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हौट वैदर में कूल मेकअप लुक के साथ ऐसे बनें पार्टी क्वीन

गरमी के मौसम में पसीने की वजह से मेकअप टिकता नहीं है. ऐसे में इस मौसम में मेकअप करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:

सीटीएमपी करें: मौसम चाहे कोई भी हो मेकअप के लिए उस के रूल्स को फौलो करना बहुत जरूरी है. अगर नजर डालें सीटीएमपी यानी क्लींजिंग, टोनिंग, मौइश्चराइजिंग व प्रोटैक्शन के स्टैप्स पर, तो इन दिनों फेस क्लीनिंग के लिए डीप पोर फेस वाश का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि स्किन डीप क्लीन हो जाए. सैकंड स्टैप यानी टोनिंग से पोर्स बंद हो जाते हैं, जिस से पसीना नहीं आता.

टोनिंग के लिए ऐस्टिंजैंट का इस्तेमाल ठीक रहता है. यह चेहरे पर बहुत कूल व रिफ्रैशिंग एहसास देता है और त्वचा से ऐक्सट्रा औयल को भी कम कर देता है. वैसे पोर्स को मिनिमाइज करने के लिए फेस पर कोल्ड कंप्रैशन भी दे सकती हैं. इस के लिए मलमल के कपड़े में बर्फ के टुकड़े रख कर भी फेस पर मसाज कर सकती हैं, ऐसा करने से भी पोर्स बंद हो जाते हैं.

गरमी के मौसम में त्वचा से औयल निकलता है, यह सोच कर कई महिलाएं त्वचा पर मौइश्चराइजर का इस्तेमाल नहीं करती हैं. जबकि इस औयल के अलावा स्किन को नमी की भी आवश्यकता होती है. ऐसे में इस कमी को पूरा करने के लिए फेस पर जैल बेस्ड मौइश्चराइजर जरूर लगाना चाहिए. इस के अलावा स्किन को हाइड्रेट करने के लिए ऐलोवेरा जैल भी लगा सकती हैं. यह चेहरे पर फेयरनैस व ब्राइटनैस लाएगा, साथ ही त्वचा पर सन प्रोटैक्शन की तरह भी काम करेगा.

फ्लालैस टैक्स्चर पाएं: अगर आप लंबे समय तक मेकअप को रखना चाहती हैं तो प्राइमर लगाना न भूलें. यह मेकअप को देर तक रखने में मदद करता है. प्राइमर न सिर्फ मेकअप को देर तक टिकने में मदद करता है, बल्कि चेहरे से रिंकल्स आदि भी हटा देता है.

मौइश्चराइजर लगाने के बाद और फाउंडेशन लगाने से पहले प्राइमर का उपयोग कर सकती हैं. प्राइमर लगाने के बाद फाउंडेशन का उपयोग करें, क्योंकि कई बार यह सुविधा हो जाती है कि पहले फाउंडेशन लगाएं या प्राइमर. अगर ऐक्सपर्ट की बात मानें तो प्राइमर के बाद हमेशा फाउंडेशन ही प्रयोग में लें, क्योंकि इसे सूखने में थोड़ा समय लगता है. एक गलती जो महिलाएं आमतौर पर करती हैं वह यह कि वे मेकअप को हर स्टैप पर सूखने नहीं देतीं. अत: ऐसा करने से बचें.

फाउंडेशन का उपयोग जहां स्किन कलर/स्किन टोन के लिए किया जाता है वहीं कंसीलर का इस्तेमाल चेहरे के दाग और डार्क सर्कल्स को छिपाने के लिए किया जाता है. इसलिए अगर आप की स्किन पर भी दाग या आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हैं तो आप उन्हें कंसीलर की मदद से छिपा सकती हैं. डार्क सर्कल्स छिपाने के लिए कंसीलर एक शेड लाइट ले सकती हैं.

चेहरे के दागधब्बों को छिपाने के लिए सब से पहले फाउंडेशन लगाएं. पाउडर लगाने से पहले कंसीलर लगा लें. अगर अभी भी दाग दिख रहे हैं तो थोड़ा कंसीलर और लगा सकती हैं.

चीक्स को हाईलाइट करने और फेस पर ग्लो जगाने के लिए पीच शेड का ब्लशऔन लगाएं. चिजेल्ड लुक के लिए ब्लशऔन के बजाय ब्रौंजिंग भी कर सकती हैं.

कूल रिफ्रैशिंग आईज: ब्यूटीफुल दिखने के लिए आंखों का सुंदर होना बहुत ही जरूरी है. आंखों पर मेकअप देर तक बनाए रखने के लिए आई प्राइमर का इस्तेमाल जरूर करें. यह आई मेकअप को पसीने से बचाएगा, साथ ही कलर भी इंटैंस नजर आएगा.

आंखों की सुंदरता को मेकअप कर के आसानी से बढ़ा सकती हैं. इस के लिए आप को चाहिए कि आंखों के बाहरी हिस्सों को डार्क और अंदर के भाग को ब्राइटर रखें.

इस समर में आप को मेकअप के जरिए कूल रखने के लिए पर्पल फैमिली के शेड्स जैसे लैवेंडर, लाइलैक, मोव आदि काफी इन रहेंगे. ये कलर न सिर्फ आईशैडो के तौर पर बल्कि लाइनर व काजल के रूप में भी आप की आंखों की खूबसूरती को बढ़ाएंगे. आईलिड पर कलर्ड लाइनर जैसे एमरल्ड ग्रीन, इंडिगो ब्लू, व्हाइट, कौपर और वाटरलाइन पर जैट ब्लैक काजल इन दिनों इन भी है, साथ ही हिट भी.

अगर आईशैडो नहीं लगाना चाहतीं तो अपरलिड पर ज्यामितीय स्टाइल जैसे कैट आई या फिर रिवर्स विंग्स आईलाइनर और पलकों पर लौंग लैश मसकारा के कोट्स लगा कर भी आप अपने मेकओवर को बोल्ड लुक दे सकती हैं. बस एक बात का खयाल रखें कि इस मौसम में केवल वाटरप्रूफ प्रोडक्ट्स का ही इस्तेमाल करें.

पैंसिल आईलाइनर की जगह केक आईलाइनर का यूज करें. केक लाइनर एक बहुत अच्छा उत्पाद है. इसे एक बार लगाने पर यह टिका रहता है, जबकि पैंसिल आईलाइनर कभीकभी हट जाता है. केक आईलाइनर सूखा होता है, इसलिए इसे यूज में लेने के लिए आप को इस में थोड़ा पानी मिलाना होता है.

केक आईलाइनर को अधिक देर तक चलाने के लिए आप इस में पाउडर भी मिला सकती हैं. आप के पास आईलैश कर्लर, वौल्युमाइजिंग मसकारा और एक लैंथनिंग मसकारा जरूर हो.

स्टालिश हेयर डू: बालों को खुला कम से कम छोड़ें, क्योंकि गरमी में पसीना आने के कारण बाल जल्दी चिपचिपे हो जाते हैं. इन दिनों मैसी लुक ट्रैंड में है. ऐसे में आप बालों में मैसी साइड बन, मैसी साइड चोटी या फिर स्टाइलिश मैसी पोनी भी बना सकती हैं. ऐसा करने से आप के बाल बंधे रहेंगे और स्टाइलिश भी दिखेंगे. वैसे मैसी स्टाइल के अलावा आप सौक बन, हाई बन, या फिर स्टाइलिश ब्रेड्स भी बना सकती हैं.

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बनवारी के बोल और हिंदू राष्ट्र के रास्ते का नया पड़ाव

देशभर के कई पुराने और प्रतिष्ठित मंदिरों में आज भी घिसेपिटे बोर्ड इस आशय के दिख जाते हैं कि यहां मुसलमानों के आने की मनाही है. आज तक किसी मुसलमान ने इस आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया है, तो यह उन की धार्मिक मजबूरी भी है. मंदिरों तक तो बात समझ आती है पर अब चिंताजनक नया चलन घरों में भी यह तख्ती टांगने का सिलसिला शुरू हो गया है.

राजस्थान के अलवर शहर के भाजपा विधायक बनवारीलाल ने किसी बात की परवा न करते हुए ऐलान कर दिया है कि उन के घर में मुसलमानों का प्रवेश निषेध है. खुद को कट्टर हिंदूवादी दिखाने के ताजातरीन चलन में शामिल होते इस विधायक ने वजह भी बताई है कि मुसलमान अपराध में लिप्त रहते हैं. इस का मतलब यह भी है कि हिंदू अपराधी नहीं होते, इस के बाद भी जबरन उन पर आईपीसी की धाराएं लग रही हैं. हिंदू राष्ट्र के रास्ते का यह नया पड़ाव है कि मुसलमानों को घर में मत घुसने दो.

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इंजीनियरिंग से दूरी, फिर भी मेक इन इंडिया

देश को महान बनाने का सपना कोई देख रहा है, ऐसा सोचना भूल जाएं. वह रामायण और महाभारत की परीकथाओं की बात कर सकता है, समुद्र पर पुल और लाक्षागृह बनाने का बखान कर सकता है पर असल में, कुछ बड़ा नहीं कर सकता. महान बनाने के लिए देश को इंजीनियर चाहिए जो नया सोच सकें, दूर की सोच सकें. यह गुण हमारे यहां है लेकिन कितनों में, यह इस बात से साफ है कि देश के इंजीनियरिंग कालेज फटाफट बंद हो रहे हैं.

जिस देश के पगपग पर नए निर्माण की जरूरत है वहां हर दिन एक इंजीनियरिंग कालेज बंद हो रहा है. खरपतवार की तरह खुले कालेज अब लगातार कम हो रहे हैं और उन की विशाल बिल्डिंगें सायंसायं कर रही हैं. 4 वर्षों में 3 लाख सीटें कम हो गई हैं. इसी साल मेक इन इंडिया के नारों के बावजूद, 80,000 सीटें और 200 कालेज कम हो गए हैं. जो कालेज चल रहे हैं उन में कितने घिस रहे हैं, यह अंदाजा लगाना कठिन है. एक समय देश में 20 लाख इंजीनियरिंग छात्रों की जगह थी, आज केवल 7.9 लाख छात्रों ने 2016-17 में प्रवेश लिया.

इंजीनियरिंग से मोहभंग होने का कारण यह है कि हमारे यहां हाथ से काम करने की आदत ही नहीं. हमारे इंजीनियरों की दफ्तरों में बैठ कर काम करने की आदत है. वे कंप्यूटरों पर दक्ष तो हैं पर धूप, पानी, धुएं या अंधेरी खानों के नहीं. ये काम तो हमारे यहां हमेशा नीची जाति के लोग करते रहे हैं और वे इन 20 लाख सीटों के लायक फीस भर ही नहीं सकते. उन की पहले की शिक्षा ऐसी नहीं कि वे आज की कठिन तकनीक को समझ सकें. विदेशों में मिलने वाली नौकरियां भी कम होने लगी हैं क्योंकि चीन से इंजीनियर भारी संख्या में मिल रहे हैं. चीन हर साल 47 लाख छात्रों को साइंस, टैक्नोलौजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स के विशेषज्ञ बना रहा है जो हमारे छात्रों से कहीं ज्यादा योग्य, तेज, दक्ष, मेहनती व दूरदर्शी हैं. हमारे छात्र तो ‘थ्री इडियट’ फिल्म की तरह पूजापाठी हैं, अंगूठियां पहनने वाले हैं, दानदक्षिणा के भरोसे पास होने वाले हैं.

इस तरह के इंजीनियर स्वाभाविक है कि काम पर आते ही निकम्मे साबित हो जाते हैं. कुछ हजार जरूर वर्ल्डक्लास होंगे पर बाकी बस किसी तरह कामचलाऊ हैं. यह किसी भी सड़क पर

4 मील चलने पर पता चल जाएगा, विदेशी गाड़ी में चलने पर भी, सड़क की खराब बनावट के चलते, खड़खड़ आवाज आएगी, 4 में से 3 ट्रैफिक लाइटें काम नहीं कर रही होंगी, बिजली के तार लटके या टूटें दिखेंगे, सड़क के किनारे खराब हालत में भारी भरकम क्रेन ट्रेलर दिख जाएंगे, गुजरते ट्रक आड़ेतिरछे चल रहे होंगे और सड़क की बत्तियां आमतौर पर गुल होंगी.

हालत तो यहां तक है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के कार्यालयों के सामने का राजपथ भी इंजीनियरिंग की फेल्योर का महान नमूना है जहां हर कोने पर कुछ न कुछ बेतरतीब नजर आएगा. देश में इंजीनियरों की नहीं, पुजारियों की भरमार हो रही है. हम मेक इन इंडिया में केवल हवनकुंड बनाएंगे, ऐसा महसूस किया जा रहा है.

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सर चीयर्स डौंट फीयर्स : जब डर गए यमराज

धरती पर धर्म की जडे़ं मजबूती से जमाने का ठेका लिए, मौडर्न संस्कृति की हिफाजत के लिए पैदा हुए तन, मन और अंधभक्तों के धन के बलबूते अनगिनत शोषणों में लीन एक आत्मा कोर्ट से बाइज्जत बरी होने के बाद ब्रह्मलोक में जाने के बजाय यमराज के दरबार में पहुंची तो यमराज उसे देख कर डर गए. सदियों से किस्मकिस्म की आत्माओं का सामना करते रहने वाले यमराज उस वक्त उस आत्मा का सामना नहीं कर पा रहे थे. उन्हें लग रहा था जैसे वे भीतर ही भीतर डर रहे हैं, कमजोर पड़ रहे हैं. कभी वे उस आत्मा को देख कर घबरा रहे थे तो कभी उस के साथ सच्चा सौदा करने से कतरा रहे थे. पहली बार उन्होंने महसूस किया कि वे कमजोर पड़ते जा रहे हैं.

तब पहली बार बड़ी देर बाद यमराज का कोर्ट चालू हुआ. अनगिनत शोषणों में शामिल वह आत्मा जब सिर गर्व से ऊंचा किए यमदूतों के साथ यमराज के कोर्ट में पेश हुई तो यमराज ने उस के स्वागत में अपना सिर नीचा कर लिया. यमराज ने पंचकुला में हुए हादसे से सीख लेते हुए वैसे तो यमलोक में फैसला सुनाने से पहले ही सिक्योरिटी के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे, पर फिर भी पता नहीं अब की बार उन्हें अपनी व्यवस्था पर यकीन क्यों नही रहा था? इस से पहले कि आत्मा के कल्याण की कानूनी प्रकिया शुरू होती, डरेडरे से यमराज चित्रगुप्त के कान में फुसफुसाए, ‘‘चित्रगुप्त, क्यों न इस धर्मपरायण आत्मा के केस की सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी जाए? पता नहीं क्यों आज मेरे सिर में दर्द हो रहा है.

‘‘मुझे आज पहली बार जज की कुरसी पर बैठे हुए चक्कर से आ रहे हैं. पता नहीं मुझे आज क्यों सारा यमलोक जलने का डर सता रहा है. लग रहा है, जैसे सारा यमलोक जलने को बेचैन हो.’’ ‘‘महाराज, इस आत्मा के यमलोक में हुए फैसले के बाद होने वाले दंगों की नाक में नकेल डालने के पुख्ता इंतजाम हो चुके हैं. दूसरे, यहां तो वे मरे हुए लोग हैं जो नीचे मरमर कर जीने के बाद ही पहुंचे हैं. जीतेजी जो अपने लिए नहीं लड़ सके, वे अब यहां आ कर क्या हुड़दंग मचाएंगे सर? आप कोई टैंशन न लें प्लीज.

‘‘आप बेखौफ हो कर अपना फैसला दे कर धर्मराज होने का एक बार फिर सुबूत दीजिए. हम ने कौन सा चुनाव में इस आत्मा केसमर्थकों के वोट लेने हैं या लिए हैं जो इसे सजा देने से हमें डरना है. हमें कौन से तांत्रिक हो कर लोकतांत्रिक चुनाव लड़ने हैं.’’

‘‘नहीं यार, नीचे जो हुआ उसे देख कर मेरे तो जज की कुरसी पर बैठने से पहले ही हाथपैर फूले जा रहे हैं. भूल गए अपने धर्म क्षेत्र में धर्म के रौकस्टार को जब बलात्कार से जुड़ा होने की सजा सुनाई गई थी तो उस के भक्तों ने कानून को धता बताते हुए क्याक्या किया था?’’ ‘‘महाराज, वे उन के भक्त नहीं बल्कि समर्थक थे. समर्थक और भक्त में फर्क होता है. समर्थक राजनीति में होते हैं और भक्त भक्ति की फील्ड में. पर अब वहां उलटा हो चला है. सब गड़बड़ वहीं से हो रही है.

‘‘आज राजनीति में समर्थकों की जगह भक्तों ने ले ली है और भक्ति में भक्तों की जगह समर्थकों ने. हाड़मांस का नर जब अपने को नारायण के रूप में पेश करता है तो ऐसा ही होता है प्रभु,’’ चित्रगुप्त यमराज को फैसला देने के लिए उन्हें हिम्मत दिलाते हुए उन के कान में फुसफुसाए तो यमराज ने दोबारा कहा, ‘‘पर ऐसा क्यों हो रहा है चित्रगुप्त?’’ ‘‘प्रभु, वहां नैतिकता पर अनैतिकता हावी है. जिस ने अपनी अनैतिकता को छिपाने के लिए चमत्कारी चोला पहना है वही आज समाज में असरदार है.

‘‘नैतिकता का चोला पहन कर माया से दूर रहने वाले सैकड़ों हाथों से माया जोड़ नहीं बल्कि बटोर रहे हैं. ‘‘सरकारें पिछले हादसों से सबक लेने के बजाय एकदूसरे को सबक सिखाने में जुटी हैं. औरतों की हिफाजत के दावे करने वाले यौन शोषण के केसों में चुप्पी साध रहे हैं और समर्थक अपने नकली भगवान को रो रहे हैं.

‘‘नीचे की सरकारें अपना काम करें या न, पर आप अपना काम कीजिए बस. कम से कम हमारी साख तो बची रहे. डरने की कोई बात नहीं है प्रभु. एक इश्तिहार भी कहता है कि डर के आगे जीत है.’’ ‘‘एक बार डीजीपी से फिर पूछ

लो कि सिक्योरिटी के इंतजाम सच में पूरी तरह चाकचौबंद हैं या…? वाईआरसीएफ के बल तैनात कर दिए गए हैं न?’’ यमराज ने अपनी बात रखी. ‘‘हांहां प्रभु, सब किया जा चुका है. आप बस…’’

‘‘हमारे पुलिस वाले उन के पुलिस वालों की तरह पीछे तो नहीं हटेंगे?’’ ‘‘वे आप का नमक खाते हैं सर. नमकहरामी नहीं करेंगे. कीप इट अप.’’

‘‘तो उन के पुलिस वाले क्या खाते हैं?’’ यमराज ने पूछा. ‘‘अब मेरा और दिमाग न खाओ सर. यहां सब ठीक है प्रभु. मुझ पर भरोसा करो. आप डर क्यों रहे हो? इंसाफ कीजिए.

‘‘इस आत्मा के समर्थकों के हुड़दंग पर काबू पाने के लिए आठ लोकों से सशस्त्र बल बुला लिए गए हैं,’’ चित्रगुप्त झल्लाए. ‘‘कोर्ट… शु… कोरट शु … को…’’ इतना कहते हुए यमराज का गला अचानक फिचफिच करने लगा तो चित्रगुप्त ने जेब में हाथ डालने के बाद कुछ गोलियां सी निकाल कर उन के हाथ पर रखते कहा, ‘‘प्रभु, मिक्स की गोली लो, फिचफिच दूर करो.’’

VIDEO : पीकौक फेदर नेल आर्ट

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लिट्टी चोखा बेच कर बना सुपरस्टार : खेसारी लाल

बिहार के छपरा जिले के रहने वाले खेसारी लाल कामकाज की तलाश में दिल्ली आए थे और ओखला इलाके में रहने लगे थे. बहुत तलाश करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली तो वे अपने पिता के साथ लिट्टीचोखा बेचने लगे. खेसारी लाल को भोजपुरी गाने गाना बहुत पसंद था. लिट्टीचोखा बेचते समय वे कई लोकगीत गाते रहते थे. दुकान पर आने वाले लोगों ने उन की बहुत तारीफ की.

दोस्तों के सुझाव पर खेसारी लाल ने भोजपुरी गाने का कैसेट निकाला. यहां से उन्हें कामयाबी मिलनी शुरू हुई. दिल्ली में रहने के चलते उन्हें कैसेट कंपनियों के पास आनेजाने में सहूलियत भी रही

भोजपुरी फिल्मों में गायक ही हीरो बन जाता है, यही सोच कर खेसारी लाल ने भी ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखा. साल 2011 में फिल्म ‘साजन चले ससुराल’ के बाद खेसारी लाल अब तक 55 फिल्में कर चुके हैं. उन के म्यूजिक अलबम तो पसंद किए ही जा रहे हैं, वे सब से महंगे स्टेज आर्टिस्ट भी हैं.

फिल्म ‘दबंग सरकार’ की शूटिंग करने खेसारी लाल लखनऊ आए तो उन से मुलाकात हुई. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:

फिल्म ‘दबंग सरकार’ में आप का क्या रोल है?

भोजपुरी फिल्में अपने टैं्रड पर ही चलतीबनती हैं. फिल्म ‘दबंग सरकार’ मौजूदा ट्रैंड से काफी अलग है. यह साफसुथरी पारिवारिक फिल्म है. इस में मेरी भूमिका एक पुलिस अफसर की है. इस रोल को करने के लिए मैं ने अपना 12 किलो वजन कम किया है, जिस से मैं पुलिस वाले की तरह फिट दिख सकूं.

मैं ने अभी तक अपने बाल किसी रोल के लिए नहीं कटवाए थे, पर इस बार मैं ने पहली बार अपने बाल कटवाए हैं. इस ऐक्शन फिल्म में मेरे साथ 2 नई हीरोइनें आकांक्षा अवस्थी और दीपिका त्रिपाठी भी हैं.

आप ने अपना वजन कैसे कम किया?

डाइट और ऐक्सरसाइज के दम पर मैं ने अपने वजन को कम किया. उस का फर्क अब मुझे खुद दिख रहा है. मैं अंदर से खुद को फिट महसूस कर रहा हूं. मुझ में एक पुलिस वाले का सा अहसास होने लगा है. साधारण फिल्मों में ढीलेढाले पुलिस वाले चल जाते हैं, पर यहां पर मैं ने खुद को रोल के लिए फिट किया, जिस से रोल अच्छा हो सके.

आप के गाने बहुत चुटीले होते हैं. डबल मीनिंग के लिए इन की बुराई भी होती है. आप क्या कहेंगे?

भोजपुरी फिल्मों और म्यूजिक की दुनिया में डबल मीनिंग बातें काफी लंबे समय से चलन में हैं. इस की खास वजह यह है कि लोग ऐसे गानों को पसंद करते हैं. मैं ने भी ऐसे तमाम गाने गाए हैं. मैं इसे अपनी गलती भी मानता हूं. अब मुझे अहसास हुआ है कि हमारी जिंदगी पर ऐसे गानों का काफी गहरा असर पड़ता है.

आप को कैसे पता लगा कि डबल मीनिंग गाने नहीं गाने चाहिए?

मेरी फिल्में सभी देखते हैं. मां ने मेरी कोई फिल्म नहीं देखी थी. जब मेरी फिल्म ‘मेहंदी लगा के रखना’ आई तो मां ने उस के बारे में सुना. पहली बार उन्होंने इच्छा जताई कि वे यह फिल्म देखेंगी.

फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि तुम ऐसी ही फिल्में किया करो, मुझे अच्छा लगेगा. तब से मैं साफसुथरी फिल्में करने लगा हूं. अब मैं अपने गानों में भी सुधार करना चाहता हूं.

लिट्टीचोखा से फिल्मी परदे तक के अपने सफर को आप कैसे देखते हैं?

बदलाव तो हुआ है जो बहुत अच्छा रहा है. मेरी भी पहचान बन गई है. इस में मेरी शादी का भी अहम रोल रहा है. जिस साल मेरी शादी हुई, तभी मेरी पहली फिल्म भी रिलीज हुई. फिल्म हिट हो गई. अब मेरे गाने भी पहले से ज्यादा लोगों तक पहुंचने लगे हैं. अच्छे स्टेज कार्यक्रम भी मिलने लगे हैं.

मैं अपनी जिंदगी में आए बदलाव में शादी और अपनी पत्नी का खास योगदान मानता हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरे लिए परिवार ही सब से पहले है.

भोजपुरी फिल्मों में हीरोइन के साथ जोड़ी बना कर फिल्में करने का रिवाज ज्यादा है. क्यों?

