क्रिकेट, दुनिया के लोकप्रिय खेलों में से एक है. क्रिकेट और क्रिकेटर्स के लिए दीवानगी किसी से छिपी नहीं है. इस अनोखे खेल में ऐसी कई घटनाएं देखने को मिलती है जो सभी को हक्का बक्का कर देती हैं. कई बार क्रिकेट मैदान पर लड़कियों में क्रिकेटर्स को लेकर विशेष प्रेम देखने को मिलता है.
क्रिकेट मैदान पर कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता. आज हम आपको एक ऐसी ही घटना बताने जा रहे हैं, जिस घटना के बाद एक खिलाड़ी पानी-पानी हो गया था. बात है 1950-60 के दशक की.
1950-60 के दशक में भारतीय क्रिकेटर अब्बास अली बेग विश्व के सबसे खूबसूरत क्रिकेटर्स में शुमार थे. सन 1960 में कानपुर में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में दौरान अब्बास अली बेग के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसे वो कभी भुला नहीं सकते.
दरअसल हुई यूं कि गर्ल्स स्टैंड से निकलकर एक लड़की अचानक मैदान पर आ गई और उसने अब्बास अली को किस कर लिया. अब्बास भी अचानक हुई इस घटना से हड़बड़ा गए साथ ही दर्शक भी कुछ नहीं समझ सके. स्टेडियम में एकदम से सन्नाटा छा गया लेकिन इसी बीच वहां मौजूद फैंस तालियां बजाने लगे. एक ओर फैंस इसे एन्जौय कर रहे थे मगर अब्बास अली का चेहरा शर्म से लाल हो गया.
बता दें कि 19 मार्च 1939 को हैदराबाद में जन्मे दाएं हाथ के बल्लेबाज अब्बास अली ने 10 टेस्ट मैचों की 18 पारियों में 1 शतक और 2 अर्धशतक की मदद से 428 रन बनाए थे. इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 112 रहा.
वहीं बात अगर प्रथम श्रेणी की करें तो 235 मैचों में उन्होंने 29 बार नाबाद रहते हुए 12367 रन बनाए थे. इस दौरान अब्बास अली ने 21 शतक समेत 64 अर्धशतक लगाए.
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कृति की मां संगीता अपनी बेटी को अच्छी परवरिश देने के लिए चिंतित रहती हैं. उस की हर छोटीबड़ी जरूरतों का पूरा खयाल रखती हैं लेकिन फिर भी कृति और संगीता के बीच सहजता नहीं बन पा रही थी. संगीता की तरह ऐसी कई मांएं हैं
जो अपने लाड़ले या लाड़ली के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए काफी प्रयास करती हैं पर फिर भी अच्छा मैत्री संबंध बन नहीं पाता. ज्यादातर मामलों में मां का शक्की बरताव, एकदूसरे को न समझ पाने में असमर्थता जैसे कारण पाए जाते हैं.
मुंबई के माइंड मंत्रा के संस्थापक डा. हेमंत मित्तल इस बारे में कहते हैं कि ज्यादातर दंपती अपने बच्चों पर विश्वास होने का दावा तो करते हैं पर मन ही मन उन के भीतर डर बना रहता है, जो स्वाभाविक भी है. लेकिन इस डर को दूर करने के लिए आप क्या करते हैं और किस तरह बच्चों के सामने प्रतिक्रिया देते हैं, उस पर आप का और आप के बच्चे के बीच के रिश्ते का भविष्य टिका होता है.
हर मां के भीतर अपने बच्चे को ले कर असुरक्षा की भावना रहती है. नतीजतन, वह उस की नईनई मांगों पर सीमा से अधिक प्रतिक्रिया दे देती है. स्कूल में पैरेंट्स मीट के दिन उन के स्कूल जाती है और अपनी जासूसी शुरू कर देती है.
बेटी के बौयफ्रैंड को और बेटे की गर्लफ्रैंड को तिरछी निगाहों से देखना, टीचर के शिकायत करने पर सभी दोस्तों के सामने बच्चे को डांट देना, उन के मित्रों पर ऊटपटांग की टीकाटिप्पणी करना, सभी के सामने उन की बुरी आदतों को बतलाना आदि बच्चों को बिलकुल भी नहीं भाता. और यही एक बड़ा कारण बन जाता है बच्चे व आप के बीच दूरियों का.
दोस्तों को चाय पर बुलाएं
कैसा रहेगा अगर आप उन के शिक्षण संस्थानों में जासूसी करने के बजाय बच्चों के दोस्तों, सहेलियों को समयसमय पर चाय, नाश्ते के लिए घर पर बुलाएं. उन के साथ दोस्ताना लहजे में बात कर उन्हें सहज महसूस करवाएं.
फिर उन के बात करने के तरीके, भाषा, व्यवहार पर अपनी हलकी नजर डालें. इस से आप को बच्चों के दोस्तों को अच्छे से जानने का मौका मिलेगा. उन के साथ अपने बच्चे के व्यवहार पर गौर करें. इस से आप के दिए हुए संस्कार उस तक पहुंच रहे हैं या नहीं, समझ में आ जाएगा.
स्कूल या कालेज में टीचर जो कहें, जरूरी नहीं वह सही ही हो. हो सकता है किसी निजी परेशानी के चलते या रोषपूर्वक टीचर ने आप के बच्चे के बारे में गलत बात कह दी हो. इसलिए उस पर बरसने से पहले शांतिपूर्वक ठंडे दिमाग से सोचें और विषय की पूरी जांचपड़ताल कर के ही बच्चे से कुछ कहें. उन्हें सहगलत के बारे में प्यार से समझाएं. अपने बच्चे की पौकेटमनी पर नजर रखें. ध्यान दें कि वह अपने पैसे किन चीजों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करता है. इस से आप को बच्चे की अच्छीबुरी आदतों के बारे में समझने में सहायता मिलेगी.
