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इस दीवाली स्मार्टफोन खरीदते वक्त ना करें ये गलतियां

स्मार्टफोन आज एक बड़ी जरुरत बन चुका है. बाजार में साधारण बजट से लेकर ऊंचे दामों पर एक से बढ़कर एक फीचर्स वाले स्मार्टफोन मौजूद हैं. ऐसे में टेक्नोलाजी और ढेरों विकल्प की वजह से आज इन्हें खरीदना भी एक बड़ी चुनौती है. खासकर तब जब दीवाली के मौके पर लगभग हर कंपनी आपको डिस्काउंट दे रही हो और रोज नए नए स्मार्टफोन लान्च दे रही हो.

इनकी खरीददारी में अक्सर लोग अनजाने में बड़ी गलतियां कर जाते हैं. जिससे उन्हें नुकसान होता है. ऐसे में अगर आप भी स्मार्टफोन खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो पढ़ें ये पूरी खबर.

सबसे पहले खरीदना

अक्सर लोग नए स्मार्टफोन के रिलीज होते ही उसे सबसे पहले खरीदने का प्लान करने लगते हैं. कई लोग तो उसके रिलीज होते ही उसकी बुकिंग आदि कर देते हैं. जबकि कई बार यह एक बड़ी गलती साबित होती है.

ऐसे में अगर आप स्मार्टफोन खरीदने जा रहे हैं तो रिलीज के बाद उसके लान्च होने तक का इंतजार करें. कंपनियां अपने मानकों के मुताबिक रिलीजिंग के 12 महीने के अंदर स्मार्टफोन उतार देती है. ऐसे में इस बीच आपको स्मार्टफोन के बारे में हर जानकारी अच्छे से मिल जाएगी.

बेहतर इंटरनल स्टोरेज

अक्सर लोग स्मार्टफोन खरीदते समय अपने वर्तमान की जरुरत को ध्यान में रखते है. वे यह भूल जाते हैं कि हो सकता दो दिन बाद उनका काम बढ़ जाए. इसलिए हमेशा याद रखें कि स्मार्टफोन लेते समय इंटरनल स्टोरेज बेहतर होना चाहिए. इंटरनल स्टोरेज कम होने से आपको डाउनलोडिंग करने से पहले कई बार सोचना होगा. इसलिए बाजार में आज 4 जीबी, 8 जीबी, 16 जीबी, 32 जीबी, 64 जीबी और 128 जीबी इंटरनल स्टोरेज वाले स्मार्टफोन मौजूद हैं.

इनबिल्ट एप

कई बार स्मार्टफोन खरीदते समय लोग उन एप पर ध्यान नहीं देते जिनकी उन्हें जरूरत होती है. आज मार्केट में गूगल का एंड्रायड, एप्पल का आईओएस, माइक्रोसौफ्ट का विंडोज मोबाइल और ब्लैकबेरी ओएस 10 जैसे कई स्मार्टफोन मौजूद हैं. जिनमें गेम से लेकर कई हाईटेक एप होने से इनकी डिमांड भी है, लेकिन कुछ चीजों में ये आज भी मात खा जाते हैं.

बहुत से ऐसे एप हैं, जो एक आम कस्टमर की जरूरत के मुताबिक नही हैं. ऐसे में अगर आप अपनी जरूरत के एप के मुताबिक स्मार्टफोन लेना चाहते हैं, तो आप ब्रांड चेंज कर सकते हैं. आज कई बड़ी कंपनियां अच्छे स्मार्टफोन बाजार में उतार चुकी है.

सर्विस न देखना

स्मार्टफोन खरीदते समय उसके कस्टमर केयर सर्विस पर ध्यान न देना बड़ी लापरवाही है. आज स्मार्टफोन कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फोन सस्ते कीमत में पेश करती है. जिससे लोग उन्हें बढ़कर खरीदें, लेकिन जब फोन या उनका चार्जर खराब हो जाता है, तो मोटी रकम वसूलने में पीछे नहीं रहती है. कंपनी की कस्टमर केयर पर फोन करके पहले ही उसके चार्जर-स्क्रीन रिप्लेसमेंट की कीमत के बारे में जान लें. इसके अलावा अपने आस-पास उसके सर्विस सेंटर के बारे में भी जानकारी लें लें.

स्टोर से एसेसरीज खरीदना

स्मार्टफोन के स्टोर से उसकी एक्स्ट्रा एसेसरीज खरीदना भी आपकी गलती साबित हो सकती है. जरूरत के मुताबिक की एसेसरीज तो स्मार्टफोन के साथ होती है लेकिन कई बार वहीं से उसका केस, हेडफोन, कार चार्जर भी लोग खरीदने लगते है. जबकि ये चीजें इतनी जरूरी नहीं होती हैं कि आप एक दिन भी इनके बगैर नहीं रह सकते हैं. हकीकत ये है कि स्टोर से ये चीजें खरीदने पर काफी मंहगी पड़ती हैं.

