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कृतिका की रहस्यमय हत्या की हैरतअंगेज कहानी

छोटे शहरों से बड़े सपने ले कर सैकड़ों लड़कियां आए दिन सपनों की नगरी मुंबई पहुंचती हैं. लेकिन इन में से गिनीचुनी लड़कियों को ही कामयाबी मिलती है. दरअसल, फिल्म इंडस्ट्री भूलभुलैया की तरह है, जहां प्रवेश करना तो आसान है, लेकिन बाहर निकलना बहुत मुश्किल. क्योंकि यहां कदमकदम पर दिगभ्रमित करने वाले मोड़ों पर गलत राह बताने वाले मौजूद रहते हैं, जिन के अपनेअपने स्वार्थ होते हैं.

फिल्म इंडस्ट्री में एक तरफ जहां श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, हेमामालिनी, काजोल, जैसी अभिनेत्रियों ने अपने अभिनय का परचम लहराया, वहीं दूसरी ओर दिव्या भारती, स्मिता पाटिल, जिया खान, नफीसा जोसेफ, शिखा जोशी, विवेका बाबा, मीनाक्षी थापा और प्रत्यूषा बनर्जी जैसी सुंदर व प्रतिभावान छोटे व बड़े परदे की अभिनेत्रियों ने भावनाओं में बह कर अथवा अपनी नाकामयाबी की वजह से जान गंवाई.

सच तो यह है कि प्राण गंवाने वाली किसी भी अभिनेत्री की मौत का सच कभी सामने नहीं आया. अब ऐसी अभिनेत्रियों में एक और नाम जुड़ गया है कृतिका उर्फ ज्योति चौधरी का.

घटना 12 जून, 2017 की है. सुबह के करीब 10 बजे का समय था. मुंबई के उपनगर अंधेरी (वेस्ट) स्थित अंबोली पुलिस थाने के चार्जरूम में तैनात ड्यूटी अधिकारी को फोन पर खबर मिली कि चारबंगला स्थित एसआरए भैरवनाथ हाउसिंग सोसाइटी की 5वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 503 में से दुर्गंध आ रही है.

ड्यूटी पर तैनात अधिकारी ने मामले की डायरी बना कर इस की जानकारी सीनियर क्राइम इंसपेक्टर दयानायक को दी. इंसपेक्टर दयानायक मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत अपने साथ पुलिस टीम ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने इस मामले की जानकारी थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ और वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी थी.crime story

जब पुलिस टीम घटनास्थल पर पहुंची, तब तक वहां काफी लोगों की भीड़ एकत्र हो गई थी. भीड़ को हटा कर पुलिस टीम कमरे के सामने पहुंची. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि उस फ्लैट में 2-3 सालों से फिल्म और टीवी अभिनेत्री कृतिका उर्फ ज्योति चौधरी किराए पर रह रही थी. लेकिन वह अपने फ्लैट में कब आती थी और जाती थी, इस की जानकारी किसी को नहीं थी. चूंकि उस का काम ही ऐसा था, इसलिए किसी ने उस के आनेजाने पर ध्यान नहीं दिया था. पासपड़ोस के लोगों से भी उस का संबंध नाममात्र का था. पता चला कि कई बार तो वह शूटिंग पर चली जाती थी तो कईकई दिन नहीं लौटती थी.

फ्लैट की चाबी किसी के पास नहीं थी. जबकि फ्लैट बंद था. इंसपेक्टर दया नायक ने वरिष्ठ अधिकारियों से बात कर के फ्लैट का दरवाजा तोड़वा दिया. दरवाजा टूटते ही अंदर से बदबू का ऐसा झोंका आया कि वहां खड़े लोगों को सांस लेना कठिन हो गया. नाक पर रूमाल रख कर जब पुलिस टीम फ्लैट के अंदर दाखिल हुई तो कमरे का एसी 19 डिग्री टंप्रेचर पर चल रहा था. संभवत: हत्यारा काफी चालाक और शातिर था. लाश लंबे समय तक सुरक्षित रहे और सड़न की बदबू बाहर न जाए, यह सोच कर उस ने एसी चालू छोड़ दिया था. लाश की स्थिति से लग रहा था कि कृतिका की 3-4 दिनों पहले ही मौत हो गई थी.

इंसपेक्टर दया नायक अभी अपनी टीम के साथ घटनास्थल का निरीक्षण और मृतका कृतिका के पड़ोसियों से पूछताछ कर रहे थे कि अंबोली पुलिस थाने के थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़, डीसीपी परमजीत सिंह दहिया, एसीपी अरुण चव्हाण, क्राइम ब्रांच सीआईडी यूनिट-9 के अधिकारी और फौरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंच गई. फौरेंसिक टीम का काम खत्म हो जाने के बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ से जरूरी बातें कर के अधिकारी अपने औफिस लौट गए.

अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ ने इंसपेक्टर दया नायक और सहयोगियों के साथ मिल कर घटनास्थल और मृतका कृतिका के शव का बारीकी से निरीक्षण किया. कृतिका का शव उस के बैडरूम में बैड पर चित पड़ा था. शव के पास ही उस का मोबाइल फोन और ड्रग्स जैसा दिखने वाले पाउडर का एक पैकेट पड़ा था. पुलिस ने कृतिका का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया और पाउडर के पैकेट को जांच के लिए सांताकु्रज के कालिया लैब भेज दिया. फोन से कृतिका के घर वालों का नंबर निकाल कर उन्हें इस मामले की जानकारी दे दी गई.

घटनास्थल की जांच में कृतिका के बर्थडे का एक नया फोटो भी मिला, जिस में वह 2 युवकों और 3 युवतियों के बीच पीले रंग की ड्रेस में खड़ी थी और काफी खुश नजर आ रही थी. वह फोटो संभवत: 5 और 8 जून, 2017 के बीच खींची गई थी. कृतिका की हत्या बड़ी ही बेरहमी से की गई थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया था, साथ ही उस की हत्या में अंगुलियों में पहने जाने वाले नुकीले पंजों का इस्तेमाल किया गया था. कृतिका के शरीर पर कई तरह के जख्मों के निशान थे, जिस से लगता था कि हत्या के पूर्व कृतिका के और हत्यारों के बीच काफी मारपीट हुई थी. हत्या में इस्तेमाल चीजों को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया.

