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अब डाक के साथ दाल लायेगा डाकिया

त्यौहारों के इस मौसम में सरकार अब डाकघरों से चना दाल बेचने की तैयारी में है, क्योंकि खुले बाजार में इसकी कीमत आसमान छू रही है. गुरुवार को दिल्ली में इसकी कीमत 140 रुपये प्रति किलो रही जो अब तक की सबसे ज्यादा है.

दिल्ली में 135 से 140 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही चने की दाल से दुकानदारों का कारोबार खराब हो रहा है. संकट दिल्ली तक सीमित नहीं है, अन्य शहरों में भी यही हाल है. खाद्य मंत्रालय के पास मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर से 18 अक्टूबर के बीच चना दाल 10 रुपये प्रति किलो या इससे ज्यादा महंगी हो गई है.

पणजी में  145 रुपये किलो, मुंबई  में 142 रुपये किलो, लखनऊ में 140 रुपये किलो, जम्मू में 140 रुपये किलो और रायपुर में 140 रुपये किलो चना दाल बिक रही है. केंद्रीय भंडार फिलहाल 78 रुपये किलो अनपॉलिश्ड चना दाल बेच रहा है. वहां लोग बड़ी तादाद में पहुंच रहे हैं.

कैबिनेट सचिव ने बुधवार की शाम को आदेश दिया कि डाकघरों में चना दाल बेची जाए. इस बारे में सैद्धांतिक फैसला पिछले हफ्ते शुक्रवार को लिया जा चुका है. लेकिन असली चुनौती चना दाल की जमाखोरी से निबटने की है. सरकार अब राज्यों को एडवाइज़री जारी कर जमाखोरों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है.

BCCI लागू करे लोढ़ा कमिटी की सिफारिश: SC

बीसीसीआई के मामले में जारी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि बीसीसीआई जल्द से जल्द लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानने का एफिडेविट कोर्ट में पेश करे. कोर्ट ने कहा कि लोढ़ा पैनल एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करेगा जो बीसीसीआई के तमाम दिए जाने वाले ठेकों की जांच करेगा.

कोर्ट ने बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट बोर्डों को फंड जारी करने पर भी रोक लगाई और कहा कि तब तक फंड न दिए जाएं जब तक राज्य के बोर्ड भी लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के संबंध में एफिडेविट नहीं दे देते.

कोर्ट में यह भी साफ हो गया कि बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर 3 दिसंबर को कोर्ट में इस संबंध में हलफनामा देंगे. इस मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.

कोर्ट ने आज इसी के साथ लोढ़ा पैनल को बड़ी जिम्मेदारी भी दी. लोढ़ा पैनल अब बीसीसीआई के लिए स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करेगा. यह ऑडिटर BCCI के सारे कांट्रेक्ट अब इनकी निगरानी में होंगे. लोढ़ा पैनल ही कांट्रेक्ट तय करेगा.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि BCCI चेयरमैन हलफनामा दाखिल कर बताएंगे कि 18 जुलाई के आदेश का पालन करेंगे. तीन दिसंबर तक बीसीसीआई प्रमुख हलफनामा दाखिल करेंगे और इससे पहले वह लोढ़ा पैनल को बताएंगे कि रिफार्म कैसे करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा था कि क्या क्रिकेट के लिए BCCI में प्रशासक नियुक्त किए जाए या नहीं. BCCI को और वक्त दिया जाए कि वो लिखित में अंडरटेकिंग दे कि वो लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को तय वक्त में लागू करेंगे.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप लगातार कोर्ट के आदेशों में रुकावट पैदा कर रहे हैं. लोढ़ा पैनल का भी यही मानना है कि BCCI सिफारिशों को लागू नहीं करना चाहता, इसलिए पदाधिकारियों को हटा देना चाहिए.

17 अगस्त को सुनवाई के दौरान इस मामले में एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने एक बार फिर बीसीसीआई का काम देखने के लिए प्रशासकों की नियुक्ति की सिफारिश की. सुब्रमण्यम ने कहा था कि बीसीसीआई के अधिकारियों के रवैये से साफ है कि वो किसी भी तरह से सुधार को टालना चाहते हैं. ये सिविल औरआपराधिक अवमानना का केस है. देश में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था, बीसीसीआई में सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमिटी का गठन किया था.

इस साल 18 जुलाई कोर्ट ने कमिटी की सभी सिफारिशें मंजूर की थीं. कोर्ट ने छह महीने में इन्हें लागू करने का आदेश दिया था. अब कमिटी ने शिकायत की है कि बीसीसीआई जान-बूझ कर सुधार की राह में रोड़ा अटका रहा है.

बीसीसीआई की दलील है कि वो सिफारिशें लागू करने को तैयार है. कई सिफारिशें लागू भी की गईं हैं. पूरी तरह बदलाव के लिए 2 तिहाई राज्य क्रिकेट संघों के वोट जरूरी हैं. उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है. इस दलील पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट सुधार में अड़चन डाल रहे राज्य क्रिकेट संघों का फंड रोकने को कह चुका है.

एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ एक ही हैं. सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए कहा जा रहा है कि राज्य संघ तैयार नहीं हैं. गोपाल सुब्रमण्यम ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के हलफनामे पर भी सवाल उठाए.

सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर से पूछा था कि उन्होंने आईसीसी के सीईओ डेविड रिचर्डसन को लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों का विरोध करने के लिए कहा था या नहीं. जवाब में ठाकुर ने कहा है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया.

सिर्फ मौजूदा आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर के उस बयान की याद दिलाई थी जो उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष रहते दिया था. तब मनोहर ने कहा था कि बीसीसीआई में सीएजी के प्रतिनिधि की नियुक्ति काम-काज में सरकारी दखल है.

ठाकुर के मुताबिक उन्होंने सिर्फ पुराने बयान के आधार पर स्पष्टता देने को कहा था. वो ये जानना चाहते थे कि कहीं आईसीसी बीसीसीआई के खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं करेगी. लेकिन आईसीसी ने कहा कि वो बयान सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले का है. अब फैसला आ चुका है. आईसीसी उसका सम्मान करती है.

सवाल उठाते हुए एमिकस क्यूरी ने कहा था हलफनामे से साफ है कि उन्होंने इस बात की कोशिश की कि आईसीसी बीसीसीआई में सुधार के मामले में दखल दे. इस तरह के लोगों से ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वो सुधारों को लागू होने देंगे.

सुब्रमण्यम ने लोढ़ा कमिटी को जानकारी दिए बिना राज्यों को फंड देने और क्रिकेट ब्रॉडकास्ट अधिकार बेचे जाने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने सिफारिश की कि जब तक बीसीसीआई में सुधार पूरी तरह लागू नहीं होते तब तक उसे कांट्रेक्ट टेंडर देने या फंड जारी करने का काम लोढ़ा कमिटी से पूछ कर करने को कहा जाए.

