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जानलेवा गेम ब्लू व्हेल का खूनी खेल

पिछले साल 4 सितंबर की बात है. रात के 11 बजने वाले थे. राजस्थान की सूर्य नगरी कहलाने वाले जोधपुर में लोग दिनभर की भागदौड़ के बाद सोने की तैयारी कर रहे थे. कुछ लोग रात का भोजन कर के टहलने निकल गए थे. कुछ लोग कायलाना सिद्धनाथ की पहाड़ियों के आसपास भी टहल रहे थे.

इसी बीच टहल रहे लोगों ने देखा कि 16-17 साल की एक किशोरी ने पहाड़ियों से नीचे कायलाना झील के पानी में छलांग लगा दी. उम्रदराज लोगों में मानवता जागी. उन्होंने वहां घूम रहे और उधर आ रहे कुछ युवाओं से कहा कि वे झील में कूद कर उस किशोरी की जान बचाने की कोशिश करें. तैरना जानने वाले 3-4 युवकों ने आगे बढ़ कर झील में छलांग लगा दी. किशोरी झील में जीवन और मौत से संघर्ष करते हुए हाथपैर चला रही थी.

उन युवकों ने किशोरी को सकुशल पानी से बाहर निकाल लिया. बाहर आ कर वह चिल्ला कर कहने लगी, ‘‘मुझे झील में कूदने दो, टास्क पूरा करना है. अगर तुम ने मुझे बचा लिया तो मेरी मम्मी मर जाएंगी.’’ वहां मौजूद लोगों ने बालिका को समझाबुझा कर शांत किया.

सूचना मिलने पर राजीव गांधी नगर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. थाने ले जा कर किशोरी से पूछताछ की गई तो पता चला कि वह 17 वर्षीया किशोरी जोधपुर के मंडोर क्षेत्र में रहने वाले बीएसएफ जवान की बेटी है और 10वीं में पढ़ती है. उस किशोरी के पास एंड्रायड फोन था. पता चला कि पिछले कुछ दिनों से वह मोबाइल पर ब्लू व्हेल गेम खेल रही थी. उस ने इस गेम की सारी स्टेज पार कर ली थीं. किशोरी ने अपने घर वालों को यह गेम खेलने की भनक तक नहीं लगने दी थी. आखिरी टास्क के रूप में उसे 4 सितंबर को पहाड़ी से कूद कर अपनी जान देनी थी.

आखिरी टास्क को पूरा करने के लिए ही वह 4 सितंबर को दोपहर में परिवार वालों से सहेलियों के साथ बाजार जाने की बात कह कर घर से स्कूटी पर निकली थी. उस ने बाजार से एक चाकू खरीदा और उस से अपने दाहिने हाथ की कलाई पर व्हेल की आकृति उकेर कर ए.एस. लिख दिया. शाम को उस ने अपना मोबाइल रास्ते में फेंक दिया.

उस का यह मोबाइल एक भले आदमी को मिल गया, जिस ने मोबाइल पुलिस को सौंप दिया. रात करीब पौने 11 बजे वह स्कूटी ले कर कायलाना-सिद्धनाथ की पहाडि़यों के पास पहुंच गई. स्कूटी खड़ी कर के वह पहाड़ी पर चढ़ने लगी. रात का घना अंधेरा होने के कारण एक बार वह फिसली भी, लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी. वह फिर पहाड़ी पर चढ़ी और कायलाना झील में कूद गई.

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उस की किस्मत अच्छी थी कि लोगों ने उसे देख लिया और बचा लिया. बाद में पुलिस ने किशोरी को उस के मातापिता के हवाले कर दिया. घर जा कर जब दूसरे दिन भी उस के दिमाग से गेम का भूत नहीं उतरा तो उस ने कई तरह की दवाओं की गोलियां खा कर आत्महत्या करने का प्रयास किया.

जब उल्टीसीधी दवाएं खाने से उस की तबीयत बिगड़ गई तो घर वाले उसे कायलाना रोड स्थित एक निजी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने किशोरी की मानसिक व शारीरिक स्थिति को देखते हुए आईसीयू वार्ड में भर्ती करा दिया. अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान इस किशोरी ने मीडिया से कहा कि कोई बच्चा भूल कर भी इस गेम के चक्कर में ना फंसे, इसे खेलना तो दूर डाउनलोड भी नहीं करें.

कैसे पड़ी चक्कर में

किशोरी ने बताया कि टीवी पर ब्लू व्हेल की खबर देखने के बाद उसे लगा कि यह झूठ होगा, लेकिन जिज्ञासावश उसने मोबाइल में यह गेम डाउनलोड कर लिया. जब उस ने गेम खेलना शुरू किया तो वह पूरी तरह गेम खेलती रही. कई स्टेप पूरे करने के बाद उस की औनलाइन चैट चलती रही. चैट के दौरान उसे मरने के लिए 4 औप्शन दिए गए. ऐसा नहीं करने पर उस की मां की जान को खतरा बताया गया. गेम के चक्कर में उस के दिमाग ने कुछ इस तरह काम करना बंद कर दिया कि वह कुछ समझने के काबिल नहीं रही.

ब्लू व्हेल गेम के इस मामले को गंभीरता से ले कर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ के न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने 6 सितंबर को इसे संज्ञान में लिया. उन्होंने किशोरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बच्चों व उन के अभिभावकों में जागरूकता लाने के लिए स्कूलों में कैंप लगाने के निर्देश जारी किए. वहीं, दूसरी ओर राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान ले कर राज्य के प्रमुख गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी कि इस खेल को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं.

राजस्थान के पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह के निर्देश पर जोधपुर के थाना मंडोर की पुलिस ने उस किशोरी का मोबाइल और लैपटौप जब्त कर लिया. दोनों चीजों को साइबर एक्सपर्ट के पास भेजा गया है, ताकि पता चल सके कि छात्रा ने यह गेम कहां से डाउनलोड किया था. पुलिस ने किशोरी के परिजनों को हिदायत दी है कि वे उस की गतिविधियों पर नजर रखें और कोई भी संदिग्ध बात नजर आने पर पुलिस को सूचना दें. किशोरी को 7 सितंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी.

ब्लू व्हेल का एक और शिकार

जोधपुर की इस घटना से पहले 21 अगस्त को जयपुर के करणी विहार का रहने वाला 10वीं का एक 16 साल का छात्र गायब हो गया था. उस के गायब होने की रिपोर्ट जयपुर के करणी विहार पुलिस थाने में दर्ज कराई गई. लापता छात्र की तलाश के दौरान पता चला कि वह औनलाइन ब्लू व्हेल गेम खेलता था.

पूरी दुनिया में कई बच्चों की जान लेने वाले ब्लू व्हेल गेम का पता चलने पर उस छात्र की तलाश के लिए वैशाली नगर एसीपी रामअवतार सोनी के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित की गई. पुलिस ने छात्र के मोबाइल की लोकेशन के आधार पर पता लगाया कि वह जयपुर से मुंबई पहुंच गया है. पुलिस ने 25 अगस्त को उस छात्र को मुंबई के चर्चगेट रेलवे स्टेशन पर पकड़ कर आखिरी क्षणों में बचा लिया.

गेम का आखिरी चरण पार करने के लिए उस ने बाजार से चाकू खरीद लिया था. टास्क के तहत उसे एक ऊंची इमारत पर चढ़ना था. वह उस इमारत की लोकेशन के लिए मोबाइल पर आने वाले मैसेज के इंतजार में था, तभी जयपुर से गई पुलिस टीम और उस के घर वाले वहां पहुंच गए थे.

पूछताछ में पुलिस को छात्र ने बताया कि उस ने 5-7 दिन पहले मोबाइल के ब्राउजर पर ब्लू व्हेल लिख कर सर्च किया. एक पेज पर जौइन करने का विकल्प दिया गया था. उसे पहला टास्क मिला कि हाथ की नस काट कर फोटो शेयर करो. इस से छात्र डर गया, लेकिन टास्क पूरा करना था. इसलिए उस ने इंटरनेट से ऐसी ही एक फोटो निकाल कर शेयर कर दी. इस के बाद उसे 21 अगस्त को इंदौर जाने का टास्क मिला.

वह उसी दिन जयपुर से ट्रेन द्वारा इंदौर पहुंच गया. इंदौर में अगला टास्क मुंबई पहुंच कर चाकू खरीदने का मिला. इस पर उस ने मुंबई पहुंच कर चाकू खरीद लिया. इस के बाद उसे आखिरी चरण में ऊंची इमारत पर जाने का टास्क मिलने वाला था. वह चर्चगेट स्टेशन पर बैठा, इसी मैसेज का इंतजार कर रहा था.

पुलिस ने बताया कि छात्र के पास 2 मोबाइल और 4 सिम थीं. वह इन्हें बदलबदल कर इस्तेमाल कर रहा था. इस वजह से उस की लोकेशन तलाशने में काफी परेशानियां आईं.

पुलिस की आईटी टीम ने मोबाइल हैंडसेट के आईएमईआई नंबर से उस की लोकेशन का पता लगाया. परिवार वालों के मुताबिक छात्र बहुत सीधा, कम बातें करने और इंटरनेट से दूर रहने वाला था. उस के फेसबुक पेज पर फ्रैंड लिस्ट में परिवार व परिचितों में केवल 4-5 लोग हैं. उन्हें तो यह भी नहीं पता था कि वह अपना खुद का मोबाइल भी रखता था.

जयपुर के इस बालक और जोधपुर की बालिका को तो आखिरी मौके पर बचा लिया गया, लेकिन दुनिया भर में बच्चों की जान ले रहा सुसाइड गेम ब्लू व्हेल आजकल सब से ज्यादा सुर्खियों में है. भारत में रोजाना कहीं न कहीं से किसी बच्चे या युवा के इस गेम में सुसाइड करने की खबरें आ रही हैं. देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां इस तरह की घटना न हुई हो.

मुंबई भी अछूता नहीं

पिछले साल जुलाई महीने में ब्लू व्हेल उस समय चर्चा में आया, जब मुंबई के अंधेरी ईस्ट की शेर-ए-पंजाब कालोनी में 14 साल के एक बच्चे मनप्रीत सिंह साहनी ने 7वीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली थी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने इस बालक की आत्महत्या के लिए ब्लू व्हेल गेम को दोषी बताया था.

बताया गया कि मनप्रीत ने ब्लू व्हेल गेम का टास्क पूरा करने के लिए यह कदम उठाया था. उस ने 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले अपने दोस्त को मैसेज भेजा था कि गेम का टास्क पूरा करने के लिए मैं बिल्डिंग से कूद रहा हूं. हो सकता है मनप्रीत से पहले भी ब्लू व्हेल गेम के चक्कर में किसी बालक या युवा ने अपनी जान गंवाई हो, लेकिन ज्यादा चर्चा न होने से ऐसी कोई घटना उभर कर सामने नहीं आई.

इस के बाद तो ऐसा सिलसिला शुरू हुआ कि रोजाना किसी न किसी राज्य से इस तरह की खबरें आने लगीं. हालांकि आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार के पास अभी तक कोई ऐसा आंकड़ा नहीं है, जिस से यह पता चल सके कि इस गेम के चक्कर में कितने युवाओं की जान जा चुकी है और कितने ऐसे युवा हैं, जिन की जान बचा ली गई है.

जुलाई के चौथे सप्ताह में केरल के तिरुवंतपुरम में 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र मनोज ने संदिग्ध हालत में खुदकुशी कर ली. उस का शव कमरे में पंखे से लटका हुआ मिला. घर वालों का कहना है कि ब्लू व्हेल गेम ने उन के बेटे की जान ले ली. पिछले कई महीनों से उस के व्यवहार में बदलाव आ गया था.

कुछ महीने पहले मनोज ने इस गेम के बारे में अपनी मां अनु को बताया था, बाद में वह झूठ भी बोलने लगा था. मनोज कब्रिस्तान जैसी जगहों पर अकेला चला जाता था. उस के शरीर पर कई तरह के निशान बने हुए थे. वह रातरात भर जागता और सुबह 5 बजे सोता था. पुलिस ने उस के मोबाइल की जांच की.

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अगस्त के दूसरे सप्ताह में पश्चिम बंगाल में बेस्ट मिदनापुर के आनंदपुर कस्बे में रहने वाले अंकन डे का शव बाथरूम में पाया गया. अंकन ने अपने सिर को प्लास्टिक बैग से ढका हुआ था और बैग को गर्दन के पास कस कर बांधा हुआ था. उस की मौत दम घुटने से हुई थी. 10वीं कक्षा के छात्र अंकन के दोस्तों ने बाद में बताया कि वह ब्लू व्हेल गेम खेल रहा था.

दिल्ली में भी दस्तक

अगस्त के तीसरे सप्ताह में दिल्ली के द्वारका में रहने वाले 17 साल के किशोर की जान उस की मां की सतर्कता से बच गई. बच्चे ने इस गेम के आधे पौइंट पार कर लिए थे. अगले चरण में उस ने गेम के निर्देश के तहत अपने चेहरे पर ज्योमेट्री बौक्स के टूल से जख्म बना लिए थे. मां ने साइकियाट्रिस्ट डाक्टरों की मदद ली. अब इस किशोर की हालत स्थिर है. इस से पहले उस का व्यवहार बदल गया था और वह अकेला रहने लगा था. पूछने पर सही जवाब भी नहीं देता था.

अगस्त के चौथे सप्ताह में उत्तर प्रदेश के शहर हमीरपुर में 13 साल के पार्थ ने पंखे से लटक कर फांसी लगा ली. घर वाले उसे अस्पताल भी ले गए, लेकिन उस की जान नहीं बचाई जा सकी. वह जयपुरिया स्कूल में 7वीं कक्षा में पढ़ता था. बताया गया कि ब्लू व्हेल गेम का टास्क पूरा करने के लिए उस ने यह कदम उठाया था. अपनी जान देने से पहले वह मोबाइल मे ब्लू व्हेल गेम खेल रहा था. इस दौरान वह अचानक कमरे में गया और बैड के ऊपर कुर्सी रख कर अंगौछे के सहारे पंखे से लटक गया.

ब्लू व्हेल बन गया फांसी

अगस्त महीने के ही आखिरी दिनों में तमिलनाडु के मदुरै में ब्लू व्हेल गेम खेल रहे 19 साल के विग्नेश ने फांसी लगा कर अपनी जान दे दी. वह बीकौम द्वितीय वर्ष का छात्र था. उस ने सुसाइड नोट में लिखा कि ब्लू व्हले गेम नहीं, बल्कि खतरा है. एक बार इस में घुसने के बाद निकल नहीं सकते. उस ने अपने हाथ पर व्हेल का निशान भी बनाया था. मां ने जब इस निशान के बारे में पूछा तो विग्नेश ने कहा था कि चिंता मत करो.

विग्नेश की मौत के दूसरे दिन अगस्त के आखिर में पुडुचेरी की सैंट्रल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले 23 साल के एमबीए के छात्र शशि कुमार वोरा ने हौस्टल के कमरे में फांसी लगा कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. वह मूलत: असम का रहने वाला था. उस ने ब्लू व्हेल गेम की चुनौती पूरी करते हुए आत्महत्या की थी. पुलिस ने वोरा के मोबाइल फोन की जांच करने के बाद इस बात की पुष्टि की थी कि आत्महत्या करने से पहले वह ब्लू व्हेल गेम खेल रहा था.

अगस्त महीने के आखिरी दिन ही गुजरात के बनासकांठा में ब्लू व्हेल गेम खेलते हुए एक युवक ने साबरमती नदी में छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली.

20 साल के अशोक मुलाणा ने अपनी जान देने से पहले फेसबुक पर एक वीडियो मैसेज पोस्ट किया, जिस में उस ने कहा कि मैं जिंदगी से परेशान हो गया हूं. मेरा शिकार ब्लू व्हेल गेम ने किया है, इसलिए सुसाइड कर रहा हूं, मेरे परिवार में किसी की कोई गलती नहीं है.

अशोक 4 बहनों का एकलौता भाई था. उस के पिता परथीभाई की मौत हो चुकी थी. वह 3 महीने से नौकरी पर भी नहीं जा रहा था. दूसरी ओर पुलिस ने इस युवक के ब्लू व्हेल गेम का शिकार होने की बात से इनकार किया है.

सितंबर के पहले दिन असम के गुवाहाटी में एक लड़के ने खुद को काट लिया. नौगांव में 5वीं कक्षा में 2 बच्चों की अपने हाथ की कलाई पर व्हेल बनाने की कोशिश करते समय खून बहने पर बचा लिया गया. जोरहाट में एक छात्र ने फेसबुक पोस्ट कर ब्लू व्हेल की एडवांस स्टेज पर पहुंचने की पोस्ट डाली. इस के बाद वह लापता हो गया.

सितंबर के पहले सप्ताह में ही मध्य प्रदेश के दमोह में सात्विक नाम का छात्र ब्लू व्हेल गेम की आखिरी स्टेज का चैलेंज पूरा करने के लिए टे्रन के आगे घुटने टेक कर बैठ गया. इस से उस के परखच्चे उड़ गए. वह विज्ञान का 11वीं का छात्र था. जहां सात्विक की मौत हुई, वहां से कुछ ही दूरी पर लगे सीसीटीवी कैमरे में इस घटना के कुछ फुटेज पुलिस ने देखे. पुलिस ने सात्विक के मोबाइल की भी जांच की. बताया गया कि घटना से कुछ दिनों पहले से वह हर जगह मोबाइल ले कर जाता था. वह ब्लू व्हेल गेम खेलने की वजह से काफी परेशान था. उस ने दोस्तों से कहा था कि मेरे पास वक्त कम है.

हिमाचल प्रदेश के सोलन में सितंबर के दूसरे सप्ताह में ब्लू व्हेल गेम का पहला मामला सामने आया. इस का पता तब चला, जब एक निजी स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे के घर वालों ने उस की कलाई पर ब्लेड के कट के निशान देखे. पूछने पर बच्चे ने बताया कि स्कूल के दूसरे छात्र भी इस गेम को खेल रहे हैं. गेम के टास्क के तहत उस ने कलाई पर कट लगाए हैं. खुद के पास मोबाइल न होने के कारण वह दोस्त के मोबाइल से और कैफे में जा कर यह खतरनाक गेम खेलता था.

उत्तर प्रदेश में पसरे पांव

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उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में ब्लू व्हेल से दूसरी मौत सितंबर के दूसरे सप्ताह में हुई. इस घटना में 21 साल के दीपक वर्मा ने अपने घर की दूसरी मंजिल की छत से नीचे छलांग लगा दी थी. दूसरी घटना में लखनऊ के पौश इलाके इंदिरा नगर में 14 साल के आदित्यवर्द्धन ने अपने घर पर कमरे में फांसी लगा ली थी. दोस्तों ने बताया कि आदित्य 2 सप्ताह से मोबाइल पर ब्लू व्हेल गेम खेल रहा था.

कानपुर में एक छात्र की जान अध्यापकों की सतर्कता से बच गई. बर्रा के जरौली स्थित सरदार पटेल इंटर कालेज में 11वीं में पढ़ने वाला 16 साल का छात्र इस गेम के चक्कर में फंस कर क्लास में बैठा सुसाइड नोट लिख रहा था, तभी एक टीचर की नजर उस पर पड़ गई. कई दिनों से इस छात्र को गुमशुम देख कर शिक्षक उस पर नजर रखे हुए थे.

अभी 14 सितंबर को पता चला कि छत्तीसगढ़ के बालोद में एक साथ 6 छात्र ब्लू व्हेल गेम के चक्कर में फंस कर अपनी कलाई काट बैठे. जांच में पता चला कि इन में से एक ही छात्र गेम खेलता था, बाकी को उसी ने चैलेंज दिया था. इन सभी छात्रों के हाथों पर ब्लेड से काटने के निशान मिले.

गेम खेलने वाले एक छात्र ने बताया कि जब उसे ब्लू व्हेल गेम का पता चला तो इस के लिए ब्लू व्हेल लिख कर इंटरनेट पर सर्च किया. इस कोशिश में एक वीडियो आया, जिस में कलाई काट कर ब्लू व्हेल या एफ 57 का निशान बनाना था. खेलने का मन हुआ तो उस ने अपनी कलाई काट ली. दूसरे दिन उस ने अपने दोस्तों को दिखा कर कहा कि यह टास्क सिर्फ मैं पूरा कर सकता हूं. तुम सब डरपोक हो. जोश में आ कर उस के 5 दोस्तों ने कलाई पर वैसे ही कट बना लिए.

जानलेवा औनलाइन गेम ब्लू व्हेल चैलेंज सन 2013 में रशिया में लौंच हुआ था. इसे द ब्लू व्हेल गेम भी कहते हैं. इस की शुरुआत फिलिप बुदेइकिन नामक 21 साल के युवा ने की थी. वह साइकोलौजी का छात्र था, लेकिन यूनिवर्सिटी से निकाल दिया गया था. बाद में फिलिप को 16 युवाओं को आत्महत्या के लिए उकसाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया. उसे 3 साल की सजा सुनाई गई. अभी वह जेल में है. गिरफ्तारी के बाद जब उस से यह गेम बनाने का कारण पूछा गया तो उस का जवाब था कि मैं समाज में कचरे को साफ करना चाहता हूं.

फिलिप की जगह बाद में दूसरे लोगों ने यह काम संभाल लिया. इस ग्रुप से जुडे़ लोग ऐसे बच्चों की तलाश में रहते हैं, जो सोशल मीडिया पर टौर्चर, हिंसा या अपवाद का कंटेंट शेयर करते हैं. संपर्क के बाद गेम में शामिल करने के लिए वाट्सऐप, फेसबुक या मैसेंजर का इस्तेमाल किया जाता है.

इस गेम को डाउनलोड नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कोई सौफ्टवेयर या एप्लीकेशन नहीं है. इस गेम को खेलने के लिए एक लिंक होता है, जो भी यूजर इस लिंक को ऐक्टिव करता है, वह एडमिन के शिकंजे में आ जाता है.

ऐसे दिया जाता है टास्क

50 दिन के गेम में रोजाना एक टास्क दिया जाता है. शुरुआती टास्क अपेक्षाकृत आसान होते हैं. जैसे सुबह 4 बजे उठना या रात भर जागना. 49 टास्क तक आतेआते चैलेंज इतने मुश्किल हो जाते हैं कि खेलने वाले की जान तक चली जाती है. इन में एडमिनिस्टे्रेटर को फोटो प्रूफ भी देने होते हैं. मसलन इस में शरीर पर कट लगाना, हाथ की नसें काट लेना, ब्लेड या चाकू से कलाई पर व्हेल का निशान बनाना, शरीर में सुइयां चुभाना जैसी चीजें शामिल होती हैं. कोई लड़का या लड़की 49वें टास्क तक भी चलता रहे तो 50वां टास्क होता है खुद की जान ले लो.

यह गेम भारत समेत चीन, अमेरिका, फ्रांस, इंगलैंड, पश्मिची यूरोप एवं कई अन्य देशों में करीब 150 से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है. कुछ समय पहले रशियन पुलिस ने 17 साल की एक लड़की को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने उसे ब्लू व्हेल औनलाइन गेम की मास्टरमाइंड बताया. एक समाचार एजेंसी ने रूस की इंटीरियर मिनिस्ट्री के कर्नल इरिना वौक के हवाले से कहा था कि आरोपी लड़की गेम बीच में छोड़ने वालों को जान से मारने की धमकी और उन के परिवार की हत्या जैसी धमकियां दे कर मासूमों को खुदकुशी करने के लिए मजबूर करती थी.

रशियन पुलिस को उस लड़की के कमरे से हौरर किताबें, डरावनी पेंटिंग, सुसाइड के लिए मजबूर करने वाले फोटो, डीवीडी और विवादित उपन्यास मिले थे, साथ ही साइकोलौजी के छात्र फिलिप बुदेइकिन के फोटो भी मिले थे. रूस की पुलिस के मुताबिक पहले इस लड़की ने खुद गेम खेला था, लेकिन उस ने आखिरी टास्क पूरा करने के लिए सुसाइड नहीं किया. इस के बाद वह गेम की एडमिनिस्ट्रेटर बन गई.

भारत सहित दुनिया के कई देशों में चिंता का कारण बन रहा ब्लू व्हेल गेम गूगल पर आजकल काफी सर्च किया जा रहा है. गूगल ट्रेंड रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ब्लू व्हेल गेम सर्च में 3 महीने से भारत टौप पर है. कुछ समय पहले कोलकाता गूगल सर्च में टौप पर था. इस के बाद पहले स्थान पर कोच्चि आ गया है. तिरुवनंतपुरम दूसरे और कोलकाता तीसरे नंबर पर है. भारत में दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई व भोपाल 32वें स्थान पर हैं. इस गेम को खोजने वालों में सितंबर के पहले सप्ताह में  राजस्थान 7वें नंबर पर था.

भारत सरकार की चिंता

ब्लू व्हेल गेम को ले कर भारत सरकार काफी चिंतित है. कई राज्य सरकारों ने भी चिंता जताई है. केंद्र सरकार ने 11 अगस्त को इस गेम पर रोक लगाते हुए सभी इंटरनेट कंपनियों गूगल, फेसबुक, वाट्सऐप, इंस्टाग्राम, माइक्रोसौफ्ट, याहू आदि को निर्देश जारी कर कहा था कि ये कंपनियां इस गेम को अपने प्लेटफौर्म से हटा दें.

केंद्र सरकार का मानना है कि आने वाले समय में साइबर हमला और इस तरह के लिंक बड़ी चुनौती बन सकते हैं. केंद्र सरकार की साइबर अपराध से संबंधित संस्था सीईआरटी भी इस गेम के बारे में जांच कर रही हैं. पुलिस की साइबर सेल को भी अलर्ट किया गया है.

कई राज्य सरकारों ने विद्यार्थियों के घर वालों और टीचर्स के लिए गाइडलाइन जारी की है. विभिन्न राज्यों की पुलिस ने भी ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. राजस्थान के पुलिस महानिदेशक अजीत सिंह ने सभी पुलिस अधीक्षकों को ब्लू व्हेल गेम की रोकथाम के लिए स्कूल कालेजों में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. कई जगह अदालतों में याचिकाएं दायर कर इस गेम पर रोक लगाने की मांग की गई है.

इतना सब कुछ होने के बावजूद अभी तक यह गेम युवाओं की जान ले रहा है. बच्चों को इस से बचाने के लिए अभिभावकों को खासतौर से सतर्क रहने की जरूरत है. ब्लू व्हेल गेम विरोधी वीडियो भी यूट्यूब पर आ गए हैं. न्यूज प्रोड्यूसर ख्याली चक्रवर्ती के ब्लू व्हेल विरोधी वीडियो को हफ्तेभर में ही 1 करोड़ 30 लाख से ज्यादा हिट मिले हैं. सायकोलौजी की पढ़ाई करने वाली ख्याली ने इस गेम की रिसर्च करने के बाद वीडियो बना कर यूट्यूब पर डाला है.

