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अनाथालयों का सच : देश में बहुत बुरी है अनाथालयों की हालत

अनाथालयों की हालत देश में बहुत बुरी है. एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अनाथ बच्चे सरकारी अनाथालयों में ही खतरे में रहते हैं. उन से मारपीट तो होती ही है, उन्हें देशीविदेशी ग्राहकों के सैक्स के लिए भी भेजा जाता है और अनाथालयों के संचालक सरकारी ग्रांट का भी फायदा उठाते हैं और इस तरह की ऊपरी आमदनी का भी.

सरकारी अफसरों की लापरवाही और मिलीभगत के शिकार अनाथालय ही नहीं, बल्कि अनाथ, बेबस, भोले, बेगुनाह बच्चे होते हैं और वे इस तरह अपना बचपन बिताते हैं कि उन के पास अपराधी बनने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं बचता. उन्हें बेचा भी जाता है और गोद देने के नाम पर मोटी वसूली भी की जाती है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सारे पहलुओं पर तो नहीं आदेश दिया है. इस मामले में यह भी साफ हुआ है कि सरकारी विभागों का निकम्मापन इतना है कि वे तय की गई ग्रांट भी इस्तेमाल नहीं करते और 2013-14 में 65 करोड़ रुपए खर्च किए बिना रह गए. जहां जितना खर्च हुआ, उस में से कितना बच्चों के लिए गया, कितना जेबों में, यह दूसरी बात है.

सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश दिए हैं, पर यह कहीं नहीं कहा कि अगर इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो कौन सजा पाएगा. सरकारी कानूनों में नागरिक को हर गलती के लिए जुर्माना भरना पड़ता है या फिर लंबी अदालती लड़ाई के बाद छुटकारा मिलता है. कई बार जेल भी हो जाती है.

असल में अनाथ बच्चों के बारे में समाज का रूखा बरताव इस सोच के कारण है कि वे अपने पिछले जन्मों का फल भुगत रहे हैं. पुनर्जन्म में भरोसा रखने वाले भारतीय समझते हैं कि अगर मातापिता नहीं हैं, तो यह बच्चे का दोष है और उसे भुगतना होगा. इस के लिए दूसरों को परेशान होने की क्या जरूरत है.

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहीं भी इस सोच पर कोई टिप्पणी नहीं की है. अगर इस मूल बात को समझा जाए कि अनाथ बच्चे सरकार और समाज की जिम्मेदारी हैं, क्योंकि उन के मातापिता के न रहने पर वही उन की जगह लेंगे, तो बात दूसरी होती. अब सरकार और समाज एक दया के रूप में टुकड़े अनाथों को फेंकते हैं, जैसे जानवरों को फेंके जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों में तरहतरह की कमेटियां तो बनवाई हैं, पर अगर वे कमेटियां वर्षों से कुछ नहीं कर पाईं, तो बच्चे क्या करेंगे?

सुप्रीम कोर्ट के पास यह मामला एक समाचार के सहारे 2007 में आया था, पर फैसला सुनातेसुनाते 2017 हो गया. बच्चे 10 साल वैसे ही रहे, जैसे 2007 में थे. यह कैसा न्याय है? देश का कानूनी ढांचा भी सरकारी ढांचे की तरह लचर है और समाज तो उस से भी गयागुजरा है. अनाथ बच्चों के लिए लोग अपने सप्ताह के 2 घंटे भी लगाने को तैयार नहीं होते. अनाथालयों में अगर सेवा करने वाले युवा ही मिल जाएं, तो उन का कायापलट हो जाए. फेसबुक और ह्वाट्सअप पर घंटों लगाने वाले कुछ घंटों से बहुतकुछ कर सकते हैं, पर यहां तो डारडार पर निकम्मापन है, भाग्य है.

महिलाएं हमेशा सकारात्मक सोच बनाये रखें : डेलनाज ईरानी

छोटे पर्दे पर अनोखी और चुलबुली अदाकारा के रूप में जानी जाने वाली डेलनाज ईरानी कभी अपने इमेज को बदलना नहीं चाहती हैं. यही वजह है कि उन्होंने हमेशा हंसती मुस्कराती हुई भूमिका निभाई. मुंबई के पारसी परिवार में जन्मी डेलनाज अपने काम से हमेशा संतुष्ट रहती हैं.

90 के दशक से बाबा सहगल के एक म्यूजिक वीडियो से डेलनाज ने अभिनय की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में कौमिक रोल किये, साथ ही कई टीवी धारावाहिकों में भी अभिनय किया. धारावाहिक ‘परिवर्तन’ के दौरान डेलनाज और अभिनेता राजीव पाल मिले, प्यार हुआ और फिर शादी की, लेकिन उनकी शादी-शुदा जिन्दगी अधिक दिनों तक नहीं चली और 14 साल के बाद उन दोनों ने तलाक ले लिया.

इन दिनों डेलनाज फिल्मों और छोटे पर्दे के अलावा वेब सीरीज में भी काम कर रही है. उन्हें हर नया काम और उसमें आई चुनौती को लेना पसंद है. उनसे हुई बातचीत के अंश इस प्रकार हैं.

वेब सीरीज में काम करने की वजह क्या थी?

मैंने टीवी, फिल्म, शौर्ट फिल्म आदि सब में काम किया है, लेकिन जब वेब सीरीज की बात आई तो मुझे लगा कि मैं इस फील्ड में भी काम करूं, क्योंकि आजकल डिजिटल का माध्यम बहुत बढ़ गया है. फिल्म और टीवी पर जो हम नहीं दिखा सकते, उसे वेब सीरीज पर दिखाया जा सकता है. इसकी कहानी मेरे दिल को छू गयी और मैं खुद किसी भी तरह के काम को करना पसंद करती हूं. मुझे कभी गट्स फीलिंग नहीं होती.

‘वर्जिन वुमन डायरीज’ का विषय बोल्ड और अच्छा है. इसमें मैंने एक टीनएजर लड़की की मां की भूमिका निभाई है. जो बहुत ही पारंपरिक विचार रखती है. बेटी माता-पिता का सम्मान करती है, लेकिन उसकी अपनी इच्छाएं है, जिसे वह पूरा करती है. इसके अलावा इसमें कई और सामाजिक पहलुओं पर भी संदेश दिया गया है, मसलन पीरियड्स होने पर कोई लड़की मंदिर क्यों नहीं जा सकती, कपड़े अपने मर्जी से क्यों नहीं पहन सकती आदि पता नहीं कितने ही बातों पर मनाही केवल लड़कियों के लिए होती है, जबकि लड़कों को किसी भी बात से मना नहीं किया जाता. ऐसे सवाल आज की लड़कियों में आते हैं, लेकिन माता-पिता उन्हें तार्किक उत्तर नहीं दे पाते. ऐसी ही बातों का समाधान इसमें दिखाया गया है.