क्या आपका डेबिट कार्ड भी हुआ फर्जीवाड़े का शिकार

भारतीय बैंकों ने 32 लाख अकाउंट्स की जानकारी लीक होने के बाद डेबिट कार्ड्स बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कहा जा रहा है कि इस बड़ी लीक को चीन से अंजाम दिया गया है. एसबीआई समेत देश के अन्य बड़े बैंक इस लीक का शिकार हुए हैं. भले ही कस्टमर्स के हितों को बचाने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हों फिर भी कुछ चीजें आप को ध्यान में रखनी चाहिए जब इतने बड़े स्तर पर कोई लीक हो.

अगर आप का पैसा अकाउंट से गायब हो जाए तो क्या करें?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का निर्देश है, 'सिक्यॉरिटी में सेंध के कारण कस्टमर को हुए किसी भी तरह के पैसे के लॉस के लिए बैंक पूरी तरह से जिम्मेदार है.' आरबीआई द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार कस्टमर के नोटिफाई करने पर बैंक को 10 वर्किंग दिनों के भीतर कस्टमर के अकाउंट में गायब हुआ पैसा क्रेडिट करना होगा. कस्टमर को यह दिखाना होगा कि उसकी तरफ से किसी तरह का ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है और पैसा बिना उसकी जानकारी के गलत तरह से गायब हुआ है.

आरबीआई ने निर्देश दिए हुए हैं कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि कस्टमर की शिकायत का निपटारा 90 दिनों के अंदर हो जाए. क्रेडिट कार्ड से पैसे गायब होने की स्थिति में बैंक यह सुनिश्चित करें कि कस्टमर को किसी भी तरह का ब्याज न देना पड़े.

पैसा गायब होने की स्थिति में सबसे पहला काम है अपने बैंक को इसकी जानकारी देना. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो बैंक पैसा देने के लिए बाध्य नहीं होगा.

आगे ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या करें?

बैंक आप को फ्री में दूसरा कार्ड बना कर देंगे. आप नया पिन SMS से या IVRS से या इंटरनेट बैंकिंग के जरिए बिना बैंक जाए बना सकते हैं. इसके अलावा आप अपनी होम ब्रान्च से पिन के लिए आवेदन भी कर सकते हैं जो आप को मेल के जरिए पहुंचाया जाएगा.

अधिकतर बैंक आप को ज्यादा सिक्यॉरिटी मुहैया कराने के लिए कार्ड नेटवर्क कंपनी चुनने का ऑप्शन भी देती हैं. आप अपनी जरूरत के अनुसार पैसा निकालने की अधिकतम सीमा भी तय कर सकते हैं. इससे आप ज्यादा नुकसान से बच सकते हैं.

ये ऐप बताएगा आप कितनी सैलरी के हकदार हैं

सैलरी के लिए तोलमोल करना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए और भी मुश्किल होता है यह पता लगाना कि उनके लिए सही सैलरी कितनी है. रोजगार संबंधी कंपनी Glassdoor ने इस काम को थोड़ा आसान कर दिया है. जॉब ओपनिंग और कर्मचारियों की सैलरी को ट्रैक करने वाली यह कंपनी लोगों की इस काम में मदद करेगी. Glassdoor ने एक ऐसा टूल बनाया है जिसकी सहायता से कोई भी कर्मचारी पता लगा सकता है कि आखिर वह कितनी सैलरी के लायक है.

दरअसल Glassdoor की ऐप लोगों के जॉब अनुभव के आधार पर बताती है कि उन्हें वर्तमान में कितने पैसे मिलने चाहिए. कंपनी ने इस टूल को “Know Your Worth (अपनी कीमत जानिए)” नाम दिया है. इसका इस्तेमाल आप कंपनी की वेबसाइट पर जाकर या फिर ऐप के जरिए कर सकते हैं. टूल में आपको कुछ जरूरी डीटेल देनी होगी. जैसे कि अपनी वर्तमान जॉब, लोकेशन, कितने साल का अनुभव, वर्तमान सैलरी और पढ़ाई के बारे में जानकारी देनी होगी.

इसके बाद यह टूल अपनी वर्तमान मार्केट वैल्यू का अनुमान लगाएगा, साथ ही यह आपके ही प्रोफेशन के दूसरे लोगों से आपकी तुलना का एक ग्राफ भी दिखाएगा. दरअसल यह टूल अन्य लोगों द्वारा दिए गए सैलरी डेटा के आधार पर रिजल्ट जेनरेट करता है. लेटेस्ट ओपनिंग और दूसरे तथ्यों के आधार पर सैलरी एस्टिमेट को हर हफ्ते अपडेट किया जाएगा. हालांकि कंपनी ने साफ कर दिया कि जरूरी नहीं है कि सभी फील्ड के कर्माचारियों के लिए यह टूल काम करेगा. कंपनी के मुताबिक यह अमेरिका के 55-60 फीसदी कर्मचारियों के लिए आसानी से काम करेगा.

जीएसटी का असर पड़ेगा आपके किचन पर

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रस्तावित चार लेवल के ढांचे से आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों पर काफी असर पड़ेगा. जीएसटी के अमल में आने से आपकी किचन महंगी हो सकती है. रोज काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसे सामान की कीमत बढ़ने के आसार हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स (AC), फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि टैक्स में कमी के कारण सस्ते हो सकते हैं.

सरकार की योजना अगले साल 1 अप्रैल से जीएसटी लागू करने की है. राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ इस सप्ताह हुई बैठक में केंद्र ने जीएसटी के तहत चार स्तरीय टैक्स ढांचे का प्रस्ताव रखा है.

केंद्र के चार स्तरीय कर ढांचे का खुदरा महंगाई पर असर पड़ने के अनुमान के मुताबिक चिकन और नारियल तेल जैसे उत्पाद जिन पर अभी चार प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है, उन पर जीएसटी के तहत 6 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा. इसी प्रकार रिफाइंड तेल, सरसों तेल और मूंगफली तेल पर भी टैक्स की दर 5 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत हो जाएगी.

रसोई में काम आने वाले अन्य उत्पादों पर भी 6 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा. इनमें हल्दी और जीरा जैसे उत्पाद है जिन पर तीन प्रतिशत की बजाय अब छह प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा. धनिया, काली मिर्च और तिलहन पर 5 प्रतिशत के बजाय छह प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा.

जीएसटी की सबसे कम दर 6 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया गया है जबकि 12 और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें होंगी. इसके अलावा 26 प्रतिशत की एक शीर्ष दर होगी जो कि त्वरित उपभोग वाले सामानों और टिकाऊ उपभोक्ता सामानों पर लागू होगी. कुछ ऐसे उत्पाद जो कि महत्वपूर्ण नहीं हैं और जिनसे प्रदूषण फैलता है इस तरह के उत्पादों पर उपकर भी लग सकता है.

भारत की 11 साल बाद हार, तो न्यूजीलैंड की 13 साल बाद जीत

अंतिम ओवरों में हार्दिक पंड्या की शानदार बल्लेबाजी भी भारत को जीत नहीं दिला पाई और आखिर न्यूजीलैंड को अपने भारत दौरे पर पहली जीत मिल ही गई. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर न्यूजीलैंड ने भारत को 6 रनों से हरा दिया. 13 वर्षों में यह न्यूजीलैंड की भारतीय जमीन पर यह पहली जीत है तो वहीं भारतीय टीम को कोटला मैदान पर 11 साल बाद हार.