बैड पर कृतिका का खून बह कर बिस्तर पर सूख गया था और उसकी लाश धीरेधीरे सड़नी शुरू हो गई थी. घटनास्थल की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस टीम ने कृतिका के शव को पोस्टमार्टम के लिए विलेपार्ले स्थित कूपर अस्पताल भेज दिया. घटनास्थल की प्राथमिक काररवाई पूरी करcrime story

के पुलिस टीम थाने लौट आई. थाने आ कर थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ ने इस मामले पर अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विचारविमर्श किया और तफ्तीश का काम इंसपेक्टर दया नायक को सौंप दिया.

उधर कृतिका की मौत का समाचार मिलते ही उस के परिवार वाले मुंबई के लिए रवाना हो गए. कृतिका की हत्या हो सकती है, यह वे लोग सोच भी नहीं सकते थे. मुंबई पहुंच कर उन्होंने कृतिका का शव देखा तो दहाड़ें मार कर रोने लगे. पुलिस की जांच टीम ने उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला. पोस्टमार्टम के बाद कृतिका का शव उन्हें सौंप दिया गया.

इंसपेक्टर दया नायक ने कृतिका के परिवार वालों के बयान लेने के बाद थानाप्रभारी वी.एस. गायकवाड़ के दिशानिर्देशन में अपनी जांच की रूपरेखा तैयार की, ताकि उस के हत्यारे तक पहुंचा जा सके. एक तरफ इंसपेक्टर दया नायक अपनी तफ्तीश का तानाबाना तैयार कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ पुलिस कमिश्नर दत्तात्रय पड़सलगीकर और जौइंट पुलिस कमिश्नर देवेन भारती के निर्देश पर क्राइम ब्रांच सीआईडी यूनिट-9 के इंसपेक्टर महेश देसाई भी इस मामले की छानबीन में जुट गए थे.

फिल्मों, सीरियल अथवा मौडलिंग करने वाली लड़कियों पर पासपड़ोस के लोगों, सोसायटी में काम करने वालों, ड्राइवरों और गार्डों वगैरह की नजर रहती है. उदाहरणस्वरूप वडाला की रहने वाली पल्लवी पुरकायस्थ को ले सकते हैं, जिस की हत्या इमारत के कश्मीरी सिक्योरिटी गार्ड ने उस की सुंदरता पर फिदा हो कर दी थी.

ऐसी ही एक और घटना अक्तूबर, 2016 में गोवा के पणजी में घटी थी. वहां सुप्रसिद्ध ब्यूटी फोटोग्राफर और जानी मानी परफ्यूमर मोनिका घुर्डे का शव सांगोल्डा विलेज की सपना राजवैली इमारत की दूसरी मंजिल पर मिला था.

उस की हत्या में भी इमारत के सिक्योरिटी गार्ड राजकुमार का हाथ था. इसी थ्योरी के आधार पर इंसपेक्टर दया नायक ने अपनी टीम के साथ तफ्तीश उसी इमारत से शुरू की, जिस में कृतिका रहती थी. उन्होंने इमारत के आसपास रहने वालों से पूछताछ की, वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले, वहां के सिक्योरिटी गार्डों से पूछताछ की और संदेह के आधार पर उसे हिरासत में भी लिया. उस इमारत का दूसरा सिक्योरिटी गार्ड लखनऊ गया हुआ था. उस की तलाश में पुलिस की एक टीम लखनऊ भी भेजी गई. लेकिन वहां से उसे खाली हाथ लौटना पड़ा.crime story

27 वर्षीया मौडल और अभिनेत्री कृतिका उत्तराखंड के हरिद्वार की रहने वाली थी. उस के पिता हरिद्वार के सम्मानित व्यक्ति थे. ऐशोआराम में पलीबढ़ी कृतिका खूबसूरत भी थी और महत्वाकांक्षी भी. वह ग्लैमर की लाइन में जाना चाहती थी. जबकि उस का परिवार चाहता था कि वह पढ़लिख कर कोई अच्छी नौकरी करे. कृतिका के सिर पर अभिनय और बौलीवुड का भूत कुछ इस तरह सवार था कि उसे मांबाप की कोई भी सलाह अच्छी नहीं लगती थी. वह बौलीवुड में जाने के लिए स्कूल और कालेजों के हर प्रोग्राम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. इसी के चलते उसे अनेक पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र मिल चुके थे.

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कृतिका बौलीवुड की रंगीन दुनिया में काम पाने के लिए प्रयास करने लगी. इस के लिए उस ने अपना फोटो प्रोफाइल तैयार करा लिया था, जिसे वह विभिन्न विज्ञापन एजेंसियों को भेजती रहती थी. कुछ एक एजेंसियों ने उसे रिस्पौंस भी दिया और उसे औडिशन के लिए भी बुलाया. मौडलिंग की दुनिया में वह कुछ हद तक कामयाब भी हो गई थी. इस से उस का हौसला काफी हद तक बढ़ गया. उसे मौडलिंग के औफर मिलने लगे थे.

वैसे बता दें कि कृतिका मौडल नहीं बनना चाहती थी, क्योंकि शरीर के कपड़े उतार कर देह की नुमाइश करना उसे अच्छा नहीं लगता था. पर फिल्मों में काम करने की ललक उसे ऐसे विज्ञापनों में काम करने को मजबूर करती रही और इन्हीं के सहारे वह मुंबई जा पहुंची.

सन 2009 में कृतिका मायानगरी मुंबई आ गई और मौडलिंग करने लगी. मौडलिंग के साथसाथ वह बौलीवुड की दुनिया में भी अपनी किस्मत आजमाती रही. इसी चक्कर में उस ने मौडलिंग एजेंसियों के कई औफर भी ठुकराए. परिणाम यह हुआ कि उस के पास मौडलिंग एजेसियों के औफर आने बंद हो गए. इस बीच वह कई फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों से भी मिली. लेकिन उन से उसे आश्वासन तो मिले, पर काम नहीं.