अभिनय में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

कभी सोचा नहीं था कि अभिनय करूंगी. कालेज में केवल थिएटर किया करती थी. मुझे टीचर बनने का शौक था. कालेज की पढाई खत्म करने के बाद उसे भी कर लिया, क्योंकि औफर अच्छा था, लेकिन इस काम में बहुत अधिक संतुष्टि नहीं मिल रही थी, फिर भी मैंने दो साल तक पढ़ाने का काम किया और जब मौका मिला तो एक्टिंग में आ गयी.

कौमेडी में कैसे आ गयीं?

मुझे हमेशा से ह्यूमर पसंद है और उसे एन्जौय भी करती हूं. कौमेडी में टाइमिंग सही होना जरूरी होता है और इसके लिए मुझे सभी बड़े-बड़े कलाकारों का साथ मिला. इससे कौमेडी करना आसान हो गया. दर्शकों को भी मेरा चुलबुली और भोलापन वाला रूप काफी पसंद आया और मैंने एक के बाद एक धारावाहिक करते हुए 20 साल बिता दिए. ऐसे में कुछ नया करने के लिए मैं वेब सीरीज में उतरी हूं, लेकिन धारावाहिक में भी काम करती रहूंगी.

अपनी यात्रा को कैसे देखती हैं?

यात्रा अच्छी रही, बहुत अधिक मैंने कभी कुछ सोचा नहीं था, इसलिए जो भी काम मिला, उसे दिल से करती गयी. इससे मुझे ‘ग्रो’ करने का मौका मिला. जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ती गयी वैसे-वैसे मेरी भूमिका भी बदलती गयी और मैंने उसे ही स्वीकार कर लिया. अभी मुझे आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की मां बनने की इच्छा है. मेरे हिसाब से हर एक कलाकार को अपनी गियर बदलने की जरुरत उम्र के साथ होती है.

इंडस्ट्री के बदलाव को कैसे देखती हैं?

बहुत बदलाव नहीं आया है. समय बदला है, इसलिए आज का विषय बदला है, पर बहुत कुछ और बदलने की जरुरत है. समाज और परिवार की सोच को बदलने की दिशा में काम कम हो रहा है. वहीं 12 घंटे का काम टीवी के लिए लगातार चल रहा है, लेकिन वहां की हाईजीन, खाने-पीने में बदलाव होने की आवश्यकता है.

पहले जो टीवी का माहौल था, वह अब नहीं है. तब एक विषय को अच्छी तरह से सोच समझकर पर्दे पर लाया जाता था. अब ‘फीलगुड’ वाला फैक्टर गायब हो गया है. कमाने की जल्दी है. मेरे बारे में भी लोगों ने कहा कि बौडी हैवी है, क्या काम मिलेगा, मुझे सीमित भूमिकाएं मिली, लेकिन दर्शकों ने इसे भी पसंद किया. फिल्म ‘कल हो न हो’ में मेरी बहुत छोटी भूमिका होने के बावजूद मुझे सबने मुझे नोटिस किया. मैं स्पष्टभाषी हूं, डिप्लोमेटिक जवाब नहीं दे सकती, यही शायद मेरे अंदर कमी है.

आपकी शादी टूट गयी, कितना मानसिक तनाव था? किसका सहयोग आपको अधिक मिला?

जब मैं राजीव से मिली थी, सब अच्छा हुआ था, लेकिन अब जब हम अलग हो गए हैं, तो इससे भी मैं संतुष्ट हूं. जो जीवन में होता है, उससे आपको सीख मिलती है और इसमें कोई बुराई भी नहीं है. हम दोनों सोच समझकर अलग हुए थे, इसलिए कोई मानसिक तनाव नहीं था. इसके अलावा मैं मानसिक रूप से बहुत मजबूत हूं. मानसिक संघर्ष इस बात से थी कि मेरे पिता का भी देहांत तब हो गया था. दुःख किसे कहते हैं वह पता चला, लेकिन तभी मेरे जीवन में पर्सी कर्कारिया आये. उनकी और मेरी सोच में काफी समानता है. वे मेरे रियल सोलमेट्स हैं. उनके साथ शादी होने वाली है. वे एक इंडियन म्यूजिक डी जे हैं और इवेंट मैनेज करते हैं. इसके अलावा परिवार में मम्मी, पापा मेरे भाई और दोस्तों का काफी सहयोग था. पर्सी मेरी कमजोरी और ताकत दोनों ही हैं.

अभिनय के अलवा और क्या करना पसंद करती हैं?

मुझे संगीत सुनना, डांस करना, किताबे पढ़ने का शौक है. ट्रेवलिंग करना पसंद है, पर मुझे लम्बी दूरी की फ्लाइट्स से डर लगता है. इसलिए आस-पास की जगहों में घूम लेती हूं.

महिलाओं के लिए क्या संदेश देना चाहती हैं?

मुझे महिलाओं से कहना है कि वे अपनी लड़कियों की शिक्षा पूरी करवाएं. अपनी इच्छाएं, सोच और विचारधाराओं को कभी न छोड़े. सकारात्मक सोच बनाये रखें, अपनी कमजोरी को हमेशा अपने से दूर रखें. मैं बचपन से मोटी थी, और इसे दूर करना संभव नहीं था. ऐसे में मैंने इसे सकारात्मक रूप में लिया और इसे ही अपनी शक्ति बनाई.

लापरवाही की हद और सरकार का गुणगान करती जनता

सरकारी अस्पतालों में लापरवाही हद से ज्यादा हो रही है, सरकारी रेलों की एक के बाद एक दुर्घटनाएं हो रही हैं, सरकार का टैक्स जमा करने वाला कंप्यूटर सिस्टम रोज फेल हो रहा है, सड़कों पर लालबत्तियां अकसर काम नहीं करतीं, नालों में सफाई में सैकड़ों की मौतें होती हैं, सरकारी अदालतों में वर्षों मामले सड़ते रहते हैं, देश की नदियां नाले बनी हुई हैं, जरा सी ज्यादा बारिश होती है तो मुंबई जैसा शहर डूब जाता है, सरकारी गोदामों में अनाज चूहे खाते हैं और लोग भूखे रहते हैं और हम सरकार के गुणगान करते रहते हैं.

सरकार किसी भी पार्टी की हो, हाल सारे देश का एकजैसा है. आम आदमी सरकार के निकम्मेपन का शिकार है, रोज झटके पर झटके खाता है, पर कुछ कर नहीं सकता. वह वोट से सरकार बदल ले तो क्या, नई सरकार उसी ढर्रे पर चलना शुरू कर देती है.