बच्चों पर विश्वास रखें
ज्यादातर कामकाजी दंपती अपनी व्यस्तता के चलते बच्चों को समय नहीं दे पाते. ऐसे में जब बच्चे की किसी गलत आदत के बारे में पता लगता है, तो बगैर सोचेसमझे उस पर बरस पड़ते हैं. अपने बच्चे के लिए समय निकालें. कम से कम सप्ताह में एक पूरा दिन उस के साथ गुजारें. किसी भी गलत आदत के पता लगने पर पहले बच्चे से उस बारे में बात करें. उसे भाषण देने के बजाय शांति से उस की पूरी बात सुनें.
बच्चों की पसंद और आदतों को समझने के बाद उन से सहजता से बात करें, समझाएं और यदि फिर भी बात न बने तो आप किसी अच्छे मनो- चिकित्सक की सहायता भी ले सकते हैं. अपने बच्चों पर विश्वास रखें. उन्हें बोल्ड बनाएं, न कि उन पर आप अपने बचपन के नियम और कानून थोपें. बच्चों को स्वतंत्रता बेहद पसंद होती है. उन्हें थोड़ी छूट दें, बर्थडे पार्टी आदि में जाने की इजाजत दें. उन्हें पार्टी में खुद छोड़ने व लेने जाएं या फिर उन के दोस्तों का नंबर ले लें. लेकिन उन्हें बारबार फोन कर अपनी व्याकुलता जाहिर न करें. बदलते जमाने के साथ अपनी परवरिश करने के तरीकों में भी थोड़ा बदलाव और खुलापन लाएं. फिर देखें आप का बच्चा कैसे गर्व से अपने दोस्तों से आप को मिलवाता है. द्य
समझें बच्चे की कशमकश
अपने बच्चे की नोटबुक को देखें. अगर लिखावट समझ सकने योग्य न हो या ज्यादा खिंचीखिंची हो, तो इस बारे में काउंसलर से बात करें. बच्चे कभीकभी अपने मन की बात बता नहीं पाते. लेकिन उन की लिखावट से उन की मनोस्थिति के बारे में बहुतकुछ जाना जा सकता है.
बच्चा रात में ठीक से सो पा रहा है या नहीं, इस पर भी एक नजर डालें. यदि वह सोते वक्त बेचैनी महसूस करता हो, बारबार करवटें बदल रहा हो, दांत पीसता हो, तो समझ जाएं कि जरूर उस के मन में किसी न किसी प्रकार की चिंता या डर बैठा हुआ है. उस से इस संदर्भ में जानने की कोशिश करें. बच्चे के खाने पीने की गति- विधियों पर ध्यान रखें. वह पूरा आहार ले रहा है या नहीं, समय पर भूख लग रही है या नहीं. इन सब बातों पर ध्यान रख कर भी आप अपने बच्चे के भीतर चल रही कशमकश को समझ सकते हैं. बच्चा किस प्रकार का खेल खेलना पसंद करता है, आउटडोर या इनडोर, इलैक्ट्रौनिक गैजट्स पर आधारित या साधारण प्रकार के खेल. उन के खेलने के तरीके से ले कर खेल के प्रकार द्वारा आप उन की पसंद और सोच को परख सकते हैं.
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संगीता शुरू से ही ऐशोआराम में पलीबढ़ी थी. उसे मायके में किसी भी चीज की कमी नहीं थी. जब जो चाहती, खरीदती. अपनी मरजी के मुताबिक खर्च करती. लेकिन शादी के बाद उस के खर्च करने की आदतों पर जैसे पाबंदी लग गई.
दरअसल, उस के पति राजीव की कमाई महीने में सिर्फ 35 हजार रुपए ही थी. घर का खर्च और इकलौते बेटे की स्कूल की फीस व पढ़ाईलिखाई पर आने वाले अतिरिक्त खर्च का बोझ ही राजीव बड़ी मुश्किल से उठा पाता था. ऐसे में संगीता आएदिन फालतू के खर्च कर डालती थी. बातबात में राजीव को एहसास दिलाती कि वह अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ 35 हजार रुपए ही कमाता रह जाएगा.
संगीता की तो जैसे अब आदत हो गई थी दूसरों से राजीव की तुलना करने की, ‘‘आज शालिनी ने 5 हजार रुपए की सुंदर साड़ी खरीदी तो कभी हमारे पड़ोसी ने नया म्यूजिक सिस्टम खरीदा, पता नहीं हम कभी कुछ खरीदेंगे भी या नहीं.’’
राजीव कई बार संगीता को समझाता पर उस के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती थी. संगीता वही करती जो उस का दिल करता. संगीता की फुजूलखर्च की आदत से राजीव परेशान रहता, आएदिन उन में बहस होती.
संगीता अकेली ऐसी पत्नी नहीं है बल्कि हर मिडिल क्लास में संगीता जैसी नासमझ पत्नियां मिल जाएंगी जो अपनी सीमाओं से परे जा कर खर्च करती हैं. उन की आदत ही होती है बिना सोचेसमझे शौपिंग करते रहने की, चाहे घर का बजट ही क्यों न गड़बड़ा जाए.
मैरिज काउंसलर नीशू शुक्ला कहती हैं, ‘‘यदि घर में कमाने वाला सिर्फ एक व्यक्ति हो और उस की मासिक आय सामान्य हो तो हर पत्नी का यह फर्ज होता है कि वह सोचसमझ कर ही खर्च करे. किसी को भी अपनी सीमाओं को नहीं भूलना चाहिए, फिर बात कम बजट में घर चलाने की ही क्यों न हो.
‘‘दांपत्य रिश्ता इतना नाजुक होता है कि उस में जरा सी अनबन, वैचारिक मतभेद, गलत आदतों के कारण गांठें पड़ने लगती हैं. कई बार बहस, लड़ाईझगड़े का कारण पैसा भी होता है. समस्या तब भी होती है जब पति की इनकम कम हो और पत्नी जरूरत से ज्यादा खर्च करने वाली हो. ऐसे में घर चलाना वाकई मुश्किल हो जाता है.’’
वे आगे कहती हैं, ‘‘जब शादी होती है तो किसी लड़की को यह पता नहीं होता कि जहां वह जा रही है उस घर का कल्चर, विचार या फिर आर्थिक स्थितियां कैसी होंगी. यह भी सच है कि हर घर का रहनसहन, पैसे खर्च करने का तरीका, जीने का अंदाज दूसरों से अलग होता है. इसलिए महिलाओं को कभी भी किसी की बेहतर कमाई, बेहतर जिंदगी की अपने घर से तुलना नहीं करनी चाहिए. महिलाओं को लौजिकल हो कर चीजों को स्वीकार करना चाहिए.
‘‘यदि शादी से पहले आप मायके में ऐशोआराम से रहती थीं तो आप को स्वयं सोचना होगा कि क्या आप पति की सीमित आय में पहले की तरह जी सकेंगी? क्या यह आप का फर्ज नहीं बनता कि आप अपने पति की सीमाओं को समझते हुए उन का साथ दें बजाय फुजूल खर्च करने के?’’
आर्थिक सीमाओं पर ध्यान
बेटीदामाद के रिश्ते या उन के किसी भी मामले में अभिभावकों को दखल नहीं देना चाहिए. खासकर लड़की के मातापिता को अपनी बेटी की फुजूल खर्च की आदत को सही ठहराना बंद कर देना चाहिए. वरना बेवजह उन के रिश्ते में तनाव पैदा होगा.
लड़की को इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि अब वह अपनी मां के घर नहीं रहती जहां वह अपनी मरजी से खर्च करती थी. वह तब खर्च करती थी जब उस के पिता के पास पर्याप्त पैसा था. अब उसे पति के वेतन में ही पूरे महीने का खर्च चलाना है, इसलिए अपनी जरूरतों और इच्छाओं में फर्क करना सीखे.
यह भी रखें ध्यान
– पतिपत्नी दोनों अपने रिश्ते में पारदर्शिता रखें. पत्नी अपने घर, पति और बच्चे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए खर्च करे.
– घर चलाने की जिम्मेदारी किसी एक की नहीं बल्कि पतिपत्नी दोनों की ही समान रूप से होती है.
– पति की महीनेभर की कमाई जितनी है उसी में खुश रहना सीखें. बातबात में ताना देने से कमाई तो नहीं बढ़ जाएगी.
– किसी की देखादेखी शौपिंग न करें, पहले अपनी जरूरत देखें.
लड़की शादी से पहले यह जानने की कोशिश करे कि होने वाली ससुराल की आर्थिक स्थिति, खानेपीने का स्तर आदि कैसा है. शादी के बाद वहां की परिस्थितियों में वह स्वयं को स्थापित कर पाएगी या नहीं. यदि लड़की को लगता है कि सिर्फ उस के पति की कमाई से घरखर्च या उस की जरूरतें पूरी नहीं हो सकतीं तो वह खुद भी कोई पार्टटाइम काम शुरू कर सकती है.
यदि आप काम भी नहीं कर सकतीं तो पति जितना भी कमा कर लाता है उस में ही ऐडजस्ट करें, उसे स्वीकार करें.
यदि शौपिंग करनी भी है तो दूसरों की देखादेखी कुछ भी न खरीद लें. सोचसमझ कर खर्च करें. थोड़ीबहुत बचत करने की कोशिश करें ताकि 3-4 महीने के इकट्ठे हुए पैसों से आप मनचाहा सामान ले सकें. याद रखें कि हर समय हालात एक से नहीं होते. धैर्य रखें और पति की परेशानियां को बढ़ाने के बजाय कम करें.
कहां, कब और किस चीज पर पैसे खर्च करना जरूरी है, पहले उस का बजट बना लें और लिस्ट तैयार कर लें. शौपिंग करते हुए स्वयं से यह सवाल जरूर करें कि आप को किस चीज की सब से ज्यादा जरूरत है. इच्छाओं की पूर्ति तो बाद में भी होती रहेगी. पैसे खर्च करने में जल्दबाजी न दिखाएं. यह सोचने में समय लगाएं कि क्या आप को किसी महंगे या थोक मात्रा में सामान की वाकई जरूरत है.
जहां सेल लगी हो वहां जाने से खुद को रोकें. वजह, एक तो वहां सामान की क्वालिटी अच्छी नहीं होती और वहां अकसर महिलाएं बिना सोचेसमझे कुछ भी खरीद लेती हैं. जब भी शौपिंग पर जाएं, कैश ले कर जाएं न कि क्रैडिट कार्ड. सिर्फ इमरजैंसी के लिए एक ही क्रैडिट कार्ड अपने पास रखें. पति की आर्थिक सीमाओं की चिंता है तो जब भी शौपिंग करें सामान की लिस्ट तैयार कर लें. लिस्ट में लिखे गए सामान ही खरीदें. बातबात में पति को ताना देना, उन्हें दूसरों से कम आंकना, उन की काबिलीयत पर शक करना बंद करें वरना आप का रिश्ता कमजोर हो कर टूट सकता है.
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आप स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते तो हैं, पर शायद ही आप अपने स्मार्टफोन के सभी फीचर्स के बारे में जानते हों. क्या आप जानते हैं कि स्मार्टफोन के वौल्यूम का बटन दबाते ही आपके फोन की फ्लैश लाइट जल जाएगी. अगर नहीं तो आज हम आपको स्मार्टफोन के वौल्यूम बटन के बारे में कुछ खास जानकारी देने जा रहे हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आपके वौल्यूम बटन से कई काम किए जा सकते हैं. आप इन बटन से अपने फोन की ब्राइटनेस बढ़ाने, फ्लैश लाइट चालू करने, साउंड प्ले और पोज, स्क्रीन को टर्न औफ जैसे कई काम कर सकते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि ये कैसे यह संभव है.
सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाएं. यहां से Button Mapper App डाउनलोड कर इंस्टौल कर लें. इसके बाद जब आप इसे ओपन करेंगे तो आपसे कुछ इजाजत मांगी जाएंगी. इजाजत देने के बाद नेक्सट पर क्लिक करके सबसे आखिर में आने के बाद आपको डिस्प्ले पर सबसे ऊपर Button Mapper लिखा दिखाई देगा. इसके नीचे भी कई विकल्प दिखाई देंगे. इनमें वौल्यूम अप, वौल्यूम डाउन, हैडसेट बटन आदि होंगे.
यहां स्क्रीन पर सबसे नीचे GO का विकल्प दिखाई देगा, जिसपर क्लिक करने के बाद नया पेज खुलेगा. यहां एक्सेसिबिलिटी को औन कर दें. इसके बाद बैक आ जाएं. अब आपको वौल्यूम अप और वौल्यूम डाउन के बटन दिखाई देंगे. इनमें से जिस पर भी आपको सेट करना हो उसे सिलेक्ट कर लें. इसके बाद आपके फोन के स्क्रीन पर नए विकल्प आ जाएंगे. इनमें सबसे ऊपर आ रहे कस्टमाइज के विकल्प को औन कर लें. इसके नीचे भी 3 विकल्प दिखाई देंगे. सिंग्ल टैप, डबल टैप और लौन्ग प्रेस. इनमें से किसी 1 को सिलेक्ट कर लें. टैप करने के बाद अन्य विकल्प की एक लिस्ट खुल जाएगी.
अब इस वौल्यूम बटन के इस विकल्प पर जो भी शौर्टकट रखना चाहते हों उसे सिलेक्ट कर लें. इस पर आप जो भी सिलेक्ट करेंगे उस पर वही विकल्प काम करेगा. इसके बाद विकल्पों के अनुसार अगर आप वौल्यूम डाउन का बटन दबाएंगे तो फ्लैश लाइट औन हो जाएगी, इसी तरह अन्य विकल्पों का इस्तेमाल कर आप वौल्यूम बटन के और भी इस्तेमाल कर सकेंगे.
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एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं. ऐसे में सरकार अब एक्शन में आ गई है. उपभोक्ता मंत्रालय ने इससे निपटने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है. इसके तहत एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने पर अब पांच लाख के जुर्माने के साथ-साथ दो साल तक जेल भी हो सकती है. बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर केंद्र सरकार कानून में संशोधन करने जा रही है. उपभोक्ता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा हालातों में जो प्रावधान हैं उनमें जुर्माने और सजा का प्रावधान काफी कम है.
‘लीगल मेट्रोलौजी एक्ट’ में होगा संशोधन
पिछले महीने मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था. इस बैठक में जुर्माना व सजा को बढ़ाने पर सहमति बनी थी. इसके तहत मंत्रालय ने एमआरपी की अधिक कीमत वसूलने पर सख्ती करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इसके लिए ‘लीगल मेट्रोलौजी एक्ट’ की धारा 36 में जल्द संशोधन किया जाएगा.
अभी कितना है जुर्माना
मौजूदा व्यवस्था को देखें तो पहली गलती पर 25000 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है. इसमें संसोधन कर इस राशि को एक लाख रुपए करने का प्रस्ताव है. वहीं, दूसरी गलती पर मौजूदा जुर्माना 50000 रुपए है, जबकि इसे 2.5 लाख रुपए किए जाने का प्रस्ताव है. तीसरी गलती पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता है. वहीं, इसमें भी संसोधन कर इसे 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है.
संशोधित कानून में बढ़ेगी सजा
मौजूदा समय में एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने पर 1 साल तक की सजा का प्रावधान है. अब इसे 1 साल, 1.5 साल और 2 साल तक की सजा करने का प्रस्ताव दिया गया है. अभी उपभोक्ता मंत्रालय के पास 1 जुलाई 2017 से 22 मार्च 2018 तक 636 शिकायतें मिलीं हैं. पिछले नौ महीने में सबसे ज्यादा शिकायतें महाराष्ट्र से मिलीं हैं. इसके बाद यूपी से 106 और दिल्ली से सिर्फ 3 शिकायतें मिली हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक, इस प्रकार के लाखों मामले हो सकते हैं, लेकिन जागरुकता की कमी के कारण बहुत कम लोग शिकायत कर पा रहे हैं.
कैसे और कहां करें शिकायत
1800-11-4000 उपभोक्ता टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं
+918130009809 पर एसएमएस से पूरी जानकारी दे सकते हैं
उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट gov.in पर भी औनलाइन शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं
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औस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा स्टीव स्मिथ की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में गेंद के साथ छेड़छाड़ करने से क्रिकेट जगत हैरान है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन कैमरन बेनक्रौफ्ट ने गेंद पर पीले टेप का उपयोग किया, जो कैमरे में कैद हो गया. दिन का खेल खत्म होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस में स्टीव स्मिथ ने स्वीकार किया कि गेंद के साथ छेड़छाड़ की गई थी, जिसकी जानकारी टीम के अन्य खिलाड़ियों को भी थी.
इसके बाद से औस्ट्रेलिया टीम की चारों तरफ आलोचना हो रही है. स्मिथ को कप्तानी, डेविड वार्नर को उप-कप्तानी से हटा दिया गया. बेनक्रौफ्ट पर मैच फीस का 75 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया और आईसीसी ने उन्हें 3 डिमेरिट अंक दिए हैं. स्मिथ पर एक मैच का बैन और मैच फीस का 100 प्रतिशत जुर्माना लगाया गया.
बहरहाल, इतने बड़े विवाद के बीच पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वकार यूनिस ने लोगों का आकर्षण अपनी तरफ खींचने के लिए एक ट्वीट किया, जिसके बाद वह अपनी ही की गई टिप्पणी से फैंस के निशाने पर आ गए.
वकार का पोस्ट और लोगों का हमला
दरअसल, वकार ने ट्वीट किया कि पिछले औस्ट्रेलियाई मैचों की भी जांच हो. उन्होंने पहले भी ऐसा किया होगा. वकार ने लिखा- ‘मुझे मत बताना कि ऐसा पहली बार हो रहा है… हमें कुछ पुरानी फुटेज भी देखनी चाहिए…’
Don’t tell me this is happening for the first time,,,,is it ?????? We might have to dig out some old footage ? pic.twitter.com/wnk0Qvml3Q
इस पोस्ट के बाद वकार को तारीफ के बजाय आलोचनाएं ज्यादा झेलनी पड़ी. वह ट्रोल हो गए. वकार के पोस्ट पर जवाब देते हुए फैंस ने वह फोटो भी डाल दी, जिसमें खुद वकार बौल टेंपरिंग करते दिख रहे हैं. याद हो कि 18 साल पहले गेंद से छेड़छाड़ के मामले में वकार यूनिस सस्पेंड हुए थे. तब मैच रेफरी जौन रीड ने ट्राई सीरीज के बीच श्रीलंका के खिलाफ वकार को सस्पेंड कर दिया था.
इस शर्मनाक हरकत के कारण निलंबित होने वाले पहले खिलाड़ी बने थे वकार
जुलाई 2000 में वकार ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट के दौरान गेंद से छेड़छाड़ की थी. बौल टेपरिंग मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निलंबित होने वाले वह पहले खिलाड़ी (एक मैच के लिए) थे. तेज गेंदबाज पर मैच फीस का 50 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया गया था.
इससे पहले भी कई दिग्गज खिलाड़ी पर लग चुके हैं बौल टैंपरिंग के आरोप
ऐसा पहली बार नहीं है जब बौल टैंपरिंग की वजह से क्रिकेट जगत में भूचाल आया है. इससे पहले भी कई बार यह मुद्दा उठ चुका है और कई दिग्गज खिलाड़ी पर यह आरोप लगाए जा चुके हैं.
फाफ डु प्लेसिस (2016)
नवंबर 2016 में औस्ट्रेलिया के खिलाफ एडीलेड टेस्ट में दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ी फाफ डु प्लेसिस को बौल टैंपरिंग करते देखा गया. उनके मुंह के मिंट के उपयोग से बौल की कंडीशन को बदलते देखा गया. उनको आईसीसी के सेक्शन 42(3) का दोषी पाया गया और दंड स्वरूप पूरे मैच की फीस काट ली गई.
शाहिद आफरीदी (2010)
पर्थ में औस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के बीच वनडे मैच हो रहा था. उसमें पाकिस्तानी कप्तान शाहिद आफरीदी को बाल के एक तरफ के हिस्से को दांतों से चबाते हुए देखा गया. इसके बाद उनको दो मैचों के लिए निलंबित कर दिया गया और बाद में उन्होंने माफी मांग ली.
सचिन तेंदुलकर (2001)
नवंबर, 2001 में पोर्ट एलिजाबेथ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट मैच में सचिन तेंदुलकर के खिलाफ बौल टैंपरिंग का आरोप लगा. मैच रेफरी माइक डेनिस ने उन पर एक मैच का बैन लगा दिया. सचिन ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने बौल की सीम को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की, वह तो केवल बौल पर लगी घास को हटा रहे थे. खेल प्रशंसकों ने डेनिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. आईसीसी ने तेंदुलकर को आरोपों से मुक्त कर दिया.
माइकल अथर्टन(1994)
इंग्लैंड के इस प्लेयर पर 1994 में आरोप लगा कि उन्होंने अपनी पौकेट में से कोई चीज निकालकर बौल पर रगड़ी. अथर्टन ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वह अपने पौकेट में जमा मिट्टी से अपने हाथ सुखाने का प्रयास कर रहे थे. उन पर बौल टैंपरिंग का चार्ज नहीं लगाया गया और दो हजार पौंड जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया.
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भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने आस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज कैमरन बेनक्रोफ्ट पर मैच फीस का सिर्फ 75 प्रतिशत जुर्माना और प्रतिबंध नहीं लगाने के आईसीसी के फैसले की निंदा की. हरभजन ने 2001 के दक्षिण अफ्रीका टेस्ट का जिक्र किया जब पांच भारतीयों सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, शिवसुंदर दास, दीपदास गुप्ता और उन पर मैच रैफरी माइक डेनिस ने विभिन्न अपराधों में कम से कम एक टेस्ट का प्रतिबंध लगाया था.