इस सब के चलते एक तरह से वह निराशा से घिर गई थी. तभी एक पार्टी में उस की मुलाकात दिल्ली के बिजनैसमैन राज त्रिवेदी से हुई. जल्दी ही राज त्रिवेदी और कृतिका ने शादी कर ली. शादी के बाद दोनों दिल्ली आ गए. लेकिन कृतिका अपनी शादीशुदा जिंदगी में अधिक दिनों तक खुश नहीं रह पाई और एक साल में ही राज त्रिवेदी से तलाक ले कर आजाद हो गई. अपनी शादी की असफलता से कृतिका टूट सी गई थी, लेकिन उस ने अपने सपनों को नहीं टूटने दिया था.crime story

दिल्ली में रहते हुए कृतिका की मुलाकात शातिर ठग विजय द्विवेदी से हुई. विजय द्विवेदी मुंबई के कई बड़े फिल्मी सितारों और राजनेताओं को चूना लगा चुका था. जिन में फिल्म जगत के जानेमाने अभिनेता गोविंदा, टीवी और भोजपुरी फिल्मों की अभिनेत्री श्वेता तिवारी तथा बालाजी टेलीफिल्म्स की मालिक एकता कपूर और कांग्रेस के कद्दावर नेता अमरीश पटेल शामिल थे.

30 वर्षीय विजय द्विवेदी मूलरूप से दिल्ली का रहने वाला था. वह मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखता था, साथ ही सुंदर और आकर्षण व्यक्तित्व का मालिक था. खुद को वह कांग्रेस के कद्दावर नेता जनार्दन द्विवेदी का भतीजा बता कर लोगों को अपना परिचय बड़े ही रौब रुतबे वाले अंदाज में देता था. इस से लोग उस के प्रभाव में आ जाते थे. उस ने कृतिका को भी अपना परिचय इसी तरह दिया था. महत्वाकांक्षी कृतिका उस के प्रभाव में आ गई.

विजय द्विवेदी ने कृतिका को जब दिल्ली के एक मौल में शौपिंग करते देखा था, तभी उस ने सोच लिया था कि उसे किसी भी कीमत पर पाना है. वह कृतिका की सुंदरता पर कुछ इस तरह रीझा था कि जबतब कृतिका के आसपास शिकारी चील की तरह चक्कर लगाने लगा. आखिर एक दिन उसे कृतिका के करीब आने का मौका मिल ही गया.

कृतिका के करीब आते ही वह उस की तारीफों के पुल बांधने लगा, साथ ही उस ने उस की दुखती रगों पर हाथ भी रख दिया.उस ने कहा कि उस के जैसी युवती को मौडल, टीवी एक्ट्रेस या फिर फिल्म अभिनेत्री होना चाहिए. उस का यह तीर निशाने पर लगा. नतीजा यह हुआ कि शादी और फिर तलाक होने के बाद भी कृतिका के दिल में बौलीवुड के जो सपने बरकरार थे, उन्हें हवा मिल गई.

आखिरकार विजय द्विवेदी ने कृतिका को अपनी झूठी बातों से अपने प्रेमजाल में फांस लिया. कृतिका की नजदीकियां पाने के लिए उस ने उस की कमजोरी पकड़ी थी. उसे करीब लाने के लिए ही उस ने हाईप्रोफाइल अभिनेताओं और राजनीतिक रसूखदारों के नाम लिए थे. बात बढ़ी तो दोनों की मुलाकातें भी बढ़ गईं. कृतिका को भी विजय द्विवेदी से प्यार हो गया. कृतिका को अपनी मुट्ठी में करने के बाद विजय द्विवेदी ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और कृतिका से शादी कर ली.

सन 2011 में कृतिका विजय द्विवेदी के साथ अपनी किस्मत आजमाने वापस मुंबई आ गई. दोनों अंधेरी वेस्ट के लोखंडवाला कौंपलेक्स इलाके में किराए के एक फ्लैट में साथसाथ रहने लगे. मुंबई आने के बाद कृतिका फिर से बौलीवुड की गलियों में संघर्ष करने लगी. दूसरी ओर विजय द्विवेदी अपने शिकार ढूंढने लगा था. बहरहाल, इस बार एक तरफ कृतिका उर्फ ज्योति चौधरी की किस्मत रंग लाई, वही दूसरी ओर विजय द्विवेदी की किस्मत के सितारे गर्दिश में आ गए.

कृतिका को जल्द ही फिल्म ‘रज्जो’ में कंगना रनौत के साथ एक बड़ा मौका मिल गया. यह फिल्म सन 2013 में बन कर रिलीज हुई तो दर्शकों को कृतिका का अभिनय पसंद आया. इस के बाद कृतिका के सितारे चमकने लगे. फिल्म ‘रज्जो’ के बाद टीवी धारावाहिक ‘परिचय’ से उस की एंट्री एकता कपूर की कंपनी में हो गई.

इस के साथ ही उसे क्राइम धारावाहिक ‘सावधान इंडिया’ में भी काम मिलने लगा. जहां सन 2013 से कृतिका का कैरियर संवरना शुरू हुआ, वहीं विजय द्विवेदी के कैरियर का सितारा सन 2012 डूब गया था. कांग्रेस नेता अमरीश पटेल को ठगने के बाद उस के कैरियर की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी.

कांग्रेस नेता अमरीश पटेल के ठगे जाने की खबर जब उन की पार्टी के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी को मिली तो वह सन्न रह गए थे. उन्होंने इस मामले का संज्ञान लेते हुए इस की शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण से कर दी कि कोई उन्हें अपना चाचा बता कर उन की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है. मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने यह मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया.

क्राइम ब्रांच विजय द्विवेदी के पीछे लग गई. फलस्वरूप सन 2012 के शुरुआती दौर में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उस वक्त वह कांग्रेसी नेता सुरेश कलमाड़ी को अपना शिकार बनाने की कोशिश कर रहा था. कलमाड़ी से भी उस ने खुद को जनार्दन द्विवेदी का भतीजा बताया था. क्राइम ब्रांच ने उसे अपनी कस्डटी में ले कर पूछताछ की तो सारा मामला सामने आ गया.