सरकार अपनी कमजोरियों के लिए किसी को दोषी नहीं ठहराती. कभी कोई मंत्री, कोई अफसर, कोई बाबू अपनी नौकरी नहीं खोता. सरकार कुछ गलत करे तो सब माफ, पर आम आदमी गलती से भी कुछ कर बैठे, तो जेल में बंद हो जाए.

निजी अस्पताल में मौतें हो जाएं, तो अदालतों में मामले चलने लगते हैं. सरकारी अस्पतालों में हों तो कुछ नहीं होता. निजी बस चालक को ही नहीं, मालिक को भी दुर्घटना के लिए जेल में भेज दिया जाता है. रेल दुर्घटना पर कोई जिम्मेदार नहीं.

सरकार कोई गलत कर दे तो कोई गुनाह नहीं, यह सोच असल में हमारी अफरातफरी के लिए जिम्मेदार है. अगर हर सरकारी नौकर को एहसास हो कि वह अपने वेतन व सुविधाओं के लिए नहीं, अपनी सेवा करने की काबिलीयत पर रखा गया है, तो उस का काम दूसरे ढंग का होगा.

अगर हर मंत्री को गलत काम के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना शुरू कर दिया जाए, तो राजनीति में आने से पहले लोग 4 बार सोचेंगे और आने के बाद पलपल होशियार रहेंगे कि उन के किसी काम से किसी को नुकसान तो नहीं हो जाए.

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सारे देशों ने फैसला किया था कि किसी भी देश के प्रधान की गलत नीति से कोई अत्याचार हुआ है तो उसे सजा मिलेगी. हेग में यह अदालत काम कर रही है. इक्कादुक्का शासक जेल भी काट रहे हैं.

पर देशों ने अपने यहां यह कानून नहीं अपनाया. रिश्वतखोरी या पैसा कमाने के आरोप में लालू प्रसाद यादव,जे. जयललिता, ओम प्रकाश चौटाला जेल गए, पर जनता को उन के फैसलों से जो नुकसान हुआ, जो सहना पड़ा, उस का मामला कभी उन पर नहीं चला.

देश की बुरी हालत के लिए यह भी जिम्मेदार है. भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के बहुत से देशों में सरकार या शासक मनमानी करने का हक रखते हैं और यही आम आदमी को अपराध करना या ढीलढाल करना सिखाता है. देश ढंग से चलाना है, तो शासकों को जिम्मेदारी का सबक सीखना चाहिए, वरना जनता रोती रहेगी और शासक मौज की बंसी बजाते रहेंगे.

क्या आप भी फेस्टिव लोन के लुभावने आफर लेने जा रहे हैं, तो पहले जानें ये बातें

त्योहारों के मौसम में बैंक और वित्तीय संस्थान तरह-तरह के लुभावने लोन के आफर्स देकर अपना बिजनस बढ़ाने का प्रयास करती है इसलिए आपको पूरी पड़ताल करने, सवाल पूछने और उसे समझने के बाद ही किसी आफर के लिए हामी भरनी चाहिए. जानें, आफर्स को लेकर किन बातों का रखना चाहिए ख्याल.

कुछ बैंक प्रोसेसिंग फीस या तो माफ कर रहे हैं या फिर लोन पर डिस्काउंट दे रहे हैं. जैसे एसबीआई और बैंक आफ महाराष्ट्र ने 31 दिसंबर 2017 तक अपने सभी कार और होम लोन पर प्रोसेसिंग फीस माफ कर दी है. इनकी फीस आमतौर पर लोन का एक तय फीसदी हिस्सा या एक फिक्स्ड अमाउंट होती है. इसका मतलब है कि अगर आप 30 लाख रुपये का होम लोन ले रहे हैं तो आप प्रोसेसिंग फीस के तौर पर जीएसटी मिलाकर 10,620 रुपये की बचत कर लेंगे. यह आफर आकर्षक जान पड़ता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है. आप दूसरी फीस को मत भूलिए, जिसमें लीगल और टेक्निकल फीस शामिल हैं. जिसकी फीस 12,000 रुपये तक हो सकती हैं. इस तरह से लोन का खर्च और बढ़ जाता है.

चुकाई गई हर ईएमआई पर 1 फीसदी कैशबैक. यह काफी आकर्षक लगता है? आईसीआईसीआई बैंक का आफर है, जिसमें 36वीं ईएमआई के बाद आपको पहला कैशबैक मिलता है और इसके बाद हर 12वीं ईएमआई के बाद यह कैशबैक आपको दिया जाता है. इसमें मिनिमम लोन टेन्योर 15 साल है और अधिकतम 30 साल. कैशबैक या तो सीधे आपके बैंक अकाउंट में आ सकता है, या फिर इसे आप अपने बकाया मूलधन से कटवा सकते हैं. बाद वाला विकल्प ज्यादा अच्छा है क्योंकि इससे आपका मूलधन भी घटता है और इंटरेस्ट भी.

ऐसे समय में आपको ईएमआई की संख्या घटाने का आफर भी दिया जाता है. जैसे एक्सिस बैंक 20 साल की लोन अवधि में हर चौथे, आठवें और 12वें साल के अंत में कुल 12 ईएमआई माफ करता है. इस स्कीम में अधिकतम लोन 30 लाख है. मतलब आप 3.09 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. दूसरा न्यूनतम टेन्योर 20 साल है, जिसके तहत आपको पूरा लाभ उठाने के लिए बैंक के साथ 20 साल तक जुड़े रहना होगा. आपका ट्रैक रिकार्ड भी अच्छा होना चाहिए. अगर 90 दिन से ज्यादा के आपके ड्यूज बचे हुए हैं और 30 दिन से ज्यादा की अवधि के तीन से ज्यादा बकाये हैं तो आपको लोन नहीं मिल पाएगा. यह आफर केवल फ्लोटिंग रेट बेसिस पर मौजूद है.

जीरो पर्सेंट इंट्रेस्ट रेट का भी आफर दिया जाता है लेकिन यह केवल तभी हकीकत हो सकता है, जबकि कोई अन्य फीस या चार्ज आपसे न ली जाये. अगर आप 6 महीने की ईएमआई पर 20,000 का फोन खरीद रहे हैं और 5,000 रुपये डाउन पेमेंट कर रहे हैं और 500 रुपये प्रोसेसिंग फीस चुका रहे हैं तो आप 12.5 फीसदी इंटरेस्ट दे रहे हैं.

ऐसे में आप इस आफर को अच्छे से जानकर और समझकर ही अपनाइये क्योंकि कहीं ऐसा न हो के आप इन लुभावने आफर में आकर बचत करने के बजाय ज्यादा मूल्य देकर खुद का ही घाटा न कर बैठे.