उन्होंने 2008 के सिडनी टेस्ट का भी हवाला दिया जब एंड्रयू साइमंडस के खिलाफ कथित नस्लीय टिप्पणी के कारण उन पर तीन टेस्ट का प्रतिबंध लगाया गया था. हरभजन ने ट्वीट किया ,‘‘वाह आईसीसी वाह. फेयरप्ले. बेनक्रोफ्ट पर कोई प्रतिबंध नहीं जबकि सारे सबूत थे. वहीं 2001 में दक्षिण अफ्रीका में जोरदार अपील करने के कारण हम छह पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और वह भी बिना सबूत के. और सिडनी 2008 तो याद होगा. दोषी साबित नहीं होने पर भी तीन टेस्ट का प्रतिबंध. अलग अलग लोग अलग अलग नियम.’’
दक्षिण अफ्रीका और औस्ट्रेलिया के बीच तीसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन हुई बौल टैंपरिंग की घटना के बाद मचे बवंडर में अब आईसीसी ने अपना फैसला सुनाया था. इस कृत्य को अंजाम देने वाले आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज केमरन बेनक्रौफ्ट और टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ की सजा का ऐलान किया था. इस घटना में स्टीव स्मिथ ने प्रेस कौन्फ्रेंस कर अपनी गलती पहले ही मान ली थी. मैच के चौथे दिन स्मिथ ने टीम की कप्तानी छोड़ दी.
wow @ICC wow. Great treatment nd FairPlay. No ban for Bancroft with all the evidences whereas 6 of us were banned for excessive appealing in South Africa 2001 without any evidence and Remember Sydney 2008? Not found guilty and banned for 3 matches.different people different rules
— Harbhajan Turbanator (@harbhajan_singh) March 25, 2018
गौरतलब है कि इस घटना ने पूरे क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है. चारों तरफ आस्ट्रेलिया टीम की जमकर आलोचना की जा रही है. यहां तक कि आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री तक ने इस घटना की निंदा की है.
बिशन सिंह बेदी ने भी की कड़ी आलोचना
भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने आस्ट्रेलिया के शीर्ष क्रिकेटरों से जुड़े गेंद से छेड़खानी विवाद को आधुनिक क्रिकेट की बड़ी त्रासदियों में से एक बताते हुए खिलाड़ियों को खेल को संकट में डालने के लिये कसूरवार ठहराया. बेदी ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि गलती हुई है और इसके लिये खिलाड़ी जिम्मेदार हैं. कप्तान ने इसे स्वीकार कर लिया है और शीर्ष प्रबंधन ने भी. यह एक या दो खिलाड़ियों का काम नहीं है. मेरे ख्याल से यह आधुनिक क्रिकेट की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक है.’
बेदी ने कहा कि युवाओं को सही संदेश देने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘कड़ी सजा की कोई सीमा नहीं होनी चाहिये. हम युवाओ को गुमराह करते हैं. हर कीमत पर जीतने का रवैया गलत है. जीतना अहम है, लेकिन सही तरीके से जीतने का संदेश देना चाहिये.’ भारत के पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा ने कहा कि आईसीसी को देखना है कि खेल किस दिशा में जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘यदि कोई गेंद को चकता रहा है तो उसमें बदलाव भी कर रहा है. अभी देखना होगा कि नियम क्या कहते हैं क्योंकि मैने घटना देखी नहीं है.’
पूर्व आस्ट्रेलियाई कप्तान क्लार्क ने कहा, धोखा – कह दो, यह बुरा सपना है पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा कि गेंद छेड़छाड़ प्रकरण आस्ट्रेलियाई टीम के लिये‘ बुरा सपना’ है और पूर्व क्रिकेटरों ने इसमें लिप्त खिलाड़ियों की निंदा की. आस्ट्रेलियाई टीम के पूर्व कप्तान क्लार्क ने ट्वीट किया, ‘‘ यह क्या है…. क्या मैं अभी सोकर उठा हूं. कृपया मुझे बताईये कि यह बुरा सपना है.’
नासिर हुसैन, शेन वार्न ने भी की निंदा
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने भी इस प्रकरण में अपनी प्रतिक्रिया नहीं छुपायी, उन्होंने कहा, ‘आस्ट्रेलियाई टीम की यह धोखाधड़ी करने की पूर्व नियोजित योजना थी.’ आस्ट्रेलिया के महान क्रिकेटर शेन वार्न ने कहा कि जिसने भी बैनक्रोफ्ट को धोखाधड़ी करने को कहा, उसकी पहचान की जानी चाहिए. पूर्व लेग स्पिनर वार्न ने कहा, मुझे कैमरन बैनक्रोफ्ट के लिये सहानुभूति है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि उसने यह खुद किया होगा और यह अपनी जेब मे डाला होगा.’
उन्होंने कहा, ‘किसने उसे ऐसा करने के लिये कहा? यह ढूंढना अहम है. मुझे लगता है कि हमें इसकी तह तक जाना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ और ऐसी क्या वजह थी.’ वार्न ने कहा, ‘आपको जिम्मेदारी लेनी होगी. आप पकड़े गये हो और आपको जिम्मेदारी लेनी होगी कि आप क्या छुपा रहे थे. आप मैच में ऐसा नहीं कर सकते.’ इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा कि पूरी आस्ट्रेलियाई टीम और कोच हमेशा धोखेबाज के रूप में याद रखे जायेंगे. वान ने कहा ,‘‘एक मैच का प्रतिबंध और मैच फीस का शत प्रतिशत जुर्माना स्मिथ के लिये. बेनक्रोफ्ट पर 75 प्रतिशत जुर्माना और डिमेरिट अंक. यह समय मिसाल कायम करने का था और यह कैसी सजा सुनाई है.’’
