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अयोध्या में दीवाली आयोजन के बाद वायरल हुई सीता की हौट फोटो

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या में दीवाली पूजन के समय जिन राम, सीता और लक्ष्मण की आरती उतारी, वह दिल्ली के युवा मौडल थे. आयोजन से केवल 4 दिन पहले उनको यह बताया गया कि उनको राम, सीता और लक्ष्मण के किरदार निभाने हैं.

मौडलिंग और फिल्मों की अपनी अलग दुनिया होती है. कई तरह की पार्टी और फोटो शूट भी होते हैं. सीता बनी आंचल घई के हौट फोटो मीडिया में वायरल हो रहे हैं.

इनमें कुछ कम कपडों में हैं, तो एक फोटो में सीता का किरदार निभाने वाली आंचल कोई ड्रिंक हाथ में लिये हुये हैं.

सोशल मीडिया पर इन फोटो को अयोध्या के आयोजन की खबर और फोटो के साथ ट्रेंड किया गया है. असल में उत्तर प्रदेश की सरकार ने दीवाली में इन कलाकारों को राम, सीता और लक्ष्मण के पहनावे में हेलीकाप्टर से अयोध्या में उतारा. सरकार के द्वारा एक नाटकीय रूपातंरण किया गया. जिस तरह दीवाली की कहानियों में राम सीता और लक्ष्मण पुष्पक विमान से लंका विजय के बाद अयोध्या आये थे तो अयोध्या में रहने वालों ने उनकी आरती उतारी और दीपों से अयोध्या को सजाया था.

राम, सीता और लक्ष्मण बने हेमंत, आंचल और विक्रांत ठाकुर हेलीकाप्टर से राम सीता और लक्ष्मण की पूरी पोशाक में उसी वेशभूषा में अयोध्या में उतरे तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल राम नाइक ने उनका स्वागत किया. मुख्यमंत्री ने तो राम का स्वागत अयोध्या के महाराज के रूप में किया. दिल्ली के रहने वाले 20 साल के हेमंत ने राम का किरदार निभाया. अपने किरदार के बारे में हेमंत ने बताया कि 4 दिन पहले उनको इस बात का पता चला. इसके बाद रामायण सीरियल को देखकर इसकी पूरी तैयार की. सबसे खास बात राम की तरह छाती चौडी करके चलना, चेहरे का भाव, ज्वेलरी और धनुष को लेकर चलना था.

लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले 25 साल के विक्रांत ठाकुर उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर के रहने वाले हैं. उन्होंने कुछ मराठी फिल्में भी की हैं. विक्रांत ने यूटयूब पर रामायण को देखकर अपने किरादार की तैयारी की. विक्रांत ने कहा कि राम और सीता पूरी तरह से भगवान लग रहे थे. उनके साथ खुद को देखकर रोमांच सा हो रहा था. विक्रांत इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हैं.

सीता बनने वाली आंचल घई 22 साल की हैं. वह 2 साल से दिल्ली में मौडलिंग कर रही हैं. 4 दिन में सीता के पूरे किरदार को निभाने का रिहर्सल किया. रोज 8 से 10 घंटे मेहनत की. वैसे उनको कुछ बोलना नहीं था पर सीता की तरह से दिखना, चलना, उनके कपड़े पहनना सब बड़ा मुश्किल काम था. आंचल ने बताया कि जब मुख्यमंत्री और राज्यपाल सहित कई लोग उनकी आरती उतार रहे थे तो काफी अलग अनुभव हो रहा था.

सीता बनी आंचल की फोटो को लेकर लोग तरह तरह के कमेंट भी कर रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इसके पहले रामायण में सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका के कुछ फोटो भी आये थे. जिनपर हंगामा हुआ था. असल में इस तरह का किरदार निभाने वालों को लोग धार्मिक अवतार समझ लेते हैं. ऐसे में जब इन किरदारों को निभाने वालों के ऐसे वैसे फोटो सामने आते हैं तो पूरा हंगामा हो जाता है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने जिस तरह से अयोध्या के आयोजन को धार्मिक रंग दिया. उससे प्रदेश की जनता इन कलाकारों को अपना आदर्श समझ बैठी थी. जब सीता का किरदार निभाने वाली आंचल के हौट फोटो वायरल हुये तो जनता भौचक्की रह गई.