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

‘ब्लू व्हेल गेम’ जैसे जानलेवा खेल से लोगों का चिंतित होना स्वाभाविक ही है. ब्लू व्हेल पर बैन लगाने के लिए मदुरै के 73 साल के अधिवक्ता एन.एस. पोन्नैया ने 15 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिस में कहा गया है कि यह गेम अब तक 200 लोगों की जान ले चुका है, लेकिन केंद्र सरकार ने इस से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इस गेम के विरोध में जागरूकता अभियान चलाए. इसी बीच कोलकाता हाईकोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दायर की गई है. वहां के हाईकोर्ट ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश भी जारी कर दिए हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने भी पोन्नैया की याचिका के आधार पर केंद्र सरकार को 3 सप्ताह में जवाब देने को कहा है, साथ ही कोर्ट ने इस मामले में अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल से इस मामले में सहयोग करने को कहा है.

कर्नाटक : भव्यता और सौंदर्य के साथ बेहिसाब खूबसूरती का नजारा

अरब सागर के किनारे बसा कर्नाटक अपनी भव्यता और सौंदर्य आज भी बरकरार रखे हुए है. यहां स्थित विशाल महल, उस के गुंबद और उस की मीनारें इतिहास की सजीव झांकी प्रस्तुत करती हैं. यहां की मनोहारी आबोहवा, बागबगीचे, झरने, झीलों ने इस प्रदेश को बेहिसाब खूबसूरती प्रदान की है.

मैसूर
बेंगलुरु से 140 किलोमीटर दूर स्थित मैसूर महिषासुर का कालांतर में बदला हुआ नाम है. मैसूर को राजमहलों का महानगर व गंधादागुडी (सुगंधि लोक) भी कहा जाता है. यहां अगरबत्ती व चंदन आदि के सामान विश्वप्रसिद्ध हैं. यहां पर लंबे अरसे तक शासन करने वाले महान वोडियार सम्राटों का मैसूर महल भारत के सब से बड़े व संपन्नतम राजमहलों में से एक है. ब्रिटेन के राजमहल बर्किंघम पैलेस की निर्माण शैली से प्रभावित व उत्कृष्ट हिंदूमुसलिम शिल्पकला के संगम से इस का निर्माण करवाया गया था.

यहां का दशहरा बहुत ही भव्य होता है, जिसे देखने के लिए विदेशों से पर्यटक खासतौर पर आते हैं. दशहरे के दौरान मैसूर महल भव्य रंगरूप से सजा रहता है और अनेक समारोह आयोजित किए जाते हैं. मैसूर के निकट स्थित कृष्णराजा सागर बांध पर निर्मित भव्य वृंदावन गार्डन सैलानियों को रिझाता है. 1950 से 1960 के बीच बनी अनेक फिल्मों में ज्यादातर रोमांटिक गानों की शूटिंग यहीं पर हुई है. यहां का खूबसूरत नजारा देखने के साथसाथ आप साथ में नौकायन भी कर सकते हैं.

बेंगलुरु
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की गणना भारत के 5वें सब से बड़े व सुविधाजनक महानगर में की जाती है. पर्यटन की दृष्टि से बेंगलुरु की गणना मुंबई के बाद सर्वाधिक आकर्षक स्थल के रूप में की जाती है. इसीलिए फिल्म वाले भी अपनी फिल्मों की शूटिंग के लिए बेंगलुरु और इस की निकटवर्ती रम्य पहाडि़यों (ऊटी, कोटागिरि, कुनूर आदि) को बहुत उपयुक्त समझते हैं. यहां बारहों महीने फिल्मों की शूटिंग्स होती रहती हैं.

कैसे जाएं : बेंगलुरु हवाई अड्डे से देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों के लिए उड़ानों का आनाजाना लगा रहता है. इंडियन एअरलाइंस व कई अन्य प्राइवेट एअरलाइंस के विमान दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, अहमदाबाद, हैदराबाद, कालीकट, कोच्चि, गोआ, त्रिवेंद्रम एवं वाराणसी से यहां आतेजाते हैं. देश के करीबकरीब सभी प्रमुख स्थानों से बेंगलुरु रेलमार्ग द्वारा जुड़ा है. दक्षिण भारत के सभी प्रमुख शहरों व पर्यटन स्थलों के लिए यहां से बसें और टैक्सी उपलब्ध रहती हैं.

कब जाएं : वर्षा के दिनों को छोड़ कर कभी भी यहां आया जा सकता है. वैसे तो वर्ष भर यहां देशीविदेशी पर्यटक आते रहते हैं.

क्या खरीदें : बेंगलुरु चंदन से निर्मित वस्तुओं व सिल्क साडि़यों के लिए प्रसिद्ध है. यहां से हस्तशिल्प की वस्तुएं भी खरीदी जा सकती हैं. बेंगलुरु के बाजार खूब सजेधजे और रौनक भरे हैं. उत्सव, त्योहार के समय कई दुकानों के आगे भालू, बंदर के मुखौटे लगा और वैसे ही वस्त्र पहने लोग खड़े रहते हैं.

कुर्ग

मैसूर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कुर्ग को कोडागू भी कहा जाता है. इस का अर्थ है सोती पहाडि़यों पर बसा धुंध जंगल. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है. कर्नाटक के पश्चिमी घाट पर बसे कुर्ग को ‘स्कौटलैंड औफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है. इस का हैडक्वार्टर मादिकेरी है, जो पहाड़ों के किनारेकिनारे बसा है. ट्रेन के जरिए मैसूर पहुंचिए और वहां से बस या कार के जरिए कुर्ग. पहाडि़यों के बीच से होते हुए रुई जैसे बादलों के नीचे, रिम?िम फुहारों का संगीत सुनते पहुंचिए मादिकेरी, जो पहाड़ों के बीच चिडि़या के घोंसले सा प्रतीत होता है.

दर्शनीय स्थल

राजा सीट : सब से पहले योजना बनाइए राजा सीट देखने की. यह पार्क है और यहां सूर्यास्त देखने पर्यटकों की भीड़ लगती है. कहा जाता है कि कोडागू के राजा यहां अपनी शाम बिताते थे. यहां से हरीभरी घाटी और धुंध में छिपे पहाड़ों का सौंदर्य देखते ही बनता है. इस पार्क में लेजर शो भी होता है. यहां की खासीयत है पतलीसंकरी सड़क से गुजरते हुए कौफी के पौधों को देखना. कम लोगों को ही पता होगा कि कुर्ग हमारे देश में कौफी की पैदावार का बड़ा केंद्र है.

मादिकेरी : हाथियों को साथ में  देखने की इच्छा हो तो दुबारे जंगल स्थित एलिफैंट कैंप जरूर जाएं. मादिकेरी से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर कावेरी नदी के किनारे कुशालनगर-सिद्दर रोड पर यह स्थित है. मोटरबोट में बैठ कर नदी पार कर के हाथियों को देखने पहुंचना होता है. चाहें तो यहां हाथियों पर सवारी की जा सकती है.

कुशालनगर : कुशालनगर में प्रसिद्ध तिब्बती मोनैस्ट्री है, जहां लाल और सुनहरे रंग की पोशाक में तिब्बती भिक्षुक दिखते हैं. मोनैस्ट्री के गुंबद पर खूबसूरत नक्काशी की गई है, अंदर सुनहरे रंग की तीन बुद्ध प्रतिमाएं एक पंक्ति में रख

गई  हैं. दीवारों पर बुद्ध की खूबसूरत पेंटिंग्स लगी हुई हैं. यहां देर तक चुप रह कर बैठने में जो सुखद अनुभूति है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है. बाहर एक तिब्बती स्टोर है, जहां से खरीदारी कर सकते हैं.

निसारगधमा : फिल्मों में देखे जाने वाले आईलैंड को यहां देखना एक अद्भुत अनुभव होगा. निसारगधमा मादिकेरी से 30 किलोमीटर की दूरी पर है, जो नदी के बीच है. यहां पहुंचने के लिए ब्रिज बना हुआ है. पिकनिक स्पौट के तौर पर इस का विकास किया गया है. चाहें तो बोटिंग भी कर सकते हैं या हाथी की सवारी भी. यह जगह दुबारे से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है.

अब्बे फौल्स : मादिकेरी से 8 किलोमीटर दूर अब्बे फौल्स पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है. मुख्य सड़क से ही गिरते झरने की सुकून भरी आवाज सुनाई पड़ती है. यहां पास में ही काफी और इलायची के पौधे लगे हुए हैं. पक्षियों की चहचहाहट एक मधुर संगीत का एहसास कराती है.

मादिकेरी फोर्ट : 19वीं शताब्दी के महल मादिकेरी फोर्ट में एक मंदिर, गिरजाघर, जेल और छोटा संग्रहालय है. यहां से मादिकेरी के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों को निहारा जा सकता है.

तलाकावेरी : कावेरी नदी का जहां से उद्भव होता है, उस जगह को तलाकावेरी कहा जाता है. यह जगह ब्रह्मगिरी पहाडि़यों में है. कावेरी नदी में वाटर राफ्टिंग भी की जा सकती है. इस के लिए बेहतरीन समय मध्य जून से मध्य सितंबर है.

इरूप्पू : दक्षिण कोडागू में ब्रह्मगिरी पहाडि़यों की शृंखला में इरूप्पू है. लक्ष्मणतीर्थ नामक नदी यहां बहती है. नदी एक खास जगह पर गिरती है, जिसे इरूप्पू फाल्स कहा जाता है.