मैं तो नईपुरानी हर हीरोइन के साथ काम करता हूं. फिल्म ‘दबंग सरकार’ की दोनों ही हीरोइनें नई ही हैं. मुझे कहानी पसंद आनी चाहिए. भोजपुरी फिल्म बनाने वाले प्रोड्यूसरडायरैक्टर बहुत कम नई कहानी पर काम करते हैं. वे भी बनेबनाए ढर्रे पर फिल्म बनाते हैं.

डायरैक्टर योगेश राज मिश्रा ने फिल्म ‘दबंग सरकार’ में अलग कहानी की बुनियाद रखी है. इस में प्रोड्यूसर राहुल वोहरा और दीपक कुमार का भी उन्हें साथ मिला. मुझे भी काम करने में मजा आ रहा है. इस फिल्म में गाने, डांस और कहानी के बीच एक बैलैंस देखने को मिलेगा.

भोजपुरी फिल्में अपने दायरे से बाहर नहीं आ पा रही हैं. इस की क्या वजह है?

अच्छी भोजपुरी फिल्में अपनी पहचान बनाने में कामयाब होती हैं. फिल्म ‘दबंग सरकार’ 2 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के बजट की फिल्म है. अच्छी सोच और तैयारी के साथ यह फिल्म बन रही है. हमारी मिलीजुली कोशिश यह है कि यह फिल्म अपने बाजार से बाहर भी दिखे.

भोजपुरी सिनेमा की वजह से ही सिंगल स्क्रीन सिनेमाहाल चल रहे हैं. अब इन फिल्मों को मल्टीप्लैक्स में भी दिखना चाहिए, तभी यह बाजार आगे बढ़ेगा. इस का फायदा पूरी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को होगा.

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बिना इंटरनेट के भी पेटीएम से करें पेमेंट, ये है तरीका

टेक्नोलाजी के इस जमाने में ज्यादातर लोग पेटीएम का इस्तेमाल पेमेंट करने के लिए करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि पेमेंट के दौरान अचानक से हमारे फोन से इंटरनेट चला जाता है या फिर जब हमे पेमेंट करना होता है तो उस समय हमारे फोन में नेट मौजूद नहीं होता. ऐसे में पेटीएम से पेमेंट करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन अब हमें इस समस्या से जल्द ही निजात मिलने वाली है, क्योंकि इसी समस्या को दूर करने के लिए पेटीएम ने ‘पेटीएम टैप कार्ड’ की शुरुआत की है जिसकी मदद से आप बिना इंटरनेट भी पेमेंट कर सकेंगे.

इसे आसान बनाने और विस्तार रूप देने के लिए पेटीएम पहले चरण में कार्यक्रमों, शैक्षणिक संस्थानों और कौर्पोरेट के साथ साझेदारी कर रहा है.

क्या है पेटीएम टैप कार्ड

यह कार्ड एक सेकंड में पेटीएम द्वारा जारी एनएफसी पीओएस टर्मिनल्स में पूरी तरह औफलाइन, सुरक्षित और सहज डिजिटल भुगतानों को सक्षम करने के लिए नियर फील्ड कम्यूनिकेशन (एनएफसी) तकनीक का इस्तेमाल करता है.

कैसे करता है काम

औफलाइन पेमेंट करने के लिए यूजर्स टैप कार्ड पर क्यूआर कोड स्कैन करके और किसी भी ऐड वैल्यू मशीन (एवीएम) में इसे सत्यापित करके अपने पेटीएम खाते से पेमेंट कर सकेंगे.

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एकदूजे के हुए सोनम और आनंद, शाम में होगा रिसेप्शन

मुंबई में अभिनेत्री सोनम कपूर और आनंद आहूजा की शादी की रस्में पूरी हो चुकी हैं.

सोनम के ब्राइडल लुक का फैंस को बेसब्री से इंतजार था. उनका इंतजार अब खत्म हो चुका है क्योंकि फैशन दीवा सोनम कपूर का ब्राइडल लुक सामने आ गया है.

रेड और गोल्डन बौर्डर के लहंगे में सजी सोनम दुल्हन के लुक में बेहद खूबसूरत लग रही हैं. लहंगे के साथ उन्होंने चोकर नेकलेस और पर्ल बीडेड रानी हार पहन रखा है.

उन्होंने हाथों में गोल्डन कलर के कलीरे और लाल रंग के चूड़े पहने हैं.

सोनम ही नहीं उनका दूल्हा भी किसा राजकुमार से कम नहीं लग रहा है.

बता दें कि मुम्बई में बांद्रा स्थित सोनम की आंटी के बंगले पर शादी की रस्में हुई. बंगले का नाम है रौकडेल, और रात को आठ बजे से लीला होटल में रिसेप्शन है.

एसबीआई ने आरटीआई जानकारी देने से किया इनकार, अरबों का है मामला

देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत वित्त वर्ष 2017-18 में अपने ग्राहकों से वसूले गए कुल एटीएम व्यवहार शुल्क की जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया है. यह शुल्क एटीएम उपयोग के तय मुफ्त अवसर खत्म होने के बाद वसूला जाता है. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौड़ ने मंगलवार को बताया कि उन्होंने आरटीआई अर्जी दायर कर एसबीआई से 31 मार्च को समाप्त ​वित्त वर्ष में उसके द्वारा अपने ग्राहकों से वसूले गए एटीएम व्यवहार शुल्क की ​तिमाही आधार पर जानकारी मांगी थी.

