मैं अपने पति के साथ न्यूयार्क शहर गई थी, वहां मैं अपनी एक पुरानी सहेली के घर पर रुकी थी. सहेली और उस के पति दोनों दिन में अपने काम पर चले जाते थे. उस ने मुझे एक टैक्सी वाले का फोन नंबर दिया था जिस से दिन में कहीं घूमना हो तो उसे बुला लूं. मैं ने वह नंबर अपने पति को दे दिया था. जरूरत के अनुसार वही टैक्सी बुला लिया करते थे. एक सप्ताह के बाद हम दोनों एक रिश्तेदार के यहां बोस्टन शहर में आ गए थे. वहां भी दोनों पतिपत्नी दिन में अपनेअपने औफिस चले जाते थे. एक दिन मेरे पति ने बोस्टन घूमने के लिए उसी टैक्सी वाले को कौल कर दिया था. उस ने पूछा कहां आना है तो उन्होंने रोड नंबर और इंटरसैक्शन नंबर बता दिया था. उस ने कहा कि मैं 10 मिनट में पहुंच जाऊंगा.

अमेरिका में तो लोग समय के पाबंद होते हैं. जब 20 मिनट हो गए तो उन्होंने फिर फोन कर पूछा, ‘‘मैं भी तो वहीं हूं, पर आप किधर हैं?’’

उस ने कहा, ‘‘मैं न्यूयार्क में आप के दिए पते पर हूं.’’

मेरे पति ने कहा, ‘‘पर मैं तो 360 किलोमीटर दूर बोस्टन में हूं.’’ इतना बोलने के तुरंत बाद ही उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ कि ऐसे रोड नंबर और इंटरसैक्शन तो अनेक शहरों में हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सौरी, मुझ से बड़ी भूल हो गई. मैं तो बोस्टन आ गया हूं. आप अपना अकाउंट नंबर दें या फिर पोस्टल ऐड्रैस दें, मेरी वजह से जो नुकसान हुआ, उतने डौलर का चैक भेज दूंगा या मनी ट्रांसफर कर दूंगा.’’ टैक्सी वाले ने हंसते हुए कहा, ‘‘गाई (मित्र), नो प्रौब्लम. ऐसा कभीकभी हो जाता है. आप डौलर की चिंता न करें. बस गुडविल बनी रहे. अगली बार जब न्यूयार्क आएं तो मुझे याद करेंगे. बाए, हेव ए गुड डे.’’     

एस सिन्हा

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मेरे पति अपनेआप को बहुत बड़ा कुक समझते हैं. एक दिन घर में कुछ मेहमान आए. इन्होंने मुझ से चाय बनाने को कहा व स्वयं खाना बनाने में जुट गए. जब हम मेहमानों को खाना लगाने लगे तो इन्होंने कुकर खोल कर देखा, उस में सिर्फ पानी ही पानी था. दरअसल, दाल पकाते वक्त इन्होंने कुकर में नमक व अन्य सारी सामग्री कुकर में डाल दी थी, परंतु उस में दाल डालना भूल गए थे. फिर इन्होंने फटाफट कढ़ी छौंकी और मेहमानों को खाना खिलाया. इस घटना के बाद इन्होंने कभी भी मुझ से यह नहीं कहा कि वे बहुत बड़े कुक हैं.

सुनंदा गुप्ता, बिलासपुर (हि.प्र.)

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