धरती पर धर्म की जडे़ं मजबूती से जमाने का ठेका लिए, मौडर्न संस्कृति की हिफाजत के लिए पैदा हुए तन, मन और अंधभक्तों के धन के बलबूते अनगिनत शोषणों में लीन एक आत्मा कोर्ट से बाइज्जत बरी होने के बाद ब्रह्मलोक में जाने के बजाय यमराज के दरबार में पहुंची तो यमराज उसे देख कर डर गए. सदियों से किस्मकिस्म की आत्माओं का सामना करते रहने वाले यमराज उस वक्त उस आत्मा का सामना नहीं कर पा रहे थे. उन्हें लग रहा था जैसे वे भीतर ही भीतर डर रहे हैं, कमजोर पड़ रहे हैं. कभी वे उस आत्मा को देख कर घबरा रहे थे तो कभी उस के साथ सच्चा सौदा करने से कतरा रहे थे. पहली बार उन्होंने महसूस किया कि वे कमजोर पड़ते जा रहे हैं.
तब पहली बार बड़ी देर बाद यमराज का कोर्ट चालू हुआ. अनगिनत शोषणों में शामिल वह आत्मा जब सिर गर्व से ऊंचा किए यमदूतों के साथ यमराज के कोर्ट में पेश हुई तो यमराज ने उस के स्वागत में अपना सिर नीचा कर लिया. यमराज ने पंचकुला में हुए हादसे से सीख लेते हुए वैसे तो यमलोक में फैसला सुनाने से पहले ही सिक्योरिटी के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे, पर फिर भी पता नहीं अब की बार उन्हें अपनी व्यवस्था पर यकीन क्यों नही रहा था? इस से पहले कि आत्मा के कल्याण की कानूनी प्रकिया शुरू होती, डरेडरे से यमराज चित्रगुप्त के कान में फुसफुसाए, ‘‘चित्रगुप्त, क्यों न इस धर्मपरायण आत्मा के केस की सुनवाई की अगली तारीख तय कर दी जाए? पता नहीं क्यों आज मेरे सिर में दर्द हो रहा है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन