वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रस्तावित चार लेवल के ढांचे से आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों पर काफी असर पड़ेगा. जीएसटी के अमल में आने से आपकी किचन महंगी हो सकती है. रोज काम आने वाले खाद्य तेल, मसाले और चिकन जैसे सामान की कीमत बढ़ने के आसार हैं. वहीं दूसरी तरफ कुछ टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर्स (AC), फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि टैक्स में कमी के कारण सस्ते हो सकते हैं.
सरकार की योजना अगले साल 1 अप्रैल से जीएसटी लागू करने की है. राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ इस सप्ताह हुई बैठक में केंद्र ने जीएसटी के तहत चार स्तरीय टैक्स ढांचे का प्रस्ताव रखा है.
केंद्र के चार स्तरीय कर ढांचे का खुदरा महंगाई पर असर पड़ने के अनुमान के मुताबिक चिकन और नारियल तेल जैसे उत्पाद जिन पर अभी चार प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है, उन पर जीएसटी के तहत 6 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा. इसी प्रकार रिफाइंड तेल, सरसों तेल और मूंगफली तेल पर भी टैक्स की दर 5 प्रतिशत से बढ़कर 6 प्रतिशत हो जाएगी.
रसोई में काम आने वाले अन्य उत्पादों पर भी 6 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा. इनमें हल्दी और जीरा जैसे उत्पाद है जिन पर तीन प्रतिशत की बजाय अब छह प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा. धनिया, काली मिर्च और तिलहन पर 5 प्रतिशत के बजाय छह प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा.
जीएसटी की सबसे कम दर 6 प्रतिशत रखने का प्रस्ताव किया गया है जबकि 12 और 18 प्रतिशत की दो मानक दरें होंगी. इसके अलावा 26 प्रतिशत की एक शीर्ष दर होगी जो कि त्वरित उपभोग वाले सामानों और टिकाऊ उपभोक्ता सामानों पर लागू होगी. कुछ ऐसे उत्पाद जो कि महत्वपूर्ण नहीं हैं और जिनसे प्रदूषण फैलता है इस तरह के उत्पादों पर उपकर भी लग सकता है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन