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फैन्स की डिमांड पर फिल्म “अक्टूबर” का पहला गाना हुआ रिलीज

बौलीवुड एक्टर वरुण धवन की फिल्म ‘अक्टूबर’ काफी वक्त से सुर्खियों में हैं. इस फिल्म में वरुण के साथ बनिता संधु लीड रोल में नजर आएंगी. बनिता इस फिल्म से बौलीवुड में डेब्यू कर रही हैं. बता दें, फिल्म के पहले गाने ‘ठहर जा’ को कुछ वक्त पहले ही रिलीज किया गया है. फिल्म के इस गाने में आपको वरुण धवन और बनिता संधु के बीच आंखो-आंखों वाला प्यार नजर आएगा. दरअसल, फिल्म के इस गाने को प्रमुख रूप से वरुण और बनिता पर ही फिल्माया गया है और गाने में दोनों एक दूसरे के साथ काम करते हुए भी नजर आ रहे हैं.

हालांकि, इस गाने में दोनों किसी भी जगह रोमांस करते हुए या आपस में बात करते हुए नहीं दिख रहे. फिर भी यह गाना आपको काफी पसंद आने वाला है और गाने में दोनों का एक दूसरे को चोरी छिपे देखना भी आपको पसंद आएगा. फिल्म के इस गाने को अरमान मलिक ने गाया है और गाने के लिरिक्स अभिरुचि चंद ने लिखे हैं और गाने को अभिषेक अरोड़ा ने कम्पोज किया है. इस गाने को वरुण ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है.

अरमान ने इस फिल्म में वरूण के लिये गाना गाने को लेकर अपनी इच्छा पहले ही जाहिर कर दी थी. अरमान ने कहा था कि मैं वरुण धवन के लिए गाना चाहता हूं और जब उन्होंने ऐलान किया कि मैं ‘अक्टूबर’ में अपनी आवाज दूं, तो मैं बहुत उत्साहित हुआ. यहां तक कि हम दोनों एक-साथ गीत करना चाहते थे, इसलिए मेरा सपना सच हो गया और मैं बहुत उत्साहित हूं. उन्होंने कहा कि ‘ठहर जा’ अच्छा गीत है.

बौलीवुड रोमांटिक गीतों से अलग है- अरमान

उन्होंने कहा कि यह सरल तरीके से प्यार की भावना पर आधारित है. यही कारण है कि यह युवाओं के लिए प्रासंगिक और आकर्षक बनेगा. यह गीत सुनकर आपको लगेगा कि यह सामान्य बौलीवुड रोमांटिक गीतों से अलग है. अपनी भविष्य की परियोजनओं के बारे में गायक ने कहा कि कई गीत हैं. मैं रोमांचक क्षण के लिए उत्साहित हूं, क्योंकि मुझे बहुत सारे नए लोगों के साथ काम करना है. मैं प्रशंसकों का और अधिक गीत आने का इंतजार नहीं कर सकता. मैं अभी बता सकता हूं कि मैं नई परियोजना पर काम कर रहा हूं, जो जल्द जारी होगी. गाने का म्यूजिक अभिषेक अरोड़ा ने दिया है और इसके लिरिक्स अभिरुची चंद ने लिखे हैं.

यहां आपको यह भी बता दें कि इस गाने से पहले फिल्म के थीम म्यूसिक को रिलीज किया गया था. दरअसल, फिल्म के थीम सौन्ग को फैन्स की डिमांड पर जल्दी रिलीज किया गया. फिल्म के थीम म्यूजिक को काफी खूबसूरती के साथ बनाया गया है जिसमें म्यूजिक पियानो और वोइलिन द्वारा दिया गया है. शूजित सरकार के निर्देशन में बनी यह फिल्म 13 अप्रैल को रिलीज होगी.

हवाई जहाज का महा इंजन तैयार, हर खतरे से निपटने के लिये बना है यह

दुनिया भर में रोजाना हजारों यात्री विमान से उड़ान भरते हैं. ये विमान अत्‍यधिक ईंधन की खपत भी करते हैं. ईंधन की खपत को कम करने और विमान यात्रा को सुगम बनाने के लिए दुनियाभर में कई शोध किए जा रहे हैं. इसी क्रम में दुनिया के सबसे बड़े जेट इंजन का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है. जीई9एक्‍स नामक यह इंजन दूसरे विमान इंजनों की तुलना में ईंधन की खपत को 10 फीसदी तक कम करेगा. इसे 406 सीटों वाले बोइंग 777 एक्‍स प्‍लेन में लगाया गया जाएगा. 13 मार्च को इसे बोइंग 747 में लगाकर इसका परीक्षण किया गया. यह परीक्षण सफल रहा. परीक्षण के दौरान विमान ने चार घंटे  उड़ान भरी. बोइंग के मुताबिक जीई9एक्‍स इंजन वाले बोइंग 777एक्‍स विमान की व्‍यावसायिक उड़ान 2020 में शुरू किए जाने की योजना है.

ऐसा है सबसे बड़ा जेट इंजन

जीई9एक्‍स दुनिया का सबसे बड़ा जेट विमान इंजन है. इसके फैन का व्‍यास 134 इंच है. इसका टेक औफ थ्रस्‍ट 1.05 लाख एलबीएफ है. मतलब यह उड़ान के लिए अधिक शक्ति उत्‍पन्‍न करता है. इसके फैन में अन्‍य इंजनों के मुकाबले कम ब्‍लेड हैं. इसमें 16 ब्‍लेडों का इस्‍तेमाल हुआ है, जो स्‍टील और ग्‍लास फाइबर से बने हैं. इस कारण इन ब्‍लेडों में हवा में पक्षियों के टकराने से कोई नुकसान नहीं होगा. इससे यात्री सुरक्षित यात्रा कर सकेंगे. साथ ही इन पदार्थों से बने होने के कारण इसका वजन भी कम है.

जनरल इलेक्ट्रिक ने बनाया है इंजन

जीई9एक्‍स को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक ने बनाया है. फरवरी 2012 में कंपनी ने इस किफायती इंजन के निर्माण की घोषणा की थी. कंपनी ने इसे बोइंग के विमान 77एक्‍स-8/9 के लिए बनाने की घोषणा की थी. पहले इसके फैन का व्‍यास 128 इंच तय किया गया था. लेकिन बाद में 2013 में इसे बढ़ाकर 132 इंच करने की योजना बनी. 2014 में इसके व्‍यास को 133.5 इंच किए जाने की घोषणा की गई. कंपनी के मुताबिक ऐसे 700 इंजनों का और्डर भी लिया जा चुका है.

ऐसे हुए टेस्‍ट

  1. इंजन का पहला टेस्‍ट (FETT) अप्रैल, 2016 में पूरा किया गया. इसमें इसके डिजाइन, एरोडायनमिक्‍स परफौर्मेंस, मेकेनिकल सिस्‍टम और एरोथर्मल हीटिंग को परखा गया. इंजन को 335 घंटे तक टेस्‍ट किया गया.
  2. सर्द मौसम को झेलने के लिए इंजन की ताकत परखने के लिए भी इसका अलग टेस्‍ट हुआ. 2017 की सर्दियों में इसका यह टेस्‍ट पूरा हुआ. इसमें कोहरे और बर्फीली स्थिति से निपटने समेत ऐसे 50 टेस्‍ट किए गए.
  3. इंजन का दूसरा टेस्‍ट (SETT) मई 2017 में शुरू किया गया. इस टेस्‍ट में इंजन की ईंधन खपत को जांचा गया. इसके कंप्रेशर, टरबाइन, और फैन को भी जांचा गया. फैन में लगे ब्‍लेड की क्षमता और उनकी परफौर्मेंस को भी परखा गया. इसके बाद यह इंजन सर्टिफिकेशन के लिए तैयार किया गया.
  4. मई 2017 में इसके सर्टिफिकेशन के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया. 8 अन्‍य इंजनों को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया गया. नवंबर 2017 तक ऐसे पांच इंजनों का टेस्‍ट रन पूरा किया गया था. इसका सर्टिफिकेशन 2019 में पूरा होने की संभावना जताई जा रही है.

बोइंग 777एक्‍स विमान में लगाया जाएगा इंजन

इस इंजन को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग के 777एक्‍स विमान में लगाया जाएगा. इस विमान का अभी निर्माण चल रहा है. य‍ह विमान करीब 69.8 मीटर लंबा होगा. इस विमान के दो मौडलों 777-8 और 777-9 को 2013 में लांच किया जा चुका है. दनमें क्रमश: 365 और 414 यात्रियों के बैठने की क्षमता है. इस विमान में इस इंजन के अलावा भी कुछ खास खूबियां होंगी. जैसे इसके पंखों के छोर पर फोल्‍ड होने वाला टुकड़ा (फोल्डिंग विंगटिप्‍स) लगाया जाएगा. इसके कारण उड़ान के दौरान इसका संचालन आसान होगा. इसके केबिन का डिजाइन भी खास रखा जाएगा.

मैं 17 साल की युवती हूं. रात में सोते समय नींद में मूत्रत्याग हो जाता है. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए.

सवाल
मैं 17 साल की युवती हूं. बचपन से ही रात में सोते समय मुझे अपने ब्लैडर पर कंट्रोल नहीं रहता और जबतब किसीकिसी दिन नींद में मूत्रत्याग हो जाता है. बीचबीच में कई डाक्टरों से सलाह ली. दवा लेने से थोड़ा आराम आता है, पर समस्या जड़ से नहीं जाती. कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब
नींद में सोतेसोते ब्लैडर से मूत्र त्याग हो जाने की बैडवेटिंग समस्या यों तो कई कारणों से जुड़ी हो सकती है, पर आप के लक्षणों से यह स्पष्ट है कि आप की समस्या के पीछे कोई बड़ा शारीरिक या चिंताजनक कारण नहीं है.

आवश्यक यह है कि आप अपनी ब्लैडर हैबिट्स को सुधारने का यत्न करें. दिन में जब भी पेशाब आए पेशाब जा कर ब्लैडर खाली कर आने की आदत बनाएं. यह नहीं कि देर तक अपने को रोके रखें. सोने जाने से पहले बाथरूम हो आएं, आराम से टौयलेट सीट पर बैठें और बिना हड़बड़ी के मूत्र त्याग करें.

रात में अलार्म लगा कर सोएं और उठ कर बाथरूम जाएं. सोने से पहले और शाम को चाय, कौफी, कोला और दूसरे सौफ्ट ड्रिंक्स कम से कम पीएं ताकि शरीर में कम मात्रा में मूत्र बने.

इन सावधानियों के साथसाथ अच्छा होगा कि आप किसी योग्य यूरोलौजिस्ट से भी सलाह लें. यदि डाक्टर सलाह दे तो 2 तरह की दवाएं बैडवेटिंग की समस्या को दूर करने में प्रभावी साबित हो सकती हैं.

पहली डेस्मोप्रेसिन जिस के प्रयोग से शरीर में मूत्र बनने की गति धीमी पड़ जाती है और दूसरी इमीप्रामिन लेने से ब्लैडर की मूत्र धारण क्षमता बढ़ जाती है और वह अधिक मात्रा में मूत्र अपने भीतर रोके रख सकता है. आप के डाक्टर दूसरी दवा आप को दे चुके हैं, उसे आप आगे भी ले सकती हैं.

आवश्यकता पड़ने पर आप विशेष अलार्मयुक्त संयंत्र की भी मदद ले सकती हैं, जिसे पहन कर सोने पर अंडरवियर या बिस्तर गीला होते ही अलार्म बजने लगता है और व्यक्ति उठ कर बाथरूम जाने के लिए प्रेरित हो सकता है.

सकारात्मक सोच रखें. ये छोटेछोटे उपाय अपनाएं. आप जल्द ही खुद को सामान्य महसूस करने लगेंगी.

एक बार फिर हार्दिक पंड्या के साथ दिखीं एली अवराम

बौलीवुड और क्रिकेटर का कनेक्शन काफी पुराना है. कुछ लव स्टोरीज अंजाम तक पहुंच पाती हैं और कुछ सिर्फ सुर्खियां बन कर रह जाती हैं. पिछले साल ही एक्ट्रेस सागरिका घाटके और क्रिकेटर जरीन खान के साथ-साथ विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भी शादी के बंधन में बंधे हैं. जिसके बाद अब क्रिकेट और बौलीवुड के बीच नई लव स्टोरीज सामने आने लगी हैं. क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और एक्ट्रेस एली अवराम दोनों ही कई बार एक साथ स्पौट हुए हैं. पहले हार्दिक के भाई की शादी और फिर एयरपोर्ट. जिसके बाद अब दोनों एक एड शूट पर भी साथ में दिखाई दिए.

बौलीवुड में फिल्म ‘मिक्की वायरस’ से डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस एली अवराम हाल ही में क्रिकेटर हार्दिक पांड्या के साथ एक एड शूट के दौरान स्पौट हुईं. यहां हार्दिक किसी एड के लिए शूट कर रहे थे लेकिन अब तक यह साफ नहीं हुआ है कि एली भी इस एड फिल्म में काम कर रही हैं या नहीं. हालांकि, एक बात तो साफ है कि दोनों एक दूसरे की कंपनी को काफी पसंद कर रहे हैं.

बता दें, एली और हार्दिक की लव स्टोरी को लेकर खबरें उस वक्त तेज हुईं थी जब एली हार्दिक के भाई की शादी में नजर आईं थी. इसके बाद जब हार्दिक पांड्या दक्षिण अफ्रीका दौरे पर थे, उस वक्त भी एली को वहां साथी क्रिकेटरों की पत्नियों के साथ देखा गया था. हालांकि, इस खबर के बाद एली अवराम ने हार्दिक और अपने अफेयर की खबरों से इंकार कर दिया था.

कुछ वक्त पहले दिए इंटरव्यू में एली ने कहा था कि,  ‘लोगों का काम इन अफवाहों पर भरोसा करना है. मुझे इस पर कुछ सफाई देने की जरूरत नहीं. बीते सालों में मुझे लेकर काफी बातें बोली गईं, लेकिन मैंने इन सबका जवाब देना ठीक नहीं समझा. एक सेलिब्रेटी होने के नाते आपके बारे में काफी बाते होती हैं और इसकी आपको आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि आप अफवाहों पर ज्यादा अधिक कुछ नहीं कर सकते’.

शाओमी लेकर आया एक्सचेंज औफर, पुराने फोन के बदले लें नया फोन

पिछले दिनों नए सस्ते स्मार्टफोन और स्मार्ट टीवी लौन्च कर बाजार में धूम मचाने वाली चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनी शाओमी ने अब एक्सचेंज औफर शुरू किया है. साल 2017 में भी कंपनी ने एक्सचेंज प्रोग्राम की शुरुआत की थी, जिसे ग्राहकों के बीच जबरदस्त रिस्पांस मिला था. अब फिर से इस प्रोग्राम को शुरू किया गया है.

शाओमी ने इसके लिए कैशीफाय से हाथ मिलाकर एक्सचेंज औफर को अपने सभी मी होम स्टोर में लागू किया था. गुरुवार को शाओमी ने एक्सचेंज प्रोग्राम को एक्सटेंड करते हुए मी.कौम पर भी देने की घोषणा की. उदाहरण के लिए यदि आपके पास सोनी का Xperia XZs है तो शाओमी की तरफ से इस मौडल पर 9550 रुपये तक का एक्सचेंज औफर दिया जा रहा है. इस वैल्यू में आप शाओमी के कई फोन खरीद सकते हैं.

आप भी उठाए बेहतरीन औफर का फायदा

आप भी कंपनी की औफिशियल वेबसाइट www.mi.com पर जाकर इस बेहतरीन औफर का फायदा उठा सकते हैं. इस एक्सचेंज औफर प्रोग्राम में पुराने फोन के बदले तत्काल एक्सचेंज कूपन मिलेगा, जिसे नया फोन खरीदते समय आप इस्तेमाल कर सकेंगे. इसके लिए वेबसाइट पर एक खास पेज बनाया गया है. कंपनी के अनुसार फोन की कंडीशन देखकर कंपनी मार्केट प्राइस के हिसाब से बेस्ट वैल्यू देने का दावा करती है. इसके लिए आपको स्मार्टफोन का IMEI नंबर दर्ज करना होगा. इसके बाद आपके MI अकाउंट में एक्स्चेंज वैल्यू का कूपन एड हो जाएगा.

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यह करना होगा

अगर आप भी अपना फोन एक्सचेंज करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले Mi एक्स्चेंज पेज पर जाकर अपने अकाउंट से लौग इन करें. अब यहां अपने स्मार्टफोन के ब्रांड को सलेक्ट करें और इसके बाद अपने फोन के मौडल को सलेक्ट करें. यहां सैमसंग, सोनी और मोटो समेत 15 ब्रांड के फोन को एक्सचेंज करने की सुविधा दी जा रही है. औनलाइन फोन के मौडल को सलेक्ट करने के बाद आपको फोन की जितनी प्राइस मिल सकती है, वह वैल्यू दिखाई देगी. यहां आपको अपने फोन का IMEI नंबर दर्ज करना होगा, इसके बाद आपको एक्सचेंज कूपन दिया जाता है. यह कूपन आपको आपके एमआई अकाउंट में मिलेगा. अब यहां से आप मनचाहा नए स्मार्टफोन के लिए और्डर कर सकते हैं.

ऐसे मिलेगा नया फोन

यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी आपकी तरफ से दिए गए एड्रेस पर अपना एग्जीक्यूटिव भेजकर आपका पुराना फोन कलेक्ट करा लेगी. इस फोन को लेने के समय ही कंपनी का एग्जीक्यूटिव आपको नया स्मार्टफोन दे देगा.

ये हैं शर्त

इस औफर के तहत कंपनी की शर्त है कि पुराना फोन ठीक से काम कर रहा हो और उसमें कोई टूट-फूट नहीं हुई हो. सारे स्क्रीन लौक डिसेबल होने चाहिए. इसके अलावा जिस फोन को आप एक्सचेंज कर रहे हैं, उसका जिक्र शाओमी की लिस्ट में किया जाना जरूरी है. इसके अलावा यूजर एक बार में एक ही डिवाइस को एक्सचेंज करा सकते हैं. एक्सचेंज कूपनी की वैधता 14 दिन होगी. इस कूपन से आप सिर्फ स्मार्टफोन ही खरीद सकते हैं.

चीरहरण : नामर्द गांव वालों ने गांव की इज्जत को अपने ही सामने लुटते देखा

रात का दूसरा पहर. दरवाजे पर आहट सुनाई पड़ी. कोई दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था. आहट सुन कर नीतू की नींद उचट गई. वह सोचने लगी कि कहीं कोई जानवर तो नहीं, जो रात को अपने शिकार की तलाश में भटकता हुआ यहां तक आ पहुंचा हो?

तभी उसे दरवाजे के बाहर आदमी की छाया सी मालूम हुई. उस के हाथ दरवाजे पर चढ़ी सांकल को खोलने की कोशिश कर रहे थे. यह देख नीतू डर कर सहम गई. उस के पास लेटी उस की छोटी बहन लच्छो अभी भी गहरी नींद में सो रही थी. उस ने उसे जगाया नहीं और खुद ही हिम्मत बटोर कर दरवाजे तक जा पहुंची.

सांकल खोलने के साथ ही वह चीख पड़ी, ‘‘मलखान तुम… इतनी रात को तुम मेरे दरवाजे पर क्या कर रहे हो?’’ नीतू को समझते देर नहीं लगी कि इतनी रात को मलखान के आने की क्या वजह हो सकती है. वह कुछ और कहती, इस से पहले मलखान ने अपने हाथों से उस का मुंह दबोच लिया.

‘‘आवाज मत निकालना, वरना यहीं ढेर कर दूंगा,’’ कह कर मलखान पूरी ताकत लगा कर नीतू को बाहर तक घसीट लाया. आंगन के बाहर अनाज की एक छोटी सी कोठरी थी, जिस में भूसा भरा हुआ था. मलखान ने जबरदस्ती नीतू को भूसे के ढेर में पटक दिया. उस की चौड़ी छाती के बीच दुबलीपतली नीतू दब कर रह गई. मलखान उस पर सवार था.

‘‘पहले ही मान जाती, तो इतनी जबरदस्ती नहीं करनी पड़ती,’’ मलखान ने अपना कच्छा और लुंगी पहनते हुए कहा. लच्छो, जो नीतू से 2 साल छोटी थी, उस ने करवट ली, तो नीतू को अपनी जगह न पा कर उठ बैठी. दरवाजा भी खुला पड़ा था. उसे कुछ अनजाना डर सा लगा. मलखान पहले लच्छो के बदन से खेलने के चक्कर में था. 2 दिन पहले लच्छो ने उस के मुंह पर थूक दिया था, जब उस ने जामुन के पेड़ के नीचे उसे दबोचने की कोशिश की थी.

वह नीतू से ज्यादा ताकतवर और निडर थी. पर उस ने घुमा कर एक ऐसी लात मलखान की टांगों के बीच मारी कि वह ‘मर गया’ कह कर चीख पड़ा था. अचानक हुए इस हमले से मलखान बौखला गया था. वह सोच भी नहीं पाया था कि लच्छो इस तरह का हमला अचानक कर देगी. उस की मर्दानगी तब धरी की धरी रह गई थी. एक तरह से लच्छो ने उसे चुनौती दे डाली थी.

लच्छो उठी और दालान में पड़े एक डंडे को उठा लिया. वह धीरेधीरे आगे बढ़ने लगी. उस का शक सही निकला कि दीदी किसी मुसीबत में फंस गई हैं. मलखान उस समय अंधेरे में भागने की कोशिश कर रहा था कि अचानक लच्छो ने घुमा कर डंडा उस के सिर पर जड़ दिया.

डंडा पड़ते ही वह भागने लगा और भागतेभागते बोला, ‘‘सुबह देख लूंगा.’’ ‘‘क्या हुआ दीदी, तुम ने मुझे उठाया क्यों नहीं? कम से कम तुम मुझे आवाज ही लगा देतीं,’’ लच्छो रोते हुए बोली.

‘‘2 रोज पहले ही मैं ने इस की हजामत बना डाली थी, जब इस ने मुझ से छेड़छाड़ की थी.’’ ‘‘क्या…?’’ यह सुन कर नीतू तो चौंक गई.

‘‘हां दीदी, कई दिनों से वह मेरे पीछे पड़ा हुआ था. उस दिन भी वह मुझ से छेड़छाड़ करने लगा. उस दिन तो मैं ने उसे छोड़ दिया था, वरना उसी दिन उसे सबक सिखा देती,’’ लच्छो ने नीतू को सहारा दे कर उठाया और कमरे में ले गई.

दोनों बहनें एकसाथ रह कर प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाया करती थीं. कुछ साल पहले उन के पिता की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी. वह बैंक में मुलाजिम थे. पिता की मौत के बाद उन की मां श्यामरथी देवी को वह नौकरी मिल गई थी. चूंकि बैंक गांव से काफी दूर शहर में था, इसलिए दोनों बेटियों को गांव में अकेले ही रहना पड़ रहा था. मां कभीकभार छुट्टी के दिनों में गांव आ जाया करती थीं. मलखान की नाक कट गई थी. एक को तो वह अपनी हवस का शिकार बना ही चुका था, पर दूसरी से बदला लेने के लिए तड़प रहा था.

एक दिन शाम के 7 बज रहे थे. दोनों बहनें खाना बनाने की तैयारी में थीं. मलखान ने अपने कुछ दोस्तों को जमा किया और लच्छो के घर पर धावा बोल दिया.

‘‘बाहर निकल, अब देख मेरा रुतबा. गांव में तेरी कैसी बेइज्जती करता हूं,’’ मलखान अपने साथियों के साथ लच्छो के घर में घुसता हुआ बोला. घर के अंदर मौजूद दोनों बहनें कुछ समझ पातीं, इस से पहले ही मलखान के साथियों ने लच्छो को पकड़ लिया और घसीटते हुए बाहर तक ले आए.

गांव की इज्जत गांव वालों के सामने नंगी होने लगी. मलखान गांव वालों के बीच चिल्लाचिल्ला कर कह रहा था, ‘‘ये दोनों बहनें जिस्मफरोशी करती हैं. इन की वजह से ही गांव की इज्जत मिट्टी में मिल गई है. हम लच्छो का मुंह काला कर के, इस का सिर मुंड़ा कर इसे गांव में घुमाएंगे.’’ दोनों बहनों का बचपन गांव वालों के बीच बीता था. गांव वालों के बीच पलबढ़ कर वे बड़ी हुई थीं. उन्हीं लोगों ने उन का तमाशा बना दिया था.

योजना के मुताबिक, गांव का हज्जाम भी समय पर हाजिर हो गया. नीतू को अपनी छोटी बहन के बचाव का तरीका समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे इन जालिमों के चंगुल से उसे बचाया जाए? वह सोच रही थी कि किसी तरह लच्छो की इज्जत बचानी है, यह सोच कर नीतू घर से निकल पड़ी. नीतू भीड़ को चीरते हुए अपनी बहन के पास जा कर खड़ी हो गई.

भीड़ में से आवाज उठी, ‘‘इस का भी सिर मुंड़वा दो.’’ नीतू पहले तो गांव वालों के बीच खूब रोईगिड़गिड़ाई. उस ने अपनेआप को बेकुसूर साबित करने के दावे पेश किए, पर किसी ने उस की एक न सुनी. बड़ेबूढ़े भी चुप्पी साध गए.

नीतू अपने घर से एक तेज खंजर उठा लाई थी. बात बिगड़ती देख उस ने वह खंजर तेजी से अपने पेट में घुसेड़ लिया. देखते ही देखते खून का फव्वारा फूट पड़ा. वह चीख कर कहे जा रही थी, ‘‘हम दोनों बहनें बेकुसूर हैं. मलखान ने ही एक दिन मेरी इज्जत लूट ली थी.’’

इसी बीच पुलिस की जीप वहां से गुजरी और वहां हो रहे तमाशे को देख कर रुक गई. नीतू ने मरने से पहले सारी बातें इंस्पैक्टर को बता दीं. कुसूरवार लोग पकड़े गए. पर नामर्द गांव वालों ने गांव की इज्जत को अपने ही सामने लुटते देखा. यह कलियुग का चीरहरण था

नीतीश कुमार के लिए चुनौती बनते धोबी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित अगर बिहार के तमाम नेता मैलेकुचैले कपड़ों में नजर आएं तो बात हैरानी की होगी. जल्दी ही ऐसा हो भी सकता है. वजह, बिहार में धोबियों ने चेतावनी दी है कि धोबी समाज की 18-सूत्री मांगों पर जल्द गौर नहीं किया गया तो वे जनप्रतिनिधियों के कपड़े धोना बंद कर देंगे.

धोबी समाज मुद्दत से पटना के कंकड़बाग में धोबीघाट के निर्माण की मांग करता रहा है. सो, अब उस पर अड़ गया है. धोबी या रजक समाज के लोगों की गिनती हिंदीभाषी राज्यों में अनुसूचित जाति यानी दलितों में होती है. समाज का मैला धोने वाला यह वर्ग दूसरे दलितों की तरह ही अछूत व भेदभाव का शिकार रहा है.

अब नई आफत बिहार के ही नहीं, बल्कि देशभर के धोबियों की रोजीरोटी पर आ पड़ी है कि धोबीघाट खत्म होते जा रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि दलितों की हिमायत करते रहने वाले नीतीश कुमार धोबियों के इस दर्द को दूर करते हैं या नहीं.

भारतीय जनता पार्टी की ये उम्मीद नहीं हुई पूरी

देश में अब 2 काफी बड़ी पार्टियां तो रहेंगी ही, यह गुजरात के और राजस्थान व मध्य प्रदेश के उपचुनावों ने साबित कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना तो अब साकार होता नजर नहीं आ रहा. राजस्थान में 3 उपचुनाव सीटें भाजपा से छीन लेने के बाद मध्य प्रदेश में 2 सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखते हुए कांग्रेस ने जता दिया है कि उस के पैर कमजोर हैं पर कटे नहीं हैं.

भारतीय जनता पार्टी 2014 में आंधीतूफान की तरह आई और लोगों ने सोचा कि बदलाव का दौर शुरू होगा. कुछ बदला तो पर यह बदला लेने की नीयत का था. भारतीय जनता पार्टी दूसरे धर्मों, दूसरी जातियों, दूसरी सोच वालों से सैकड़ों सालों का बदला लेने पर उतारू हो गई. नोटबंदी के नाम पर नोट तक बदल डाले. जीएसटी से टैक्स जमा करने का तरीका बदल डाला. पर यह बदलाव नए की ओर नहीं और बहुत पुराने की ओर का था.

भारतीय जनता पार्टी से जिस सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त देश की उम्मीद थी वह नहीं आया. उस की जगह आ गया गलीगली में पेशवाई युग का कहर और तुगलकी युग का मनमरजी राज. जनता को अच्छे दिन तो मिले नहीं हां पर जो पहले से अच्छे थे उन की पौबारह दिखने लगी. न खाऊंगा न खाने दूंगा का झूठ दिखने लगा. गौरक्षा के नाम पर गुंडई बढ़ गई और इस का शिकार दलित और औरतें होने लगी हैं.

चुनाव किसी सरकार के अच्छे या खराब होने की निशानी नहीं है पर इन के कारण बहुत सी मनमानियां रुकती हैं. जब से उपचुनावों और राज्य सरकारों का दौर शुरू हुआ है, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के तेवर ढीले पड़े हैं. उस की सरकार भारीभरकम वादों के बावजूद कोई किला फतह नहीं कर पा रही है. जनता का रुख भी मिलाजुला है.

सरकारें लड़खड़ाती हों तो भी कैसे भी दौर में चलती ही रहती हैं. राजाओं के दौर में भी एक कमजोर राजा की सरकार भी चल ही जाती थी क्योंकि जनता खुद चाहती है कि कोई आका बना रहे, कोई सारे सिस्टम को संभाले रखे. भारतीय जनता पार्टी तो आज भी करोड़ों लोगों की मनचाही पार्टी है चाहे इस के पीछे जातीय स्वार्थ क्यों न हों. कांग्रेस व राज्यों की दूसरी पार्टियां आज भी भारतीय जनता पार्टी जैसा कैडर नहीं बना पा रहीं और उन का छिपा ढांचा भाजपाई सा ही है. जहां सत्ता में हैं वे वहां भी हर घर न्याय नहीं दे पा रहीं, न कांग्रेस के राज्यों में न कहीं और गैरभाजपाई राज्यों से ज्यादा सुखचैन है.

जहां भी कांग्रेस जीती है और भाजपा हारी है वहां बदलाव लाने की इच्छा पर वोट नहीं पड़े. बस अपना गुस्सा दिखाने के लिए वोट पड़े हैं. यह अच्छा ही है.

भारत को चीन की तरह का शी जिनपिंग भी नहीं चाहिए जो सदासदा के लिए सत्ता में बने रहने की तैयारी कर रहा है.

 

आदित्य मर्डर केस : बेटे के कातिल पर आया मां को रहम

बिहार के गया शहर के हाईप्रोफाइल आदित्य मर्डर केस में अदालत ने हत्यारे रौकी उर्फ राकेश रंजन यादव (25 साल), उस के साथी टेनी यादव उर्फ राजीव कुमार (23 साल), उस की मां मनोरमा देवी के सरकारी बौडीगार्ड राजेश कुमार (32 साल) को उम्रकैद तथा रौकी के पिता बिंदी यादव (55 साल) को 5 साल की कैद की सजा सुनाई है.

जदयू की निलंबित एमएलसी मनोरमा देवी और पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष बिंदी यादव के बिगड़ैल बेटे रौकी उर्फ राकेश रंजन यादव ने पिछले साल 7 मई को गया के बड़े कारोबारी श्याम सचदेवा के बेटे आदित्य सचदेवा की गोली मार कर हत्या कर दी थी.

आदित्य की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह रौकी की लैंडरोवर कार को ओवरटेक कर के आगे निकल गया था. सत्ता और दौलत के नशे में चूर रौकी को आदित्य की इस हरकत पर इतना गुस्सा आया कि उस ने उसे गोली मार दी थी.

मृतक आदित्य की मां चंदा सचदेवा ने अदालत से अनुरोध किया था कि उन के मासूम बेटे के हत्यारों को फांसी की सजा न दी जाए. वह नहीं चाहतीं कि फांसी दे कर उन की तरह एक और मां की गोद सूनी कर दी जाए.

31 अगस्त को जब आदित्य की हत्या के मामले में रौकी और उस के साथियों को दोषी ठहरा दिया गया तो चंदा सचदेवा ने रोते हुए कहा था कि आखिर उन के बेटे का क्या कसूर था, जो उसे इस तरह मार दिया गया? उस ने तो अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी थी. बेटे की मौत के बाद से आज तक उन के आंसू नहीं थमे हैं.

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शायद जिंदा रहने तक थमेंगे भी नहीं, इसीलिए वह नहीं चाहती थीं कि ऐसा दर्द किसी अन्य मां को मिले. उन्होंने अदालत का फैसला आने से पहले ही कहा था, ‘‘मेरा बेटा तो चला गया, पर मैं किसी और मां को ऐसा दर्द देने या दिलाने के बारे में कतई नहीं सोच सकती. रौकी को अदालत कड़ी से कड़ी सजा दे, पर फांसी न दे.’’ बाद में फैसला आने पर उन्होंने कहा, ‘‘अदालत ने जो फैसला सुनाया है, उस से मैं संतुष्ट हूं.’’

चंदा सचदेवा का कहना सही भी है. जवान बेटे के खोने का दर्द उन से बेहतर और कौन जान सकता है. वह अपना दर्द कम करने के लिए अन्य मां का बेटा नहीं छीनना चाहती थीं.

सरकारी वकील सरताज अली ने बहस के दौरान कहा था कि यह बहुत जघन्यतम मामला है, इसलिए हत्यारे रौकी को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए. जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा था कि यह मामला रेयरेस्ट औफ रेयर नहीं है, इसलिए 3 आरोपियों को उम्रकैद और एक को 5 साल की कैद की सजा दी जाती है.

आदित्य के पिता श्याम सचदेवा कहते ने कहा कि सरकार, पुलिस और प्रशासन ने उन का पूरा साथ दिया. इसी का नतीजा है कि आज उन्हें इंसाफ मिला है. इस हत्याकांड की जांच और सुनवाई के दौरान तमाम उतारचढ़ाव आए. वारदात के 3 दिनों बाद 10 मई को रौकी को गिरफ्तार किया गया था. 6 जून को सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी. मुख्य आरोपी रौकी की जमानत की अर्जी को गया सिविल कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इस के बाद रौकी ने पटना हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.

19 अक्तूबर, 2016 को वहां से जमानत मिल गई थी. हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने के विरोध में बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, जहां रौकी की जमानत रद्द कर दी गई तो उसे दोबारा जेल जाना पड़ा. इस मामले में 29 लोगों की गवाही हुई थी.

क्यों मारा गया आदित्य

पिछले साल 7 मई की रात 8-9 बजे के बीच गया के कारोबारी श्याम कुमार सचदेवा का बेटा आदित्य सचदेवा अपने दोस्त की मारुति स्विफ्ट कार बीआर-02ए सी2699 से बोधगया से गया स्थित अपने घर की ओर आ रहा था.

वह अपने दोस्तों के साथ बर्थडे पार्टी में बोधगया गया था. रास्ते में जेल के पास ही सत्तारूढ़ दल जदयू की एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रौकी अपनी लैंडरोवर कार से आदित्य की कार को ओवरटेक करने की कोशिश करने लगा.

काफी देर तक आदित्य ने उसे आगे नहीं जाने दिया. जब खाली सड़क मिली, रौकी ने उस की कार को ओवरटेक कर के आदित्य की कार रुकवा ली. इस के बाद उस ने उसे कार से उतार कर जम कर पिटाई की.

पिटाई के बाद आदित्य और उस के साथियों ने उन से माफी मांग ली. वे अपनी कार की अेर जाने लगे तो बाहुबली बाप के बिगड़ैल बेटे रौकी ने पीछे से गोली चला दी, जो आदित्य के सिर में जा लगी. वह जमीन पर गिर पड़ा. थोड़ी देर तक वह तड़पता रहा, उस के बाद प्राण त्याग दिए.

आदित्य के दोस्तों के बताए अनुसार, रात पौने 8 बजे के करीब उन की कार ने एक लैंडरोवर एसयूवी कार को ओवरटेक किया. इस के बाद वह कार उन की गाड़ी के आगे जाने के लिए रास्ता मांगने लगी. उस कार से आगे निकल कर उन की कार सिकरिया मोड़ से गया शहर में पुलिस लाइन की ओर मुड़ गई.

इस के कुछ देर बाद लैंडरोवर कार आदित्य की स्विफ्ट कार के बगल में आई तो उस में बैठे लोगों ने शोर मचाते हुए कार रोकने का इशारा किया. कार चला रहे नासिर ने गाड़ी रोक दी तो उस कार से 4 लोग नीचे उतरे. उन में रौकी, बौडीगार्ड, ड्राइवर और एक अन्य आदमी था, जिसे वे नहीं पहचानते थे.

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रौकी ने आदित्य की पिटाई तो की ही, पिस्तौल की बट से नासिर पर भी हमला किया, जिस से उस ने गाड़ी को भगाने की कोशिश की. गाड़ी कुछ ही दूर गई थी कि पीछे से गोली चलने की आवाज आई. वह गोली आदित्य को लगी, जिस वह सीट पर ही लुढ़क गया.

हत्यारे की गिरफ्तारी

हत्या के इस मामले में पुलिस ने रौकी उर्फ राकेश रंजन यादव, उस के पिता और मनोरमा देवी के पति बिंदेश्वरी यादव उर्फ बिंदी यादव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. मनोरमा देवी का सरकारी बौडीगार्ड राजेश कुमार भी हत्या के इस मामले में शामिल था.

पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया था. उस के पास से 70 राउंड गोली और कारबाइन जब्त कर ली गई थी. उस पर आरोप था कि उस ने रौकी को गोली चलाने से रोका नहीं था.

एडीजे मुख्यालय सुनील कुमार ने बताया था कि हथियार की फोरैंसिक जांच में पता चला था कि बौडीगार्ड के हथियार से गोली नहीं चलाई गई थी. पूछताछ में बौडीगार्ड ने बताया था कि रौकी ने ही आदित्य पर गोली चलाई थी.

रौकी के पिता बिंदी यादव का पुराना आपराधिक रिकौर्ड रहा है. वह और उस का बेटा रौकी, दोनों ही रिवौल्वर रखते थे. गया के थाना रामपुर में आदित्य के भाई आकाश सचदेवा की ओर से आदित्य की हत्या का मुकदमा अपराध संख्या 130/2016 पर आईपीसी की धारा 341, 323, 307, 427, 120बी और 27 आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया था.

जबकि पुलिस यह मुकदमा दर्ज करने में टालमटोल कर रही थी. लेकिन आदित्य के घर वालों का कहना था कि जब तक मुकदमा दर्ज नहीं होगा, वे लाश का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. सियासी और प्रशासनिक दांवपेच चलते रहे. पुलिस ने 5 बार मुकदमे का मजमून बदलवाया.

आदित्य के पिता श्याम कुमार सचदेवा गया के बड़े कारोबारी हैं. वह मूलरूप से पंजाब के रहने वाले हैं. थाना कोतवाली के स्वराजपुरी रोड पर महावीर स्कूल के पास उन की सचदेवा इंटरप्राइजेज के नाम से पाइप की दुकान है.

कौन था आदित्य

आदित्य ने गया के नाजरथ एकेडमी कौनवेंट स्कूल से 12वीं की परीक्षा दी थी. उस की मौत के बाद उस का परीक्षाफल आया था. आदित्य के चाचा राजीवरंजन के अनुसार, उन का परिवार करीब 65 साल पहले पाकिस्तान से आ कर गया में बसा था.

आदित्य से पहले उन के परिवार के एक अन्य सदस्य की हत्या हो चुकी थी. सन 1987 में उन के बड़े भाई हरदेव सचदेवा के बेटे डिंपल की हत्या पतरातू में कर दी गई थी. इस के बाद उन के छोटे भाई के छोटे बेटे को मार दिया गया.

