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सिंदूर और विकास

सोशल मीडिया पर पीड़ित पति अकसर एक चुटकुला डाल देते हैं जिस में एक पत्नी शोखी से मांग भरते पति से एक फिल्मी डायलौग बोल रही है कि चुटकीभर सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो, रमेश बाबू….इस पर पति एक कागज पर घर के किराने का सामान,  बच्चों की फीस जैसे दर्जनभर मदों को जोड़ कर पत्नी को बताता है कि देख, तेरे इस चुटकीभर सिंदूर की कीमत 60 हजार रुपए महीना पड़ती है.

इस चुटकुले का वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस वक्तव्य से गहरा और अंतरंग संबंध है जिस में उन्होंने जनता से कहा है कि विकास चाहिए तो उस की कीमत तो चुकानी पड़ेगी. अब आम आदमी पीडि़त पति की तरह हिसाब लगा रहा है कि फ्लौप नोटबंदी, पैट्रोल के बढ़े दामों, करों की मार, महंगाई, रेल हादसे से मौतों और किसानों की खुदकुशी सहित दर्जनों मदों की कीमत वही तो चुका रहा है. लेकिन वह पूछ नहीं पा रहा है कि चुटकीभर विकास की और कितनी कीमत वसूलोगे, अरुण बाबू.

उथलपुथल के बिना बाजार में मजबूती

बौंबे स्टौक एक्सचेंज यानी बीएसई में सितंबर के आखिरी सप्ताह में गिरावट का रुख रहा लेकिन अक्तूबर की शुरुआत से ही सेंसेक्स तेजी पर आ गया और 10 अक्तूबर को सूचकांक 3 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) की बिकवाली के दबाव में पिछले माह के अंत में बाजार में सुस्ती रही. इस की वजह अर्थव्यवस्था के सुस्त पड़ने की खबरें थीं. सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में गिरावट को ले कर चारों तरफ से सरकार पर जम कर हमले हुए और इस बहस से बीएसई भी अछूता नहीं रहा और शेयर सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई. इस अवधि में बाजार में 638 अंक की जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई. इसी बीच, रिजर्व बैंक ने ब्याजदरों में कोई कटौती नहीं की और इस का सीधा असर बाजार में देखने को मिला.

शेयर बाजार का सूचकांक 4 अक्तूबर तक लगातार चौथे सत्र में तेजी पर रहा. दूसरे सप्ताह की शुरुआत कुछ फीकी रही लेकिन अगले ही सत्र में बाजार ने तेजी पकड़नी शुरू कर दी. इस दौरान दौरान डौलर के मुकाबले रुपए पर भी सकारात्मक असर देखने को मिला और रुपया मजबूत स्थिति में पहुंचा.

पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के अपनी ही सरकार की अर्थनीतियों पर बागी तेवर दिखाने से भी बाजार में अर्थव्यवस्था को ले कर संदेह का माहौल रहा और शेयर बाजार के सूचकांक में उथलपुथल देखने को मिली.

दवाई के पैकेट पर लिखी होगी फैक्टरी लागत

दवाएं बहुत बड़े स्तर पर नकली मिलती हैं, इसलिए कई ग्राहक दवा की खरीद का बिल मांगते हैं. दवा विक्रेता बिल देने से कतराता है या अतिरिक्त पैसे की मांग करने लगता है. उस का तर्क होता है कि बिल पर कर लगता है, इसलिए वह ज्यादा पैसे लेता है. अब सरकार दवा की कीमतों पर नियंत्रण के लिए बड़ा कदम उठा रही है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस संबंध में मसौदा तैयार कर रहा है. मंत्रालय यह मसौदा दवा मानक एवं नियंत्रण संगठन के उस प्रस्ताव पर तैयार कर रहा है जिस में सुझाव दिया गया है कि दवा पैकेट पर अधिकतम मूल्य के साथसाथ उस के निर्माण पर आई लागत भी लिखनी होगी. इसे फैक्टरी लागत कह सकते हैं.

फैक्टरी लागत दवा के पैकेट पर लिखने से दवा विक्रेता मनमानी नहीं कर सकेंगे और दवाओं के ज्यादा दाम भी नहीं वसूल पाएंगे. इस पर कर कितना लगा है, जीएसटी में इस का प्रावधान है, इसलिए उपभोक्ता आसानी से हिसाब लगा सकता है. इसी तरह से आयात की गई दवा पर देश में पहुंचने के समय उस दवा की कीमत लिखी होगी.

दवा बाजार में पारदर्शिता लाने की यह कोशिश मनमाने दाम वसूलने वाले दवा विक्रेताओं को पसंद नहीं आ रही है. दवा कारोबारी इस से बहुत परेशान हैं. वे नहीं चाहते हैं कि दवा कौस्मेटिक अधिनियम में बदलाव हो, हालांकि यह कदम करोड़ों उपभोक्ताओं के हित में है.

वर्ष 1996 में बने इस कानून में बदलाव लाने से दवा बाजार में और पारदर्शिता आएगी. दवा की एमआरपी और फैक्टरी लागत के बीच का अंतर ग्राहक को दिखेगा तो दवा की कीमत नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

हादसों पर सरकारी रवैया और कर्मचारियों का निकम्मापन

मुंबई के एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर मची भगदड़ में जिन 24-25 लोगों की मौतें हुई हैं उन पर सरकार घडि़याली आंसू चाहे बहा ले पर सरकार का रवैया बदलेगा, यह न सोचना. उपहार सिनेमा दिल्ली या इमामी अस्पताल कोलकाता में आग से हुई मौतों के लिए मालिकों को जेल भेजा गया था पर चिंता न करें, उत्तर प्रदेश के अस्पताल में बच्चों की मौतें हों, रेलों की दुर्घटनाओं में लोग मरें या भगदड़ में मौतें हों, हमारे नेता ही नहीं, अफसर और बाबू से ले कर निचले स्तर तक के कर्मचारी भी सुरक्षित हैं.

मुंबई के इस स्टेशन पर ही नहीं, हर स्टेशन पर अचानक कब भारी भीड़ जमा हो जाए और भगदड़ की नौबत आ जाए, कहा नहीं जा सकता. मुंबई की रक्त नलिकाएं लोकल व बाहरी ट्रेनें लाखों यात्रियों को इधर से उधर ले जाती हैं ताकि वे इस गंदे, बदबूदार, विशाल और पैसों से भरे शहर में रोजी कमा सकें.

रेलों को लोकल ट्रेनों से नुकसान होता है और इसलिए यात्रियों की सुविधाओं की ओर सुरक्षा की देखभाल कम ही की जाती है. रेल कर्मचारियों के लिए हर यात्री एक आफत है और उस से सहानुभूति किसी को नहीं है. वह रेलों का याचक है, ग्राहक नहीं.

जिसे सरकार दान में कुछ दे रही है वह भीड़ में कुचल जाए तो सरकार का क्या जाता है, यह मानसिकता रेल अधिकारियों के मन में कूटकूट कर भरी है. बुलेट ट्रेन की कल्पना कर 5,000 रुपए के टिकट बेचने वाले मंत्री प्रधानमंत्री 12 रुपए के टिकट खरीदने वाले की चिंता क्यों करने लगें.

निजी क्षेत्र की टैक्सियों, बसों, आटो पर सरकार आएदिन नियंत्रण लगाती है पर रेलों पर कौन ध्यान देता है? किस परिवहन अधिकारी की हिम्मत है कि रेल का चालान काट दे, रेल को सुरक्षित न मान कर, बंद कर दे? रीजनल ट्रांसपोर्ट औफिसर के दफ्तर के आगे सैकड़ों गाडि़यों, टैक्सियों, आटो की लाइनें परमिटों के लिए लगी रहती हैं पर रेल वालों को कहीं, किसी का प्रमाणपत्र नहीं लेना पड़ता.

ऐसा नहीं है कि परमिट, लाइसैंस होने से काम अच्छा होने लगता है क्योंकि ये सुरक्षा की नजर से नहीं, वसूली की नजर से बनाए गए हैं. रेलों को अगर इसी व्यवस्था के अंतर्गत लाया गया तो सरकार को पता चलेगा कि निजी सैक्टर क्या भुगतता है.

बस में दुर्घटना होने पर बसमालिक, ड्राइवर, कंडक्टर सब को महीनों जेल में सड़ना होता है, बस जब्त हो जाती है, उस पर जंग लग जाता है. रेल दुर्घटना के बाद रेल मंत्री पीयूष गोयल ठाठ से एयरकंडीशंड कमरे में बैठ कर बतियाते नजर आ रहे थे. अगर उन के साथ बैठे किसी अफसर के चेहरे पर चिंता व दुख की लकीरें देख लो, तो इनाम मिल सकता है.

रेल दुर्घटना में मरे लोग असल में नियति के कारण मरे हैं. उन का जीवन ही इतना था, यह पहले से लिखा था. उन का भाग्य ऐसा था कि रेल कर्मचारियों की लापरवाही के कारण उन्हें कुचल कर मरना है. जब दोषी भगवान है तो तुच्छ मानव को दंड क्यों दें? रेल कर्मचारी तो अपने निकम्मेपन से भगवान का काम कर रहे हैं.

कभी शिवसेना  में रहे मगर अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सर्वेसर्वा राज ठाकरे ने पहली बार सही बात कही है कि वे मुंबई में नरेंद्र मोदी की बुलेट ट्रेन योजना की एक ईंट भी नहीं रखने देंगे.