यह बात जब कृतिका को पता चली तो वह स्तब्ध रह गई. विजय द्विवेदी के संपर्क और एक साल तक उस के साथ रहने के बावजूद भी वह उस की हकीकत नहीं जान पाई थी. दरअसल, वह उस से भी बड़ा ऐक्टर था. बहरहाल, विजय द्विवेदी के ठगी का परदा उठा नहीं कि कृतिका ने उस से तलाक ले लिया. उस का साथ छोड़ कर वह अलग रहने लगी. वह अपनी जिंदगी अपनी तरह से बिता रही थी. छोटे पर्दे पर उस के लिए काम की कोई कमी नहीं थी. हत्या के पहले उस ने खुशीखुशी अपना बर्थडे मनाया था. उस के 2-3 दिनों बाद ही उस की हत्या हो गई थी.

धीरेधीरे इस घटना को घटे लगभग एक माह के करीब हो गया. लेकिन अभी तक अभियुक्तों के बारे में पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिली थी. पुलिस अपनी तफ्तीश की कोई दिशा तय करती, तभी सांताकु्रज के कालिया लैब की रिपोर्ट देख कर उन का ध्यान एमडी ड्रग्स की तरफ गया. इसी बीच कृतिका के परिवार वालों ने बताया कि अपनी पहली शादी और तलाक के बाद वह काफी दुखी थी, जिस के चलते वह ड्रग्स लेने लगी थी.

जांच अधिकारियों ने उन के इसी बयान को आधार बना कर जांच करने का फैसला किया. एसीपी अरुण चव्हाण ने एक नई टीम का गठन किया. इस टीम में उन्होंने क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर उदय राजशिर्के, नंदकुमार गोपाल, खार पुलिस थाने के असिस्टैंट इंसपेक्टर जोगदंड, वैशाली चव्हाण, दयानायक और सावले आदि को शामिल किया. टीम के लोगों को अलगअलग जिम्मेदारी सौंपी गई.

सीनियर इंसपेक्टर सी.एस. गायकवाड़ के निर्देशन में जांच टीम ने पुन: घटनास्थल का निरीक्षण किया और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. इस कोशिश में पुलिस को एक फुटेज में 2 संदिग्ध युवकों की परछाइयां नजर आईं. लेकिन उन का चेहरा स्पष्ट नहीं था. इस के अलावा पुलिस ने करीब 200 लोगों से पूछताछ करने के अलावा कृतिका के फोन की 2-3 सालों की काल डिटेल्स और डाटा निकलवाया. इस के बाद पुलिस को तफ्तीश की एक हल्की सी किरण नजर आई. इसी के सहारे पुलिस कृतिका के हत्यारे ड्रग्स सप्लायर तक पहुंचने में कामयाब हो गई.

दरअसल, कृतिका को ड्रग्स लेने की आदत पड़ गई थी. उसे ड्रग्स आसिफ अली उर्फ सन्नी सप्लाई करता था. वह सिर्फ कृतिका को ही नहीं, बल्कि और भी कई फिल्मी हस्तियों को ड्रग्स सप्लाई किया करता था. इस चक्कर में वह जेल भी गया था. पूछताछ में उस ने बताया कि वह जेल जाने के पहले कृतिका को ड्रग्स सप्लाई करता था, लेकिन उस के जेल जाने के बाद कृतिका उस के दोस्त शकील उर्फ बौडी बिल्डर से ड्रग्स लेने लगी थी.

शकील उर्फ बौडी बिल्डर थाणे पालघर जनपद के उपनगर नालासोपारा (वेस्ट) की एक इमारत में किराए की काफी मोटी रकम दे कर रहता था. ड्रग्स सप्लाई के दौरान कृतिका और शकील खान की अच्छी दोस्ती हो गई थी. इसी के चलते वह कई बार कृतिका को उधारी में ड्रग्स दे देता था. फलस्वरूप कृतिका पर उस के 6 हजार रुपए बकाया रह गए थे. कृतिका उस का पैसा दे पाती, उस के पहले ही वह अगस्त, 2016 के पहले हफ्ते में जेल चला गया था.

शकील नसीम खान के अपने गिनेचुने ग्राहक थे. उन लोगों को ड्रग्स सप्लाई करने के लिए शकील खान बादशाह उर्फ साधवी लालदास से ड्रग्स लेता था. दोनों के बीच उधारी चलती रहती थी. नवंबर, 2016 में जब शकील जेल से बाहर आया तो उस के दोस्त बादशाह ने उस से अपने पैसों की मांग की. कृतिका पर उस के 6 हजार रुपए बाकी थे. दरअसल, एक ही धंधे में होने के कारण शकील खान ने बादशाह से ड्रग्स ले कर कृतिका को सप्लाई किया था. बादशाह ने जब शकील खान पर दबाव बनाया तो उस ने कृतिका से अपने बकाया  पैसों की मांग शुरू कर दी. लेकिन कृतिका उस का पैसा देने में आनाकानी कर रही थी. इस बीच करीब 6 महीने का समय निकल गया.

घटना के दिन शकील खान अपने दोस्त बादशाह को यह कह कर कृतिका के घर ले गया कि पैसा वह कृतिका के घर पर देगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. रात का खानापीना करने के बाद चलते समय जब शकील खान ने कृतिका से अपने पैसे मांगे तो उस ने पैसे देने में मजबूरी जताई. इस की वजह से दोनों में विवाद बढ़ गया.

कृतिका ने चिल्ला कर लोगों को एकत्र करने की धमकी दी तो शकील खान को गुस्सा आ गया. उस ने कृतिका के साथ मारपीट शुरू कर दी. शकील खान के पास लोहे का पंच था, जिस से उस ने कृतिका पर कई वार किए. इस के अलावा उस ने पास पड़ी किसी भारी चीज से भी उस के सिर पर वार कर दिया, जिस से उस की मौत हो गई. इस बीच उस का दोस्त बादशाह उन दोनों का बीच बचाव करता रहा. लेकिन कृतिका की जान नहीं बच सकी.

