सरकार दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए वहां बिजनैस प्रोसेस आउटसोर्सिंग यानी बीपीओ केंद्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगी. इस के लिए सरकार ने छोटे शहरों में 9 हजार बीपीओ सीटों को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है. सूचना और तकनीकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस संबंध में कहा है कि योजना को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति सीट पर वास्तविक खर्च की 50 प्रतिशत रकम केंद्र सरकार उपलब्ध कराएगी लेकिन प्रत्येक सीट पर सहयोग की अधिकतम राशि एक लाख रुपए होगी.

उन का कहना है कि इस के लिए 60 से ज्यादा कंपनियां देश के 18 शहरों में अपने बीपीओ केंद्र खोलने की सरकार को सूचना दे चुकी हैं. ये कंपनियां करीब 60 छोटे शहरों में अपना कारोबार शुरू करेंगी. भारत इस क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकत है और विश्व में 38 प्रतिशत से ज्यादा बीपीओ कारोबार यहीं हो रहा है. इसे और गति देने के लिए ही केंद्र सरकार ने बीपीओ सेवा को महानगरों के साथ ही दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में स्थापित करने की योजना बनाई है.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बेंगलुरु में कुछ युवकों ने उन से मिल कर महानगरों में अपने जीवन की कठिनाइयों से अवगत कराते हुए कहा था कि वे पूर्वोत्तर तथा बिहार आदि राज्यों से बेंगलुरु आए हैं. इस तरह के केंद्र बिहार, झारखंड, ओडिशा आदि राज्यों में खुलने से वहीं स्थानीय लोगों को नौकरी मिल सकती है. भारतीय भाषाओं में बीपीओ सेवा की पर्याप्त संभावनाएं हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कंपनियों से बात की और बड़ी संख्या में बीपीओ कंपनियां महानगरों से बाहर जा कर कारोबार करने के लिए तैयार हुईं.

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