वान ने ट्विटर पर लिखा, ‘स्टीव स्मिथ, उनकी टीम और सारे प्रबंधन को स्वीकार करना होगा कि उनके करियर को जो कुछ भी हो, उन्हें खेल में धोखाधड़ी करने की कोशिश के लिये याद रखा जाएगा.’ इंग्लैंड के पूर्व बल्लेबाज केविन पीटरसन को इस बात का यकीन नहीं था कि कोच डेरेन लीमैन को इस घटना की जानकारी नहीं थी. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वान ने कहा, ‘‘एक मैच का प्रतिबंध और मैच फीस का शत प्रतिशत जुर्माना स्मिथ के लिये. बेनक्रोफ्ट पर 75 प्रतिशत जुर्माना और डिमेरिट अंक. यह समय मिसाल कायम करने का था और यह कैसी सजा सुनाई है.’’
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बौलीवुड की मशहूर एक्ट्रेस श्रीदेवी के निधन के बाद अर्जुन कपूर अपनी सौतेली बहन जाह्नवी कपूर और खुशी कपूर का ध्यान रख रहे हैं. अर्जुन की बहन अंशुला कपूर भी अपनी बहनों के साथ खड़ी नजर आईं. अर्जुन कपूर ने इसी बीच अपनी मां मोना कपूर को याद करते हुए एक तस्वीर शेयर की है. तस्वीर के साथ ही अर्जुन ने एक भावुक कर देने वाला खत भी लिखा है. दरअसल बोनी कपूर की पहली पत्नी और अर्जुन कपूर की मां मोना कपूर ने 25 मार्च 2012 को दुनिया को अलविदा कहा था. अर्जुन ने यह तस्वीर मां की बरसी पर 25 मार्च यानी रविवार को शेयर की है.
अर्जुन ने मां की बरसी में इमोशनल मैसेज में लिखा, मैं आज पटियाला में शूटिंग कर रहा हूं, काश मैं आपको फोटो भेज पाता यह दिखाने के लिए की यह लोकेशन कितनी खूबसूरत है. मां आप मेरी फिल्मों को देखने के लिए आप मेरे साथ रेड कारपेट पर नहीं चल सकीं. यकीन नहीं होता कि 6 साल हो गए. पिछले छह सालों में आप हमेशा मेरे साथ रहीं और मेरी 9 फिल्मों की साथी हैं. अर्जुन ने अपनी बहन का जिक्र करते हुए लिखा, हमें नहीं पता हम लाइफ में कितना अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन आपने हमें जो सिखाया है हम उसी रास्ते में चल रहे हैं. मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं.
मोना शौरी कपूर उस समय अर्जुन को हमेशा के लिए अकेला छोड़ गई थी जब उनकी डेब्यू फिल्म ‘इशकजादे’ रिलीज होने वाली थी. मोना शौरी कपूर एक पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखती थी. साल 1983 में मोना और बोनी की अरेंज मैरिज हुई थी. शादी के वक्त मोना की उम्र 19 साल थी जबकि बोनी कपूर उनसे 10 साल बड़े थे. बोनी और मोना की शादी 13 साल तक ही चल सकी, इसके बाद बोनी की श्रीदेवी से नजदीकियां बढ़ने लगी जिसके कारण मोना ने बोनी कपूर से तलाक ले लिया था. बोनी और मोना कपूर के दो बच्चे अर्जुन कपूर और अंशुला कपूर हैं.
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बौलीवुड अभिनेत्री रिचा चड्ढा ‘‘गैंग आफ वासेपुर’’, ‘‘मसान’’, “फुकरे रिटर्न’’ सहित कई बेहतरीन फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुकी हैं. वह अपनी फिल्मों की ही वजह से तीन बार ‘कान फिल्म फेस्टिवल’ जा चुकी हैं.
कुछ दिन पहले ही रिचा चड्ढा अपने प्रेमी व अभिनेता अली फजल का मनोबल बढ़ाने के लिए उनके साथ अमेरिका गयी थीं. वहां औस्कर अवार्ड में अली फजल की अंतरराष्ट्रीय फिल्म ‘‘विक्टोरिया एंड अब्दुल’’ मेकअप व कास्ट्यूम के लिए नोमीनेट हुई थी. औस्कर अवार्ड की समाप्ति के बाद अब रिचा चड्ढा अमेरिका से वापस लौटी हैं.
तीन बार कान फिल्म फेस्टिवल का हिस्सा रहने के बाद और ‘औस्कर’ अवार्ड को बाहर से समझने के बाद रिचा चड्ढा मानती हैं कि दोनों में जमीन आसमान का अंतर है.
हमसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए रिचा चड्ढा ने कहा- ‘‘कान फिल्म फेस्टिवल में यूरोपीय सिनेमा के साथ साथ पूरे विश्व के सिनेमा को महत्व दिया जाता है. मगर औस्कर में ज्यादातर अमेरिकन फिल्मों को ही महत्व दिया जाता है. औस्कर में विश्व सिनेमा को लेकर एक छोटी सी कैटेगरी है, जिसे ‘फारेन लैंगवेज’ की कैटेगरी नाम दिया गया है. औ
औस्कर में ब्रिटिश व अमेरिकन फिल्मों का ही महत्व होता है. यूरोपीय सिनेमा को भी कम महत्व मिलता है. पर ‘कान’ में पूरे विश्व को महत्व मिलता है. इसी वजह से ‘कान’ में ‘गैंग्स औफ वासेपुर’, ‘मसान’ सहित कई भारतीय फिल्में जा चुकी हैं. वहां ब्राजील की फिल्में भी आती हैं. इनकी एक शर्त होती है कि यदि आपके देश की कोई फिल्म ‘कान फिल्म फेस्टिवल’ का हिस्सा बनना चाहती है, तो उस फिल्म को उनके देश में दो हफ्ते दिखाया जाना चाहिए. मुझे यह जायज लगता है.’’
