इस साल संजय दत्त की बायोपिक संजू रिलीज होने वाली है. इस फिल्म के लिए राजकुमार हिरानी ने रणबीर कपूर को संजू बनाया है. इस फिल्म का टीजर अप्रैल में रिलीज किया जा चुका है, जिसे सोशल मीडिया पर खूब तारीफें मिलीं. फिल्म का ट्रेलर आने के बाद से ही लोग इस फिल्म के रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
वहीं इसी बीच राजकुमार हिरानी ने संजू का नया पोस्टर रिलीज किया है. इस पोस्टर में रणबीर रौकी लुक में देखाई दे रहे हैं. निर्देशक ने इस पोस्टर को जारी करने के लिए आठ मई की तारीख को चुना क्योंकि इसी दिन संजय दत्त की पहली फिल्म ‘रौकी’ रिलीज हुई थी.
रणबीर के कमबैक पर राजकुमार हिरानी का कहना था कि रणबीर तो यहीं था. वो कहीं गया ही कहां था. वो शानदार एक्टर है और मुझे उसके साथ काम करके बहुत मजा आया. उम्मीद है कि मैं दोबारा उसके साथ काम कर पाऊंगा.
‘संजू’ में रणबीर कपूर इतने शानदार लग रहे हैं कि फिल्म अभी से ही ब्लौकबस्टर मानी जा रही है. माना जा रहा है कि ये फिल्म रणबीर कपूर के करियर की दिशा पलट कर उन्हें बौक्स औफिस स्टार बना सकती है. फिल्म में रणबीर कपूर के अलावा मनीषा कोइराला, परेश रावल, अनुष्का शर्मा, दीया मिर्जा और सोनम कपूर जैसे कलाकार हैं. बता दें कि फिल्म 29 जून 2018 को रिलीज होगी.
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भारतीय बैंकों का पैसा लेकर फरार और कोर्ट से भगौड़ा करार विजय माल्या को यूके की एक अदालत से बड़ा झटका लगा है. दरअसल, भारतीय बैंकों ने ब्रिटेन की एक कोर्ट में विजय माल्या के खिलाफ 1.55 अरब डौलर यानी 10000 करोड़ रुपए का मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में विजय माल्या केस हार गए हैं. भारत के 13 बैंकों के समूह ने माल्या ने खिलाफ 1.55 अरब डौलर से अधिक की वसूली के लिए यह मामला दर्ज कराया था. इस मामल में यूके की कोर्ट ने माल्या की याचिका खारिज कर दी है.
भारतीय कोर्ट का फैसला होगा लागू
लंदन में जज एंड्र्यू हेनशौ ने मंगलवार को कहा कि IDBI बैंक समेत लोन देने वाले सभी बैंक भारतीय कोर्ट के फैसले को लागू करा सकते हैं. दरअसल, माल्या पर आरोप था कि उन्होंने जानबूझकर अब बंद हो चुकी अपनी किंगफिशर एयरलाइंस के लिए करीब 1.4 अरब डौलर का कर्ज लिया था. जज ने दुनियाभर में माल्या की संपत्तियों को फ्रीज करने का आदेश पलटने की मांग भी ठुकरा दी.
और भी चल रहे हैं मुकदमे
आपको बता दें कि 62 साल के माल्या यूके में ही नहीं भारत में भी कई मुकदमों का सामना कर रहे हैं, जिसमें फ्रौड और मनी लौन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़े केस शामिल हैं. एक साल पहले उन्हें लंदन में गिरफ्तार किया गया था और अब वह प्रत्यर्पण से बचने के लिए कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं. सुनवाई के बाद माल्या के वकीलों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
अपील की अनुमति भी नहीं
जज के फैसले पर अपील करने की अनुमति भी नहीं दी. इसका मतलब यह है कि उनके वकीलों को अब सीधे कोर्ट औफ अपील में याचिका दाखिल करनी होगी. भारतीय बैंकों की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि इस फैसले के बाद वह भारतीय डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल के फैसले को लागू करा सकेंगे. उधर, पटियाला हाउस कोर्ट ने फौरन एक्सचेंज रेग्युलेशन ऐक्ट (FERA) उल्लंघन से जुड़े मनी लौन्ड्रिंग केस में मंगलवार को ही विजय माल्या की संपत्तियों को अटैच करने का भी आदेश दिया है.
संपत्ति बेच नहीं पाएंगे माल्या
यूके कोर्ट ने भारतीय कोर्ट के उस आदेश को सही बताते हुए कहा कि भारत के 13 बैंक माल्या से 1.55 अरब डौलर की राशि वसूलने के हकदार हैं. यूके कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब भारतीय बैंक इंग्लैंड और वेल्स में माल्या की संपत्तियों को जब्त करने का फैसले को लागू करा सकेंगे. आपको बता दें, कोर्ट के आदेश के चलते विजय माल्या अपनी विदेशी संपत्तियों को बेच नहीं सकता है.
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बौलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत और सैफ अली खान की बेटी सारा की फिल्म केदारनाथ लगभग डिब्बा बंद होने की स्थिति में आ गई थी. इसके रिलीज होने पर शंका जताई जा रही थी, और माना जा रहा था कि सारा कि यह डेब्यू फिल्म रिलीज नहीं हो पाएगी. लेकिन लंबे इंतजार और काफी मुसीबतो के बाद आखिरकार केदारनाथ की रिलीज डेट सामने आ गई है.
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान स्टारर फिल्म केदारनाथ इस साल 30 नवंबर को रिलीज की जायेगी. इसके रिलीज होने का यह सही समय माना जा रहा है क्योंकि ठग्स आफ हिंदोस्तान सात नवंबर को और शाहरुख खान की जीरो 21 दिसंबर को रिलीज हो रही है. यह फिल्म केदारनाथ धाम में त्रासदी के दौरान की एक प्रेम कहानी पर बनाई जा रही है.
बता दें कि कानूनी विवाद के चलते इस फिल्म की रिलीज में यह देरी हुई है. दरअसल, फिल्म के ओवर बजट होने के बाद निर्माता और निर्देशक ने एक दूसरे पर बड़े आरोप लगाए थे जिसकी वजह से फिल्म रुक गई. सबको सारा के फिल्मी करियर की चिंता होने लगी तब करण जौहर और रोहित शेट्टी ने अपनी फिल्म सिंबा में उन्हें लीड के तौर पर कास्ट किया.
लेकिन अब यू टीवी के पूर्व प्रमुख रौनी ने निर्माण की पूरी जिम्मेदारी ले ली है. रौनी ने निर्माता भूषण कुमार, प्रेरणा अरोड़ा और एकता कपूर को करीब 22 करोड़ रूपये लौटाने का वादा किया और इस कारण वो अब इस फिल्म के सोलो प्रोड्यूसर होंगे. अभिषेक ने रौनी के पूर्व प्रोडक्शन हाउस के साथ काई पो छे बनाई थी. अभिषेक कपूर ने इस फिल्म का निर्देशन किया है.
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उड़ने वाली टैक्सियों के बारे में आपने काफी सुना होगा. लेकिन सब कुछ सही रहा तो यह अब हकीकत में बदल सकता है और आप जल्द ही फ्लाइंग टैक्सी में सफर कर सकेंगे. इसके लिए ऐप से टैक्सी बुक करने की सुविधा देने वाली कंपनी उबर (UBER) ने उड़ने में सक्षम टैक्सियों के विकास की संभावनाएं तलाशने के लिए अमेरिका के प्रमुख अंतरिक्ष संगठन नासा (NASA) से हाथ मिलाया है. उड़ने वाली टैक्सियों का किराया भी सामान्य टैक्सी यात्रा के बराबर ही रखा जाएगा. यानी आप इस टैक्सी की सेवा लेंगे तो आपको किसी प्रकार का अतिरिक्त चार्ज नहीं देना होगा.
उबर का नासा से करार
उबर ने स्पेस एक्ट के तहत नासा के साथ दूसरा करार किया है. इसमें दोनों अर्बन एयर मोबिलिटी सर्विस देने के लिए मौडल तैयार करेंगे. उबर इस मामल में सरकारी रेगुलेटर्स के साथ भी काम कर रही है. उसे उम्मीद है जल्द ही उड़ने वाली टैक्सी प्रोजेक्ट को पंख लगेंगे.
उबर ने किया ऐलान
उबर की तरफ से घोषणा की गई कि उसकी पहले घोषित की गई ‘उबर एयर’ (uber air) पायलट योजना में लौस एंजिलिस भी भागीदार होगा. इससे पहले डलास फोर्ट-वर्थ, टेक्सास और दुबई भी इसमें शामिल हो चुके हैं. उबर ने एक बयान में कहा कि नासा की यूटीएम (मानवरहित यातायात प्रबंधन) परियोजना में उबर की भागीदारी कंपनी के 2020 तक अमेरिका के कुछ शहरों में उबर एयर की विमान सेवा प्रयोगिक तौर पर शुरू करने के लक्ष्य को पाने में मदद करेगी.
एयर मोबिलिटी का दूसरा करार
उबर ने पिछले साल नवंबर में नासा के साथ पहला स्पेस एक्ट किया था. इसके बाद यह दूसरा एग्रीमेंट है जिसमें ज्यादा संभावनाएं नजर आ रही हैं. करार के तहत नासा पैसेंजर एयरक्राफ्ट का डाटा उबर से लेगी. एयर ट्रैफिक को देखते हुए सर्विस स्लौट तैयार किए जाएंगे. इससे 100 से ज्यादा एयरक्राफ्ट रोजाना चलाए जा सकेंगे.
क्या कहता है नासा
नासा के एरोनौटिक्स रिसर्च मिशन डायरेक्टोरेट के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर जयवान शिन के मुताबिक, नासा इस करार को लेकर बहुत उत्साहित है. अर्बन एयर मोबिलिटी को लेकर जो भी रिसर्च, डेवलपमेंट और टेस्टिंग से जुड़े चैलेंजे होंगे उन पर काम किया जा रहा है. अर्बन एयर मोबिलिटी से एक नया रेवोल्यूशन आएगा. लोगों के लाइफस्टाइल में भी बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जैसा कि स्मार्टफोन के वक्त देखने को मिला था.
दूसरी सेवाओं पर भी नजर
आपको बता दें कि उबर नासा के साथ अन्य तरह की संभावनाओं को भी तलाश रहा है. शहरी हवाई यातायात के नए बाजार को लेकर उसका खुला रुख है. इससे पहले एयर टिकट बुक करने के साथ एयरपोर्ट स्थित किओस्क से कैब बुक कराने की सर्विस भी शुरू की गई थी. इसके लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने ओला, उबर जैसी कैब एग्रिगेटरों के साथ समझौता किया था.
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भारतीय कप्तान विराट कोहली के काउंटी क्रिकेट का रुख करने से करुण नायर की वापसी का रास्ता साफ हुआ लेकिन सीनियर बल्लेबाज रोहित शर्मा को अगले महीने अफगानिस्तान के खिलाफ होने वाले एकमात्र एतिहासिक टेस्ट के लिए घोषित भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया. उम्मीद के मुताबिक कोहली की गैरमौजूदगी में उप कप्तान अजिंक्य रहाणे टीम की अगुआई करेंगे.