अनर्थ शास्त्र

नोटबंदी की पहली सालगिरह पर इस एक साल में देश में थोक में अर्थशास्त्री पैदा हुए. इन में से एक महत्त्वपूर्ण व ताजा नाम रेलमंत्री पीयूष गोयल का है. बकौल गोयल, नौकरी जाना यानी बेरोजगारी का बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है. इस अटपटी राय को लोग भौचक्के हो कर देख रहे हैं कि अब इस का क्या मतलब निकालें, यह तो एकदम नई व्याख्या है.

इस बेबाक और बेतुकी बयानबाजी के लिए पीयूष, भारतरत्न नहीं तो पद्म विभूषण के हकदार तो हैं. मोदी की भक्ति और निष्ठा की तमाम हदें पार करते उन्होंने राजनीतिक और आर्थिक क्रूरता को भी पार कर दिया है. एक अच्छी अर्थव्यवस्था में सभी हाथों के लिए काम होना एक आदर्श स्थिति है पर यहां तो हाथ काटे जाने की बात की जा रही है. हो सकता है 2019 का आम चुनाव आतेआते अर्थव्यवस्था की यह नई परिभाषा शबाब पर हो. वैसे भी उन्होंने अमित शाह के पुत्र की पैरवी सरकारी मंच से कर के मंत्री पद की परमानैंसी पक्की कर ली है.

पंडों को घूस का इंतजाम

बिहार सरकार ने नया फरमान जारी किया है कि पंडों की यह जिम्मेदारी है कि वे बालविवाह न करवाएं और वरवधू वयस्क हैं, इस आशय की सूचना प्रशासन को दें. अब होगा यह कि पंडे निसंकोच बालविवाह कराएंगे और चूंकि वयस्कता के बाबत सरकार ने उन्हें अधिकृत कर ही दिया है, इसलिए घूस और दक्षिणा खा कर वे उम्र में भी हेराफेरी करेंगे. जिसे लोग अंकुश समझ रहे हैं, वह दरअसल में पंडों की आमदनी बढ़ाने की छूट है, क्योंकि गलत जानकारी देने पर सजा की बात नहीं की गई है.

कल को मुमकिन है संघमोह और मोहन भागवत के सम्मोहन में खोए नीतीश यह हुक्म भी जारी करवा दें कि बच्चों के जन्म का पंजीयन पंडितजी से करवाया जाए. हां, बदलती हवा के बाद हो सकता है पलटीमार नीतीश कुमार को एक बार फिर मोदी और 2002 के गुजरात के दंगे याद आने लगें.

एअर इंडिया पर टाटा समूह की नजर

एअर इंडिया सरकारी क्षेत्र की घाटे वाली विमानन कंपनी है. सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है. इस पर 50 हजार करोड़ का कर्ज हो चुका है. सरकारी क्षेत्र की यह एकमात्र विमानन कंपनी है. इस की स्थापना 1932 में देश के महान उद्योगपति जेआरडी टाटा ने की थी. तब इस का नाम टाटा एअरलाइंस था. बाद में इस का नाम बदल दिया गया. भारत सरकार ने इस विमानन कंपनी का 1953 में पूरी तरह अधिग्रहण कर लिया था.

एअर इंडिया विदेशों में अपनी सेवाएं देने वाली प्रमुख भारतीय कंपनी है. जबरदस्त घाटे में चल रही इस कंपनी को निजी हाथों में बेचे जाने की चर्चा के बीच टाटा समूह दोबारा इस के शेयर खरीदने पर विचार कर रहा है. कंपनी ने खुलेरूप में कह दिया है कि वह एअर इंडिया को खरीदने पर विचार कर रही है. एअर इंडिया की हिस्सेदारी की खरीद की जानकारी टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने दी है.

इस खुलासे से उन अटकलों पर विराम लग गया है जिन में लगातार एअर इंडिया के निजीकरण की बात कही जाती रही. यदि यह सौदा हो जाता है तो शायद सरकारी क्षेत्र की किसी बड़ी कंपनी का यह पहला विलय होगा. सवाल यह है कि टाटा समूह किस रणनीति के तहत घाटे में चल रही इस कंपनी को खरीदने की योजना बना रहा है. आखिर उसी रणनीति से घाटे में चल रही कंपनी को लाभ में क्यों नहीं लाया जा सकता है.

प्रधानमंत्री अब जरा बताएंगे कि अच्छे दिन कहां हैं

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों यशवंत सिन्हा, अरुण सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा के तीखे बयानों के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने बचाव में, अपना पक्ष रखने के लिए जनता की अदालत में आंकड़ों का ढेर, कंपनी सैक्रेटरियों की एक सभा में पेश किया. भाषण लंबा था, बहुत से आंकड़े स्क्रीन पर थे, नए तरह के वादे थे पर वे सुलगती आग को ठंडा कर पाएंगे, इस में संदेह है.

किसी प्रधानमंत्री को यह हक नहीं कि 3 साल राज करने के बाद वह पिछले 70 सालों, 10 सालों या अपने से पहले के 2-3 सालों के आंकड़ों के सहारे अपने लिए गोरखपुरी औक्सीजन को ढूंढ़ने की कोशिश करे. मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ जनता थी तभी तो नरेंद्र मोदी को भारी सफलता मिली. जनता को मोदी  से बहुत उम्मीदें हैं.

उन उम्मीदों को पूरा न करने की जगह यह कहना कि पिछली सरकार कौन सी अच्छी थी, बेबुनियाद है. आज जनता एक तरफ आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है तो दूसरी तरफ देशभर में फैल रही दहशत, गुंडागर्दी, गालीगलौज और विरोधी को मार डाले जाने के वातावरण को झेल रही है. ये दोनों प्राकृतिक आपदाएं नहीं हैं, ये दोनों 2014 में बनी सरकार की नई देन हैं.

जनता ठगा महसूस कर रही है कि वह भ्रष्ट सरकार से मुक्त हुई या नहीं. उसे तो अपने ऊपर हर रोज हावी होती और उस के हाथ बांधती सरकार नजर आ रही है. कंपनी सैक्रेटरियों से नरेंद्र मोदी ने इस तरह का कुछ नहीं कहा जो आम जनता को राहत दे सके. हां, जिन कंपनियों में उन के श्रोता सैक्रेटरी हैं, कंपनी कानून की बाध्यता के कारण उन कंपनियों के आंकड़े अच्छे हैं क्योंकि यह दिख रहा है कि पैसा आम छोटे, बहुत छोटे और पटरी वाले व्यापारियों के हाथों से निकल कर मोटी धन्ना सेठ कंपनियों के हाथों में जा रहा है.

नोटबंदी बिलकुल फेल ही नहीं हुई, लोगों पर भूकंप साबित हुई है, इस में अब कोई संदेह नहीं रहा. 8 नवंबर को कहा गया था कि नोटों के पुराने काले, आतंकी, नकली नोटों के महल की जगह साफसुथरा, चमचमाता, सहज, सुलभ भवन मिलेगा जिस में केवल अमीर नहीं, हर गरीब को जगह मिलेगी. पता चला कि पुराना महल तो गिर गया पर अधबने, बिना खिड़कियों, दरवाजों वाले, ऊंचे सरकारी भवन में जनता को ला पटक दिया गया है.

यही गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स के बारे में कहा गया कि 1 जुलाई, 2017 से टैक्स स्वतंत्रता मिलेगी. पर 1947 की स्वतंत्रता के बाद की जनता को बेहाली से गुजरना पड़ रहा है. जो दर्द लाखों ने 1947 में राजनीतिक स्वतंत्रता की खातिर सहा, वही अब जीएसटी लाखों को आर्थिक स्वतंत्रता के नाम पर कंप्यूटरों व रिटर्नों की जंजीरों के कारण दे रहा है. सरकारी आजादी, गुलामी का कब रूप ले लेगी, यह न भाजपा की भक्त जनता ने सोचा था न भाजपा के अतिभक्त व्यापारियों ने. दोनों बहुत खिन्न और रोष में हैं.

नरेंद्र मोदी का कहना कि बस कुछ दिन और, अच्छे दिन आने वाले हैं इतनी बार दोहराया जा चुका है कि इस पर सहज विश्वास नहीं हो रहा. मोदी कह रहे हैं कि वे जीएसटी में सुधार करेंगे पर तेजाब तो बोतल से निकल चुका है और बोतल टूट चुकी है. अब जितना मरजी पानी डाल लो, वह जनता को, व्यापार को, घरघर को झुलसाएगा तो सही. आंकड़ेबाजी पढ़ेलिखों के लिए है पर वे तो सहीगलत पहचानते हैं और प्रधानमंत्री के आंकड़ों की पोल खोलने में लगे हैं.

आम जनता को अपनी पक्की नौकरी, ज्यादा पैसे और सुरक्षा की चिंता है. नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में किसी ठोस कदम का वादा नहीं किया जिस से कंपनियों को नुकसान पहुंचे और जनता को लाभ पहुंचे. कंपनियां देश व अर्थव्यवस्था की दुश्मन नहीं हैं, उन के बिना जंगल मरुस्थल बन जाएंगे पर वे जंगल कुछ की मिलकियत नहीं रह सकते.

नीली आंखों के गहरे रहस्य (अंतिम किस्त)

अब तक आप ने पढ़ा
किस तरह आनंद लोन के लिए उस से मिली नीली आंखों वाली लड़की के लिए सबकुछ करने को तैयार है. एक आकर्षण से बंधे आनंद अपने परिवार से भी झूठ बोल कर एक अलग व रहस्यमयी लड़की की दुनिया में खोया है. यह असल में कोई प्यार है या धोखे की बिसात,
जानने के लिए पढ़ें आगे…

मीठी मेरी बांहों में थी. उस ने कोई विरोध नहीं किया. मैं जैसे ही और आगे बढ़ने लगा तो उस ने रोक दिया, ‘‘प्लीज सर, आज नहीं, फिर कभी जब आप चाहें,’’ कहती हुई उस ने खुद को अलग कर लिया और मैं हड़बड़ा कर संभल गया.

