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‘प्रथम महिला’ को लेकर ट्रंप की पत्नियों के बीच छिड़ी जुबानी जंग

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वर्तमान पत्नी मेलानिया और पहली पत्नी इवाना में जुबानी जंग छिड़ गई है. उनका झगड़ा ‘प्रथम महिला’ की पदवी को लेकर है, जिस पर दोनों दावा जता रही हैं. इस मसले को लेकर वे एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. हालांकि ट्रंप की दूसरी पत्नी मार्ला मैपल्स इस विवाद से फिलहाल दूर हैं.

इवाना और मेलानिया के बीच इस मसले पर सोमवार को सरेआम वाक्युद्ध हुआ. इवाना ‘गुड मॉर्निग अमेरिका’ नामक टेलिविजन शो में अपनी नई किताब ‘रेजिंग ट्रंप’ के प्रचार के लिए पहुंची थीं. यह किताब ट्रंप के तीन बड़े बच्चों के पालन-पोषण के बारे में है. शो में दिए गए साक्षात्कार में इवाना ने ट्रंप से अपने संबंधों का हवाला देते हुए कुछ टिप्पणियां कीं, जिस पर राष्ट्रपति की वर्तमान पत्नी मेलानिया भड़क उठीं.

मेलानिया को वाशिंगटन डी.सी. पसंद

बयान में कहा गया, श्रीमती ट्रंप ने व्हाइट हाउस को बेरन और राष्ट्रपति के लिए बनाया है. बेरन, ट्रंप के सबसे छोटे बेटे हैं. इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि मेलानिया को वास्तव में अपने वाशिंगटन डी.सी. के जीवन से नफरत नहीं है. उन्हें वाशिंगटन डीसी में रहना पसंद है और अमेरिका की प्रथम महिला होने के नाते वह सम्मानित महसूस करती हैं. वह इस सम्मान का उपयोग बच्चों की मदद करने के लिए करेंगी, न कि किताबें बेचने के लिए.

नहीं चाहती मेलानिया को जलन हो : इवाना

इवाना ने कहा, देखा जाए तो मैं डोनाल्ड ट्रंप की पहली पत्नी हूं. ठीक है? उन्होंने कहा, मैं प्रथम महिला हूं. मेरे पास व्हाइट हाउस का सीधा नंबर है. लेकिन मैं उन्हें कॉल नहीं करना चाहती क्योंकि वहां मेलानिया हैं और मैं वाकई नहीं चाहती कि उन्हें जलन जैसा कुछ हो. इवांका ट्रंप की मां इवाना ने बताया कि वह अपने पूर्व पति से हर 14 दिन में एक बार बात करती हैं.

ध्यान खींचने की जुगत : मेलानिया

इवाना के दावों से भड़की मेलानिया ने बयान जारी कर कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की पूर्व पत्नी की बातों में कोई दम नहीं है. मेलानिया की प्रवक्ता स्टेफनी ग्रिशम की ओर से जारी बयान में कहा गया, इवाना की बातें सिर्फ लोगों का ध्यान खींचने के मकसद से कही गई हैं. ये बातें ऐसे एक व्यक्ति की ओर से आई हैं जो सिर्फ अपनी किताबें बेचना चाहती है.

1977 में हुई थी इवाना-डोनाल्ड ट्रंप की शादी

68 साल की इवाना ट्रंप पेशे से मॉडल और व्यवसायी हैं. उनकी और ट्रंप की साल 1977 में शादी हुई थी, जो 1992 में खत्म हो गई. डोनाल्ड ट्रंप ने इसके बाद मैपल नाम की महिला से विवाह किया, लेकिन यह रिश्ता भी महज छह वर्ष चला और दोनों का तलाक हो गया. मेलानिया, ट्रंप की तीसरी पत्नी हैं. मेलानिया और ट्रंप का विवाह 2005 में हुआ था.

पानी में गिर जाने पर ऐसे बचाये अपने स्मार्टफोन को

बड़ी मेहनत-जतन से चुनकर आप एक महंगा स्मार्टफोन खरीदते हैं और वह पानी में गिर जाए तो? कई बार परिस्थितियां ऐसी आती है कि काफी कोशिशों के बाद भी हम पानी में गिरते हुए फोन को बचाने में नाकाम रहते हैं. कई बार बचा भी लेते हैं. सोचा है कभी आपने कि अगर आपका स्मार्टफोन पानी में गिर जाए तो आप क्या करेंगे. घबराइये नहीं! पहले तो आपको फोन के पानी में गिरने पर तनाव में आने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर आपको फोन के पानी में गिरने के बाद उसका क्या करना है इस बात की जानकारी है, तो आपका फोन खराब होने से बच सकता है. आइये हम आपको बताते हैं कि कैसे आप फोन को पानी में गिरने के बाद बचा सकते हैं.

फोन के पानी में गिरने की स्थिति में जितना जल्दी हो सके उसे पानी से बाहर निकालें. कुछ स्मार्टफोन्स पर वाटरप्रूफ कोटिंग होती है, जो पानी में कुछ सेकंड्स तक फोन को डैमेज होने से बचाती है. अगर आपका भी फोन ऐसा हो और आप उसे पलक झपकते ही पानी से निकाल लें, तो हो सकता है कि आप नुकसान से बच जाएं.

फोन स्विच आफ करें

अगर स्मार्टफोन के पानी में गिरने पर उसका पावर आन है तो ऐसी स्थिति में उसे पानी से निकालते ही स्विच आफ कर दें. ऐसा करने से शार्ट सर्किट होने का खतरा नहीं होगा. फोन आफ हो या आन करने के लिए उसके किसी भी बटन को उपयोग न करें.

अगर आपके फोन में नान-रिमूवेबल बैटरी है तो बैटरी निकाल कर आफ करने का विकल्प खत्म हो जाएगा. ऐसे में पावर बटन से फोन को बंद करना ज्यादा जरूरी है. नान रिमूवेबल बैटरी के कारण शार्ट सर्किट हो सकता है.

हर चीज रिमूव करें

फोन को स्विच आफ करने के बाद फोन से जहां तक संभव हो यानी बैटरी, सिम कार्ड्स, मेमरी कार्ड्स के साथ ही अक्सेसरी (स्टाइलस, केस, कवर, स्किन)  हर चीज निकाल लें और इन्हें सूखे कपड़े से पोंछ कर सुखाएं.

हिलाकर पानी निकालें

हेडफोन जैक, चार्जिंग पोर्ट में या फिजिकल बटन्स के नीचे से पानी की बूंदे निकालने के लिए फोन को सावधानी के साथ झकझोरें. इसके बाद फोन को सूखे कपड़े, टायलट पेपर या पेपर नैपकिन से अच्छी तरह पोछें.

चावल में दबा दें

एयरटाइट कंटेनर या जिपलाक बैग लें. उसे कच्चे चावल से भर दें. अपने फोन को चावल के बीच में रखें. जिपलाक बैग कंटेनर को टाइट बंद कर दें और सूखी जगह पर रख दें. इसे कम से कम 24 से 48 घंटों के लिए छोड़ दें. यह देखने के लिए भी फोन को बाहर न निकालें कि यह ठीक हो गया या नहीं. आप चावल की जगह ओटमील या सिलिका जेल पैक्स भी प्रयोग कर सकते हैं. अगर पानी से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ होगा तो आपका फोन इस पीरियड के बाद काम करने लगेगा.

इस पूरी कवायद से फोन चालू होने की संभावना 50% ही है. यदि फोन आन हो जाता है तो उसमें सभी फीचर्स को उपयोग करें और देखें कि फोन का डिसप्ले सही कार्य कर रहा है या नहीं. यदि फोन आन नहीं हुआ है तो उसे चार्जिंग पर लगाए. किंतु चार्ज भी नहीं हो रहा तो, हो सकता है फोन की बैटरी डैमेज हो गई है. उसे आथराइज्ड सर्विस सेंटर पर ले जाएं.

आखिर गजल के बीच में चुटकुले क्यों सुनाते थे जगजीत सिंह

‘वो कागज की कश्ती’, ‘झुकी झुकी सी नजर’, ‘होंठों से छू लो तुम’ ये शब्द सुनकर यकीकन आपके जहन में इसके गायक का चेहरा ताजा हो गया होगा. इन गजलों के गायक जगजीत सिंह को बौलीवुड में एक ऐसे शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी गजल गायकी से लगभग चार दशक तक श्रोताओं के दिल पर अमिट छाप छोड़ी. सैकड़ों गजल गाने वाले गजल सम्राट जगजीत सिंह की आज छठी पुण्यतिथि है. जगजीत सिंह की भारी और दर्द से भरी आवाज की वजह से गजल गायकी में दूसरा कोई उनका सानी नहीं है.

08 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्में जगजीत सिंह के बचपन का नाम जगमोहन था. 1970 और 1980 के दशक में उन्होंने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ एक से एक बेहतरीन गजलें गाईं और देश-विदेश में अपनी आवाज का डंका बजाया.

जगजीत सिंह दूसरे गायकों से बिल्कुल अलग थे. वो जब लाइव शोज करते थे, तो बीच बीच में जोक सुनाते थे. एक बार उन्होंने खुद बताया कि वो ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि श्रोता उनसे जुड़े रहें. अक्सर देखा जाता है कि श्रोता संजीदा गजल सुनकर रूआंसे हो जाते है, इसलिए श्रोताओं को लगातार जगाए और जोड़े रखने के लिए वो बीच-बीच में चुटकुले सुनाते रहते थे, जो उनकी गायन शैली को दूसरों से अलग करता था.

1990 में एक ट्रेजडी ने जगजीत सिंह और उनकी पत्नि चित्रा को एकदम खामोश कर दिया. जगजीत और चित्रा के बेटे विवेक का कार हादसे में निधन हो गया. इस वजह से जगजीत सिंह छह महीने तक एकदम खामोश हो गए जबकि चित्रा सिंह इस हादसे से कभी उबर नहीं पाईं और उन्होंने गायकी छोड़ दी. वहीं 6 महीने बाद अपने आपको फिर से संभालते हुए उन्होंने फिर गजल गानी शुरू की. उनकी गजलों में बेटे को खो देने का दुख साफ झलकता था. चिट्ठी न कोई संदेश उन्होंने अपने बेटे के जाने के बाद गाई थी, जो उनकी शानदार गजलों में से एक मानी जाती हैं.

भले ही जगजीत सिंह आज हमारे साथ नहीं है, लेकिन उनकी रूहानी आवाज आज भी ये एहसास कराती है कि वो हमारे बीच ही मौजूद हैं. सुनिए जगजीत सिंह की ऐसी ही कुछ गजलें जो आपके दिल के बेहद करीब रही हैं.

अगर आपको तुरंत चाहिए लोन तो अपनाएं ये आसान तरीके

अगर आपको किसी काम के लिए लोन की जरूरत है और लोन कैसे लिया जाए यह आपको समझ नहीं आ रहा है तो आपको अब बिल्कुल भी परेशान होने या घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिनको अपनाकर आप आसानी से लोन पा सकते हैं.

कंपनी या संस्था से

कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को एडवांस सैलरी या फेस्टिवल अडवांस लोन के नाम पर लोन देतीं हैं. यह लोन आपको तीन दिन के भीतर मिल सकता है. जिसे आप 3 से लेकर 24 महीने के अंदर चुका सकते हैं. इस राशि पर आपको 5-8 प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना पड़ सकता है.

गोल्ड या गोल्ड जूलरी के बदले

गोल्ड या गोल्ड जूलरी को गिरवी रखकर भी आप 10,000 से लेकर 25 लाख तक का लोन ले सकते हैं. हालांकि इसमें लोन चुकाने की समयसीमा काफी कम होती है. इसके लिए ब्याज दर 10 से लेकर 26 फीसदी तक होती है. यह लोन आपको बैंक के अलावा कई निजी फाइनैंस कंपनिया भी देतीं हैं. गोल्ड लोन आपको 1 दिन के अंदर आसानी से मिल सकता है.

टाप अप लें

अगर आपने होम लोन लिया है तो आप टाप-अप के रूप में लोन ले सकतें हैं. इस उपाय से आपको अधिकतम 50 लाख रुपये तक के लोन मिल सकते हैं. यह भी आपको 3 दिन अंदर मिल सकता है. हालांकि इसे लेने के लिए कई नियम और शर्तें हैं. इसपर ब्याज 9 से 13 फीसदी की दर से चुकाना होता है.

पर्सनल लोन भी है एक आप्शन

पर्सनल लोन पूरी तरह से कस्टमर और बैंक के रिश्ते पर निर्भर करता है. यह आपको 30 मिनट से 3 दिन के अंदर मिल सकता है. पर्सनल लोन में ब्याज दर काफी ज्यादा होती है. आपको 13 से 24 फीसदी तक की दर से ब्याज देना होता है.

शेयर और म्यूचुअल फंड के बदले

अगर आपने शेयर, म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस आदि में इन्वेस्ट किया हुआ है तो बैंक आपको इसके बदले भी लोन दे सकती हैं. जिसमें 9 से 15 फीसदी तक की दर से आपको ब्याज चुकाना होता है.

प्रापर्टी के नाम पर

अगर आपके नाम से कोई प्रापर्टी है तो आप उसे गिरवी रख कर 5 लाख से 10 करोड़ तक की राशि का लोन ले सकते हैं. यह लोन आपको 3 से लेकर 20 दिन तक में मिल सकता है. इसमें ब्याज दर 9.5 फीसदी से लेकर 13 फीसदी तक होती है. लोन चुकाने की सीमा 2 साल से लेकर 15 साल तक होती है.

भेदभावों के भेद का क्या भारत विरोध कर सकता है

रेस, रिलीजन, कास्ट, रंग के भेदभाव को चुनावी जंग में भुनाना निर्दोषों के लिए महंगा ही पड़ता है. अपने देश में अगर मुसलिम, दलित इस के शिकार बन रहे हैं तो पढ़ेलिखे, उदार, तार्किक अमेरिका में. वहां ‘ब्लैक लाइफ मैटर्स’ के नारे को ले कर लोग रोज जुलूस निकालते हैं क्योंकि देशभर में कालों के खिलाफ उन्माद सा फैलाया गया है. हर काले को नशेड़ी, अपराधी माना जा रहा है और जब चाहे गोरे पुलिस वाले उन्हें रोक कर उन की तलाशी लेनी शुरू कर देते हैं और जरा सा भी चूंचप्पड़ करने पर उन्हें गोली मार दी जाती है. अदालतें छोड़ ही देती हैं गोरे पुलिस वालों को.

यह कहर अब लेटिनो यानी दक्षिण अमेरिका से आए लोगों, चीनियों, वियतनामियों और सब से ज्यादा भारतीयों पर टूट रहा है. अमेरिका के एक शहर इडाहो में भारतीय मूल के टैक्सी ड्राइवर गगनदीप सिंह की 19 वर्षीय गोरे लड़के ने इसलिए हत्या कर डाली कि उसे एक भारतीय के कारण एक विश्वविद्यालय में सीट नहीं मिली. जैसे गोधरा कांड के बाद 2 हजार से ज्यादा मुसलमान आदमियों, औरतों, बच्चों को मारा गया था वैसे ही अमेरिका में भारतीयों को मारा जा रहा है, क्योंकि वे अपनी मेहनत से ऊंची जगह पा रहे हैं. कुछ समय पहले तो डौटबस्टर कह कर बिंदी लगाए काली युवतियों के साथ जम कर बदसुलूकी का दौर चला था.

ताजा मामले में जैकब कोलमैन का गुस्सा इतना था कि उस ने गगनदीप से रास्ते में टैक्सी रुकवाई, फिर एक दुकान से चाकू खरीदा और उस से उस की हत्या कर डाली. कोई रंजिश नहीं, कोई विवाद नहीं, केवल रेशियल भेदभाव.