आमतौर पर ऐसे किरदारों को निभाने वाले कलाकार रंगमंच और रामलीला से जुड़े होते हैं. अयोध्या में दीवाली पूजन का पूरा कार्यक्रम बहुत भव्य और प्रोफेशनल तरीके से तैयार किया गया था, इसलिये इसमें रामलीला की जगह पर मौडलिंग और एक्टिंग करने वाले कलाकारों को लिया गया. यह कलाकार देखने में रामलीला के  कलाकारों से अधिक सुदंर दिखते हैं. आज मीडिया के इस दौर में फोटो में अच्छा दिखना भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. अब सीता बनी आंचल के पुराने फोटो सामने आने से एक हंगामा सा हो गया. इससे यह भी पता चल गया कि अयोध्या के आयोजन को खास बनाने के लिये हर तरह से परफेक्ट काम किया गया.

धोनी की बेटी जीवा ने गाया मलयाली गाना, लोगों ने कहा वाह…

टीम इंडिया के धुरंधर खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की बेटी जीवा क्यूट स्टार किड्स में शुमार है. तभी तो उनकी तस्वीरें और वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर धूम मचाती रहती हैं.

धोनी और उनकी पत्नी साक्षी सोशल मीडिया पर जीवा की तस्वीर शेयर करते रहते हैं. हाल ही में जीवा का 36 सेकेंड का शानदार वीडियो वायरल हुआ है. जिसमें जीवा क्यूट एक्सप्रेशन के साथ मलयाली गाना गाती हुए नजर आ रही हैं.

लेकिन जहां कुछ लोगों द्वारा इस वीडियो पसंद किया गया, किसी ने उनकी तारिफ की, किसी ने कहा वाह…तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस वीडियो पर सवालिया निशान लगाया.

सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि जीवा इतनी छोटी है, फिर भी उन्होंने मलयाली भाषा के गाने को इतनी आसानी से गा लिया, जबकि ये भाषा बहुत कठिन है. लोग जानना चाहते हैं कि आखिर जीवा ने कैसे मलयाली सीखी.

मालूम हो कि जीवा का खुद का इंस्टाग्राम अकाउंट भी है. यह अकाउंट उनके पापा धोनी ने बनाया है. इस अकाउंट में आपको जीवा की कई सारी तस्वीरें देखने को मिलेगी.

धोनी और साक्षी के लिए जीवा बहुत ही स्पेशल है.  बता दें कि उनकी बेटी जीवा का जन्म 6 फरवरी 2015 को हुआ था. अपनी बेटी जीवा के जन्म के समय धोनी घर पर नहीं थे, जिसकी वजह से साक्षी को जीवा को जन्म की खबर अपने पति से पहले सुरेश रैना को देनी पड़ी थी. दरअसल धोनी उस समय भारतीय क्रिकेट टीम के साथ थे और साल 2015 में होने वाले विश्व कप की तैयारियां कर रहे थे. प्रैक्टिस करते वक्त उनका दिमाग डाइवर्ट न हो जाए इसलिए वह अपने पास मोबाइल नहीं रखते थे. इसलिए जब जीवा का जन्म हुआ तब साक्षी ने इसकी जानकारी सुरेश रौना को फोन पर दी, फिर रैना ने ये खुशखबरी जा कर धोनी को बताई थी.

जियो का दूसरी कंपनी के यूजर्स भी बिना नंबर बदले ले सकते हैं मजा

रिलायंस जियो अपने ग्राहको की सुविधा को ध्यान मे रखते हुए और उनको राहत देने के लिए के लिए नए नए आफर्स और स्किम लेकर आती रहती है. लेकिन अगर आप किसी अन्य कम्पनी का नंबर प्रयोग करते हैं और रिलायंस जियो की अनलिमिटेड इंटरनेट सेवाओं का मजा लेना चाहते हैं तो ये खबर आपको लिए है. जी हां हम बिल्कुल भी मजाक नहीं कर रहे हैं, ये सच है कि आप अपने मोबाइल नंबर को बिना बदले रिलायंस जियो की सेवाओं का फायदा उठा सकते हैं क्योंकि अब जियो भी आपको नंबर पोर्टिब्लिटी की सुविधा दें रहा है.