‘‘अच्छा, अब मैं चलता हूं, दिल्ली पहुंचते ही अपनी मां की तबीयत के बारे में फोन पर जरूर बताती रहना. अगर तुम कहो तो मैं सुबह तुम्हारे साथ दिल्ली चलूं,’’ अपनापन और आत्मीयता दर्शाते हुए मैं ने कहा.

‘‘नहीं सर, मैं सबकुछ मैनेज कर लूंगी. एंजियोप्लास्टी के बाद मैं किसी तरह पैसों का जुगाड़ कर के गहने छुड़ा लूंगी. मैं नहीं चाहती कि मम्मी को गहनों के बारे में कुछ पता चले.’’

मैं उस के घर से निकला तो घर पहुंचतेपहुंचते 11 बज चुके थे. साधना हैरानपरेशान थी. मुझे देखते ही उस की सांस में सांस आई, ‘‘मेरी तो जान ही निकल गई थी और ऊपर से आप का मोबाइल स्विच औफ…’’

‘‘और फिर जमाना भी ठीक नहीं है,’’ उस के आगे कुछ और बोलने से पहले मैं ने कहा तो वह मुसकरा पड़ी.

‘‘हां, सच ही तो कहती हूं कि जमाना ठीक नहीं है. चलो, अब जल्दी से चेंज करो, मैं खाना गरम करती हूं,’’ कहती हुई वह रसोई में चली गई.

उस ने खाना लगा दिया. लेकिन मेरा मन खाने में नहीं, बल्कि उस नीली आंखों वाली में लगा था. आज कितना अच्छा मौका हाथ से फिसल गया. मुझे कोफ्त हुई. चलो, फिर कभी सही. उस ने औफर तो कर ही दिया है, सोच कर मन में गुदगुदी सी हो गई.

दूसरे दिन बैंक गया. मन खुशगवार था. शाम को ही उस का फोन आ गया, ‘‘सर, मम्मी की एंजियोप्लास्टी हो गई है. वे अब ठीक हैं. 2 दिन यहीं रहना पड़ेगा, तीसरे दिन आ जाएंगे.’’

इन 2 दिनों फोन पर हमारी नियमित बातें होती रहीं. ऐसा लगा जैसे हमारा परिचय पुराना है.

जब वे लोग अलीगढ़ वापस आए तो मैं उस की मां को देखने उस के घर गया. मां को देखने का तो मात्र बहाना था.

उस की मां ने मेरा आभार प्रकट किया, ‘‘आनंदजी, आप ने 3 लाख रुपए हमें वक्तजरूरत पर उधार दे कर बहुत बड़ा उपकार किया है. हम जल्दी से जल्दी आप के रुपए लौटा देंगे.’’

‘‘अरे नहींनहीं, इतनी भी को जल्दी नहीं है. जब व्यवस्था बन जाए तब दे देना,’’ मैं ने सांत्वना दी.

उस रोज पहली बार मैं ने उस के घर में चाय पी. दूसरे दिन भी उस से फोन पर हलकीफुलकी औपचारिक बातें हुईं. तीसरे दिन सुबह ही उस का फोन आया, ‘‘सर, आज मैं बहुत खुश हूं.’’

‘‘क्या कोई लौटरी खुल गई है?’’ मैं ने चुटकी ली.

‘‘हां सर, हमारे समय की लौटरी खुल गई है.’’

‘‘साफसाफ बताओ, आखिर माजरा क्या है?’’

‘‘सर, फोन पर नहीं बता सकती. आज शाम 6 बजे आप मुझ से सैंटर पौइंट के कौफीहाउस में मिलो.’’

मुझे दाल में कुछ काला नजर आया, ‘‘घर पर क्यों नहीं?’’

‘‘सर, खबर ही कुछ ऐसी है. मम्मी की अभी एंजियोप्लास्टी हुई है. सुन कर वे खुशी बरदाश्त नहीं कर सकेंगी. मैं नहीं चाहती कि उन्हें कुछ भी तकलीफ हो.’’

उस का जवाब सुन कर मैं संतुष्ट हो गया. बैंक की ड्यूटी करने के बाद मैं सीधे सैंटर पौइंट के कौफीहाउस पहुंच गया. वह मेरा इंतजार कर रही थी. खुशी उस के चेहरे से साफ झलक रही थी. सच में, जब इंसान अंदर से खुश होता है तो उस के चेहरे का नूर बढ़ जाता है. वह पहले से अधिक हसीन और जवान नजर आ रही थी. उसे देख कर लगा, शायद आज मेरी हसरत पूरी हो जाएगी.

‘‘सर, प्लीज बैठिए,’’ कहती हुई उस ने 2 कप कौफी का और्डर कर दिया.

‘‘क्या बात है मीठी, आज तो तुम कोयल की तरह चहक रही हो?’’ मैं ने शरारती लहजे में कहा.

‘‘आज खुशी ही ऐसी मिली है कि मैं कोयल की तरह चहक रही हूं और मोरनी की तरह नाच रही हूं.’’

‘‘बताओ तो सही. या यों ही चहकती रहोगी?’’

‘‘सर, कल पापा का फोन आया था.’’

‘‘क्या?’’ मैं अचानक चौंक पड़ा, ‘‘लेकिन उन्होंने तो तुम दोनों से रिश्ता ही खत्म कर लिया था.’’

‘‘हां, यह सच है लेकिन पापा मुझ से बहुत प्यार करते हैं. जब मैं पैदा हुई थी, उन की तरह मेरी भी नीली आंखें थीं. मम्मी को बताए बगैर हम बापबेटी फोन पर बात करते रहते थे. मैं ने उन्हें मम्मी की तबीयत के विषय में नहीं बताया था लेकिन कल उन्होंने बेचैनीभरे स्वर में पूछा, ‘मीठी, ममता कैसी है? सपने में मैं ने उसे बहुत तकलीफ में देखा है’.

‘‘मैं कुछ छिपा न सकी और उन्हें सबकुछ सचसच बता दिया. उन्होंने तुरंत अपने किसी भारतीय मित्र से कह कर मेरे अकाउंट में 3 लाख रुपए डलवा दिए और बोले, ‘मीठी, मैं तुम दोनों का गुनाहगार हूं, तुम से माफी मांगता हूं. मेरे और सेरेना के बीच कुछ अच्छा नहीं चल रहा. मुझे तुम दोनों की बहुत याद आती है. सेरेना से तलाक ले कर मैं तुरंत भारत आ जाऊंगा. फिर हम सब साथ रहेंगे पहले की तरह. मैं ने पैसा भी खूब कमा लिया है.’’

वह अपने पर्स में से नोटों की गड्डियां निकाल कर मुझे देती हुई बोली, ‘‘ये पूरे 3 लाख रुपए हैं. आप मेरे गहने ले आइए.’’

नोटों की गड्डियां मेरे हाथों में थीं. समस्या यह थी कि मैं इन्हें रखूं कहां? मुझे उलझन में देख कर वह बोली, ‘‘मैं काउंटर से एक कैरी बैग ले कर आती हूं.’’

उस के जाते ही मैं ने तुरंत नोटों की गड्डियों को अच्छी तरह उलटपलट कर देखा और खुद को आश्वस्त कर लिया कि वे असली ही हैं और पूरे 3 लाख हैं.

रुपए ले कर ज्वैलर के यहां जाने लगा तो सोचा, यहां से उस की दुकान दूर है, रात का समय है, कल लंचटाइम में उस को पैसा दे आऊंगा और गहने ले कर, बैंक के बाद शाम को मीठी के घर दे आऊंगा. पैसों के विषय में साधना से कह दूंगा कि एक परिचित के हैं. बैंक में जमा कराने आए थे लेकिन देरी की वजह से जमा न हो सके. कल जमा कर दूंगा.

घर पहुंचतेपहुंचते रात हो गई थी. साधना गुस्से में बैठी थी. मैं जानता था कि देर से आने की वजह से यह गुस्सा है. मैं ने उसे मनाने के उद्देश्य से कहा, ‘‘मानता हूं जमाना ठीक नहीं है लेकिन एक पार्टी के साथ मीटिंग में इतना व्यस्त हो गया कि तुम्हें फोन भी न कर सका.’’

‘‘आप की पार्टी तो बहुत खूबसूरत होती हैं.’’

‘‘तुम्हारे कहने का मतलब क्या है?’’ मैं थोड़ा सकपका गया.

‘‘ईमानदार बैंक मैनेजर साहब, मेरे कहने का मतलब यह है कि आप ने एक लड़की को लोन दिलाने के एवज में रिश्वत ली है.’’

‘‘तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है. मैं ने कोई रिश्वतविश्वत नहीं ली है.’’

‘‘तो फिर इस कैरीबैग में क्या है?’’

‘‘इस में तो एक परिचित के पैसे हैं. कल बैंक में जमा करने हैं. आज वे देर से आए थे.’’

‘‘अब आप एक झूठ छिपाने के लिए और झूठ मत बोलो. वह बेचारी तो आत्मनिर्भर बनने के लिए अपना ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती थी, इसलिए आप के बैंक से लोन लेना चाहती थी. और आप ने उस का लोन पास करवाने के लिए रिश्वत ली. उस वक्त कहां सैर करने चले गए थे आप के गांधीवादी विचार?’’

‘‘तुम से किस ने कहा?’’

‘‘मैं ने खुद अपनी आंखों से देखा सैंटर पौइंट के कौफीहाउस में.’’