भारत क्या इस का विरोध कर सकता है? किस मुंह से करेगा? यहां तो हर रोज गौमांस खाने के नाम मुसलिमों को मारा जा रहा है और निचला काम बेगार में न करने पर दलितों को. हम कैसे कहेंगे कि डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका भेदभाव दूर करे जबकि वे चुनाव जीते ही इस भेदभाव को भुना कर हैं. उन्होंने कहा था कि वे श्वेतों का राज फिर कायम करना चाहते हैं. वे चीन की दीवार सी लंबी दीवार मैक्सिको और अमेरिका के बीच खड़ी करना चाहते हैं ताकि आधेकाले आधेगोरे उस के देश में आ ही न सकें. इसीलिए अमेरिकियों ने एक खब्ती को राष्ट्रपति चुन लिया.

बेवकूफ नेता देश का बड़ा नुकसान कर जाता है. हिटलर, मुसोलिनी ऐसे ही खब्ती, जिद्दी थे. उन्होंने रेस, जाति, धर्म का जम कर इस्तेमाल किया और अपने देश में ही कई फाड़ कर दिए. अमेरिका गोरों, कालों, भूरों, पीलों हिंदुओं, मुसलिमों के नाम पर बंट रहा है. इस का नुकसान होगा ही. इंटरनैट ने जोड़ा था अब यही ट्रंप के तोड़क संदेश को हर सिरफिरे तक पहुंचा रहा है.

आपके बुढ़ापे का सहारा बनेगा ये ऐप

आजकल बुजुर्गों के साथ अपराध बहुत बढ़ते जा रहे हैं. घर में अकेले रहने वाले बुजुर्ग असुरक्षित महसूस करते हैं, जिसको देखते हुए बिधाननगर पुलिस ने लोगों की सहायता के लिए एक ऐप बनाई है. ‘बिपद साथी’ नाम की इस ऐप की मदद से बुजुर्ग लोगों को जरूरत पड़ने पर जल्द से जल्द मदद पहुंचाई जा सकेगी.

इस ऐप की मदद से बुजुर्गों के साथ बढ़ते अपराध कम किया जा सकेगा. आपको बता दें कि यह ऐप एंड्रायड और आईओएस प्लैटफार्म दोनों पर ही चलेगी. यह ऐप एक मैप के साथ खुलेगा और इसमें 3 औप्शन सामने आते हैं जैसे नियरबाई हेल्प, ट्रैक मी लाइव और रिपोर्ट अ क्राइम.

पुलिस अधिकारी के अनुसार, एक निजी कंपनी ने यह ऐप बनाने में मदद की है. इसके ‘नियरबाई हेल्प’ सेक्शन के नीचे एक SOS बटन भी है. वौल्यूम बटन को तीन बार दबाने से भी ये फीचर काम करेगा.

अधिकारी के अनुसार, इस ऐप को बिधाननगर क्षेत्र के बुजुर्गों को खासतौर पर ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. खास बात यह है कि इस ऐप में 5 इस तरह के नंबर सेव किए जा सकते हैं, जिनसे आपातकाल स्थिती में संपर्क किया जा सके.

आपको बता दें कि SOS बटन दबाने से इन नंबरों पर टेक्स्ट मेसेज भी चला जाएगा. और साथ ही साथ बिधाननगर पुलिस कमीशन के अंतर्गत आने वाले 10 स्थानीय पुलिस स्टेशनों को भी संदेश भेजा जाएगा. इस दौरान परेशानी में फंसे लोगों तक इन स्टेशनों में से किसी से GPS से लैस गाड़ी को भेजा जाएगा.

अधिकारी ने इस ऐप के अन्य फीचर्स को बताते हुए कहा कि ‘ट्रैक मी लाइव’ औप्शन को एक्टिवेट करने पर पुलिस GPS की सहायता से इंसान तक पहुंचेगी. जरूरत पड़ने पर पुलिस पांच-दस मिनट के अंदर पहुंचेगी.

इस ऐप के ‘रिपोर्ट अ क्राइम’ की मदद से अपराध को रिकार्ड कर अपलोड किया जाएगा. उसे देखकर पुलिस जरूरी कार्रवाई करेगी. सबसे खास बात ये है कि इसकी मदद से फायर स्टेशन्स से सहायता भी ली जा सकती है.

रेखा पर फिल्माए गए ये गाने आपको थिरकने पर मजबूर कर देंगे

रेखा यानी बीते 4 दशकों से खूबसूरती, अदब, अदा और अदायगी का दूसरा नाम. उम्र के सभी परिमाण ठुकरा चुकीं बौलीवुड की एवरग्रीन ब्यूटी रेखा आज यानी 10 अक्टूबर को अपना 63वां जन्मदिन मना रही हैं.

1966 में तेलगु फिल्म रंगुलारत्नम में एक बाल-कलाकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाली रेखा के फिल्मी दुनिया का सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा.