जियो की सेवाओं का लाभ लेने के लिए अब आपको सिर्फ एक छोटा सा काम करना होगा. इसके लिए आपको मोबाइल नंबर पोर्टिब्लिटी (MNP) का इस्तेमाल करना होगा. इसकी मदद से आप कंपनी या जगह बदलने के बावजूद भी अपने पुराने नंबर को चालू रख सकते हैं. हो सकता है कि पोर्ट करवाने के दौरान आपका नंबर दो-तीन घंटे के लिए काम न करे, लेकिन कुछ घण्टों बाद ही आपकी सेवा को पुन: शुरू कर दिया जाएगा.

क्या है एमएनपी सेवा

बता दें कि एमएनपी सेवा की मदद से देशभर के किसी भी कंपनी के यूजर किसी भी कंपनी को चुन सकते हैं और अपना नंबर बदले बिना जियो की अनलिमिटेड सेवाओं का मजा ले सकते हैं.

ऐसे कराएं MNP

सबसे पहले आपको अपने मौजूदा टेलीकाम आपरेटर को नंबर पोर्ट कराने की जानकारी देनी होगी. जानकारी देने के लिए आपको PORT लिखकर 1900 पर मैसेज करना होगा. इसके जवाब में आपको 1901 नंबर से यूनीक पोर्टिंग कोड मिलेगा. जिसकी वैधता 15 दिन की होगी. अब किसी रिलायंस मोबाइल स्टोर या रिटेलर के पास जाएं. यहां पर कस्टमर एप्लिकेशन फार्म भरने के दौरान पोर्टिंग कोड डाले और इसके साथ जरूरी कागजात (आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और एक पासपोर्ट फोटो की कापी) जमा करवाएं.

इन सभी प्रक्रियाओं को अपनाकर आप आसानी से अपना नंबर पौट करा सकते हैं और जियो की सभी सेवाओं को लाभ ले सकते हैं.

अब आप भी बुक कर सकते हैं उबर के 6 सीटर कैब

औन-डिमांड राइड शेयरिंग कंपनी ऊबर ने दिल्ली में उबर हायर एक्सएल सेवा को लौन्च किया. उबर हायर एक्सएल अधिकतम 6 राइडर को एक साथ यात्रा करने और पूरे दिन की ट्रिप के लिए कैब बुक करने की सुविधा देगा.

कंपनी की तरफ से कहा गया कि उबर हायर एक्सएल एक टाइम-बेस्ड सर्विस है, जो राइडर्स को औन-डिमांड उपलब्ध होगी और उन्हें ट्रिप का किफायती, सहज एवं भरोसेमंद विकल्प प्रदान करेगी. इस सेवा के साथ राइडर्स ट्रिप की अपनी सभी जरूरतों के लिए दिन हो या रात, 6 सीटर कैब बुक कर सकते हैं.

बयान में कहा गया कि उबर हायर एक्सएल शादियों के लिए शहर में शौपिंग करने तथा पूरे परिवार को विवाह स्थल तक लाने ले जाने के लिए बेहतरीन साधन प्रदान करता है. वो कैब बुक करके शौपिंग का या फिर एनसीआर में लंबी ट्रिप का आनंद ले सकते हैं.

उबर के महाप्रबंधक (उत्तरी भारत) प्रभजीत सिंह ने कहा, ‘राजधानी में पर्यटकों की भारी भीड़ के साथ ऊबर का लक्ष्य दिन के हर घंटे भरोसेमंद राइड प्रदान करना है, ताकि राजधानी में जन परिवहन सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिले. उबरहायर एक्सएल बड़े परिवारों को शॉपिंग के लिए तथा विवाह स्थल तक लाने ले जाने के लिए बेहतरीन समाधान प्रदान करता है.’

उन्होंने कहा कि राइडर्स यह सेवा अधिकतम 8 घंटों के लिए 359 रुपये के न्यूनतम किराए के साथ बुक कर सकते हैं. यह किराया उन्हें नकद देना होगा और 1 घंटे या 10 किमी तक के लिए वैध होगा.

मैं 10 वर्षों से मैं मूत्र असंयम से परेशान हूं. छींकने, खांसने और हंसने पर पेशाब निकल जाता है. इसे कैसे ठीक करूं.

सवाल
मैं 27 वर्षीय गृहिणी हूं. 10 वर्षों से मैं मूत्र असंयम से परेशान हूं. छींकने, खांसने और हंसने पर पेशाब निकल जाता है. 2 बार यूरोडायनैमिक जांच करवा चुकी हूं. 3 महीने पहले जांच में पता चला कि गौल ब्लैडर की मूत्रधारण क्षमता केवल 22 एमएल है. दवा ले रही हूं, लेकिन अभी भी पेशाब रोकना मुश्किल हो जाता है. मैं अपने मूत्र असंयम को कैसे ठीक कर सकती हूं?