यह सुन कर मेरे होश उड़ गए. साधना गुस्से की वजह से सोफे पर लेट गई. उस ने खाना तो दूर, चायपानी तक को न पूछा. मैं सिर पकड़ कर बैठा था, आखिर साधना को खबर किस ने की? तभी व्हाट्सऐप पर एक वीडियो आया जिस में मेरी और मीठी की वही प्रणयदृश्य वाली क्लिपिंग थी जो उस के घर पर क्षणिक आवेश में हुआ था. अभी मैं यह देख ही रहा था कि व्हाट्सऐप पर वे फोटो भी आ गए जिन में मीठी मुझे नोटों की गड्डियां दे रही है.

मैं सन्न रह गया. तो यह सब करतूत मीठी की है. गुस्से में उसे फोन लगाने लगा लेकिन उस से पहले ही एक अंजान नंबर से फोन आया, ‘‘सर, आप ने व्हाट्सऐप पर वीडियो और फोटो तो देख लिए हैं. इन्हें डिलीट करने के लिए सिर्फ 25 लाख रुपए आप मेरे अकाउंट में डाल दीजिए. अपना अकाउंट नंबर आप को मैसेज कर दूंगी,’’ कह कर फोन काट दिया.

यह आवाज तो मीठी की नहीं थी लेकिन मुझे विश्वास था कि यह करतूत उसी की है. मुझे खुद पर गुस्सा आया. इतनी सावधानी, सतर्कता और चतुराई बरतने के बावजूद मैं उस फ्रौड लड़की के जाल में फंस गया. इधर, साधना की नजरों में भी गिर गया. ‘न घर का न घाट का’ जैसी स्थिति हो गई मेरी. मैं फूटफूट कर रो पड़ा.

रोता देख कर शायद साधना को मुझ पर तरस आ गया, आ कर बोली, ‘‘मैं कहती थी न, जमाना ठीक नहीं है. यह सुन कर आप हंसते थे लेकिन पता नहीं क्यों आप को इस तरह रोता देख कर मुझे ऐसा लग रहा है कि आप बेकुसूर हो, आप को फंसाया गया है. प्लीज, मुझे सबकुछ साफसाफ बताओ.’’

‘‘साधना, तुम्हें कैसे पता चला कि मैं सैंटर पौइंट के कौफीहाउस में हूं.’’

‘‘शाम को 4 बजे के लगभग एक लड़की का फोन आया था. उसी ने बताया और मुझे कौफीहाउस पहुंचने को कहा था. लेकिन मुझे आप पर पूरा भरोसा था कि आप ऐसा कर ही नहीं सकते, जरूर वह लड़की झूठ बोल रही है. फिर मन में लगा, कभीकभी जब हम किसी पर अपने से ज्यादा भरोसा करते हैं तो वही उस के भरोसे को तोड़ भी देता है. इसलिए सोचा, जाने में क्या हर्ज है?’’

‘‘साधना, मैं अपनी एक क्षणिक कमजोरी की वजह से बुरी तरह फंस गया हूं,’’ कहता हुआ उस से लिपट कर फफकफफक कर रो पड़ा. पहली बार बैंक में मीठी से मिलने से ले कर कौफीहाऊस तक के पूरे घटनाक्रम को मैं ने साफसाफ बता दिया.

‘‘अब वह चालाक लड़की मुझे ब्लैकमेल कर के 25 लाख रुपए अपने अकाउंट में डालने को कह रही है. उस के खिलाफ पुलिस में भी रिपोर्ट नहीं कर सकता क्योंकि उस के पास अंतरंग क्षणों का वीडियो और उस से नोटों की गड्डियां लेते हुए फोटो हैं. मैं क्या करूं, मेरा तो दिमाग ही काम नहीं कर रहा.’’

‘‘लगता है यह सब पूर्व नियोजित ढंग से रची हुई साजिश है जिस में वह लड़की अकेली नहीं, कोई और भी शामिल है,’’ पूरी कहानी सुनने के बाद साधना बोली.

‘‘हां, लग तो ऐसा ही रहा है लेकिन अब मैं क्या करूं? उसे फोन लगाता हूं तो स्विचऔफ जाता है.’’

‘‘आप कुछ मत करो, शांत बैठो.’’

‘‘तुम पागल हो गई हो? अगर उस के अकाउंट में पैसा न डाला तो वह वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएंगे. वह सिरफिरी लड़की जोनल औफिस में मेरे खिलाफ शिकायत भी कर देगी क्योंकि उस के पास सुबूत हैं. नौकरी से तो हाथ धोना ही पड़ेगा, साथ ही जेल की हवा और बदनामी अलग. हमारी बेटी से शादी कौन करेगा? जब वह वीडियो  मेरी बेटी देखेगी तो मैं कहां मुंह छिपाऊंगा?’’ मैं रोंआसा हो उठा.

‘‘वह ऐसा कुछ नहीं करेगी. 25 लाख रुपए की रकम कोई मामूली नहीं होती. उस को आप की बदनामी से ज्यादा रकम प्यारी है. अकाउंट में पैसा न आने पर वह आप से संपर्क जरूर करेगी.’’

‘‘साधना, यह बहुत बड़ा रिस्क है.’’

‘‘रिस्क तो लेना ही पड़ेगा. मान लो उस के अकाउंट में पैसा डाल दिया और उस ने वह सबकुछ डिलीट न किया तो? और आगे भी ब्लैकमेल करती रही तब?’’

साधना बात तो ठीक कह रही थी. मैं ने बैंक से 2 दिनों की छुट्टी ले ली और सांस थामे मीठी के फोन का इंतजार करने लगा.

साधना की भविष्यवाणी सच साबित हुई. दूसरे दिन रात को उस का फोन आ गया, ‘‘सर, आप ने मेरा काम नहीं किया?’’

स्पीकर औन था. ‘‘मीठी, तुम ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया?’’

‘‘सर, क्या कह रहे हैं आप? मैं ने धोखा किया है आप के साथ? यह तो आप सरासर झूठ बोल रहे हैं. आप ने ही तो मेरा लोन पास करवाने के लिए पैसे की मांग की थी और इस के लिए आप ने मुझे सैंटर पौइंट के कौफीहाऊस में बुलाया था और मैं ने आप को पैसा भी दे दिया लेकिन आप ने मेरा काम नहीं किया.’’

‘‘प्लीज मुझे 2 दिनों का समय दो,’’ कह कर मैं ने फोन काट दिया.

बहुत शातिर दिमाग लड़की है, फोन पर कोई ऐसी बात नहीं की जिस से उस का कोई क्लू पकड़ा जाए. जानती है आजकल फोन पर कुछ ऐसावैसा बोल दिया तो रिकौर्डिंग के जरिए खेल खत्म हो सकता है. यह बात साधना सच कह रही थी.

‘‘तीसरे दिन सुबह ही उस का फोन आ गया,’’ सर, 2 दिन हो गए लेकिन आप ने मेरा काम नहीं किया.

‘‘मैं तुम से मिलना चाहता हूं.’’

‘‘किसलिए?’’

‘‘वह तो मैं तुम्हें मिलने पर ही बताऊंगा.’’

‘‘ठीक है. लेकिन मिलने की जगह मैं बताऊंगी. बस, एक गुजारिश है कि आप कुछ ऐसावैसा मत करना. नुकसान आप का ही होगा क्योंकि आप की अमानत…’’

‘‘नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगा. और अकेला ही आऊंगा.’’

‘‘तो ठीक है, आज शाम 8 बजे रेलवेस्टेशन के पूछताछ काउंटर के पास हमारी मुलाकात होगी.’’

यह सुन कर मुझे और साधना को आश्चर्य हुआ कि भीड़भाड़ वाले रेलवेस्टेशन पर बुला रही है. हम तो सोच रहे थे फिल्मों की तरह किसी सुनसान जगह पर बुलाएगी. इतने चिंतित महौल में भी हम पतिपत्नी मुसकरा पड़े.

‘‘साधना, हम ने उसे बोल तो दिया है लेकिन उस से बात क्या करनी है?’’

‘‘कुछ नहीं, बिलकुल चुप रहना. सिर्फ उस की नीली आंखों को ताकना.’’

‘‘यहां जान पर बनी है और तुम्हें मजाक सूझ रहा है.’’

‘‘जैसा मैं कह रही हूं वैसा ही करना. वह बोले तो कहना, मीठी, मैं आखिरी बार तुम से आलिंगन करना चाहता हूं और उस वक्त धीरे से कहना, तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो. मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.’’

‘‘अगर वह आलिंगन के लिए राजी न हुई तो?’’

‘‘मैनेजर साहब, यह सब वह पैसे के लिए कर रही है तो उसे आलिंगन से परहेज क्यों होगा? और वैसे भी, वह आप के साथ…’’

‘‘प्लीज साधना, वह भयानक हादसा मुझे याद मत दिलाओ. मैं कांप जाता हूं.’’

‘‘आप अपनेआप को दोषी महसूस मत करो. वह सब क्षणिक आवेश में हुआ था,’’ उस ने मुझे सांत्वना दी.

‘‘सच साधना, तुम बहुत अच्छी हो तुम्हारी जगह कोई और होती तो शायद मुझे कभी माफ नहीं करती,’’ उसे बांहों में भर कर मैं ने भीगे स्वर में कहा.

‘‘पतिपत्नी का रिश्ता इतना कमजोर नहीं होता कि एक झटके में टूट जाए. पूरे 28 साल गुजारे हैं आप के साथ. कौफीहाउस वाली घटना को देख कर लगा कि शायद आप भटक गए हो लेकिन जब आप की आंखों में देखा तो उस में सचाई नजर आई.’’

