दान देने की हमारी परंपरा अति प्राचीन है. महादानियों से इतिहास भरा है. वहीं दान का स्वार्थवश दुरुपयोग किया जाना समयसमय पर उजागर होता रहा है. पौराणिक कथाओं में दान के विविध रूप धनदान, अन्नदान, अंगदान, शस्त्रदान जैसे कई तरह के दान से जुड़ी कथाएं पढ़ने को मिलती हैं लेकिन अब तकनीक और शोध के कारण इस में रक्तदान, गुर्दादान जैसी नई बातें भी जुड़ चुकी हैं.
मंदिरों में वस्त्रदान, अन्नदान, स्वर्णदान, धनदान के साथ दानियों से और उगाही के लिए अब बौंड और शेयर दान का रास्ता अपनाया जा रहा है. शेयर दान की यह परंपरा हाल ही में मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में शुरू हुई है.
मंदिर में शेयर दान के लिए दानी कंपनियों के अपने शेयर मंदिर प्रबंधन के डीमैट अकाउंट में जमा करा सकते हैं. इस से पहले यह व्यवस्था तिरुपति बालाजी के मंदिर में लागू की गई थी. बहरहाल, धर्म के ठेकेदारों ने पढ़ेलिखे अथवा संपन्न अंधभक्तों को लूटने का यह नया तरीका ईजाद किया है. इन अंधभक्तों को शेयर के जरिए दान करना आसान लगेगा तो लूटने वाले भविष्य में दानवसूली के लिए कोई नया जरिया और भी ईजाद कर लेंगे.
मंदिरों को दान दिया जाना गलत नहीं है लेकिन मंदिरों में मिले दान का बड़े स्तर पर दुरुपयोग होता रहा है. वित्तीय अनियमितताएं मंदिरों में बड़े स्तर पर होती हैं, उन को ले कर हत्या जैसी घटनाएं भी हुई हैं. यह हाल तब है जब मंदिर के ट्रस्टों की निगरानी सरकारी स्तर पर की जाती है.
आज के समय में जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं से जुड़े अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं. इसीलिए महिलाओं पर होने वाले अपराध को रोकने के लिए नएनए कानून सेफ्टी व ऐप्स बनाए गए हैं. जिस से समय पर उन की सुरक्षा की जा सके, पर क्या आप को पता है कि इन सब कानून व ऐप्स के अलावा चैन्नई के श्री रामास्वामी मैमोरियल यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट ने ‘शी’ (सोसाइटी हारनेसिंग सिस्टम) नामक एक ऐसे इनरवियर का निर्माण किया है जो महिलाओं की सुरक्षा में मददगार साबित होगा.
‘शी’ का कार्य
इस इनरवियर को पहनने वाली महिला को गलत इरादे से छूने वाले व्यक्ति को 3,800 किलोवोल्ट का करैंट लगेगा. यानी झटके से वह दूर जा गिरेगा. तो महिला को वहां से भागने का मौका मिल जाएगा. साथ ही इस में जीपीएस और जीएसएम सिस्टम भी लगा है. जिस से तुरंत 100 नंबर पर पुलिस और महिला के घर वालों को इमरजैंसी मैसेज चला जाएगा जो महिला की लोकेशन भी बताएगा.
महिलाओं की सुरक्षा के स्मार्ट ऐप्स
जो संकट के समय महिलाओं की सुरक्षा कर सकते हैं. ये मोबाइल ऐप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हैं तथा कई ऐप्स फ्री में डाउनलोड किए जा सकते हैं.
ऐंड्रौएड ऐप्स
ज्यादातर ऐप्स एक ही तरीके से काम करते हैं. ये यूजर द्वारा तय किए गए इमरजैंसी कौट्रैक्ट्स को अलर्ट और जीपीएस लोकेशन भेज देते हैं. मगर नए ऐप्स न सिर्फ इस्तेमाल करने में सुविधाजनक है, स्मार्ट भी हैं.
महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े इस ऐप से किसी भी खतरे के समय आप के द्वारा रजिस्टर्ड किए गए नंबरों पर मैसेज चला जाएगा. साथ ही एक्टिवेट होने के बाद यह उस जगह की फोटो खींचना शुरू कर देगा. थोड़ी देर में इन्हें रजिस्टर्ड नंबरों पर भेजता है. जीपीएस के माध्यम से आप की लोकेशन भी इन नंबरों तक जाती रहेगी.
सर्किल औफ सिक्स ऐप
यह ऐप 6 लोगों को संदेश भेजने में सक्षम है. जिन को मुश्किल घड़ी में संपर्क किया जा सकता है. इस में आप अलगअलग संदेश भी भेज सकते हैं. यह बहुत आसान है. लेकिन सारे फीचर इस्तेमाल करने के लिए आप को पैसे देने पड़ते हैं.
बी सेफ ऐप
यह हमेशा आप की गतिविधियों पर नजर ख्राता है. इस की सब से बड़ी विशेषता यह है कि यदि आप ने इस ऐप में पहले से निर्देर्शित समय के अनुसार चैकइन नहीं किया है तो यह अपने आप ही आप के दोस्तों को आप के स्थान अनुरूप संकट के समय संदेश भेज देगी पर इस विशेषता के लिए आप को पैसे देने पउ़ेंगे.
दूसरी विशेषता कि आप झूठमूठ अपने फोन की घंटी बजा सकते हैं. जिस से न सिर्फ आप को परेशान करने वालों का ध्यान बंट सकता है और आप मुसीबत से बाहर निकलने का अच्छा तरीका है.
विद् यू ऐप
यह ऐप हर पल सुरक्षा की गारंटी देता है. इस में सिर्फ पावर बटन को दबाना है और हर 2 मिनट में उन दोस्तों को अलर्ट संदेश जाएगा. जिन्हें आप ने पहले से निर्देशित किया हुआ है. वो भी आप की स्थानीय जानकारी के साथ. और इस ऐप में आप को संदेश भेजने के लिए फोन में इंटरनैट कनैक्शन की जरूरत है.
हिम्मत ऐप
यह फ्री सैफ्ट ऐप है. जिसे दिल्ली पुलिस ने महिलाओं के लिए रेकमंड किया है. इस ऐप को यूज करने के लिए दिल्ली पुलिस वेबसाइट पर यूजर को रजिस्ट्रेशन करना होगा. रजिस्ट्रेशन पूरा होने के बाद यूजर को ओटीपी मिलेगा, जिसे ऐप को कौन्फिगर करते समय एंटर करना होगा मुश्किल हालात में यूजर को ऐप में एसओएस अलर्ट करना होगा. इस से लोकेशन की इंर्फौमेशन और आडियोवीडियो सीधा कंट्रोल रूम को मिल जाएगी. इस से पुलिस मौके पर पहुंचने के लिए इस्तेमाल करेगी.
वूमन सेफ्टी ऐप
वूमन सेफ्टी ऐप में 3 रंग के बटन होते हैं. जो हालात की गंभीरता पर आधारित हैं. इसे आप परिस्थितियों के आधार पर बटन दबा सकते हैं. एक बटन दबाने पर हय लोकेशन की जानकारी भेज देगा. पहले से डाले गए नंबर्स पर यह एसएमएस के जरिए आप की लोकेशन और गूगल मैप्स का लिंक भी भेज देता है. यह फ्रंट और रियर कैमरे से तस्वीर लेता है, जो सीधे सर्वर में अपलोड हो जाती है.
स्मार्ट – 24×7 ऐप
इस ऐप को कई राज्यों की पुलिस सपोर्ट करती है. यह महिलाओं और सीनियर सिटीजंस की सैफ्टी के लिए है. यह मुश्किल हालात में इमरजैंसी कौंटैक्ट्स को पैनिक अलर्ट भेजता है. यह आवाज रिकार्ड करता है और फोटो भी लेता है. इस ऐप के लिए कौल सैंटर सपोर्ट भी है, जो यूजर की प्राइमरी मूवमेंट्स को ट्रैक करता है. यूजर को बस पैनिक बटन टैप होगा और चुनना होगा कि उसे कौन सी सर्विस चाहिए. इस के बाद सबमिट बटन टैब करना होगा.
शेक 2 सैफ्टी
यह सब से आसान ऐप है. यूजर को बस अपने स्मार्टफोन को शेक करना है या फिर 4 बार पावर बटन दबाना है. इस से रजिस्टर्ड नंबर्स को एसओएस अलर्ट चला जाएगा. यह लौक स्क्रीन पर भी कौल करता है और बिना इंटरनैट के भी काम करता है. यूजर्स अलर्ट भेजने के लिए शेक करने के औप्शन को ऐक्टिवेट और डी ऐक्टिवेट भी कर सकते है. यह ऐप ऐक्सीडैंट, छेड़छाड़, लूट और आपदाओं में इस्तेमाल किया जाता है.
8 सैफ्टी पिन
यह बैस्ट ऐप है इसे पर्सनल सैफ्टी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. इस में जीपीएस ट्रैकिंग, इमरजैंसी कौंटैक्ट नंबर और सेफ लोकेशन का रास्ता बताने जैसे सभी जरूरी फीचर है. इस में सुरक्षित और असुरक्षित जगहे पिन चिंहित होती है. आप खुद भी. इस से उन सुरक्षित जगहों को पिन कर सकते हैं.
निर्भया ऐप
यह ऐप गैंग पीडि़त निर्भया के बाद बनाया गया है. इसे ऐंड्रौएड फोन पर डाउनलोड किया जा सकता है. इस के एक टच पर जितने भी नंबर इस मोबाइल ऐप में से है उन में मैसेज और कौल चला जाएगा.
55100 सर्विस ऐप
इस सर्विस की सब से बड़ी बात यह है कि अगर आप के फोन में 0 बैलेंस है तो भी आप इसे यूज कर सकती हैं. इस का एक टोल फ्री नंबर है इस सर्विस के जरिए कोई भी महिला 55100 नंबर पर कौल कर के अपने परिचित 5 से 10 सदस्यों को अपने साथ जोड़ सकती है. आपात स्थिति में इस नंबर पर कौल करने के बाद उन सदस्यों को मैसेज या एसएमएस अलर्ट के जरिए सूचित किया जाता है.
होला बैक ऐप
आप इस ऐप्लीकेशन की मदद से छेड़खानी करने वाले व्यक्ति की फोटो ले कर इसे फौरन शेयर कर सकती हैं. इस से लोग इस व्यक्ति को पहचान जाएंगे. आप इस बार सड़क पर होने वाली छेड़खानी की खबरों और फोटो को अपलोड कर के शेयर कर सकती हैं. साथ ही ऐप्लीकेशन आप को उस जगह के बारे में जानकारी देता है. जहां छेड़खानी की घटनाएं सब से ज्यादा हो रही हैं.
स्क्रीन अलार्म ऐप
यह ऐप एक औरत की बहुत तेज आवाज में चीख पैदा करता है. अगर आप किसी मुश्किल में हैं तब आप एक बटन दबा कर तेज आवाज पैदा कर सकते हैं और आसपास के लोगों को अलर्ट कर सकते हैं.
विभिन्न सैफ्टी अलर्ट
यह ऐप सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि महिलाएं हमेशा सुरक्षित रहें. इस में एक बटन है, जो आप के प्रियजन को लोकेशन और समस्या की स्थिति के बारे में बता देता है. आप कौंटैक्ट चुन सकते हैं जो आप की लोकेशन देख सकते हैं. अगर आप के ऐप न खोला हो, तब भी आप वौल्यूम को 3 सैकेंड तक प्रैस करने पर अलर्ट भेज सकते हैं. इस में एसओएस फंक्शन भी हैं, जिस से आप बिना इंटरनैट वाले एरिया में फंस जाने पर एसएमएस भेज सकते हैं.
कुछ रिश्ते खून से होते हैं लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो खून से नहीं बल्कि दिल से बनते हैं और इसी दिल के रिश्ते में एक रिश्ता होता है स्टार और फैन का.
इतिहास गवाह है कि एक स्टार जिस को उस का फैन दूरदूर तक नहीं जानता, वह उस से इतना प्यार करता है कि उस के लिए अपनी जान तक देने को भी तैयार हो जाता है. अपने प्यारे स्टार की एक झलक पाने के लिए वह उस के घर के बाहर घंटों खड़ा रहता है.
वैसे तो फैन और स्टार का रिश्ता बहुत पवित्र और निस्वार्थ है, लेकिन एक सच यह भी है कि यह रिश्ता भी तब तक ही चरम पर होता है जब तक कि वह स्टार लोकप्रिय है. जैसे ही उस की लोकप्रियता खत्म होती है वैसे ही फैन्स भी उस से दूरी बना लेते हैं.
कहने का तात्पर्य यह है कि फैन और स्टार का रिश्ता भी लोकप्रियता के आधार पर ही केंद्रित होता है.
इतिहास गवाह है कि जो सितारे लाखोंकरोड़ों फैन्स से घिरे रहते थे, उन्होंने गुमनामी की जिंदगी में अपना आखिरी समय गुजारा. फिर वे चाहे भगवान दादा हों या राजेश खन्ना या फिर परवीन बौबी ही क्यों न हों, आखिरी वक्त में इन के चाहने वाले इन से काफी दूर थे.
राजेश खन्ना के कैरियर में एक समय ऐसा था कि वे जहां से भी गुजरते थे वहां की धूलमिट्टी युवतियां माथे पर लगा लेती थीं. इतना ही नहीं, जब राजेश खन्ना की शादी डिंपल कापडि़या से हुई थी तब कई युवतियों ने अपनी चूडि़यां तोड़ डाली थीं और कइयों ने तो आत्महत्या करने की भी नाकाम कोशिश की थी.
ऐसे लोकप्रिय स्टार राजेश खन्ना अपने आखिरी समय में तनहा थे. दूरदूर तक उन का कोई हमदर्द उन के साथ नहीं था.
राजेश खन्ना की तरह ही ट्रैजडी किंग दिलीप कुमार का इतना ज्यादा क्रेज था कि उन की दीवानी सायरा बानो फिल्मों में आईं ही इसलिए थीं ताकि वे दिलीप साहब के साथ काम कर सकें और उन का सामीप्य पा सकें, लेकिन आखिर में यह फैन वाला प्यार पतिपत्नी वाले प्यार में बदल गया और आज भी सायरा बानो दिलीप साहब की उतनी ही दीवानी हैं जितनी कि फिल्मों में आने से पहले हुआ करती थीं.
सवाल यह है कि क्या आज भी स्टार्स के प्रति फैन्स का प्यार वैसे ही बरकरार है? क्या आज भी स्टार्स के लिए फैन्स अपनी जान देने को तैयार हैं या फिर आज के युग में युवा अब काफी आगे बढ़ गए हैं और सचेत हो गए हैं.
इसी सवाल का जवाब पाने के लिए जब हम ने सब से पहले बौलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन से बात की तो उन्होंने बड़ी गंभीरता से कहा कि फैन और स्टार का एक अटूट रिश्ता है, जो कभी नहीं टूट सकता. फैन्स हैं तो हम हैं वरना यदि फैन्स ही नहीं होंगे तो हमारी क्या औकात, जो हम इंडस्ट्री में टिक पाएं.
यदि आप गौर करें तो इंटरनैट और सोशल मीडिया की वजह से फैन्स और स्टार्स का रिश्ता और मजबूत हो गया है. आज ट्विटर पर फेसबुक के जरिए हम अपने फैन्स के साथ डायरैक्ट बात कर सकते हैं और वे भी हमें गाइड कर देते हैं कि हमें अपने में क्या सुधार करना चाहिए.
फैन्स अगर हमारी तारीफ करते हैं तो वे बेहिचक हमारी बुराई भी बता देते हैं ताकि हम अपने काम में सुधार कर सकें. यदि मैं अपनी बात करूं तो आज मैं अगर इस इंडस्ट्री में जिंदा हूं तो अपने फैन्स की बदौलत हूं वरना मैं तो कब का खत्म हो जाता. आज इस उम्र में भी मुझे अपने फैन्स का इतना प्यार मिला है कि मैं अपनेआप को धन्य समझता हूं.
अमिताभ बच्चन की तरह सलमान खान की भी फैन फौलोइंग कुछ ज्यादा ही है. सलमान खान के चाहने वालों में सिर्फ लड़कियां ही नहीं बल्कि जवान, बच्चे, बूढ़े, और शादीशुदा सभी शामिल हैं. शायद यही वजह है कि उन की फैन फौलोइंग का फायदा उठाते हुए उन की कही बात को ज्यादा तूल दे दिया जाता है और उन का एक गलत स्टेटमैंट भी विवाद खड़ा कर देता है.
कई बार तो यह भी कहा जाता है कि सलमान द्वारा कही बात को जानबूझ कर तोड़मरोड़ कर पेश किया जाता है ताकि उस बात की वजह से उन की रिलीज फिल्म की पब्लिसिटी हो जाए. ज्यादातर देखा गया है कि सलमान का कोई न कोई स्टेटमैंट तभी हाईलाइट होता है जब उन की फिल्म रिलीज होने वाली होती है.
सलमान के फैन्स का तो यह आलम है कि सलमान के जेल जाने की खबर से ही उन के बीच इतना हड़कंप मच गया था कि उन के चाहने वाले एक फैन ने कोर्ट के बाहर जहर पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की. इस से आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि वह सलमान को किस सीमा तक चाहता होगा.
इतना ही नहीं, सलमान को चाहने वाली 2 जुड़वां बहनों ने सलमान की सलामती के लिए रात भर कामना की कि सलमान जमानत पर रिहा हो जाएं.
इसी तरह सलमान का एक फैन सलमान की हर फिल्म रिलीज का फर्स्ट शो मुफ्त में सब को दिखाता है यानी सलमान की हर फिल्म का पहला शो वह अपने पैसों से बुक करता है, जो सलमान के फैन्स के लिए फ्री में होता है.
सलमान और अमिताभ बच्चन के फैन सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि पूरे वर्ल्ड में हैं. सलमान की तरह ही माधुरी दीक्षित के भी लाखोंकरोड़ों फैन्स हैं, जिन की वजह से माधुरी दीक्षित पर एक फिल्म तक बन गई थी, ‘मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं…’
माधुरी दीक्षित की फैन फौलोइंग आम लोगों में ही नहीं बल्कि फिल्म इंडस्ट्री में भी बहुत ज्यादा है. कैटरीना कैफ से ले कर करोड़ों का बिजनैस करने वाली फिल्म ‘सैराट’ की हीरोइन रिंकू राजगुरु जोकि अभी 10वीं में है, भी माधुरी दीक्षित की जबरदस्त फैन हैं.
फिल्मों को अलविदा कहने के बाद और 2 बच्चों की मां बन कर फिल्मों में वापसी के बाद भी माधुरी दीक्षित की फैन फौलोइंग में कोई कमी नहीं आई.
एक टीवी शो को होस्ट करने वाले ऐंकर कपिल शर्मा की भी इतनी ज्यादा फैन फौलोइंग हो गई कि वे रातोंरात स्टार बन गए.
कलर्स चैनल पर प्रसारित ‘कौमेडी नाइट्स विद कपिल’ से प्रसिद्ध हुए कपिल शर्मा को इतनी ज्यादा लोकप्रियता मिली कि वे देशविदेश में प्रसिद्ध हो गए और उन की फैन फौलोइंग देख कर फिल्म स्टार्स भी अचंभित रह गए.
फैन्स का फायदा स्टार्स को इतना ज्यादा होता है जिस से उन की फैन फौलोइंग बढ़ती है. उन का पारिश्रमिक भी बढ़ जाता है, जिस के चलते स्टार्स किसी फंक्शन में आने का और रिबन काटने का भी करोड़ों रुपए मांग लेते हैं. किसी शहर में अगर किसी स्टार को परफौर्म करना हो तो वह उस की अच्छीखासी कीमत वसूल कर लेते हैं.
कहने का तात्पर्य है कि एक जमाने में स्टार्स और फैन का रिश्ता जहां दिल तक सीमित था वहीं वह अब जेब तक पहुंच गया है.
सलमान खान की फैन फौलोइंग का नतीजा यह है कि वे ‘बिगबौस’ को होस्टिंग करने के लिए एक एपीसोड का करोड़ों में पारिश्रमिक लेते हैं और हर नए सीजन में उन का रेट बढ़ जाता है, लेकिन फिर भी चैनल उन को ही यह जिम्मेदारी देता है, क्योंकि दर्शक ‘बिगबौस’ सलमान की वजह से ही देखते हैं और इसी के चलते बिगबौस शो कितना ही कमजोर क्यों न हो, को अच्छी टीआरपी मिल ही जाती है.
अमिताभ बच्चन, सलमान खान, माधुरी के अलावा अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोण, शाहरुख खान, प्रियंका चोपड़ा जैसे कई स्टार्स की जबरदस्त फैन फौलोइंग है, जिस की वजह से उन को देश में ही नहीं विदेश में भी शो के जरिए पैसा कमाने का मौका मिल रहा है और उस से काफी फायदा हो रहा है.
स्टार्स और फैन्स के बढ़ते रिश्ते का तो आलम यह है कि आज फैंस और स्टार्स का रिश्ता सिर्फ बौलीवुड तक ही सीमित नहीं है यह हौलीवुड तक भी पहुंच गया है. आज का युवावर्ग न सिर्फ हौलीवुड की फिल्मों का कायल है बल्कि वहां के स्टार्स का भी जबरदस्त फैन है.
शायद यही वजह है कि आज अगर ऐंटरटेनमैंट बिजनैस की बात करें तो सिर्फ बौलीवुड ही नहीं हौलीवुड फिल्मों का भी हिंदुस्तान में अच्छाखासा बिजनैस हो रहा है.
इन सब बातों से यही निष्कर्ष निकलता है कि युग चाहे जो भी हो, लेकिन फैन्स और कलाकार का रिश्ता हमेशा अटूट रहेगा.
वेस्ट इंडीज के दिग्गज क्रिकेटर रहे गैरी सोबर्स 80 साल के हो गए हैं. क्रिकेट इतिहास में एक ओवर में 6 छक्के लगाने वाले वो पहले क्रिकेटर हैं. कम ही लोग जानते होंगे कि सोबर्स के दोनों हाथ में पांच नहीं, बल्कि 6 उंगली थीं.
जब सोबर्स ने कटवा दी थीं एक्स्ट्रा उंगली
सोबर्स के दोनों हाथ में जन्म से ही एक-एक उंगली ज्यादा थी. बचपन में लोग उन्हें इसके लिए चिढ़ाते भी थे. वहीं, कुछ कहते थे कि वो लकी हैं.