इसलिए इस दीवाली आप स्मार्टफोन जरूर खरीदें लेकिन जरा सोच समझ कर.

अब गलती सुधारी जा चुकी है : मेघना गुलजार

आरुषि तलवार हत्याकांड पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए आरुषि के माता पिता को न सिर्फ बाइज्जत बरी कर दिया है, बल्कि सीबीआई और सीबीआई अदालत के निर्णय पर कड़ी टिप्पणी भी की है. अदालत के इस निर्णय से आरुषि हत्याकांड पर ‘तलवार’ नामक फिल्म बना चुकी मेघना गुलजार के साथ ही फिल्म से जुड़े सभी कलाकार काफी खुश हैं. ज्ञातब्य है कि मेघना गुलजार ने अपनी इस फिल्म में जांच को लेकर कई तरह के सवाल उठाए थे. मेघना गुलजार निजी जिंदगी में अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कविताएं भी लिखती हैं जिन्हे वह छपवाना पंसद नहीं करती. पेश है मेघना गुलजार से हुई बातचीत के अंश.

आपने आरुषि हत्याकांड पर उस वक्त फिल्म तलवार बनायी थी, जब आरुषि के माता पिता को सजा हो गयी थी और दोनों जेल में बंद थे. फिल्म तलवार बनाने के बाद आपने कहा था कि इस फिल्म के लिए अपनी तरफ से आपने काफी शोध कार्य किया है. अब जबकि इलहाबाद हाई कोर्ट ने आरुषि के माता पिता को बाइज्जत बरी किया है, तो आप क्या कहना चाहेंगी?

यह सुखद है. हम अदालत के आभारी हैं. हम कभी किसी मकसद के चलते फिल्म नहीं बनाते हैं. फिल्म ‘तलवार’ का अदालती निर्णय से कोई संबंध नहीं है. मगर इंवेस्टीगेशन के दौरान कई बातें आ रही थी. कई बार लगा कि कुछ तत्वों को लेकर भटकाया जा रहा है. वह सब हमने फिल्म में रखने की कोशिश की थी. हां! फिल्म बनाते समय हमें लगा था कि  इस केस में तमाम इंवेस्टीगेशन हुए. अदालती काररवाही हुई. इसके बावजूद कई सवाल ऐसे हैं, जिनके जवाब अभी तक मिलने बाकी हैं. मैंने उन सवालों को भी फिल्म में उठाया.

देखिए, उस वक्त हमें शोध कार्य करने पर जो कुछ सामग्री मिली थी, उसे ही हमने अपनी फिल्म में पेश किया था. एक इंसान जो इस केस से संबंधित जानकारी रखता हो और काफी बारीकी से इस पर काम किया हो, उस आधार पर यही कह सकती हूं कि सेशन कोर्ट से कुछ चीजें रह गयी थी. अब गलती सुधारी जा चुकी है. पर राजेश तलवार और नूपुर तलवार की जिंदगी में जो खालीपन आया है, उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती. उनकी अपनी बेटी जा चुकी है, उसे कोई लौटा नहीं सकता.

जब आपने इस पर फिल्म बनायी थी, तब यह आपके लिए कितनी बड़ी चुनौती रही थी?

यह मेरे लिए काफी बड़ी चुनौती थी. फिल्म को बनाने से पहले रिसर्च काफी तगड़ी करनी पड़ी. इस फिल्म को लेकर विशाल भारद्वाज और मैंने काफी मेहनत की. हर किसी को पता है कि विशाल भारद्वाज कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ते. हर काम परफेक्शन के साथ करते हैं. फिल्म में औथेंटीसिटी कायम रखने के लिए हमारी बड़ी अच्छी जुगल बंदी रही. काम आसान बिलकुल नहीं था. यह कोई डाक्यूमेंट्री फिल्म नहीं थी. हमने अपनी इस फिल्म में हर जांच प्रक्रिया पर नजर डाली थी. इसमें जांच कि जो दो ‘थियरी’ थीं, उन दोनों को चित्रित किया गया है. हमने किसी का भी पक्ष नहीं लिया. हर पक्ष को समान रूप से रखा है. जबकि ऐसा करना हमारे लिए आसान नहीं था पर हमारी फिल्म की नीयत सही रही. मैंने फिल्म में इंवेंस्टीगेशन के आस्पेक्ट को पूरी प्रमाणिकता के साथ पेश करने की कोशिश की थी. हमारी पूरी फिल्म सिर्फ इंवेस्टीगेशन पर रही. इस केस में जितने इंवेंस्टीगेशन हुए हैं, फिल्म ने उन सभी को पेश किया.