7 मई को आदित्य की हत्या हुई थी. 10 और 11 मई की रात 2 बजे के करीब रौकी को उस के पिता बिंदी यादव के मस्तपुरा स्थित मिक्सचर प्लांट से गिरफ्तार किया गया था. उस के पास से हत्या में इस्तेमाल की गई विदेशी रिवौल्वर और गोलियों से भरी मैगजीन बरामद की गई थी. उस के पिस्तौल का लाइसैंस दिल्ली से जारी किया गया था.

पूछताछ में रौकी ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. लेकिन बाद में वह अपने अपराध से मुकर गया था. उस का कहना था कि उस ने आदित्य की हत्या नहीं की. घटना के समय वह दिल्ली में था. वह तो मां के बुलाने पर गया आया था. अपनी मां के कहने पर ही उस ने आत्मसमर्पण किया था, पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया.

जबकि एसएसपी का कहना था कि रौकी को गिरफ्तार किया गया था. आदित्य की हत्या के बाद एमएलसी मनोरमा देवी का पूरा परिवार और राजनीति चौपट हो गई. पहले बेटा रौकी हत्या के मामले में जेल गया, उस के बाद उस के पति बिंदी यादव को भी पुलिस ने हत्यारों को छिपाने और भगाने के आरोप में सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था.

इस के बाद रौकी की खोज में जब पुलिस ने मनोरमा के घर छापा मारा तो रौकी तो वहां नहीं मिला, लेकिन उन के घर से विदेशी शराब की 6 बोतलें बरामद हुई थीं. राज्य में शराबबंदी के बाद सत्तारूढ़ दल के एमएलसी के घर से शराब की बोतलें मिलने से सरकार को छीछालेदर से बचाने के लिए तुरंत मनोरमा देवी को जदयू से निलंबित कर दिया गया था.

हत्यारे की मां भी जेल में

मनोरमा देवी के घर से शराब मिलने के बाद आननफानन उन की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया था. 11 मई को जिला प्रशासन, पुलिस और उत्पाद विभाग के अफसरों की मौजूदगी में मनोरमा देवी के घर को सील कर दिया गया था, जबकि वह फरार थीं. जिस घर से शराब बरामद हुई थी, वह मनोरमा देवी के नाम था, इसलिए इस मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया था.

पुलिस जांच से पता चला था कि रौकी ने जिस रिवौल्वर से आदित्य की हत्या की थी, वह इटली की बरेटा कंपनी का था. वह .380 बोर का था. पुलिस सूत्रों के अनुसार, आदित्य की हत्या करने के बाद रौकी पटना समेत राज्य के कई स्थानों पर छिपता रहा.

हत्या करने के तुरंत बाद रौकी भाग गया था. इस के बाद वह दिल्ली जाना चाहता था, लेकिन अचानक उस का प्लान बदल गया और वह गया चला गया. गिरफ्तारी के बाद उसे गया सैंट्रल जेल में रखा गया था, जहां उसे कैदी नंबर 22774 की पहचान मिली थी.

उस के बाहुबली पिता बिंदी यादव को कैदी नंबर 22758 की पहचान मिली थी. दोनों को जेल के एक ही वार्ड में रखा गया था. आदित्य हत्याकांड की जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ था कि देशद्रोह के आरोपी बिंदी यादव को किस तरह से सरकारी बौडीगार्ड मुहैया कराया गया था.

जिला सुरक्षा समिति ने 9 फरवरी, 2016 को बिंदी यादव को भुगतान के आधार पर एक पुलिसकर्मी मुहैया कराया था. बिंदी पर आरोप था कि उस ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा-माओवादी को प्रतिबंधित बोर की कई हजार गोलियां और हथियार उपलब्ध कराए थे. इस मामले में वह लंबे समय तक गया जेल में बंद रहा था.

दिलजले बौस की करतूत : जिस्म की चाहत में करवाई हत्या

अगस्त, 2017 की शाम को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के राजनगर स्थित गौड़ मौल में काफी भीड़ थी. इस भीड़ में शिवानी और आसिफ उर्फ आशू भी शामिल थे. दोनों काफी खुश थे, लेकिन किस की खुशियां कब गम में तब्दील हो जाएं, कोई नहीं जानता. साढ़े 6 बजे के करीब दोनों टहलते हुए मौल के बाहर आ गए. मौल के बाहर पार्किंग में शिवानी की स्कूटी खड़ी थी, जबकि आसिफ की एसयूवी कार सड़क के उस पार खड़ी थी. आसिफ ने शिवानी की ओर देखते हुए कहा, ‘‘अच्छा शिवानी, मैं चलता हूं.’’

‘‘चलो, मैं आप को कार तक छोड़ देती हूं.’’

‘‘नहीं, मैं चला जाऊंगा. क्यों बेकार में परेशान हो रही हो?’’

‘‘परेशान होने की क्या बात है, मैं चलती हूं.’’ शिवानी ने हंसते हुए कहा.

आसिफ अपनी कार के पास पहुंचा और बैठने से पहले शिवानी से थोड़ी बात की. शिवानी लौटने लगी तो आसिफ ने बैठने के लिए कार का दरवाजा खोला. वह कार में बैठ पाता, तभी 2 लड़के स्कूटी से आए और उस की कार की दूसरी ओर रुक गए. उन में से पीछे बैठा युवक मुंह पर सफेद अंगौछा बांधे था. दूसरा स्कूटी स्टार्ट किए खड़ा रहा. पीछे बैठा युवक तेजी से उतरा और आसिफ के सामने जा खड़ा हुआ. उस के हाथ में पिस्टल थी, जिसे देख कर आसिफ घबरा गया.

आसिफ कुछ समझ पाता, इस से पहले ही उस युवक ने आसिफ पर गोली चला दी. वह चिल्लाते हुए जान बचा कर भागा, तभी उस ने उस पर एक और गोली दाग दी. इस के बाद वह स्कूटी पर बैठ गया तो उस का साथी उसे ले कर भाग निकला.

गोली लगने से आसिफ सड़क पर ही लहूलुहान हो कर गिर पड़ा था. गोलियों के चलने से वहां अफरातफरी मच गई थी. शिवानी ने भी गोलियों के चलने की आवाज सुनी थी. वह भाग कर आसिफ के पास पहुंची. आसिफ की हालत देख कर उस की हालत पागलों जैसी हो गई.

पुलिस को घटना की सूचना दे दी गई थी. सूचना पा कर स्थानीय थाना कविनगर के इंसपेक्टर नीरज सिंह पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे थे. उन्होंने तुरंत आसिफ को अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

सरेआम हुई इस वारदात से घटनास्थल और उस के आसपास सनसनी फैल गई. एसपी (सिटी) आकाश तोमर और सीओ रूपेश सिंह भी मौके पर पहुंच गए. इन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. पुलिस ने घटनास्थल से पिस्टल के 2 कारतूसों के खोखे बरामद किए. शुरुआती पूछताछ में पता चला कि मृतक आसिफ उर्फ आशू शहर की चमन विहार कालोनी का रहने वाला था. उस का सबमर्सिबल के इलैक्ट्रिक पैनल बनाने का बड़ा कारोबार था.

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शिवानी पर आसिफ को मरवाने का आरोप

आसिफ के साथ मौल आई शिवानी शहर की ही रहने वाली थी. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. घटना की खबर पा कर मृतक के घर वाले आ गए थे. उन का कहना था कि आसिफ की हत्या शिवानी और उस के साथियों ने की है. शिवानी पर उन लोगों ने हत्या का सीधा आरोप लगाया था, क्योंकि आसिफ उसी के साथ मौल आया था.

इस हमले में शिवानी को खरोंच तक नहीं आई थी, जबकि वह काफी डरीसहमी थी. अस्पताल में उस का भी प्राथमिक इलाज किया गया. एसएसपी एच.एन. सिंह ने पुलिस को इस मामले का जल्द खुलासा करने के निर्देश दिए. आसिफ के घर वालों के आरोपों के आधार पर पुलिस ने शिवानी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया, जबकि वह हत्या में अपना हाथ होने से मना कर रही थी. उस का कहना था कि आसिफ उस का अच्छा दोस्त था. वह भला उस की हत्या क्यों कराएगी? यह हत्या उस के बौस ने कराई है, क्योंकि उसे उस की यह दोस्ती पसंद नहीं थी.