सोबर्स के अनुसार, ‘एक एक्स्ट्रा उंगली काफी जल्दी निकल गई थी.’ तब वे 9 या 10 साल के थे. उन्होंने अपना पहला क्रिकेट मैच 11 उंगलियों के साथ खेला था. करीब 14 साल की उम्र में दूसरी एक्स्ट्रा उंगली भी निकलवा दी थी.
लेकिन कुछ ही दिनों बाद जहां कट लगा था, वहां से एक और उंगली निकल आई. ये बिल्कुल वैसा था जैसे बच्चों के दूध के दांत निकलने के बाद नया दांत आ जाता है.
सोबर्स ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में उंगली के इस किस्से का जिक्र किया था.
जानें क्रिकेट वर्ल्ड के कुछ ऐसे ही और प्लेयर्स के बारे में…
अजीम हफीज (पाकिस्तान)
जन्म से ही दो उंगलियां कम थी.
वकार यूनिस (पाकिस्तान)
बचुन में ही क्रिकेट खेलते समय बांए हाथ की सबसे छोटी उंगली इतनी बुरी तरह टूट गई की डॉक्टर को उसे काटना पड़ा.
मार्टिन गुप्टिल (न्यूजीलैंड)
मार्टिन छोटे थे तब ही उनके पैर के ऊपर से एक भाड़ी गाड़ी गुजर गई थी तब उनका बांए पैर की तीन उंगली काटनी पड़ी थी. तब से उनके बांए पैर में तीन उंगली नहीं है.
बी एस चंद्रशेखर (भारत)
पोलियो अटैक के कारण दांए हाथ की ऊपरी हिस्सा कमजोर और पिचका हुआ है.
मंसूर अली खां पटौदी (भारत)
20 साल की उम्र में एक एक्सीडेंट में आंख में कांच घुस गया था. तब दांए आंख की रौशनी चली गई थी.
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का मानना है कि टी20 क्रिकेट के आने से वनडे में बड़े स्कोर का पीछा करने के बल्लेबाजों के रवैये में बदलाव आया है. अगर 2003 विश्व कप के दौरान ऐसा होता तो भारत को मदद मिलती.
भारत को 2003 विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने 125 रन से हराया था. ऑस्ट्रेलिया ने दो विकेट पर 359 रन बनाये थे जिसके जवाब में भारतीय टीम 234 रन पर आउट हो गई थी.
तेंदुलकर ने कहा ,’मुझे लगता है कि यदि हम वह मैच आज खेलते तो खिलाड़ी अलग तरीके से खेलते. हम उस मैच में उत्साह से भरे थे और पहले ही ओवर से काफी उत्साहित थे. यदि उन्हीं खिलाड़ियों को आज मौका मिलता तो खेल के प्रति उनका रवैया दूसरा होता. उन दिनों 359 रन बनाना मुश्किल लगता था. आज के दौर में यह आसान लगता है.’
तेंदुलकर मंगलवार को अपने बायोपिक ‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’ के मीडिया प्रीमियर के बाद पत्रकारों से मुखातिब हुए. इस बीच उन्होंने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और चयन समिति के अध्यक्ष राजसिंह डुंगरपूर की भी तारीफ की.
उन्होंने कहा, ‘रणजी सेमीफाइनल के दौरान हम दिल्ली में खेल रहे थे और मैं नेट अभ्यास कर रहा था. मुझे याद है कि राज भाई मेरे पास आए और कहा कि सचिन इस रणजी ट्राफी के बाद आप एसएससी की परीक्षा पर फोकस करो. आप वेस्टइंडीज नहीं जा रहे हो. राज भाई ने हमेशा मेरा सहयोग किया.
शौपिंग के मामले में महिलायें काफी आगे रहती हैं. लेकिन शौपिंग पिंग करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. शौपिंग से पहले ये 6 टिप्स अपनाकर आप सेविंग कर सकती हैं.
लिस्ट जरूर बनाएं
शॉपिंग करने से पहले मैं लिस्ट जरूर बनाती हूं. जिससे आप बेकार के सामान न खरीद लें और जरूरी सामान मिस न होने जाए. बाजार जाकर अक्सर महिलाएं सामान देखकर उलझ जाती हैं और जरूरी सामान ही भूल जाती हैं. इसलिए सामान की लिस्ट रखना बहुत जरूरी है.
ऑफ सीजन शॉपिंग है बेहतर
ऑफ सीजन शॉपिंग सुनना भले ही अजीब लग रहा हो, लेकिन इसके बहुत फायदा है. जैसे कि सर्दी जब चली जाती है तो इसके बाद दो तीन हफ्तों तक कई दुकानों पर विंटर कलेक्शन रहते हैं. इस दौरान रेट भी कम कर दिए जाते हैं. इसलिए आप ऑफ सीजन में भी शापिंग कर सकती हैं.
बजट फिक्स करके हो शॉपिंग
शॉपिंग महिलाओं की कमजोरी होती है और जब भी हम शॉपिंग करते वक्त बजट को भूल जाते हैं, लेकिन शॉपिंग खत्म नहीं होती. इसके लिए जरूरी है कि शॉपिंग करने से पहले बजट जरूर फाइनल कर लें. ऐसा करके आप फिजूल खर्ची से बच सकती हैं.
कूपन्स का लाभ जरूर लें
कई महिलाओं के पास कूपन्स पड़े होते हैं, लेकिन वे इसका इस्तेमाल नहीं करती हैं. क्योंकि वह भूल जाती हैं कि कोई कूपन्स भी पड़े हैं. इसीलिए जरूरी है कि यदि कहीं से कोई कूपन मिलता है तो उसका लाभ सबसे पहले और समय से उठाएं. इससे भी आप काफी अच्छी सेविंग कर सकती हैं.
सेल का भरपूर लाभ उठाएं
सेल का भरपूर लाभ उठाना चाहिए. जो भी बड़े-बड़े ब्रैंड्स हैं, वे एक टाइम पर अच्छे अच्छे ऑफर लाते हैं. ऐसे में कम बजट में ही काफी अच्छा सामान मिल जाता है, जिसकी क्वॉलिटी भी काफी अच्छी होती है और ये सौदा भी फायदेमंद होता है.
टीवी पर कम करने वाले कई सेलिब्रिटीज ऐसे हैं जो अपनी पब्लिसिटी के लिए कुछ भी कर सकते हैं चाहे वो उनका ऊट पटांग बयान हो या फिर कोई भी उनकी तस्वीर हो.कुछ सेलिब्रिटीज को आप अक्सर सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो, फोटोज पोस्ट करते देख सकते हैं. आज हम यहाँ ऐसे सेलिब्रिटीज के बारे में बता रहे हैं जो हमेशा चर्चा में बने के रहने के लिए कुछ न कुछ पोस्ट करते रहते हैं.
1. निया शर्मा
निया शर्मा आजकल सोशल मीडिया पर अपनी बोल्ड फोटोज और विडियो के चलते चर्चा में बनी रहती हैं. निया शर्मा ने कुछ दिन पहले अपनी ब्रालेस फोटो शेयर कर निया ने खूब कॉन्ट्रोवर्सी बटोरी थी. निया शर्मा ने एक बार हद ही पार कर दी जब उन्होंने एक बच्चे का वीडियो शेयर किया, जिसमें वह खुलेआम गालियों का इस्तेमाल कर रहा था.