जब आप फिल्म बना रही थीं, तब आपकी निजी राय क्या थी?

कुछ नही. मैं अपनी निजी राय को लेकर फिल्म नहीं बनाती. मैंने फिल्म बनाने से पहले राजेश तलवार या नूपुर तलवार से मुलाकात भी नहीं की थी. मैंने फिल्म पूरी होने के बाद तलवार परिवार से जुड़े लोगों के फिल्म दिखायी जरूर थी, पर फिर उसमें कोई बदलाव नहीं किया था.

निजी जिंदगी में आप भी एक मां हैं. पर आपने फिल्म में मां का दृष्टिकोण नहीं रखा?

इसके पीछे हमारा मकसद इंवेस्टीगेशन की ‘थियरी’ को समानता के साथ दिखाना रहा. इसलिए हमने राजेश या नूपुर से मुलाकात नहीं की थी. हम किसी का पक्ष नहीं लेना चाहते थें. फिल्म में एक थियरी यह कहती है कि मां बाप ने अपनी बेटी को मार दिया. दूसरी थियरी कहती है कि कुछ नौकरों ने एक लड़की और एक नौकर को मार दिया. जब मैं इन दोनों थियरी को समान स्तर पर चित्रित कर रही थी, तो बीच में मां का दृष्टिकोण नहीं ला सकती थी. मुझे सिर्फ निर्देशक बनकर रहना पड़ा.

जब आप फिल्म बना रही थीं, तब आपको किस मुद्दे ने ज्यादा इंस्पायर किया था?

इस कांड पर हर टीम ने जो इंवेस्टीगेशन किया, वह अपनी जांच से जिस कदर कंविंस था, भले ही उनके पास उसके लिए सौ प्रतिषत सबूत रहे हों या ना रहे हों, इसी बात ने मुझे ज्यादा इंस्पायर किया.

रिसर्च के दौरान किन चीजों को आपने महत्व दिया था?

हमने करीबन चार हजार लेख इकट्ठा किए. समाचार चैनलों की फुटेज भी थी. इसके बावजूद हमने इस केस से जुड़े तमाम लोगों से बातचीत की. कथा को अंतिम रूप देते समय हमने हर पक्ष की हर बात पर गौर किया और काफी गहरायी के साथ इस बात को पेश किया.

आप हमेशा यथार्थ परक कथानक पर ही फिल्म निर्देशित करना पसंद करती हैं? इसकी कोई खास वजह?

देखिए, मैंने अब तक जो दो फिल्में बनायी हैं, उनमें से मेरी अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी कोई भी नहीं है. मैंने सबसे पहले ‘फिलहाल’ निर्देशित की थी, जो कि ‘सरोगसी मदर’ पर थी. उस वक्त तक मेरी शादी नहीं हुई थी. उसके बाद मैंने ‘जस्ट मैरिड’ बनायी, जो कि अरेंज मैरिज पर थी. पर मेरी लव मैरिज हुई. इसलिए मेरी किसी भी फिल्म में मेरी निजी जिंदगी का कोई भी हिस्सा नहीं होता. मेरी राय में हर फिल्मकार की अपनी निजी सोच होती है कि वह फिल्में किस वजह से बनाना चाहता है. वह ब्लौकबस्टर बनाना चाहता है या मनोरंजक या संदेश वाली या सोचने पर मजबूर करने वाली फिल्म बनाना चाहता है. मेरी हर फिल्म सोचने पर मजबूर करने के साथ साथ मनोरंजक होती है. मेरी संजीदगी हमेशा यही रही है कि मेरी फिल्म लोगों का मनोरंजन करे. बौक्स आफिस पर पैसा कमाए पर वह असामायिक ना हो. ऐसी फिल्म ना हो, जिससे कोई रिलेट ना कर सके.

सिनेमा के बदलाव पर आपकी राय?

अब अलग अलग विषयों और अलग अलग बजट वाली फिल्में बन रही हैं. नए नए फिल्मकार आ रहे हैं. नए कलाकार आ रहे हैं. अब वह जमाना लद गया, जब स्टार कलाकार के बिना फिल्म नहीं बन सकती थी. अब वह दिन गए, जब फिल्मी खानदान का ना होने पर, आप फिल्मों में अभिनय नहीं कर सकते थे. आधुनिक तकनीक के चलते फिल्म निर्माण का खर्च आधा हो गया है. अब दर्शक भी नए नए विषयों पर फिल्में देखना चाहते हैं. दर्शकों की कल्पना शक्ति भी तेजी से बढ़ी है. जिस तरह से दर्शक नए सिनेमा को हाथों हाथ ले रहा है, वह सकारात्मक है.