नागरहोल वाइल्डलाइफ सैंचुरी : मादिकेरी से करीब 110 किलोमीटर दूर नागरहोल वाइल्डलाइफ सैंचुरी है. पार्क के बीचोंबीच सर्पीली नदी बहती है, जिस के नाम पर इसे नागरहोल कहा जाता है. यहां नागरहोल का अर्थ ही सर्पीली नदी है. बिजोन, हाथी, हिरण, सांभर, मंगूज, लोमड़ी जैसे कई जानवर व पक्षी यहां दिख जाते हैं. फौरेस्ट डिपार्टमैंट यहां सुबह और शाम को टूर का आयोजन भी करता है. यहां आप बाघ, पैंथर या कोबरा भी देख सकते हैं. यहां रहने चाहते हैं तो छोटे हट्स भी बने हैं.

कैसे जाएं : नजदीकी एअरपोर्ट मैंगलोर हैं. नजदीकी रेलवे स्टेशन मैसूर (120 किलोमीटर) और मैंगलोर हैं.

बेंगलुरु, मैसूर, मैंगलोर और हसन (करीब 150 किलोमीटर) से नियमित बस सेवाएं और टैक्सी उपलब्ध हैं.

क्या खरीदें : कौफी, शहद, अंजीर, मसाले, इलायची, कालीमिर्च, अनन्नास के पापड़ और संतरे. कुर्गी सिल्क साडि़यां भी काफी प्रसिद्ध हैं.

क्या खाएं : नौन- वैजीटेरियन के लिए कुर्ग में खाने को बहुत कुछ है. पांधी (पोर्क), कोली (चिकन) और यार्ची (लैंब) को काली मिर्च, कोकुम, लालमिर्च, बेंबला करी, कुडुमबुट्टु, नूलपुट्टु, बैंबू शूट और कौफी के साथ खाने का मजा ही कुछ और है.

जाने का समय : मध्य जून से मध्य सितंबर.

गोआ : दुनियाभर का सुकून अगर कहीं है तो बस यहीं है

नीला आसमान, रेत और पानी के चमकीले नजारों का प्रकृति का ऐसा खूबसूरत उपहार है गोआ जहां जाने की चाहत हर घुमक्कड़ के दिल में बसती है. भारत का सब से आधुनिक पर्यटन स्थल गोआ विदेशी और भारतीय संस्कृति का बेजोड़ संगम है. यही वजह है कि पिछले साल यानी 2012 में गोआ में तकरीबन 28-30 लाख पर्यटक आए. इन में लगभग 4 लाख पर्यटक तो सिर्फ विदेश से ही आए थे. पर्यटकों में बढ़ती गोआ की लोकप्रियता का ही सबूत यह है कि यहां की आबादी से ज्यादा यहां पर्यटकों का जमावड़ा दिखता है.

गोआ भारत के पश्चिम में स्थित एक छोटा सा राज्य है. पणजी, जिसे पंजिम भी कहा जाता है, यहां की राजधानी है. पणजी समेत वास्को, मडगांव, ओल्ड गोआ, मापुसा और कांदा यहां के प्रमुख शहर हैं. मांडवी और जुवारी यहां की 2 प्रमुख नदिया हैं. यहां कई खूबसूरत बीच और जल प्रपात हैं. यह छोटेबड़े लगभग 40 समुद्री तटों का शानदार गुलदस्ता है.

गोआ का नायाब सौंदर्य बीच तक ही सिमटा नहीं है बल्कि यहां के पुराने और ऐतिहासिक चर्च भी खास आकर्षण हैं. ये सैलानियों को पुर्तगाली दौर में ले जाते हैं. इन्हीं पुराने स्मारकों के चलते गोआ को भारत का रोम भी कहा जाता है. इन के अलावा आधुनिक बाजार, रिवर क्रूज, हैंग ग्लाइडिंग, वाटर राफ्ंिटग और हौट एअर बैलूनिंग जैसी एडवैंचर गतिविधियां पर्यटकों को यहां बारबार आने को मजबूर कर देती हैं.

खूबसूरत बीच

गोआ की सब से खास बात यह है कि यहां आ कर भारतीयों को ऐसा महसूस होता है मानो वे विदेश यात्रा पर निकले हों. कारण, यहां के समुद्रतट अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं. शायद यही वजह है कि इस राज्य की विश्व पर्यटन मानचित्र पर अलग पहचान है. यह जगह शांतिप्रिय और प्रकृतिप्रेमी पर्यटकों को खासी लुभाती है. संगीत की धुन में डूबी यहां की शामें जितनी हसीन होती हैं, दिन उतने ही खुशगवार होते हैं.

कलंगूट बीच : यह खूबसूरत बीच पणजी से 16 किलोमीटर दूर है. इस की बेपनाह खूबसूरती के चलते इसे दुनियाभर के प्रमुख समुद्री तटों में शुमार किया जाता है. इसे क्वीन औफ सी बैंक यानी सागर तट की रानी के नाम से भी पुकारा जाता है.

एक दौर था जब 60 के दशक के आसपास यह जगह हिप्पियों का ठिकाना बन चुकी थी. लेकिन समय बदला और 90 के दशक में सरकार ने इसे टूरिस्ट स्पौट के तौर पर विकसित कर दिया. अब यहां पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है. यह बीच पूरी तरह हौलीडे रिसोर्ट में तबदील हो चुका है. यहां रहने, खानेपीने और मनोरंजन के साधनों की कोई कमी नहीं है.

मीरामार बीच : पणजी से महज 3 किलोमीटर दूर यह बीच मुलायम रेत और ताड़ के पेड़ों से सजा है. राजधानी के सब से करीब यही बीच है. इस का सब से बड़ा लाभ यह होता है कि पणजी के होटलों में ठहरे पर्यटक पैदल भी इस बीच के नजारों का लुत्फ उठाने आ जाते हैं. लिहाजा, सीजन कोई भी हो, यह जगह सैलानियों से भरी रहती है.

डोना पाउला बीच : मीरामार बीच की तरह यह बीच भी पणजी के काफी नजदीक है. सिर्फ 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोना पाउला बीच, नाम से ही साफ हो जाता है कि इसे किसी पुर्तगाली के नाम से जाना जाता है. बहरहाल, यह गोआ का सब से खूबसूरत बीच है. मजेदार बात यह है कि इस बीच में न तो कोई रेतीला तट है और न ही स्विमिंग के ठिकाने. लेकिन हां, स्टीमर या बोट के जरिए यहां के दिलचस्प नजारों का आनंद लिया जा सकता है. भारतीय सैलानियों का यह पसंदीदा बीच कहा जा सकता है.

अरमबोल बीच : यह यहां का सब से शांत, सुंदर और लंबा बीच माना जाता है. यहां विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा अकसर देखा जा सकता है. आमतौर पर जो लंबा अवकाश ले कर गोआ आते हैं उन को यह जगह ज्यादा ही मुफीद लगती है.

इस बीच की खासीयत यह है कि कई जगहों पर रेत के लंबे किनारों पर लहरों के आगे जा कर तैरना काफी सुरक्षित और आसान होता है, इसलिए समुद्र की लहरों पर ऐडवैंचर का मजा उठाने वाले सैलानियों को यहां दोगुना आनंद मिलता है. बीच से पहले ही अरमबोल गांव मिल जाता है. जिन सैलानियों को अपने बजट का खास खयाल होता है वे इसी गांव में रहने के सस्ते ठिकाने खोज लेते हैं. राजधानी से 80 किलोमीटर दूर इस बीच के लिए मापुसा हो कर बसें मिल जाती हैं.

इन के अलावा गोआ में और भी कई बीच हैं जिन में वागाटोर, अगोंडा, पोलेलेम, सिनक्यू रिम बीच आदि प्रमुख हैं. गोआ में अनेक सुंदर और विशाल जलप्रपात भी हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं.

वाइल्ड लाइफ के ठिकाने : गोआ में कई दुर्लभ जानवरों और रंगबिरंगे पक्षियों को देख कर मनोरम अनुभव होता है. समुद्री तटों पर कई तरह की मछलियां भी खासी लुभाती हैं.

गोआ में कई नैशनल पार्क हैं जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए पर्यटन का उपहार हैं. महावीर वन्यजीव अभयारण्य, कीटोगाओ वन्यजीव संरक्षण, सलीम अली पक्षी अभयारण्य, नेतरावली वन्यजीव संरक्षण, बोंडला सैंचुरी आदि प्रमुख अभयारण्य हैं.

मोरिजिम बीच में विदेश से पलायन कर आने वाले पक्षियों को देखने का अनुभव रोमांचकारी होता है. यहां चीता, जंगली बिल्ली, हिरण, सियार, सांभर, चीतल, गिलहरी, काले मुंह वाले लंगूर, सांप, मगरमच्छ आदि दुर्लभ प्रजातियां सैलानियों को वाइल्ड लाइफ के रोमांचक तेवर से वाकिफ कराती हैं.

व्यंजन, फैशन और कार्निवाल : सैलानी घूमने के अलावा गोआ के सीफूड यानी समुद्री व्यंजनों के भी खासे दीवाने हैं. यहां मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह का खाना मिलता है पर तटीय इलाके के फिश, प्रौन, लौबस्टर जैसे सीफूड दुनियाभर के पर्यटकों के मुंह में पानी ले आते हैं.