2. गौहर खान
गौहर खान की एक फोटो अभी खूब वायरल हुई जिसमे वो एक पॉपुलर मैगजीन के कवर पर नजर आ रही हैं. जबकि सच्चाई यह हैं कि इस मैगजीन कवर के लिए गौहर सिलेक्ट ही नहीं हुई थीं. मैगजीन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गौहर नहीं, अजय देवगन इस अंक में नजर आने वाले हैं. गौहर कुछ दिन पहले खूब सुर्खियों में रहीं, जब एक रियलिटी शो के फिनाले के दौरान एक शख्स ने उन्हें थप्पड़ मार दिया था. बाद में उस शख्स ने खुलासा किया था कि गौहर ने ऐसा करने के लिए उसे पैसे दिए थे जिससे उन्हें पब्लिसिटी मिल सके.
3. राखी सावंत
राखी सावंत अपने बयान ऊट पटांग की वजह से हमेशा सुर्खियों में बनी रहती हैं. वह खुलेआम कास्टिंग काउच को सपोर्ट कर चुकी हैं. वह खुद को वर्जिन बता चुकी हैं. राखी सावंत के निशाने पर हमेशा सनी लियोनी रहती हैं और कह चुकी हैं कि इंडिया सनी को कपड़े पहनने के पैसे दे रहा है.
4. कमाल राशिद खान
कमाल राशिद खान को लोग केआरके भी बोलते हैं. केआरके अक्सर सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटीज को लेकर ऊल-जलूल कमेंट करते रहते हैं. वे परिणीति चोपड़ा के बट पर कमेंट कर चुके हैं, धनुष को जमादार बता चुके हैं और सनी लियोनी से खुलेआम सेक्स की डिमांड कर चुके हैं.
5. पूनम पांडे
पूनम पांडे कुछ ख़ास मौकों पर अपने हॉट फोटोज और हॉट विडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. इन्ही के चलते वो खूब सुर्खियाँ बटोर चुकी हैं.
6. शर्लिन चोपड़ा
शर्लिन चोपड़ा एक्सपोज करने के कारण सुर्खियों में रहती हैं. वे कामसूत्र 3D जैसी फिल्मों में न्यूड और सेक्स सीन दे चुकी हैं. ट्विटर पर न्यूड फोटो शेयर करने के कारण उन्हें बैन भी किया जा चुका है.
7. संभावना सेठ
संभावना सेठ को बोल्ड स्टेटमेंट्स के लिए जाना जाता है. इसके अलावा, वे शॉर्ट टेम्पर्ड भी हैं. हाल ही में, जब उनके पति ने शर्लिन चोपड़ा के साथ हॉट सीन दिए तो वे भड़क गई थीं. उन्होंने कहा था, “कौन सी पत्नी अपने पति को किसी दूसरी औरत के साथ इंटीमेट होते देख सकती है.
8. कश्मीरा शाह
कश्मीरा शाह अपनी बोल्ड इमेज के कारण चर्चा में रहती हैं. वे मीडिया में यह तक बता चुकी हैं कि उन्हें कौन सी सेक्स पॉजिसन पसंद है. हाल ही में कश्मीरा ने बिकिनी फोटो शेयर कर सुर्खियां बटोरने की कोशिश की. एक फोटो के साथ तो उन्होंने यह तक लिखा था, है तो दिखाओ.
9. पूजा मिश्रा
पूजा मिश्रा अक्सर हंगामा कर कर सुर्खियां बटोरने की कोशिश करती हैं. कुछ समय पहले उन्होंने एक होटल के स्टाफ के साथ बदतमीजी की थी. इसके अलावा, वे सलमान खान पर रेप का आरोप लगा चुकी हैं. सोनाक्षी सिन्हा और उनकी मां पर भी आपत्तिजनक आरोप लगा चुकी हैं.
10. सोफिया हयात
सोफिया हयात ने बिग बॉस के दौरान अरमान कोहली पर बदसलूकी का आरोप लगाया था. इसके अलावा, वे इंटरव्यू में यह खुलासा कर चुकी हैं कि बचपन में उनका यौन शोषण हुआ था. इतना ही नहीं, सोफिया ने यह अनाउंसमेंट कर सुर्खियां बटोरने की कोशिश की कि वे नन बन चुकी हैं. फिर मीडिया में अपने ब्रैस्ट इम्प्लांट दिखाकर और बोल्ड फोटोज शेयर कर वे सुर्खियों में रहीं.
12 अप्रैल की बात है. एक अधेड़ आदमी जयपुर के गांधीनगर पुलिस थाने पहुंचा. उस ने थाने के गेट पर खड़े संतरी से कहा, ‘‘भैया, मुझे रिपोर्ट दर्ज करानी है.’’
संतरी ने अधेड़ को अंदर ड्यूटी अफसर से मिलने को कहा. अंदर एक सबइंसपेक्टर ड्यूटी अफसर की कुरसी पर बैठा था. आसपास पुलिस के 2 जवान बैठे कुछ लिखापढ़ी कर रहे थे. ड्यूटी अफसर के सामने रखी कुर्सियों पर 2 लोग पहले से बैठे थे, जिन से ड्यूटी अफसर बात कर रहा था.
ड्यूटी अफसर को बातों में व्यस्त देख कर अधेड़ कुछ देर खड़ा रहा. फिर बेचैनी से इधरउधर देखने लगा. अधेड़ की बेचैनी देख कर सबइंसपेक्टर ने पूछा, ‘‘बताएं साहब, क्या बात है?’’
‘‘थानेदार साहब, मेरे बेटे की बहू नहीं मिल रही है. आप उसे ढूंढ देंगे तो भला होगा.’’ अधेड़ ने अपने आने का मकसद बता दिया.
‘‘आप की बहू कब से गायब है?’’ ड्यूटी औफिसर ने पूछा.
‘‘साहब, वह एक दिन पहले से गायब है.’’ अधेड़ ने अपने कंधे पर पड़े अंगौछे से माथे पर आया पसीना पोंछते हुए कहा.
‘‘आप की बहू आप के बेटे के पास ही रहती होगी, फिर वह गायब कैसे हो गई?’’ ड्यूटी अफसर ने अधेड़ के चेहरे पर नजरें गड़ा कर पूछा, ‘‘कहीं ऐसा तो नहीं कि वह अपनी मरजी से किसी के साथ चली गई हो?’’
‘‘नहीं थानेदार साहब, ऐसी कोई बात नहीं है.’’ अधेड़ ने ड्यूटी अफसर को आश्वस्त करते हुए कहा, ‘‘मेरा बेटा आयकर विभाग में इंसपेक्टर है. उस की पोस्टिंग गुजरात के वड़ोदरा में है. मेरी बहू यहीं जयपुर के बापूनगर में एक पीजी हौस्टल में रह कर टीचर भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी.’’
ड्यूटी अफसर ने अधेड़ को एक कागज देते हुए कहा, ‘‘आप अपनी लिखित रिपोर्ट दे दो, हम रिपोर्ट दर्ज कर के आप की बहू को जरूर तलाश करेंगे.’’
अधेड़ ने कागज ले कर थानाप्रभारी के नाम एक प्रार्थनापत्र लिखा. अधेड़ ने वह प्रार्थनापत्र ड्यूटी अफसर को देते हुए कहा, ‘‘साहब, मेरी यह रिपोर्ट दर्ज कर लो.’’
ड्यूटी अफसर ने उस प्रार्थनापत्र पर सरसरी नजर डाली.
प्रार्थनापत्र का लब्बोलुआब यह था कि रिपोर्ट दर्ज कराने आया वह अधेड़ अलवर जिले के कठूमर का रहने वाला बृजेंद्र सिंह था. उस का बेटा लोकेश चौधरी आयकर विभाग में निरीक्षक था.