शौक रहा है?

जी हां! मैं कविताएं लिखती हूं. पर उन्हें छपने के लिए नहीं देती. क्योंकि कविताएं मेरी बहुत निजी होती हैं. मैं जब किसी घटनाक्रम या किसी बात से इमोशनली प्रभावित होती हूं, तभी कविता लिखती हूं यानी कि इन कविताओं में मेरा अपना इमोशन जुड़ा होता है. जब कोई चीज निजी इमोशन से जुड़ी होती है, तो उसकी बहुत निजी वजहें होती हैं, जिन्हें मैं छपाना नहीं चाहती. वह आम लोगों के लिए नहीं होती.

तब तो आप फिल्मों के लिए गीत भी लिख सकती हैं?

कभी नहीं. मैं पापा के इलाके में दखलंदाजी नहीं कर सकती. मैं पापा के इलाके में कदम रखने की हिम्मत कभी नही करूंगी. वह मुझसे कहते हैं, ‘तूने फिल्म बना ली. स्क्रिप्ट भी लिख ली. पर गाने लिखवाने के लिए तो मेरे पास आना होगा.’ तो मुझे यह रवायत कायम रखनी है. मैं हर बार गीत लिखवाने उन्हीं के पास जाना चाहती हूं.

वीडियो : दीवाली से पहले धोनी का बेटी जीवा पर ‘लड्डू अटैक’

‘कैप्टन कूल’ के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी सिर्फ कूल कप्तान ही नहीं बल्कि कूल डैडी भी हैं. दरअसल, धोनी इन दिनों अपने परिवार के साथ रांची में वक्त बिता रहे हैं. दीवाली के त्योहारी मौसम में धोनी ने अपनी बेटी जीवा के साथ ‘लड्डू अटैक’ का एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वो और जीवा एक-दूसरे से लड्डू खाने के लिए लड़ते दिख रहे हैं.

वीडियो में लड्डू धोनी के पास है और वह अपनी बेटी जीवा के साथ बेसन का लड्डू शेयर कर रहे हैं. आस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे और टी-20 सीरीज के खत्म होने के बाद अब भारतीय टीम अपने परिवार के साथ दीवाली मनाने की तैयारी कर रही है. टीम इंडिया का कार्यक्रम काफी व्यस्त रहता है ऐसे में परिवार और बच्चों के साथ वक्त बिताना क्रिकेटर्स के लिए काफी मुश्किल हो जाता है. लेकिन धोनी को जब भी वक्त मिलता है वह परिवार के साथ इसी तरह खुशियां बांटते हैं.

Attack on besan ka laddoo

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उससे पहले टीम इंडिया के पास करीब एक हफ्ते का ब्रेक टाइम है और धोनी भी इसी फेस्टिव सीजन का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं. पिछले दिनों धोनी का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह अपने पालतू कुत्ते का साथ खेलते नजर आ रहे थे.

धोनी ही क्यों उनकी बेटी जीवा को भारतीय क्रिकेट टीम के अन्य खिलाड़ियों का प्यार भी भरपूर मिलता है. विराट कोहली भी रांची टी-20 से पहले धोनी के घर जाकर जीवा से मिले थे. कोहली ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें वह जीवा को प्यार भरे लहजे में डराते नजर आ रहे हैं.

My reunion with Ziva. What a blessing it is to be around pure innocence ?❤

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आपको बता दें कि न्यूजीलैंड के खिलाफ 22 अक्टूबर से वनडे और टी-20 सीरीज का आगाज होना है. दोनों टीमें 3 वनडे और 3 टी20 मैच खेलेंगी.

बचना चाहते हैं गूगल ट्रैकिंग से तो अपनाएं ये तरीका

इंटरनेट और डिजिटल दुनिया में आपके हर कदम की निगरानी रखी जाती है. गूगल आपकी सभी जानकारियों को न सिर्फ ट्रैक करता है बल्कि वो इसका डेटा भी अपने पास सेव करके रखता है.

इसकी खास वजह यह है कि गूगल यूजर्स की पसंद को ट्रैक कर उन्हें उनके मुताबिक चीजों का विज्ञापन दिखाती है. अगर आप चाहते हैं कि इससे बचे तो चलिये जानते हैं प्रक्रिया.