जवाब
आप के विवरण से लगता है आप बेहद कम धारण क्षमता वाले गौल ब्लैडर के साथसाथ मिश्रित मूत्र असंयम से पीडि़त हैं. मैं मानती हूं कि आप कोई ऐंटीकोलिनर्जिक दवा ले रही होंगी, जो काम नहीं कर रही है. समस्या के विस्तृत विश्लेषण, जांच, पेशाब की जांच, सिस्टोस्कोपी और अन्य परीक्षणों के लिए किसी मूत्र विशेषज्ञ से परामर्श करें. इस प्रकार के कम धारण क्षमता वाले गौल ब्लैडर के मामले में टीबी जैसे पुराने संक्रमण के बारे में भी निश्चिंत हो जाना जरूरी है.

खुशखबरी : एसबीआई ने पैसे ट्रांसफर करने वाले ग्राहकों को दी बड़ी राहत

यदि आप स्टेट बैंक आफ इंडिया (SBI) के ग्राहक हैं और अगर आप आनलाइन पैसे ट्रांसफर करने के लिए IMPS विकल्प का इस्तेमाल करते हैं, तो बैंक आपको बड़ी राहत देने वाली है.

जी हां, बैंक ने अपने ग्राहको का खयाल रखते हुए और उनकी सुविधा को देखते हुए एक बड़े कदम का एलान किया है.आपको बता दें कि आपके द्वारा आईएमपीएस (IMPS) के विकल्प द्वारा आनलाइन पैसे ट्रांसफर करने पर अब बैंक आपसे 80 फीसदी कम चार्ज लेगी.

इसका मतलब यह हुआ कि आप वर्तमान में पैसे ट्रांसफर करने के लिए जितना चार्ज बैंक को दिया करते थे अब आपको उससे 80 फीसदी कम चार्ज देना होगा.

क्या है आईएमपीएस (IMPS)

आईएमपीएस एक त्वरित अंतरबैंकिंग इलेक्ट्रानिक कोष हस्तांतरण सेवा है. इसका उपयोग मोबाइल फोन और इंटरनेट बैंकिंग दोनों माध्यम से किया जा सकता है.

वैसे हम आपको बताते चले कि एसबीआई 1001 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक के आईएमपीएस पर 5 रुपये +जीएसटी और 1 लाख 1 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक के आईएमपीएस पर 15 रुपये +जीएसटी वसूलता है.

जान लें ये 4 नियम जो बदल चुके हैं

स्टेट बैंक आफ इंडिया ने अपने ग्राहकों को राहत देते हुए सेविंग्स अकाउंट के लिए न्यूनतम बैलेंस घटा दिया है जोकि अक्टूबर से लागू भी हो चुका है. पहले यह न्यूनतम बैलेंस 5,000 रुपए था, जिसे अब 3,000 रुपये कर दिया गया है.

बैंक ने जुलाई में 1,000 रुपये तक के आईएमपीएस (तत्काल भुगतान सेवा) हस्तांतरण पर शुल्क समाप्त कर दिया था. ऐसा उसने छोटे डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया था. इससे पहले स्टेट बैंक 1,000 रुपये तक के आईएमपीएस लेनदेन पर देय सेवाकर के साथ प्रति लेनदेन 5 रुपये का शुल्क वसूल रहा था.

नौकरियों की कमी ला सकती है बहुत बड़ा तूफान

नौकरियों की कमी आने वाले सालों में एक बहुत बड़ा तूफान ला सकती है. देश में नए जवानों की गिनती तो तेजी से बढ़ रही है, पर नौकरियों की किल्लत भी बढ़ रही है. सरकार पहले लोगों से टैक्स लगा कर मिले पैसे से सरकारी नौकरियां दे कर कुछ को खुश रखती थी, पर अब टैक्स से आने वाला पैसा कम होने लगा है.

रेलवे ने चाहे कहा है कि वह एक लाख नौकरियां देगी, पर यह वादा है काले धन के 15 लाख रुपए खाते में जमा करने की तरह का. रेलों का देश में जो हाल है, उस से लगता नहीं कि नई नौकरियों की गुंजाइश है. वैसे भी जो जवान नौकरियों को लिए खड़े हैं, वे ज्यादातर चाहे पढ़लिख लें, पर कुशल हरगिज नहीं हैं. ज्यादातर नकल मार कर सर्टिफिकेट लिए घूम रहे हैं.

