अतिथि शिक्षकों के मामले पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल अनिल बैजल में टकराव बढ़ गया है. उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पत्र के जवाब में बैजल ने कहा कि ‘आप’ सरकार अतिथि शिक्षकों की भर्ती और उन्हें पक्का किए जाने पर सिर्फ दिखावा कर रही है. सरकार ने मामले में दो महीने से कोई सार्थक कदम नहीं उठाए हैं.

बैजल ने कहा कि दिल्ली सरकार को इस बाबत विधि विभाग से परामर्श करने की सलाह भी दी थी, लेकिन इस पर कोई पहल नहीं की गई. उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने अपने पत्र में बैजल से अतिथि शिक्षकों से संबंधित विधेयक को पास करने की गुहार लगाई है.

इस पर उपराज्यपाल ने कहा कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस ऑफ दि गवर्मेट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरीटरी रुल्स, 1993 के तहत विधेयक को अपेक्षित प्रतिवेदनों सहित उनके सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसलिए यह कहना गलत है कि विधेयक उपराज्यपाल के पास लंबित है.

‘विधेयक असंवैधानिक’

बैजल ने कहा कि विधेयक को पेश करने के फैसले पर पुनर्विचार करने के बारे में दी गई सलाह के बावजूद बिल को विधानसभा में पारित किया गया, जबकि उक्त विधेयक संवैधानिक नहीं था. उन्होंने दिल्ली सरकार को नसीहत दी कि इस समस्या का निवारण केवल कानून, नियम व प्रक्रियाओं का पालन करके ही किया जा सकता है. सार्वजनिक दिखावे से यह संभव नहीं है. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बताया कि मामले में 10 अगस्त, 14 सितंबर व 26 सितंबर को सरकार को सलाह भेजी गई थी. दो महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी अब तक इस पर अमल नहीं हुआ.

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