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एक बार फिर यहां पढें बौलीवुड के शहंशाह अमिताभ के सीटीमार डायलाग्स

करोड़ों दिलों पर राज करने वाले बौलीवुड के ‘शहंशाह’, और ‘सुपरस्टार आफ द मिलेनियम’ के खिताबों से नवाजे गए अमिताभ बच्चन आज पूरे 75 साल के हो गए हैं. बौलीवुड में स्क्रीन पर एंग्री यंगमैन को लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. उन्होंने मृणाल सेन की ‘भुवन शोम (1969)’ और सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी (1977)’ में कहानी नैरेट की थी.

दिलचस्प बात यह है कि उन्हें ‘जंजीर’ के रूप में पहली हिट मिलने से पहले 12 असफल फिल्मों का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन पिछले चार दशकों से कभी ‘विजय’ बनकर तो कभी ‘पा’ बनकर अमिताभ इंडस्ट्री में छाए हुए हैं. अमिताभ को उनकी भारी-भरकम आवाज के लिए पहचाना जाता है और आज उनका बड़े परदे से लेकर छोटे परदे तक पर सिक्का चलता है.

अमिताभ की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत उनके डायलाग हुआ करते थे. ये ऐसे होते थे कि तुरंत लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे. कई डायलाग तो आज हमारी जीवनशैली का ही हिस्सा बन चुके हैं. तो आइए एक बार फिर नजर डालते हैं, उनके ऐसे ही कुछ लोकप्रिय डायलाग्स पर.

हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है.

कालिया 1981 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है, जिसे लोगों का बहुत प्यार मिला. इस फिल्म के मुख्य कलाकार, अमिताभ बच्चन, आशा पारेख, परवीन बौबी, अमजद खान, मुराद और देव कुमार थे.

आई कैन टाक इंग्लिश, आई कैन वाक इंग्लिश, आई कैन लाफ इंग्लिश बिकाज इंग्लिश इज अ वेरी फन्नी लैंग्वेज. भैरों बिकम्स बायरन बिकाज देयर माइंड्स और वैरी नैरो

यह डायलाग फिल्म नमक हलाल का है, जिसे निर्देशक प्रकाश मेहरा 1982 में बनाया था और संगीत बप्पी लैहरी ने दिया था.  इस फिल्म में मुख्य भुमिकायों में थे अमिताभ बच्चन, परवीन बाबी, शशि कपूर, वहीदा रेहमान, स्मिता पाटिल, रंजीत और ओम प्रकाश.

रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह

1988 में बनी शहंशाह फिल्म के इस डायलाग ने हर किसी को शहंशाह  बना दिया था. आज भी लोग अमिताभ के इस डायलाग को बेहद पसंद करते हैं.

पूरा नाम, विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम, दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उमर छत्तीस साल.

1990 में बनी फिल्म अग्निपथ भले ही टिकट खिड़की पर असफल रही लेकिन इसका यह डायलाग आज भी हर किसी की जुबान पर है. हालांकि इसमें अमिताभ के अभिनय की आलोचना हुई लेकिन मिथुन चक्रवर्ती के अभिनय को समीक्षकोँ और दर्शकोँ दोनोँ का प्यार मिला और अमिताभ तथा मिथुन दोनोँ को ही अभिनय के लिए पुरस्कार भी मिला.

मूंछें हो तो नत्थूलाल जैसी वर्ना न हो

अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी (1984) का यह डायलाग आज भी लैग अपनी मूंछो को ताव देते हुए बोलते हैं.

डान को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है

यह डायलाग अमिताभ की फिल्म डान (1978) का है, जो लोगों द्वारा अक्सर प्रयोग किया जाता है.

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि जिंदगी तेरी जुल्फों की नर्म छांव में गुजारनी पड़ती तो शादाब हो भी सकती थी

कभी कभी (1976) फिल्म के इस डायलाग को हर कोई अपने आशिकी वाले मिजाज से बोलता है. खासकर कि आज भी इन लाइनों का इस्तेमाल पर आशिक आपनी प्रेमिका को मनाने और अपना इश्क जाहिर करने के लिए करता है.

जब तक बैठने के लिए ना कहा जाये, शराफत से खड़े रहो, ये पुलिस स्‍टेशन है तुम्‍हारे बाप का घर नहीं

जंजीर फिल्म में अमिताभ ने इंस्पेक्टर विजय खन्ना का किरदार निभाया था. एस फिल्म का यह डायलाग भी लोगो द्वारा खासा पसंद किया जाता है.

फिल्म दीवार (1975) के कुछ प्रसिद्द डायलाग

यश चोपड़ा निर्मित दीवार (1975) हिन्दी सिनेमा की सबसे सफलतम फिल्मों में से है जिसने अमिताभ को “एंग्री यंग मैन” के खिताब में स्थापित कर दिया. इस फिल्म ने अमिताभ के करियर को नयी बुलंदियों पर पहुंचा दिया. इस फिल्म के संवाद बहुत ही दमदार हैं और आज तक इस्तेमाल किये जाते हैं फिल्म का गाना, कहानी और डायलाग को दर्शकों ने पसंद किया गया.

मेरा बाप चोर है”

आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बॅलेन्स है, तुम्हारे पास क्या है-मेरे पास माँ है”

मैं आज भी फैंके हुए पैसे नहीं उठाता”

ये चाबी अपनी जेब मैं रख ले पीटर, अब ये ताला मैं तेरी जेब से चाबी निकाल कर ही खोलूँगा”

पीटर तुम मुझे वहाँ ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूँ.”

बदलते मौसम में सब से जुदा दिखने के लिए अपनाएं ये लेटैस्ट मेकअप लुक्स

बदलते मौसम में सब से जुदा दिखने के लिए कौन से लेटैस्ट लुक्स अपनाएं, आइए जानते हैं:

आई कैचिंग कैटी लुक

कहने को तो मेकअप पूरे चेहरे का होता है, लेकिन फेस पर मेन चार्म आई मेकअप से ही आता है. अगर बात करें लेटैस्ट लुक की तो इन दिनों आंखों पर कैट आई लुक काफी इन है.

द्य मेकअप की शुरुआत में फेस पर बेस के तौर पर सूफले का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह लगाते ही पाउडर फौर्म में तबदील हो जाता है और फेस को मैट लुक देता है. लेकिन स्किन ड्राई है, तो फाउंडेशन के तौर पर टिंटिड मौइश्चराइजर का इस्तेमाल कर सकती हैं. इस से स्किन सौफ्ट हो जाएगी और त्वचा ग्लोइंग नजर जाएगी.

मैचिंग और कौंप्लिमैंटिंग आई मेकअप के साथसाथ यह वक्त है आंखों को कैटी लुक देने का. इस लुक के लिए आईशैडो या आईलाइनर किसी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं या फिर स्मोकी शेड्स के साथ भी इस लुक को क्रिएट कर सकती हैं जैसे:

कैट लुक विद स्मोकी इफैक्ट: स्मोकी कैटी लुक के लिए मैटेलिक सिल्वर, स्टील ग्रे, इलैक्ट्रिक ब्लू, पिकौक ग्रीन जैसे हौट कलर्स का प्रयोग कर सकती हैं. लोअर लैशेज पर भी अपर आईज जैसा वाइबैं्रट लुक जगाने के लिए स्मज करते हुए लाइनर लगाएं और ऊपर से कंटूरिंग के लिए कलर लाइनर का इस्तेमाल जरूर करें जैसे ब्राउन आईज के साथ पर्पल, ग्रीन के संग मैरून और ब्लू के साथ ब्लू या कौपर.

कैट लुक विद आईशैडो: आईशैडो को भी कैट लुक के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे अपनी ड्रैस से मैचिंग शेड को आईज पर बाहर की ओर निकालते हुए लगाएं और फिर आईलिड पर ब्लैक लाइनर और लैशेज पर मसकारा के कोट्स लगा कर आईज को पौप्ड आउट करें.

कैट लुक विद लाइन: आईज पर न्यूट्रल शेड जैसे बेज या वैनिला कलर का आईशैडो लगा कर ब्लैक जैल लाइनर से भी आंखों को कैट आई लुक दे सकती हैं.

परफैक्ट कलर्स फौर कैट लुक: कैट लुक के साथ चौकलेट ब्राउन, मरसाला, ऐमरल्ड ग्रीन, इंडिगो ब्लू, कौपर, रस्ट, गोल्डन, आर्किड, लाइट ब्राउन जैसे कई वाइब्रैंट शेड्स इस्तेमाल कर सकती हैं.