लोकेश चौधरी गुजरात के वड़ोदरा शहर में तैनात होने के कारण वहीं रहता था. लोकेश की शादी कोई सवा साल पहले भरतपुर जिले के सिनसिनी गांव में रहने वाले रामकुमार सिनसिनवार की बेटी मुनेश से हुई थी.
मुनेश शिक्षक भरती परीक्षा की तैयारी कर रही थी. इस के लिए वह जयपुर के बापूनगर में डी-126 कृष्णा मार्ग पर स्थित एक पीजी हौस्टल में रहती थी. मुनेश इसी हौस्टल से 11 अप्रैल को लापता हो गई थी.
गांधीनगर पुलिस थाने में 12 अप्रैल को बृजेंद्र सिंह की लिखित रिपोर्ट पर मुनेश की गुमशुदगी का मामला दर्ज कर लिया गया. रिपोर्ट में बृजेंद्र सिंह ने अपनी पुत्रवधू के गुम होने में किसी पर शक जाहिर नहीं किया था, इसलिए पुलिस ने सामान्य तरीके से जांचपड़ताल शुरू कर दी.
इस के दूसरे ही दिन लोकेश चौधरी जयपुर आ कर पुलिस अफसरों से मिला और अपनी पत्नी को तलाश करने की गुहार लगाई. पुलिस अधिकारियों ने लोकेश की परेशानी समझते हुए उस की पत्नी की हरसंभव तरीके से तलाश करने का आश्वासन दिया.
1-2 दिन बाद लोकेश जयपुर कमिश्नरेट के आला पुलिस अफसरों से मिला और उन से गांधीनगर थाना पुलिस की शिकायत करते हुए कहा कि पुलिस सही तरीके से उस की पत्नी की तलाश नहीं कर रही है.
लोकेश का कहना था कि मुनेश का अपहरण हुआ है. लोकेश बारबार पुलिस अफसरों से मिल कर अपनी पत्नी को तलाश करने का दबाव बनाने लगा.
इस पर पुलिस उपायुक्त (पूर्व) कुंवर राष्ट्रदीप ने मुनेश की तलाश के लिए अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पूर्व) हनुमान प्रसाद मीणा और गांधीनगर के सहायक पुलिस आयुक्त राजपाल गोदारा के सुपरविजन में इंसपेक्टर सुरेंद्र सिंह, सबइंसपेक्टर कृष्ण कुमार, कांस्टेबल ओमप्रकाश और नरेंद्र कुमार की एक टीम गठित कर दी.
इस पुलिस टीम ने जांच के दौरान हौस्टल के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखीं. इस के अलावा मुनेश और उस के पति लोकेश चौधरी सहित अन्य संदिग्ध लोगों के मोबाइल नंबरों की कालडिटेल्स भी निकलवाई. पुलिस ने मुनेश व लोकेश के दोस्तों का भी पता लगाया. साथ ही दोनों की पुरानी हिस्ट्री भी पता कराई. व्यापक जांचपड़ताल में पुलिस अफसरों को मुनेश के गुम होने का मामला संदिग्ध नजर आया.
पुलिस इस मामले की तह तक जाने के लिए जांचपड़ताल में जुटी हुई थी कि इसी बीच 21 अप्रैल को मुनेश के पिता रामकुमार सिनसिनवार ने गांधीनगर थाने में एक लिखित रिपोर्ट दी. रिपोर्ट में लिखा था कि मेरी बेटी मुनेश 11 अप्रैल से गायब है. इस के बाद मेरा दामाद लोकेश जयपुर आया तो हम ने उस का मोबाइल चैक कराने के लिए कहा था. इस पर लोकेश ने अपना मोबाइल फोरमैट कर डेटा डिलीट कर दिया.
मुनेश के पिता ने रिपोर्ट में लिखा कि लोकेश व उस के घर वाले मेरी बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करते रहते थे. उन्होंने इसी साल फरवरी में मुनेश की 10 लाख रुपए की एफडी तुड़वा कर पैसे निकलवा लिए थे. रिपोर्ट में आगे लिखा था कि लोकेश और उस के घर वालों ने मिल कर मेरी बेटी मुनेश का षडयंत्रपूर्वक अपहरण कर के उस की हत्या कर दी है. इस पर गांधीनगर थाने में उसी दिन भादंसं की धारा 364, 498ए, 302, 304बी और 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
इस मामले की जांच मालवीयनगर के सहायक पुलिस आयुक्त (प्रशिक्षु) आईपीएस औफिसर कावेंद्र सिंह सागर को सौंपी गई. कावेंद्र सिंह सागर ने रिपोर्ट दर्ज होते ही लोकेश चौधरी की तलाश कराई. पता चला कि वह जयपुर में ही है. इस के बाद उसी दिन यानी 21 अप्रैल को लोकेश चौधरी को पुलिस ने थाने ला कर पूछताछ की. उस की पूर्व हिस्ट्री और मोबाइल काल विश्लेषण के आधार पर उस से कई सवाल किए गए.
पुलिस के सवालों के आगे लोकेश ज्यादा देर तक नहीं टिक सका, वह टूट गया. उस ने बताया कि अपने एक साथी के सहयोग से उस ने अपनी पत्नी मुनेश को जयपुर से गुजरात के वड़ोदरा बुलाया था. वड़ोदरा में मुनेश की हत्या कर के उस की लाश जमीन में गाड़ दी गई थी. लोकेश ने बताया कि उस ने मुनेश की हत्या की साजिश अपनी प्रेमिका से शादी करने के लिए रची थी. पुलिस ने उसी दिन लोकेश को गिरफ्तार कर लिया.
लोकेश की स्वीकारोक्ति से पुलिस अधिकारी दंग रह गए. पत्नी के गुम होने का नाटक रच कर जो आयकर निरीक्षक पुलिस पर ढिलाई बरतने का आरोप लगा रहा था, उस ने 10 दिन पहले ही पत्नी की हत्या कर दी थी.
यह खुलासा होने पर उसी दिन जयपुर से प्रशिक्षु आईपीसी औफिसर कावेंद्र सिंह सागर के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम आरोपी आयकर निरीक्षक लोकेश चौधरी को साथ ले कर गुजरात के वड़ोदरा शहर के लिए रवाना हो गई. 22 अप्रैल को लोकेश की निशानदेही पर जयपुर पुलिस ने वड़ोदरा में हरणी एयरपोर्ट क्षेत्र स्थित तृषा डुप्लेक्स में बगीचे की जमीन खोद कर गाड़ा गया मुनेश का शव बरामद कर लिया. मुनेश का शव बगीचे में एक कोने में करीब 7 फीट गहरा गड्ढा खोद कर दफनाया गया था.
मुनेश का शव निकालने के लिए गड्ढा खुदवाना पड़ा, इस काम में पुलिस को मजदूरों के अलावा जेसीबी की मदद भी लेनी पड़ी. गड्ढा खोदने में ही 3 घंटे लग गए. मुनेश के शरीर पर बहुत कम कपड़े मिले.
लोकेश ने मुनेश का शव जमीन में गाड़ कर उस पर करीब 15 किलो नमक भी डाल दिया था ताकि शव जल्दी से गल जाए और बदबू भी न फैले. बाद में गड्ढे में मिट्टी भर दी गई. फिर उसे समतल कर पानी का छिड़काव कर दिया गया था ताकि मिट्टी जम जाए.
वड़ोदरा से मुनेश का शव बरामद कर पुलिस दल उसी रात जयपुर के लिए वापस चल दिया. 23 अप्रैल को जयपुर पहुंच कर पुलिस ने मुनेश के शव का सवाई मानसिंह अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया. दोपहर बाद मुनेश का शव उस के पिता को सौंप दिया गया. मुनेश के घर वाले उस का शव भरतपुर जिले के अपने पैतृक गांव सिनसिनी ले गए.