एमएसके प्रसाद की अगुआई वाली चयन समिति ने बैठक के बाद कई टीमों की घोषणा की. अजिंक्य रहाणे को हालांकि इंग्लैंड दौरे की वनडे अंतरराष्ट्रीय टीम से बाहर कर दिया गया है. वह दक्षिण अफ्रीका दौरे पर भारत की 50 ओवर की टीम का हिस्सा थे. वहीं, रोहित शर्मा दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट टीम में शामिल थे. हालांकि, दक्षिण अफ्रीका में उनका परफौर्मेंस काफी खराब रहा था, जिसके बाद विराट कोहली के रोहित शर्मा को टेस्ट में खिलाने के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे थे.
वही, अंबाती रायुडू की दो साल बाद टीम में वापसी हुई है. लोकेश राहुल को भी इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है. जबकि युवा तेज गेंदबाज सिद्धार्थ कौल को आईपीएल में लगातार अच्छे प्रदर्शन का इनाम आयरलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 मैचों के लिए टीम में शामिल किया गया है.
चयन का आकर्षण टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक जड़ने वाले भारत के सिर्फ दूसरे बल्लेबाज करुण नायर रहे, जिन्होंने 14 महीने बाद टीम में वापसी की है. अब यह देखना होगा कि 14 जून को अफगानिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच के लिए उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिलती है या नहीं.
विराट कोहली को हालांकि आयरलैंड के खिलाफ दो टी-20 मैचों की सीरीज के लिए कप्तान घोषित किया गया है. गौरतलब है कि सरे ने आधिकारिक घोषणा की थी कि कोहली जून के पूरे महीने के लिए उपलब्ध रहेंगे लेकिन ये दो टी 20 मैच 27 और 29 जून को होने हैं जबकि सरे को यार्कशर के खिलाफ काउंटी मैच 25 से 28 जून तक खेलना है.
चयन समिति के अध्यक्ष प्रसाद ने मीडिया कांफ्रेंस में कहा, ‘‘विराट को छोड़कर सभी टेस्ट विशेषज्ञ खेलेंगे. वह एक कारण से जा रहा है क्योंकि वह चाहता है कि इंग्लैंड सीरीज के लिए अच्छी तैयारी करे. यह हमेशा अच्छा होगा कि वह वहां जाएग और अच्छा प्रदर्शन करे. वह इंग्लैंड के हालात में काफी अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक है. यह हमारे पास सीरीज जीतने का काफी अच्छा मौका है.’’
26 साल के करुण नायर ने कर्नाटक के लिए पिछले रणजी सत्र में तीन शतक की मदद से 612 रन बनाए. उन्होंने पिछला टेस्ट औस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछले साल मार्च में धर्मशाला में खेला था और इसमें भी कोहली कंधे की चोट के कारण नहीं खेले थे. नायर ने छह टेस्ट मैच खेले हैं लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में 303 रन की पारी खेलने के बाद वह 26, 0, 23 और पांच रन की पारियां ही खेल पाए जिसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. हालांकि, अफगानिस्तान के खिलाफ उन्हें अंतिम एकादश में जगह मिलने की संभावना कम ही है.
रोहित दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चार पारियों में 78 रन ही बनाए पाए थे और इसमें उनका सर्वोच्च स्कोर 47 रन रहा और यह टेस्ट टीम से उन्हें बाहर किए जाने का कारण बना.
तेज गेंदबाजों भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह को आराम दिया गया है क्योंकि इंग्लैंड के खिलाफ अगस्त में टेस्ट सीरीज के दौरान उन पर गेंदबाजी का अधिकांश भार रहने की उम्मीद है. बीसीसीआई ने इंग्लैंड दौरे की तैयारी के लिए विराट कोहली को काउंटी क्रिकेट खेलने की स्वीकृति दी है लेकिन चेतेश्वर पुजारा और ईशांत शर्मा जैसे खिलाड़़ियों को क्रमश: यार्कशर और ससेक्स के साथ एक महीना बिताने के बाद टेस्ट क्रिकेट के लिए स्वदेश लौटना होगा.
अधिकांश सीनियर खिलाड़ी टीम में अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं. तीनों सलामी बल्लेबाजों लोकेश राहुल, मुरली विजय और शिखर धवन को 15 सदस्यीय टीम में जगह मिली है. सीनियर स्पिनर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा के साथ चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव को भी टीम में शामिल किया गया है.
हार्दिक पंड्या टीम में एकमात्र औलराउंडर हैं जबकि तेज गेंदबाजी की बागडोर मोहम्मद शमी और उमेश यादव के कंधों पर होगी. शार्दुल ठाकुर बैकअप तेज गेंदबाज के रूप में टीम में शामिल हैं.
सीमित ओवरों के क्रिकेट में कौल को घरेलू स्तर पर अच्छे प्रदर्शन का फायदा मिला है. उन्हें श्रीलंका के खिलाफ स्वदेश में एकदिवसीय सीरीज के लिए टीम में जगह मिली थी लेकिन पदार्पण का मौका नहीं मिला. चयनकर्ताओं ने सीमित ओवरों की टीम में किसी तरह का प्रयोग नहीं किया है जिसमें सीनियर बल्लेबाज अंबाती रायुडू ने अपने अच्छे प्रदर्शन की बदौलत वापसी की है.
टीमें इस प्रकार हैं
अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र टेस्ट के लिए भारतीय टीम
गेंद से छेड़छाड़ के मामले में प्रतिबंध झेल रहे आस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज डेविड वार्नर और कैमरन बैनक्राफ्ट जुलाई में एक स्थानीय लीग से क्रिकेट में वापसी कर सकते हैं. रिपोर्टों के अनुसार वार्नर और बैनक्राफ्ट नार्दन टेरिटरी की सीमित ओवरों की ‘स्ट्राइक लीग’ में खेलने पर विचार कर रहे हैं. वार्नर और बैनक्राफ्ट पर दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट श्रृंखला के दौरान गेंद से छेड़छाड़ करने के कारण क्रमश एक साल और नौ महीने का प्रतिबंध लगा है लेकिन यह क्लब क्रिकेट पर लागू नहीं है.
नार्दर्न टेरिटरी क्रिकेट के प्रमुख जोएल मौरीसन ने आस्ट्रेलियाई ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन से कहा कि ये दोनों खिलाड़ी स्थानीय स्ट्राइक लीग में खेल सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लिये यह शानदार अवसर होगा कि बैनक्राफ्ट और वार्नर जैसे खिलाड़ी स्थानीय क्रिकेटरों में अपना अनुभव बांटने के लिये उपलब्ध रहेंगे.’’
क्रिकेट आस्ट्रेलिया प्रमुख को वार्नर की वापसी संभव लगती है
क्रिकेट आस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी जेम्स सदरलैंड का मानना है कि धोखेबाजी प्रकरण के कारण प्रतिबंध झेल रहे डेविड वार्नर का क्रिकेट कैरियर अभी भी बचा हुआ है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे टेस्ट में गेंद से छेड़खानी मामले में वार्नर मुख्य आरोपी थे जिन पर एक साल का प्रतिबंध लगाया गया है.
आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ पर एक साल और तेज गेंदबाज कैमरन बेनक्रोफ्ट पर नौ महीने का प्रतिबंध लगाया गया है. सदरलैंड ने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि हर किसी के पास मौका है. अब अपने कैरियर को संवारने की जिम्मेदारी उनकी अपनी है. उन्हें साबित करना होगा कि उनके भीतर क्रिकेट बाकी है और तभी उन्हें मौका मिलेगा. वे मौका पाने के हकदार हैं.’’ उन्होंने कहा,‘‘ मेरी उनके साथ हमदर्दी है. मैं उन सभी को वापसी करके अपना सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलते देखना चाहता हूं जो वे खेल सकते हैं.’’
परिवार के साथ समय बिता रहे हैं वार्नर
गेंद से छेड़छाड़ मामले में प्रतिबंध झेल रहे औस्ट्रेलिया के पूर्व उप कप्तान डेविड वार्नर क्रिकेट से दूर होने के बाद अपना समय परिवार के साथ बिता रहे है. वार्नर ने कहा कि इस विवाद के बाद जिस तरह से उन्हें समर्थन मिला है, उससे वह लोगों के शुक्रगुजार हैं. औस्ट्रेलिया के एक अखबार को दिये साक्षात्कार में वार्नर ने कहा कि क्रिकेट से दूर होने के बाद वह परिवार के साथ समय बिता रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जब आप क्रिकेट खेल रहे होते हैं तो आपकी दिनचर्या क्रिकेट, होटल, बैग पैकिंग और घर आने – जाने के बीच फंसी रहती है.’’
उन्होंने कहा कि अब उनकी प्राथमिकता परिवार से जुड़े काम हैं जैसे कि बच्चों को तैराकी सिखाना और जिमनास्टिक कक्षाओं में ले जाना. वार्नर ने कहा, ‘‘मैं समय का सदुपयोग कर रहा हूं जो उपयुक्त है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन चीजों को मिस करता था जब बच्चे गेट पर दौड़ते हुए आते हैं और ‘‘ मम्मी और पापा’’ बोलते है लेकिन अब मैं इसका लुत्फ उठा रहा हूं.’’
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भारत में साइबर मौबिंग का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. देश में किशोरों और बच्चों को धमकाने, प्रताडि़त करने और ब्लैकमेल करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. ऐसी ही कुछ घटनाएं हाल में हुई हैं.
कानपुर के एक स्कूल में पढ़ने वाला विवेक साइबर बुलिंग का शिकार हो गया. कुछ बदमाश युवकों की दहशत से विवेक अब न तो कंप्यूटर पर काम करता है और न ही स्कूल के मैदान में खेलने जाता है. वह लगातार आसमान की तरफ देखता रहता है.
ऐसा ही कुछ सृजन के साथ भी हुआ. वह बनारस के एक पब्लिक स्कूल में पढ़ता है. उस के दोस्तों ने फोटोशौप पर उस की फोटो एडिट कर क्लास की एक लड़की के साथ जोड़ दी और सोशल नैटवर्किंग साइट पर अपलोड कर दी. तभी से सृजन और वह लड़की शर्म के मारे एक महीने तक स्कूल नहीं गए.
पंजाब में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली 21 साल की एक छात्र अपने हौस्टल के कमरे में पंखे से लटकी मिली. उस का कंप्यूटर इंजीनियर बनने का सपना था. उस के कमरे में एक नोट मिला जिस में उस ने आरोप लगाया था कि कालेज के 2 पूर्व छात्र कथित तौर पर फेसबुक पर उस के बारे में आपत्तिजनक कमैंट कर उसे परेशान करते थे.
इसी तरह बेंगलुरू में आईएमए में पढ़ने वाली नीलम जो एक होनहार लड़की थी, ने भी आत्महत्या कर ली. नीलम का अपने बौयफ्रैंड से ब्रैकअप हुआ और सुबह जब वह उठी तो उस युवक ने कथित तौर पर फेसबुक पर लिखा था. ‘मैं सुपर कूल महसूस कर रहा हूं क्योंकि मैं ने अपनी ऐक्स गर्लफ्रैंड को छोड़ दिया है.’ इस के बाद नीलम ने आत्महत्या कर ली.