इस मुकाबले में न्यूजीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में भारतीय टीम के सामने जीत के लिए 243 रनों का लक्ष्य रखा था. लेकिन टीम इंडिया 236 रनों पर सिमट गई.

भारत की तरफ से सबसे ज्यादा रनों की पारी केदार जाधव ने खेली उन्होंने 41 रन बनाए. न्यूजीलैंड की तरफ से टिम साउदी ने तीन, ट्रेंट बोल्ट और मार्टिन गप्टिल ने दो-दो विकेट झटके. इसके अलावा मेट हैनरी और मिशेल सैंटनर को एक-एक विकेट मिला.

हार्दिक पांड्या और उमेश यादव ने किया संघर्ष

हार्दिक पांड्या और उमेश यादव ने खूब संघर्ष किया. आखिरी समय तक ऐसा लग रहा था कि मैच कभी भी पलट सकता है. लेकिन पांड्या के आउट होते ही सारी उम्मीदें चकनाचूर हो गईं. दोनों बल्लेबाजों के बीच आठवें विकेट के लिए 49 रनों की साझेदारी हुई. लेकिन वो टीम इंडिया को जीत नहीं दिला सके.

भारत को लगे झटके

टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने निराश किया. भारत को पहला झटका रोहित शर्मा के रूप में लगा, जब वो तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट की ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद के साथ छेड़खाड़ी कर बैठे. इसके बाद फॉर्म में चल रहे विराट कोहली भी सिर्फ (9) के स्कोर पर चलते बने. उन्हें मिचेल सैंटनर की गेंद पर कीपर रॉन्ची ने लपका.

इसके बाद अजिंक्य रहाणे (28) और मनीष पांडे (19) भी सस्ते में लौट गए. कप्तान धोनी ने जरूर कुछ संघर्ष किया लेकिन वो अपने काम को अंजाम तक नहीं पहुंचा सके. धोनी 39 रन की पारी खेली. इसके कुछ देर बाद अक्षर पटेल भी (17) के स्कोर पर आउट हुए.

अमित मिश्रा (1) भी बड़ा शॉट लगाने के चक्कर में डी ब्रेसवेल को कैच थमा बैठे. हार्दिक पांड्या 32 गेंदों में 36 बनाकर आउट हुए. उन्होंने उमेश यादव के साथ 49 रन जोड़े. टीम इंडिया को आखिरी ओवर में जीत के लिए 10 रन चाहिए थे, लेकिन वह सिर्फ तीन रन ही बना पाई और ऑलआउट हो गई.

न्यूजीलैंड की पारी 242 रनों पर सिमटी

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर न्यूजीलैंड को पहले बल्लेबाजी करने का न्योता दिया. दौरे पर पहली जीत के लिए तरस रही न्यूजीलैंड की टीम की शुरुआत बेहद खराब रही. सलामी बल्लेबाज मार्टिन गप्टिल को पहले ही ओवर में शून्य के स्कोर पर तेज गेंदबाज उमेश यादव ने चलता कर दिया.

इसके बाद कप्तान केन विलिमसन और टॉम लाथम ने पारी को संभाला. विलियम्सन ने 109 गेंदों में वनडे करियर का आठवां शतक ठोका. यह न्यूजीलैंड की तरफ से इस दौरे का टेस्ट और वनडे को मिलाकर पहला शतक रहा. इसके अलावा मिचेल सैंटनर (9) और ट्रेंट बोल्ट (5) नॉटआउट लौटे.

न्यूजीलैंड के विकेट

इस मुकाबले में न्यूजीलैंड टीम की शुरुआत बेहद खराब रही. टीम इंडिया के तेज गेंदबाज उमेश यादव ने कीवी टीम के ओपनर और सबसे खतरनाक बल्लेबाज मार्टिन गप्टिल (0) को क्लीन बोल्ड कर दिया. उस समय उनका और टीम का खाता भी नहीं खुला था. न्यूजीलैंड का दूसरा विकेट टॉम लाथम (46) के रूप में गिरा. उन्हें स्पिन गेंदबाज केदार जाधव ने पवेलियन भेजा. विलियम्सन और लाथम के बीच दूसरे विकेट के लिए 120 रनों की साझेदारी हुई.

अमित मिश्रा ने झटके तीन विकेट

कीवी टीम का तीसरा विकेट 38 रन बाद ही 158 के स्कोर पर गिरा. रॉस टेलर (21) को लेग स्पिनर अमित मिश्रा ने डीप मिडविकेट पर रोहित शर्मा के हाथों कैच कराया. 41वें ओवर में टीम इंडिया को चौथी सफलता मिली, जब स्पिनर अमित मिश्रा ने कोरी एंडरसन (21) को अपना दूसरा शिकार बनाया.

एंडरसन ने मिश्रा की ऑफ-मिडिल की गेंद को लेग साइड पर खेलने के चक्कर में आउट हुए. उन्होंने विलियम्सन के साथ मिलकर 46 रन जोड़ा. अमित मिश्रा ने दबाव कीवी बल्लेबाजों पर जारी रहा और 43वें ओवर में शतकवीर केन विलियम्सन (118) के स्कोर पर अजिंक्य रहाणे के हाथों कैच करा दिया.

विलियम्स ने रनगति तेज करने की कोशिश की, लेकिन लॉन्ग ऑन पर पकड़ लिए गए. 44वें ओवर में अक्षर पटेल ने एक और झटका दिया और ल्यूक रॉन्ची (6) को धोनी ने लपक लिया. 41 से 45 ओवर में 22 रन खर्च हुए.

स्लॉग ओवरों में जसप्रीत बुमराह की शानदार गेंदबाजी

अमित मिश्रा के कहर के बाद तेज गेंदबाज बुमराह ने कीवी टीम की कमर ही तोड़कर रख दी. उन्होंने एक के बाद एक कीवी बल्लेबाजों को पवेलियन की रहा दिखाई. बुमराह ने पहले एंटन डेविच (7) को आउट किया. फिर इसके बाद पांचवीं गेंद पर बुमराह ने टिम साउदी को भी बोल्ड कर वापस भेज दिया.

पारी के आखिरी ओवर में एक बार फिर बुमराह का जादू चला और उन्होंने मैट हेनरी (6) को बोल्ड कर दिया. इसके अलावा तेज गेंदबाज उमेश यादव, अक्षर पटेल और केदार जाधव ने एक-एक विकेट झटका.

नेपाल, भारत, चीन और त्रिपक्षीय सहयोग

बेशक इसे अभी शुरुआत कहेंगे, पर गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर नेपाल, भारत और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग को लेकर बनी सहमति एक सकारात्मक विकास है. वर्षों से कई नेपाली राजनेता व विश्लेषक इसे दोहराते रहे हैं कि नेपाल को अपनी भू-रणनीतिक परिस्थिति का फायदा उठाना चाहिए और भारत व चीन के बीच ‘सेतु’ के रूप में काम करना चाहिए. मगर अब तक इस दिशा में बहुत मामूली काम ही हो सका है, खासकर चीन तक परिवहन के विस्तार और इन दोनों बड़े उत्पादकों व बाजारों के बीच एक हब के रूप में नेपाल के विकास के मामले में.

दरअसल, चीजें तब से बदलनी शुरू हुईं, जब पिछले वर्ष नेपाल के दक्षिणी हिस्से में नाकेबंदी की गई. नाकेबंदी के दुष्परिणाम को टालने के लिए नेपाल सरकार ने चीन से सामानों का आयात करने का प्रयास किया. हालांकि जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि नेपाल से चीन को जोड़ने वाली सड़क इतनी बदहाल है कि उससे बड़ी मात्रा में ढुलाई नहीं हो सकती.

नतीजतन, चीन से यह गुजारिश की गई कि वह परिवहन को बेहतर बनाने में मदद करे, खासकर काठमांडू व सीमावर्ती रसुवागढ़ी के बीच रेलमार्ग बनाने में. इसका चीन ने स्वागत किया था. वाकई, अगर यह परियोजना पूरी होती है, तो बाहरी दुनिया से नेपाल को जुड़ने में बड़ी मदद मिलेगी. मगर नाकेबंदी खत्म होते ही नेपाली राजनेता इस परियोजना को लेकर अपेक्षाकृत ढीले हो गए. और सरकार बदलते ही, ऐसा दिखा कि चीन से संबंध बढ़ाकर नेपाल भारत को नाराज नहीं करना चाहता.

हालांकि इसकी कोई वजह समझ में नहीं आती कि यह परियोजना भारत को कैसे नाराज कर सकती है. यह रेल लाइन तो नेपाल के आर्थिक विकास में खासा योगदान देगी, और भारत भी नेपाल की समृद्धि चाहता है. लिहाजा जरूरी यही है कि इसके लिए भारत को विश्वास में लिया जाए. उसे यह भरोसा देना होगा कि यह रेलमार्ग उसकी सुरक्षा पर चोट नहीं पहुंचाएगी. देखा जाए, तो आने वाले वर्षों में चीन और भारत, दोनों से नेपाल का वास्ता गहराने वाला है. इन दोनों से नेपाल की विदेशी नीति व्यापक रूप से जुड़ी होगी. इसीलिए सभी दलों को इस मसले पर आम सहमति बनानी चाहिए.

परिवार में अपराध: हादसे का दर्द, मुकदमे का बोझ

पारिवारिक अपराध घरपरिवार पर दोहरी मुसीबत ले कर आते हैं. एक तरफ परिवार को नुकसान उठाना होता है, तो वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद परिवार के सदस्य को सजा से बचाने के लिए जेल से ले कर कचहरी तक परिवार के बचे लोगों को दौड़ना पड़ता है. वकील और पुलिस के चक्कर में फंस कर केवल पैसा ही नहीं,  समय भी बरबाद होता है. कितने गरीब परिवारों को अपने घर और जमीन तक बेचने या गिरवी रखने पड़ते हैं. परिवार का जेल गया सदस्य जब तक जेल से बाहर आता है, तब तक उस का बचा हुआ परिवार टूट कर बिखर चुका होता है. देश की न्याय प्रणाली की भारीभरकम कीमत ने ज्यादातर भारतीयों की पहुंच से इस को दूर कर दिया है. बहुत से मामलों में सजा पाए लोग लोअर कोर्ट से आगे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात सोच ही नहीं सकते. बेंगलुरु के गैरसरकारी संगठन ‘एक्सेस टू जस्टिस’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 90 फीसदी अपील करने वाले वे लोग हैं, जो साल में 3 लाख रुपए से कम कमाते हैं. अपील पर आने वाला उन का औसत खर्च एक बार का 16 हजार रुपए हो जाता है.

आंकड़ों से अलग कचहरी में आने वाले खर्च और परेशानियों की हकीकत बहुत अलग होती है. परेशानी की बात यह है कि परिवार में बढ़ते तनाव, जरूरतों और इच्छाओं के चलते अपराध की वारदातें बढ़ रही हैं.

ऐसी वारदातें 25 साल से 35 साल की उम्र में ज्यादा होती हैं. इस समय  नौजवान अपने कैरियर में कामयाबी की तरफ बढ़ रहा होता है. यहां पर अपराध की वारदातों में फंस कर पूरा परिवार तबाह हो जाता है. घरों में होने वाले ऐसे अपराध की सब से बड़ी वजह नाजायज संबंध या पारिवारिक तनातनी होती है.

पिता की मौत, मां को जेल

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की बक्शी का तालाब तहसील के इंटौजा थाने के गोहनाखुर्द गांव में रामस्वरूप रावत अपनी पत्नी कुसुमा, मां बिट्टो, 5 साल के बेटे संजय और 3 साल की बेटी रीना के साथ रहता था. रामस्वरूप रावत की शादी 7 साल पहले रामधीन पुरवा की रहने वाली कुसुमा से हुई थी. इसी गांव में भानुप्रताप सिंह भी रहता था. वह ईंटभट्ठा का मालिक था. उस के 2 ईंटभट्ठे थे. उस का एक भट्ठा प्रताप ब्रिक फील्ड के नाम से गोहनाखुर्द गांव में था और दूसरा बिसवा में था.

रामस्वरूप भानुप्रताप के यहां काम करता था. इस वजह से उस की पत्नी कुसुमा का भी वहां पर आनाजाना होता रहता था. कुसुमा देखने में खूबसूरत थी. उस में कुछ ऐसा खिंचाव था, जो भानुप्रताप को पसंद आ गया. वह जिस अंदाज से कुसुमा को देखता था, वह अंदाज कुसुमा को पसंद था. जब दोनों तरफ से रजामंदी हो, तो रिश्ता बनते देर नहीं लगती. अब भानुप्रताप कुसुमा के पति की ओर कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगा था. उस ने आम का 2 बीघा बाग खरीदा और उस की रखवाली करने का काम रामस्वरूप को दे दिया. नतीजतन, रामस्वरूप दिनरात घर से बाहर ही रहता. भानुप्रताप भी रामस्वरूप की माली मदद करने लगा था.

रामस्वरूप को यह पता नहीं था कि कुसुमा और भानुप्रताप के बीच संबंध हैं. इधर मौके का फायदा उठा कर कुसुमा और भानुप्रताप अब रोज ही संबंध बनाने लगे थे. एक दिन रामस्वरूप ने कुसुमा और भानुप्रताप को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था, पर भानुप्रताप के डर और झिझक के चलते उस ने उन से कुछ नहीं कहा. पर अब वह इन दोनों पर नजर भी रखने लगा था. एक दिन रामस्वरूप गांव से बाहर था, तब कुसुमा और भानुप्रताप मिले. कुसुमा ने बताया कि किस तरह से उस का पति उसे अब परेशान करने लगा है. कुसुमा और भानुप्रताप ने तय कर लिया कि अब रामस्वरूप को रास्ते से हटाना ही पड़ेगा. एक दिन भानुप्रताप ने अपने 2 साथियों और कुसुमा को साथ ले कर रामस्वरूप की उस समय हत्या कर दी, जब वह आम के बाग में सो रहा था, लेकिन बहुत से उपाय करने के बाद भी पुलिस से यह अपराध छिपा नहीं. पुलिस ने रामस्वरूप की लाश को गड्ढे से खोद कर बरामद कर लिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या करने का मामला सामने आया.