शाम के 6 बजे से ही घबराहट शुरू हो गई. रेलवेस्टेशन घर से आधे घंटे की दूरी पर था. ठीक 7 बजे मैं घर से रेलवेस्टेशन के लिए रवाना हो गया. स्कूटी पार्क कर के प्लेटफौर्म का टिकट ले कर यों ही स्टेशन पर टहलने लगा. चाय की स्टौल और बुक स्टौल दोनों ही मेरी पसंदीदा जगहें थीं. इंतजार के क्षणों में चाय के साथ पत्रिका पढ़ने का आनंद लेता था. लेकिन आज चाय और पत्रिका में भी मन नहीं लगा.

8 बजने में जैसे ही 10 मिनट शेष रह गए, मैं पूछताछ खिड़की के पास आ गया. वह ठीक 8 बजे पूछताछ खिड़की पर कुछ पूछताछ करती नजर आ गई. मेरी धड़कनें तेज हो गईं. माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगीं.

जैसे ही उस ने अपनी नीली आंखों के इशारे से मुझे अपने पास आने को कहा तो मैं चाबी जैसे खिलौने की तरह उस की तरफ चल पड़ा और एकटक उस की नीली आंखों को ताकने लगा.

‘‘कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो? जो कहना है जल्दी कहो,’’ यह बात वह मोबाइल पर बोल रही थी लेकिन मुझे पता था मुझ से कह रही है.

उस की तरह मैं ने भी मोबाइल पर कहा, ‘‘मैं तुम से आलिंगन करना चाहता हूं.’’

‘‘ठीक है, ठीक है, जल्दी करो,’’ कहती हुई वह एक कोने में आ गई.

‘‘तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो? मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?’’

‘‘मैं ने कुछ नहीं किया है. मैं बेकुसूर हूं,’’ कहते हुए सैकंड्स में अलग हो गई और तुरंत वहां से चली गई.

हम पतिपत्नी की नींद और भूख दोनों ही उड़ चुकी थी. मामला और पेचीदा होता जा रहा था.

‘‘साधना, अब क्या करें?’’ मैं ने बेचैन स्वर में पूछा.

‘‘आप कुछ मत करो. वह ही संपर्क करेगी क्योंकि जरूरत उस की है. रकम उसे चाहिए.’’

‘‘कहीं ऐसा न हो वह चिढ़ जाए और वीडियो व फोटो जोनल औफिस ले जाए.’’

‘‘वह ऐसा भूल कर भी नहीं करेगी. वह शतरंज की माहिर खिलाड़ी है और जानती है अगली चाल कब और कैसे चलनी है,’’ साधना ने यह कहा तो इतने तनाव में होने के बावजूद मैं हंस पड़ा और बोला, ‘‘लगता है अब तुम ने भी अपनी कमर कस ली है उस से पंगा लेने के लिए.’’

‘‘आप निर्दोष हो. वह जरूर पकड़ी जाएगी और उस का खेल खत्म हो जाएगा. चलो, अब चैन की नींद सोते हैं. 4-5 दिनों से तो ढंग से सो भी नहीं पाए हैं. घर भी अस्तव्यस्त पड़ा है. गंदे कपड़े का ढेर हो गया है.’’

सुबह साधना ने चाय का कप पकड़ाते हुए कहा, ‘‘आप चिंतामुक्त हो कर बैंक जाओ. मैं बाई के साथ मिल कर पूरा घर व्यवस्थित कर लूंगी क्योंकि इन दिनों मौके का फायदा उठा कर उस ने भी खूब लापरवाही बरती थी.’’ यह कह कर उस ने वाश्ंिग मशीन में पानी का पाइप लगा दिया और कपड़े इकट्ठा करने लगी.

मेरी पैंट और शर्ट धोने से पहले उन की जेबें वह जरूर चैक करती थी. जैसे ही उस ने पैंट की जेब टटोली तो उस में एक मुड़ातुड़ा विजिटिंग कार्ड निकला जिस पर लिखा था- नैना ब्यूटीपार्लर. साथ ही पता और मोबाइल नंबर भी था. दूसरी तरफ जल्दबाजी में पैंसिल से लिखा था- ‘सर, मैं बेकुसूर हूं. भरोसा कीजिए मुझ पर.’

यह विजिटिंग कार्ड मेरी जेब में कैसे आया? तभी ध्यान आया कल शाम को रेलवेस्टेशन पर आलिंगन करते वक्त मीठी ने रख दिया होगा यानी मीठी निर्दोष है. उस से यह सब कोई करा रहा है. विजिटिंग कार्ड पर लिखा मोबाइल नंबर मिलाया तो वह स्विचऔफ था.

‘‘साधना, हमें तुरंत ब्यूटीपार्लर चलना चाहिए. शायद, वहां कुछ पता चले.’’

‘‘ठीक है, मैं अभी तैयार होती हूं.’’

लेकिन तभी मेरा मोबाइल नंबर बज उठा, ‘‘सर, क्यों लेट कर रहे हैं आप? नुकसान आप का ही होगा. प्लीज, आप हमारा काम कर दीजिए. हम सबकुछ मिटा देंगे. आप भरोसा करें मुझ पर.’’

‘‘मीठी, मैं कैसे यकीन करूं कि तुम सबकुछ डिलीट कर दोगी. हो सकता है रकम मिलने के बाद भी भविष्य में तुम मुझे ब्लैकमेल कर के पैसे ऐंठती रहो?’’

‘‘मैं अपनी मां की कसम खा कर कहती हूं, काम हो जाने के बाद सबकुछ खत्म कर दूंगी.’’

‘‘मुझे तुम्हारी झूठी कसम पर भरोसा नहीं है. अगर तुम इतनी बड़ी रकम मांग रही हो तो मेरी भी एक शर्त है. अगर तुम उसे मानोगी, तब ही मैं तुम्हारे अकाउंट में पैसा डालूंगा.’’

‘‘क्या शर्त है?’’

‘‘फोन पर नहीं बता सकता, इसलिए तुम्हें मुझ से मिलना होगा.’’

‘‘लेकिन आप मेरी बताई हुई जगह पर ही मुझ से मिलने आएंगे. कब, कहां और कितने बजे आना है, यह मैं आप को मैसेज कर दूंगी. लेकिन अकेले आना और मोबाइल मत लाना और न ही कोई होशियारी दिखाना. अगर आप ने जरा भी स्मार्टगीरी दिखाई तो…आगे आप खुद ही समझदार हैं,’’ इस बार उस का स्वर चेतावनी से भरा था.

‘‘मीठी, जैसा तुम कहती हो वैसा ही होगा. मैं 2 लाख रुपए कैश ले कर भी आऊंगा. अगर तुम्हें मेरी शर्त मंजूर होगी तो वह 2 लाख रुपए तुम्हें एडवांस दे दूंगा और बाकी दूसरे दिन बैंक खुलते ही…’’

2 लाख रुपए का दाना उस के सामने डालने का आइडिया साधना ने इसलिए दिया था जिस से वह लालच के जाल में फंस जाए.

‘‘कहीं वह नकली हुए तो?’’

‘‘इस की जांच के लिए तुम अपने किसी भरोसेमंद इंसान को ला सकती हो लेकिन मैं अकेला ही आऊंगा. और हां, बैंक के समय पर नहीं आ सकता क्योंकि क्लोजिंग का महीना है, काम ज्यादा है. इसलिए सुबह 9 बजे के पहले या शाम 5 बजे के बाद.’’

‘‘ठीक है, मैं आप को बता दूंगी.’’

‘‘साधना, कहीं यह सीआईडीगीरी करतेकरते हम लोग ही न फंस जाएं?’’

‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा.’’

‘‘कहीं, वह 2 लाख रुपए ले कर ही रफूचक्कर हो गई तो?’’

‘‘इस समय उस के दिमाग में 2 लाख रुपए नहीं, 25 लाख रुपए फीड हैं, इसलिए वह कोई गलत कदम नहीं उठाएगी.’’

शाम को उस का मैसेज आ गया. इस बार उस ने एक मंदिर में रात 9 बजे बुलाया था.

उस का बुलाना, मेरा जाना यह सब चूहेबिल्ली का खेल सा लगने लगा था. मैं मानसिक रूप से परेशान हो उठा था लेकिन साधना ने मुझे हौसला देते हुए कहा, ‘‘उस के सामने शर्त रखते वक्त यह बिलकुल भी मत दर्शाना कि आप अपनी बदनामी से डर रहे हो.’’

एक छोटे से कैरीबैग में रुपए रख  कर मैं मंदिर चला गया. मंदिर में भीड़ ठीकठाक थी. मंदिर के बाहर चारों तरफ नजर दौड़ाई लेकिन वह कहीं नजर नहीं आई. मैं मंदिर के अंदर गया तो वहां एक कोने में आंखें मूंद कर प्रार्थना सी करती बैठी थी वह. वहां एक पुजारी भी बैठा था. इक्कादुक्का लोग वहां थे.

‘‘अकेले आए हो? आंखें बंद किए ही उस ने पूछा.’’

‘‘हां.’’

‘‘मोबाइल लाए हो?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘सामान लाए हो?’’

‘‘हां.’’

‘‘तो फिर उस की झलक दिखाओ.’’

‘‘पहले मेरी शर्त सुनो, अगर मानोगी तभी सामान मिलेगा,’’ मैं ने साहसपूर्वक कहा.

‘‘क्या शर्त है?’’

‘‘तुम ने धोखे से मेरा वीडियो बनाया है, फोटो खींचे हैं. अब मैं एक छोटा सा वीडियो बनाना चाहता हूं, जिस में हम दोनों होंगे. उस में कुछ करना नहीं है, सिर्फ बोलना है.’’