कृतिका की हत्या करने के बाद शकील खान ने कमरे का एसी चालू कर दिया. उस के बाद कृतिका के बदन के सारे जेवर और 22 सौ रुपए नकद ले कर बादशाह के साथ वहां से चला गया. बहरहाल, इन दोनों अभियुक्तों को पुलिस टीम ने 8 जुलाई को रात को नालासोपारा और पनवेल से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में दोनों ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया है.

विस्तृत पूछताछ के बाद उन के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के उन्हें अदालत पर पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में आर्थर जेल भेज दिया गया. दोनों अभियुक्त अभी जेल में हैं. लेकिन जांच अधिकारियों के सामने अभी भी एक प्रश्न मुंह बाए खड़ा है कि क्या मात्र 6 हजार रुपए के लिए कृतिका की हत्या की गई. ऐसा लगता तो नहीं है. क्योंकि 6 हजार रुपए न तो ड्रग्स सप्लायरों के लिए बड़ी रकम थी और न ही कृतिका के लिए. बहरहाल मामले की जांच अभी जारी है.

कैमरे को देख भाग खड़ी हुईं सारा अली खान

सैफ अली खान की प्यारी प्रिंसेस सारा अली खान अब जल्द ही फिल्म केदारनाथ में दिखाई देने वाली हैं. यही वजह है कि वे खबरों में बनी रहती हैं, वहीं वे लोगों के बीच इतनी प्रसिद्ध हैं कि सभी उन्हें लेकर छोटी से छोटी बात जानने के लिए उतावले रहते हैं. इतना ही नहीं, कोई भी कैमरामैन उनकी तस्वीर लेने से नहीं चूकता.

जैसा कि आप जानते हैं अपनी फिल्म केदारनाथ के सेट पर सारा अली खान के नखरे देखने लायक होते हैं और उनके इन्ही नखरों की वजह से कुछ समय पहले स्पौट पर मौजूद लोग उनसे खफा हो गए थे. कुछ लोगों का मानना था कि वे ऐसा इसलिए कर रही हैं क्योंकि वे खबरों में बनी रहना चाहती हैं. लेकिन हाल ही में कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद उन्होंने मीडिया से दूरी बना ली है.

जी हां, हाल ही में सारा अली खान तब नाराज हो गईं, जब कुछ कैमरामैन उनकी तस्वीरें लेने के लिए उतावले हो रहे थे. कैमरा को देखते ही उन्होंने अपना मुंह छुपा लिया और कहा कि उन्हें मीडिया को तस्वीरें न देने के लिए कहा गया है. उन्होंने कैमरामैन की ये कहते हुए क्लास भी लगाई कि वे उनकी तस्वीरें जिम के दौरान भी ले लेते हैं, जब उन्होंने कम कपड़े पहने होते हैं.

अब सारा की बातों ने अफवाहों को और भी हवा दे दी है. सभी ये बात कर रहे हैं कि आखिर उन्हें किसने कैमरे से दूर रहने के लिए कहा है. कहा जा रहा है कि फिल्म के डायरेक्टर अभिषेक कपूर भी इसके पीछे हो सकते हैं या सारा के पापा सैफ भी उन्हें ये नसीहत दे सकते हैं. हाल फिलहाल तो सारा कैमरा को देख भाग खड़ी होती हैं, लेकिन जल्द ही वे अपने फैन्स के सामने अपना नया लुक रिविल करेंगी.

घरों में शौचालय बनाने की नरेंद्र मोदी की मुहिम बन गई आफत

घरों में शौचालय बनाने की नरेंद्र मोदी की मुहिम चाहे जितनी अच्छी लगे, यह गरीबों के लिए असल में एक आफत हो गई है. शर्तें रखी गई हैं कि अगर घर में शौचालय नहीं है तो चुनाव नहीं लड़ सकते, नौकरी नहीं पा सकते, स्कूल में दाखिला में नहीं ले सकते.

हरियाणा ने गरीबी रेखा के नीचे वालों को तब तक राशन देना बंद करवा दिया, जब तक वे प्रमाणपत्र नहीं लाएंगे कि उन के घर में शौचालय है. लाखों गरीब मारेमारे फिरें कि पहले शौचालय के लिए सरकारी सहायता मिले, फिर सस्ता राशन. जितने दिन नहीं मिलेगा, उतने दिन क्या होगा? गरीब को महंगा राशन खरीदना होगा न? जिस का घर ही दूसरों की जमीन पर डंडे डाल कर फूस बिछा कर बना हो, वह कहां से शौचालय बनवाएगा, इस से राशन अफसरों को फर्क नहीं पड़ता.

बिहार सरकार ने शौचालय बनवाने के 12,000 रुपए दिए, पर क्या शौचालय असल में इतने में बन जाएगा? और अगर न बने तो उस से पंचायत का चुनाव लड़ने का हक छीन लिया गया है. वह दुहाई देने जाए भी तो कहां जाए, क्योंकि अदालत महंगी है और अफसर को तो आम आदमी का टेंटुआ पकड़ने का मौका भर चाहिए.

उलटे अफसरों और नेताओं ने तो शौचालय न होने पर घर में बाइक या टैलीविजन होने पर मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. नेता भी नहीं सुनते, चाहे उन के घर वाले खुद बाहर शौच करने जाते हों. 5 बार मध्य प्रदेश से सांसद रहे अनूपपुर जिले के दलपत सिंह परस्ते की बेटी टांकी टोला गांव में रहती है, पर 50,000 दूसरे लोगों की तरह वह भी बाहर शौच के लिए जाने को मजबूर है.

शौचालय हर कोई चाहता है, पर यह बनाना उतना आसान नहीं है, जितना प्रधानमंत्री के भाषणों, पोस्टरों, नारों से लगता है. जो घर छोटे हैं, जिन में अपना अहाता या खुली जगह नहीं है, वे कहां बनाएंगे, जिस से बदबू न आए? शौचालय साफ कैसे होगा, अगर बहता पानी न आए? अगर 2 गड्ढे वाला शौचालय भी बनाया गया, तो भी वह महीनेभर में भर जाएगा, तो उस को साफ कैसे करेंगे? अगर लोगों का मल जमीन में जाएगा, तो जमीन का पानी मैला हो जाएगा और बीमारियां पैदा होंगी.