इलाहाबाद के एक स्कूल में निशी को मामूली सी बात पर उस के दोस्तों ने अपने ग्रुप से बाहर कर दिया क्योंकि उस की स्कूल गु्रप के एक लड़के से कहासुनी हो गई थी. उस का बदला लेने के लिए उस की कक्षा के बच्चों ने निशी को व्हाट्सऐप गु्रप से डिलीट और फेसबुक से अनफ्रैंड कर दिया. 16 साल की निशी ने इस से खुद को अपमानित महसूस किया. उस के चेहरे की खुशी गायब हो गई. उस के गुमसुम रहने के कारण मातापिता भी चिंतित हैं.
सार्वजनिक होती जिंदगी
आजकल बहुत से युवा अपने निजी जीवन का एकएक पल फेसबुक, ट्विटर पर खुल्लमखुल्ला जीते हैं. उन्हें यह समझ में नहीं आता कि ऐसे में उन की निजी जिंदगी अपनी न रह कर सार्वजनिक हो जाती है. फिर उन के जीवन का हर पहलू दुनिया के सामने रहता है.
जब अनजान लोगों से करीबी बढ़ती है तो ऐसे में साइबर बुलिंग की आशंका भी बढ़ जाती है. देश में बच्चे जिस तेजी से इंटरनैट से जुड़ रहे हैं, उसी तेजी से वहां होने वाली गुंडागर्दी के शिकार भी हो रहे हैं. साइबर की दुनिया उन्हें चंद मिनटों में मजाक का पात्र बना रही है. वे अपने ही दोस्तों में बदनाम होने लगे हैं और आत्महत्या कर रहे हैं.
आज साइबर बुलिंग मातापिता और टीचर्स के लिए चुनौती बन रही है. उन की समझ में नहीं आ रहा कि बच्चों को इस से कैसे बचाया जाए, आज साइबर दुनिया में कमैंट्स से दादागीरी करने वालों की भरमार है. ऐसे लोग बेवजह दूसरों के निजी मामलों में घुसपैठ करते हैं. कमैंट्स, अश्लील टिप्पणी तथा कैंपेन पेज बनाने में उन को मजा आता है. ये दूसरों का सुखचैन खत्म करने पर तुले रहते हैं.
दरअसल, साइबर बुलिंग आज साइबर दुनिया की जानलेवा वजह बन गई है. सुनंदा पुष्कर की मौत क्यों हुई? यह जांच का विषय है, लेकिन सच यह है कि वे भी साइबर दुनिया के उन सिरफिरों की शिकार थीं जो किसी के भी मानसम्मान और नाम पर दाग लगाने को आमादा हैं.
साइबर बुलिंग है क्या
साइबर बुलिंग के बारे में लोग ज्यादा नहीं जानते, इसलिए वे उस के शिकार होते हैं, लेकिन इसे समझना मुश्किल नहीं है. आज यह बालिग और नाबालिग हर तरह के नैट यूजर्स के लिए खतरा बन चुका है. दरअसल, इस का मतलब इंटरनैट के जरिए किसी को धमकाया, डराना या प्रताडि़त करना होता है. इंटरनैट पर की गई हर ऐसी गतिविधि बुलिंग है जो किसी आदमी को निशाना बनाती है. किसी की निजी जानकारी, फोटो या वीडियो सार्वजनिक करना साइबर बुलिंग है. किसी के बारे में इंटरनैट पर अश्लील बातें करना भी साइबर बुलिंग है. साइबर संसार में किसी भी तरीके से किसी को ब्लैकमेल करना भी साइबर बुलिंग ही कहलाता है.
आंकड़ों की बात करें तो भारत में इस तरह औनलाइन प्रताड़ना, परेशानी या शर्मिंदगी का शिकार होने वालों में 53% इंटरनैट का इस्तेमाल करने वाले हैं. एक सर्वेक्षण के मुताबिक, अकेले कोलकाता महानगर में यह समस्या हर साल 30 फीसदी की दर से बढ़ रही है. करीब 55 फीसदी अभिभावकों का मानना है कि नैटवर्किंग साइबर के कारण ऐसा हो रहा है.
भारत में करीब 50 प्रतिशत किशोर मोबाइल फोन पर इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं. दरअसल, साइबर अपराधों और कानून की जानकारी न होने की वजह से देश में ऐसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं. युवा इस के सब से ज्यादा शिकार हैं. सोशल नैटवर्किंग साइबर पर बनने वाले काल्पनिक मित्र किशोरों को कल्पना की दुनिया में ले जाते हैं. बस, वहीं से उन के प्रताडि़त होने की जमीन तैयार होती है.
परेशानी तो इस बात की है कि बच्चों के मातापिता भी जानेअनजाने में उन को बढ़ावा देते हैं. हालात अब यह है कि सोशल नैटवर्किंग साइट्स पर 5 साल के बच्चे का भी अकाउंट बन जाता है जबकि इस की न्यूनतम आयु 13 साल है.
क्या कहता है हमारा कानून
भारत ने वर्ष 2000 में सूचना प्रौद्योगिकी कानून पारित किया था. उस समय सोशल नैटवर्किंग साइट्स का चलन नहीं था. साइबर अपराध से जुडे़ यह कानून कारगर नहीं हैं. अगर इस से मुकदमा दर्ज हो भी गया तो जमानत मिल जाती है. इसलिए लोगों के मन में डर नहीं है.
कानून की कुछ अहम बातें ये हैं
अगर आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर के जरिए कोई आपत्तिजनक संदेश भेजते या प्रकाशित करते है तो ये दंडनीय अपराध है.
सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66 ए के तहत साइबर बुलिंग के कुछ मामले कवर होते हैं.
इस अपराध में केवल 3 साल की सजा का प्रावधान है. साथ ही, 5 लाख रुपए जुर्माना भी देना होगा.
इस अपराध में जमानत आसानी से मिल जाती है. सो, अभिभावकों को अपने बच्चों को साइबर बुलिंग से भी बचाना होगा वरना उन का बहकना तय है.
मन पर गहरा असर
सोशल साइट्स पर अपमानित होने के कारण किशोरमन पर गहरा असर पड़ता है. ये साइट्स नशे की तरह कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेती जा रही हैं. अभिभावकों को इस खतरे के प्रति जागरूक होना जरूरी है. भारत में 77 प्रतिशत मातापिता साइबर बुलिंग से अवगत हैं. साइबर मौबिंग कहीं भी हो सकती है. इस से किशोर उम्र के बच्चों में उग्रता बढ़ रही है. वे अपनी हर बात मनवाना चाहते हैं. पहले दादागीरी स्कूल और खेल के मैदानों तक ही सीमित थी. लेकिन आज यह औनलाइन हो गया है.
औनलाइन सैकड़ों लोगों के सामने युवाओं को धमकाए जाने या मजाक उड़ाए जाने की स्थिति में उन का आत्मविश्वास डगमगा जाता है. इस से या तो वे उग्र हो जाते हैं या फिर हीनभावना के शिकार हो जाते हैं.
मातापिता के दफ्तर जाने के बाद बच्चे ज्यादातर समय कंप्यूटर पर बिताते हैं. मध्यम तबके के लोग भी अब बच्चों को लैपटौप खरीद कर दे रहे हैं. इस के अलावा स्मार्टफोन ने भी औनलाइन रहना आसान बना दिया है. लेकिन इन सब से फायदे के बजाय नुकसान ही हो रहा है.
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विशाल अपनी मोटरसाइकिल से फोरलेन हाईवे से गुजर रहा था. उस के मोबाइल की घंटी बजने पर वह फोन पर बात करने में लग गया. उस का पूरा ध्यान बात करने में था, कि अचानक एक चौराहे पर सामने से आ रहे ट्रक से उस की भिड़ंत हो गई. मोटरसाइकिल तो चकनाचूर हुई ही, मौके पर उस की मौत भी हो गई. टक्कर जबरदस्त थी, मोबाइल हाथ से छूट कर दूर जा गिरा था.
रोहित अपनी कार से जा रहा था कि उस का मोबाइल बजा. यह देखने के लिए कि किस का है, उस ने अपना ध्यान सामने से हटाया. ध्यान हटते ही उस की कार डिवाइडर पर चढ़ती हुई दूसरी ओर चली गई. उधर से तेज गति से एक ट्रक आ रहा था जिस की चपेट में वह आ गई. रोहित के साथ उस की बीवी, बच्चे भी थे. चारों की दुर्घटनास्थल पर ही मौत हो गई.
अहमदाबाद से एक टूरिस्ट बस अपने गंतव्य के लिए निकली ही थी कि ड्राइवर का मोबाइल बज उठा. बात रात 11 बजे की है. मोबाइल पर वह सामने वाले से झगड़ रहा था. ऐसे में उस का ध्यान भटक गया और बस 40 फुट गहरी खाई में गिर गई. बस में सवार 40 लोगों में से केवल 3 ही बचे. जो बचे, उन्होंने पुलिस को सूचना दी.
जरा सोचिए, जब बस का ड्राइवर मोबाइल पर किसी से बात करता है तो अपनेआप को कितने असुरक्षित मानते होंगे. कुछ जागरूक यात्री ड्राइवर को इस के लिए मना भी करते हैं, लेकिन वह मानता नहीं. नतीजा दुर्घटना के रूप में सामने आता है. एक ही लापरवाही या गलती का परिणाम सभी निर्दोष यात्रियों को भुगतना पड़ता है.
कई प्रकरणों में यह भी देखने को आया है कि मोबाइल पर बात करने में ड्राइवर इस कदर खो गए कि अपने आगे चल रहे ट्रक में पीछे से घुस गए. उन की गाड़ी ट्रक के पिछले हिस्से में इस बुरी तरह फंस गई कि वे काफी दूर तक घसीटते रहे.
टूव्हीलर या फोरव्हीलर वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना एक फैशन बन गया है. यह प्रवृत्ति युवक तथा युवतियों दोनों में है. इस वजह से आएदिन उन की दुर्घटनाओं के समाचार पढ़ने को मिलते हैं. यद्यपि वे जानते हैं कि वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल घातक व जानलेवा हो सकता है, फिर भी वे अपनी जान को आफत में डालते हैं.
सेवलाइफ फाउंडेशन ने टीएनएस इंडिया सर्वे किया था जिस में देश से ड्राइविंग की बाधाओं में मोबाइल को सब से खतरनाक पाया गया. सर्वे में 1,749 लोगों की राय जानी गई. 47 प्रतिशत लोग ड्राइविंग के दौरान रिसीव करते हैं कौल. 34 प्रतिशत लोग मानते हैं कि ड्राइविंग करते समय फोन पर बात करना खतरनाक है. 96 प्रतिशत लोग असुरक्षित मानते हैं, जब ड्राइवर फोन पर बात करता है. 60 प्रतिशत लोग कौल का जवाब देने से संबंधित फोन पर बात करते हैं ड्राइविंग के दौरान. 68 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि ड्राइविंग के दौरान मोबाइल यूज करने पर सख्त कानून बनाया जाए.