कैटी लुक से आंखें काफी सैक्सी नजर आती हैं, साथ ही उठी हुई भी दिखाई देती हैं. इसी कारण यह मेकअप बढ़ती उम्र की महिलाओं पर काफी अच्छा लगता है, क्योंकि एक उम्र के बाद आंखें झुकने लगती हैं.

अगर आई मेकअप डार्क है तो लिप्स पर स्टैनिंग कर सकती हैं. यह इन दिनों काफी इन भी है. इस के लिए आप लिप स्टैन पैन, के्रयान्स आदि का इस्तेमाल कर सकती हैं और अगर मेकअप लाइट है तो लिप्स को ब्राइट शेड जैसे औक्सब्लड, रोस्टेड कौफी, मरसाला, चैरी रैड जैसे मैट शेड्स से सील करें. इन दिनों लिपग्लौस आउट औफ ट्रैंड है. ऐसे में इस के इस्तेमाल से बचें.

हेयरस्टाइल: बालों में कंघी कर के इयर टू इयर सैक्शन अलग कर लें. टौप के बालों को छोड़ कर उन के बाद के बालों की एक तरफ पोनी बनाएं और उसी साइड पोनी पर आर्टिफिशियल बाल पिन से सैट करें. अब बीच से बाल ले कर लेयर्स में बैककौंबिंग करें और हलका स्प्रे करें. यह स्प्रे बालों को होल्ड करेगा.

अब सारे बैककौंबिंग वाले बाल पोनी की तरफ ले कर आएं. इन्हें कंघी से नीट लुक दें. फिर इन्हें पोनी पर ही सैट करें. अब आगे से साइड की मांग निकाल कर आगे की तरफ कंघी कर के हेयरस्प्रे कर ट्विस्ट करते हुए अनटाइडी लुक दें. फिर उसे पिन से सैट कर दें. अब इस में हेयरस्प्रे करें. नीचे के बालों की

1-1 लट ले कर जैल लगा कर ट्विस्ट करें. अब आगे के बालों की बैककौंबिंग करें. फिर नीड करते हुए एक साइड से बालों को प्लेन कर के पोनी में ही सैट करें और स्प्रे करें. अब पोनी को फ्लौवर ऐक्सैसरीज से सजाएं.

गैट ए कौरपोरेट लुक

कौरपोरेट मेकअप लुक के लिए शियर या लाइट यलो शेड का फाउंडेशन चुनें. यह नैचुरल लुक देता है. इसे ब्रश की सहायता से पूरे चेहरे पर लगा कर मेकअप का बेस तैयार कर लें. अगर चाहती हैं कि मेकअप लंबे समय तक टिका रहे, तो मौइश्चराइजर और फाउंडेशन के बाद पूरे चेहरे और गले पर स्पंज की सहायता से हलका सा ट्रांसल्यूसैंट पाउडर लगाएं.

बेस मेकअप को फाइनल टच देने के लिए ब्रोंजर स्प्रे यूज करना न भूलें. नैचुरल लुक के लिए पीच, लाइट पिंक या रोजी पिंक शेड का ब्रोंजर चुनें. इसे फोरहैड, नोज, चीक्स, चिन और नैक एरिया पर स्प्रे कर के ब्रश की सहायता से अच्छी तरह फैला दें. इस से स्किन नैचुरल ग्लो करेगी और मेकअप भी लंबे समय तक टिका रहेगा.

जब बेस मेकअप अच्छी तरह सैट हो जाए तब आई मेकअप शुरू करें. शुरुआत आईशैडो से करें. इस के लिए ग्रे, पीच, आइवरी, शैंपेन, बेबी पिंक, बेज, कौपर आदि आईशैडो चुनें. आईशैडो को पूरी पलकों पर अच्छी तरह लगाएं.

आई मेकअप को कंप्लीट और लैश लाइन को डिफाइन करने के लिए ब्राउन शेड की आईपैंसिल का इस्तेमाल करें या फिर आईलैशेज को हाईलाइट करने के लिए ब्राउन मसकारे का सिंगल कोट लगाएं.

मेकअप के दौरान ज्यादातर लिपलाइनर के बाद लिपस्टिक लगाई जाती है, लेकिन कौरपोरेट मेकअप कर रही हैं, तो पहले लिपस्टिक लगाएं. उस के बाद लिपलाइनर से लिप्स को परफैक्ट डिफाइन करें. आखिर में लाइट शेड का लिपग्लौस लगा कर लिप मेकअप को कंप्लीट करें.

हेयरस्टाइल: कौरपोरेट लुक हेयरस्टाइल में नीट लुक ही होना चाहिए. इस के लिए छोटे बालों के लिए आधे बालों को उठा कर पिन से सैट करें और आधे बालों को खुला छोड़ दें. लंबे बालों की ऊंची पोनी बनाएं.

अरेबियन मेकअप

अगर बोल्ड लुक पसंद है, तो अरेबियन मेकअप जरूर लुभाएगा. इस में रंगों की भरमार है जैसे गोल्ड, सिल्वर, मेहंदी ग्रीन, क्रिमसन रैड, औरेंज, फ्यूशिया आदि.

चेहरे को फ्रैश व फ्लालैस लुक देने के लिए फाउंडेशन के तौर पर सूफले या फिर मूज का इस्तेमाल करें. यह औयल को सोख लेगा और फेस पर बिलकुल लाइट नजर आएगा. चीक्स को हाईलाइट करने और फेस पर ग्लो जगाने के लिए पीच शेड का ब्लशऔन लगाएं.

अपनी आंखों पर चार्मिंग एहसास जगाने के लिए इनर कौर्नर पर सिल्वर, सैंटर में गोल्डन व आउटर कौर्नर पर डार्क मेहंदी कलर का आईशैडो लगाएं. इस के बाद कट क्रीज लुक देते हुए ब्लैक कलर से आंखों की डीप सेटिंग कंटूरिंग कर लें. ऐसा करने से आंखें बड़ी व सैक्सी नजर आएंगी.

आईब्रोज के नीचे पर्ल गोल्ड शेड से हाईलाइटिंग करें और आईज पर शाइन जगाने के लिए मल्टीग्लिटर्स को ऊपर लगाएं. ऐसा करने से आई मेकअप और भी ज्यादा खूबसूरती से हाईलाइट होगा और आंखें सितारों की तरह जगमगाएंगी. आंखों की शेप को डिफाइन करने के लिए अरेबियन स्टाइल को अपना सकती हैं.

इस लाइनर में ऊपर व नीचे दोनों तरफ बाहर को विंग निकाल दें और इनर कौर्नर पर लाइनर को थोड़ा नुकीला कर दें. अब बाहर निकली हुई इन दोनों विंग की स्पेस को सिल्वर ग्लिटर से फिल कर दें. आंखों को कंप्लीट सैंशुअल लुक देने के लिए पलकों पर आर्टिफिशियल लैशेज जरूर लगाएं. लैशेज को आईलैश कर्लर से कर्ल कर के मसकारा का कोट लगाएं ताकि वे नैचुरल लैशेज के साथ परफैक्टली मर्ज हो जाएं. वाटर लाइन पर बोल्ड काजल लगा कर आई मेकअप को कंप्लीट करें.

यों तो लिप मेकअप हमेशा आई मेकअप को ध्यान में रख कर किया जाता है, लेकिन अरेबियन मेकअप में ओवरऔल लुक बोल्ड रहता है, इसलिए आईज के साथसाथ लिप्स पर भी बोल्ड कलर की लिपस्टिक लगाएं.

हेयरस्टाइल: अरेबियन ओवरलैपिंग के लिए बालों को अच्छी तरह कंघी करें ताकि हेयरस्टाइल बनाते समय बाल उलझें नहीं. सब से पहले इयर टू इयर पार्टीशन करें.

इस के बाद क्राउन एरिया से थोड़े से बाल ले कर अच्छी तरह कंघी करें. अब स्टफिंग रख कर बालों को आगे की तरफ रोल कर के पिन करें. फिर फ्रंट के बालों में सैंटर पार्टिंग निकालें और 1-1 लेयर  ले कर ओवरलैपिंग करें यानी राइट साइड वाले बालों को लैफ्ट साइड में और लैफ्ट साइड वाले बालों को राइट साइड में ला कर पिन करें. पीछे के बालों की छोटीछोटी लेयर ले कर ट्विस्ट करें और पिन लगाएं. अंत में हेयर ऐक्सैसरीज से डैकोरेट करें.