सरकार ने तो यज्ञ करा कर सुखशांति लाने का फैसला सुना दिया. शौचालय यज्ञ कराओ तभी तुम्हारे जीतेजी आत्मा को जिंदा रहने देंगे, वरना मरा समझो. शौचालय के लिए सीवर और लगातार आने वाला पानी दोनों बहुत जरूरी हैं, वरना घरों के बाहर ही सड़ता मल नजर आएगा.

घरों में शौच इसलिए भी कराई जा रही हैं, ताकि ऊंची जाति वालों के पैर नीची जातियों के लोगों के मल पर न पड़ें. वे अपना मल अपने घर में रखें. चाहे उन के घर में बदबू बनी रहे, गंद रहे, शौचालय लबालब भरता रहे. यह समाज सुधार तो है, पर बिना सोचेसमझे या दूर की सोच का, जिस में ऊंचनीच भी घुसी है.

स्मौग के कारण इंडस्ट्री ने हाई स्किल्ड लोगों के दिल्ली से पलायन की आशंका जताई

देश की राजधानी दिल्ली पर छाई गहरी धुंध वहां के सर्विस बेस्ड इकोनामी की सेहत के बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है. यहां कि इकोनामी को ध्यान में रखते हुए उद्योग संगठनों और विशेषज्ञों ने केंद्र और राज्य सरकारों को आगाह भी किया है कि दिल्ली में प्रदूषण का गंभीर स्तर अगर इसी तरह बना रहा तो जल्द ही यहां से बड़े पैमाने पर हाई स्किल्ड और टैलेंटेड वर्कफोर्स के साथ आंत्रप्रेन्योर्स का पलायन शुरू हो जाएगा.

पीएचडी चैंबर आफ कामर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के चीफ इकनामिस्ट एसपी शर्मा ने कहा, स्मौग दिल्ली की सेहत को खराब कर रहा है और प्रदूषण का यह स्तर यहां कि सर्विसेज आधारित अर्थव्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक है. प्लांट और मशीनरी वाली मैन्युफैक्चरिंग इकनोमी के मुकाबले सर्विस बेस्ड इकनोमी में बिजनस या जौब शिफ्ट करना आसान होता है. जब सांस लेना ही मुहाल हो जाएगा तो लोग कहीं और विकल्प तलाशेंगे.

वैसे उनकी यह बात भी सही है, जब दिल्ली जैसे शहर में प्रदूषण का यह स्तर है, पूरी हवा जहर में घूलती दिख रही है तो ऐसे में टौप एग्जिक्यूटिव यहां क्यों रहेंगे वह अपने टैलैंट के साथ उन शहरों में शिफ्ट होना चाहेंगे, जहां साफ हवा और सुरक्षित वातावरण हो, और जहां पर वह खुलकर सांस ले सकें.

उद्योग संगठनों ने केंद्र और राज्यों को भेजे सुझाव में कहा है कि सभी विभागों, शोध संस्थानों और संगठनों को मिलकर कोई रोडमैप निकालना चाहिए. संगठनों ने फिलहाल कुछ आपातकालीन कदम उठाने की सिफारिश भी की है. इसमें मिस्ट कैनन का इस्तेमाल, कंस्ट्रक्शन और कचरा जलाने की रोकथाम के लिए टास्क फोर्स, पल्यूटिंग यूनिटों पर सख्ती, गाड़ियों की संख्या नियंत्रित करने जैसे उपाय शामिल हैं.

सीआईआई दिल्ली स्टेट सेल के चेयरमैन राहुल चौधरी ने कहा, ‘हालात आदमी की सेहत से लेकर कारपोरेट तक के लिए गंभीर हैं. संबंधित सरकारों को किसानों और नागरिक संगठनों के साथ मिलकर कोई ठोस हल निकालना चाहिए. फसलों की कटाई के बाद बचे हिस्से की रिसाइकलिंग का विकल्प तलाशना चाहिए, जिससे उसे जलाना न पड़े.

दिल्ली पर छाई गहरी धुंध वहां के सर्विस बेस्ड इकोनामी की सेहत को देखते हुए कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो टूरिज्म, हास्पिटैलिटी और आउटडोर रिक्रिएशन इंडस्ट्री को बड़ा झटका लग सकता है, और अगर प्रदूषण खत्म करने के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो दिल्ली-एनसीआर में निवेश के लाले पड़ जाएंगे.

बार बार मोबाइल हैंग होने से परेशान हैं आप!

स्मार्टफोन हैंग होना, बहुत आम समस्या है. कई बार तो नया स्मार्टफोन भी हैंग होने लगता है. पर समस्या सिर्फ आपके फोन के कन्फिगरेशन की ही नहीं है. आपके फोन यूजिंग हैबिट्स के कारण भी आपका फोन हैंग कर सकता है. वक्त रहते अपनी उन आदतों को बदल दीजिए, तो आपका फोन हैंग नहीं करेगा.

बिना जरूरत अपडेट करना

कई स्मार्टफोन कंपनियां अपने हैंडसेट के पुराने औपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करने की सुविधा देती हैं. लेकिन औपरेटिंग सिस्टम अपडेट करने से स्मार्टफोन स्लो हो सकता है. इसकी वजह फोन में पुराने हार्डवेयर. कम स्पीड वाला प्रोसेसर और रैम हो सकती है. स्मार्टफोन में ऐप्स अपडेट करने में भी कई बार यह समस्या आती है.

एक साथ कई ऐप्स खोल कर रखना

जब आप स्मार्टफोन पर ऐप्स इस्तेमाल करने के बाद बैक करते हैं, तो ऐप्स बंद न होकर मिनीमाइज हो जाते हैं, पूरी तरह बंद नहीं होते और बैकग्राउंड में ओपन ही रहते हैं. ऐसा करते करते कई ऐप्स बैकग्राउंड में ओपन ही रह जाते हैं. इंटरनेट ऐक्सेस करने पर ये भी सक्रिय हो जाते हैं. इस वजह से फोन स्लो हो जाता है और कई बार हैंग भी हो जाता है.