‘‘यह कैसी बेहूदा शर्त है?’’ वह उत्तेजित स्वर में बोली.

‘‘अगर नहीं मंजूर है तो कोई बात नहीं, मैं अपना सामान वापस ले जाता हूं और तुम जो करना चाहो, करती रहना,’’ यह कहते वक्त मेरे पसीना आ गया.

तीर निशाने पर लगा. वह नरम हो गई, ‘‘क्या बोलना है?’’

उस में तुम मुझ से कहोगी, ‘‘सर, मेरे ब्यूटीपार्लर के लिए 5 लाख रुपए का लोन पास करा दीजिए. और मैं कहूंगा, आप का लोन पास नहीं हो सकता क्योंकि आप की कोई प्रौपर्टी नहीं है जिस के आधार पर हम आप को लोन दें.’’

‘‘लेकिन सर, मेरे पास आप को रिश्वत देते हुए फोटो हैं जो मैं ने धोखे से खिंचवाए. साथ ही, एक वीडियो भी है. इन्हें आप के जोनल औफिस में ले जा कर आप के खिलाफ शिकायत कर दूंगी कि आप ने मेरा लोन पास करवाने के एवज में मुझ से रिश्वत की मांग की थी. आप की नौकरी तो जाएगी ही, साथ ही, कहीं मुंह दिखाने के काबिल भी न रहेंगे.

‘‘बस मीठी, तुम्हें इतना ही बोलना है.’’

‘‘ऐसा करने के पीछे आप का मकसद क्या है?’’

‘‘अगर शर्त मानने के बाद भी मैं तुम्हारा सामान न दूं यानी तुम्हारे साथ धोखा करूं तो तुम तुरंत मेरी शिकायत कर देना और अगर तुम ने मेरे साथ धोखा किया यानी पूरा माल डकारने के बाद

भी मुझे ब्लैकमेल किया तो मैं उस वीडियो के सहारे कानून का दरवाजा खटखटाऊंगा. फंसोगी तुम भी.’’

‘‘मुझे अपनी नौकरी और बदनामी का डर है और तुम्हें पैसे प्यारे हैं, इसलिए अगर हम दोनों ही पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करें तो फायदा हम दोनों का ही है. काम हो जाने के बाद हम दोनों सबकुछ डिलीट कर देंगे और फिर से अजनबी हो जाएंगे.’’

‘‘मुझे सोचने का समय दो.’’

‘‘नहीं, अब समय नहीं है. जल्दी जवाब दो हां या न में. अगर हां है तो यह सामान रखो पेशगी के तौर पर.’’

‘‘यहीं बैठो, मैं अभी आती हूं,’’ कह कर वह बाहर चली गई और वहां बैठा पुजारी मुझे घूरने लगा.

‘‘क्या बात है पंडितजी?’’

‘‘कुछ नहीं बच्चा. देख रहा हूं तुम इतनी देर से मंदिर में कर क्या रहे हो? अगर पूजा हो गई हो तो घर जाओ.’’

‘‘जब मन करेगा तब चला जाऊंगा,’’ मैं ने रूखा सा जवाब दिया. मन में आया कह दूं तू क्यों यहां चढ़े हुए फल, मिठाई, मेवा और रुपए पर अपनी गिद्ध दृष्टि लगाए बैठा है.

10 मिनट बाद मीठी आ गई और उसी स्थान पर पूर्व की तरह ध्यानमग्न हो कर बैठ गई. ‘‘मुझे आप की शर्त मंजूर है.’’

‘‘तो फिर कल सुबह किसी जगह पर वीडियो बना लेते हैं और फिर बैंक जाते ही तुम्हारा सामान ठिकाने पर पहुंचा दूंगा.’’

‘‘काम की जगह मैं ही तय करूंगी और आप को मैसेज कर दूंगी जो अभी सामान लाए हो वह सामने बैठे पुजारीजी को बैग सहित सौंप दो.’’

मैं ने आश्चर्य से उस पुजारी को देखा तो वह कुटिलता से मुसकरा पड़ा. उसे बैग सौंप कर जैसे ही मुड़ा, वह बोला, ‘‘शुद्धता की जांच होने के बाद जाइए.’’ मैं ठिठक कर रुक गया.

कुछ मिनटों में ही पुजारी का स्वर गूंजा, ‘‘भक्तगणों, सब शुद्ध मन से प्रार्थना करो. सब शुद्ध है.’’

यह सुन कर मैं चल पड़ा. घर पहुंच कर साधना से बोला, ‘‘उस ने मेरी शर्त मान ली है लेकिन मुझे लगता है कहीं वह घर जा कर अपना इरादा न बदल दे और 2 लाख रुपए हड़प कर जाए.’’

‘‘आप निश्ंिचत रहो. वह शर्त जरूर पूरी करेगी क्योंकि उसे 2 लाख रुपए का दाना मिल चुका है और बाकी 23 लाख रुपए उस की आंखों के सामने नाच रहे हैं. बस, उस के एसएमएस का इंतजार करो.’’

उस का एसएमएस आ गया. सुबह उस की तय की गई जगह पर वीडियो बना ली और उस को बाकी 23 लाख रुपए की रकम बैंक पहुंचते ही उस के आकउंट में डालने को कह कर मैं तुरंत अपनी पूर्व योजनानुसार टैक्सी से अपने जोनल औफिस, दिल्ली के लिए निकल पड़ा और अपना मोबाइल स्विच औफ कर लिया. औफिस पहुंचते ही जेडएम साहब से मिलने की स्लिप लगा दी. शीघ्र ही उन से मुलाकात हो गई.

‘‘सर, एक लड़की मुझे ब्लैकमेल कर रही है क्योंकि मैं ने उस का अयोग्य लोन पास नहीं किया है,’’ कहते हुए मैं ने वह वीडियो और फोटो दिखा दीं.

‘‘इन फोटो में तो आप क्लीयर नोट लेते हुए दिख रहे हो.’’

‘‘सर, यह लड़की बेहद शातिर दिमाग है, यह नोटों की गड्डियां मुझे देती हुई बोली थी, आप चैक कर के बता दीजिए, ये असली हैं या नकली? क्योंकि आप बैंक में हैं.’’

वीडियो देखते ही जेडएम साहब भड़क गए, ‘‘मिस्टर आनंद, आप बैंक में गरिमामय पद पर आसीन हैं और ऐसी आशोभनीय हरकत करते हुए आप को शर्म नहीं आई?’’

‘‘सर, जब विजिट के लिए मैं उस के घर गया तब उस ने कोल्डड्रिंक में कुछ ऐसा नशीला पदार्थ मिला दिया कि मुझे खुद ही होश नहीं रहा,’’ मैं ने सफाई देते हुए कहा.

‘‘फिर भी गलती आप की है. आप विजिट करने गए थे या कोल्डडिं्रक पीने?’’

‘‘सर, मानता हूं गलती मेरी है लेकिन जब हम कहीं जाते हैं तो सामने वाला चायकौफी या कोल्डडिं्रक तो हमारे लाख मना करने के बावजूद पिलाता है.

‘‘सर, इस प्रकरण में अगर मैं दोषी पाया जाऊं तो मैं सजा और बदनामी के लिए तैयार हूं लेकिन एक जिम्मेदार बैंक मैनेजर होने के नाते मैं ने उस का काम नहीं किया जो हमारी बैंक नीति के खिलाफ था. मैं ने भी पूरी सतर्कता बरतते हुए एक ऐसा वीडियो बना लिया है जिस से शायद मैं बेगुनाह साबित हो जाऊं.’’

वीडियो देख कर वे बोले, ‘‘अगर वह लड़की आप के खिलाफ शिकायत करती है तो शायद यह वीडियो आप के फेवर में काम करे,’’ फिर वे मुसकराते हुए बोले, ‘‘इस मामले में आप ने भी बड़ी होशियारी दिखाई है.’’

‘‘क्या करें सर, जब से इंटरनैट युग की शुरुआत हुई है तब से हर इंसान सजग और स्मार्ट हो गया है. बैंक मैनेजर की व्यथा कोई नहीं समझता. बैंक मैनेजर बैंक में तलवार की धार के नीचे काम करता है क्योंकि कोई भी जालसाजी, धोखाधड़ी, फ्रौड और डकैती जैसे संगीन अपराध होते हैं तो सब से पहले शक की सूई बैंक मैनेजर पर ही ठहरती है.’’

‘‘शायद आप ठीक कह रहे हैं क्योंकि मैं बैंक मैनेजर के पद पर भी रह चुका हूं. अगर वह लड़की आप के खिलाफ शिकायत करती है तो जांच कमेटी बैठेगी और वह ही फैसला करेगी कि दोषी कौन है आप या वह लड़की?’’

‘‘सर, वह लड़की शिकायत जरूर करेगी क्योंकि उस के अकाउंट में जब पैसा नहीं आएगा तब वह मुझे फोन करेगी और मैं पैसा देने से साफ इनकार कर दूंगा. ऐसे में वह तिलमिला कर मेरे खिलाफ शिकायत करेगी.’’

मैं शाम तक वापस घर आ गया. मोबाइल औन किया तो देखा उस की पचासों मिस्डकौल थीं. उस का फोन आ गया.

‘‘सर, क्या बात है? सुबह से आप का मोबाइल स्विचऔफ जा रहा है और सामान अभी तक ठिकाने पर भी नहीं पहुंचा है.’’

‘‘और न अब कभी पहुंचेगा. तुम्हें जो करना है, करो,’’ मैं ने कड़क स्वर में कहा.

‘‘आप को अपनी शर्त याद है न. मैं आप को रातभर का समय दे रही हूं सोचने के लिए. सुबह बैंक खुलते ही मेरा काम कर देना, नहीं तो…’’

‘‘नहीं तो, क्या करोगी?’’