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कंप्यूटर की ही तरह स्मार्टफोन में भी सुरक्षा से सम्बंधित कई परेशानियां आती हैं. अब तक एंड्रौयड पर वायरस के कई हमले भी हो चुके हैं. ऐसा माना जाता है की एंड्रौयड स्मार्टफोन्स के मुकाबले ऐप्पल का आईओएस कहीं अधिक सुरक्षित है. लेकिन हर स्मार्टफोन में यह खतरा होता ही है. पिछले साल सितंबर में आई एक रिपोर्ट के अनुसार एंड्रौयड प्लेटफार्म पर 30 प्रतिशत से ज्यादा रैनसमवेयर पाए गएं. इसी के साथ 10 मिलियन एंड्रौयड ऐप्स को सस्पीशियस की कैटेगरी में डाला गया.
अब, जब मोबाइल मालवेयर बढ़ रहे हैं, यूजर्स को यह सुनिश्चित करना जरुरी है की उनका फोन सुरक्षित हो. इन तरीकों को अपनाकर आप अपने मोबाइल को सुरक्षित रख सकते हैं.
फोन को रखें लौक : फोन लौक लगाने से सिर्फ डिवाइस सुरक्षित नहीं रहती बल्कि इससे दूसरे लोग आपके फोन के जरुरी डाटा को एक्सेस भी नहीं कर पाते. कुछ सालों पहले डिवाइस को लौक करना थोड़ा मुश्किल या लम्बा काम लगता था. लेकिन अब फिंगरप्रिंट सेंसर और फेस अनलौक जैसी टेक्नोलौजी के चलते फोन को सुरक्षित रखना और भी आसान हो गया है. इसी के साथ फोन के रीस्टार्ट होने पर भी पहले पिन लौक जरुर डाल के रखें.
औपरेटिंग सिस्टम को रखें अपडेट : एंड्रौयड यूजर्स में औपरेटिंग सिस्टम को अपडेट ना रखने की आदत है. एंड्रौयड का सबसे आम औपरेटिंग सिस्टम नौगट 7 का फरवरी 2018 तक मात्र 28.5 फीसद मार्किट शेयर रहा है. ऐप्पल यूजर्स के मामले में यह परिस्थिति थोड़ी बेहतर है. आईओएस के लेटेस्ट वर्जन 11.2 का मार्किट शेयर 70 फीसद है.
कई एंड्रौयड यूजर्स को उनके हैंडसेट पर लेटेस्ट अपडेट्स ना मिलने की भी शिकायत रहती है. इससे यूजर्स के फोन्स आसानी से वायरस की चपेट में आ सकते हैं. इस स्थिति में अगर आपके मोबाइल पर लम्बे समय से अपडेट नहीं आ रहे हैं तो या तो आप कस्टमर केयर सेंटर जा के इसका कुछ निवारण निकालें या अपना हैंडसेट बदलने की योजना बनाएं. इसी के साथ नया स्मार्टफोन खरीदते समय ऐसा हैंडसेट खरीदें जिस पर अपडेट्स मिलती हों.
असुरक्षित ब्रैंड्स के फोन लेने से बचें : कुछ फोन्स समय-समय पर अपडेट्स मिलने के लिए मशहूर होते हैं. इनमें गूगल पिक्सल, ऐप्पल आईफोन आदि सम्मिलित हैं. बजट स्मार्टफोन्स में भी कई विकल्प मौजूद हैं. कुछ ऐसी कंपनियां भी हैं जिन्हें डाटा सुरक्षा के मामले में सही नहीं माना जाता. ऐसे ब्रैंड्स के स्मार्टफोन लेने से बचें.
एन्क्रिप्शन : अपनी फोन स्टोरेज को एन्क्रिप्ट कर के रखें. आपके स्मार्टफोन में ईमेल, कौंटैक्ट्स, फाइनेंशियल ऐप्स आदि जरुरी डाटा होता है. अगर आपका फोन गुम जाए या चोरी हो जाए तो आप नहीं चाहेंगे की आपकी जरुरी जानकारी किसी गलत हाथ में पड़े. इसलिए अपने फोन की स्टोरेज को एन्क्रिप्ट कर के रखें. इससे अगर किसी और के हाथों में आपका फोन जाता भी है तो आपका डाटा सुरक्षित रहेगा.
वायरस के लिए करें स्कैन : मोबाइल डिवाइसेज में आजकल आसानी से वायरस आ जाते हैं. इससे बचने के लिए समय-समय पर अपने फोन को स्कैन करते रहें. गूगल प्ले के ऐप्स में भी कई बार वायरस आ जाते हैं. इससे बचने के लिए किसी भी ऐप को किसी भी सोर्स से डाउनलोड करने से पहले स्कैन कर लें.
फोन को जेलब्रेक ना करें : आईफोन यूजर्स अक्सर अपनी डिवाइसेज को जेलब्रेक करते हैं. ऐसा करने से डिवाइसेज सुरक्षित नहीं रहती. इसी तरह, एंड्रौयड यूजर्स अपने फोन को रुट करते हैं. इन दोनों ही प्रक्रियाओं में यूजर का फोन सुरक्षित नहीं रहता इसलिए ऐसा करने से बचें.
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