यद्यपि मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल करना कानूनन अपराध है लेकिन, इस के लिए सजा के बजाय अर्थदंड दिया जाता है, इसलिए यह अधिक प्रभावी नहीं हुआ.
मोबाइल आप की सुविधा के लिए है. उस का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए ताकि आप सुरक्षित रहें और आप की वजह से दूसरों की जान भी जोखिम में न पड़े.
VIDEO : पीकौक फेदर नेल आर्ट
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31 दिसंबर, 2017 : मुंबई. रैस्टोरैंट में नए साल के जश्न के दौरान लगी आग से 14 मरे.
17 अक्तूबर, 2016 : भुवनेश्वर. अस्पताल में लगी आग से 22 मरे व 120 घायल.
27 फरवरी, 2013 : कोलकाता. बाजार में लगी आग से 19 मरे व 17 जख्मी.
5 सितंबर, 2012 : शिवकाशी. पटाका फैक्टरी में लगी आग से 54 मरे व 70 जख्मी.
9 दिसंबर, 2011 : कोलकाता. अस्पताल में लगी आग से 19 मरे व 17 जख्मी.
10 अप्रैल, 2006 : मेरठ. विक्टोरिया पार्क की नुमाइश में लगी आग से 65 मरे व 150 जख्मी.
15 सितंबर, 2005 : पटना. नाजायज पटाका फैक्टरी में लगी आग से 35 मरे व 50 जख्मी.
16 जुलाई, 2004 : कुंभकोणम. स्कूल में लगी आग से 94 बच्चे मरे.
24 मई, 2002 : आगरा. जूता फैक्टरी में लगी आग से 42 मरे.
6 अगस्त, 2001 : इरावदी. मानसिक अस्पताल में लगी आग से 28 मरीज मरे.
13 जून, 1997 : दिल्ली. उपहार सिनेमा में लगी आग से 59 मरे व 103 जख्मी.
23 दिसंबर, 1995 : डबवाली. स्कूल में आग से 442 मरे व 160 जख्मी.
ऐसे दर्दनाक हादसों की खबरें अकसर सुर्खियों में रहती हैं लेकिन सबक नहीं लिया जाता. ज्यादातर जगहों पर कूवत से ज्यादा भीड़, बेतरतीबी, बदइंतजामी, कामचोरी व लापरवाही के चलते अकसर आग लग जाती है.
अब गलीगली में पब व रैस्टोरैंट धड़ल्ले से खुल रहे हैं. मुंबई में बंद पड़ी अकेली कमला मिल की खस्ताहाल इमारत में 30 से भी ज्यादा मनोरंजन केंद्र चल रहे हैं. ज्यादातर में वहां आने वाले व काम करने वालों की हिफाजत के इंतजाम अधूरे हैं.
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, हमारे देश में दमकल केंद्र 3.5 फीसदी, दमकल वाहन 19.6 फीसदी व दमकल मुलाजिम 3.72 फीसदी कम हैं. दमकल महकमे में मौजूद ज्यादातर साधन बरसों पुराने हैं. नई तकनीक व उपकरणों की भी भारी कमी है.
अंजाम पर रोना आया
हालांकि जानमाल की हिफाजत को सब से पहले तरजीह देनी चाहिए, लेकिन हैरत होती है कि हमारे देश में आम आदमी की जान की कोई कीमत ही नहीं है. आग बुझाने के ज्यादातर उपकरण सिर्फ दिखावे व खानापूरी करने के लिए लगाए जाते हैं. जरूरत पड़ने पर वे कारगर साबित नहीं होते. भ्रष्ट व निकम्मे अफसर घूस ले कर बिना जांचपड़ताल किए ही नो औब्जैक्शन सर्टिफिकेट दे देते हैं.
इस के अलावा रसूख, दबाव व कनवर्जन फीस ले कर रिहायशी इलाकों में भी कारोबारी इस्तेमाल की इजाजत दे दी जाती है. उस के बाद निगरानी सिर्फ कागजों पर व नाम के लिए होती है. ज्यादातर मालिक सिर्फ महीना देते हैं, नियमों पर कोई ध्यान ही नहीं देते.
मूंद लेते हैं आंखें
आग लगने पर नुकसान इसलिए भी ज्यादा होता है, क्योंकि बाहर निकलने के लिए रास्ते कम व बेहद संकरे होते हैं. सीढि़यों से हादसों के वक्त निकासी नाकाफी हो जाती है, ऊपर से बगैर सोचेसमझे हर कदम पर प्लास्टिक का अंधाधुंध इस्तेमाल करना भी आग लगने से ज्यादा नुकसान होता है.
शादीब्याह, जागरण व जलसों में रोशनी व पंखों के लिए बिजली के तार व उन के जोड़ जहांतहां खुले हुए फैले रहते हैं. किसी को कोई परवाह नहीं होती कि जरा सी चिनगारी से तंबू में लगी आग सबकुछ स्वाहा कर सकती है.
आग लगने के बाद किए जाने वाले उपायों के बारे में कहीं कोई सार्वजनिक चर्चा या प्रचारप्रसार नहीं किया जाता. नतीजतन, जानकारी न होने से लोग बिजली से लगने वाली आग पर भी पानी डालते दिखाई देते हैं.
क्या है वजह
जनता में जागरूकता व जानकारीकी कमी इस की एक बड़ी वजह है. ज्यादातर लोग भाग्यवादी, कम पढ़ेलिखे, आलसी व निकम्मे हैं. धर्म के ठेकेदार बराबर यही घुट्टी पिलाते रहते हैं कि जिंदगी की डोर हमारे हाथ में नहीं, बल्कि किसी और के हाथ में है. हादसे हमारे पिछले जन्मों में किए गए पापों का फल हैं, जिन्हें भोगना ही पड़ता है.