कैशे डीलिट न करना

अगर आप फोन पर इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो इससे भी आपका फोन स्लो हो जाता है. इंटरनेट पर जब भी कुछ सर्च किया जाता है तो यह फोन की टेंपोररी मेमोरी में सेव हो जाता है. जैसे जैसे डेटा बढ़ते जाता है, स्मार्टफोन स्लो होने लगता है.

थर्ड पार्टी ऐप्स इन्स्टाल करना

आप कई बार अपने स्मार्टफोन में ऐसे ऐप्स इन्स्टाल कर लेते हैं जो प्ले स्टोर पर भी नहीं होते. ऐसे ऐप्स से साफ्टवेयर के करप्ट होने का खतरा रहता है. इससे फोन भी हैंग होता है.

फोन औफ या रिस्टार्ट नहीं करना

बहुत से यूजर अपने स्मार्टफोन को कभी औफ या रिस्टार्ट नहीं करते. ऐसे में लगातार यूज करते रहने से स्मार्टफोन स्लो हो जाता है और हैंग होने लगता है.

सही चार्जर इस्तेमाल न करना

कई बार आप किसी भी चार्जर से फोन चार्ज कर लेते हैं. ऐसा करने से फोन की बैटरी पर असर पड़ता है.

बेमतलब के ऐप्स फोन में रखना

बहुत से यूजर्स अपने स्मार्टफोन में ऐसे ऐप्स रखते हैं जिनको वे कभी यूज नहीं करते. ऐसे फोन की इंटरनल मेमोरी का स्पेस कवर करते हैं और आपका फोन हैंग होने लगता है.

WWE के ये सुपरस्टार रेसलर चाहते हैं विराट से क्रिकेट और फिटनेस की ट्रेनिंग लेना

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली की फैन फौलोइंग न सिर्फ क्रिकेट के दुनिया में बल्कि अन्य खेलों के खिलाड़ी भी उनके जलवे पर कायल है.

वह सिर्फ मैच के दैरान किये जाने वाले अपने शानदार प्रदर्शन से ही लोगों का दिल नहीं जीतते बल्कि उन्हें अपनी जबरदस्त फिटनेस से भी लोगों का अपना दीवाना बना देते हैं.

कोहली क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए फिटनेस को श्रेय देते हैं. उनका मानना है कि उनकी सफलता के पीछे उनकी फिटनेस का भी अहम योगदान है, क्योंकि यदि फिटनेस अच्छी होगी तो करियर में चोटिल होने की समस्या से दूर रहा जा सकता है.

विराट कोहली के फिटनेस के दिवानों में एक और नाम जुड़ गया है और वो नाम है डब्ल्यूडब्ल्यूई के सुपरस्टार रेसलर फिन बैलोर का.

फिन बैलोर कोहली के क्रिकेट के दौरान किये जाने वाले प्रदर्शन को ही नहीं बल्कि फिटनेस की भी सराहना करते हैं और यही वजह है कि अब वह विराट मे इसकी ट्रेनिंग भी लेना चाहते हैं. आयरलैंड के 36 वर्षीय रेसलर बैलोर का भी विराच की तरह यही मानना है कि किसी भी स्पोर्ट्स या फिजिकल प्रोफेशन में फिटनेस का बेहद अहम रोल है.

बताते चलें कि फिन ने हाल ही में कहा है कि मुझे क्रिकेट के बारे में ज्यादा पता नहीं है फिर भी मैंने यह खेल औस्ट्रेलिया को खेलते हुए देखा है. आयरलैंड के होने के नाते मुझे यह बात पता है कि आयरलैंड क्रिकेट टीम कई बार काफी अच्छा खेल का प्रदर्शन दिखा चुकी है. पिछले 15 साल जापान और अमेरिका में बिताने की वजह से मुझे इस खेल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन मैं चाहता हूं कि आने वाले दिनों में आयरलैंड व भारत के बीच होने वाले क्रिकेट को जरूर देखना चाहूंगा. 

फिन ने कहा है कि मुझे भारतीय टीम के कप्तान विराट से मिलकर काफी अच्छा लगेगा और उनके साथ मैं प्रैक्टिस मैच खेलना चाहता हूं. उनसे मैं क्रिकेट की बारीकियां व नियम सिखना चाहूंगा. फिन ने यह भी कहा कि वह कोहली के साथ मैदान के एक-दो चक्कर भी लगाना चाहेंगे, ताकि उनके फिटनेस को बेहद ही करीब से देख व जान सकें.

पेटीएम पर कुछ ऐसे करें भीम यूपीआई सर्विस का इस्तेमाल

मोबाइल वालेट पेटीएम ने अपने प्लेटफार्म पर भीम यूपीआई सर्विस शुरू कर दी है. यह सुविधा पेटीएम पेमेंट्स बैंक की तरफ से दी जा रही है. पेटीएम ने बताया कि इस सुविधा का लाभ हर पेटीएम यूजर को मिलेगा. उपभोक्ता को सिर्फ अपने बैंक खाते को पेटीएम भीम यूपीआई ऐप से लिंक करना होगा. इससे वह ट्रांजैक्शन शुरू कर सकते हैं. पेटीएम भीम यूपीआई आईडी पर सभी बैंकों व भीम यूपीआई ऐप्स में स्वीकार किया जाएगा.

कैसे बनेगी यूपीआई आईडी

पेटीएम ऐप के प्लेटफार्म पर यूपीआईडी बनाने के लिए, यूजर को ऐप के होम स्क्रीन में भीम यूपीआई सेक्शन में जाना होगा. यहां आपकी आईडी आपका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर होगा. इस सेक्शन के तहत यूजर अपने मौजूदा बचत बैंक खाते से अपना पेटीएम भीम यूपीआई लिंक कर सकते हैं. इस फीचर का प्रीव्यू फिलहाल एंड्रायड ऐप पर उपलब्ध है. कंपनी जल्द ही इसे आईओएस प्लेटफार्म पर भी देगी.