गोआ के नारियल पानी की बात ही निराली है. कुल मिला कर गोआ के नजारे जितने खूबसूरत हैं उतने ही लजीज यहां के व्यंजन भी हैं.

गोआ के व्यंजनों के लजीजपन के अलावा फैशन के भी अनूठे मिजाज मौजूद हैं. यों तो यहां के ट्रैडिशनल परिधानों में औरतें मुख्यत: स्कर्टब्लाउज, साड़ी, पुरुष शर्ट और हाफ पैंट के साथ हैट का उपयोग करते हैं पर बदलते दौर के साथ अब यहां पहनावा भी बदला है. आज गोआ वैस्टर्न ट्रैंड्स को अपना रहा है. इस के असर के तौर पर यहां टैटूज बनवाने का चलन देखा जा सकता है. तरहतरह के टैटू यहां के सैलानियों के शरीर पर आसानी से देखे जा सकते हैं.

गोआ का एक और आकर्षण है जिस का इंतजार यहां आए हर सैलानी को होता है. यह आकर्षण है मस्ती भरी गोआ कार्निवाल परेड. इस परेड में गोआ की रंगीन संस्कृति के विविध पहलुओं से रूबरू होने का मौका मिलता है. 3 से 4 दिनों तक चलने वाले इस कार्निवाल के दौरान यह फर्क करना आसान नहीं होता कि दिन है या रात. इस दौरान पूरा गोआ रंगबिरंगा और रोशनी से जगमग दिखता है. फ्लोट्स परेड, गिटार की धुनों, डांस की थिरकन और नौन स्टौप मस्ती से भरे इस कार्निवाल में शामिल होना एक रोमांचक और यादगार अनुभव होता है.

कार्निवाल विदेशी कल्चर की देन है, गोआ में यह पुर्तगालियों के जरिए आया और समय के साथ यहां की स्थानीय संस्कृति में रचबस गया.

लोक कलाओं व लोक संगीत का समां बांध इस परेड को हर साल आयोजित किया जाता है. क्रिसमस के अवसर पर निकलने वाले कार्निवाल की भव्यता का नजारा देखते ही बनता है. हर बार एक अलग थीम पर आधारित कार्निवाल गोआ का एक प्रमुख आकर्षण है.

कब और कैसे जाएं : गोआ जाने के लिए सड़क, रेल और हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं. गोआ राष्ट्रीय और प्रांतीय राजमार्गों के अलावा कोंकण रेलवे के माध्यम से मुंबई, मंगलौर और तिरुअनंतपुरम से भी जुड़ा है. वहीं डबोलिम हवाई अड्डे से मुंबई, दिल्ली, तिरुअनंतपुरम कोच्चि, चेन्नई, अगाती और बेंगलुरु के लिए रेगुलर विमान सेवाएं हैं. घूमने के लिहाज से सितंबर से मई तक का समय बेहतर है.

एक और सरकारी बैंक में 68.38 करोड़ रुपये का घोटाला

पीएनबी के बाद कई बैंको में घोटाले किये जाने की खबरे आई थीं, इन घोटालो का सिलसिला अभी तक जारी है, क्योंकि अब एक और सरकारी बैंक में इस तरह की खबर आई है. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने केनरा बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक आर के दुबे और दो तत्कालीन कार्यकारी निदेशकों पर 68 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज चूक मामले में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाया है.

जांच एजेंसी ने विशेष सीबीआई अदालत में पूर्व चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आरके दुबे, पूर्व कार्यकारी अधिकारी अशोक कुमार गुप्ता और वीएस कृष्ण कुमार, पूर्व उप महाप्रबंधक मुकेश महाजन, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक टी. श्रीकांतन और पूर्व सह महाप्रबंधक उपेंद्र दुबे के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल कर दिए हैं. बैंक से धोखाधड़ी के मामले में दायर आरोप-पत्र में दिल्ली की एक निजी कंपनी अकेजन सिल्वर प्राइवेट लिमिटेड और उसके दो निदेशकों कपिल गुप्ता और राज कुमार गुप्ता के नाम भी शामिल हैं.

बता दें कि सीबीआई ने 27 जनवरी, 2016 को अकेजन सिल्वर, इसके दो निदेशकों, अज्ञात सरकारी कर्मचारियों और अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए थे. सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपों के अनुसार चांदी, हीरे और सोने के आभूषणों, नकली आभूषणों आदि का फुटकर और थोक व्यापार करने वाली निजी कंपनी ने उत्तर दिल्ली स्थित बैंक की कमला नगर शाखा से 2013 में 68.38 करोड़ रुपये का ऋण लेने के बाद उसे चुकाया नहीं था.

संबंधों का इस्तेमाल कर कर्ज दिया गया

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि गुप्ता, दुबे को जानते थे और कर्ज हासिल करने के लिये उन्होंने अपने संबंधों का इस्तेमाल किया. सीबीआई ने बताया, “दिसंबर 2013 में ऋण जारी कर दिया गया, जिसे अगले तीन महीनों में चुकाया जाना था. जारी होने के एक साल के अंदर ही 29 सितंबर, 2014 को इसे गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) घोषित कर दिया गया. उस राशि को फर्जी लेन-देन द्वारा पारिवारिक सदस्यों और बैंक के उच्चाधिकारियों में वितरित किया गया.”

सीबीआई ने स्पष्ट किया है, “यह निष्कर्ष सीबीआई की जांच और उसके द्वारा इकट्ठे किए गए सबूतों पर आधारित है. भारतीय कानून के अनुसार आरोपियों को तब तक निर्दोष माना जाएगा, जब तक कि एक निष्पक्ष सुनावाई के बाद उनका दोष सिद्ध नहीं हो जाता”.

इन सौफ्टवेयर की मदद से अपने सुस्त कंप्यूटर को दें रफ्तार

क्या आपका पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) धीमा हो गया है? उसपर काम करने में आपको काफी परेशानी होती है? उसे ओपन होने और बंद होने में भी ज्यादा समय लगता है? अगर इन सारे सवालो का जवाब हां है तो, ये खबर हम खास आपके लिए ही लेकर आएं हैं. यदि आपका डेस्कटौप या लैपटौप बूटिंग और फाइल्स लोड करने में ज्यादा वक्त लगाता है, तो इंटरनेट पर कुछ ऐसे सौफ्टवेयर्स भी मौजूद हैं, जिन्हें आप एकदम मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं. ये सौफ्टवेयर जंक फाइल्स को हटाएंगे, स्टार्टअप प्रोसेस को स्ट्रीमलाइन करेंगे और आपके कंप्यूटर की सौफ्टवेयर सेटिंग को बूस्ट करेंगे, जिससे आप अपने सुस्त हुए कंप्यूटर को इन सौफ्टवेयर्स की मदद से रफ्तार दे सकेंगे.

पिरिफौर्म सीक्लीनर

यह कंप्यूटर में मौजूद गैर जरूरी फाइलों, रजिस्ट्री एंट्रियों को हटाता है और कुकीज को ट्रैक करता है. यह सौफ्टवेयर काफी लोकप्रिय है. बहुत से लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह आपके सिस्टम के उन हिस्सों को भी क्लीन कर देता है, जहां तक अन्य फ्री सौफ्टवेयर नहीं पहुंच पाते हैं.

पीसी डीक्रेपिफायर

यह खासतौर पर नए कंप्यूटर के लिए उपयुक्त है, जिनमें अक्सर कई ऐप्स और बेमतलब की जंक सामग्री भर जाती है. ऐसे कंप्यूटर के लिए यह फ्री ऐप्लिकेशन काफी काम का है. यह ब्लौटवेयर को क्लियर करने के साथ ही पीसी डीक्रेपिफायर पीसी की स्पीड को दुरुस्त करता है. यह आपके सिस्टम का विश्लेषण करता है और आपको बताता है कि कौन से ऐप्स आपके लिए जरूरी नहीं हैं.

गेम खेलने वालों के लिए है जरूरी

आईओबिट एडवांस्ड सिस्टम केयर

कंप्यूटर में तेजी खासतौर पर गेम खेलने वालों के लिए जरूरी होती है, वह भी ऐसे वक्त जब गेम खेल रहे हों. इंटरनेट पर आईओबिट एडवांस्ड सिस्टम केयर का मुफ्त वर्जन भी है, जो बेसिक हाउस क्लीनिंग करता है और गेम खेलने के दौरान कंप्यूटर को गति प्रदान करता है. इसका प्रो वर्जन इंटरनेट स्पीड-बूस्टिंग, रियल-टाइम औप्टिमाइजेशन, प्राइवेसी प्रोटेक्शन और डीप रजिस्ट्री क्लीनिंग में सहयोग देता है.

रेजर कौर्टेक्स

यह भी गेम खेलने के दौरान आपके कंप्यूटर को गति प्रदान करता है. रेजर कौर्टेक्स की मदद से यूजर अपने कंप्यूटर को तेज कर सकता है. यह सौफ्टवेयर गैरजरूरी सिस्टम प्रोसेस को रोकता है, साथ ही मेमोरी को क्लियर करता है और बेहतर गेमिंग परफौर्मेंस के लिए आपके सिस्टम को व्यवस्थित करता है.