गूगल को पता है हर ‘राज’
गूगल आपको ट्रैक कर आपके सभी राज जान लेता है. यह मामला पूरी तरह से कमर्शियल होता है. यानी गूगल आपकी जानकारियों को ट्रैक कर पैसे बनाती है. आपको बता दे कि, सर्च इंजन गूगल के रेवेन्यू में विज्ञापन का एक बड़ा हिस्सा है. इसलिए गूगल आपकी सर्च, वौयस सर्च, लोकेशन चेंजेज को गूगल ट्रैक कर अपने पास स्टोर करता है.

आपकी आवाज होती है रिकौर्ड
अगर आप गूगल में वौयस सर्च का इस्तेमाल करते हैं तो आपको बता दे कि गूगल इसकी भी जानकारी रखता है. गूगल आपके वौयस रिकौर्ड कर अपने पास स्टोर करता है. एक यूजर के रूप में आप इन सभी रिकौर्ड्स को ब्राउजिंग कर सुन सकते हैं. इसके लिए गूगल का कहना है कि वह अपनी भाषा और रेकग्निशन टूल्स को पहले से बेहतर बनाने के लिए वायर रिकौर्ड करती है. जिससे आपके सर्च रिजल्ट को और भी बेहतर बनाया जा सके.

लोकेशन ट्रैक करने से बचें
टेक्नोलौजी के बढ़ते दौर ने हमारे लिए कई चीजों को आसान बना दिया है. इसका फायदा उठाने के लिए हम कभी-कभी अपनी प्राइवेसी से भी समझौता कर लेते हैं. गूगल आपके सफर को तो आसान बनाता है लेकिन साथ ही आपकी हर लोकेशन को आसानी से ट्रैक भी कर लेता है. अगर आप चाहते हैं कि गूगल आपकी लोकेशन के बारे में न जान पाए तो इसके लिए आपको लोकेशन ट्रैकिंग से बचना चाहिए. इसके लिए अपने फोन की सेटिंग एप्लिकेशन में जाकर प्राइवेसी एंड सेफ्टी औप्शन पर जाएं. यहां आपको लोकेशन का एक विकल्प दिख रहा होगा उसे टर्न औफ कर दें. ऐसा करने से गूगल आपकी लोकेशन को ट्रैक नहीं कर पाएगा.

अपने रिकौर्ड्स को गूगल से करें डिलीट
इसके लिए गूगल के माय एक्टिविटी हिस्ट्री पेज पर आपको जाना होगा. यहां आपको रिकौर्डिंग की लंबी लिस्ट दिखाई देगी. यहां से आप स्पेशियलिटी औडियो पेज पर जा सकते हैं, जहां आपको अभी तक के सभी वौयस कमांड की डिटेल्स मिल जाएंगी. ध्यान रहे कि, गूगल ने जून 2015 में औडियो रिकौर्ड्स एक्सेसिंग फीचर को लौन्च किया था. अपने वौयस और वेब रिकौर्डिंग को स्टौप करने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप इन फाइल्स को डिलीट कर दें. आप किसी भी रिकौर्ड एंट्री पर मौजूद तीन डौट्स पर क्लिक करके उसे डिलीट कर सकते हैं.

अब यह घड़ी कराएगी आपको दिल्ली मेट्रो का सफर

दिल्ली मेट्रो में सफर करने के लिए आपको टोकन या फिर मेट्रो कार्ड की जरूरत होती है. लेकिन अगर मेट्रो में सफर के लिए आपको इनकी जरूरत ही न पड़े और आपका काम आपकी घड़ी कर दे तो कैसा रहेगा. आपने जेम्स बान्ड का नाम तो सुना ही होगा उनकी घड़ी तो कई काम करती है, पर हमारी घड़ी का क्या ?

वह तो सिर्फ हमें समय दिखाने और अलार्म बजाने का ही काम करती है. पर क्या आपको पता है कि अब बाजार में ऐसी घड़ी आने वाली है जो दिल्ली मेट्रो का सफर कराएगी. जी हां, हम मजाक नहीं कर रहें, यह सच है. वाच टू पे (Watch2Pay) की घड़ी बाजार में आई है, जो कम से कम दो काम जरूर करती है. पहला ये टाइम दिखाती है दूसरा मेट्रो में सफर कराती है.

