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सिद्धार्थ रॉय कपूर की ‘डिजनी’ से विदाई

‘डिजनी’ स्टूडियो ने हिंदी फिल्मों के निर्माण से तौबा कर लिया है. डिजनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सिद्धार्थ रॉय कपूर की कंपनी से विदाई होने वाली है. ‘डिजनी’ निर्मित अंतिम हिंदी फिल्म ‘दंगल’ 23 दिसंबर को रिलीज होगी, पर सिद्धार्थ रॉय कपूर 20 दिसंबर को इस कंपनी को बाय बाय कर देंगे.

उधर ‘वाल्ट डिजनी इंटरनेशनल’ ने भी घोषणा कर दी है कि महेश सामंत ‘वाल्ट डिजनी कंपनी इंडिया’ के मैनेजिंग डायरेक्टर होंगे.

इस कंपनी के संग सिद्धार्थ रॉय कपूर का काफी पुराना संबंध रहा है. सिद्धार्थ रॉय कपूर 2005 में ‘यूटीवी’ से जुड़े थे. 2008 में वह इस कंपनी के सीईओ बनें. 2012 में यूटीवी का वाल्ट डिजनी में विलय होने के बाद भी वह इसी पद पर बने रहे. 2014 में उन्हें वाल्ट डिजनी इंडिया का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया था.

अखिलेश ने दी हर चाल को मात

अपनी पार्टी और परिवार के बीच उलझे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हर चाल को मात दे कर अपने को मजबूत खिलाड़ी साबित किया. राजनीति में कल तक जो लोग अखिलेश यादव को अनाड़ी समझ रहे थे, वह भी दबी जुबान से अखिलेश को मझा हुआ खिलाड़ी मान रहे हैं.

परिवार के इस विवाद में सबसे पहले मुख्यमंत्री ने पूरे मसले को मुलायम के उत्तराधिकार विवाद से दूर रखा. मुलायम के दूसरे पुत्र और पत्नी का मसला बाहर न आये इसलिये अमर सिंह का नाम चर्चा में रखा. परिवार के इस विवाद में वह बार बार यह साबित करते रहे कि पिता के रूप में मुलायम सिंह यादव की हर बात मानते हैं. जबकि अखिलेश के उलट मुलायम यह कहते रहे कि जो अपने बाप का नहीं हुआ वह अपनी बात का क्या होगा?’

सबके सामने अखिलेश यादव चाचा शिवपाल सिंह यादव की हर बात को समर्थन करते रहे. शिवपाल की आलोचना करने की जगह पर वह बार बार बीच में अमर सिंह को लाते रहे. जबकि शिवपाल यादव के हर फैसले को वह उलटते रहे. शिवपाल के मुकाबले अपने दूसरे चाचा प्रोफेसर राम गोपाल यादव को अपने करीब करते गये. एक तरफ शिवपाल यादव के बड़े भाई मुलायम सिह यादव के साथ खड़े नजर आये. तो दूसरी ओर अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव खड़े हो गये. एक गुट से दूसरे गुट पर चले लेटर बममें रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव के बीच मुकाबला बना रहा.

अखिलेश और शिवपाल के बीच विधायकों को लेकर शक्ति परीक्षण का दौर चला तो अखिलेश ने सबसे पहले विधायको की मीटिंग बुलाई. वहां 180 से अधिक विधायकों के पंहुचने से साफ हो गया कि विधायकों के शक्ति परीक्षण में अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव को मात दी. शिवपाल के पक्ष में 40 के करीब ही विधायक खडे दिखाई दिये. एक तरफ शिवपाल पार्टी में अखिलेश समर्थको को बाहर करते रहे तो जबाव में अखिलेश अपने मंत्रिमंडल से शिवपाल समर्थकों को बाहर करते रहे.

शिवपाल का पूरा प्रयास था कि मुख्यमंत्री पद से अखिलेश को हटा कर मुलायम खुद मुख्यमंत्री बन जाये. अखिलेश ने इस चाल को भी नाकाम कर दिया. अखिलेश की आलोचना करने के बाद भी मुलायम ने उनको पद से हटाने और खुद के मुख्यमंत्री बनने से इंकार कर दिया.

मुलायम ने जब यह साफ कर दिया कि अगले मुख्यमंत्री का नाम विधानसभा चुनाव के बाद तय होगा तब अखिलेश यादव ने खुद को मजबूत करने का कदम उठा लिया. संगठन से अलग उन्होंने अपने लोगों की मदद से रथ यात्रा निकालने की योजना शुरू कर दी. पार्टी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में वह दिखावे भर के लिये मैाजूद रहेंगे बाकी उनका ध्यान पूरी तरह से रथ यात्रा पर होगा. इसके जरीये वह प्रदेश भर का भ्रमण कर अपनी ताकत का अहसास विरोधियों को करा देगे.

अखिलेश को जब यह लगा कि पार्टी विरोधी नेताओं से मिलकर उनकी कुर्सी को अस्थिर कर सकती है तो वह कांग्रेस के सपंर्क में आये जहां से उनको यह भरोसा मिल गया कि कांग्रेस अखिलेश के साथ है. एक और कदम आगे बढते हुये अखिलेश खुद की प्रदेश के राज्यपाल से मिले और अपनी सरकार की मजबूती का आधार बता दिया. हर चाल को मात देकर अखिलेश ने साबित कर दिया है कि वह राजनीति में हर तरह से खिलाड़ी हो गये हैं. 

मोबाइल फोन का रेडिएशन नापा क्या?

क्या आपका मोबाइल सुरक्षित है? सुरक्षित से हमारा मतलब ये है कि आपके मोबाइल से तय सीमा से ज्यादा रेडिएशन तो नहीं निकलता? क्योंकि सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज के जरिए दावा किया जा रहा है आप अपने मोबाइल का रेडिएशन एक नंबर डायल करके जान सकते हैं और अगर ये बताई गई सीमा से ज्यादा है तो आप खतरे में हैं.

लोग मैसेज पढ़ते ही इस नंबर को डायल कर रहे हैं. और ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि जो मोबाइल वो इस्तेमाल करते हैं वो उनके लिए कितना सुरक्षित है. क्योंकि दावा कुछ ऐसा है कि मैसेज में बताए नंबर को डायल करके आप अपने फोन का रेडिएशन लेवल जांच सकते हैं.

मैसेज के मुताबिक आप अपने मोबाइल फोन पर *#07# डायल करके फोन का रेडिएशन लेवल जान सकते हैं. अगर लेवल 2.6 watt/kg से कम है तो ठीक है. लेकिन, अगर ये लेवल ज्यादा आए तो फिर फोन बदलिए क्योंकि रेडिएशन आपके व आपके परिवार वालों को बहुत ज्यादा शारीरिक नुकसान पहुंचा सकता है.

खतरा बताते हुए मैसेज आगे बढ़ाने की अपील की जा रही है. लेकिन सवाल ये है कि मैसेज में किया दावा कितना सच्चा है.

पड़ताल में सामने आया कि भारत सरकार की तरफ से मोबाइल रेडिएशन की सीमा को लेकर नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. जिसे हर मोबाइल कंपनी को मानना है. यानि भारत में जो फोन बिक रहे हैं वो आपको आपके फोन का रेडिएशन लेवल बताएंगे. बिना इसके कोई फोन बेचा नहीं जा सकता और अगर ऐसा होता है तो वो नियम का उल्लंघन हैं.

बिना इंटरनेट करें रेलवे टिकट बुक

रेलवे की यह सुविधा उन लोगों के लिए और भी कारगर है जो ऐसे इलाके में रहते हैं जहां इलेक्ट्रिसिटी और इंटरनेट की सुविधा नहीं है.

अब आपको रेलवे टिकट बुक कराने के लिए लंबी-चौड़ी लाइन में खड़े होने की कोई जरूरत नहीं है. हो सकता है आप सोच रहे हों कि हम ऑनलाइन टिकट बुकिंग की बात कर रहे हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है. आप बिना इंटरनेट के भी रेलवे टिकट बुकिंग कर सकते है, इतना ही नहीं, इसके लिए यह भी जरूरी नहीं है कि आपके पास स्मार्टफोन ही हो. आप एसएमएस भेजने वाले साधारण मोबाइल फोन के ‌जरिए रेलवे टिकट बुक कर सकते हैं. रेलवे की यह सुविधा उन लोगों के लिए और भी कारगर है जो ऐसे इलाके में रहते हैं जहां इलेक्ट्रिसिटी और इंटरनेट की सुविधा नहीं है.

ये है तरीका:

अपने मोबाइल नंबर से 139 पर मैसेज भेजना होगा. इस मैसेज में आपको ट्रेन नंबर, स्टेशन, गंतव्य, यात्री की तारीख, क्लास और पैसेंजर डीटेल भेजनी होगी.

139 पर BOOK <Train No> <From City> <To City> <Travel Date (DDMM)> <Class> <Passenger1-Name> <Age> <Gender> <Passenger2-Name> <Age> <Gender> मैसेज करें.