आपको बता दें कि अपने फिल्मी करियर के शुरूआती दौर में रेखा एक सांवली और मोटी हीरोइन ही थीं. लेकिन साल 1976 कुछ अलग था. ये वो समय था जब रेखा ने अपने लुक्स को बदलने की ठानी. उन्होनें अपनी हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू के साथ साथ अपने शरीर पर जमे फैट के साथ भी जंग लड़नी शुरु कर दी. रेखा को जानने वाले बताते हैं कि अपने पेट के हिस्से को कम करने के लिए वो पूरे जी जान से पसीना बहाती थी. वो इतनी मेहनत करने लगी थी की उन्हें जानने वालों को हैरानी हो रही थी. 1970 में जब योगा का नाम लोगों ने ठीक से सुना नहीं था तब रेखा ने योगा और जीतोड़ वर्जिश से लगभग 30 किलो वजन घटा लिया था. कभी लाइनर ना लगा सकने वाली एक लड़की अब मेकअप दादा से अपने लुक्स पर बात करने लगी थी.

अपने अन्दर आए इन बदलावों का श्रेय रेखा अमिताभ बच्चन को देती हैं. हालांकि अमिताभ बच्चन ने आज तक इस बात पर आधिकारिक कमेंट नहीं किया है, वो हमेशा बिना रेखा का नाम लिए इस बात का जिक्र करते हुए कहते हैं कि ‘वो’ अगर ऐसा कहती हैं तो हम उनके आभारी हैं लेकिन इसमें हमारा कोई योगदान नहीं है.

रील के साथ उनकी रियल लाइफ में भी कई हादसे हुए. विनोद मेहरा, अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार जैसे सितारों के साथ उनकी अधूरी प्रेम कहानी का सिलसिला काफी चर्चित रहा. रिलेशनशिप से इतर अगर बात करें तो इसमें कोई संदेह नहीं कि रेखा एक जबरदस्त अभिनेत्री हैं. उन्होंने अपने 50 साल के फिल्मी करियर में 180 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. रेखा की पहली हिंदी फिल्म साल 1970 में आई ‘सावन भादो’ थी.

रेखा ने अपने करियर में कुछ ऐसे बेहतरीन गीत दिए हैं, जिनपर हर मौके और हर माहौल में डांस किया जा सकता है. देखिए और सुनिए वो गाने जो आपको भी थिरकने पर मजबूर कर देंगे.

गुम है किसी के प्यार में (रामपुर का लक्ष्मण 1972)

1972 में रणधीर कपूर के साथ फिल्म ‘रामपुर का लक्ष्मण’ फिल्म से रेखा को पहचान मिली. इस फिल्म में फिल्माएं गये इस गाने के वीडियो में रेखा को रणधीर कपूर के साथ देखकर ही इस बात का अंदाजा हो जाता है कि यह रोमांटिक गाना किसी भी नए प्यार की सुगबुगाहट के बीच सूना जा सकता है और इसपर थिरकते हुए अपना प्यार जताया जा सकता है.

आई करके श्रृंगार (दो अनजाने 1976)

इस ड्रामा-थ्रिलर में रेखा के साथ अमिताभ बच्चन, प्रेम चोपड़ा और मिथुन चक्रवर्ती थे. इस फिल्म में रेखा की यह स्टेज परफारमेंस उनके शानदार डांस का नमूना है.

सलाम-ए-इश्क मेरी जान (मुकद्दर का सिकंदर 1978)

इस फिल्म में रेखा का परफार्म किया हुआ मुजरा ‘सलाम-ए-इश्क’ इतना हिट हुआ कि ये आज भी लोगों को जुबानी याद है. रेखा और अमिताभ की जोड़ी दर्शकों को बहुत पसंद किया गया था.

परदेसिया ये सच है पिया (मिस्टर नटवरलाल 1979)

इस गाने का ओरिजिनल वर्जन ही इतना बड़ा हिट था कि इसके बाद रीमिक्स भी बने. अमिताभ और रेखा की आपसी केमिस्ट्री इस गाने में साफ झलक रही थी.

दिल चीज क्या है (उमराव जान 1981)

रेखा की सबसे शानदार फिल्मों में से एक उमराव जान उनके गानों और डांस के लिए भी जानी जाती है.

आंखों की मस्ती के (उमराव जान 1981)

रेखा की खूबसूरती इस फिल्म में खूब झलकी है. इस गाने में भी उनकी आंखें, उनका मेकअप और उनका डांस कमाल का लगा है.

लड़की है या शोला (सिलसिला 1981)

अमिताभ बच्चन के साथ रेखा की जोड़ी उस फिल्म और गीत को हिट करवाने का सुपरहिट फार्मूला थी. यह गाना भी इस फिल्म की तरह सुपर हिट रहा.

रंग बरसे भीगी चुनर वाली (सिलसिला 1981)

यह एक ऐसा गाना है जिसके बिना होली आज भी अधूरी है. होली के रंगो से सराबोर इस गाने में अमिताभ बच्चन और रेखा का रोमांस परवान पर चढ़ रहा था.

मन क्यों बहका रे बहका (उत्सव 1985)

यह रेखा की सबसे इरोटिक कमर्शियल फिल्म कही जा सकती है. लता और उषा मंगेशकर का गया हुआ यह गाना भी फिल्म के फ्लेवर को बखूबी निभाता है.

सासू जी तूने मेरी कदर ना जानी (बीवी हो तो ऐसी 1991)

सास बहू की खटपट से भरि फिल्म बीवी हो तो ऐसी में सासू जी तूने मेरी कदर ना जानी एक मजेदार गाना है. इस फिल्म में रेखा बहू और बिंदु उनकी सास की भूमिका में थीं.