मिलेगी फंड ट्रांसफर की बेहतर सुविधा

पेटीएम भीम यूपीआई ऐप से यूजर दो बैंक खातों के बीच जितनी बार चाहे, उतनी बार फंड ट्रांसफर कर सकता हैं. यहां यूजर को बेनेफिसियरी को एड करने के लिए इंतजार करने की जरूरत भी नहीं है. न ही उन्हें पैसे प्राप्त करने के लिए किसी के साथ अपने बैंक खाते की जानकारियां व आईएफएससी कोड साझा करने की जरूरत होगी.

नैशनल पेमेंट्स कार्पोरेशन औफ इंडिया के दिशानिर्देशों के मुताबिक, यूजर भीमयूपीआईडी का इस्तेमाल कर एक दिन में 1 लाख रु ही भेज सकेंगे. एक दिन में कितने पैसे रिसीव किए जा सकते हैं, इसपर अभी कोई लिमिट नहीं लगाई गई है.

पेटीएम देगा ट्रेनिंग

कंपनी के मुताबिक, वह अपने 50 लाख बिजनेस पार्टनर्स को भी पेटीएम भीम यूपीआई आईडी बनाने और उसके इस्तेमाल का प्रशिक्षण देगा. व्यापारियों को एक ही पेटीएम भीम यूपीआई आईडी से कई बैंक खाते जोड़ने और सीधे अपने बैंक खातों में पैसे स्वीकार करने की सहूलियत दी जाएगी.

क्या है भीम यूपीआई

याद दिला दें, कि भीम यूपीआई या यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस एक तरीका है जिससे यूजर तुरंत पैसे भेज और पा सकते हैं. यह यूजरों के बैंक अकाउंट्स से लिंक्ड होता है जिससे बिना किसी वॉलिट के दखल के पैसा सीधे अकाउंट में आता है या अकाउंट से निकलता है. इसके लिए यूजरों को एक यूनीक आईडी बनानी पड़ती है.

मैं एक खिलाड़ी हूं. मैं ने सुना है कि अत्यधिक ऐक्सरसाइज करने के कारण बांझपन की समस्या हो सकती है.

सवाल
मैं एक खिलाड़ी हूं. मैं ने सुना है कि अत्यधिक ऐक्सरसाइज करने के कारण बांझपन की समस्या हो सकती है. इस में कितनी सचाई है?

जवाब
ऐक्सरसाइज करने से कुछ नहीं होता. खिलाड़ी तो शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक फिट होते हैं. हां, उन के लिए समस्या हो सकती है, जो खिलाड़ी हैं या अत्यधिक शारीरिक श्रम करते हैं, लेकिन उस के हिसाब से डाइट और पूरी नींद नहीं लेते. अगर शारीरिक सक्रियता की अधिकता के कारण आप का वजन बहुत कम हो गया है और मासिकचक्र में गड़बड़ी हो गई है, तो इस के कारण बांझपन हो सकता है.

मेरे संबंध मेरी विधवा भाभी से हो गए हैं, जो 2 बच्चों की मां है. घर वाले इस बात से खुश नहीं हैं. क्या करना ठीक रहेगा.

सवाल
मैं 23 साल का बीए फाइनल का छात्र हूं. इस बीच मेरे संबंध मुझ से 7-8 साल बड़ी मेरी विधवा भाभी से हो गए हैं, जो 2 बच्चों की मां है. घर वाले इस बात से खुश नहीं हैं. भाभी पहले बदमिजाज थीं, पर अब वे सुधर गई हैं. क्या ठीक रहेगा?

जवाब
यह किस्सा गलत है, आपको इस तरह के संबंध बनाने से बचना चाहिए. आप अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाइये.

टी-20 क्रिकेट : इस भारतीय खिलाड़ी ने 4 मेडन ओवर में इटके 10 विकेट

यूं तो क्रिकेट को हमेशा ही ‘अनिश्‍च‍ितताओं का खेल’ कहा जाता है और फटाफट क्रिकेट यानि टी-20 में ये अनिश्चितताएं और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं. हर गेंद पर क्या नतीजा निकलेगा कोई नहीं जानता. हारते-हारते टीम कब जीत जाती है और जीतते-जीतते कैसे हार जाती है कुछ नहीं कहा जा सकता.

टी-20 में कब कौन सा खिलाड़ी चल जाए और कब कौन फ्लाप हो जाए, कुछ नहीं कर सकता. इस खेल के रिकार्ड भी अजब-गजब ही बनते हैं. अब एक बार फिर एक भारतीय खिलाड़ी ने टी-20 क्रिकेट में ऐसा रिकार्ड बनाया है, जिसे आज तक दुनिया का कोई गेंदबाज नहीं बना पाया है.

दरअसल, राजस्थान के एक युवा क्रिकेटर ने जयपुर में खेले गए एक टी-20 मैच में सभी 10 विकेट लिए. 15 वर्ष के इस युवा गेंदबाज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए बिना कोई रन दिए हुए 10 विकेट लिए. आकाश चौधरी ने दिशा क्रिकेट अकादमी की ओर से खेलते हुए पर्ल अकादमी के खिलाफ स्वर्गीय भवर सिंह टी-20 टूर्नामेंट में यह मुकाम हासिल किया. यह टूर्नामेंट मैदान के स्थानीय मालिक द्वारा अपने दादा की याद में करवाया जाता है.

सूचना के अनुसार पर्ल अकादमी ने टौस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और दिशा अकादमी को 20 ओवर में 156 रनों पर रोक दिया. जवाब में पर्ल अकादमी सिर्फ 36 रन पर औल आउट हो गई.

बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने अपने पहले ओवर में 2 विकेट लिए. इसके बाद दूसरे और तीसरे ओवर में भी उन्होंने दो-दो विकेट लिए. अपने आखिरी ओवर में चौधरी ने एक हैट्रिक समेत चार विकेट झटके.

आकाश राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हैं और 2002 में उनका जन्म हुआ था. आकाश पूर्व भारतीय गेंदबाज जहीर खान के बहुत बड़े फैन हैं. गेंदबाजी के अलावा वे निचले क्रम में उपयोगी बल्लेबाजी करते हैं और एक शानदार फील्डर भी हैं. वर्तमान में वे जिला स्तरीय क्रिकेट से राज्य स्तर तक आने के लिए तैयारी कर रहे हैं.

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