ज्यादातर लोग हादसों को भी तकदीर व ग्रहचाल की खराबी मानते हैं. वे हादसों से बचने के लिए सही और वैज्ञानिक तरीके अपनाना दूर कोई कोशिश ही नहीं करते. उन्हें बताया, सिखाया जाता है कि कथा, कीर्तन, सत्संग, मंदिरों, तीर्थों, कुंभ जैसे धार्मिक मेलों में मरने से सीधा स्वर्ग मिलता है. बहुत से लोग मानते हैं कि एक न एक दिन तो मरना ही है.
इतना ही नहीं, लोग हादसों व नजर से बचने के लिए माथे पर काला टीका लगाते हैं. अंगूठी में काला पत्थर पहनते हैं. कार में देवी की चुनरी टांगते हैं. सथिए का निशान लगाते हैं. दुकान पर नीबू व मिर्च की माला टांगते है. शनिवार के दिन लोहे पर तेल चढ़ाते हैं.
आम जनता में बुरी तरह फैले इन अंधविश्वासों के चलते बहुत से लोगों की दुकानदारी धड़ल्ले से चल रही है.
ये हैं उपाय
प्लास्टिक, फोम, परदे, सिंथैटिक कपड़े, कागज, फर्नीचर, रबड़, अलकोहल वगैरह कैमिकल्स, रसोई गैस, डीजल, पैट्रोल व मिट्टी का तेल जल्दी आग पकड़ते हैं. इन के इस्तेमाल में पूरी चौकसी रखनी चाहिए. आग से ज्यादा नुकसान अफरातफरी मचने पर होता है. सूझबूझ, सही उपाय, हिम्मत, नई तकनीक, बेहतर उपकरण हों तो आग पर शुरू में काबू पाया जा सकता है.
आग से हिफाजत के कायदेकानूनों को सख्ती से लागू किया जाए. साथ ही आग से बचाव के सही उपायों की जानकारी मेले, नुमाइश, प्रचारप्रसार व ट्रेनिंग के जरीए सभी को दी जानी चाहिए. फायर महकमे के मुलाजिमों को स्कूलकालेजों, संस्थाओं व बस्तियों में जा कर आग से सावधानी व बचाव के उपाय बताने चाहिए.
रात को गैस का नौब बंद कर दें. जली गैस पर तेल रख कर ज्यादा देर तक न छोड़ें. दीपक, धूप व अगरबत्ती जला कर बाहर न जाएं. परदों के पास गरम इस्तिरी व मोमबत्ती न रखें. बाथरूम में बिजली के स्विच पानी से दूर लगवाएं. गैस गीजर का सिलैंडर बाहर रखें. बाहर जाने से पहले बिजली के सभी स्विच व इनवर्टर बंद कर दें. फ्रिज का दरवाजा खुला न छोड़ें, वरना कंप्रैशर गरम हो कर फटने से आग लग सकती है.
पहले बालटी से रेत या मिट्टी फेंक कर, ठंडा कर के व बीटर से पीट कर छोटी आग बुझाते थे. न जलने वाले खास कंबल, स्मोक डिटैक्टर व आग बुझाने वाले स्प्रे, पंप, हौज रील जैसे नए व कारगर उपकरण अब आ गए हैं. इन की जानकारी व मौजूदगी बनाए रखें, ताकि बाद में पछताना न पड़े.
आग लगने पर ऐसा करें
आग लगने पर घबरा कर इधरउधर भागने के बजाय सूझबूझ से काम लें. सब से पहले आग लगने की वजह खोजें. फायर ब्रिगेड को खबर दें. उसे बढ़ने से रोकें. आग बुझाने के उपाय करें. अपने मुंह व नाक पर गीला कपड़ा रखें. मौजूद लोगों को खुली व महफूज जगह ले जाएं. लकड़ी, कोयले, कपड़े व कचरे में लगी आग पानी डालने से बुझ जाती है.
तेल, पैट्रोल, वार्निश व तारकोल की आग पर पानी न डालें. इन्हें ढक कर बुझाएं. गैस सिलैंडर में आग लगने पर गीला बोरा वगैरह डालें. गैस सिलैंडर का नौब बंद करें. बिजली की ओवर लोडिंग, ओवर हीटिंग, टूटे हुए उपकरणों वगैरह से आग लगने पर मेन स्विच बंद करें, ताकि पावर सप्लाई बंद हो जाए. वहां पानी न डालें व कार्बन डाईऔक्साइड गैस से बुझाएं.
कड़ाही में गरम तेल से आग लगे तब भी पानी न डालें बल्कि उसे थाली या परात वगैरह से ढक दें. आग कपड़ों में लगे तो लेट कर लोटपोट हों व कंबल डालें. कोई इलैक्ट्रौनिक उपकरण जले तो रेतमिट्टी डालें.
आग बुझाने वाले यंत्र की ऊपरी नोक पर लगी सेफ्टी पिन हटाएं. वाशर को दबाएं. उस से निकली गैस को लपटों पर छोड़ने की जगह जहां से आग उठ रही हो उस जगह की ओर छोड़ें. जले लोगों को जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल ले जाएं.
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ब्रैड को गोलगोल काट कर मक्खन लगा तवे पर दोनों तरफ से सेंकें. एक बाउल में सारी सामग्री डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. इस मिश्रण को गोल कटे ब्रैड स्लाइस पर सजाएं. धनियापत्ती व सौस से सजा कर सर्व करें.
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