एसबीआई अधिकारी की तरफ से भेजा गया जवाब

इस आरटीआई अर्जी पर एसबीआई के एक आला अधिकारी ने गौड़ को 27 अप्रैल को भेजे जवाब में कहा, ‘मांगी गई उक्त सूचना हमारे पास तुरंत उपलब्ध नहीं है. यह अनुरोध आरटीआई अधिनियम की धारा सात (नौ) के तहत नामंजूर किया जाता है, क्योंकि इस सूचना का मिलान और संकलन बैंक के संसाधनों को असंगत रूप से विचलित कर सकता है.’ बहरहाल, चौंकाने वाली बात यह है कि खुद एसबीआई की तरफ से गौड़ को आरटीआई के ही तहत वर्ष 2016 और 2017 में भेजे गए अलग- अलग जवाबों में बताया जा चुका है कि उसने और उसके तत्कालीन सहयोगी बैंकों ने गुजरे वित्तीय वर्षों में अपने ग्राहकों से कितना एटीएम व्यवहार शुल्क वसूला है.

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साल 2016-17 में 1556 करोड़ की हुई थी वसूली

आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया, ‘यह मेरी समझ से बाहर है कि एटीएम व्यवहार शुल्क की वसूली के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी देने से एसबीआई अब पीछे क्यों हट रहा है. बैंक से उम्मीद की जाती है कि वह आरटीआई कानून की मूल भावना के मुताबिक पारदर्शी रवैया अख्तियार करे.’ गौड़ ने बताया कि उनकी ही पुरानी आरटीआई अर्जियों पर एसबीआई उन्हें सूचित कर चुका है कि इस बैंक समूह (तत्कालीन सहयोगी बैंकों समेत) ने एटीएम व्यवहार शुल्क के मद में वित्त वर्ष 2016-17 में 1556.27 करोड़ रुपये, 2015-16 में 310.44 करोड़ रुपये और 2014-15 में 210.47 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली की थी.

उन्होंने कहा कि एटीएम व्यवहार शुल्क वसूली के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी देने से एसबीआई के इंकार का आदेश सरासर अनुचित है. वह इस आदेश को सक्षम प्राधिकारी के सामने चुनौती देने के लिये आरटीआई अधिनियम के तहत अपील दायर करेंगे. महीने में एटीएम व्यवहार के तय मुफ्त अवसर खत्म होने के बाद इस मशीन के उपयोग पर बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों से शुल्क वसूला जाता है जिस पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) भी लगाया जाता है. इस वसूली के दायरे में गैर वित्तीय व्यवहार जैसे-एटीएम का पिन बदलना, खाते में उपलब्ध जमा राशि पता करना, मिनी स्टेटमेंट निकालना आदि शामिल हैं.

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दो दिन में तीन लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं ‘अमोली’, आप भी देखिए

बच्चों के कमर्शियल यौन शौषण के बदसूरत व्यवसाय के बारे में चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा करने वाली फिल्म “अमोली : प्राइसलेस” रिलीज हो चुकी है. फेसबुक और यूट्यूब पर रिलीज हुई इस फिल्म को रिलीज होने के दो दिनों के अंदर ही तीन लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके हैं. इस फिल्म में राजकुमार राव ने भी अपनी आवाज दी है. कल्चर मशीन द्वारा बनाई गई इस डौक्यूमेंट्री में बच्चों के यौन शोषण के उस तरीके को सामने लाया गया है, जो बच्चों के खिलाफ हिंसा के सबसे खराब रूपों में से एक है.

इस फिल्म को 4 अध्यायों में बांटा गया है. मोल, माया, मंथन और मुक्ति. हर भाग दर्शकों को एक यात्रा पर ले जाता है, जो बाल यौन शोषण की अंधेरी दुनिया में गहराई से गुजरता है.

अगर हम आंकड़ों की बात करें तो भारत में चाइल्ड ट्रैफिकिंग यानि बाल तस्करी के 9,034 केस दर्ज हैं. मानव तस्करी के 60 फीसदी मामलों में पीड़ित नाबालिग होते हैं. महाराष्ट्र में बाल तस्करी के 172 केस, पश्चिम बंगाल में 3,113 केस, कर्नाटक में 332, आंध्र प्रदेश में 239 और तमिलनाडु में 434 केस दर्ज हैं. नेशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो (2016 की रिपोर्ट) से स्पष्ट है कि बाल तस्करी के सभी मामलों के लिए सजा की दर केवल 27.8% थी.

“अमोली” इन मासूम बच्चों की सच्ची कहानियों को जानने और समझने का एक प्रयास है, जो हमें ऐसे लोगों से सतर्क रहने के लिए भी प्रेरित करती है, जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े बाल तस्करी बाजारों में से एक बना दिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल तस्करी का व्यापार 32 बिलियन डौलर का है. “अमोली” के माध्यम से ऐसे पुरुषों के लिए कठोर सजा की मांग की गई है, जो सेक्स के लिए बच्चों की मांग करते हैं. जब ऐसे लोगों को सजा का डर होगा तभी बाल तस्करी यह आपराधिक गठबंधन टूट सकता है. नेशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में वाणिज्यिक यौन शोषण के 3 मिलियन पीड़ितों में से 40 फीसदी बच्चे हैं.