– भारती तनेजा, ब्यूटी ऐक्सपर्ट 

मैं 42 वर्षीय महिला हूं. मेरे चेहरे पर झुर्रियां दिखाई देने लगी हैं. झुर्रियों को कम करने का कोई उपाय बताएं.

सवाल
मैं 42 वर्षीय महिला हूं. मेरे चेहरे पर झुर्रियां दिखाई देने लगी हैं, जिन्हें अगर मैं मेकअप से छिपाती हूं तो भी वे नहीं छिपतीं. झुर्रियों को कम करने का कोई उपाय बताएं?

जवाब
झुर्रियों को कम करने के लिए आप दूध के पाउडर में पानी और शहद मिला कर चेहरे पर लगाएं. ऐसा करने से आप की त्वचा कोमल हो जाएगी और चेहरे की झुर्रियां भी नहीं दिखेंगी. इस के अतिरिक्त केले को मैश कर के उस के पैक को चेहरे पर लगा कर आधे घंटे बाद चेहरा धो लें. ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में कसाव आता है और झुर्रियां भी कम होती हैं.

मुश्किल वक्त में इस तरह आपके काम आ सकता है मोबाइल फोन

औटोमोबाइल और टेक्नोलौजी के एक साथ मिलने से हमारी कई परेशानियों का हल चुटकियों में निकल सकता है. हमारे साथ हमेशा रहना वाला सबसे महत्वपूर्ण गैजेट स्मार्टफोन काफी कुछ कर सकता है. माना की कभी ऐसा हो की आप कार के अंदर ही अपनी चाबी भूल जाए तो कितनी परेशानी हो जाती है. इसका हल आपके समर्टफोन के पास है.

कई बार ऐसा होता है की जल्दी जल्दी में हम अपनी गाड़ी तो लौक कर देते हैं लेकिन फिर ध्यान आता है की चाबी तो गाड़ी के अंदर ही रह गई है. हम आपको बताते हैं ऐसी स्थिति में आप बिना समय बर्बाद किए किस तरह अपने मोबाइल से कार के लौक को आसानी से खोल सकते हैं.

मोबाइल से खोलें कार लौक

अगर आपकी कार का रिमोट किलेस है और दूसरी चाबी घर पर मौजूद है तो आप तुरंत अपने घर फोन लगाएं. घर में किसी भी व्यक्ति से कहें की कौल को होल्ड पर रख के कार की चाबी के पास ले जाए और अनलौक करें. आप अपने मोबाइल फोन को कार के दरवाजे के पास रखें. आपकी कार का दरवाजा अनलौक हो जाएगा.

मोबाइल इमरजेंसी में आता है कई काम

मोबाइल इमरजेंसी नंबर 112 का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर आप नेटवर्क कवरेज एरिया से बाहर हैं तो 112 नंबर के जरिए नेटवर्क को सर्च कर लें. यह नंबर तब भी काम करता है जब आपका कीपैड लौक होता है.

अगर आप ऊपर दी गई स्थिति में फंस जाए और मोबाइल की बैटरी भी लो हो. ऐसे में मदद के लिए आपको जरुरी कौल करनी हो तो आप *3370# डायल करें. आपका मोबाइल चालू हो जाएगा. अधिकतर मोबाइल में यह सुविधा होती हॉ. आपके मोबाइल में यह तरीका काम करता है या नहीं, इसके लिए आप इसे घर पर ही चेक कर सकते हॉं. ताकि जरुरत पड़ने पर आपको पता हो की आपको क्या करना है.

इसी के साथ दुर्भाग्यवश मोबाइल चोरी के भी हादसे होते रहते हैं. ऐसे में सबसे पहले काम मोबाइल के डाटा या मोबाइल को लौक या डेड करने का होता है ताकि उसका गलत इस्तेमाल ना किया जा सके. अपने फोन के सीरियल नंबर को चेक करने के लिए *#06# दबाएं. इसे दबाते ही आपकी स्क्रीन पर 15 डिजिट का कोड नंबर आएगा. इसे किसी सुरक्षित जगह पर नोट कर के रख लें. अगर कभी आपका फोन चोरी या खो जाता है तो सेवा प्रदाता को यह कोड दे दें, वो आपका हैंडसेट ब्लौक कर देगा.

व्हाटसऐप पर ग्रुप चैट करते वक्त ध्यान में रखें ये बातें

इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप व्हाटसऐप का इस्तेमाल दुनियाभर में किया जाता है. आज के समय में यह कहना गलत नहीं होगा कि व्हाटसऐप यूज ना करना मतलब खुद को दुनिया से अलग करना जैसा है. व्हाटसऐप के जरिये ही आप अपने दोस्त, रिश्तेदार और औफिस सहयोगियों से जुडें रहते हैं. आप में से ज्यादातर यूजर्स तो व्हाटसऐप के कई ग्रुप के मेंबर भी होंगे.

अगर आप इस ऐप के जरिये ग्रुप चैट करते हैं तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अपनी इस खबर में हम आपको ऐसी ही कुछ बातों की जानकारी देने जा रहे हैं.

व्हाटसऐप ग्रुप चैट का नाम हो कुछ मजेदार

अगर आप किसी व्हाटसऐप ग्रुप के मेंबर हैं तो कोशिश करें कि ग्रुप का नाम कुछ मजेदार हो. ग्रुप का नाम बोरिंग या उबाऊ होने पर ग्रुप में शामिल लोगों को चैट करने में मजा नहीं आता.

टेक्सट की बजाय इमोजी और GIF का करें इस्तेमाल

ग्रुप में अपनी बात को ज्यादा टेक्स्ट की बजाय इमोजी के जरिये कहने की कोशिश करें. इसके अलावा, आप चैट में मजेदार GIF का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे ग्रुप में हो रही चैट और मजेदार होगी.

किसी खास को पर्सनल पर चैट

अगर आप और आपका दोस्त एक ही ग्रुप में शामिल है और आपको उनसे बात करनी है तो उनके पर्सनल इनबौक्स में जाकर चैट करें. ध्यान रहे कि, ग्रुप में आप दोनों के चैट से बाकी लोग परेशान हो सकते हैं.

मैसेज करते वक्त समय का रखें ध्यान

व्हाटसऐप ग्रुप में आपके अलावा और भी कई लोग शामिल रहते हैं. ऐसे में ग्रुप में मैसेज करते वक्त समय का ध्यान रखना जरुरी होता है. खासकर उस समय जब बाकि यूजर्स अपने काम में व्यस्त हो.

फालतू बातें ना करें

ग्रुप में हमेशा कोशिश करें कि छोटी और प्वाइंट-टू-प्वाइंट बात करें. किसी के पास इतना वक्त नहीं होता है कि वह आपके लंबे मैसेज को समय निकाल कर पढ़े.

ग्रुप से हटने से पहले दें जानकारी

किसी भी व्हाटसऐप ग्रुप को छोड़ने या उससे एक्जिट होने से पहले ग्रुप मेंबर को इसकी जानकारी देनी चाहिए.

हाईलाइटेड बालों की देखभाल के लिए इन 3 बातों को जानिए

बालों की एक बड़ी समस्या उन पर धूप पड़ना है. धूप से बालों का रंग हलका पड़ता है. धूप में लंबे समय तक रहने के कारण बालों की हाईलाइट औक्सीडाइज हो सकती है जिस से अनचाहे शेड पैदा हो सकते हैं. अत: हाईलाइटेड बालों की देखभाल के लिए इन बातों का जरूर खयाल रखें:

केवल सोडियम लौरिल सल्फेट मुक्त शैंपू का ही प्रयोग करें, जो कलर्ड या हाईलाइटेड बालों को ट्रीट करने के लिए होता है. बालों का रंग लंबे समय तक बनाए रखने के लिए यह अवश्य करना चाहिए. इस के साथ कलर स्पैसिफिक शैंपू का अल्टरनेट प्रयोग करें, जो खासकर बालों का सटीक रंग बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया होता है.

बालों के रंग को बनाए रखने के लिए सल्फेट मुक्त हेयर कंडीशनर का प्रयोग करें. इस से बालों को लंबे समय तक पोषणयुक्त रखने में मदद मिलेगी.