शिवानी भले ही हत्या की बात से मना कर रही थी, लेकिन मृतक के पिता खालिद की तहरीर के आधार पर पुलिस ने शिवानी, उस के बौस व 2 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. हत्याकांड का खुलासा करने के लिए एसपी सिटी के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया, जिस में थानाप्रभारी और उन के सहयोगियों के अलावा अपराध शाखा के पुलिसकर्मियों को भी शामिल किया गया.

संदेह के दायरे में शिवानी का बौस

पुलिस ने मौल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की रिकौर्डिंग चैक की तो उस में घटना कैद थी. हमलावर एक स्कूटी से आए थे, जिन में पीछे बैठे युवक ने गोली चलाई थी. लेकिन उन के चेहरे स्पष्ट नहीं थे. गोली चलने के बाद जिस तरह शिवानी ने पलट कर देखा था और आसिफ को बचाने के लिए दौड़ी थी, उस से लगता नहीं था कि उस की कोई मिलीभगत थी. पुलिस ने शिवानी को वह रिकौर्डिंग दिखाई तो उस ने हमलावर की शारीरिक कदकाठी देख कर उसे अपना बौस बताया.

अगले दिन पुलिस ने शिवानी से काफी घुमाफिरा कर पूछताछ की. उस के और आसिफ के मोबाइल की काल डिटेल्स हासिल कर उस का गहराई से अध्ययन किया, लेकिन इस से कोई सुराग हासिल नहीं हुआ. शिवानी का कहना था कि हत्या उस के बौस ने ही की है. क्योंकि वह उस से बेहद नाराज था. उस ने यह भी बताया कि घटना के बाद उस ने बौस को 2 बार फोन मिलाया था, लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की थी. ऐसा पहली बार हुआ था.

शिवानी के बौस का नाम दिनेश था और वह शहर से लगे गांव चिपियाना का रहने वाला था. उस का प्रौपर्टी का कारोबार था. उस का औफिस एक इंस्टीट्यूट के पास था. शिवानी वहीं काम करती थी. पुलिस ने दिनेश के घर और औफिस पर छापा मारा तो दोनों जगह ताला लगा मिला. वह परिवार सहित फरार हो गया था. इस से पुलिस का शक और मजबूत हो गया.

पुलिस ने उस के नंबर की काल डिटेल्स और लोकेशन निकलवाई तो पता चला कि वारदात के समय उस के फोन की लोकेशन औफिस की ही थी. इस का मतलब उस ने यह वारदात बदमाशों से कराई थी या फिर जानबूझ कर अपना मोबाइल फोन औफिस में छोड़ दिया था. क्योंकि शिवानी उसी पर हत्या का आरोप लगा रही थी. शायद इसीलिए उस ने शिवानी का फोन रिसीव नहीं किया था.

दिनेश के यहां काम करने वाले दोनों लड़कों लकी और राजीव के मोबाइल फोन की लोकेशन पता की गई तो वह गौड़ मौल की पाई गई. इस से साफ हो गया कि आसिफ की हत्या में दिनेश का ही हाथ है. इस जानकारी के बाद पुलिस ने शिवानी को घर जाने दिया, लेकिन उसे शहर छोड़ कर जाने से मना कर दिया था. पुलिस ने उस के नंबर को भी सर्विलांस पर लगा दिया था.

पुलिस खुद भी दिनेश के बारे में पता करने लगी, साथ ही मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया. परिणामस्वरूप 8 अगस्त की रात पुलिस ने दिनेश को उस के एक साथी सहित गाजियाबाद के लालकुआं से रात साढ़े 12 बजे गिरफ्तार कर लिया. बाद में पता चला कि उस के साथ पकड़ा गया युवक लकी था. तलाशी में उन के पास से एक पिस्टल और कारतूस बरामद हुए. पुलिस ने उन्हें थाने ला कर पूछताछ की तो आसिफ की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी.

हकीकत आई सामने

दरअसल, आसिफ और शिवानी की दोस्ती बहुत गहरी थी. वह शिवानी के घर भी आताजाता था. दोनों की जानपहचान और अपनत्व का यह रिश्ता उन के घर वालों से भी नहीं छिपा था. आसिफ एक तरह से शिवानी के घर के सदस्य की तरह था, इसलिए उन के रिश्ते को कोई शक की नजरों से नहीं देखता था. करीब 2 साल पहले शिवानी ने दिनेश के औफिस में नौकरी कर ली. शिवानी खूबसूरत और समझदार लड़की थी. उस ने बहुत जल्द दिनेश के औफिस का सारा काम संभाल लिया. भरोसा हुआ तो वह एकाउंट का काम भी देखने लगी. वक्त के साथ दिनेश उस की ओर आकर्षित होने लगा. वह मन ही मन शिवानी को प्यार करने लगा. लेकिन उस की और शिवानी की उम्र में काफी फासला था.

दिनेश शादीशुदा था, इस के बावजूद वह दिल के हाथों हार गया. यह बात अलग थी कि शिवानी उस की चाहत से बेखबर थी. चूंकि दिनेश शिवानी को चाहने लगा था, इसलिए उस का खास खयाल रखने लगा. शिवानी उस के इस खयाल रखने को अपनत्व और बौस का प्यार समझती थी. दिनेश के दिल में शिवानी के लिए जो सोच थी, उसे उस ने उस पर कभी जाहिर नहीं किया. उसे पूरी उम्मीद थी कि एक दिन ऐसा आएगा, जब शिवानी उस की चाहत को समझ जाएगी और उसे जी भर कर खुशियां देगी. इसी उम्मीद में वह उसे एकतरफा प्यार करता रहा.

सामने आई शिवानी की दोस्ती

दिनेश को पता नहीं था कि शिवानी की आसिफ से दोस्ती है. यह राज उस पर तब खुला, जब वह शिवानी के औफिस भी आने लगा. उस का आनाजाना बढ़ा तो दिनेश का ध्यान उस की ओर गया. उसे यह नागवार गुजरा. वक्त के साथ आसिफ का आनाजाना बढ़ा तो दिनेश को शक हुआ. तब उस ने एक दिन शिवानी से पूछा, ‘‘शिवानी, एक बात पूछूं, बुरा तो नहीं मानोगी?’’

‘‘पूछिए सर.’’

‘‘यह जो लड़का तुम से मिलने आता है, यह कौन है?’’

दिनेश की इस बात पर पहले तो शिवानी चौंकी, उस के बाद बताया, ‘‘सर, उस का नाम आसिफ है. वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है.’’

दिनेश को लगा, शिवानी का आसिफ से गहरा रिश्ता है. वह खामोश हो गया. शिवानी ने दिनेश की इस बात को सामान्य ढंग से लिया था, जबकि उस के दिमाग में शिवानी और आसिफ के रिश्तों को ले कर उथलपुथल मची थी. शिवानी को ले कर उस ने जो ख्वाब देखे थे, उसे बिखरते नजर आ रहे थे.

शिवानी की निगरानी

दिनेश के औफिस में राजीव और लकी भी काम करते थे. लकी गाजियाबाद के ही दुहाई गांव का रहने वाला था, जबकि राजीव दिल्ली के वजीराबाद का रहने वाला था. ये दोनों ही दिनेश के विश्वासपात्र थे. दिनेश ने दोनों को शिवानी की निगरानी पर लगा दिया. उन्होंने दिनेश को बताया कि शिवानी आसिफ के साथ अकसर घूमती है.

एक साल पहले की बात है. शिवानी के पिता की मौत हो गई थी. उन की तेरहवीं पर दिनेश उस के घर गया तो उस ने आसिफ को भी वहां पाया. वह वहां शिवानी के घर के सदस्य की तरह काम कर रहा था. कहां उस ने सोचा था कि शिवानी उस की खुशियों में चार चांद लगा देगी, लेकिन यहां तो आसिफ उस की खुशियों में ग्रहण बन गया था. अब उस का सब्र जवाब दे गया. एक दिन उस ने शिवानी से कहा, ‘‘मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं शिवानी.’’

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‘‘कहिए सर, क्या कहना चाहते हैं?’’

‘‘मैं चाहता हूं कि तुम आसिफ का साथ छोड़ दो.’’

‘‘सर, यह आप क्या कह रहे हैं? अगर आसिफ से मेरी दोस्ती है तो इस में बुराई क्या है?’’ शिवानी ने पूछा.