अब सी क्लीनर बना हैकर्स का टार्गेट, चुराई जा रही हैं जानकारियां

आज ज्यादातर एंड्रायड यूजर्स अपने स्मार्टफोन में सी क्लीनर ऐप रखते हैं. स्मार्टफोन को साथ ही इस एप का प्रयोग कंप्यूटर में भी किया जाता है. चूंकि यह पापुलर है और ज्यादातर स्मार्टफोन्स में इस्तेमाल किया जाता है. लोग इस पर काभी भरोसा भी करते हैं इसलिए यह हैकर्स के लिए साफ्ट टार्गेट का काम कर रहा है.

गौरतलब है सी क्लीनर जंक फाइल्स डिलीट करने के अलावा भी यह कई काम करता है. यह सिस्टम का कैशे क्लियर करता है. सी क्लीनर यानी क्रैप क्लीनर को कूकीज और हिस्ट्री क्लियर करने के लए भी मोबाइल में इस्तेमाल किया जाता है. यह सिक्योरिटी और एंटी वायरस साफ्टवेयर अवास्त का हिस्सा है.

आपको बता दें कि हैकर्स ने सी क्लीनर की सिक्योरिटी को भेदते हुए इस ऐप में मैलवेयर को इंजेक्ट किया है. सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने एक अवास्त (Avast) के डाउनलोड सर्वर को ढूंढा जहां सी क्लीनर के अंदर मैलवेयर पाया गया. बताया जा रहा है कि इससे अबतक 10 लाख से भी ज्यादा यूजर्स प्रभावित हो चुके हैं.

सिस्को तालोस सिक्योरिटी टीम ने कहा है कि सी क्लीनर वर्जन 5.33 में मल्टी स्टेज्ड मैलवेयर पेलोड हैं जो सी क्लीनर के इंस्टाल के समय आपके स्मार्टफोन में आते हैं. सी क्लिनर दुनिया भर में लगभग 2 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है. सिक्योरिटी रिसरचर्स का कहना है कि यह मैलवेयर अटैक काफी चौंकाने वाला है, क्योंकि सी क्लीनर जैसा साफ्टवेयर पर करोड़ों लोग भरोसा करते हैं और इसे सिस्टम से क्रैपवेयर हटाने के लिए इस्तेमाल करते हैं.

क्या करता है ये मैलवेयर और आपको क्या है नुकसान?

यह मैलवेयर यूजर्स की जानकारी चुराता है. इनमें IP एड्रेस, कंप्यूटर का नाम, साफ्टवेयर्स की लिस्ट और नेटवर्क प्लेस की जानकारी में सेंध लगाता है. इतना ही नहीं यह क्रेडिट कार्ड नंबर्स और सोशल सिक्योरिटी नंबर्स जैसी जानकारियां भी चुराता है.

अगर आपने अपने कंप्यूटर के सी क्लीनर को 12 सितंबर तक अपडेट किया है तब कोई दिक्कत नहीं है.

भोजपुरी गीतों में मिठास है : रितेश पांडे

भोजपुरी गायन की बदौलत जिन गायकों ने भोजपुरी फिल्मों में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया, वही फिल्मों में बतौर हीरो आने के बाद धीरेधीरे गायन से दूर होते गए. लेकिन भोजपुरी गायक रितेश पांडे ने भोजपुरी गायन से न केवल शोहरत बटोरी, बल्कि वे आज भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार भी बन चुके हैं. इस के बावजूद उन्होंने भोजपुरी गायन को न केवल अपनी प्राथमिकता में रखा, बल्कि वे हर साल भोजपुरी के कई सुपरहिट गीत देते रहे हैं. इस समय उन के पास भोजपुरी की कई फिल्में भी हैं.

बिहार के सासाराम जिले के करगहर इलाके के रहने वाले रितेश पांडे से एक लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश:

आप का भोजपुरी गायन और फिल्मों में आना कैसे हुआ?

मेरे पिताजी पेशे से टीचर हैं और वे बनारस में पढ़ाते थे. मेरी पढ़ाईलिखाई उन्हीं के साथ बनारस में पूरी हुई. इस दौरान मैं स्कूल के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया करता था. वहीं से मेरा गायनकी तरफ रुझान बढ़ता गया और मैं ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से बैचलर औफ म्यूजिक की डिगरी ली.

इस के बाद मैं ने भोजपुरी गायन में जाने का फैसला किया और अपने पहले म्यूजिक अलबम ‘तेरी नजर’ से कैरियर की शुरुआत की. इस के बाद मेरे दूसरे अलबम ‘कड़ुआ तेल’ को लोगों ने इतना ज्यादा पसंद किया कि मुझे भोजपुरी के सुपरहिट गायकों की कतार में खड़ा कर दिया.

आप के सब से ज्यादा पसंद किए जाने वाले गीत कौन से हैं?

सब से ज्यादा पसंद किया जाने वाला मेरा गीत ‘जा ऐ चंदा ले आवा खबरिया’ रहा. इस के बाद मैं ने कई अलबमों में अपने सुर दिए, जिन में ‘दर्द दिल के’, ‘मारता लाइन रे’, ‘जहिया गईलू तू भईल जियल मुश्किल’, ‘कमर तोहार चाकर’, ‘लपलप करे कमरिया’, ‘कड़ुआ तेल’, ‘पश्चिम टोला’, ‘पलानी में जवानी रोअता’, ‘काटल जाई चानी’, ‘हसुआ धराई जनि’, ‘सोनार राजाजी’, ‘खरिहानी में…’ खास रहे.

भोजपुरी फिल्मों में आने का श्रेय क्या आप के गायन को जाता है?

जी हां, मेरा भोजपुरी फिल्मों में आने का सारा श्रेय गायन को ही जाता है. मैं तो यही कहूंगा कि भोजपुरी सिनेमा में जितने भी सुपरस्टार हुए हैं, उन में से ज्यादातर का बैकग्राउंड भोजपुरी गायन ही रहा है.

फिल्मकार रितेश कुमार ठाकुर और डायरैक्टर विष्णु शंकर बेलू फिल्म ‘बलमा बिहार वाला-2’ का औफर ले कर मेरे पास आए थे. यह फिल्म सुपरडुपर हिट रही थी. इस फिल्म की कामयाबी के बाद मेरे पास कई फिल्मों के औफर आए, लेकिन मैं ने फिल्म की कहानी को प्राथमिकता में रखा.

आप की नई आने वाली फिल्म ‘इंडिया वर्सेज पाकिस्तान’ की क्या खासीयत है?

भारतपाकिस्तान संबंधों पर बनी अब तक की सभी फिल्मों से अलग हट कर इस फिल्म की कहानी है. इस में मैं ने भारतीय सेना के मेजर का किरदार निभाया है.