शहरों में पहले छोटेमोटे काम मिल जाते थे, पर लगता है कि जीएसटी की मार की वजह से छोटे कारखाने व छोटे व्यापारियों का काम ठप हो जाएगा और वे जो कम कुशल लोगों को नौकरी दे सकते थे, अब नहीं दे सकेंगे. खेतों में काम के मौके कम हो रहे हैं, क्योंकि वहां टै्रक्टर और मशीनों से काम होने लगा है. फिर वह काम 12 महीनों नहीं चलता. सेना भी अपने सैनिकों को कम करने वाली है.

नए जवान लड़कों की गिनती सरकार के लिए सिर्फ आंकड़ा भर है, क्योंकि सरकार को तो गौरक्षा, संस्कृति, राष्ट्रवाद, धर्म की ज्यादा पड़ी है. सरकार का आधा ध्यान तो टैक्सों को जमा करने के नएनए तरीकों पर लगा है. वह नए धंधे तैयार करने पर सोच ही नहीं रही है.

सिर्फ यह कहने से कि देश की कुल आय 6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है, काफी नहीं है, क्योंकि इस आय में बरबाद होने वाले कामों पर लगा पैसा भी शामिल है.

भारत में बेरोजगारी की हालत अभी इसलिए बहुत बुरी नहीं दिख रही, क्योंकि लोगों को अभी भी बहुत कम में गुजारा चलाने की आदत है. आप किसी बाजार, महल्ले, गांव, गली, खेत, फैक्टरी में चले जाएं, आप को खाली बैठे लोग नजर आ जाएंगे, जो वैसे बेरोजगार नहीं हैं. उन्हें कुछ वेतन मिलता है, पर चूंकि काम नहीं है, तो वही वेतन बहुत होता है. वे असल में देश व घर पर बोझ हैं.

यह सरकार कर सकती है कि देश में बेरोजगारी न हो. इस देश की जमीन ऐसी है कि वह हर हाथ को काम दे सकती है, पर यहां बरबादी और काम रोकने का रिवाज बना हुआ है. हर जना दूसरे का काम रोकता है और हर जना समय बरबाद कर रहा है. लोगों का अरबोंखरबों का काम हर साल बेकार में जाता है. धर्म तो इस बरबादी का सब से बड़ा नमूना है, जिस पर लोग, सरकार और समाज जीभर कर पैसा देते हैं और निठल्लों को पालते हैं.

अगर बेरोजगारों को किसी ने एक झंडे के नीचे खड़ा कर लिया, तो हर दल की मुसीबत हो जाएगी, यह पक्का है. और यह भी पक्का है चाहे सरकार बदल जाए, नई नौकरियां नहीं निकलेंगी.

पाकिस्तान में फिर तूल पकड़ेगा राजनीतिक हलकों में भ्रष्टाचार का मामला

कराची में सिंध हाईकोर्ट के बाहर अजीबोगरीब नजारा दिखा, जब नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो के लोग सिंध के भूतपूर्व सूचना मंत्री शरजील मेमन की धर-पकड़ में मशक्कत करते दिखाई दिए और यह सब टीवी पर फ्लैश होता रहा. पीपीपी नेता मेमन को 11 अन्य लोगों के साथ सार्वजनिक निधियों में पांच अरब के घोटाले में गिरफ्तार किया गया है. इस हाई प्रोफाइल गिरफ्तारी ने जवाबदेही तय किए जाने के मामलों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है. माना जा रहा है कि इससे राजनीतिक हलकों में भ्रष्टाचार का मामला एक बार फिर तूल पकड़ेगा.

पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो ने इस मामले में कानून के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया है. हालांकि ऐसे आरोपों पर सवाल करने की पूरी गुंजाइश है. सवाल उठता है कि अपनी सुविधा से मामलों की गंभीरता और उन पर कार्रवाई को अलग करके आंकना कितना उचित है? तब तो और भी नहीं, जब नेशनल काउंटबिलिटी ब्यूरो का प्रमुख आम सहमति से चुना गया हो और इस सहमति में पीपीपी भी साझीदार हो. उचित तो यही होगा कि पीपीपी इस मामले की जांच प्रक्रिया में सहयोग करे और मेमन सहित अन्य अभियुक्त खुद को अदालत में बेगुनाह साबित करें. ऐसे समय में, जब भ्रष्टाचार के मामले में देश की छवि पूरे विश्व में बहुत ज्यादा खराब हो, पाकिस्तान की प्रगति के लिए देश में जवाबदेही तय होना अब बहुत जरूरी है.