जिन के बाल गहरे रंग के हों, उन्हें शाइन इन्हैंसिंग स्टाइलिंग उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए.

यह जानना भी जरूरी है कि यह चमक कितने लंबे समय तक रहेगी और बाल कितने स्वस्थ बनेंगे, जो पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि आप बालों का कितना खयाल रखती हैं.

हाईलाइटेड बालों के लिए किस तरह की देखभाल की जरूरत होती है, यह समझने के लिए 3 बातों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है:

आप के बाल कितनी तेजी से बढ़ते हैं?

ज्यादातर मामलों में स्वस्थ सिर में बालों की प्रतिमाह औसत वृद्धि 5 मिमी. से 10 मिमी. के बीच होती है. बालों की वृद्धि आप की मैटाबोलिज्म, आहार तथा सिर पर आप क्या उत्पाद लगाती हैं, उस पर निर्भर होती है.

कलर्ड बाल प्राकृतिक शेड से अलग किस प्रकार होते हैं?

अपने बालों के लिए कौन सा रंग चुनती हैं, इस आधार पर कुछ विशेष जरूरतें हो सकती हैं:

डीप कंडीशनिंग

बालों को हाईलाइटेड कराने के बाद सब से जरूरी है उन की डीप कंडीशनिंग. ऐसा इसलिए, क्योंकि हाईलाइटेड बाल काफी छिद्रयुक्त हो जाते हैं, इसलिए सप्ताह में कम से कम एक बार इस दिनचर्या का पालन करना जरूरी हो जाता है. बालों की कंडीशनिंग करने का मुख्य उद्देश्य है कि उन्हें हाईड्रेट कर के उन की नमी बनाई जा सके, जिस से वे अधिक चमकदार और खूबसूरत दिखेंगे.

जोजोबा औयल युक्त कंडीशनर डीप कंडीशनिंग हेयर मास्क का निर्माण करता है. यह सप्ताह में 2 बार बालों को धोने के बाद लगाया जा सकता है.

बेबी ट्रिम्स

कैमिकल्स के अत्यधिक प्रयोग के कारण हाईलाइट करते वक्त बाल अत्यधिक रूखे हो जाते हैं, जिस से उन के सिरे कमजोर हो जाते हैं. वे टूटने लगते हैं. बालों के सिरों को टूटने से बचाने के लिए 8 से 10 सप्ताह में एक बार बालों को ट्रिम कराएं ताकि बाल स्वस्थ व सेहतमंद बने रहें. टूटे सिरों को रिपेयर करने के लिए कैस्टर औयल के साथ लैवेंडर ऐसैंशियल औयल मिला कर लगाएं.

रोकथाम

बालों पर धूप, गरमी, धूल, पानी आदि का प्रभाव पड़ता है, जिस के चलते हाईलाइट्स के क्षतिग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है. इस तरह के बाहरी तत्त्व रंग को हलका कर देते हैं तथा बालों में मौजूद नमी उन्हें रूखा और बेजान बना देती है. अत: बालों को पानी से धो लें और फिर उन्हें डीहाईड्रेशन से बचाने के लिए बाहर जाने से पहले उन में जोजोबा औयल लगाएं.

सुरक्षा

हीटेड स्टाइलिंग टूल्स जैसे स्ट्रेटनर, ब्लो ड्रायर, कर्लिंग आयरन के प्रयोग से हाईलाइटेड हेयर क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. उन की सेहत व शक्ति बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उन्हें ज्यादा तापमान से सुरक्षा प्रदान की जाए.

बालों में और्गन औयल लगाएं. इस से बालों को ज्यादा तापमान से सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिलेगी.

आफ्टरकेयर टिप्स

फौयल हाईलाइटिंग ट्रीटमैंट के बाद 2 काम करने होंगे- पहला लंबे समय तक बालों का रंग नया सा बनाए रखने के लिए इन की सुरक्षा करनी होगी और दूसरा उन्हें मजबूत, चमकदार, सेहतमंद बनाए रखने के लिए उन का पोषण करना होगा.

गीले बालों पर कैस्टर औयल मलें, बालों पर टौवेल बांध लें. 10 मिनट बाद बालों को धो लें. इस प्रक्रिया से बाल ज्यादा सेहतमंद और चमकदार बन जाएंगे, क्योंकि कैस्टर औयल बालों को नमी प्रदान करता है.

स्टाइलिंग टिप्स

हीट स्टाइलिंग टूल्स का प्रयोग कम कर दें. यदि ऐसे उपकरणों का प्रयोग करना बहुत जरूरी है, तो बालों के सिरों पर पहले हीट प्रोटैक्टैंट का स्प्रे कर लें.

वाशिंग टिप्स

क्लोरीन: यदि अकसर स्विमिंग पूल में जाती हैं, तो स्विमिंग पूल में जाने से पहले यह जरूरी है कि बालों में कंडीशनर या जोजोबा औयल लगाएं. इस से स्विमिंग पूलमें क्लोरीनयुक्त पानी बालों को क्षति नहीं पहुंचा पाता.

पानी का तापमान: बालों को ठंडे या फिर कुनकुने पानी से धोएं, क्योंकि गरम पानी बालों में रंग को अलग कर सकता है.

शैंपू की फ्रीक्वैंसी: बालों को रोज शैंपू करने से नुकसान होता है, इसलिए शैंपू तभी करें जब बहुत जरूरी हो और शैंपू एसएलएस मुक्त हो. बाल हाईलाइट कराए गए हों या फिर नहीं, दोनों स्थितियों में प्राकृतिक शैंपू सब से अच्छा है.

– अमित सारदा, मैनेजिंग डाइरैक्टर, सोलफ्लौवर

मां मुझे भी जीना है : अपने ही घर में हिंसा की शिकार बेटियां

घरेलू हिंसा यानी घरों में परिवार के सदस्यों के द्वारा की जाने वाली हिंसा. आमतौर पर घरेलू हिंसा को पति के द्वारा पत्नी से की जाने वाली मारपीट के संदर्भ में ही देखा जाता है. भारतीय परिवारों में हिंसा की शिकार पत्नियां तो होती ही हैं, बेटियों के प्रति भी बहुत हिंसा होती है.

भारतीय परिवारों में बेटे और बेटी में फर्क किया जाता है. बेटे को जहां वंश की बेल बढ़ाने वाला, वृद्घावस्था का सहारा माना जाता है, वहीं बेटियों को बोझ मान कर उन से अनचाहे कार्य करवाना, कार्य न करने पर मारपीट करना या पढ़ने व आगे बढ़ने के अवसर न देना, इच्छा न होने पर भी विवाह के खूंटे से बांध देना एक प्रकार से हिंसा के ही रूप हैं. आमतौर पर प्रत्येक भारतीय परिवारों में पाई जाने वाली यह ऐसी हिंसा है जिस पर कभी गौर ही नहीं किया जाता.

प्रसिद कवि बिहारीजी के दोहे ‘देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर’ को सही मानों में चरितार्थ करती इस हिंसा के निशान शरीर पर प्रत्यक्ष भले ही न दिखते हों, परंतु आंतरिक मनमस्तिष्क में इतना गहरा प्रभाव छोड़ जाते हैं कि प्रभावित लड़की उन से ताउम्र जूझती रहती है.

कैसे कैसी हिंसाएं

यौन हिंसा: घर की बेटियों से सगेसंबंधी, चाचा, मामा, ताऊ, चचेरे भाइयों द्वारा छेड़छाड़ करना, उन से जबरदस्ती यौन संबंध बनाने की कोशिश करना एक ऐसी हिंसा है, जिस की शिकार आमतौर पर प्रत्येक भारतीय लड़की होती है. इस हिंसा के घाव कई बार इतने गहरे होते हैं कि लड़की पूरी जिंदगी उन से उबर नहीं पाती और कभीकभी तो उन का वैवाहिक जीवन भी खतरे में पड़ जाता है.

8 वर्षीय गरिमा से उस के चचेरे भाई ने उस समय संबंध बनाने की कोशिश की जब वह सो रही थी. संकोचवश वह कभी अपने मातापिता को नहीं बता पाई, परंतु विवाह के बाद जब भी पति उस के साथ संबंध बनाने की कोशिश करता घबराहट से उस का पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो जाता और वह लाख कोशिश करने के बाद भी पति को सहयोग नहीं दे पाती थी.