वाच टू पे  एक कंपनी है जिसने भारत में दो रिस्ट वाच लौन्च किया है. इसकी खासियत ये है कि इसे मेट्रो कार्ड या टोकन की तरह यूज किया जा सकता हैं. इस घड़ी के दो वैरिएंट हैं एक मेटल है दूसरा नान मेटल. अब आप सोच रहे होंगे इसमें मेट्रो कार्ड कैसे लगाएंगे या इसमे मेट्रो टोकन कैसे लगेगा. तो इसके लिए इस घड़ी के साथ एक मेट्रो कार्ड भी दिया जाएगा. यह कार्ड सिम के साइज का है और इस घड़ी में एक स्लाट है. जिसमें इस कार्ड को लगाया जा सकता हैं. कार्ड पर मेट्रो कार्ड नंबj दर्ज है जिसके जरिए आप पेटीएम से मेट्रो कार्ड रिचार्ज करा सकते हैं. रिचार्ज कराने का तरीका वैसा ही है जैसे आम कार्ड को रिचार्ज कराते हैं.

इसे पहन कर आप मेट्रो स्टेशन पर जा सकते हैं. बस करना इतना ही की जहां कार्ड टच करते हैं अब आपको सिर्फ घड़ी टच कराना है और गेट खुल जाएगा.

पेटीएम माल से इसे खरीदा जा सकता है. जहां यह कीमत 2,999 रुपये से 9,545 रुपये तक की कीमत में मौजूद है और यह कुल मिला कर 14 डिजाइन्स में उपलब्ध है. इसके प्रीमियम वैरिएंट भी हैं जिनमें स्टेनलेस स्टील रोज और गोल्ड जैसे वैरिएंट्स शामिल हैं. नान मेटल घड़ियों में स्टील बकल के साथ सिलिकान के स्ट्रैप दिए गए हैं.

इस फिल्म में साथ नजर आएंगे अनिल और सोनम कपूर

अनिल कपूर और सोनम कपूर के फैन्स के लिए खुशखबरी है. फिल्मकार विधु विनोद चोपड़ा अनिल कपूर और सोनम कपूर की बाप-बेटी की जोड़ी को लेकर एक फिल्म बनाने जा रहे हैं. इस फिल्म का नाम अनिल कपूर की फिल्म ‘1942 लव स्टोरी’ के फेमस गाने की तर्ज पर ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ रखा गया है. सूत्रों के मुताबिक, इस फिल्म को विधु की बहन शेली चोपड़ा डायरेक्ट करेंगी.

इस बारे में बात करते हुए विधु विनोद चोपड़ा ने कहा, ‘यह एक बहुत बड़ी बात है. मैं इसे लेकर बहुत उत्साहित हूं. अनिल कपूर के साथ ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ में काम करके मजा आने वाला है. अनिल और सोनम दोनों इस फिल्म में काम कर रहे हैं. मैं इस पर जल्द ही काम करना शुरू करूंगा.’

आपको बता दें कि ‘1942 लव स्टोरी’ अनिल कपूर की बेहतरीन फिल्मों से एक है. वहीं इस फिल्म का गाना ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ काफी फेमस हुआ था. दिलचस्प बात ये हैं कि विधु विनोद चोपड़ा ने अनिल कपूर की फिल्म ‘परिंदा ‘और ‘1942 लव स्टोरी ‘ दोनों का निर्देशन किया है. हालांकि इस रोमांटिक गाने को रिलीज हुए 23 साल बीत चुके हैं लेकिन लोगों में इस गाने का क्रेज आज भी उतना ही है.

विधु विनोद चोपड़ा इस समय संजय दत्त की बायोपिक में काफी बिजी है. इस फिल्म में रणबीर कपूर मुख्य भूमिका में नजर आएंगे. ये फिल्म अगले साल मार्च में रिलीज होगी.

शाकिब बने इस कमेटी में शामिल होने वाले पहले बांग्लादेशी क्रिकेटर

बांग्‍लादेश के क्रिकेटर शाकिब अल हसन के नाम पर एक बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है.

जी हां, बांग्लादेश के स्टार आलराउंडर शाकिब अब एमसीसी विश्‍व क्रिकेट कमेटी में शामिल होने वाले पहले बांग्लादेशी क्रिकेटर बन गए हैं. शाकिब के अलावा सूजी बेट्स, इयान बिशप और कुमार धर्मसेना को भी इस कमेटी में शामिल किया गया है.

अपनी इस उपलब्धि पर शाकिब ने कहा, ‘मैं वास्तव में एमसीसी विश्‍व क्रिकेट कमेटी का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अपनी इस समिति के एक सदस्य के रूप चुना. मुझे यह सम्मान देने के लिए क्लब का बहुत बहुत शुक्रिया.’