पुलिस ने धारा 302 के तहत कुसुमा, भानुप्रताप, बबलू और लल्लू के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. कुसुमा, भानुप्रताप और बबलू को पुलिस ने फौरन पकड़ लिया, जबकि लल्लू फरार हो चुका था. पुलिस की पूरी छानबीन और पुख्ता सुबूतों के आधार पर ही तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया. पिता की मौत और मां के जेल चले जाने के बाद 5 साल का बेटा संजय और 3 साल की बेटी रीना अनाथ हो गए. केवल कुसुमा का परिवार ही नहीं, बल्कि भानुप्रताप का परिवार भी तबाह हो गया. उस ने अपनी मेहनत और लगन से ईंटभट्ठे के जिस कारोबार को जमाया था, वह बरबाद हो गया. अब उस की जमानत से ले कर मुकदमे तक में लाखों रुपए बरबाद हो रहे हैं.

10 साल की सजा

बक्शी का तालाब, लखनऊ के रहने वाले वंशीलाल ने अपनी बेटी शिवदेवी की शादी सत्यपाल के साथ की थी. शादी के बाद ही सत्यपाल और उस के घर वालों ने शिवदेवी से मोटरसाइकिल और सोने की चेन की मांग शुरू कर दी. दहेज की मांग पूरी न होने पर 8-9 अक्तूबर, 2015 को उन लोगों ने शिवदेवी को सोते समय जला दिया. 13 अक्तूबर को इलाज के दौरान अस्पताल में शिवदेवी की मौत हो गई. शिवदेवी के पिता ने अपनी बेटी के पति सत्यपाल और जेठ सत्यवान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया. अदालत ने सत्यवान के खिलाफ कोई सुबूत नहीं पाया, तो उसे मुकदमे से बरी कर दिया और पति सत्यपाल को 10 साल की सजा और 15 हजार रुपए का जुर्माना देने का फैसला सुनाया.

अदालत ने यह भी कहा कि जुर्माने में से 10 हजार रुपए वादी यानी शिवदेवी के पिता को दिए जाएं.

हत्या की इस वारदात में 2 परिवार तबाह हो गए. बेटी की मौत का दर्द लिए जी रहा पिता इस फैसले से खुश नहीं था. उसे लग रहा है कि उस की बेटी की हत्या करने वालों को वैसी सजा नहीं मिली, जैसी उस की बेटी ने भोगी. वह इस मामले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाना चाहता है, पर माली तौर पर मजबूर है. सोने की चेन और मोटरसाइकिल से ज्यादा कीमत शिवदेवी की हत्या में फंसे उस के पति सत्यपाल के परिवार ने थाना और कचहरी के चक्कर में खर्च कर डाली.

लखनऊ के ही थाना गोसाईंगंज क्षेत्र में रहने वाले महादेव ने 9 मई, 2015 को अपनी बेटी रानी की शादी हरिश्चंद्र से की थी. एक लाख रुपए के दहेज की मांग को ले कर हरिश्चंद्र अपनी पत्नी रीना को तंग करता था. इस से परेशान हो कर महादेव अपनी बेटी को ससुराल से मायके ले आया. कुछ दिन बाद हरिश्चंद्र अपनी ससुराल आया और पत्नी को विदा करा कर ले गया. उस ने कहा कि वह उसे दोबारा परेशान नहीं करेगा. 14 फरवरी, 2016 को रीना की हत्या हो गई. रीना की लाश रस्सी से लटकी मिली. उस के घर वालों का आरोप था कि रीना को मार कर रस्सी से लटकाया गया है. पुलिस ने हत्या के आरोपी पति की जमानत की अपील खारिज कर दी और उसे सुनवाई तक जेल में रहना होगा.

इस तरह दहेज कानून के तहत लोग सालोंसाल से जेलों में बंद हैं. पैरवी में हर पेशी पर घर वालों को वकीलों से ले कर जेल मुलाजिमों तक को पैसा देना पड़ता है.

जायदाद की जगह जेल

लखनऊ के माल थाना क्षेत्र के नबी पनाह गांव में मुन्ना सिंह अपने 2 बेटों संजय और रणविजय के साथ रहते थे. 60 साल के मुन्ना सिंह का आम का बाग था, जिस की कीमत करोड़ों में थी. मुन्ना के बड़े बेटे संजय की शादी रायबरेली जिले की रहने वाली सुशीला के साथ 5 साल पहले हुई थी. सुशीला के 2 बच्चे, 4 साल की बेटी और डेढ़ साल का बेटा थे. वह पूरे घर पर कब्जा जमाना चाहती थी. इसलिए उस ने सगे देवर रणविजय से संबंध बना लिए, जिस से वह शादी न करे.

सुशीला को डर था कि देवर की शादी के बाद उस की पत्नी और बच्चों का भी जायदाद में हक हो जाएगा. यह बात जब मुन्ना सिंह को पता चली, तो वे अपने छोटे बेटे की शादी कराने की कोशिश करने लगे. सुशीला को जायदाद की चिंता थी. वह जानती थी कि देवर रणविजय ससुर को राह से हटाने में उस की मदद नहीं करेगा. तब उस ने अपने चचेरे देवर शिवम को भी अपने संबंधों से जाल में फंसा लिया. जब शिवम पूरी तरह से उस के काबू में आ गया, तो उस ने ससुर मुन्ना सिंह की हत्या की योजना पर काम करने के लिए कहा. शिवम जब इस के लिए तैयार नहीं हुआ, तो सुशीला ने शिवम को बदनाम करने का डर दिखाया और बात मान लेने पर 20 हजार रुपए देने का लालच भी दिया. डर और लालच में शिवम सुशीला का साथ देने को तैयार हो गया. 12 जून की रात मुन्ना सिंह आम की फसल बेच कर घर आए. इस के बाद खाना खा कर आम के बाग में सोने के लिए चले गए. वे अपने पैसे हमेशा साथ ही रखते थे.

सुशीला ने शिवम को फोन कर के गांव के बाहर बुला लिया. शिवम अपने साथ राघवेंद्र को भी ले आया था. तीनों एक जगह मिले और फिर मुन्ना सिंह को मारने की योजना बना ली. मुन्ना सिंह उस समय बाग में सो रहे थे. दबे पैर पहुंच कर तीनों ने उन को दबोचने के पहले चेहरे पर कंबल डाल दिया. सुशीला ने उन के पैर पकड़ लिए और शिवम व राघवेंद्र ने उन को काबू में किया, जान बचाने के संघर्ष में मुन्ना सिंह चारपाई से नीचे गिर गए. वहीं पर दोनों ने गमछे से गला दबा कर उन की हत्या कर दी. मुन्ना सिंह के बेटे संजय और रणविजय ने हत्या का मुकदमा माल थाने में दर्ज कराया. एसओ विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच शुरू की.