उदाहण के तौर पर: BOOK 12420 NDLS BST 1208 2S AMAR 23 M Srishti 20 F

जवाब में आपको रेलवे की ओर से एक मैसेज प्राप्त होगा. इसमें ट्रांजेक्शन आईडी, टिकट अमाउंट और सीट की डीटेल होगी.

पेमेंट:

टिकट का मोबाइल पेमेंट करते समय IMPS ((Interbank Mobile Payment Service / Immediate Payment Service) तरीका इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा आप Mobikwik,  ICICI Bank, Vodafone Mpesa के जरिए भी पेमेंट कर सकते हैं.

डिटेल वेरिफाइ होने के बाद आपका टिकट बुक हो जाएगा.

अंत में आपके पास कन्फर्मेशन मैसेज आ जाएगा.

अब आपको टिकट प्रिंट करवाने की आवश्यकता नहीं, बस मोबाइल में यह एसएमएस होना बहुत है.

हालांकि शर्त है कि आप एक बार में 6 यात्रियों के लिए टिकट बुक करवा सकते हैं.

इस तरह करें कैंसिल:

आप चाहें तो 139 पर CAN भेजकर टिकट कैंसल भी करा सकते हैं.

साथ में PNR नंबर और IRCTC यूजर आईडी भी डालनी होगी.

ट्रैवल करते समय मोबाइल में SMS होना चाहिए. इसके प्रिंट आउट की जरूरत नहीं है.

मोबाइल से टिकट बुक कराने के लिए आपके पास IRCTC अकाउंट और ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा होना जरूरी है.

अब सैमसंग गैलेक्सी S7 Edge में लगी आग

नोट 7 के बाद अब अमेरिका में सैमसंग ग्लैक्सी 7 एज रखने वाले एक व्यक्ति ने दावा किया है कि जो स्मार्टफोन उसे नोट 7 के एवज में मिला था, उसमें चार्ज करने के दौरान विस्फोट हो गया. एक वेबसाइट के मुताबिक डैमेज सैमसंग ग्लैक्सी S7 एज के साथ व्यक्ति अमेरिका के एक मशहूर वायरलेस कैरियर स्टोर में गया. दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग का ये दुनियटा में सबसे ज्यादा बिकने वाला स्मार्टफोन है.

यूजर का दावा है कि उसे यह स्मार्टफोन नोट 7 के एवज में दो हफ्ते पहले मिला था. फोन इतनी बुरी तरह जल चुका है कि इसे रिपेयर भी नहीं किया जा सकता. पिछले महीने ओहियो में एक शख्स ने सैमसंग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, शख्स के मुातबिक उसके सैमसंग ग्लैक्सी S7 एज स्मार्टफोन में विस्फोट हुआ था.

वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित गंभीर रूप से जल गया था और उसे त्वचा की ग्राफ्टिंग करानी पड़ी थी.

इस महीने सैमसंग ने अपने नोट7 खरीददारों के लिए मैसेज जारी किया था कि वह नोट 7 के बदले ग्लैक्सी S7 ले सकते हैं लेकिन इस घटना के बाद सैमसंग की मुश्किलें और भी बढ़ने वाली हैं और सैमसंग को इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच करने की जरुरत है.

पाकिस्तानी क्रिकेटरों के पुश-अप पर लगा बैन

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के चेयरमैन नजम सेठी ने राजनीतिक दबाव के चलते संसद की एक समिति को बताया कि पाकिस्तानी क्रिकेटरों को मैच के दौरान या जीत हासिल होने पर पुश-अप लगाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.

सूत्रों के मुताबिक, अंतर प्रांतीय समन्वय समिति की एक बैठक के दौरान कई राजनेताओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय मैचों में जीत हासिल करने के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ियों द्वारा लगाए जाने वाले पुश-अप पर सवाल उठाने के बाद पीसीबी ने यह कार्यवाही की.

गौरतलब है कि इसी साल जुलाई में इग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में शतक लगाने के बाद कप्तान मिस्बाह उल हक ने पहली बार इस तरह का पुश-अप किया था. इसके बाद टीम के सभी खिलाड़ियों ने लॉर्ड्स में हुआ टेस्ट मैच जीतने के बाद ऐसा ही किया था.

मिस्बाह ने इस हरकत पर पूछताछ के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ दौरे से पूर्व बूट कैंप का संदर्भ देते हुए कहा था, 'हमने लाहौर में हुए स्किल कैंप से पहले एबोटाबाद में भी एक शिविर में हिस्सा लिया था, जहां हम मैदान में उतरने से पहले हर बार सम्मान प्रदर्शित करने के लिए 10 पुश-अप किया करते थे. मैंने तब सैनिकों से वादा किया था कि जब भी मैं शतक लगाऊंगा तो उन्हें याद दिलाने के लिए इसी तरह पुश-अप किया करूंगा.'