“ब्रह्मास्त्र” की शूटिंग के दौरान घायल हुईं आलिया भट्ट

बौलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट अपनी अपकमिंग फिल्म ‘ब्रह्मास्त्र’ की शूटिंग में व्यस्त हैं. अपनी इस फिल्म के लिए आलिया काफी मेहनत कर रही हैं. इसका सबूत है- हाल ही में आलिया को ‘ब्रह्मास्त्र’ सेट पर चोट लग गई. शूटिंग के दौरान आलिया के कंधे में चोट आई है.

इसके चलते डौक्टर्स ने आलिया को आराम करने की सलाह दी है, अब आलिया कुछ वक्त के लिए रेस्ट पर हैं. बता दें, इस वक्त आलिया बुलगारिया में फिल्म की शूटिंग कर रही हैं. उनके साथ इस फिल्म में रणबीर कपूर और मौनी रौय भी हैं. रणबीर भी आलिया के साथ आयान मुखर्जी की इस फिल्म की शूटिंग के लिए बुलगारिया गए हुए हैं.

इस फिल्म की शूटिंग के लिए आलिया और रणबीर काफी लंबे वक्त से मेहनत कर रहे हैं. इसके लिए दोनों एक्टर्स ने हौर्स राइडिंग भी सीखी है. फिल्म में कई सारे एक्शन सीक्वेंस फिल्माए जाने हैं जहां आलिया और रणबीर को घुड़सवारी करनी होगी. फिलहाल आलिया को चोट लगने के कारण उन्हें हफ्ते-दो-हफ्ते के लिए बेड रेस्ट की सलाह दी गई है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को आलिया को कंधे पर चोट लग गई है. एक एक्शन सीक्वेंस के दौरान उन्हें चोट लगी. अब शेड्यूल थोड़ा टाइट हो गया है, वहीं सिचुएशन काफी चैलेंजिंग भी है. फिलहाल ज्यादा जरूरी है कि आलिया रिकवरी करें और जल्दी ठीक हो जाएं. उन्हें कहा गया है कि धीरे-धीरे अपने शोल्डर को मूव करती रहें.

बता दें, कुछ वक्त पहले रणबीर की कुछ तस्वीरें सामने आई थीं जिनमें वह मुंबई की गलियों में सरेआम घूम रहे थे. रणबीर ने इस दौरान अपने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था ताकि कोई उन्हें पहचान न सके. खास बात यह थी कि रणबीर बाइक में थे. वहीं उनके साथ हुसैन भी थे. हुसैन ने अपने इंस्टाग्राम पर रणबीर के साथ एक तस्वीर शेयर की. इस तस्वीर में हुसैन रणबीर के साथ मुंबई के भिंडी बाजार में खड़े हैं.

अनुष्का के आते ही इंस्टाग्राम के शहंशाह बन गएं विराट कोहली

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का क्रेज इन दिनों किसी बौलीवुड स्टार से कम नहीं है. या यूं कहें कि विराट ऐसे क्रिकेटर हैं जो बड़े-बड़े बौलीवुड और हालीवुड सितारों को भी पौपुलैरिटी में पीछे छोड़ रहे हैं. अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी से पूरी दुनिया में अपना डंका बजाने वाले विराट ने अब एक नया मुकाम हासिल किया है. विराट कोहली ने पिछले साल 11 दिसंबर को बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के साथ इटली में सात फेरे लिए. अनुष्का से शादी करने के बाद से विराट की पौपुलैरिटी में गजब का बूम आया है. शादी के बाद से विराट अक्सर सोशल मीडिया पर अनुष्का के साथ अपनी तस्वीरें शेयर करते रहते हैं और फैन्स भी उनके इन रोमांटिक पलों को देखने का बेसब्री से इंतजार करते हैं. इसीलिए, अब विराट इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा इंगेज्मेंट के साथ मोस्ट पौपुलर बन गए हैं.

इंस्टाग्राम ने पहली बार भारत में इंस्टाग्राम अवौर्ड की घोषणा की है, जिसमें विराट कोहली के अकाउंट को ‘मोस्ट इंगेज्ड अकाउंट’ का अवौर्ड मिला है. कोहली के इंस्टाग्राम अकाउंट को 19.8 मिलियन लोग फौलो करते हैं और साल 2017 में उनके अकाउंट पर सबसे ज्यादा इंगेज्मेंट था.

हाल ही में विराट कोहली ने दक्षिण अफ्रीका से अनुष्का के साथ अपनी एक तस्वीर शेयर की थी. इस तस्वीर की जमकर चर्चा हुई थी. विराट ने अपने इंस्टाग्राम पर एक बेहद रोमांटिक तस्वीर शेयर की थी. इंस्टाग्राम पर इस तस्वीर को शेयर करते हुए विराट ने कैप्शन में लिखा है- मेरी और सिर्फ मेरी. (My one and only!). विराट की इस फोटो में इन दोनों का चेहरा नहीं दिख रहा है. दोनों एक-दूसरे के गले लगे नजर आ रहे हैं. बैकग्रांउड में एक पैंटिग है, जिसमें कपल किस करता नजर आ रहा है.

My one and only!

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बता दें कि विराट कोहली ने पिछले साल 11 दिसंबर को बौलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा से शादी की थी. जब अनुष्का के साथ विराट कोहली ने ट्विटर के जरिए शादी की पुष्टि की थी, तब उनके इस ट्वीट को सबसे ज्यादा रीट्वीट किया गया था, तो अनुष्का का ट्वीट ‘गोल्डन ट्वीट औफ द ईयर’ बना था.

अनुष्का से शादी के बाद विराट का बल्ला उगलने लगा आग

विराट कोहली, अनुष्का शर्मा को अपना लेडी लक मानते हैं. कई इंटरव्यू के दौरान वह इस बात का जिक्र भी कर चुके हैं. एक इंटरव्यू के दौरान विराट ने कहा था कि अनुष्का के उनकी जिंदगी में आने के बाद वह पूरी तरह से बदल गए हैं.

विराट कोहली ने बताया था कि उन्होंने अनुष्का के साथ जिंदगी के सबसे अच्छे पलों के साथ सबसे खराब पल भी देखा हैं. विराट ने इस इंटरव्यू में बताया कि, 2014 उनकी जिंदगी का सबसे खराब पल रहा है. इस साल वह इंग्लैंड में बिल्कुल असफल रहे थे. हालात उनके टीम से बाहर तक होने के आ गए थे, लेकिन इस दौरान भी अनुष्का ने मेरा साथ नहीं छोड़ा और मेरा सहयोग किया.

विराट ने बताया कि, इस खराब वक्त के दौरान अनुष्का उनकी जिंदगी में थी. मेरी परेशानी में वह मुझे छोड़कर नहीं गईं और उस खराब दौर में मेरी प्रेरणा बनी. उन्होंने कहा कि, भले ही वह समय मेरे लिए कितना भी खराब क्यों नहीं था लेकिन उनकी मदद से मैं अपने आपको संभाल सका.

अनुष्का के साथ ने सिर्फ विराट को ही नहीं बदला, बल्कि उनके परफौर्मेंस में भी बहुत फर्क आया है. आइए, अनुष्का के विराट की जिंदगी में आने के बाद विराट के करियर ग्राफ पर एक नजर डालते हैं.

29 वर्षीय विराट कोहली ने अनुष्का के साथ डेटिंग के बाद से 19 वनडे शतक और 17 टेस्ट शतक जमाए हैं. जब यह खबर सामने आई कि विराट कोहली और अनुष्का शर्मा एक दूसरे से नजरें मिला रहे हैं, उसके बाद टि्वटर पर दोनों ट्रोल होने लगे. विराट कोहली और अनुष्का 2014 से साथ हैं. 2013 में दोनों की मुलाकात एक विज्ञापन शूट के दौरान हुई थी. इसके बाद से दोनों लगातार एक दूसरे के संपर्क में हैं.

तब से विराट ने 19 वनडे शतक और 17 टेस्ट शतक लगाए हैं. कोहली के कुल 56 शतकों में से, क्रिकेट के तीनों फोर्मेट में कोहली ने 36 शतक अनुष्का को डेटिंग करने के बाद और शादी से पहले लगाए हैं.

अमिताभ हुए दिनेश कार्तिक से माफी मांगने को मजबूर, जानें वजह

निदाहास ट्रोफी के फाइनल मैच में भारत ने बांग्लादेश को 4 विकेट से हराकर टी-20 ट्राई सीरीज की ट्रोफी पर कब्जा जमा लिया है. इस मैच के हीरो दिनेश कार्तिकेय रहे. उन्होंने 8 गेदों पर 29 रन बनाए. दिनेश कार्तिकेय ने आखिरी गेंद पर छक्का मार टीम इंडिया को जीत दिलाई. पारी की अंतिम बौल पर भारत को जीत के लिए 5 रन चाहिए थे और दिनेश कार्तिक छक्का लगाकर मैच खत्म कर दिया.