पुलिस ने हत्या में जायदाद को वजह मान कर अपनी खोजबीन शुरू की. सुशीला बारबार पुलिस को यह समझाने की कोशिश में थी कि ससुर मुन्ना सिंह के संबंध अपने बेटों से अच्छे नहीं थे. इस बीच गांव में यह पता चला कि सुशीला का देवर रणविजय और चचेरे देवर शिवम से संबंध है. इस बात पर पुलिस ने सुशीला से पूछताछ शुरू की. पुलिस ने सुशीला के मोबाइल फोन की काल डिटेल देखनी शुरू की, तो पता चला कि सुशीला ने उस दिन शिवम से देर रात तक बात की थी. पुलिस ने शिवम का फोन देखा, तो उस में राघवेंद्र का नंबर मिला. इस के बाद पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला से अलगअलग बात की. सुशीला अपने देवर रणविजय को हत्या के मामले में फंसाना चाहती थी. वह पुलिस को बता रही थी कि शिवम का फोन उस के देवर रणविजय के मोबाइल पर आ रहा था. सुशीला सोच रही थी कि पुलिस हत्या के मामले में देवर रणविजय को जेल भेज दे, तो वह अकेली पूरी जायदाद की मालकिन बन जाएगी, पर पुलिस को सच का पता चल चुका था.

जायदाद के लालच में फंसी बहू जेल चली गई. उस के डेढ़ साल के बेटे को बिना कुसूर जेल जाना पड़ा. जिस जायदाद को पा कर वह ऐश की जिंदगी जीना चाहती थी, उसी को बेच कर घर वाले थानाकचहरी के चक्कर लगाएंगे.                  

एक नजर में मुकदमों का खर्च

 

बेंगलुरु के एक गैरसरकारी संगठन ‘एक्सैस टू जस्टिस’ की एक रिपोर्ट में मुकदमों पर होने वाले खर्चों को दिखाने का काम किया गया है. औसतन मुकदमों में इंसाफ मिलने में एक से 5 साल तक का समय लग जाता है. तमाम लोगों के पास अपनी जमानत देने का भी पैसा नहीं होता, जिस वजह से वे जेल में ही पड़े रहते हैं. पैसे की कमी में लोग लोअर कोर्ट से हाईकोर्ट में नहीं जा पाते हैं. कई बार पैसों का इंतजाम करने में घरजमीन तक बिक जाते हैं. सब से बड़ी परेशानी यह है कि मुवक्किल के प्रति वकीलों में जवाबदेही की कमी होती है. 24 राज्यों की 305 जगहों पर 9329 लोगों के बीच किए गए सर्वे में पता चलता है कि 48 फीसदी परिवार 3 लाख सालाना कमाई करने वाले मध्यम वर्ग के होते हैं. एक लाख से कम कमाई वाले 43 फीसदी परिवार मुकदमेबाजी में उलझे हैं. 3 लाख से ज्यादा सालाना आमदनी वाले केवल 10 फीसदी परिवार ही मुकदमेबाजी में उलझे हैं.

सर्वे में यह भी पता चला है कि 66 फीसदी मामलों में जमीन और जायदाद के मुकदमे होते हैं. 80 हजार करोड़ रुपए हर साल खर्च होते हैं. 84 फीसदी मुकदमे मर्दों की तरफ से होते हैं, जबकि 15 फीसदी मुकदमे औरतों की ओर से होते हैं. 44 फीसदी सामान्य वर्ग के लोग मुकदमा दर्ज करते हैं. 34 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 14 फीसदी दलित जातियों के लोग मुकदमा दर्ज करते हैं. सालाना एक लाख रुपए से कम आमदनी वाले मुकदमे पर 10 हजार रुपए, एक लाख से 3 लाख सालाना आमदनी वाले 16 हजार रुपए, 3 लाख से 5 लाख सालाना आमदनी वाले 26 हजार रुपए और 5 लाख से 10 लाख सालाना आमदनी वाले 25 हजार रुपए मुकदमों पर खर्च करते हैं.

सैक्स की भूख ने बनाया हत्यारा

वह सैक्स की आग में कई सालों से झुलस रही थी. उस का पति पिछले 2 सालों से दोहरे हत्याकांड के आरोप में जेल में बंद था. पति की गैरहाजिरी में उसे जिस्मानी सुख नहीं मिल पा रहा था. आखिर में उस ने एक रास्ता निकाल ही लिया. वह दोहरी जिंदगी जीने लगी. दिन के उजाले में वह घर वालों के सामने घूंघट ओढ़े आदर्श बहू की तरह रहती और जैसे ही रात का अंधेरा घिरता, वह आदर्श बहू का चोला उतार कर ऐयाशी में रम जाती. यह सिलसिला पिछले एक साल से चल रहा था. बहू की इस दोहरी जिंदगी का राज एक दिन घर वालों के सामने उजागर हो गया. एक रात दादी सास सुशीला राजावत ने बहू को किसी पराए मर्द के साथ सैक्स संबंध बनाते देख लिया. इस के बाद से दादी सास उस पर कड़ी नजर रखने लगीं.

इस से खफा उस औरत ने रची एक खौफनाक साजिश, जो दिल दहला देने वाली थी. यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के हजारी इलाके के बिरला मंदिर का है. जूली अपनी दादी सास सुशीला राजावत और अपने 6 साल के बेटे के साथ रहती थी पुलिस अधीक्षक हरिनारायणचारी मिश्र के मुताबिक, पिछले 3 साल से जूली का पति शिवा राजावत दोहरे हत्याकांड के आरोप में अपने पिता और छोटे भाई के साथ जेल में बंद है. पति के जेल चले जाने के बाद से जूली अकेली हो गई. पति के बिना उस का मन नहीं लगता था. वह अकसर अपनी दादी सास के सामने रोती रहती थी. शिवा राजावत के कुछ करीबी दोस्त थे, जो जेल से उस की खबर ले कर उस के घर पर आते रहते थे. इसी दौरान जूली उन में से एक दोस्त की ओर आकर्षित हो गई. जल्दी ही दोनों नजदीक आ गए और चोरीछिपे मिलने लगे. जूली काफी समय से सैक्स की भूखी थी.

अपनी भूख मिटाने के लिए वह प्रेमी को रात के समय अपने कमरे पर बुलाने लगी. वह शख्स रात में उस के पास आता और सुबह होने से पहले ही वहां से निकल जाता. रात के अंधेरे में चलने वाले ऐयाशी के इस खेल के बारे में किसी को पता नहीं था. एक रात दादी सास सुशीला राजावत ने जूली को पराए मर्द के साथ मस्ती करते देख लिया. उस रात जूली कुछ ज्यादा ही उतावली थी. इस चक्कर में कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गई. रात के समय दादी सास सुशीला राजावत की नींद खुल गई. उन्हें बहू के कमरे से सिसकारियों की आवाज सुनाई दी. उन के कान खड़े हो गए. वे दबे कदमों से कमरे के पास पहुंचीं. अंदर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए. जूली अपने यार के साथ सैक्स में इतनी खोई हुई थी कि उसे कमरे में किसी के आने का एहसास तक न हुआ. दादी सास ने उसी वक्त दोनों को काफी खरीखोटी सुनाई.