सिनसिनी में जब मुनेश का शव पहुंचा तो पूरे गांव में शोक छा गया. सवा साल पहले जिस बेटी को गांव वालों ने दुलहन बना कर विदा किया था, अब कफन में लिपटी उस की लाश गांव पहुंची थी. हजारों लोगों की मौजूदगी में मुनेश का गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया. पुलिस ने मुनेश की हत्या के मामले में लोकेश चौधरी के दोस्त प्रवेंद्र शर्मा को 23 अप्रैल की रात गिरफ्तार कर लिया.
लोकेश ने प्रवेंद्र शर्मा को जयपुर भेज कर मुनेश को वड़ोदरा बुलवाया था और उसी की मदद से मुनेश की हत्या कर उस का शव जमीन में गाड़ दिया था. प्रवेंद्र आयकर निरीक्षक लोकेश का दोस्त और उसी के गांव का रहने वाला था.
पुलिस की ओर से लोकेश और प्रवेंद्र से की गई पूछताछ में मुनेश की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह सन 2015 में प्रदर्शित अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ से मिलतीजुलती है. हालांकि लोकेश ने पुलिस को बताया कि उस ने फिल्म ‘दृश्यम’ देखी जरूर है, लेकिन मुनेश की हत्या इस फिल्म से प्रेरित हो कर नहीं की.
अलवर जिले के कठूमर के रहने वाले लोकेश की शादी 5 फरवरी, 2017 को भरतपुर जिले के सिनसिनी गांव के रहने वाले रामकुमार सिनसिनवार की बेटी मुनेश से हुई थी. शादी के बाद मुनेश अपने आयकर निरीक्षक पति लोकेश चौधरी से खूब खुश थी. उसे अपनी किस्मत पर रश्क होता था कि उसे प्यार करने वाला अफसर पति मिला है. शादी के बाद कुछ समय वह पति के साथ वड़ोदरा में रही, फिर ससुराल आ गई. बीच में जब भी मौका मिलता, लोकेश अपने गांव आ जाता या मुनेश वड़ोदरा चली जाती. इस तरह दोनों की जिंदगी हंसीखुशी से बीत रही थी.
मुनेश पढ़ीलिखी थी. उस की इच्छा थी कि वह भी सरकारी नौकरी करे. वह अध्यापिका बनना चाहती थी. एक दिन उस ने पति लोकेश से कहा कि राजस्थान में हजारों शिक्षकों की भरती होने वाली है. वह शिक्षक भरती परीक्षा देना चाहती है, जिस के लिए उसे जयपुर में रह कर तैयारी करनी पड़ेगी. जयपुर में रहने से उस पर घर के कामकाज का बोझ भी नहीं रहेगा और वह आराम से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकेगी.
मुनेश की इस इच्छा पर न तो लोकेश को कोई ऐतराज था और न ही उस के घर वालों को. लोकेश ने उस की बात पर सहमति जताते हुए कहा कि यह तो अच्छी बात है. आजकल वैसे भी महंगाई इतनी हो गई है कि पतिपत्नी मिल कर कमाएं, तभी अच्छे तरीके से जिंदगी गुजर सकती है.
लोकेश ने जयपुर के बापूनगर में डी-126 कृष्णा मार्ग पर स्थित एक पीजी हौस्टल में मुनेश के रहने की व्यवस्था कर दी. मुनेश इसी हौस्टल में रह कर अपनी पढ़ाई कर रही थी. दूसरी ओर लोकेश का पहले से एक युवती से प्रेमप्रसंग चल रहा था. हालांकि मुनेश में कोई बुराई नहीं थी. लोकेश को भी उस से कोई शिकायत नहीं थी.
मुनेश पढ़ीलिखी थी, शक्लसूरत से भी खूबसूरत थी. आधुनिक और फैशनेबल भी थी, लेकिन पता नहीं लोकेश को अपनी प्रेमिका में ऐसा क्या नजर आता था कि वह उसी के खयालों में खोया रहता था.
लोकेश अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहता था, लेकिन न तो कानूनी दृष्टि से यह संभव था और न ही सामाजिक रूप से. सरकारी नौकरी करते हुए दूसरी शादी करने पर उस की नौकरी भी जा सकती थी. इसलिए वह मुनेश को ठिकाने लगाने की साजिश रचने लगा. साजिश रचने के साथ वह ‘दृश्यम’ फिल्म की तरह पुलिस के हर संभावित सवालों के जवाब भी तय करने लगा.
लोकेश को पता था कि मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस उस तक पहुंच जाएगी, इसलिए उस ने हर कदम बहुत सोचसमझ कर उठाया.
पति पर संदेह का सब से पहला कारण प्रेमप्रसंग और अवैध संबंध होते हैं, इसलिए उस ने अपनी प्रेम कहानी को छिपाने के लिए अपने मोबाइल से प्रेमिका से बात करना बंद कर दिया था.
उस ने अपने एक साथी कर्मचारी की आईडी हथिया कर उस के नाम से सिम खरीदी. इस सिम से वह केवल अपनी प्रेमिका से ही बात करता था. अन्य किसी से बात करने के लिए वह अपने दूसरे मोबाइल नंबरों का उपयोग करता था.
लोकेश ने खुद को संदेह से दूर रखने के लिए मुनेश को एक महीने पहले ही जयपुर में स्कूटी दिलवाई. वह जानबूझ कर दिन में कई बार वड़ोदरा से जयपुर में पत्नी मुनेश को फोन करता था ताकि दोनों के बीच अच्छे संबंधों की बात साबित हो सके.
साजिश के तहत लोकेश के कहने पर उस के दोस्त प्रवेंद्र शर्मा ने वड़ोदरा में हरणी एयरपोर्ट क्षेत्र स्थित तृषा डुप्लेक्स में ग्राउंड फ्लोर पर किराए का मकान लिया. लोकेश व प्रवेंद्र ने 10 अप्रैल को इस मकान के बगीचे के एक कोने में मजदूरों से करीब 7 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया.
इन्होंने मजदूरों से कहा कि वे यह गड्ढा खाद बनाने के लिए खुदवा रहे हैं. बगीचे में गड्ढा खुदाई का काम आसपड़ोस के लोगों को न दिखाई दे, इस के लिए उन्होंने ग्रीन नेट से बगीचे को कवर कर दिया था.
लोकेश इतना शातिर दिमाग था कि खुद की फोन लोकेशन वड़ोदरा में ही बनाए रखना चाहता था. गड्ढा खुद जाने के बाद उस ने अपने दोस्त प्रवेंद्र को उसी रात वड़ोदरा से जयपुर के लिए रवाना कर दिया. लोकेश ने प्रवेंद्र का मोबाइल खुद के पास रख लिया और उसे दूसरा नया मोबाइल दे कर जयपुर भेजा.
प्रवेंद्र दूसरे दिन यानी 11 अप्रैल को जैसे ही जयपुर पहुंचा, लोकेश ने अपनी पत्नी को फोन कर कहा कि मैं एक केस में फंस गया हूं, बड़ी परेशानी में हूं. मेरा दोस्त जयपुर आया हुआ है. तुम उस के साथ वड़ोदरा आ जाओ. मैं अपने दोस्त से कह देता हूं कि वह तुम्हें हौस्टल से ले लेगा.
मुनेश कुछ सोचतीविचारती, इस से पहले ही प्रवेंद्र बापूनगर स्थित पीजी हौस्टल पहुंच गया. प्रवेंद्र ने मुनेश से कहा, ‘‘भाभीजी, भैया ने वड़ोदरा बुलाया है और चलना भी अभी है.’’