कैसी पहेली है ये जिंदगानी (परिणीता 2005)

यह रेखा की सबसे नवीनतम फिल्मों में से एक का डांस नंबर है.आपको बता दें कि विद्या बालन की डेब्यू फिल्म ‘परिणीता’ में रेखा कई सालों बाद स्टेज पर थिरकती नजर आई थी.

पटाखों की बिक्री पर रोक से धार्मिक कट्टरता बेचैन

सुप्रीम कोर्ट ने केवल कुछ समय के लिये दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई है. इससे पूरी तरह से वायु प्रदूषण को नहीं रोका जा सकता. जब तक पटाखों के चलाने पर रोक नहीं लगेगी तब तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आयेगे. सुप्रीम कोर्ट की पहल स्वागत के योग्य है, जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वह धार्मिक लाभ के लिये यह कर रहे हैं.

ढाई साल के अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और साढे तीन साल की जोया भसीन की अर्जी पर फैसला सुनाते सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में दीवाली के मौके पर पटाखे नहीं बिकेंगे. कोर्ट ने कहा कि इस आदेश से यह देखना चाहते हैं कि दीवाली के मौके पर दिल्ली एनसीआर की आबोहवा कैसी रहती है. दिल्ली एनसीआर में बढते प्रदूषण को रोकने की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

3 बच्चों की अर्जी पर आया यह फैसला जहां पर्यावरण संगठनों के लिये खुशी लेकर आया, वहीं कुछ धार्मिक संगठनों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है. ऐसे लोग 1 हजार करोड़ से अधिक कारोबार के नुकसान की बात भी करने लगे हैं. दीवाली में केवल दिल्ली में ही नहीं पूरे देश के शहरों में प्रदूषण फैल जाता है. रिकार्ड देखें तो दीवाली में वायु प्रदूषण दोगुने से अधिक हो जाता है.

हिन्दू वादी संगठन इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं. कई लोगों ने इस फैसले पर सवाल उठाते कहा कि हिंदुओं के त्योहारों के साथ ही ऐसा क्यों होता है? स्वदेशी जागरण मंच अब इस फैसले से होने वाले नुकसान की बात करने लगा है. उसका कहना है कि इससे पटाखा कारोबार में लगे लोग बेरोजगार हो जायेंगे. उनकी रोजीरोटी छिन जायेगी. कई दूसरे लोग इसके खिलाफ रिट याचिका करने जा रहे हैं. असल में पटाखा बिकने पर लगी रोक को हिंदूवादी संगठन अपने धर्म के अधिकार से जोड़ कर देख रहे हैं. ऐसे लोग जनता में यह फैलाना चाहते हैं कि यह आदेश उनके धार्मिक आधिकारों में चोट है. पटाखों की बिक्री पर यह अस्थाई रोक लगी है. सुप्रीम कोर्ट भी यह देखना चाहता है कि इससे प्रदूषण पर क्या फर्क पड़ेगा?

इन आदेशों का कितना पालन होगा यह देखने वाली बात है? इस तरह की रोक नदियों में मूर्तियों के विसर्जन पर भी लगी है. इसके बाद भी नदियों में मूर्तियों का विसर्जन होता है. सरकार ने नदियों के विर्सजन में रोक के लिये नदियों के किनारे ही गड्डे बना कर मूर्तियों का विर्सजन करने लगी. ज्यादातर मूर्तियां हानिकारकर रंगों से तैयार होती हैं, जो मिट्टी में घुलकर वापस पानी में मिल जाती हैं. पटाखों से जीवन को नुकसान होता है. कई बच्चों के फेफडे विकसित नहीं हो पाते हैं. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले भी माना था कि इस तरह के वायु प्रदूषण से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

आदेश में पटाखा फोड़ने पर कोई रोक नहीं है. जिसके चलते बाहर से पटाखे लाकर कोई भी फोड़ सकता है. ऐसे में पटाखों से होने वाले नुकसान का सही आकलन नहीं हो पायेगा. पटाखों की केवल बिक्री बंद होने से आंशिक नुकसान को रोका जा सकता है. जब तक पटाखा फोड़ने पर रोक नहीं लगेगी. तब तक सही आकलन संभव नहीं है. जरूरत इस बात की है कि पटाखों के नुकसान को समझ कर पूरा देश पटाखों के फोड़ने से खुद को रोके. केवल बिक्री रोकने से यह संभव नहीं होगा.

मैं 36 साल का हूं. मुझे हमबिस्तरी की बहुत इच्छा होती है, मगर अंग साथ नहीं देता. मैं क्या करूं.

सवाल
मैं 36 साल का हूं. मुझे हमबिस्तरी की बहुत इच्छा होती है, मगर अंग साथ नहीं देता. मैं क्या करूं?

जवाब
आप किसी माहिर डाक्टर से मिल कर अपनी तकलीफ बताएं. आप में जो कमी होगी, वह डाक्टरी इलाज के बाद ही दूर हो सकेगी. इस मामले में किसी नीमहकीम के चक्कर में न पड़ें.

VIDEO : नेल आर्ट डिजाइन – टील ब्लू नेल आर्ट

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अकेले हैं तो क्या गम है, खुश रहें और मुसकुरा कर जिएं जिंदगी

‘‘बेचारी को देखो, 35 साल की हो गई है और अभी तक सिंगल है.’’