एमसीसी की वेबसाइट पर कहा गया है, कि ‘मई में एमसीसी की वार्षिक आम बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार इंग्लैंड और मिडिलसेक्स के पूर्व कप्तान माइक गैटिंग कमेटी के नए अध्यक्ष होंगे.’ बता दें कि गैटिंग इससे पहले 2006 से 2012 तक वर्ल्ड क्रिकेट कमेटी के सदस्य रहे थे और अब वह इंग्लैंड के एक अन्य पूर्व कप्तान माइक ब्रेयरली की जगह लेंगे.

शाकिब को बांग्लादेश के बेहतरीन आलराउंडर खिलाड़ियों में से एक हैं. उन्होंने अब तक 51 टेस्ट और 177 वनडे खेले हैं. टेस्ट क्रिकेट में शाकिब 5 और वनडे में सात शतक जमा चुके हैं. टेस्ट मैचों में 188 विकेट लेने के अलावा 3594 रन बनाने का खिताब भी उन्हीं के नाम हैं. उन्होंने 59 टी-20 मैचों में बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व भी किया है.

दीवाली के मौके पर खरीद रहे हैं सोने के सिक्के तो ध्यान में रखें ये बातें

त्योहारी सीजन आ गया है और बाजार खरीदारी के लिए सज चुके हैं. आप में से कई लोग दीवाली के मौके पर सोने चांदी की खरीदारी करते होंगे. देश में सोना निवेश का एक सुरक्षित तरीका माना जाता है. लेकिन चांदी के बजाए लोग सोने के सिक्कों को खरीदने में ज्यादा अहमियत देते हैं, वो इसलिए क्योंकि आगे चलकर इनको अगर कोई बेचता है तो रिटर्न अच्छा मिलता है. हालांकि, इस चक्कर में आप कई गलतियां भी कर देते हैं. हम आज आपको बताने जा रहे हैं कि सोने के सिक्कों को खरीदने से पहले किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए.

सोने की शुद्धता

सोने की शुद्धता जानने के लिए दो मापदंड है कैरेट और फाइननेस. कैरेट का चलन सबसे ज्यादा है. 24 कैरेट शुद्ध सोने का मतलब है कि सोने के 24 में 24 पार्ट्स खरा सोना ही होंगे. 22 कैरेट सोने का अर्थ है कि 24 में 22 पार्ट्स ही सोना होंगे, जबकि बाकी 2 चांदी या जिंक हो सकते हैं.  फाइननेस ज्यादातर 24 कैरेट सोने की जांच के लिए इस्तेमाल की जाती है.

हौलमार्क

भारत सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की स्थापना की ताकि लोगों को अच्छी क्वालिटी का सामान मिले. सोने की खरीदारी में भी बीआईएस की भूमिका काफी अहम होती है क्योंकि सिक्कों या गहनों की शुद्धता के लिए इसकी मुहर अनिवार्य है.

सोने की खरीद के दौरान पांच निशान अहम होते हैं. इसमें बीआईएस की मुहर, शुद्धता का नंबर (22 कैरेट के लिए यह 916 है), परख और हौलमार्क सेंटर का चिह्न, बनावट का साल और ज्वेलर का पहचान चिह्न जरूरी है.

पैकेजिंग

सोने के सिक्के टेम्पर प्रूफ पैकेजिंग में आते हैं. कई ज्वेलर्स खरीदारों को सुझाव देते हैं कि इस पैकेजिंग के साथ छेड़छाड़ न की जाए या इसे न फाड़ा जाए, ताकि इसे आसानी से बेचा जा सके. इस पैकेजिंग को भी सोने की शुद्धता ता सबूत माना जाता है.

मार्केट चार्ज

सोने के सिक्के की खरीदारी गहनों से आसान है. इसमें घढ़ाई की कीमत काफी कम होती है. सोने के सिक्कों पर 4 से 11 फीसदी तक का चार्ज लिया जाता है. वहीं गहनों पर यह चार्ज 8 से 10 फीसदी शुरू होता है और कारीगरी के हिसाब से बढ़ता जाता है.

मूल्यवर्ग

बाजार में सोने के सिक्के 0.5 ग्राम से लेकर 50 ग्राम तक के वजन में उपलब्ध होते हैं. आप अपने बजट के हिसाब से खरीददारी कर सकते हैं.

कहां करें खरीदारी

लोकल ज्वैलर के अलावा सोने के सिक्के बैंक, स्टौक होल्डिंग कैर्पोरेशन औफ इंडिया, एमएमटीसी और नौन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों से भी खरीदे जा सकते हैं.