आप की कौनकौन सी फिल्में आने वाली हैं?

मेरी 2 फिल्में बन कर तैयार हैं, जिन में से ‘नाचे नागिन गलीगली’ का ट्रेलर भी लौंच हो चुका है. यह फिल्म मारधाड़ व रोमांस से भरपूर है. दूसरी फिल्म ‘सिंदूर की सौगंध’ है. इस के अलावा मेरी एक और फिल्म ‘वंदेमातरम’ है, जिस में तनुश्री ने काम किया है. इस के अलावा तनुश्री के साथ एक और फिल्म आ रही है ‘दरार-2’, जो एक पारिवारिक फिल्म है.

आप को कौनकौन सी हीरोइनों के साथ काम करना अच्छा लगता है?

मैं ने जिन हीरोइनों के साथ काम किया है, उन में पाखी हेगड़े, माही खान, प्रियंका पंडित, कनक पांडे, निधि झा व तनुश्री खास हैं. इन हीरोइनों की एक खासीयत है कि ये अपने साथी कलाकार को हमेशा आगे बढ़ने में मदद करती हैं.

भोजपुरी के दो मतलब वाले बेहूदा गीतों पर आप क्या कहेंगे?

भोजपुरी के दो मतलब वाले गीतों में ही इस की मिठास छिपी है. लेकिन जो लोग भोजपुरी में बेहूदगी परोस कर इसे बदनाम करते हैं, वे ज्यादा दिनों तक भोजपुरी सिनेमा व गायन के क्षेत्र में टिक नहीं पाए.

आप ने खुद को फिल्मों और गायन में एकसाथ कैसे बनाए रखा?

फिल्मों और गायन में एकसाथ समय दे पाना थोड़ा मुश्किल है. मगर मैं उतनी ही फिल्में कर रहा हूं, जिस  से मेरे भोजपुरी गायन पर कोई बुरा असर न पड़े.

आप अपने चाहने वालों को कुछ कहना चाहेंगे?

मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि वे अपना प्यार और दुलार इसी तरह मुझ पर बनाए रखें, जिस से मैं आप लोगों के लिए हर बार कुछ नया कर पाऊं.

तलाक : क्या जाहिरा इस मुसीबत से बाहर निकल पाई

रात का सारा काम निबटा कर जब जाहिरा बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश कर रही थी, तभी उस के मोबाइल फोन की घंटी शोर करने लगी.

जाहिरा बड़बड़ाते हुए बिस्तर से उठी, ‘‘सारा दिन काम करते हुए बदन थक कर चूर हो जाता है. बेटा अलग परेशान करता है. ननद बैठीबैठी और्डर जमाती है… न दिन को चैन, न रात को आराम…’’ फिर वह मोबाइल फोन पर बोली, ‘‘हैलो, कौन?’’

‘मैं शादाब, तुम्हारा शौहर,’ उधर से आवाज आई.

‘‘जी…’’ कहते हुए जाहिरा खुशी से उछल पड़ी,

‘‘जी, कैसे हैं आप?’’

‘मैं ठीक हूं. मेरी बात ध्यान से सुनो. मैं तुम्हें तलाक दे रहा हूं. आज से मेरातुम्हारा मियांबीवी का रिश्ता खत्म. मैं यह बात अम्मी और खाला के सामने बोल रहा हूं. तुम आज से आजाद हो. मेरे घर में रहने का तुम्हें कोई हक नहीं है. बालिग होने पर मेरा बेटा मेरे पास आ जाएगा,’ कह कर शादाब ने मोबाइल फोन काट दिया.

‘‘सुनिए… सुनिए…’’ जाहिरा ने कई बार कहा, पर मोबाइल फोन बंद हो चुका था. जाहिरा ने नंबर मिला कर बात करनी चाही, पर शादाब का मोबाइल फोन बंद मिला. जाहिरा को अपने पैरों के नीचे की जमीन खिसकती नजर आई. आंसुओं की झड़ी लग गई. बिस्तर पर उस का एक साल का बेटा बेसुध सोया था. उसे देख कर जाहिदा के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे.

जाहिरा दौड़ीदौड़ी अपने ससुर हसन मियां के कमरे में पहुंची. उस की सास शादाब के पास दुबई में थीं. जाहिरा ने दरवाजे के बाहर से आवाज दी, ‘‘अब्बू, दरवाजा खोलिए…’’

‘‘क्या बात है? क्यों चीख रही है?’’ शादाब के अब्बू हसन मियां ने कहा.

‘‘अब्बू…’’ लड़खड़ाते हुए जाहिरा ने कहा ‘‘शादाब ने मुझे फोन पर तलाक दे दिया है,’’ इतना कह कर वह रो पड़ी.

‘‘तो मैं क्या करूं…? यह तुम मियांबीवी के बीच का मामला है. तुम जानो और तुम्हारा शौहर…’’ कह कर हसन मियां ने दरवाजा बंद कर लिया.

जाहिरा रोतेरोते अपने कमरे मेंआ गई. रात यों ही बीत गई. सुबह जाहिरा ने उठ कर देखा कि रसोईघर के दरवाजे पर ताला लटक रहा था. वह परेशान हो गई और पड़ोसियों को पूरी बात बताई. पर पड़ोसी हसन मियां के पक्ष में थे. वह मन मार कर लौट आई.

पड़ोस में रहने वाली विधवा चाची ने जाहिरा को समझाया, ‘‘बेटी, तू फिक्र न कर. मसजिद के हाफिज के पास जा. शायद, वहां इस मसले का कोई हल निकले.’’ उस इलाके की मसजिद के सारे खर्चे माली मदद से चलते थे. हसन मियां मसजिद के सदर थे.

हाफिज के पास जाहिरा की शिकायत बेकार साबित हुई. उन्होंने कहा कि शौहर ने तलाक दे दिया है, अब कुछ नहीं हो सकता. जाहिरा ने कहा, ‘‘हाफिज साहब, फोन पर दिया गया तलाक नाजायज है. मेरी कोई गलती नहीं है. न शौहर से कोई अनबन, अचानक मुझे तलाक…’’ कह कर वह रो पड़ी, ‘‘मेरी गोद में उन का ही बच्चा है. इस की परवरिश कैसे होगी? मेरा क्या कुसूर है?

‘‘शरीअत में ऐसा कुछ नहीं है. आप एक औरत पर जुल्म ढा रहे हैं. मर्द की हर बात अगर जायज है, तो औरत की भी जायज मानो.’’

जाहिरा मौलवी को खूब खरीखोटी सुना कर वापस आ गई और शौहर के खिलाफ कोर्ट में जाने का मन बना लिया.