वह शख्स बिना कुछ बोले सिर नीचे कर के वहां से भाग गया, लेकिन उस दिन से जूली घर में कैद हो कर रह गई. दादी सास उस पर कड़ी निगाह रखने लगीं. उसे बाहर के किसी शख्स से बात करने, घर के बाहर कहीं जाने, यहां तक कि मोबाइल फोन से बात करने पर भी रोक लगा दी. जूली अपने प्रेमी से मिलने के लिए तड़पने लगी. उस ने सास की नजरों से बच कर घर से बाहर निकलने की कोशिश की, पर कामयाबी नहीं मिली. नतीजा यह हुआ कि वह गुस्से से बौखला गई. उस ने सास को ही खत्म करने का खतरनाक प्लान बना लिया. 5 अगस्त की सुबह 8 बजे अपने बेटे को स्कूल भेजने के बाद जूली ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया. जूली ने चाय में ढेर सारी नींद की गोलियां मिला कर अपनी दादी सास सुशीला को पिला दी. चाय पीने के कुछ समय बाद ही सुशीला राजावत को नींद आने लगी. वे अपने कमरे में जा कर सो गईं. मौका पा कर जूली ने तौलिया से गला दबा कर उन की हत्या कर दी. सास की हत्या के बाद उस ने कमरे का सारा सामान इस तरह से बिखेर दिया, ताकि मामला लूटपाट का लगे.

तकरीबन 12 बजे जूली ‘मैं लुट गई… बरबाद हो गई’ चिल्लाने लगी. आवाज सुन कर आसपास के लोग जमा हो गए. पुलिस भी वहां पहुंच गई.

जूली ने पुलिस को बताया, ‘‘3 लोग उस के पति शिवा के दोस्त बता कर घर में घुसे. तीनों अंदर कमरे में कुरसी पर बैठ कर सास से बातें करने लगे. मैं उन के लिए अंदर रसोई में चाय बनाने चली गई. ‘‘थोड़ी देर में 2 लोग रसोई में आ गए. उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया. एक ने मेरे सिर पर पिस्टल अड़ा दिया. दूसरे ने मेरा पेटीकोट उठा कर रेप करने की कोशिश की. ‘‘वह कुछ करने में कामयाब होता, उस बीच किसी ने दरवाजे पर आवाज दी. आवाज सुन कर तीनों भाग निकले. जाने से पहले वे अलमारी में रखा सोना लूट कर ले गए और उन्होंने सास की हत्या भी कर दी.’’ जूली ने पुलिस को जो कहानी सुनाई थी, पुलिस द्वारा अंदर तहकीकात करने पर झूठी निकली, जिस की वजह से जूली शक के घेरे में आ गई.

जूली ने तीनों लुटेरों को सामने कमरे में रखी कुरसियों पर बैठ कर सास से बातें करने की बात कही थी, जबकि कमरे में कुरसियां एक के ऊपर एक रखी थीं. दूसरी बात, जूली ने हत्यारे द्वारा उस का दुपट्टा ले जाने की बात कही थी, पर वह दुपट्टा अंदर कमरे में लाश के पास मिला. तीसरी बात, जो सोना लुटेरों द्वारा लूट कर ले जाने की बात की थी, जांच में पता चला कि वह सोना बैंक में गिरवी रखा हुआ है. उस पर लोन लिया गया था. इस के अलावा जूली अपना बयान बारबार बदल रही थी. पुलिस द्वारा कड़ाई से पूछताछ करने पर जूली ने दादी सास की हत्या करने की बात कबूल ली और सारी असलियत बयान कर दी. जूली ने पुलिस को बताया कि वह पिछले 5 महीने से अपनी दादी सास की हत्या की साजिश रचने में लगी थी. उस ने टैलीविजन सीरियल देख कर हत्या करने व उस से बचने की प्लानिंग बनाई थी. उस ने सीरियल के द्वारा छोटेबड़े अपराध के बारे में जानकारी हासिल की थी. पहले उस ने बदमाशों द्वारा रेप किए जाने की कहानी पुलिस के सामने सुनाने की सोची थी, लेकिन रेप के मामले में मैडिकल एंगल को देखते हुए उस ने पिस्टल अड़ा कर रेप करने की कोशिश, लूट और हत्या की कहानी सुनाई.

जूली को यकीन था कि उस के द्वारा बताई गई सारी बातें पुलिस मान लेगी और वह साफतौर पर बच जाएगी, पर ऐसा हुआ नहीं. पुलिस ने तहकीकात कर उस की सारी पोल खोल कर रख दी. जूली ने बताया कि उसे अपनी दादी सास की हत्या करने का कोई मलाल नहीं है, क्योंकि वे उसे प्रेमी से मिलने नहीं दे रही थीं. सैक्स के माहिर डाक्टरों का कहना है कि इनसान के लिए सैक्स की भूख जिस्मानी जरूरत है. इस पर रोक लगाने पर औरत हो या मर्द, हत्या करने जैसा खौफनाक कदम उठा सकते हैं.

सैक्स को गंभीरता से लें

कालेज में पढ़ने वाले युवाओं को सैक्स संबंध बनाना हो या फिर लिव इन रिलेशनशिप में रहना हो, उन्हें इस बारे में अधिक सोचविचार की आवश्यकता नहीं होती. एक समय था जब विवाहपूर्व सैक्स के बारे में सोचना गलत माना जाता था, लेकिन आज तमाम सर्वे पर नजर डालें तो न सिर्फ युवा बल्कि किशोरकिशोरियों को भी सैक्स से कोई परहेज नहीं है. यह बात सही हो सकती है, लेकिन बिना सोचेसमझे सैक्स और इसे गंभीरता से लिए बिना कोई कदम उठाना सही नहीं है. इस से खुद को ही नुकसान हो सकता है. इसलिए सैक्स को मजाक न समझें, बल्कि गंभीरता से लें.

यह मजाक नहीं है

कई बार युवा अपने दोस्तों की देखादेखी या फिर दोस्तों में लगी शर्त को पूरा करने के चक्कर में सैक्स संबंध स्थापित करते हैं, ताकि वे अपने दोस्तों के बीच दबदबा बना सकें. लेकिन उन्हें इस बात का पता ही नहीं रहता कि कुछ पलों के हंसीमजाक के चलते उन्होंने अपनी जिंदगी का कितना अहम कदम बिना सोचेसमझे उठा लिया है. इसलिए सैक्स को गंभीरता से लें.

शादी के बाद होगी मुश्किल

शादी के बाद पति को भी इस का पता चल सकता है. यदि अपनी किशोरावस्था में आप ने सैक्स को गंभीरता से नहीं लिया और अपने फ्रैंड से कई बार सैक्स संबंध बनाए तो हो सकता है शादी के बाद पति को इस बात की किसी तरह भनक लग जाए और अगर ऐसा हुआ तो आप की खुशहाल जिंदगी क्या करवट लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता.

यौन संबंधी बीमारियों का डर

आमतौर पर विवाहपूर्व सैक्स संबंध शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर सुरक्षित नहीं माने जाते. असुरक्षित सैक्स से कई यौन रोग भी गले पड़ सकते हैं, जो जानलेवा होते हैं. यदि कम उम्र में ऐसे संबंध स्थापित किए जाते हैं तो इस का असर शारीरिक विकास पर पड़ता है. इस के साथ ही सामाजिक संबंधों पर भी इस का गहरा असर पड़ता है.