‘‘वह तो आप को भी पता है कि मैं क्या करूंगी. आप ने मेरे साथ धोखा किया है. अब आप अंजाम भुगतने के लिए तैयार हो जाइए,’’ वह जख्मी शेरनी की तरह दहाड़ी.

थोड़े दिनों बाद, जोनल औफिस से फोन आया, जांच कमेटी में मैं निर्दोष साबित हुआ था. मुझे गहरी साजिश के तहत फंसाया गया था. सब पूर्व नियोजित योजना के अनुसार रचा हुआ षडयंत्र था. वह वीडियो और फोटो भी उसी साजिश के हिस्सा थे. यह सब स्वयं मुख्य आरोपी ने स्वीकार किया था. मुख्य आरोपी के साथसाथ इस में संलग्न सभी सहयोगी अपराधियों को भी सजा हुई. वह वीडियो और फोटो सब डिलीट कर दिए गए.

मेरे द्वारा साहसिक कदम उठाने की भी सराहना हुई कि मैं ने अपनी नौकरी और बदनामी की परवा न करते हुए एक जिम्मेदार बैंक मैनेजर का फर्ज अदा किया और जोनल औफिस में जा कर सबकुछ साफसाफ बता दिया.

इन सब का मुख्य आरोपी कौन था मीठी, उस की मां या कोई अन्य? यह एक रहस्य था और मेरे लिए जिज्ञासा. अचानक मीठी का फोन आ गया, ‘‘सर, मैं बेकुसूर हूं. प्लीज, आप मुझ से मिलिए. पूरी सचाई बता कर अपने दिल का बोझ हलका करना चाहती हूं.’’

मैं खुद को रोक न सका और उस से मिलने जेल गया. वह मुझे देख कर फूटफूट कर रो पड़ी.

‘‘सर, मुझे यकीन था कि आप मुझ से मिलने जरूर आएंगे. अब मैं आप को सचाई बताती हूं. पहले सचाई क्यों नहीं बताई, यह सब आप को सुनने के बाद पता चल जाएगा. हम आगरा के नहीं, बल्कि अलीगढ़ के पास एक गांव के हैं. हम 2 बहनें हैं. 2 साल पहले हमारे मातापिता का देहांत एक बस दुर्घटना में हो गया था. हमारे सौतेले चाचा पिता की जायदाद चाहते थे, इसलिए वे हम दोनों बहनों को मजबूर कर रहे थे कि हम अपना हिस्सा उन के नाम कर दें. लेकिन हम ने ऐसा नहीं किया और चुपचाप गांव छोड़ कर अलीगढ़ आ गए.

‘‘हम ने एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया. बहन ने कालेज में दाखिला ले लिया और मैं एक ब्यूटीपार्लर में काम करने लगी.

‘‘चाचा को हमारे रहने का ठिकाना पता चल गया और वे हमें परेशान करने लगे. चाचा से हमें नजात दिलाई हमारे मकानमालिक के बेटे मोहित ने. वह हमारी बहुत मदद करता था और मुझे बहन मानता था.

‘‘हमारा गुजारा मुश्किल से होता था. ब्यूटीपार्लर वाली आंटी ने मुझे पैसा कमाने का शौर्टकट रास्ता बताया और मुझे 50 प्रतिशत का साझीदार बनाया. मुझे आप से बैंक में मिल कर ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए लोन, मां की बीमारी, गहने गिरवी रखवाना, धोखे से वीडियो और फोटो की कहानी उन्हीं ने रची. एक बार को तो मेरे मन में भी लालच आ गया लेकिन मेरी अंतरात्मा इस के लिए राजी नहीं हुई. मैं ने साफ इनकार कर दिया तो उन्होंने मेरी बहन को गायब करवा दिया और कहा, ‘अगर तुम यह काम नहीं करोगी तो तुम्हारी बहन को बेच दूंगी.’

‘‘अपनी बहन की खातिर मैं ने यह सब किया.’’

‘‘मतलब ब्यूटीपार्लर वाली ने तुम से यह सब करवाया और तुम्हारी मां का रोल भी अदा किया.’’

‘‘नहीं सर, वे आंटी भी बेकुसूर थीं. उन से भी कोई यह सब करवा रहा था. आंटी को फोन पर ही सब दिशानिर्देश दिया जाता था क्योंकि ऐसा न करने पर उन की बेटी के ऊपर तेजाब डालने की धमकी दी गई थी. उन के नानुकुर करने पर एक बार तो तेजाब डालने की कोशिश भी की गई थी. आंटी की इकलौती बेटी थी. आंटी मजबूर थीं.’’

‘‘तो फिर कौन करवा रहा था? तुम्हारा सौतेला चाचा?’’

‘‘नहीं, चाचा भी नहीं.’’

‘‘तो फिर तुम खुद ही होगी. तुम्हारी नीली आंखों की गहराई में न जाने कितने रहस्य छिपे हैं?’’

‘‘सर, यह सारी साजिश मेरी छोटी बहन और उस के बेरोजगार बौयफ्रैंड की रची हुई थी. दोनों 25 लाख रुपए मिलने के बाद भाग कर शादी करना चाहते थे.’’

‘‘वह लड़का कौन था?’’

‘‘वह मोहित है, वह और मेरी छोटी बहन दोनों ही जेल में हैं.’’

‘‘तुम जेल से छूट कर कहां जाओगी? और क्या करोगी?’’

‘‘अब मैं यहां से छूट कर सीधे अपने गांव जाऊंगी और अपने हक के लिए लड़ूंगी. पिता की जायदाद बेच कर आधा हिस्सा बहन को दे दूंगी और अपने हिस्से की रकम से एक प्रशिक्षण केंद्र खोलूंगी जिस में जरूरतमंद गरीब औरतों और लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि कार्यों का निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा,’’ यह कहते वक्त उस की नीली आंखों में एक चमक सी आ गई थी.

मिसाइली युद्धप्रेम दुनिया के लिए साबित होगा बड़ा खतरा

उत्तर कोरिया ने एक बार फिर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया. भूकंप संबंधी जानकारी देने वाली निगरानी संस्थाओं ने उत्तर कोरिया के मुख्य एटमी स्थल के पास 6.3 तीव्रता का विस्फोट दर्ज किया. यह बम उत्तर कोरिया की लंबी दूरी की मिसाइलों से भी दागा जा सकता है. इस धमाके की ताकत पिछले परीक्षण से 9.8 गुना ज्यादा थी. इस से कुछ ही घंटों पहले उत्तर कोरिया ने दावा किया था कि उस ने एक ऐसा हाइड्रोजन बम विकसित किया है जिसे देश की नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल में लोड किया जा सकता है. एटमी हथियारों से लैस उत्तर कोरिया 1950 के दशक से अपने कट्टर दुश्मन अमेरिका तक एटमी मिसाइल दागने में समक्ष होने के तरीकों को लंबे समय से तलाश रहा है.

इस वक्त दुनिया के सामने सब से बड़ा सवाल यह है कि उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम परीक्षण का जवाब क्या है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी है कि उत्तर कोरिया को मिटा कर रख देंगे. इस के जवाब में उत्तर कोरिया ने धमकी दी है कि जापान को डुबो देंगे, अमेरिका को राख कर देंगे. लेकिन उत्तर कोरिया को मिटाना ट्रंप के लिए इतना भी आसान नहीं है.

अगर कोरियाई प्रायद्वीप पर जंग छिड़ी तो युद्ध का हश्र किसी को भी मालूम नहीं होगा कि यह कितनी जानें ले कर थमेगा. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि उत्तरी कोरिया खुद में ही ‘महाबम’ बन चुका है. लगातार एटमी परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने न सिर्फ अपनी तकनीक को उन्नत किया है बल्कि वह दुनिया के शक्तिशाली एटमी देशों में भी शामिल हो गया है. अमेरिका, आज के दौर में, उत्तर कोरिया को इराक या सीरिया समझने की गलती नहीं कर सकता.

एटमी हमले का डर

उत्तर कोरिया ने जिस हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है वह नागासाकी पर गिरे बम से 5 गुना अधिक ताकतवर था. यह उत्तर कोरिया का छठा सब से शक्तिशाली एटमी परीक्षण था. सैकड़ों किलोटन के इस बम के सभी उपकरण उत्तर कोरिया ने देश में ही तैयार किए. उत्तर कोरिया जब खुद को बुरी तरह घिरता या हारता देखेगा तब यह सोचना बेमानी होगा कि वह एटमी हमला नहीं करेगा. तानाशाह किम जोंग जब आज दुनिया की परवा न करते हुए परमाणु परीक्षण कर रहा है तो युद्ध के वक्त एटमी हमला करने में वह देर नहीं लगाएगा.

अमेरिका के लिए उत्तर कोरिया पर हमला करना एक और कारण से भी आसान नहीं है. उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच चीन मौजूद है. उत्तर कोरिया के साथ चीन एक संधि से बंधा हुआ है. संधि के तहत चीन या उत्तर कोरिया पर किसी दूसरे देश के हमला करने पर दोनों को ही एकदूसरे की मदद करनी होगी. साल 2021 तक इस संधि की मियाद है. आज के जो हालात हैं उन्हें देखते हुए अमेरिका 4 साल इंतजार करने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में अमेरिका अगर हमला करता है तो चीन का युद्ध में कूदना मजबूरी होगी.

