‘वो कागज की कश्ती’, ‘झुकी झुकी सी नजर’, ‘होंठों से छू लो तुम’ ये शब्द सुनकर यकीकन आपके जहन में इसके गायक का चेहरा ताजा हो गया होगा. इन गजलों के गायक जगजीत सिंह को बौलीवुड में एक ऐसे शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी गजल गायकी से लगभग चार दशक तक श्रोताओं के दिल पर अमिट छाप छोड़ी. सैकड़ों गजल गाने वाले गजल सम्राट जगजीत सिंह की आज छठी पुण्यतिथि है. जगजीत सिंह की भारी और दर्द से भरी आवाज की वजह से गजल गायकी में दूसरा कोई उनका सानी नहीं है.

08 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्में जगजीत सिंह के बचपन का नाम जगमोहन था. 1970 और 1980 के दशक में उन्होंने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ एक से एक बेहतरीन गजलें गाईं और देश-विदेश में अपनी आवाज का डंका बजाया.

जगजीत सिंह दूसरे गायकों से बिल्कुल अलग थे. वो जब लाइव शोज करते थे, तो बीच बीच में जोक सुनाते थे. एक बार उन्होंने खुद बताया कि वो ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि श्रोता उनसे जुड़े रहें. अक्सर देखा जाता है कि श्रोता संजीदा गजल सुनकर रूआंसे हो जाते है, इसलिए श्रोताओं को लगातार जगाए और जोड़े रखने के लिए वो बीच-बीच में चुटकुले सुनाते रहते थे, जो उनकी गायन शैली को दूसरों से अलग करता था.

1990 में एक ट्रेजडी ने जगजीत सिंह और उनकी पत्नि चित्रा को एकदम खामोश कर दिया. जगजीत और चित्रा के बेटे विवेक का कार हादसे में निधन हो गया. इस वजह से जगजीत सिंह छह महीने तक एकदम खामोश हो गए जबकि चित्रा सिंह इस हादसे से कभी उबर नहीं पाईं और उन्होंने गायकी छोड़ दी. वहीं 6 महीने बाद अपने आपको फिर से संभालते हुए उन्होंने फिर गजल गानी शुरू की. उनकी गजलों में बेटे को खो देने का दुख साफ झलकता था. चिट्ठी न कोई संदेश उन्होंने अपने बेटे के जाने के बाद गाई थी, जो उनकी शानदार गजलों में से एक मानी जाती हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...