लेकिन पाकिस्तानी राजनेताओं को मिस्बाह की यह हरकत रास नहीं आई और उनसे इस पर जवाब तलब किया गया.

आटोमोबाइल क्षेत्र में चमकते भारतीय इंजीनियर

भारत के इंजीनियरों ने अब कार निर्माण क्षेत्र में भी अपनी दक्षता का ऐसा अनूठा परिचय दिया जिस का पूरी दुनिया लोहा मानने लगी है. भारतीय आटोमोबाइल इंजीनियर कई कारों के डिजाइन तैयार कर चुके हैं लेकिन इस बार जापानी बहुराष्ट्रीय कार निर्माता कंपनी निसान ने भारतीय इंजीनियरों के समक्ष यह चुनौती पेश की है. उस ने अफ्रीका, पश्चिम एशिया तथा भारतीय उपमहाद्वीप के लिए भारतीय इंजीनियरों को कारों के डिजाइन तथा उन के निर्माण का काम सौंपा है. इस के लिए कंपनी ने चेन्नई स्थित अपने निर्माण लेड में 600 इंजीनियरों का एक दल बनाया है. इस दल को सामान्य कीमत वाली मजबूत और बेहतरीन कारों के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इंजीनियरों से निर्धारित समय पर यह कार्य पूरा करने को कहा गया है.

अफ्रीका, पश्चिम एशिया तथा भारतीय उपमहाद्वीप में निसान की वैश्विक हिस्सेदारी 15 फीसदी के आसपास है. नए डिजाइन की कारों का निर्माण कर कंपनी ने वैश्विक बाजार में कारों की बिक्री की हिस्सेदारी बढ़ाने का लक्ष्य तय किया है. निसान के कार निर्माता डिजाइन दल अब तक जापान के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस में हैं और अब भारत उस की इस कड़ी का हिस्सा बन गया है.

कंपनी का विश्वास है कि इस केंद्र में डिजाइन की गई तथा यहां की तकनीकी से निर्मित उस की कारें क्षेत्रीय बाजार में धूम मचा सकती हैं. इस केंद्र को विकसित करने के बारे में कंपनी ने 5 साल पहले फैसला लिया था लेकिन इस के लिए इस के निदेशक मंडल में तरहतरह की अड़चने आ रही थीं. बहरहाल, आज भरोसे के साथ कहा जा सकता है कि भारतीय इंजीनियरों की टीम कंपनी के विश्वास पर खरी उतरेगी और निसान को एक तोहफा देगी.        

निजता के उल्लंघन पर फेसबुक को फटकार

हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर आई थी कि फेसबुक जैसी कंपनियों द्वारा हटाए गए कुछ कर्मचारियों ने दावा किया है कि कंपनी फेसबुक यूजर्स के पर्सनल चैटिंग को गुपचुप तरीके से रिकौर्ड कर रही है. यह गैरकानूनी कार्य है और इस से कई निजी बातों की गोपनीयता भंग हो सकती है. इस तरह की खबरें पहले भी आती रही हैं, इसलिए हाल में यूजर्स चैट रिकौर्ड की खबर ज्यादा चौंकाने वाली साबित नहीं हुई.

नागरिकों के अधिकारों के हनन को रोकने का जिम्मा शासन, प्रशासन का है, उसे इस पर ध्यान देना चाहिए. कुछ इसी तरह का कदम पिछले दिनों जरमनी सरकार ने उठाया है. उस ने फेसबुक से व्हाट्सऐप डाटा रिकौर्ड को खत्म करने के लिए कहा है. जरमनी के यूजर्स के हितों के संरक्षण पर ध्यान देने वाले संगठन ने कंपनी से कहा है कि वह इस संबंध में हुए समझौते का पालन करे.

समझौते में कहा गया था कि फेसबुक यूजर्स के फोन नंबर तथा अन्य डाटा को व्हाट्सऐप पर शेयर नहीं किया जाएगा लेकिन कंपनी इस का उल्लंघन कर निर्बाध गति से निजी डाटा रिकौर्ड कर रही थी. डाटा हटाने के लिए कोई कानूनी अधिकार भी जरमनी सरकार के पास नहीं था. इस के बावजूद जरमनी की सरकार ने सख्ती दिखाते हुए फेसबुक को उस दिशा में कदम उठाने के लिए कहा. फेसबुक ने भी डर के कारण यह घोषित कर दिया है कि वह जरमनी की भावना का सम्मान करती है. लेकिन सवाल यह है कि बिना इजाजत के फेसबुक किसी की निजता को कैसे बांट सकती है. यह निजता अधिकारों का उल्लंघन है और अमेरिकी कंपनियां इस तरह के उल्लंघन से हिचकिचाती नहीं हैं.