भारत के बांग्लादेश को हराते ही सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों की बाढ़ सी आ गई थी. क्रिकेट प्रेमियों के साथ-साथ खिलाड़ी, फिल्मी सितारे टीम इंडिया को बधाई दे रहे थे. ऐसे में बौलीवुड के दिग्गज अमिताभ बच्चन ने भी ट्विटर पर कार्तिक और भारतीय टीम के लिए बधाई संदेश लिखा, जिसमें वह एक बड़ी गलती कर बैठे. हालांकि, अमिताभ को वक्त रहते अपनी चूक का एहसास हो गया. फिर उन्होंने गलती सुधारते हुए मजाकिया लहजे में दिनेश कार्तिक से माफी भी मांगी.

क्या था मामला

भारत के जीतने पर अमिताभ ने पहले यह ट्वीट किया, ‘भारत जीत गया, बहुत ही शानदार मैच, बांग्लादेश ने अच्छी टक्कर दी, लेकिन दिनेश कार्तिक ने गजब प्रदर्शन किया. आखिरी दो ओवर्स में 24 रन चाहिए थे. आखिरी बौल में 5 रन की जरूरत थी और उन्होंने छक्का जमा दिया. अविश्वसनीय, बधाई’


दरअसल, टीम इंडिया को आखिरी दो ओवर्स में 34 रन चाहिए थे, लेकिन अमिताभ से चूक हो गई और उन्होंने 24 लिख दिया. जिसका अहसास उनको फौलो करनेवाले कई लोगों ने ही दिला दिया. फिर अमिताभ ने लिखा, ‘इसे 2 ओवर में 34 रन पढ़ा जाए, 24 नहीं. दिनेश कार्तिक से माफी मांगते हुए.’

बता दें कि निदाहास ट्रोफी के फाइनल मैच में दिनेश कार्तिक ने बांग्लादेश के खिलाफ आखिरी गेंद पर छक्का जड़कर जीत दिलाई थी. कार्तिक इस छक्के के साथ ही ऋषिकेश कानिटकर और जोगिंदर शर्मा जैसे खिलाड़ियों की श्रेणी में शामिल हो गए हैं जिन्होंने बड़े टूर्नामेंट के फाइनल की तनावपूर्ण स्थिति में टीम को जीत दिलाई. कानिटकर ने पाकिस्तान के खिलाफ 1998 में ढाका में इंडिपेंडेंस कप के फाइनल में चौका लगाकर भारत को जीत दिलायी थी तो वहीं जोगिंदर शर्मा ने जोहान्सबर्ग में 2007 में टी20 विश्व कप के फाइनल में पाकिस्तान के कप्तान मिस्बाह उल हक का विकेट लेकर भारत को चैंपियन बनाया था. कार्तिक का क्रिकेट करियर 13 साल से ज्यादा का है, लेकिन उन्हें कभी ऐसा मुकाम नहीं मिला था जो हर क्रिकेटर चाहता है. लेकिन यह मैच उन्हें जिंदगीभर याद रहेगा.

जीएसटी रिटर्न फाइल करने का आज आखिरी दिन, ऐसे भरें अपना फौर्म

अगर आप कारोबारी हैं और आपने अभी तक फरवरी की GSTR-3बी फाइनल नहीं की है तो अलर्ट हो जाइए. जीएसटीआर-3बी और एनआरआई के लिए जीएसटीआर-5 भरने के लिए सिर्फ आज का दिन बचा है. जीएसटी में जीएसटीआर-3बी रिटर्न सभी कारोबारियों और ट्रेडर्स को 20 मार्च 2018 तक फाइल करनी है. इसके अलावा इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर को जीएसटीआर-6 रिटर्न 31 मार्च तक फाइल करनी होगी. लेकिन, कैसे रिटर्न फाइल करेंगे, फौर्म कैसे भरा जाएगा. इसकी पूरी जानकारी हम आपको दे रहे हैं.

क्या देनी होती है जानकारी

  • फरवरी की GSTR-3बी रिटर्न आज फाइल करनी है.
  • सभी तरह की सेल-परचेज की जानकारी देनी है.
  • 20 लाख से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को रिवर्स चार्ज की जानकारी देनी होगी.
  • रिटर्न में इनपुट टैक्स क्रेडिट, अंतर्राज्यीय कारोबर और अनरजिस्टर्ड डीलर के साथ बिजनेस की डिटेल्स देनी होगी.
  • कंपोजिशन स्कीम के तहत आने वाले कारोबारियों के साथ बिजनेस, टैक्स फ्री वाले प्रोडक्ट की खरीद की जानकारी देनी होगी.

NRI कारोबारियों को भी देनी होगी डिटेल्स

GSTR-5 नौन-रेजिडेंट (एनआरआई) रजिस्टर्ड डीलर को भरनी है. यह वह कारोबारी हैं जो हैं तो एनआरआई लेकिन, इंडिया में कुछ दिनों के लिए आते हैं और इंडिया में कारोबार या ट्रेड कर पैसे कमाते हैं और चले जाते हैं. उन्हें अपने इंडिया में किए कारोबार की डिटेल जीएसटीआर-5 के जरिए देनी है. इन रिटर्न में एनआरआई कारोबारी को अपनी सेल-परचेज की जानकारी देनी है.

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31मार्च तक भरें जीएसटीआर-6

अगर कारोबारियों को जुलाई 2017 से फरवरी 2018 तक की रिटर्न फाइल करनी है तो उनके लिए आखिरी तारीख 31 मार्च है. इसके लिए जीएसटीआर-6 रिटर्न भरनी होगी. जीएसटीआर-6 इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर को भरनी है, जिसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट रिसीविंग की जानकारी होगी.

रिटर्न भरने का औफलाइन टूल

जीएसटी के पोर्टल पर जीएसटी सौफ्टवेयर टूल है जिसे कारोबारी अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर सकते हैं. ये सौफ्टवेयर टूल ऐक्सल फौरमेट और जावा स्क्रिप्ट में है. इस ऐक्सल फौरमेट पर आप अपने बिल बना सकते हैं. बिल की जानकारी एक्सेल शीट में सेव करके इसे ही जीएसटी के पोर्टल पर रिटर्न के साथ अपलोड कर सकते हैं.

ऐसे डाउनलोड करें रिटर्न फौर्म

कारोबारी और ट्रेडर्स https://www.gst.gov.in/download/returns से जीएसटीआर रिटर्न फौर्म और औफलाइन टूल डाउनलोड कर सकते हैं. ये एक तरह की जिप फाइल है, जिसमें रिटर्न फौर्मेट से लेकर इन्वौयस की ऐक्सल शीट शामिल है.

ऐसे अपलोड करें अपनी रिटर्न

टैक्सपेयर्स को सबसे पहले https://www.gst.gov.in पर लौग इन करना होगा. वेबसाइट पर सर्विस के औप्शन पर क्लिक करें. सर्विस के नीचे ‘रिटर्न’ का औप्शन आएगा. इस पर क्लिक करें. सिस्टम आपसे आपका यूजर नाम और पासवर्ड मांगेगा. इसमें आप अपना यूजर नाम और पासवर्ड भरें. अपने जीएसटीआर रिटर्न को अपलोड कर दें.

अब आपको हार्ट अटैक से बचाएगा ये मोबाइल ऐप

शोधकर्ताओं ने एक ऐसा मोबाइल ऐप विकसित किया है, जो हार्ट अटैक के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार आलिंद फिब्रिलेशन की पहचान कर सकेगा. हृदय गति का असमान या बहुत तेज गति से धड़कने की क्रिया को आलिंद फिब्रिलेशन कहते हैं. इससे हार्ट अटैक, हृदय का काम बंद करना और हृदय संबंधित अन्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. हार्ट अटैक को रोकने के लिए समय पर इसकी पहचान होना बहुत जरूरी है.

क्यों महत्वपूर्ण है खोज

फिनलैंड में टुर्कू विश्वविद्दालय के प्रोफेसर जुहानी ऐराक्सिनेन ने कहा, ‘पहली बार सामान्य उपकरण ऐसे नतीजे पर पहुंच पाया है, जिससे वह मरीज की चिकित्सा में सहायता प्रदान कर सके.’ रुक-रुक कर आलिंद फिब्रिलेशन होने की वजह से सालों से डौक्टरों को भी इसका पता नहीं चलता था. इस कारण यह खोज और भी महत्वपूर्ण है.

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कैसे हुआ शोध

शोध के दौरान 300 मरीजों को शामिल किया गया. इस शोध में लगभग आधे लोग आलिंद फिब्रिलेशन से पीड़ित थे. शोधकर्ता स्मार्टफोन की सहायता से रोग की पहचान करने में कामयाब रहे. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इससे लगभग 96 फीसदी तक प्रमाणित परिणाम मिले. शोधकर्ताओं के अनुसार इस ऐप को कुछ समय तक और विकसित किया जाएगा. यहां तक आने में सात साल लग गए.

हार्ट अटैक के लक्षण

हार्ट अटैक आने से पहले कुछ लक्षण सामान्य होतें हैं, जिनसे हार्ट अटैक की संभावनाओं का पता चल जाता है. ऐसे समय में सांस फूलना आम बात हैं. ऐसे में ज्यादा पसीना, सीने में दर्द और जलन, उल्टी आना, सिल चकराना, घबराहट होना और पेट में दर्द होना महसूस होता है.

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