समझदार पति ने जब गरिमा की काउंसलिंग करवाई तो पता चला कि बचपन में हुई यौन हिंसा का असर उस के मनमस्तिष्क पर इतना गहरा बैठा है कि वह सैक्स शब्द सुन कर ही घबरा जाती है. इसी कारण पति के साथ संबंध बनाते समय वह असहज हो जाती है. लंबी काउंसलिंग के बाद वह अपनेआप को संभाल पाई.

गर्भ में ही हिंसा: बेटियों के साथ तो उन के जन्म से पूर्व ही हिंसा का व्यवहार शुरू हो जाता है. कुछ समय पूर्व तक मातापिता अजन्मी बेटियों को गर्भ में ही मार देते थे. अल्ट्रासाउंड तकनीक से पता लगा कर यदि गर्भ में बेटी है, तो गर्भपात करवा दिया जाता था. इस का प्रत्यक्ष प्रमाण

2011 जनगणना के आंकड़े देखने से पता चलता है, जिस के अनुसार भारत में 1000 पुरुषों के अनुपात में महिलाओं की संख्या 933 है. समाज में बटियों को गर्भ में ही मार दिए जाने की प्र्रथा को रोकने के लिए सरकार द्वारा कानून बना कर गर्भस्थ शिशु का लिंग जानने पर रोक लगा देने के बाद खुलेआम तो चैकिंग बंद हो गई पर आज भी पिछड़े और ग्रामीण इलाकों में चोरीछिपे दाइयों और कंपाउंडरों द्वारा गर्भ में बेटी होने पर गर्भ को गिरा दिया जाता है.

राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में तो जन्म हो जाने के बाद भी बेटियों को जमीन में गाढ़ देने या गला घोंट कर मार देने की घटनाएं प्रकाश में आए दिन आती रहती हैं. कई बार जुड़वां बच्चों में से एक के बेटी होने पर मां के द्वारा बेटी को भूखा रखा जाता है. यह भी हिंसा नहीं तो और क्या है?

मानसिक हिंसा: यह वह हिंसा है, जिस में अभिभावकों द्वारा जानेअनजाने में बेटियों को मानसिक रूप से कष्ट पहुंचाया जाता है. रीमा का बेटा पढ़ने में औसत और बेटी बहुत मेधावी थी, परंतु जब उच्च शिक्षा के लिए बेटी को बाहर भेजने की बारी आई तो मातापिता ने असमर्थता जता दी और उसे अपने शहर के ही कालेज से स्नातकोत्तर करने को कहा. इस का मलाल उस की बेटी को आज 50 वर्ष की हो जाने पर भी है.

यद्यपि शहरी क्षेत्रों में इस दिशा में काफी सुधार हुआ है, परंतु ग्रामीण और औसत मध्यवर्गीय परिवारों में बेटियों के प्रति आज भी दोहरा व्यवहार किया जाता है. उन्हें पढ़ाई के समान अवसर नहीं दिए जाते. शिक्षा के साथसाथ उन से घर के सारे काम करने की भी अपेक्षा की जाती है. ग्रामीण परिवेश में बेटियां जहां घर का सारा काम करती हैं, कई किलोमीटर दूर से पानी ले कर आती हैं, वहीं बेटों को आवारा घूमने दिया जाता है.

शारीरिक हिंसा: एक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार एक मां ने अपनी बेटी के सिर पर दरांता महज इसलिए फेंक मारा कि उस ने अपने भाई के लिए खाना नहीं बनाया था. आरुषि हत्याकांड बेटियों के प्रति की जाने वाली शारीरिक हिंसा का साक्षात उदाहरण है. अकसर उन से उम्र में छोटे भाई भी उन पर हाथ उठाने से नहीं हिचकते. मातापिता, दादी, चाचा और ताऊ के द्वारा भी जम कर पिटाई की जाती है. हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में लड़की के द्वारा अपने मनपसंद साथी से विवाह कर लेने पर खाप पंचायतों द्वारा सरेआम लड़की को मारने के उदाहरण देखने को मिलते हैं. ग्रामीण इलाकों में आज भी मातापिता को यदि लड़की के प्रेम संबंधों के बारे में पता चलता है, तो उस के साथ हिंसक व्यवहार किया जाता है.

भावनात्मक हिंसा: यह वह हिंसा है जिस की शिकार आमतौर पर कमाऊ बेटियां होती हैं. जिन परिवारों में मातापिता की देखभाल करने वाला कोईर् नहीं होता अथवा परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होती है, उन परिवारों में बेटी को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया जाता है. मातापिता और परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाने के कारण वह कभी अपने बारे में सोच ही नहीं पाती. ऐसे परिवारों में परिवार बेटी के प्रति भावनात्मक हिंसा करता है, जिस के कारण लड़की ताउम्र पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाती है. ऐसे मामलों में अकसर लड़कियां मातापिता की सेवा करतेकरते स्वयं अविवाहित रह जाती हैं.

भारतीय परिवारों में अपनी बेटियों के प्रति मातापिता जानेअनजाने ऐसी हिंसा करते हैं, जिस का असर उन की बेटियों को अंदर ही अंदर कचोटता रहता है, परंतु पारिवारिक संस्कार, मातापिता का सम्मान और संकोच के कारण वे कभी आवाज नहीं उठा पातीं और यही बेटियां जब किसी परिवार की बहू, किसी की पत्नी बनती हैं, तो वहां पर भी उन का यह संकोच, संस्कार और सम्मान की भावना उन्हें अपने प्रति होने वाली हिंसा के विरुद्घ आवाज न उठाने देती है. वे पूरा जीवन हिंसा का शिकार होती रहती हैं.

70 साल में महिलाओं को धर्म से नहीं मिली आजादी

15 अगस्त को देश की स्वतंत्रता के 70 साल पूरे हो गए हैं. इन 7 दशकों में औरतों के हालात कितने बदले? वे कितनी स्वतंत्र हो पाई हैं? धार्मिक, सामाजिक जंजीरों की जकड़न में वे आज भी बंधी हैं. उन पर पैर की जूती, बदचलन, चरित्रहीन, डायन जैसे विशेषण चस्पा होने बंद नहीं हो रहे. उन की इच्छाओं का कोई मोल नहीं है. कभी कद्र नहीं की गई. आज भेदभाव के विरुद्ध औरतें खड़ी जरूर हैं और वे समाज को चुनौतियां भी दे रही हैं.

7 दशक का समय कोई अधिक नहीं होता. सदियों की बेडि़यां उतार फेंकने में 7 दशक का समय कम ही है. फिर भी इस दौरान स्त्रियां अपनी आजादी के लिए बगावती तेवरों में देखी गईं. सामाजिक रूढिवादी जंजीरों को उतार फेंकने को उद्यत दिखाई दीं और संपूर्ण स्वतंत्रता के लिए उन का संघर्ष अब भी जारी है. संपूर्ण स्त्री स्वराज के लिए औरतों के अपने घर, परिवार, समाज के विरुद्ध बगावती तेवर रोज देखने को मिल रहे हैं.

एक तरफ औरत की शिक्षा, स्वतंत्रता, समानता एवं अधिकारों के बुनियादी सवाल हैं, तो दूसरी ओर स्त्री को दूसरे दर्जे की वस्तु मानने वाले धार्मिक, सामाजिक विधिविधान, प्रथापरंपराएं, रीतिरिवाज और अंधविश्वास जोरशोर से थोपे जा रहे हैं और एक नहीं अनेक प्रवचनों में ये बातें दोहराई जा रही हैं.

स्त्री नर्क का द्वार

धर्मशास्त्रों में स्त्री को नर्क का द्वार, पाप की गठरी कहा गया है. मनु ने स्त्री जाति को पढ़ने और सुनने से वर्जित कर दिया था. उसे पिता, पति, पुत्र और परिवार पर आश्रित रखा. यह विधान हर धर्म द्वारा रचा गया. घर की चारदीवारी के भीतर परिवार की देखभाल और संतान पैदा करना ही उस का धर्म बताया गया. औरतों को क्या करना है, क्या नहीं स्मृतियों में इस का जिक्र है. सती प्रथा से ले कर मंदिरों में देवदासियों तक की अनगिनत गाथाएं हैं. यह सोच आज भी गहराई तक जड़ें जमाए है. इस के खिलाफ बोलने वालों को देशद्रोही कहा जाना धर्म है. स्त्री स्वतंत्रता आज खतरे में है.

औरत हमेशा से धर्म के कारण परतंत्र रही है. उसे सदियों से अपने बारे में फैसले खुद करने का हक नहीं था. धर्म ने औरत को बचपन में पिता, जवानी में पति और बुढ़ापे में बेटों के अधीन रहने का आदेश दिया. शिक्षा, नौकरी, प्रेम, विवाह, सैक्स करना पिता, परिवार, समाज और धर्म के पास यह अधिकार रहा है और 7 दशक बाद यह किस तरह बदला यह दिखता ही नहीं है. कानूनों और अदालती आदेशों में यह हर रोज दिखता है.

अब औरतें अपने फैसले खुद करने के लिए आगे बढ़ रही हैं. कहींकहीं वे परिवार, समाज से विद्रोह पर उतारू दिखती हैं.

आजादी के बाद औरत को कितनी स्वतंत्रता मिली, उसे मापने का कोई पैमाना नहीं है. लेकिन समाजशास्त्रियों से बातचीत के अनुसार देश में लोग अभी भी घर की औरतों को दहलीज से केवल शिक्षा या नौकरी के अलावा बाहर नहीं निकलने देते. लिबरल, पढे़लिखे परिवार हैं, जिन्हें जबरन लड़कियों के प्रेमविवाह, लिव इन रिलेशन को स्वीकार करना पड़ रहा है. लोग बेटी और बहू को नौकरी, व्यवसाय करने देने पर इसलिए सहमत हैं, क्योंकि उन का पैसा पूरा परिवार को मिलता है. फिर भी इन लोगों को समाज के ताने झेलने पड़ते हैं. देश में घूंघट प्रथा, परदा प्रथा का लगभग अंत हो रहा है पर शरीर को ढक कर रखो के उपदेश चारों ओर सुनने को मिल रहे हैं.

आज औरतें शिक्षा, राजनीति, न्याय, सुरक्षा, तकनीक, खेल, फिल्म, व्यवसाय हर क्षेत्र में सफलता का परचम लहरा रही हैं. यह बराबरी संविधान ने दी है. वे आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर हो रही हैं. उन में आत्मविश्वास आ रहा है, पर पुरुषों के मुकाबले अभी वे बहुत पीछे हैं.

इन 70 सालों में औरत को बहुत जद्दोजहद के बाद आधीअधूरी आजादी मिली है. इस की भी उसे कीमत चुकानी पड़ रही है. आजादी के लिए वह जान गंवा रही है. आए दिन बलात्कार, हत्या, आत्महत्या, घर त्यागना आम हो गया है. महिलाओं के प्रति ज्यादातर अपराधों में दकियानूसी सोच होती है.

लगभग स्वतंत्रता के समय दिल्ली के जामा मसजिद, चांदनी चौक  इलाके में अमीर मुसलिम घरों की औरतों को बाहर जाना होता था, तो 4 लोग उन के चारों तरफ परदा कर के चलते थे. अब जाकिर हुसैन कालेज, जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में युवतियां बुरके के बजाय जींसटौप में देखी जा सकती हैं. पर ठीक उसी के पास कम्युनिटी सैंटर में खुले रेस्तराओं में हिजाब और बुरके में लिपटी भी दिखेंगी.

बराबरी का हक

जीन और जींस की आजादी यानी पहननेओढ़ने की आजादी, पढ़नेलिखने की आजादी, घूमनेफिरने की आजादी, सैक्स करने की आजादी जैसे नारे आज हर कहीं सुनाई पड़ रहे हैं पर बराबरी का प्राकृतिक हक स्त्री को भारत में अब तक नहीं मिल पाया है.

दुनिया भर में लड़कियों को शिक्षित होने के हरसंभव प्रयास हुए. अफगानिस्तान में हाल  तक बड़ी संख्या में लड़कियों के स्कूलों को मोर्टरों से उड़ा दिया गया. मलाला यूसुफ जई ने कट्टरपंथियों के खिलाफ जब मोरचा खोला, तो उस पर जानलेवा हमला किया गया. कट्टर समाज आज भी स्त्री की स्वतंत्रता पर शोर मचाने लगता है.

दरअसल, औरत को राजनीति या पुरुषों ने नहीं रोका. आजादी के बाद सरकारों ने उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए कई योजनाएं लागू कीं. पुरुषों ने ही नए कानून बनाए, कानूनों में संशोधन किए. स्वतंत्रता के बाद कानून में स्त्री को हक मिले हैं. उसे शिक्षा, रोजगार, संपत्ति का अधिकार, प्रेमविवाह जैसे मामलों में समानता का कागजों पर हक है. सती प्रथा उन्मूलन, विधवा विवाह, पंचायती राज के 73वें संविधान संशोधन में औरतों को एकतिहाई आरक्षण, पिता की संपत्ति में बराबरी का हक, अंतर्जातीय, अंतधार्मिक विवाह का अधिकार जैसे कई कानूनों के जरीए स्त्री को बराबरी के अधिकार दिए गए. बदलते कानूनों से महिलाओं का सशक्तीकरण हुआ है.

स्वतंत्रता पर अंकुश

औरतों पर बंदिशें धर्म ने थोपीं. समाज के ठेकेदारों की सहायता से उन की स्वतंत्रता पर तरहतरह के अंकुश लगाए. उन के लिए नियमकायदे गढे़. उन की स्वतंत्रता का विरोध किया. उन पर आचारसंहिता लागू की, फतवे जारी किए. अग्निपरीक्षाएं ली गईं.

कहीं लव जेहाद, खाप पंचायतों के फैसले, वैलेंटाइन डे का विरोध, प्रेमविवाह का विरोध, डायन बता कर हमले समाज की देन हैं. औरतें समाज को चुनौती दे रही हैं. सरकारें इन सब बातों से औरतों को बचाने की कोशिश करती हैं.

पर औरत को अपनी अभिव्यक्ति की, अपनी स्वतंत्रता की कीमत चुकानी पड़ रही है. मनमरजी के कपड़े पहनना, रात को घूमना, सैक्स की चाहत रखना, प्रेम करना ये बातें समाज को चुनौती देने वाली हैं इसलिए इन पर हमले किए जाते हैं.

आज स्त्री के लिए अपनी देह की आजादी का सवाल सब से ऊपर है. उस की देह पर पुरुष का अवैध कब्जा है. वह अपने ही शरीर का, अंगों का खुद की मरजी से इस्तेमाल नहीं कर पा रही है. उस पर अधिकार पुरुष का ही है. पुरुष 2-2, 3-3 औरतों के साथ संबंध रख सकता है पर औरत को परपुरुष से दोस्ती रखने की मनाही है. यहां पवित्रता की बात आ जाती है, चरित्र का सवाल उठ जाता है, इज्जत चली जाने, नाक कटने की नौबत उठ खड़ी होती है. आज ज्यादातर अपराधों की जड़ में स्त्री की आजादी का संघर्ष निहित है. भंवरी कांड, निर्भया मामला औरत का स्वतंत्रता की ओर बढ़ते कदम को रोकने का प्रयास था. औरतें आज घर से बाहर निकल रही हैं, तो इस तरह के अपराध उन्हें रोकने के लिए सामने आ रहे हैं. स्त्रियों की स्वतंत्रता से समाज के ठेकेदारों को अपनी सत्ता हिलती दिख रही है.

आजकल अखबारों में रोज 5-7 विज्ञापन युवा लड़कियों के गायब होने, अपहरण होने के छप रहे हैं. ये वे युवतियां होती हैं, जिन्हें परिवार, समाज से अपने निर्णय खुद करने की स्वतंत्रता हासिल नहीं हो पाती, इसलिए इन्हें प्रेम, शादी, शिक्षा, रोजगार जैसी आजादी पाने के लिए घर से बगावत करनी पड़ रही है.

स्वतंत्रता का असर इतना है कि अब औरत की सिसकियां ही नहीं, दहाड़ें भी सुनाई पड़ती हैं. पिछले 30 सालों में औरतें घर से निकलना शुरू हुई हैं. आज दफ्तरों में औरतों की तादाद पुरुषों के लगभग बराबर नजर आने लगी है. शाम को औफिसों की छुट्टी के बाद सड़कों पर, बसों, टे्रेनों, मैट्रो, कारों में चारों ओर औरतें बड़ी संख्या में दिखाई दे रही हैं.

उन के लिए आज अलग स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय बन गए हैं. उन्हें पुरुषों के साथ भी पढ़नेलिखने की आजादी मिल रही है.