दिनेश ने उसे समझाने वाले अंदाज में कहा, ‘‘शिवानी, मैं तुम्हारा बेहतर भविष्य चाहता हूं. मैं ने उस के बारे में पता कराया है, वह अच्छा लड़का नहीं है. उस के चक्कर में तुम कहीं किसी मुसीबत में न फंस जाओ. वैसे भी वह दूसरे मजहब का है.’’

‘‘बात मजहब की नहीं है सर. वह मेरा पुराना दोस्त है. उस के और मेरे घरेलू संबंध हैं.’’

अच्छा नहीं लगा शिवानी का जवाब

दिनेश को शिवानी की यह बात नागवार गुजरी. उस ने कहा, ‘‘क्या मेरी बात की तुम्हारे लिए कोई अहमियत नहीं है?’’

‘‘ऐसी बात नहीं है सर, मैं आप के यहां नौकरी करती हूं. लेकिन मेरे निजी मामले में आप जिस तरह दखलंदाजी कर रहे हैं, यह ठीक नहीं है.’’

‘‘मैं तुम्हारा भला चाहता हूं, इसीलिए उस से दूर रहने की सलाह दे रहा हूं.’’

‘‘आसिफ को मैं कई सालों से जानती हूं. मुझे उस में कोई बुराई नजर नहीं आती. वैसे भी मैं अपना अच्छाबुरा समझती हूं.’’ शिवानी ने बेरुखी से कहा.

शिवानी के इस जवाब से दिनेश खामोश हो गया. यह बात अलग थी कि शिवानी की बातें उस के दिल को लग गई थीं. शिवानी तो इन बातों को भूल गई, लेकिन दिनेश नहीं भूला था. उस ने शिवानी से कह भी दिया था कि आसिफ अब उस से मिलने औफिस में नहीं आना चाहिए.

आसिफ दिनेश के औफिस भले ही नहीं आता था, लेकिन औफिस के बाहर शिवानी से उस का मिलनाजुलना लगातार जारी रहा. इन बातों से दिनेश चिढ़ गया. एक दिन उस ने शिवानी को चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘शिवानी, आसिफ से दूर हो जाओ वरना कहीं ऐसा न हो कि मेरे हाथों उस का कुछ बुरा हो जाए.’’

दिनेश दबंग किस्म का आदमी था. शिवानी जानती थी कि वह कुछ भी कर सकता है. उस की चेतावनी से डर कर शिवानी ने वादा करते हुए कहा, ‘‘ठीक है सर, अगर आप को अच्छा नहीं लगता तो मैं उस से दूर रहूंगी.’’

रिश्तों के अपने मायने होते हैं, लेकिन कुछ रिश्ते मजबूरियां भी बन जाते हैं. शिवानी के साथ भी दिनेश का रिश्ता कुछ ऐसा ही हो गया था. पिता के मरने के बाद उस की जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं. दिनेश ने न सिर्फ उसे रोजगार दिया था, बल्कि उस पर उस के कई एहसान भी थे, इसलिए वहां नौकरी करना उस की मजबूरी थी.

दिनेश की चेतावनी से डर कर कुछ दिनों के लिए शिवानी ने आसिफ से मिलनाजुलना बंद कर दिया. उसे अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक था. उस के रिश्ते किस से हों, यह तय करना भी उस का काम था. लेकिन दिनेश जबरन दखलंदाजी कर रहा था. सही बात तो यह थी कि शिवानी आसिफ से रिश्ता नहीं तोड़ना चाहती थी, इसीलिए वह आसिफ से फिर मिलनेजुलने लगी.

दोस्ती के लिए शिवानी का झूठ

दिनेश जब भी इस बारे में पूछता, वह झूठ बोल देती. दिनेश का सोचना था कि आसिफ से दूर होने के बाद शिवानी उस के पहलू में आ गिरेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दिनेश ने अपने आदमी फिर शिवानी के पीछे लगा दिए. पता चला कि शिवानी ने आसिफ से मिलनाजुलना बंद नहीं किया था.

दिनेश किसी भी कीमत पर शिवानी को खोना नहीं चाहता था. यही वजह थी कि आसिफ को वह फूटी आंख नहीं देखता था. वह चाहता था कि शिवानी आसिफ से किसी तरह अलग हो जाए. यह बात जुनून की हद तक उस के दिमाग पर हावी हो गई थी. वह दिनरात इसी बारे में सोचने लगा. उसे लगा कि शिवानी आसिफ का साथ छोड़ने वाली नहीं है. अगर उस ने कुछ नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं, जब शिवानी दबाव पड़ने पर नौकरी छोड़ देगी. वह उसे दिल से चाहता था, इसलिए नहीं चाहता था कि शिवानी उस से दूर हो.

कई दिनों की दिमागी उथलपुथल के बाद दिनेश ने सितंबर महीने में आसिफ को ही रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. आसिफ के लिए उस के दिल में यह सोच कर और भी नफरत पैदा हो गई कि उसी की वजह से शिवानी उस की नहीं हो पा रही थी.

उस ने सोचा कि अगर आसिफ को ही हमेशा के लिए हटा दिया जाए तो शिवानी का ध्यान पूरी तरह उस की ओर हो जाएगा. वेतन बढ़ाने और भविष्य में बड़ी जरूरतों को पूरा करने का वादा कर के उस ने इस साजिश में अपने कर्मचारियों राजीव और लकी को भी शामिल कर लिया. इस के बाद हत्या के लिए उस ने एक अवैध पिस्टल भी खरीद ली.

हत्या के बाद कोई उस पर शक न कर सके, इसलिए दिनेश ने योजना के तहत 2 नए मोबाइल फोन व उन के लिए सिमकार्ड खरीद लिए. इन में से एक मोबाइल फोन उस ने अपने पास रख लिया और दूसरा राजीव को दे दिया. शिवानी के औफिस से निकलते ही दिनेश राजीव को उस के पीछे लगा देता था. वह जहांजहां जाती थी, राजीव सारी खबर उसे देता रहता था. शिवानी आसिफ के साथ कभी मौल में घूमती तो कभी फिल्म देखने चली जाती. इस से दिनेश को विश्वास हो गया कि शिवानी किसी भी हालत में आसिफ को छोड़ने वाली नहीं है. अब वह आसिफ को निपटाने की फिराक में रहने लगा.

बेगुनाह के खून से रंगे हाथ

4 अगस्त की शाम शिवानी औफिस से टाइम से पहले ही निकल गई. इस से दिनेश को लगा कि आज वह आसिफ से मिलने जा रही है. उस ने राजीव को उस के पीछे भेज दिया. शिवानी गौड़ मौल में आसिफ से मिलने गई थी. यह बात राजीव ने दिनेश को बता दी.

दिनेश ने लकी से साथ चलने को कहा. उस पर पुलिस को शक न हो, इस के लिए उस ने सबूत के तौर पर अपना मोबाइल फोन औफिस में ही छोड़ दिया. वह लकी के साथ स्कूटी से गौड़ मौल पहुंचा. थोड़ी दूर पर खड़े हो कर दोनों आसिफ के बाहर आने का इंतजार करने लगे.

आसिफ बाहर निकला तो राजीव ने फोन कर के बता दिया. इस के बाद दिनेश ने स्कूटी से जा कर आसिफ को गोली मार दी और वहां से भाग गया. अगले दिन अखबारों में दिनेश ने पढ़ा कि शिवानी ने उस के खिलाफ बयान दिया है तो वह जयपुर भाग गया. मामला थोड़ा शांत हुआ तो वापस आ कर वह लकी से मिला. इस के बाद पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया. दिनेश के पास जो पिस्टल मिली थी, आसिफ की हत्या में उसी का उपयोग किया गया था.

अगले दिन पुलिस ने दिनेश और लकी को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक तीसरे हत्यारोपी राजीव की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. पुलिस उस की सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

जांच के बाद शिवानी की कोई संदिग्ध भूमिका नहीं पाई गई. शिवानी को हासिल करने की दिनेश की ललक का आसिफ बेवजह शिकार हो गया. आखिर दिनेश को ही क्या मिला? आसिफ की हत्या के आरोप में वह जेल जरूर चला गया. उस ने विवेक से काम ले कर अगर अपने जुनून से किनारा कर लिया होता तो शायद ऐसी नौबत कभी न आती.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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