दूसरा मतलब यह हुआ कि फेसबुक पूरी दुनिया की सूचना रखती है. वह किसी देश, कंपनी, संगठन या व्यक्ति की निजता का इस्तेमाल खुद के हितों के लिए कर सकती है. इस पर सभी सरकारों को पैनी निगाह रखने की जरूरत है.

छोटे शहरों में बीपीओ क्षेत्र में बढ़ेंगी नौकरियां

सरकार दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए वहां बिजनैस प्रोसेस आउटसोर्सिंग यानी बीपीओ केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी. इस के लिए सरकार ने छोटे शहरों में 9 हजार बीपीओ सीटों को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है. सूचना और तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में कहा है कि योजना को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति सीट पर वास्तविक खर्च की 50 प्रतिशत रकम केंद्र सरकार उपलब्ध कराएगी लेकिन प्रत्येक सीट पर सहयोग की अधिकतम राशि एक लाख रुपए होगी.

उन का कहना है कि इस के लिए 60 से ज्यादा कंपनियां देश के 18 शहरों में अपने बीपीओ केंद्र खोलने की सरकार को सूचना दे चुकी हैं. ये कंपनियां करीब 60 छोटे शहरों में अपना कारोबार शुरू करेंगी. भारत इस क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकत है और विश्व में 38 प्रतिशत से ज्यादा बीपीओ कारोबार यहीं हो रहा है. इसे और गति देने के लिए ही केंद्र सरकार ने बीपीओ सेवा को महानगरों के साथ ही दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में स्थापित करने की योजना बनाई है.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बेंगलुरु में कुछ युवकों ने उन से मिल कर महानगरों में अपने जीवन की कठिनाइयों से अवगत कराते हुए कहा था कि वे पूर्वोत्तर तथा बिहार आदि राज्यों से बेंगलुरु आए हैं. इस तरह के केंद्र बिहार, झारखंड, ओडिशा आदि राज्यों में खुलने से वहीं स्थानीय लोगों को नौकरी मिल सकती है. भारतीय भाषाओं में बीपीओ सेवा की पर्याप्त संभावनाएं हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कंपनियों से बात की और बड़ी संख्या में बीपीओ कंपनियां महानगरों से बाहर जा कर कारोबार करने के लिए तैयार हुईं.

कुश्ती का मेला

पिछले कुछ वर्षों में कुश्ती को देखने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, यह सत्य है. इस को भांपते हुए धनकुबेरों ने कुश्ती के दंगल की प्रो कुश्ती लीग के नाम से दुकान खोल ली. देशी विदेशी पहलवानों का मेला शुरू हो गया. कुश्ती को धूलमिट्टी से निकाल कर मखमली कारपेट तक पहुंचा दिया. बड़ेबड़े पहलवानों की खरीद फरोख्त शुरू हो गई. पहलवानों पर पैसों की बारिश होने लगी.

आईपीएल की तर्ज पर इसे भुनाने का प्रयास शुरू हो चुका है, फार्मेट भी आईपीएल की ही तरह तैयार किया गया. प्रो कुश्ती लीग यानी पीडब्लूएल का दूसरा चरण 15 दिसंबर से शुरू होगा जिसमें 8 टीमें हिस्सा लेंगी. पिछली बार 54 खिलाडि़यों का पूल था, इस बार 80 खिलाडि़यों का पूल होगा.

इस बार हरियाणा, पंजाब, मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, उत्तर प्रदेश के अलावा 2 टीमें और शामिल की गई हैं. साथ ही, विदेशी पहलवानों की संख्या 24 से बढ़ा कर 40 कर दी गई है.

प्रो. कुश्ती लीग से उन पहलवानों को भी पहलवानी दिखाने का मौका मिल जाता है जो गुमनाम हैं. उन्हें नएनए दांवपेंच सीखने का भी मौका मिलता है क्योंकि इस लीग में कई ऐसे देशीविदेशी नामीगिरामी पहलवान शामिल होते हैं जो ओलिंपिक पदक विजेता रहे हैं.

इस लीग की अच्छी बात यह है कि इस में उन खिलाडि़यों को मौका मिलता है जो छोटे शहरों व गरीब तबकों से आते हैं. अब इस लीग से मिली फीस से वे अपने खेल को और मांज सकते हैं. इन्हें खेल संघों पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा.

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