साथी के साथ ही करें सैक्स

सैक्स हमेशा उसी के साथ करें जिसे आप ने जीवनसाथी बनाना है. कोशिश करें कि शादी से पहले अपने बौयफ्रैंड से सैक्स संबंध न बनाएं, क्योंकि उस के मन में यह विचार आ सकता है कि जो लड़की मेरे साथ सैक्स कर सकती है उस ने औरों के साथ भी संबंध बनाए होंगे. किसी अजनबी के साथ सैक्स संबंध बनाना न तो ठीक है और न ही सुरक्षित. सैक्स संबंधों में जल्दबाजी न करें बल्कि जिस के साथ सैक्स करना है उस के बारे में अच्छी तरह जान कर व सोचसमझ कर ही आगे बढ़ें. यह भी ध्यान रहे कि वह संबंध बनाने की बात दूसरों को न बता दे.

जगह का चुनाव करें

सैक्स कहां कर रहे हैं, यह भी काफी माने रखता है. वह जगह सेफ न हुई या किसी ने होटल के कमरे में वीडियो क्लिपिंग बना ली तो क्या होगा, इसलिए जहां मन हुआ सैक्स कर लिया ऐसा नहीं होना चाहिए. सैक्स करने से पहले गंभीरता से सोचें कि इसे कहां किया जाए.

ब्लैकमेलिंग से बचें

बौयफ्रैंड के पास आप के कुछ पर्सनल फोटो हो सकते हैं, जिन से आगे चल कर वह आप को ब्लैकमेल भी कर सकता है, इस बात का भी ध्यान रखें, फिर चाहे वह बौयफ्रैंड हो या कोई और. सैक्स  से पहले यह बात जरूर सोच लें कि इस वजह से कहीं आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न हो जाएं, इसलिए इन बातों का विशेष खयाल रखें.

प्रैग्नैंसी का खतरा

इस बात पर भी विचार करना जरूरी है कि अगर आप ने बिना सोचेविचारे जल्दबाजी में सैक्स संबंध बनाने का फैसला किया और उस दौरान कोई सावधानी नहीं बरती तो गर्भ ठहरने का खतरा भी बना रहता है. यदि ऐसा होता है तो आप मानसिक तनाव से घिर जाएंगी, क्योंकि इस का दुष्प्रभाव आप की पूरी जिंदगी पर पड़ेगा.

डिप्रैशन न हो जाए

जब कई बार इन संबंधों में दरार पड़ती है तो दोनों पक्षों को ही गहरा मानसिक आघात पहुंचता है. ऐसे में सामाजिक और नैतिक बंधनों के चलते विवाहपूर्व सैक्स संबंध बनाने की शर्म, ग्लानि, अविश्वास, तनाव तथा एकदूसरे के प्रति सम्मान की कमी जैसे कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं.

डेटिंग को डेटिंग ही रहने दें

कई बार डेटिंग के दौरान भी सैक्स संबंध बन जाते हैं. जहां डेटिंग का मकसद एकदूसरे को भलीभांति जानना होता है वहीं वे उस मकसद को भूल सैक्स संबंध स्थापित कर लेते हैं. सैक्स के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है, लेकिन अभी समय एकदूसरे को जाननेसमझने का है. यह वक्त दोबारा नहीं आएगा, इसलिए पहले दोनों एकदूसरे को भलीभांति समझ लें और अपने रिश्ते को कुछ समय दें. उस के बाद इस पायदान पर आएं.

अच्छा नहीं उतावलापन

सैक्स के लिए उतावलापन अच्छा नहीं है इसलिए आप को प्रोफैशनल या बाजारू महिला या पुरुष के साथ सैक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए. यह पूरी तरह गलत है. इस से आप गलत लोगों के चंगुल में भी फंस सकते हैं.

जबरदस्ती सैक्स न करें

सैक्स जबरन नहीं करना चाहिए. आप को किसी के दबाव या किसी अन्य कारण से सैक्स करने से बचना चाहिए. साथ ही किसी डर की वजह से भी सैक्स नहीं करना चाहिए. मन के सारे भ्रम और आशंकाएं निकालने के बाद ही सैक्स संबंध बनाएं.

सही कदम

–       हर चीज समय पर ही अच्छी लगती है और सही भी रहती है. माना कि दिल किशोरावस्था में प्रेम की पींगें बढ़ाने को बेताब रहता है. प्रेम करना गलत नहीं है अवश्य करें, लेकिन सैक्स के लिए सही वक्त का इंतजार भी जरूरी है. तभी उस का असली मजा और आनंद ले पाएंगे वरना वह कुछ पलों का आनंद तो देगा लेकिन बाद में मन का सुकून भी छीन लेगा.

–       अगर फिर भी आप ने सैक्स का मन बना ही लिया है तो समय और स्थान का ऐसा चुनाव करें जो आप के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो और बाद में किसी मुसीबत में फंसाने वाला न हो, इसलिए किसी भी कमजोर पल में सैक्स करने का फैसला न लें बल्कि यदि सैक्स करना भी है तो सोचीसमझी योजना के तहत करें.

–       सैक्स के बाद यदि प्रैग्नैंसी आदि का वहम हो रहा है तो बिना डाक्टर को दिखाए खुद ही किसी नतीजे पर न पहुंचें, बल्कि सब से पहले इस बारे में अपने घर पर बड़ी बहन, मां आदि को बताएं. यह सच है कि आप को बताने में हिचकिचाहट होगी, डर भी लगेगा और शायद शर्मिंदगी भी होगी, लेकिन यह शर्मिंदगी उस मुसीबत से कम होगी जो न बताने पर आप को झेलनी पड़ सकती है. वह आप के घर वाले हैं, इस बात को सुन कर चाहे लाख नाराज हों, आप को डांटें, लेकिन इस मुसीबत से निकालने की जिम्मेदारी लेने में उन्हें देर नहीं लगेगी. उस समय वह वही करेंगे जो आप के लिए उचित होगा. इसलिए उन पर विश्वास कर हिम्मत कर के एक बार उन से सच कह डालिए, फिर देखिए कैसे आप की परेशानी हल होती है.

–       अगर आप का कोई बौयफ्रैंड है जिस पर आप बहुत विश्वास करती हैं तो भी उसे अपना कोई वीडियो आदि न बनाने दें चाहे कुछ भी हो जाए. वह रिश्ता तोड़ने की धमकी देता है तो न डरें, क्योंकि जो युवक आप से ऐसी बात कह रहा है वह किसी भी तरह का रिश्ता रखने के लायक नहीं है.

–       अगर सैक्स करना भी है तो इस बात का खयाल रखें कि उस की वजह से आप की पढ़ाई में कोई बाधा न आए. यह समय आप के भविष्य बनाने का है. इस में किसी भी तरह का कोई व्यवधान नहीं आना चाहिए. सैक्स कर के कहीं हर वक्त उसी में खोए रह कर पढ़ाई करना न भूलें. पढ़ाई आप की पहली जरूरत है, बाकी सब बा

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