घर आ कर जाहिरा ने देखा कि घर के बाहर दरवाजे पर ताला लटक रहा था. बिना कुछ कहे वह अपने बेटे को मायके ले कर आ गई. घर पर मांबाप को सारी बात बता कर उस ने तलाक के खिलाफ आवाज उठाने का मन बना लिया और फिर समाज के उन मुल्लाहाफिजों के खिलाफ मोरचा खोल दिया, जो शरीअत के नाम पर लोगों पर दबाव बनाते हैं.

‘‘देहात की गंवार औरत को तुम्हारे गले से बांध दिया था. कहां तुम पढ़ेलिखे खूबसूरत जवान, कहां वह देहातीगंवार… ज्वार के दाने में उड़द का बीज…’’ कह कर शादाब की खाला खिलखिला उठीं.

‘‘शादाब और रेहाना की जोड़ी लगती ठीक है. पढ़ीलिखी बीवी कम से कम अंगरेजी में बात तो कर सकेगी. क्यों आपा, ठीक कह रही हूं न मैं?’’

शादाब की खाला ने अपनी बेटी के कसीदे पढ़ने चालू किए. शादाब की मां ने भी उन की हां में हां मिलाई. शादाब की मां हमीदा बानो की छोटी बहन नूर अपनी बेटी रेहाना को ले कर पिछले 2 महीने से दुबई आई थीं. उन्हें 3 महीने का वीजा मिला था.

रेहाना एमए की छात्रा थी. वह अपने मांबाप की एकलौती औलाद थी, जिसे लाड़प्यार से पाला गया था चुलबुली, खूबसूरत रेहाना ने अपनी मां की शह पा कर शादाब पर डोरे डालने शुरू किए थे, यह जानते हुए भी कि वह शादीशुदा है.

‘‘पर अम्मी, शादाब तो एक बच्चे का बाप है. मैं उस से निकाह कैसे करूंगी?’’ रेहाना ने अपनी अम्मी से पूछा.

‘‘तू फिक्र मत कर. अगर शादाब तेरा शौहर बन गया, तो तू मजे करेगी. विदेश में रहेगी. तू हवाईजहाज से आनाजाना करेगी.

‘‘तू मालामाल हो जाएगी और हमारी गरीबी भी दूर हो जाएगी. बड़ी नौकरी है शादाब की. उस की जायदाद हमारी. तू किसी न किसी तरह उसे अपने वश में कर ले,’’ रेहाना की अम्मी ने समझाया. और फिर उन्होंने ऐसा जाल बिछाया कि उस में मांबेटा उलझ कर रह गए.

‘‘रेहाना, अम्मी कहां हैं?’’ एक दिन दफ्तर से लौट कर शादाब ने पूछा.

‘‘वे पड़ोस में गई हैं. देर रात तक लौटेंगी. वहां उन की दावत है. मेरी अम्मी भी साथ गई हैं.’’

‘‘तुम क्यों नहीं गईं?’’

‘‘आप की वजह से नहीं गई.’’

रेहाना चाय ले कर शादाब के कमरे में पहुंची, जहां वह लेटा हुआ था. आज रेहाना ने ऐसा सिंगार कर रखा था कि शादाब उसे देख कर सुधबुध खो बैठा. चाय दे कर वह उस के करीब बैठ गई. इत्र की भीनीभीनी खुशबू से महकती रेहाना ने रोमांस भरी बातें करना शुरू किया.

शादाब भी उस की बातों का लुत्फ लेने लगा. उस ने रेहाना को अपने सीने से लगाना चाहा, तो बगैर किसी डर के वह शादाब की बांहों में सिमट गई. फिर वे दोनों हवस के गहरे समुद्र में डुबकी लगाने लगे. जब जी भर गया, तो एकदूसरे को देख कर शरमा गए.

जब तक रेहाना वहां रही, शादाब उसे महंगे से महंगा सामान दिलाने लगा. जवानी के जोश में वह सबकुछ भूल गया. अब उसे सिर्फ रेहाना दिखती थी. वह अपनी बीवी को तलाक दे कर रेहाना को बीवी बनाने के सपने देखने लगा था.

वक्त तेजी से गुजर रहा था. रेहाना के वीजा की मीआद खत्म होने वाली थी. शादाब ने रेहाना से जल्द निकाह करने का वादा किया. रेहाना अपनी अम्मी के साथ दुबई में रहने के सपने संजोए भारत वापस आ गई. शादाब ने खाला से 2 महीने के अंदर रेहाना से निकाह करने की अपनी मंशा जाहिर की, तो खाला ने भी खुशीखुशी अपनी रजामंदी जाहिर की.

कुछ वक्त बीत जाने पर जाहिरा ने शहर की बड़ी मसजिद में शादाब के द्वारा दिए गए तलाक के बारे में शिकायत पेश की, जिस की सुनवाई आज होनी थी.

जाहिरा ने कमेटी के सामने, जहां काजी, आलिम, हाफिज, बड़ेबड़े मौलाना सदस्य थे, अपनी बात रखी. उन्होंने बड़े गौर से जाहिरा की फरियाद सुनी. इस से पहले शादाब को मांबाप के साथ कमेटी के सामने हाजिर होने की इत्तिला भेजी गई थी, पर वे नहीं आए.

अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कमेटी पर दबाव डालना चाहा था. वे तकरीबन 6 महीने तक कमेटी को चकमा देते रहे थे, बारबार के बुलावे पर भी नहीं आए थे. इस बात को ध्यान में रख कर कमेटी ने कड़ा फैसला लिया और उन्हें जमात से बेदखल करने के साथ कानूनी कार्यवाही करने का फैसला लिया. आज मसजिद में काफी गहमागहमी थी. कावाही शुरू हुई. शादाब, उस के अब्बू व दूसरे रिश्तेदार हाजिर थे.

कमेटी के सदर ने शादाब से पूछा, ‘‘किस वजह से तुम ने अपनी बीवी जाहिरा को तलाक दिया है?’’ ‘‘इस के अंदर शहर में रहने की काबिलीयत नहीं है. यह पढ़ीलिखी भी नहीं है. अंगरेजी नहीं जानती है. इसे ढंग से खाना बनाना तक नहीं आता है.’’ ‘‘बेटी, तुम बताओ कि शादाब मियां जोकुछ कह रहे हैं, वह सही है या गलत?’’ सदर ने पूछा.

‘‘बिलकुल झूठ है. हमारी शादी को 3 साल हो गए हैं. मैं एक बच्चे की मां बन गई हूं. मैं इन की हर बात मानती हूं. मैं ने पूरी 7 जमात पढ़ी है. ‘‘इन के मांबाप व रिश्तेदार मुझे पसंद कर के लाए थे. हम ने भरपूर दहेज दिया था. अभी तक सब ठीकठाक चल रहा था, पर अचानक इन्होंने मुझे फोन पर तलाक दे दिया.’’