‘‘देखने में तो खूबसूरत है, बड़ी अफसर भी है, फिर भी पता नहीं क्यों अभी तक शादी नहीं हुई?’’

अपनी सोसाइटी में जैसे ही सोमा घुसी ये बातें उस के कानों में पड़ीं. हालांकि इस तरह की बातें उस के लिए नई नहीं थीं. वह इस तरह की बातें सुनने की आदी हो चुकी थी, फिर भी कभीकभी उसे ये बातें चुभ जाती थीं. आखिर क्यों लोग उस की जिंदगी में दखल देते हैं? क्यों नहीं उसे चैन से रहने देते? उस की हर गतिविधि को गौर से देखा जाता है. मानो सिंगल होना कोई बड़ा अपराध है. उस ने अपनी मरजी से यह लाइफ चुनी है तो इस में समाज को क्यों परेशानी होती है? वह तो खूब ऐंजौय करती है अपनी लाइफ.

अपनी दीदी की शादीशुदा जिंदगी की त्रासदी देखने के बाद ही सोमा ने अकेले रहने का फैसला लिया था. कितने प्रतिबंध हैं उस पर. कोई भी काम वह अपने पति की आज्ञा लिए बिना नहीं कर पाती है. सोमा ने पैनी नजरों से रीना को देखा. बेचारी तो ये हैं जो 35 साल में ही 60 साल की लगने लगी हैं.

सोमा जैसी सिंगल विमन की आज कमी नहीं है, क्योंकि वे अपनी मरजी से शादी न करने का फैसला ले रही हैं. वे अपनी तरह से जिंदगी जीना चाहती हैं. फिर अगर किसी वजह से शादी न भी हुई तो भी अकेले रह कर खुशी से जीवन बिताया जा सकता है. बस जीने के तरीके आने चाहिए.

सोमा कहती हैं, ‘‘मुझे लगता है कि शादी हो ही ऐसा कोई जरूरी नहीं है. कई बार बहुत चाहने पर भी सही लाइफपार्टनर न मिलने की वजह से आप शादी नहीं कर पाते या कोई पसंद भी आता है तो लगता है कि इस के साथ पूरी जिंदगी नहीं काटी जा सकती. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. यह भी सच है कि प्यार एक खूबसूरत एहसास है, लेकिन अगर आप को कोई साथी न मिल पाए तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि आप अपने जीवन से नाखुश हैं. जैसाकि समाज सोचता है. यह मानना गलत है कि अगर आप सिंगल हैं तो आप की लाइफ अधूरी है. शादी ही सब कुछ नहीं, जीवन हमें अंतहीन संभावनाएं देता है. बस आप को उन्हें खोजना व उन का सही तरीके से प्रयोग करना आना चाहिए.’’

आप के दोस्त, रिश्तेदार, मातापिता, भाईबहन और समाज जो आप के अकेले होने का मतलब यह निकालता है कि आप दुखी होंगी वे आप को हमेशा सैटल हो जाने की सलाह देते रहते हैं. अगर आप शादी नहीं करना चाहतीं या आप के अकेले जीवन बिताने का फैसला करने की वजह चाहे जो हो, पर आप तो यह मान कर चलिए कि आप अकेले रह कर भी खुश रह सकती हैं. अकेले रहने का फैसला भी तभी करें जब आप इस के लिए पूरी तरह से तैयार हों.

बंधनमुक्त होने को सैलिब्रेट करें: जरूरी नहीं कि शादीशुदा हैं तो आप की लाइफ खुशियों से भरी होगी. जिम्मेदारियों के साथ समस्याएं बिना कहे चली आती हैं. सिंगल हैं तो न कोई जिम्मेदारी न कमिटमैंट, तो इसे सैलिब्रेट करें. किसी कपल को हाथ में हाथ डाले देख कर अफसोस मनाने के बजाय अपने लिए जीएं और आजादी की हवा में सांस लें. सिंगल स्टेटस को ले कर मन में निराशाएं पालने के बजाय सोचें कि आप के ऊपर किसी तरह की पाबंदी नहीं है. आप जब मरजी कहीं भी आ जा सकती हैं. बस इस के लिए अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें और लोगों की बातों से दुखी होना या उन पर रिएक्ट करना बंद कर दें.

खुद पर टाइम स्पैंड करें: आप को खुद खूब समय मिलेगा. शादीशुदा औरत जिस तरह हमेशा एक गिल्ट में जीती रहती है, उस से आप को नहीं गुजरना पड़ेगा. पति, बच्चे, घरपरिवार की जिम्मेदारियों में औरत के पास अपने लिए वक्त ही नहीं बचता है. पर सिंगल होने का यह फायदा है कि आप खुद को वक्त दे सकती हैं. सजेंसंवरें, घूमेंफिरें और पसंदीदा म्यूजिक सुनें या बुक पढ़ें. कोई रोकटोक नहीं. और अकेलापन वह तो पास फटकेगा ही नहीं. अपने को जानने का ज्यादा समय मिलता है आप को और इस तरह स्वयं को तराशने का भी. न कोई अपेक्षा, न कोईर् उम्मीद, फिर मन में न तो विरोधाभासों के लिए जगह होगी न ही कड़वाहट ही वहां जगह बनाएगी.