Amoli The Nations Ugliest Business

“अमोली” के बारे में कल्चर मशीन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और सह-संस्थापक समीर पिटलवाला का कहना है कि हमारी इस फिल्म का मुख्य उद्देशय मूल रूप से पुरुषों को सेक्स के लिए बच्चों को खरीदने से रोकना है. हम मानते हैं कि हमारा यह उद्देशय केवल स्पष्ट राजनीतिक प्रतिबद्धता, सक्रिय कानून प्रवर्तन और सख्त एवं त्वरित न्याय के माध्यम से ही पूरा हो सकता है. हम “अमोली” के माध्यम से इस मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाना चाहते हैं. और इसके साथ ही हम चाहते हैं कि आम जनता इस मुद्दे को हल करने के लिए पुलिस, न्यायपालिका और सरकार से मांग करे.

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता डौक्यूमेंट्री फिल्ममेकर जैस्मीन कौर रौय और अविनाश कौर द्वारा निर्देशित और ताजदार जुनैद द्वारा संगीतबद्ध इस 30 मिनट की फिल्म का उद्देशय लोगों के बीच इस विषय पर जागरुकता बनाए रखना है.

“अमोली” को हिंदी में शूट किया गया है, लेकिन यह फिल्म छह अन्य भाषाओं – तमिल, तेलुगु, बंगाली, मराठी, कन्नड़ और अंग्रेजी, में भी रिलीज हुई है.

समीर पिटलवाला और वेंकट प्रसाद द्वारा 2013 में स्थापित, कल्चर मशीन प्राइवेट लिमिटेड ने इस फिल्म को निर्माण किया है. यह एक डिजिटल मीडिया कंपनी है जिसका उद्देशय स्टोरीटेलिंग और मीडिया ब्रांड का निर्माण करने में तकनीक का उपयोग करना तथा अच्छे कंटेट के साथ अत्याधुनिक तकनीक का संयोजन करना है. सिंगापुर स्थित पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी The Aleph Group, की सहायक कंपनी कल्चर मशीन, के कार्यालय भारत के प्रमुख शहरों (मुंबई, पुणे, दिल्ली, चेन्नई और हैदराबाद) में स्थापित हैं तथा इसका एक कार्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका (डेलावेयर) में भी है.

तो चलिए, आप भी देखिए “अमोली”…

अब डीजल की होगी होम डिलीवरी, इस कंपनी ने शुरु की सेवा

आईओसी के बाद अब हिंदुस्तान पेट्रोलियम कौरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) ने भी डीजल की होम डिलिवरी सुविधा शुरू कर दी है. फिलहाल ये होम डिलिवरी सुविधा मुंबई के लिए शुरू की गई है. कंपनी की योजना जल्द ही देश के अन्य हिस्सों में भी इसे शुरू करने की है.

एचपी फ्यूल कनेक्ट उन चुनिंदा ग्राहकों को डीजल डिलिवर करेगा जिनके पास महाराष्ट्र के रायगढ़ के उरान में के परिसर में फिक्स्ड इक्विपमेंट और हेवी मशीनरी है. यह बात एचपीसीएल ने कही है.

इंडियन औयल कौरपोरेशन (आईओसी) ने इस साल मार्च में पुणे में डीजल की होम डिलिवरी की सुविधा शुरू की थी. आईओसी की तरह ही एचपीसीएल ने भी डीजल डिस्पेंसर लगाया है, यह वैसा ही होता है जैसा कि पेट्रोल पंप पर देखा जाता है. एक मध्य आकार वाले ट्रक पर स्टोरेज टैंक फिट किया गया है जिससे कि पुणे के ग्राहकों के घर तक फ्यूल पहुंचाया जा सके.

देश में मौजूदा समय में 61983 पेट्रोल पंप है. जिनमें से 90 फीसद का संचालन राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियां कर रही है. देश ने वर्ष 2016-17 में 194.6 मिलियन टन के फ्यूल का उपभोग किया था, जो कि डीजल का 40 फीसद हिस्सा है. डीजल का वर्ष 2016-17 76 मिलियन टन उपभोग रहा है जबकि पेट्रोल का 23.8 मिलियन टन रहा है.

आईओसी भी शुरू कर चुका है ये सुविधा

इंडियन औयल कौर्पोरेशन (आईओसी) ने अपने ट्विटर पेज पर इसकी जानकारी साझा की थी. जिसमें एक टैंकर की इमेज है जिसका इस्तेमाल डीजल की डिलीवरी के लिए किया जा रहा है. डीजल की इस होम डिलीवरी सर्विस को पेसो या पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी और्गेनाइजेशन की ओर से अप्रूव्ड किया जा चुका है.

VIDEO : ट्राइंगुलर स्ट्रिप्स नेल आर्ट

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