बिहार के छपरा जिले के रहने वाले खेसारी लाल कामकाज की तलाश में दिल्ली आए थे और ओखला इलाके में रहने लगे थे. बहुत तलाश करने के बाद भी उन्हें नौकरी नहीं मिली तो वे अपने पिता के साथ लिट्टीचोखा बेचने लगे. खेसारी लाल को भोजपुरी गाने गाना बहुत पसंद था. लिट्टीचोखा बेचते समय वे कई लोकगीत गाते रहते थे. दुकान पर आने वाले लोगों ने उन की बहुत तारीफ की.

दोस्तों के सुझाव पर खेसारी लाल ने भोजपुरी गाने का कैसेट निकाला. यहां से उन्हें कामयाबी मिलनी शुरू हुई. दिल्ली में रहने के चलते उन्हें कैसेट कंपनियों के पास आनेजाने में सहूलियत भी रही

भोजपुरी फिल्मों में गायक ही हीरो बन जाता है, यही सोच कर खेसारी लाल ने भी ऐक्टिंग की दुनिया में कदम रखा. साल 2011 में फिल्म ‘साजन चले ससुराल’ के बाद खेसारी लाल अब तक 55 फिल्में कर चुके हैं. उन के म्यूजिक अलबम तो पसंद किए ही जा रहे हैं, वे सब से महंगे स्टेज आर्टिस्ट भी हैं.

फिल्म ‘दबंग सरकार’ की शूटिंग करने खेसारी लाल लखनऊ आए तो उन से मुलाकात हुई. पेश हैं, उन से हुई बातचीत के खास अंश:

फिल्म ‘दबंग सरकार’ में आप का क्या रोल है?

भोजपुरी फिल्में अपने टैं्रड पर ही चलतीबनती हैं. फिल्म ‘दबंग सरकार’ मौजूदा ट्रैंड से काफी अलग है. यह साफसुथरी पारिवारिक फिल्म है. इस में मेरी भूमिका एक पुलिस अफसर की है. इस रोल को करने के लिए मैं ने अपना 12 किलो वजन कम किया है, जिस से मैं पुलिस वाले की तरह फिट दिख सकूं.

मैं ने अभी तक अपने बाल किसी रोल के लिए नहीं कटवाए थे, पर इस बार मैं ने पहली बार अपने बाल कटवाए हैं. इस ऐक्शन फिल्म में मेरे साथ 2 नई हीरोइनें आकांक्षा अवस्थी और दीपिका त्रिपाठी भी हैं.

आप ने अपना वजन कैसे कम किया?

डाइट और ऐक्सरसाइज के दम पर मैं ने अपने वजन को कम किया. उस का फर्क अब मुझे खुद दिख रहा है. मैं अंदर से खुद को फिट महसूस कर रहा हूं. मुझ में एक पुलिस वाले का सा अहसास होने लगा है. साधारण फिल्मों में ढीलेढाले पुलिस वाले चल जाते हैं, पर यहां पर मैं ने खुद को रोल के लिए फिट किया, जिस से रोल अच्छा हो सके.

आप के गाने बहुत चुटीले होते हैं. डबल मीनिंग के लिए इन की बुराई भी होती है. आप क्या कहेंगे?

भोजपुरी फिल्मों और म्यूजिक की दुनिया में डबल मीनिंग बातें काफी लंबे समय से चलन में हैं. इस की खास वजह यह है कि लोग ऐसे गानों को पसंद करते हैं. मैं ने भी ऐसे तमाम गाने गाए हैं. मैं इसे अपनी गलती भी मानता हूं. अब मुझे अहसास हुआ है कि हमारी जिंदगी पर ऐसे गानों का काफी गहरा असर पड़ता है.

आप को कैसे पता लगा कि डबल मीनिंग गाने नहीं गाने चाहिए?

मेरी फिल्में सभी देखते हैं. मां ने मेरी कोई फिल्म नहीं देखी थी. जब मेरी फिल्म ‘मेहंदी लगा के रखना’ आई तो मां ने उस के बारे में सुना. पहली बार उन्होंने इच्छा जताई कि वे यह फिल्म देखेंगी.

फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि तुम ऐसी ही फिल्में किया करो, मुझे अच्छा लगेगा. तब से मैं साफसुथरी फिल्में करने लगा हूं. अब मैं अपने गानों में भी सुधार करना चाहता हूं.

लिट्टीचोखा से फिल्मी परदे तक के अपने सफर को आप कैसे देखते हैं?

बदलाव तो हुआ है जो बहुत अच्छा रहा है. मेरी भी पहचान बन गई है. इस में मेरी शादी का भी अहम रोल रहा है. जिस साल मेरी शादी हुई, तभी मेरी पहली फिल्म भी रिलीज हुई. फिल्म हिट हो गई. अब मेरे गाने भी पहले से ज्यादा लोगों तक पहुंचने लगे हैं. अच्छे स्टेज कार्यक्रम भी मिलने लगे हैं.

मैं अपनी जिंदगी में आए बदलाव में शादी और अपनी पत्नी का खास योगदान मानता हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरे लिए परिवार ही सब से पहले है.

भोजपुरी फिल्मों में हीरोइन के साथ जोड़ी बना कर फिल्में करने का रिवाज ज्यादा है. क्यों?

मैं तो नईपुरानी हर हीरोइन के साथ काम करता हूं. फिल्म ‘दबंग सरकार’ की दोनों ही हीरोइनें नई ही हैं. मुझे कहानी पसंद आनी चाहिए. भोजपुरी फिल्म बनाने वाले प्रोड्यूसरडायरैक्टर बहुत कम नई कहानी पर काम करते हैं. वे भी बनेबनाए ढर्रे पर फिल्म बनाते हैं.

डायरैक्टर योगेश राज मिश्रा ने फिल्म ‘दबंग सरकार’ में अलग कहानी की बुनियाद रखी है. इस में प्रोड्यूसर राहुल वोहरा और दीपक कुमार का भी उन्हें साथ मिला. मुझे भी काम करने में मजा आ रहा है. इस फिल्म में गाने, डांस और कहानी के बीच एक बैलैंस देखने को मिलेगा.

भोजपुरी फिल्में अपने दायरे से बाहर नहीं आ पा रही हैं. इस की क्या वजह है?

अच्छी भोजपुरी फिल्में अपनी पहचान बनाने में कामयाब होती हैं. फिल्म ‘दबंग सरकार’ 2 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के बजट की फिल्म है. अच्छी सोच और तैयारी के साथ यह फिल्म बन रही है. हमारी मिलीजुली कोशिश यह है कि यह फिल्म अपने बाजार से बाहर भी दिखे.

भोजपुरी सिनेमा की वजह से ही सिंगल स्क्रीन सिनेमाहाल चल रहे हैं. अब इन फिल्मों को मल्टीप्लैक्स में भी दिखना चाहिए, तभी यह बाजार आगे बढ़ेगा. इस का फायदा पूरी भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री को होगा.

VIDEO : पीकौक फेदर नेल आर्ट

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