औरतों ने जो स्वतंत्रता पाई है वह संघर्ष से, जिद्द से, बिना किसी की परवाह किए. नौकरीपेशा औरतें औफिसों में पुरुष साथी के साथ कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं. घर आ कर भी फोन पर कलीग से, बौस से लंबी बातें कर रही हैं. वे अपने पुरुष मित्र के साथ हाथ में हाथ लिए सड़कों, पार्कों, होटलों, रेस्तराओं, पबों, बारों, मौलों, सिनेमाहालों में जा रही हैं. निश्चित तौर पर वे सैक्स भी कर रही हैं.

कई औरतें खुल कर समाज से बगावत पर उतर आई हैं. वे बराबरी का झंडा बुलंद कर रही हैं. समाज को खतरा इन्हीं औरतों से लगता है, इसलिए समाज के ठेकेदार कभी ड्रैस कोड के नियम थोपने की बात करते हैं, तो कभी मंदिरों में प्रवेश से इनकार करते हैं. हालांकि मंदिरों में जाने से औरतों की दशा नहीं सुधर जाएगी. इस से फायदा उलटा धर्म के धंधेबाजों को होगा.

अब औरत प्रेम निवेदन करने की पहल कर रही है, सैक्स रिक्वैस्ट करने में भी उसे कोई हिचक नहीं है. समाज ऐसी औरतों से डरता है, जो उस पर थोपे गए नियमकायदों से हट कर स्वेच्छाचारी बन रही हैं.

पर औरत के पैरों में अभी भी धार्मिक, सामाजिक बेडि़यां पड़ी हैं. इन बेडि़यों को तोड़ने का औरत प्रयास करती दिख रही है. केरल में सबरीमाला, महाराष्ट्र में शनि शिगणापुर और मुंबई में हाजी अली दरगाह में महिलाएं प्रवेश की जद्दोजहद कर रही हैं.

यहां भी औरतों को समाज रोक रहा है, संविधान नहीं. संविधान तो उसे बराबरी का अधिकार देने की वकालत कर रहा है. इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने रोक को गलत बताया है. उन्हें बराबरी का हक है.

लेकिन औरत को जो बराबरी मिल रही है वह प्राकृतिक नहीं है. उसे कोई बड़ा पद दिया जाता है, तो एहसान जताया जाता है. जबप्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति बनाया तो खूब गीत गाए कि देखो हम ने एक महिला को इस बड़े पद पर बैठाया है. महिला को राज्यपाल, राजदूत, जज, पायलट बनाया तो हम ने बहुत एहसान जता कर दुनिया को बताया. इस में बताने की जरूरत क्यों पड़ती है? स्त्री क्या कुछ नहीं बन सकती?

लड़की जब पैदा होती है, तो कुदरती लक्षणों को अपने अंदर ले कर आती है. उसे स्वतंत्रता का प्राकृतिक हक मिला होता है. सांस लेने, हंसने, रोने, चारों तरफ देखने, दूध पीने जैसे प्राकृतिक अधिकार प्राप्त होते हैं. धीरेधीरे वह बड़ी होती जाती है, तो उस से प्राकृतिक अधिकार छीन लिए जाते हैं. उस के प्रकृतिप्रदत्त अधिकारों पर परिवार, समाज का गैरकानूनी अधिग्रहण शुरू हो जाता है. उस पर धार्मिक, सामाजिक बंदिशों की बेडि़यां डाल दी जाती हैं. उसे कृत्रिम आवरण ओढ़ा दिया जाता है.  ऊपरी आडंबर थोप दिए जाते हैं. ऐसे आचारविधान बनाए गए जिन से स्त्री पर पुरुष का एकाधिकार बना रहे और स्वेच्छा से उस की पराधीनता स्वीकार कर लें.

हिंदू धर्म ने स्त्री और दलित को समाज में एक ही श्रेणी में रखा है. दोनों के साथ सदियों से भेदभाव किया गया. दलित रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया गया तो खूब प्रचारित किया गया कि घासफूस की झोपड़ी में रहने वाले दलित को हम ने 360 आलीशान कमरों वाले राष्ट्रपति भवन में पहुंचा दिया, लेकिन आप ने इन्हें क्यों सदियों तक दबा कर रखा? ऊपर नहीं उठने दिया उस की सफाई कोई नही दे रहा.

आज औरत को जो आजादी मिल रही है वह संविधान की वजह से मिल रही है पर धर्म की सड़ीगली मान्यताओं, पीछे की ओर ले जाने वाली परंपराओं और प्रगति में बाधक रीतिरिवाजों को जिंदा रखने वाला समाज औरत की स्वतंत्रता को रोक रहा है. दुख इस बात का है कि औरतें धर्म, संस्कृति की दुहाई दे कर अपनी आजादी को खुद बाधित करने में आगे हैं. अपनी दशा को वे भाग्य, नियति, पूर्व जन्म का दोष मान कर परतंत्रता की कोठरी में कैद रही हैं. आजादी के लिए उन्हें धर्म की बेडि़यों को उतार फेंकना होगा.

भाजपा और कांग्रेस की घर में घेराबंदी की रणनीति के क्या हैं मायने

भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने मंगलवार को एक दूसरे को उनके घर में ही घेरा. एक तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, स्मृति ईरानी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साथ कांग्रेस के गढ़ अमेठी में विकास कार्यों को लेकर राहुल गांधी पर हमला बोला. वहीं, गुजरात दौरे के दूसरे दिन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए.

केंद्र ने अर्थव्यवस्था चौपट की: राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को गुजरात दौरे के दूसरे दिन केंद्र सरकार के फैसलों पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जीएसटी और नोटबंदी जैसे निर्णयों ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है. बेरोजगारी की स्थिति गंभीर हो गई है, लेकिन सरकार किसी की सुन नहीं रही है. राहुल ने कहा कि अगर जीडीपी की वृद्धि दर पुरानी प्रणाली के अनुसार गिना जाए तो यह गिर कर 4.2 प्रतिशत पर आ गई है.

उन्होंने कहा कि भारत की व्यवस्था जटिल है और ऐसे में यहां छोटे से छोटे निर्णय जनता की राय के आधार पर लिये जाने चाहिए पर सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी को बिना राय मशविरे के थोप दिया. जब कांग्रेस की सरकार आएगी तो हम जनता के मन की बात सुनेंगे. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान मनरेगा योजना के लिए 35 हजार करोड़ के खर्च को लेकर हायतौबा मचायी जा रही थी. अब सरकार किसानों का कर्ज माफनहीं करती है.कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार बेटी बचाओ से आगे बढ़ते हुए बेटा बचाओ में बदल गई है.

राहुल की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब भाजपा अध्यक्ष के पुत्र जय अमित शाह के समर्थन में अनेक केंद्रीय मंत्री सामने आ गए हैं. उन्होंने पीयूष गोयल ने जय शाह के कारोबारी लेनदेन का बचाव किया शीर्षक से रिपोर्ट को भी अपने ट्वीट के साथ जोड़ा.

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम महंगाई की जड़

राहुल गांधी ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों को महंगाई की जड़ करार दिया. उन्होंने इन पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की. व्यापारियों के साथ संवाद में उन्होंने जीएसटी की मौजूदा पांच कर दर वाली व्यवस्था को त्रुटिपूर्ण करार देते हुए एकसमान 18 प्रतिशत दर से जीएसटी लागू करने का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि यह प्रणाली एक देश एक कर की अवधारणा पर आधारित है ही नहीं.

सरकारी शिक्षण संस्थानों की मजबूती जरूरी

उन्होंने कहा कि आईआईटी एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद देश का सबसे बेहतर शैक्षणिक संस्थान है. इसलिए सरकारी शिक्षण संस्थानों को पोषित किया जाना चाहिए. वह निजी शिक्षा के खिलाफ नहीं है पर इसकी कीमत को नियंत्रित रखने के लिए सरकारी प्रणाली को मजबूत रखना जरूरी है जबकि गुजरात सरकार ने पूरी तरह निजीकरण के लिए इसे नष्ट कर दिया है.

राहुल अमेठी की जनता को हिसाब दें : शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को उनके ही गढ़ अमेठी में घेरा. राहुल गांधी के मोदी सरकार से तीन साल का हिसाब मांगने पर शाह ने कहा कि अमेठी की जनता उनसे उनकी तीन पीढ़ियों का हिसाब मांग रही है.