दरअसल, दोनों देशों के बीच तनाव तब चरम पर पहुंच गया था जब किम जोंग ने अमेरिकी द्वीप गुआम पर मिसाइल से हमला करने की धमकी दी थी. जिस के बाद गुस्साए ट्रंप ने कहा था कि अगर उत्तर कोरिया ने ऐसी गलती की तो अमेरिका आसमान से इतनी आग बरसाएगा जिसे पूरी दुनिया देखेगी. लेकिन किम जोंग पर अमेरिकी चेतावनियों का कोई असर नहीं पड़ रहा है. रक्षा विशेषज्ञ पिछले 3 दशकों में अब तक का सब से गंभीर और भड़काऊ बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण बता रहे हैं. उत्तर कोरिया अपने मिसाइल कार्यक्रमों में जिस तेजी से काम कर रहा है उस से यह शक गहरा रहा है कि उस की मिसाइलें 3 वर्षों में अमेरिकी शहरों को अपने दायरे में ले सकेंगी. उत्तर कोरिया ने इस बार अपनी सब से विकसित ह्वासौग-12 मिसाइल का दुनिया के सामने नजारा पेश किया है जो एटमी हथियार ले जाने में कारगर है.

अमेरिका की लामबंदी

तकरीबन 60 साल के बाद अब उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव किसी भी वक्त महायुद्ध में बदल सकता है. अमेरिका बारबार विश्व समुदाय को उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण से दुनिया के लिए बढ़ते खतरे को आगाह कर लामबंद करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि चीन और रूस भी उत्तर कोरिया पर लगे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों का समर्थन कर रहे हैं लेकिन दुनिया यह जानती है कि बिना चीन की मदद के उत्तर कोरिया एटमी परीक्षण नहीं कर सकता था.

कोरियाई प्रायद्वीप पर 1950 में छिड़े युद्ध का इतिहास आज भी दक्षिण कोरिया के जख्मों को हरा कर देता है. उत्तर कोरिया ने सियोल पर कब्जा कर लिया था जिसे दक्षिण कोरिया ने अमेरिकी मदद से छुड़ाया था. अब अगर दोनों देशों के बीच जंग छिड़ती है तो पिछले युद्ध की तरह करोड़ों लोग प्रभावित होंगे. उत्तर कोरिया के पास दुनिया की चौथी सब से बड़ी सेना है. उस के पास 60 लाख सैनिक हैं.

अगर युद्ध होता है तो उत्तर कोरिया शुरुआती एक घंटे में हजारों मिसाइल दाग कर सियोल को खाक कर सकता है. वहीं, उस के पास इंटरकौंटिनैंटल बैलिस्टिक मिसाइलें भी हैं जो अमेरिकी शहरों को भी निशाना बना सकती हैं. दुनिया के लिए तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा तब पैदा हो जाएगा जब चीन और रूस भी इस युद्ध में उतर जाएंगे.

क्रूर और सनकी तानाशाह – किम जोंग उन इतिहास में कुछ शासक अपने सशक्त शासन के लिए जाने जाते हैं जिन्हें जनता ने भी बेहद प्यार दिया. इस के विपरीत कुछ ऐसे शासक भी रहे हैं जिन्होंने हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं और इसी कारण इन्हें सब से बड़े तानाशाह का दरजा मिला. इन तानाशाहों ने जनता के अधिकारों का शोषण ही नहीं किया बल्कि अपना खौफ और जनता पर राज बनाए रखने के लिए कत्लेआम तक किया.

अपने पिता किम इल सुंग की मौत के बाद उत्तर कोरिया की सत्ता पाने वाला किम जोंग इल वहां का एक बड़ा तानाशाह बन गया. किम जोंग इल ने 1994 से 2011 तक अपनी सत्ता में कई मानव अधिकारों का उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में लोगों की हत्या करवा दी थी. इस ने अपने शासनकाल में लगभग 3 लाख से भी अधिक लोगों को गिरफ्तार करवा लिया था. इस के अलावा लाखों कोरियाई नागरिक किम जोंग इल की क्रूर नीतियों के कारण मौत के घाट उतारे गए.

किम जोंग ऐसा तानाशाह है जो किसी पर रहम नहीं करता, किसी को मौत की सजा देना उस के लिए मजाक है. उत्तर कोरिया के किम जोंग के बारे में आप ने बहुत सारे किस्से पढ़े होंगे जैसे कि उस ने अपने फूफा को भूखे कुत्तों को खिला कर मार दिया था या कुछ और भी, लेकिन वहां के मीडिया और यहां तक कि इंटरनैट पर भी इतनी पाबंदियां हैं कि वहां की खबरें बाहर आना बहुत ही मुश्किल होता है.

सनकी तानाशाह किम जोंग को नाफरमानी पसंद नहीं है. ऐसा करने वाले को वह सिर्फ मौत की सजा देता है. एक बार किम जोंग ने उत्तर कोरिया के रक्षा प्रमुख ह्योंग योंग को ही मरवा दिया. उन की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने किम जोंग के सामने झपकी लेने की हिमाकत कर दी थी. एक मीटिंग के दौरान रक्षा प्रमुख को झपकी आ गई. उस मीटिंग को खुद तानाशाह किम जोंग ले रहा था. लिहाजा, वह आगबबूला हो उठा. उस का तमाशा देखने के लिए उत्तर कोरिया के हर बड़े अधिकारी को मौजूद रहने का फरमान सुनाया गया ताकि उन के दिल में खौफ पैदा किया जा सके.

किम जोंग ने अपनी सरकार के ही शिक्षा विभाग प्रमुख रि योंग जिन और कृषि मंत्री हांग मिन को एंटी एयरक्राफ्ट गन से मरवा दिया. दोनों पर आरोप था कि वे किम जोंग की बैठक में सोते हुए पकड़े गए थे.

किम ने अपनी गर्लफ्रैंड को भी नहीं बख्शा. किम की गर्लफ्रैंड गायिका थी और उस पर आरोप था कि उस का म्यूजिक ग्रुप पौर्न फिल्म बना रहा है. इस के बाद किम ने अपनी गर्लफ्रैंड सहित पूरे म्यूजिकल ग्रुप को ही गोली से उड़वा दिया. किम जोंग ने रि सोल जू से शादी की है जो चीयरलीडर और सिंगर रह चुकी है. कहा जाता है कि दोनों बचपन के दोस्त हैं.

4 साल पहले जब किम जोंग के पिता किम जोंग इल की मौत हुई थी, तब भी कई लोगों को मौत की सजा दी गई थी. दरअसल, किम जोंग ने फरमान सुनाया था कि जब उस के पिता का जनाजा निकलेगा तो सभी को रोना पड़ेगा. उस रोज प्योंगयांग की सड़कों पर हजारों लोग रो रहे थे. लेकिन जो नहीं रोया उस की मौत आ गई. किम जोंग ने ऐसे लोगों को फौरन गिरफ्तार करने का फरमान सुना दिया. दर्जनों लोगों को शोक नहीं मनाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया और फिर उन्हें गोली मार दी गई.

किम की रंगीनमिजाजी के साथ उस की शानोशौकत भी मशहूर है. किम की हेयरस्टाइल, उस के कपड़े यहां तक कि उस के जूते भी उत्तर कोरिया में सुर्खियां बटोरते हैं. कहा जाता कि कि साल 2000 में किम जोंग ने प्लास्टिक सर्जरी करवा कर अपनी अपनी शक्ल भी बदलवाई थी, क्योंकि वह अपने दादा किम ईल सुंग की तरह दिखना चाहता था.

उत्तर कोरिया में बाइबिल रखने पर किम ने रोक लगा रखी है. पौर्न सामग्री रखना या देखना सख्त मना है. साउथ कोरियाई फिल्म देखने पर पाबंदी है. गरीबों की तसवीरें खींचना भी मना है. टूरिस्ट्स मोबाइल फोन, कैमरा, लैपटौप नहीं रख सकते. गाड़ी खरीदना और जींस पहनना भी मना है.

इन नियमों को तोड़ने की वहां बड़ी सजा मिलती है. जिस ने नाफरमानी की, उसे सजाएमौत तक दी जाती है. सजा का कानून भी 3 पीढि़यों तक चलता है. मसलन, अगर उत्तर कोरिया में कोई जुर्म करता है तो उस की अगली 2 पीढि़यां भी इस सजा को भुगतेंगी. इस का असर यह है कि कई परिवारों की 3 पीढि़यां बिना कुसूर के जेल काट रही हैं.

किम जोंग ने साल 2013 में अपने फूफा को बेरहमी से मरवा दिया था. 120 शिकारी कुत्तों ने किम के फूफा जेंग सेंग थाएक को नोच डाला था. जिन फूफा को सनकी तानाशाह ने मरवा दिया था उन्होंने ही इसे सियासत की बारीकियां सिखाई थीं. लेकिन किम जोंग को लगने लगा था कि फूफा का कद उस से बड़ा हो रहा है, इसलिए उन्हें कुत्तों को खिला दिया. जिस तरह किम ने फूफा को मारा उसी तरह अपनी बूआ क्योंग को भी उस ने मौत दी थी. बूआ ने अपने पति जेंग सोंग थाएक की मौत पर सवाल खड़ा कर दिया था. वे किम की खिलाफत करने लगी थीं और इस तानाशाह को यह बरदाश्त नहीं हुआ. उस ने अपनी बूआ को भी मारने का फरमान सुना दिया. किम ने अपनी बूआ को जहर दे कर मरवा दिया था जबकि उत्तर कोरिया में बूआ की मौत की वजह हार्ट अटैक को बताया गया था. किम जोंग ने लाख कोशिश की कि बूआ की मौत की वजह दुनिया के सामने न आए लेकिन मई 2015 में कोरिया से भागे एक पूर्व सैन्य अधिकारी ने सनसनीखेज खुलासा किया कि किम ने ही अपनी बूआ की हत्या करवाई.

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