सार्वजनिक क्षेत्र में आर्थिक भ्रष्टाचार विकास में बाधक होता है और इससे जनता का भी सिस्टम पर भरोसा टूटता है. सच तो यह है कि पारदर्शिता का दूसरा कोई विकल्प नहीं और घूसखोरी-दलाली खत्म करने का यही पहला और प्रमुख जरिया है.

दुर्भाग्य से पाकिस्तान में भ्रष्टाचार विरोधी हर प्रयास का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने में होता आया है. पार्टियां इसे पालती-पोसती रही हैं. निर्वाचित लोगों को तो खुद को सार्वजनिक जांच के लिए हमेशा प्रस्तुत रखना चाहिए, खासकर जहां मामला वित्तीय अराजकता का हो. यह सही है कि जवाबदेही का मामला सिर्फ सियासी दलों तक नहीं, सेना, नौकरशाही न्यायपालिका सहित तमाम सरकारी संस्थाओं तक भी आना चाहिए.

अतिथि शिक्षकों पर एलजी और दिल्ली सरकार के बीच ठनी

अतिथि शिक्षकों के मामले पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल में टकराव बढ़ गया है. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पत्र के जवाब में बैजल ने कहा कि ‘आप’ सरकार अतिथि शिक्षकों की भर्ती और उन्हें पक्का किए जाने पर सिर्फ दिखावा कर रही है. सरकार ने मामले में दो महीने से कोई सार्थक कदम नहीं उठाए हैं.

बैजल ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस बाबत विधि विभाग से परामर्श करने की सलाह भी दी थी, लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गई. उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने अपने पत्र में बैजल से अतिथि शिक्षकों से संबंधित विधेयक को पास करने की गुहार लगाई है.

इस पर उपराज्यपाल ने कहा कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस ऑफ दि गवर्मेट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरीटरी रुल्स, 1993 के तहत विधेयक को अपेक्षित प्रतिवेदनों सहित उनके सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिए यह कहना गलत है कि विधेयक उपराज्यपाल के पास लंबित है.

‘विधेयक असंवैधानिक’

बैजल ने कहा कि विधेयक को पेश करने के फैसले पर पुनर्विचार करने के बारे में दी गई सलाह के बावजूद बिल को विधानसभा में पारित किया गया, जबकि उक्त विधेयक संवैधानिक नहीं था. उन्होंने दिल्ली सरकार को नसीहत दी कि इस समस्या का निवारण केवल कानून, नियम व प्रक्रियाओं का पालन करके ही किया जा सकता है. सार्वजनिक दिखावे से यह संभव नहीं है. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बताया कि मामले में 10 अगस्त, 14 सितंबर व 26 सितंबर को सरकार को सलाह भेजी गई थी. दो महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अब तक इस पर अमल नहीं हुआ.

मुख्य सचिव ने विधेयक नहीं दिखाया : मनीष

उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उप राज्यपाल को लिखे पत्र में मांग की कि अतिथि शिक्षकों से संबंधित विधेयक को मंजूरी दी जाए, जिससे इन्हें राहत मिल सके. सिसोदिया ने लिखा है कि उक्त विधेयक मुख्य सचिव के माध्यम से उप राज्यपाल को भेजा गया है. मुख्य सचिव ने इस विधेयक को कानून व शिक्षा मंत्री की दिखाया ही नहीं. अतिथि शिक्षकों की समस्या का रास्ता निकाले बिना ही उक्त विधेयक राजनिवास भेज दिया गया. जब उन्होंने संबंधित विभाग से जानकारी मांगी तो उन्हें बताया गया कि उक्त फाइल को नहीं दिखाए जाने के आदेश जारी किए गए हैं.

‘सरकार की प्राथमिकता में शामिल है शिक्षा’

एलजी को भेजे पत्र में सिसोदिया ने लिखा है कि दिल्ली में शिक्षा सरकार की प्राथमिकता रही है. इस पर काम करते हुए शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं. एलजी को लिखे पत्र में कहा गया है कि सरकार ने बीते वर्षो में जो काम किया है, उसे बर्बाद न करें. मामले में निर्णय का असर केवल 15 हजार अतिथि शिक्षकों पर नहीं, बल्कि सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 16 लाख बच्चों के भविष्य पर भी होगा.

