अगर आपके स्मार्टफोन में ऐंड्रॉयड मार्शमैलो से पहले का कोई मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है तो सावधान रहें. आपका फोन अभी भी उस वायरस  का शिकार हो सकता है, जो मोबाइल का रूट ऐक्सेस लेने के बाद इन्फर्मेशन को हैकर्स को भेज देता है.

चीता मोबाइल ने चर्चित ऐंड्रॉयड ट्रोजन 'गोस्ट पुश' के इंप्रूव्ड वर्जन के बारे में नई रिपोर्ट जारी की है. जिन लोगों के डिवाइस इस वायरस  से इन्फेक्ट हुए हैं, उनमें से ज्यादातर ने अनऑफिशल ऐप्स डाउनलोड किए थे. रिपोर्ट कहती है कि जिन ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से इन्स्टॉल नहीं किया जाता, उनमें वायरस  होने का खतरा ज्यादा होता है.

रिपोर्ट कहती है कि हर दिन ऐंड्रॉयड डिवाइसेज पर करीब 10 लाख ऐप डाउनलोड किए जाते हैं. इनमें से 1 पर्सेंट में किसी न किसी तरह का मैलवेयर होता है. ज्यादातर ऐप्स में ट्रोजन होते हैं. एक दिन में इंस्टॉल होने वाले करीब 10,000 सॉफ्टवेयर में मैलवेयर होते हैं और यह आंकड़ा चिंता का विषय है.

गोस्ट पुश (Ghost Push) एक ऐसा ही वायरस है, जिसे हैकर्स और ऑनलाइन क्रिमिनल इस्तेमाल करते हैं. इसका पता सबसे पहले 2014 के आखिर में पता चला था. पिछले साल ही इस वायरस  ने 9 लाख डिवाइसेज को इन्फेक्ट कर दिया था. सबसे ज्यादा भारतीय यूजर्स के स्मार्टफोन्स इस वायरस  की चपेट में आए थे.

एक बार फोन में आने के बाद यह वायरस  रूट ऐक्सेस हासिल कर लेता है और कई तरह की जानकारियां चुराने में हैकर्स की मदद करता है. इसलिए यह जरूरी है कि कोई अनऑफिशल APK फाइल इंस्टॉल करनी है तो पहले ऐंटीवायरस  रन करके उसे स्कैन कर लिया जाए.

रिसर्चर्स ने यह भी पाया है कि ज्यादातर इन्फेक्टेड फाइल्स अडल्ट वेबसाइट्स या ठगने वाले ऐडवर्टाइजिंग लिंक्स से डाउनलोड होती हैं. चिंता की बात यह है कि ऐंड्रॉयड मार्शमैलो 6.0 से पहले के OS पर रन करने वाले किसी भी फोन को यह वायरस  इन्फेक्ट कर सकता है. गौरतलब है कि अभी 80 फीसदी से ज्यादा ऐंड्रॉयड डिवाइसेज मार्शमैलो से पहले वाले OS पर रन कर रहे हैं.

क्रिमिनल्स ने इस सॉफ्टवेयर्स को अन्य ऐप्स के साथ मिलाकर फैलाने में कामयाबी हासिल की है. सुपर मारियो और वर्डलॉक के नाम पर ऐप बनाकर उन्होंने हर दिन सैकड़ों डाउनलोड करवाए. चिंता की बात यह भी है कि गूगल का सिक्यॉरिटी सिस्टम भी इन्हें पकड़ नहीं सका. इस वायरस  को फैलाने का दूसरा तरीका रहा- फर्जी मोबाइल वेबसाइट्स.

इसी तरह से पिछले दिनों गॉडलेस वायरस  ने भी ऐंड्रॉयड फोन्स को इन्फेक्ट किया था और 90 प्रतिशत स्मार्टफोन्स को उससे खतरा था.

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