‘‘फोन पर तलाक…?’’ कमेटी के सभी सदस्य जाहिरा की यह बात सुन कर सकते में आ गए.

उन्होंने आपस में सोचविचार कर के फैसला दिया, ‘यह तलाक नाजायज है. न तलाक देने की ठोस वजह है, न ही तलाक आमनेसामने बैठ कर दिया गया है. एकतरफा तलाक जायज नहीं है.

‘शादाब मियां के तलाक को गैरकानूनी मान कर खारिज किया जाता है. जाहिरा आज भी उन की बीवी हैं. उन्हें अपनी बीवी को सारे हक देने पड़ेंगे. साथ में रखेंगे. कोई तकलीफ नहीं देंगे, वरना यह कमेटी इन पर तलाक के बहाने औरत पर जुल्म करने का मामला दायर करेगी…’ इतना फरमान सुना कर जमात उठ गई.

ईपीएफ अकाउंट ट्रांसफर कराना हुआ आसान, बस करना होगा ये काम

प्राइवेट नौकरी करने वालों के लिए पीएफ अकाउंट के ट्रांसफर को लेकर हमेशा टेंशन रहती है. लेकिन अब ये टेंशन दूर होने वाली है. अब नौकरी बदलते ही आपका पीएफ अकाउंट खुद-ब-खुद ट्रांसफर कर दिया जाएगा. सोमवार से औटो पीएफ ट्रांसफर सुविधा कर दी गई है.

ईपीएफओ ने फैसला प्राइवेट कर्मचारियों की परेशानी को देखते हुए लिया गया है. यानी नई जगह नौकरी बदलने के बाद पीएफ अकाउंट ट्रांसफर करने के लिए महीनों का इंतजार नहीं करना होगा.

ईपीएफओ के मुताबिक 5 करोड़ खाताधारकों को औनलाइन औटो ट्रांसफर योजना का लाभ मिलेगा. फिलहाल इस सुविधा का ट्रायल चल रहा है जो सफल दिख रहा है. अभी नई जगह नौकरी बदलने पर कर्मचारियों को ईपीएफ ट्रांसफर कराने के लिए फौर्म-13 भरना होता है.

यह फौर्म एचआर से पीएफ औफिस जाता है. पीएफ औफिस इस फौर्म को कर्मचारी के पुराने पीएफ औफिस/जोन में वेरफिकेशन के लिए भेजता है. वहां से फाइल लौटते लौटते कई बार 2 माह से अधिक का वक्त लग जाता है लेकिन अब ऐसा करने की जरूरत नहीं होगी. क्योंकि एक नए फौर्म पर अपना यूनिवर्सल एकाउंट नंबर यानी यूएएन समेत कुछ बेसिक जानकारी देने के बाद यह काम फौरन औनलाइन किया जा सकेगा.

ईपीएफओ ने ऐसी कोशिश है कि जौब बदलने की स्थिति में बिना किसी एप्लीकेशन के ही महज तीन दिनों में अकाउंट के पैसे ट्रांसफर हो जाएं. अगर कर्मचारी के पास आधार आईडी और वेरिफाइड आईडी होगा तो वह चाहे देश में किसी भी जगह जौब करे, उसका पीएफ अकाउंट बिना एप्लीकेशन ट्रांसफर हो जाएगा.

अपनी डिजिटल मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए ईपीएफओ 4.5 लाख कर्मचारियों को भी मुफ्त ई-सिग्नेचर की सुविधा भी देने जा रहा है. फिलहाल ईपीएफओ और एम्पलौयर्स के बीच कोई भी औनलाइन कम्युनिकेशन डिजिटल सिग्नेचर के जरिए ही होता है. इसके लिए एम्पलौयर्स को मार्केट से डिजिटल सिग्नेचर का लाइसेंस खरीदना होता है और इसे हर साल रिन्यू भी कराना होता है. मगर अब यह सुविधा एम्पलॉयर्स को ईपीएफओ की वेबसाइट पर मुफ़्त मिलेगी.

अगर अमीन सयानी ने उस लड़के को निकाला न होता, तो आज बौलीवुड को अमिताभ न मिलता

अपनी अदाओं से आज भी सबको दीवाना बना देने वालीं रेखा ने कल अपना 63वां जन्मदिन मनाया.  रेखा का जन्म 10 अक्टूबर को 1954 में चेन्नई में हुआ था. खास बात यह है कि उनके जन्म दिन के ठीक एक दिन बाद ही बौलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का भी जन्मदिन है.

अमिताभ बच्चन का आज 75वां जन्मदिन हैं. भले ही वह इस बार अपना जन्मदिन न मना रहे हों लेकिन उनके फैन्स के लिए आज का दिन काफी खास है. कभी औल इंडिया रेडियो ने उन्हें उनकी भारी आवाज की वजह से काम देने से मना कर दिया था, लेकिन उनकी आवाज का जादू लोगों पर चल ही गया.

रेखा और अमिताभ बच्चन के सबंधों की खबरें किसी से छुपी नहीं है. वहीं दोनों की लवस्टोरी की बात करें तो दोनों की मुलाकात पहली बार फिल्म ‘दो अंजाने’ के सेट पर हुई थी. उस वक्त अमिताभ की शादी जया बच्चन से हो चुकी थी.

फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में रेखा और अमिताभ की जोड़ी ने पहली बार शोहरत के आसमान को छू लिया. इसके बाद देखते ही देखते इस जोड़ी ने हिन्दी सिनेमा के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया था. इसके बाद दोनों की फिल्में बौक्स औफिस पर सुपरहिट होने के साथ साथ उनकी निजी जिंदगी में भी प्यार गहरा होने लगा.

साल 1981 में आई फिल्म ‘सिलसिला’ का गाना ‘ये कहां आ गए हम’ भी काफी सुपरहिट रहा है. गाने में दोनों के बीच प्यार की कैमिस्ट्री भी शुरुआत इस गाने में देखी जा सकती है.

इन दोनों ने कई सुपरहिट फिल्में की हैं जिनमें सुहाग, मि. नटवरलाल, गंगा की सौगंध, नमक हराम, खून पसीना और सिलसिला ऐसे कई तमाम और भी हैं.

साल 1981 में आई दोनों की ‘सिलसिला’ काफी सुपरहिट हुई थी. कहा जाता है कि दोनों के बीच प्यार की शुरुआत इसी फिल्म के सेट से हुई थी. इस फिल्म को अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और रेखा की निजी ज़िंदगी में उन दिनों चल रहे जज्बातों से मेल खाने के लिए भी जाना जाता है. अमिताभ बच्चन व रेखा को इस फिल्म ने काफी प्रसिद्धि दिलवाई.