‘आप’ की याचिका पर कोर्ट ने आश्चर्य जताया

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सरकार की उस याचिका पर आश्चर्य जताया, जिसमें अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक हटाने की मांग की गई थी. हाईकोर्ट ने कहा कि मामले पर तस्वीर साफ नहीं है, जो कुछ भी हो रहा है, वह अजीब है. जस्टिस एकके चावला की पीठ ने कहा कि हमें इस बात पर हैरानी है कि दिल्ली सरकार आखिर उस रास्ते पर क्यों जाना चाहती है. वह अभी भी अपने तरीके से चलना चाहते हैं, चाहे वह कानून सम्मत हो या नहीं. सरकार की याचिका में अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और वर्ष 2010 के बाद स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों की पदोन्नति पर 27 सितंबर को लगाई गई रोक हटाने की मांग की गई है. अगली सुनवाई 9 को होगी.

कभी नहीं मिला इन बौलर्स को वो ओहदा जिसके वो हकदार थे

दुनिया में जब भी स्पिन गेंदबाजों का नाम लिया जाता है तो मुथैया मुरलीधरन, शेन वौर्न या अनिल कुंबले का जिक्र होता है. लेकिन कई ऐसे स्पिन गेंदबाज भी थे, जिनकी अंगुलियों में गेंद को टर्न कराने की गजब की क्षमता होते हुए भी वह ओहदा नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे.

आज बात करेंगे ऐसे ही खिलाड़ियों की, जिन्होंने टीम को कई बार मुश्किलों से उबारा, लेकिन क्रिकेट इतिहास में उनका नाम सुनहरे अक्षरों में कभी नहीं लिखा गया.

पौल स्टैंग

मौजूदा टीम से उलट साल 1990 और 2000 में जिम्बाब्वे एक मजबूत टीम मानी जाती थी. इसी टीम का अहम हिस्सा थे लेग स्पिनर पौल स्टैंग. अच्छे एक्शन वाले स्टैंग की गेंदें काफी स्विंग होती थीं, जिस वजह से उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों में विकेट झटके. लेकिन फिर भी उन्हें 119 अंतरराष्ट्रीय मैचों में खेलने का ही मौका मिला. 24 टेस्ट मैचों में उन्होंने 70 विकेट झटके. जबकि 95 वनडे मैचों में उन्होंने 96 विकेट लिए.

डैनियल विटोरी

साल 2000 के अंत में इस खिलाड़ी ने अकेले ही पूरी न्यूजीलैंड टीम का कायाकल्प बदल दिया था. यूं तो न्यूजीलैंड की पिचों को तेज कहा जाता है, लेकिन विटोरी की गेंदों ने वहां भी कहर बरपाया है. 34.36 की औसत से 113 टेस्ट मैचों में उन्होंने 362 विकेट लिए हैं. जबकि 295 वनडे मैचों में उनके नाम 305 विकेट हैं. 34 टी20 मैचों में उन्होंने 38 विकेट लिए हैं.

स्टुअर्ट मैकगिल

जब यह खिलाड़ी औस्ट्रेलियाई टीम में था तो उन वक्त शेन वौर्न का रुतबा अलग ही था. इसी वजह से उन्हें ज्यादा क्रिकेट खेलने का मौका मिला ही नहीं. कंगारू टीम के लिए कुल मिलाकर 47 अंतरराष्ट्रीय मैच (टेस्ट और वनडे) खेलने वाले मैकगिल ने 2003 में शेन वौर्न पर बैन लगने के बाद उनकी जगह को भरने की पूरी कोशिश की. 44 मैचों में उन्होंने 29.02 की औसत से 208 विकेट झटके थे.

ग्रीम स्वान

आधुनिक क्रिकेट में सबसे कमतर खिलाड़ियों में आंके जाने वाले ग्रीन स्वान ने अपने करियर के दौरान इंग्लैंड क्रिकेट टीम को बुलंदियों पर पहुंचाया. 2010 के आईसीसी टी20 क्रिकेट विश्व कप में उन्होंने कैरिबियाई पिचों में जमकर धमाल मचाया था. इस टूर्नामेंट में वह पांचवे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी थे. इसी प्रदर्शन की बदौलत इंग्लैंड ने यह टूर्नामेंट जीता था.

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