अनुष्का को प्यार से इस नाम से बुलाते हैं विराट

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा का प्यार फिलहाल क्रिकेट जगत का सबसे चर्चित अफेयर बना हुआ है. यह जोड़ी हमेशा सुर्खियों में बनी रहती है, फिर चाहे बात किसी विज्ञापन में शूटिंग की हो या फिर विदेश में दोनों का एकसाथ घूमना.

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा का रिश्ता अब किसी से छिपा नहीं है. अनुष्का की तारीफ करने का कोई भी मौका विराट नहीं छोड़ते. हाल ही में विराट ने एक स्पेशल शो की शूटिंग की थी, जिसका प्रसारण दीवाली के मौके पर टीवी के एक एंटरटेनमेंट चैनल पर किया जाएगा.

विराट दीवाली पर आमिर खान के चैट शो पर नजर आएंगे. यह पहली बार होगा जब बौलीवुड और क्रिकेट के सुपरस्टार आमिर खान और विराट कोहली एकसाथ मंच साझा करेंगे. यह शो 15 अक्टूबर को प्रसारित होगा. शो में विराट ने अपनी निजी जिंदगी और अनुष्का शर्मा के बारे में कई खुलासे किए हैं.

बताया जा रहा है कि इस बातचीत में विराट ने अनुष्का के बारे में भी काफी सारी बातें कहीं और उसी दौरान अनुष्का की तारीफ करते हुए बातों ही बातों में उनके मुंह से अनुष्का का वह निकनेम भी जगजाहिर हो गया, जिस नाम से वह अनुष्का को बुलाते हैं. अनुष्का के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विराट ने अनुष्का की तारीफ करते हुए कहा, ‘नुष्की बहुत ईमानदार है.’

विराट के इस बयान ने अचानक सभी का ध्यान खींचा. विराट के इस बयान से यह साफ जाहिर हो जाता है कि अनुष्का उनके लिए कितनी खास है और वह प्यार से उन्हें क्या कहकर बुलाते होंगे, वरना अचानक उनके मुंह से अनुष्का के बजाय यह नाम कैसे निकलता!

बरहाल, यह ‘नुष्की’ कौन है, इसका पूरा खुलासा तो शो के प्रसारण के बाद ही होगा. इस शो में विराट की बातचीत का एक छोटा सा वीडियो भी पिछले दिनों जारी किया गया है. दीवाली का हर्षोल्लास और बढ़ाने के लिए ये दोनों अपनी निजी जिंदगी के कई राज भी एक-दूसरे के साथ शेयर करेंगे. इस शो में विराट भांगड़ा करेंगे, मगर दर्शकों में सबसे ज्यादा उत्सुकता अब यही जानने की है कि अनुष्का के बारे में विराट ने क्या-क्या कहा.

अगले साल रिलीज होगी सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित फिल्म ‘मंटो’

बौलीवुड एक्ट्रेस नंदिता दास अपनी आगामी फिल्म ‘मंटो’ की शूटिंग पूरी कर चुकी हैं. यह फिल्म मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो के जीवन पर आधारित है. बताया जा रहा है कि यह फिल्म अगले साल 2018 के मध्य तक रिलीज हो जाएगी. इस फिल्म में आपको नवाजुद्दीन सिद्दीकी और रजनीश दुग्गल की शानदार एक्टिंग भी देखने को मिलेगी.

नंदिता जब जियो मामी 29वें मुंबई फिल्म महोत्सव के उद्घाटन समारोह में पहुंची, तो वहां उनसे पूछा गया कि ‘मंटो’ में फिल्माये गये अपने किरदार से वह कितना खुश हैं? तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “अगर आप किसी निर्देशक से पूछेंगे कि फिल्म की शूटिंग करने के बाद वह कितना खुश है तो उनके लिए इस सवाल का जवाब देना काफी मुश्किल है, लेकिन मैं बस इतना ही कहूंगी, यह बेहद खराब नहीं हो सकता. जब आप पोस्ट-प्रोडक्शन में होते हैं, तो उस समय यह सिर्फ बेहतर ही हो सकता है.

नवाजुद्दीन और रजनीश दुग्गल के साथ अपने काम करने का अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा कि दोनों बेहतरीन कलाकार और बेहद अच्छे इंसान हैं. मुझे लगता है, मैं सौभाग्यशाली हूं जो मुझे इन उम्दा कलाकारों और क्रू मेम्बरों के साथ काम करने और सीखने का मौका मिला.

नंदिता ने कहा, “यह मेरे लिए एक बेहद ही शानदार अविश्वसनीय सफर रहा है, जिसका कई विश्वसनीय लोग हिस्सा रहे हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि अगले साल सआदत हसन मंटो के जीवन पर बनी फिल्म ‘मंटो’ सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो जाएगी.

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