करोड़ों दिलों पर राज करने वाले बौलीवुड के 'शहंशाह', और 'सुपरस्टार आफ द मिलेनियम' के खिताबों से नवाजे गए अमिताभ बच्चन आज पूरे 75 साल के हो गए हैं. बौलीवुड में स्क्रीन पर एंग्री यंगमैन को लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है. उन्होंने मृणाल सेन की ‘भुवन शोम (1969)’ और सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी (1977)’ में कहानी नैरेट की थी.

दिलचस्प बात यह है कि उन्हें ‘जंजीर’ के रूप में पहली हिट मिलने से पहले 12 असफल फिल्मों का मुंह देखना पड़ा था. लेकिन पिछले चार दशकों से कभी 'विजय' बनकर तो कभी 'पा' बनकर अमिताभ इंडस्ट्री में छाए हुए हैं. अमिताभ को उनकी भारी-भरकम आवाज के लिए पहचाना जाता है और आज उनका बड़े परदे से लेकर छोटे परदे तक पर सिक्का चलता है.

अमिताभ की फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत उनके डायलाग हुआ करते थे. ये ऐसे होते थे कि तुरंत लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे. कई डायलाग तो आज हमारी जीवनशैली का ही हिस्सा बन चुके हैं. तो आइए एक बार फिर नजर डालते हैं, उनके ऐसे ही कुछ लोकप्रिय डायलाग्स पर.

हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है.

कालिया 1981 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है, जिसे लोगों का बहुत प्यार मिला. इस फिल्म के मुख्य कलाकार, अमिताभ बच्चन, आशा पारेख, परवीन बौबी, अमजद खान, मुराद और देव कुमार थे.

आई कैन टाक इंग्लिश, आई कैन वाक इंग्लिश, आई कैन लाफ इंग्लिश बिकाज इंग्लिश इज अ वेरी फन्नी लैंग्वेज. भैरों बिकम्स बायरन बिकाज देयर माइंड्स और वैरी नैरो

यह डायलाग फिल्म नमक हलाल का है, जिसे निर्देशक प्रकाश मेहरा 1982 में बनाया था और संगीत बप्पी लैहरी ने दिया था.  इस फिल्म में मुख्य भुमिकायों में थे अमिताभ बच्चन, परवीन बाबी, शशि कपूर, वहीदा रेहमान, स्मिता पाटिल, रंजीत और ओम प्रकाश.

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