एक बार मोदी पर भरोसा कीजिए पछताना नहीं पड़ेगा

शाह ने अमेठी के कौहार में विकास कार्यक्रमों के लोकार्पण और शिलान्यास के जरिये अमेठी से लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया. उन्होंने कहा कि 2019 में जब वोट मांगने आएंगे तो आपसे काम का वादा नहीं करेंगे बल्कि हमने आपके लिए क्या किया, यह पूरा हिसाब लेकर आएंगे. उन्होंने अमेठी की जनता से अपील की कि 55 साल तक गांधी परिवार पर भरोसा किया तो एक बार मोदी व भाजपा पर भी विश्वास कीजिए, आप को पछताना नहीं पड़ेगा. उन्होंने राहुल पर निशाना साधते हुए कहा कि सांसद होन के बावजूद वह अमेठी में बहुत कम आते हैं.

सपा-बसपा खाते ज्यादा थे

प्रदेश की पूर्ववर्ती सपा-बसपा सरकारों पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि सपा-बसपा खाते ज्यादा थे और केंद्र से मिलता भी कम था. केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद प्रदेश को मिल भी ज्यादा रहा है और योगी आदित्यनाथ जनता तक पहुंचा भी ज्यादा रहे हैं. हर गरीब को छत, शौचालय और बिजली की रोशनी देना सरकार का लक्ष्य है.

गर्मियों में ननिहाल चले जाते हैं राहुल

शाह ने कहा कि राहुल को जनता की समस्याओं से कोई मतलब नहीं है,गर्मी के दिनों में वह ननिहाल चले जाते हैं. जबकि भाजपा सरकार ने आम जनता के हित में योजनाएं शुरू की हैं, देश की सीमाओं को सुरक्षित किया है. पार्टी कार्यालय का शिलान्यास करने सीतापुर पहुंचे शाह ने आरोप लगाया कि अमेठी की जनता के लिए भी कांग्रेस ने कुछ नहीं किया, कलेक्ट्रेट तक नहीं बनी. आज हम कलेक्ट्रेट भवन का शुभारंभ करके आए हैं. शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने तो गेहूं खरीद मूल्य दो माह में ही भुगतान किया है. पिछली सरकारों में सालों गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं होता था, किसान परेशान रहता था. हमारी सरकार ने 22 हजार करोड़ रुपये गन्ना किसानों का भुगतान छह माह में कराया है.

अपने डेब्यू मैच से ही इन 5 गेंदबाजों ने बटोरी सुर्खियां

इस बात से इनकार नहीं किया जासकता कि क्रिकेट दुनिया के लोकप्रिय खेलों में से एक है. दुनियाभर में क्रिकेट का क्रेज सिर चढ़ कर बोलता है. कुछ साल पहले तक क्रिकेट को बल्लेबाजों का खेल कहा जाता था, लेकिन आज मैच में हार या जीत के लिए गेंदबाज भी उतने ही जिम्मेदार होते हैं.

बल्लेबाज हो या गेंदबाज जब खिलाड़ी मैदान में उतरता है तो उसका एक ही उद्देश्य होता है, अच्छा परफार्मेंस कर विरोधी टीम को धूल चटाना और अपने नाम रिकार्ड हासिल करना. साथ ही बात जब डेब्यू मैच की हो तो खिलाड़ी उसे यादगार बनाने के लिए पूरी कोशिश करता है. लेकिन कुछ ही खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपने डेब्यू मैच में शानदार प्रदर्शन कर वाहवाही लूटते हैं और उसे यादगार बनाते हैं. चलिए आज हम आपको 5 ऐसे गेंदबाजों के बारे में बताते हैं जिन्होंने अपने डेब्यू मैच को यादगार बनाया और विरोधी टीम के बल्लेबाजों की धज्जियां उड़ाकर रख दीं.

कागीसो रबाडा (साउथ अफ्रीका)

क्रिकेट के इतिहास में कागीसो रबाडा का अंतरराष्ट्रीय वनडे क्रिकेट टीम में डेब्यू सबसे शानदार माना जाता है. रबाडा ने 10 जुलाई साल 2015 में बांग्लादेश के खिलाफ पहला वनडे मैच खेला. इस मैच में रबाडा ने 8 ओवर में 16 रन देकर 6 विकेट हासिल किए थे. इसके साथ उन्होंने मैच के चैाथे ओवर की आखिरी तीन गेंदों पर महमुदुल्लाह, लिटन दास और तामिम इकबाल को आउट कर करियर की पहली हैट्रिक ली. उनकी गेंदबाजी की बदौलत बांग्लादेश 160 रनों पर ढेर हो गया और साउथ अफ्रीका ने यह मैच 8 विकेट से जीत लिया.

मुस्तफिजूर रहमान (बांग्लादेश)

बाएं हाथ से तेज गेंदबाजी करने वाले मुस्ताफिजूर रहमान ने साल 2015 में 18 जनवरी को वनडे में डेब्यू किया था. रहमान ने अपने डेब्यू मैच में ना केवल भारतीय बल्लेबाजी की गिल्लियां बिखेंरी बल्कि बांग्लादेश को बड़ी जीत भी दिलाई. बांग्लादेश ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 307 रन बनाए. जवाब में जब भारतीय टीम उतरी जो सबको उम्मीदें थी कि भारत मैच जीत लेगा. लेकिन रहमान ने खतरनाक गेंदबाजी की जिसकी बदौलत भारत 79 रनों से हार गया. रहमान ने 9.2 ओवर में 50 रन देकर 5 विकेट झटके थे.

फिडेल एडवर्ड्स (वेस्टइंडीज)

दाएं हाथ के गेंदबाज फिडेल एडवर्ड्स ने वनडे में अपना डेब्यू मैच 29 नबंवर 2003 को जिंम्बाब्वे के खिलाफ खेला था. एडवर्ड्स दुनिया के दूसरे ऐसे गेंदबाज हैं जिनका डेब्यू सबसे शानदार रहा. उनकी खतरनाक बाउंसर के आगे बल्लेबाज कांप उठते थे. उन्होंने पहले ही मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए 7 ओवर में 22 रन देकर 6 विकेट झटके थे. उनकी गेंदबाजी के आगे जिंम्बाब्वे के बल्लेबाज पूरी तरह से पस्त नजर आए थे. वेस्टइंडीज ने निर्धारित 45 ओवर में 256 रन बनाए थे. बारिश आने के कारण जिंम्बाब्वे को 32 ओवर में 223 रनों का टागरेट रहा. लेकिन एडवर्ड्स के खतरनाक स्पेल की बदौलत जिंम्बाब्वे 7 विकेट खोकर 150 रन ही बना सकी और वेस्टइंडीज ने यह मुकाबला डकवर्थ लुईस नियम के तहत 72 रन से जीता.

तास्किन अहमद (बांग्लादेश)

दाएं हाथ के तेज गेंदबाज तास्किन अहमद ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच साल 2014 में 17 जनवरी को भारत के खिलाफ खेला. इस मैच के दौरान तास्किन ने अपने खतरनाक गेंदबाजी के जौहर दिखाकर भारतीय खेमे को हिलाकर रख दिया था. उन्होंने 8 ओवर में 28 रन देकर 5 विकेट झटके थे जिसके कारण टीम भारतीय टीम 105 रनों पर औलआउट हो गई. हालांकि बांग्लादेश यह मैच नहीं जीत सका था. भारत ने बांग्लादेश को 58 रनों पर ही ढेर कर डकवर्थ लुईस नियम के तहत 47 रन से मैच जीत लिया था.

जेक बौल (न्यूजीलैंड)

यह वो गेंदबाज हैं जिन्होंने अपने डेब्यू मैच में बांग्लादेश की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. न्यूजीलैंड-बांग्लादेश के बीच 7 अक्तूबर 2016 को ढाका में वनडे मैच खेला गया. बांग्लादेश के सामने न्यूजीलैंड ने 310 रनों का लक्ष्य रखा. लेकिन वनडे टीम में पहली बार शामिल हुए तेज गेंदबाज जेक बौल ने अपनी गेदबाजी से बांग्लादेशी बल्लेबाजों की एक नहीं चलनी दी और विरोधियों को 288 रनों पर रोक दिया. न्यूजीलैंड ने यह मैच 21 रन से जीता. जेक बौल ने 9.5 ओवर में 51 रन देकर मैच जिताउ 5 विकेट झटके थे.

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