बता दें कि अमिताभ बच्चन की अगली फिल्म ‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ होगी. वो पहली बार आमिर खान के साथ काम कर रहे हैं. यशराज बैनर तले बन रही इस फिल्म का निर्देशन विजय कृष्ण आचार्य कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले एक बार फिर से फिल्म के स्टार्स के लिए परेशानी वाली बात सामने आई थी क्योंकि आमिर के बाद अमिताभ बच्चन की भी सेट से एक तस्वीर लीक हो गई थी.

आश्चर्यजनक बात यह है कि बिग बी की तस्वीर को भी उसी एंगल से क्लिक किया था जिस एंगल से आमिर की फोटो क्लिक की गई थी. लीक हुई तस्वार में अमिताभ काफी डेडली अवतार में नजर आ रहे थे. फिल्म में वो एक लुटेरे का किरदार निभा रहे हैं. फोटो में बिग बी उम्मीद से ज्यादा टफ लग रहे थे. उन्होंने काले रंग के कपड़े से अपने सर को बांधा हुआ था और एक वारियर की तरह ड्रेस पहनी हुई थी.

अमिताभ बच्चन ने अपने संघर्ष के दिनों की बात करते हुए औल इंडिया रेडियो का रोचक किस्सा बताया.

उन्होंने कहा औल इंडिया रेडियो में उन दिनों अमीन सयानी नाम के प्रेजेंटर थे, जो श्रोताओं के बीच खासा मशहूर थे. लोग उन्हें बड़े चाव से रेडियो पर सुना करते थे. इधर अमिताभ भी उन दिनों रेडियो प्रेजेंटर बनना चाहते थे. औडिशन देने के लिए वह कई बार स्टूडियो भी गए थे, मगर हर बार सयानी उन्हें रिजेक्ट कर देते.

सयानी ने एक पुराने इंटरव्यू में कहा था “60 के दशक में मैं हफ्ते में 20 शो करता था. रेडियो प्रोग्रामिंग के हर हिस्से में शामिल रहता, लिहाजा ज्यादातर वक्त स्टूडियो में बीतता. एक दिन अमिताभ बच्चन नाम का नौजवान बिना अप्वौइंटमेंट के वौइस औडिशन देने आया.” बिग बी को दुबला बताते हुए उन्होंने आगे कहा था कि “मेरे पास उस पतले शख्स के लिए एक सेंकेंड भी नहीं था. वह कुछ देर तक इंतजार करता रहा और फिर चला गया. बाद में भी वह कई बार और आया.

पूर्व रेडियो प्रेजेंटर के मुताबिक, “मैं उन्हें औडिशन में ना कहकर पछताता हूं. लेकिन मैं मानता हूं कि जो हुआ वह हम दोनों के अच्छे के लिए हुआ. अगर वह चुन लिए जाते, तो मैं शायद सड़क पर होता और रेडियो पर उन्हें ढेर सारा काम मिल रहा होता, जिससे भारतीय सिनेमा इंडस्ट्री अपना सबसे बड़ा स्टार खो सकती थी.”

अमिताभ बच्चन भले ही बौलीवुड के एंग्री मैन कहे जाते हों. लेकिन उनकी निजी जिंदगी बेहद रोमांटिक रही है. चाहे परवीन बाबी के साथ उनका अफेयर हो या फिर रेखा के साथ उनकी नजदीकियों के किस्से. हालांकि, अमिताभ ने कभी भी खुलकर अपने प्रेम प्रसंगों पर बात नहीं की. मगर उन्हें करीब से जानने वाले और उन्हीं की जीवनी लिखने वाले सौम्य वंद्योपाध्याय ने इस पर बात करने की एक बार कोशिश की, तो वह असहज हो गए थे. अमिताभ ने कहा था कि रहने दीजिए इस बारे में, मैं नहीं चाहता कि मेरे कुछ कहने से किसी का नुकसान हो.

कौन बनेगा करोड़पति के पिछले एपिसोड़ में अमिताभ बच्चन काफी भावुक हो गए थे, क्योंकि वहां मौजूद लोग उन्हें उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं देने लगे. फिर क्या था देखते ही देखते चारों ओर हैप्पी बर्थडे की आवाज गूंजने लगी और यह सब होता देख अमिताभ बच्चन के आंखों से आंसू आने लगे और वो काफी भावुक हो गए.

दिवाली पर मिले बोनस को यहां करें निवेश

आफिस कार्पोरेट हो या सरकारी दिवाली पर कंपनियां अपने कर्मचारियों को बोनस की सौगात देती है. हालांकि अधिकांश लोग त्योहार के मौके पर मिले इस बोनस को फिजूल में खर्च कर देते हैं. क्योंकि वो मानते हैं कि दिवाली का मतलब जमकर पैसा खर्च करना, बच्चों के लिए पटाखे खरीदना, पत्नी और बच्चों के लिए शौपिंग करना, घर के लिए नए सामान जैसे कि फ्रिज, टीवी और वाशिंग मशीन खरीदना और लेटेस्ट गैजेट के साथ साथ सोने में निवेश करना होता है. कोई भी इस बोनस को बेहतर जगह निवेश करने के बारे में नहीं सोचता है.

लेकिन आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि आप इस बोनस को किन किन जगहों पर निवेश कर खुद को वित्तीय रूप से मजबूत बना सकते हैं.

लोन की रिपेमेंट कर हल्का करें वित्तीय बोझ

अगर आपको कंपनी ने दिवाली के मौके पर अच्छा बोनस दिया है तो उससे आप पहले से चले आ रहे लोन की रिपेमेंट कर अपने वित्तीय बोझ को हल्का कर सकते हैं. यह एक सूझबूझ भरा वित्तीय कदम कहा जा सकता है.

इमरजेंसी फंड बनाने में करें इस्तेमाल

आमतौर पर लोग इमरजेंसी फंड को तैयार नहीं करते हैं और ऐसे में बुरा वक्त आने पर उन्हें परेशान होना पड़ जाता है. अगर आपको कंपनी ने अच्छा खासा बोनस दिया है तो बेहतर होगा कि आप उससे एक इमरजेंसी फंड तैयार करें ताकि आपात स्थिति में आप खुद की और अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएं.

लंबी अवधि के निवेश की कमी को करें पूरा

अगर आप लंबी अवधि के लिए किसी निवेश की योजना बना रहे हैं, लेकिन उसमें कुछ पैसे की कमी पड़ रही है तो बोनस का पैसा इस कमी को काफी हद तक पूरा करने के काम आ सकता है. जैसे कि आप लंबी अवधि के लिए इक्विटी या डेट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो यह पैसा यहां बड़े काम आ सकता है.

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