सोशल हों: आप अपना सोशल सर्कल बनाएं. यह जरूरी भी है ताकि जब भी बोरियत महसूस हो तो पार्टी में जा सकें या रेस्तरां में फ्रैंड्स के साथ डिनर कर सकें. वैसे आप चाहे कितनी ही सोशल हो जाएं पर किसी पर निर्भर न हों कि कोई साथ चलेगा तभी आप मूवी देखने जाएंगी या रेस्तरां में लंच करेंगी. अकेले भी जा सकती हैं. क्यों हमेशा किसी के साथ की चाह रखनी. लेकिन अपने दायरे को लगातार बढ़ाती रहें ताकि कभी जरूरत पड़ने पर उन से बेहिचक सहायता मांग सकें.

कैरियर पर शतप्रतिशत ध्यान: सिंगल वूमन हैं तो आराम से आप अपने कैरियर पर ध्यान दे सकती हैं. मैट्रो शहरों में रहने वाली लड़कियां कैरियर बनाने की खातिर और अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अकेले ही रहना पसंद करती हैं.

अनुभा जो एक एमएनसी में काम करती है और 37 साल की हैं, कहती हैं, ‘‘मैं ने जानबूझ कर शादी नहीं की. मैं अपने कैरियर को ले कर शुरू से ही बहुत आसक्त थी और जानती थी कि शादी के बाद बहुत कंप्रोमाइज करने पड़ेंगे. हो सकता है जौब कर ही न पाऊं. बीच में ब्रेक लेने से कैरियर ग्राफ पर असर पड़ता है और आप को घरबार नए सिरे से शुरू करना पड़ता है. पहले की सारी मेहनत बेकार हो जाती है, इसलिए मैं ने अपना सारा ध्यान कैरियर पर लगा दिया और आज सक्सैसफुल हूं. अपनी इस सक्सैस का मैं भरपूर आनंद लेती हूं.’’

सिंगल वूमन कैरियर में ज्यादा सफल होती है, यह बात तो प्रमाणित हो ही चुकी है और आजकल प्राइवेट कंपनियां उन्हें काफी प्रैफरैंस भी दे रही हैं, क्योंकि वे ज्यादा टाइम देने के साथसाथ ज्यादा फोकस्ड भी होती हैं. वे पूरा ध्यान लगा कर काम कर पाती हैं.

करें अपने शौक पूरे: सिंगल हैं तो पूरा वक्त आप का है और आप अपने शौक पूरा करें. बागबानी करें, बाइक चलाएं या फिर गेम्स खेलें. आप जो चाहें बेरोकटोक कर सकती हैं. कोई आप से यह नहीं कहेगा कि तुम्हारी उम्र है यह सब करने की? पेंटिंग करें या फिर कोई कोर्स कर लें. यह सही है कि आप को कोई न कोई हौबी जरूर अपनानी होगी. स्वयं को हमेशा आप नईनई बातों से अपडेट रख सकती हैं.

अपने दिल की सुनें: साइक्लिंग, ट्रैकिंग करें. वीकैंड पर लौंग राइड्स पर जाएं या किसी सामाजिक कार्य में हिस्सा लें. खुशहाल और संतोष भरी जिंदगी जीना ही आप का मकसद होना चाहिए और आप को लोगों को भी यही दिखाना है कि आप सिंगल होने के बावजूद कितनी खुश हैं.

सोलो ट्रिप पर निकल जाएं: घूमने का शौक किसे नहीं होता? तो फिर कौन रोक रहा है आप को? निकल जाइए घूमने. अपनी मरजी के स्पौट पर, अपने हिसाब से ट्रैकिंग करने या फिर किसी रिजोर्ट में आराम करने के लिए. सच में आप ऐंजौय करेंगी. बिना किसी किचकिच के कि यह मत करो या वहां मत जाओ. म्यूजिक फैस्टिवल में जाएं या नाटक देखें, कोई रोकटोक नहीं. शादीशुदा महिला ऐसा करने के बारे में सोच भी नहीं सकती है.

शौपिंग करें: आप कमाती हैं तो अपने ऊपर खर्च करें. अपनी कमाई से शौपिंग करने का मजा अलग ही होता है. कोई गिल्ट मन में नहीं आएगी कि आप अपने ऊपर पैसा खर्च कर रही हैं. जो चाहे खरीद सकती हैं और क्या खरीदना है इस के लिए किसी का दबाव नहीं होगा. जो मन को भाया उसे खरीदने का सुख आप ले पाएंगी. बारबार दूसरे से या पति से इजाजत लेनी पड़े या दूसरों की खुशियों और पसंद के हिसाब से अपनी पसंदनापसंद को तय करना पड़े उस से तो बेहतर है कि सिंगल रह कर अपनी पसंद से खाएंपीएं या कपड़े खरीदें.

नो कंप्रोमाइज: आप को किसी के लिए अपनी खुशियों को दांव पर लगाने की जरूरत नहीं है. लोग आप को स्वार्थी कह सकते हैं, पर इस में बुरा क्या है? थोड़ा स्वार्थी होना भी आवश्यक है वरना जिंदगी जब समझौतों के चक्र में फंसती है तो खुशी कम और दुख ज्यादा महसूस होता है. कुढ़कुढ़ कर पूरा जीवन गुजारने का क्या फायदा? खुद निर्णय लें. आखिर कोई दूसरा आप की खुशी निर्धारित क्यों करे? तो जीएं बेरोकटोक जीवन खुल कर.

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