर दिनेश शर्मा ने जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को रामलीला देखने लखनऊ बुलाया तो यह लगा कि डाक्टर दिनेश शर्मा सीएम का फेस हो सकते हैं.

स्मृति इरानी के फर्जी डिग्री की मुददा कोर्ट से खारिज होने के बाद उनका नाम भी आगे आ गया है. भाजपा महिला मुख्यमंत्री के रूप में उनको आगे कर सकती है. गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इंकार करने के बाद गौतमबुद्व नगर यानि नोएडा के सांसद और केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री डाक्टर महेश शर्मा का नाम सीएम फेस की रेस में सबसे आगे आ गया है. केन्द्र सरकार ने जब अयोध्या में रामायण म्यूजियम को लेकर उनको जिम्मेदारी दी तो यह साफ हो गया कि डाक्टर महेश शर्मा से उसे खास उम्मीदे हैं.

पार्टी राम के नाम के साथ डाक्टर महेश शर्मा को जोड़कर उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. औपचारिक रूप से भले ही अभी उनके नाम की घोषणा न हो पर पार्टी संगठन के लेवल पर यह तय हो चुका है. जिस तरह से भाजपा से अपर कास्ट का दूर होना शुरू हुआ था उसको रोकने के लिये डाक्टर महेश शर्मा का नाम सबसे मुफीद है. वह भाजपा में राज्य की गुटबाजी वाली राजनीति से बहुत दूर हैं. दूसरे नेताओं की तरह उनको कोई गुट नहीं है.

केन्द्र सरकार में मंत्री होने के कारण वह प्रधानमंत्री की नीतियों और कार्यशैली से पूरी तरह से परिचित है. वह सीधा-सीधा धार्मिक फेस नहीं है. पर उनकी हिन्दुत्ववादी पहचान भी है. डाक्टर महेश शर्मा भाजपा नेता राजनाथ सिंह के भी करीबी है. भाजपा कितना भी फूंक-फूंक के कदम रख ले पर गुटबाजी से निजात मिलना सरल नहीं है.

डाक्टर महेश शर्मा जिस समय अयोध्या में रामायण म्यूजियम की बात कर रहे थे उसी समय भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय कटियार इसे लौलीपॉप बता रहे थे. विनय कटियार अयोध्या में रामजन्मभूमि आन्दोलन से जुड़े नेता हैं. यही उनकी पहचान है. ऐसे में उनकी बेचैनी स्वाभाविक है. असल में भाजपा में पुरानी पीढ़ी को दरकिनार कर नई पीढ़ी और दल बदल कर आये नेताओं को ज्यादा महत्व दिये जाने से पुराने लोग बेचैन हैं.

विनय कटियार ने वह बात कही है जिसे भाजपा संगठन और उसके दूसरे प्रमुख संगठनों के लोग कहना चाहते हैं. केन्द्र में भाजपा की बहुमत वाली सरकार है. ऐसे में राममंदिर को लेकर उनसे पार्टी संगठन और दूसरे लोगों की अलग अपेक्षायें हैं. भाजपा राम जन्मभूमि विवाद को विपक्ष में रहते हुये अदालत से बाहर हल करने की बात कहती थी. सरकार में आने के बाद अदालत के फैसले की बात कह रही है. केन्द्र सरकार की योजना है कि रामायण म्यूजियम को इतना आगे कर दो कि लोग रामजन्मभूमि के मुद्दे को भूल जाये.

 

सपा-भाजपा और राम का नाम

उत्तर प्रदेश में राममंदिर नहीं पर राम सहीकी धारणा पर समाजवादी पार्टी और भाजपा अपनी चुनावी रणनीति में एक दूसरे का मुकाबला करने की चाल चल रही है. समाजवादी पार्टी राम के नाम पर इंटरनेशनल थीम पार्क बना रही है तो भाजपा रामायण म्यूजिम बना रही है.

दोनों खुद के काम को विकास का काम तो दूसरे के काम को चुनावी कदम बता रहे हैं. सपा नेता शिवपाल यादव कहते हैं चुनाव पास आ गये तो भाजपा को राम और अयोध्या याद आ गया. इसका जवाब देते हुए केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा कहते हैं सपा के पास 5 साल का समय था तब उनको राम की याद नहीं आई अब दो माह का समय बचा है तो अयोध्या की बात याद आ रही है’.

असल में भाजपा और सपा दोनो को ही अयोध्या से राजनीतिक ताकत मिलती रही है. दोनो ही एक दूसरे के पूरक है. अयोध्या के संतों में भी दो गुट है. भाजपा के साथ विश्व हिन्दू परिषद और मंहत नृत्य गोपालदास है. सपा का साथ हनुमान गढी के मंहत ज्ञानदास दे रहे हैं.

अयोध्या विधान सीट पिछली बार सपा के तेजनारायण पांडेय ने जीती थी. इस बार यह सीट सपा का जीत पाना मुश्किल है. ऐसे में इंटरनेशनल थीम पार्क के सहारे सपा अयोध्या के विकास की बात कर रही है. अयोध्या से अलग पूरे देश के लिये यह चुनावी मुददा है. जिसके सहारे सपा और भाजपा दोनो ही अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है.

विरोधियों की बात तो दूर खुद भाजपा और अयोध्या के प्रमुख नेता विनय कटियार को यह बात लौलीपॉप लग रही है. विनय कटियार का कहना है कि अयोध्या का महत्व राम और उनकी जन्मभूमि से है. वहां से दूर इंटरनेशनल थीम पार्क और रामायण म्यूजिम जनता के लिये लौलीपॉप है. सपा को अगर राम से प्यार है तो जन्मभूमि पर मंदिर बनवा दे. विनय कटियार भाजपा के राज्यसभा सांसद हैं और अयोध्या मसले से जुड़े नेता हैं.

रामजन्म भूमि आन्दोलन से जुड़े रहे है. केन्द्र सरकार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट रामायण म्यूजिम से उनको दूर रखा है. ऐसे में वह नाराज हैं और मौका चूकना नहीं चाहते.

इन सबसे से अलग फैजाबाद के सांसद लल्लू सिंह का मानना है कि रामायण म्यूजिम के बनने से अयोध्या का विकास होगा. यहां पर्यटन  बढेगा. ऐसे में अयोध्या की बदहाली दूर होगी.

केन्द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री डॉक्टर महेश शर्मा कहते हैं केन्द्र सरकार ने कष्णा, राम और बुद्ध से जुड़े शहरों के विकास की योजना बनाई थी. यह उसका अंग है. इसमें राजनीति का कोई लेना देना नहीं है.

मंत्री और सांसद कुछ भी कहे पर लोग इस बात को समझते हैं कि राम के नाम पर एक बार फिर से राजनीति हो रही है. सपा-भाजपा दोनों ही इस मुददे से लाभ लेना चाहते हैं. इस बहाने वोट के धार्मिक ध्रूवीकरण का प्रयास हो रहा है. भाजपा और सपा दोनो ही रामजन्म भूमि के विवादित परिसर से दूर रहते राम के नाम की राजनीति कर रहे हैं.

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