मुनेश को किसी बात का कोई शकशुबहा तो था नहीं, इसलिए वह प्रवेंद्र के साथ चल दी. प्रवेंद्र ने हौस्टल से रवाना होते ही बहाने से मुनेश का मोबाइल ले लिया और उस की सिम निकाल ली.
मुनेश के मोबाइल की सिम निकालने से उस की आखिरी लोकेशन जयपुर में गांधीनगर, बापूनगर व लालकोठी इलाके में आती रही. इस के पीछे लोकेश की मंशा थी कि पुलिस का संदेह गुजरात और वड़ोदरा तक न पहुंचे.
12 अप्रैल की दोपहर मुनेश और प्रवेंद्र वड़ोदरा पहुंच गए. प्रवेंद्र मुनेश को सीधे अपने किराए के मकान पर ले गया. वहां लोकेश पहले से मौजूद था.
मुनेश जैसे ही उस मकान में पहुंच कर अपने पति लोकेश से मिलने के लिए आगे बढ़ी तो लोकेश ने उस का गला घोंट दिया. प्रवेंद्र ने उस का मुंह दबा लिया, इस से मुनेश की चीख भी किसी ने नहीं सुनी.
मुनेश की हत्या के बाद लोकेश और प्रवेंद्र ने मिल कर उस का शव मकान के बगीचे में पहले से खुदवाए हुए गड्ढे में डाल दिया. फिर शव पर नमक व मिट्टी डाल कर दोनों ने उस गड्ढे को भर दिया. बाद में पानी का छिड़काव भी कर दिया.
मुनेश की हत्या के बाद लोकेश ने अपने पिता बृजेंद्र सिंह को फोन कर के कहा कि मुनेश नहीं मिल रही है. पुलिस में इस की रिपोर्ट दर्ज करा दो. बेटे के कहने पर बृजेंद्र सिंह ने उसी दिन गांधीनगर थाने में मुनेश के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी.
इस के अगले दिन लोकेश वड़ोदरा से जयपुर आ गया. उस ने पुलिस को मुनेश के अपहरण की आशंका जताई और कहा कि उस की मुनेश से मोबाइल पर आखिरी बार 11 अप्रैल को बात हुई थी. उस समय उस ने कहा था कि वह किसी दोस्त के पास जा रही है.
बाद में पुलिस ने जब मुनेश की तलाश में लोकेश और मुनेश के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो लोकेश की वड़ोदरा से जयपुर में मुनेश से 11 अप्रैल को बात होने की तो पुष्टि हुई. इस के बाद मुनेश के मोबाइल की टावर लोकेशन जयपुर में गांधीनगर, बापूनगर और लालकोठी के आसपास ही घूमती रही.
इसीलिए पुलिस लोकेश पर संदेह नहीं कर पा रही थी और लोकेश इस का फायदा उठा कर पुलिस पर दबाव बना रहा था ताकि पुलिस मुनेश के अपहरण की कहानी में उलझ कर रह जाए.
प्रवेंद्र शर्मा गुजरात के भावनगर में नौकरी करता था. लोकेश ने उसे आयकर विभाग में नौकरी दिलवाने का झांसा दे कर मुनेश की हत्या की साजिश में शामिल किया था.
लोकेश ने पुलिस से बचने के लिए करीब एक दर्जन प्लान बनाए थे. इसीलिए जयपुर पुलिस शुरू में मुनेश के अपहरण की कहानी में ही उलझ कर रह गई. पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए लोकेश और मुनेश के मोबाइल फोंस की साल भर की करीब 15 हजार कालडिटेल्स की जांच की.
लोकेश ने मुनेश की हत्या की साजिश रचने के साथ ही करीब 3 महीने पहले अपनी प्रेमिका से बातचीत के लिए दूसरे के नाम से सिम ले ली थी. उस ने प्रेमिका को भी सख्त हिदायत दे दी थी कि वह उस के पुराने नंबरों पर काल न करे. इस के पीछे लोकेश का मानना था कि पुलिस ज्यादा से ज्यादा 2-3 महीने की काल डिटेल्स देखेगी, इस में उस की प्रेमिका का नंबर नहीं आएगा.
प्लान के तहत लोकेश ने मुनेश को जयपुर में स्कूटी दिलवाई और शिक्षक भरती परीक्षा के लिए उस का पीजी हौस्टल में एडमिशन कराया ताकि ससुराल वालों की नजर में वह एक अच्छा दामाद बना रहे. इस के अलावा वह रोजाना मुनेश को कई बार फोन करता और मैसेज भेजता ताकि लोगों को लगे कि दोनों एकदूसरे को खूब प्यार करते हैं.
लोकेश खुद वड़ोदरा में रहा. दोस्त प्रवेंद्र के नाम पर उस ने वड़ोदरा में किराए का मकान लिया. फिर प्रवेंद्र को नया मोबाइल दे कर जयपुर भेजा. योजनानुसार प्रवेंद्र ने मुनेश के साथ जयपुर से वड़ोदरा के लिए रवाना होते ही उस के मोबाइल की सिम निकाल कर फेंक दी ताकि उस की लोकेशन जयपुर में आती रहे.
इतना ही नहीं, उस ने पिता से पुलिस में बहू के लापता होने की रिपोर्ट भी दर्ज करवाई. फिर दूसरे दिन ही जयपुर आ कर लोकेश ने मुनेश के अपहरण की कहानी गढ़ कर गांधीनगर थाना पुलिस की शिकायत की ताकि पुलिस अफसर शिकायत और अपहरण की कहानी में उलझे रहें.
लोकेश ने अपना मोबाइल हैंग होने का बहाना बना कर उसे फोरमैट करा दिया. इस से उस का संदिग्ध डाटा, मैसेज आदि डिलीट हो गए.
11 अप्रैल की रात हौस्टल में मुनेश की रूममेट आशा ने लोकेश को फोन कर के कहा कि मुनेश का टिफिन आया हुआ है लेकिन न तो मुनेश मिल रही है और न ही उस का नंबर लग रहा है. इस पर लोकेश ने रूममेट को सख्ती से कहा कि पीजी हौस्टल संचालक से मुनेश के बारे में पूछो, क्योंकि यह उस की जिम्मेदारी है.
मामले का खुलासा होने से पहले तक लोकेश अपने ससुराल वालों के साथ मिल कर मुनेश की तलाश में जुटा रहा ताकि उस पर किसी को कोई संदेह न हो.
लोकेश ने भले ही फिल्म दृश्यम से प्रेरित हो कर मुनेश की हत्या की साजिश नहीं रची हो, लेकिन उस ने 10 दिन तक पुलिस को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
यह विडंबना ही है कि केंद्र सरकार के अधिकारी लोकेश चौधरी ने प्रेमिका से शादी रचाने के लिए अपने हाथ पत्नी के खून से रंग लिए. भोलीभाली मुनेश शादी के सवा साल बाद भी अपने पति की शातिर चालों को नहीं समझ सकी. वह पति के विश्वास के भरोसे मारी गई. उस ने तो लोकेश के साथ सात जनम तक जीनेमरने की कसमें खाई थीं.
लोकेश और उस के दोस्त प्रवेंद्र ने जो कुछ किया, उस की सजा उन्हें कानून देगा. सवाल यह भी है कि लोकेश की प्रेमिका क्या कातिल प्रेमी का इंतजार करती रहेगी.
हर प्रदेश में कुछ गांव पिछड़े हुए होते हैं, केरल में भी हैं. पी.सी. मुस्तफा केरल के जिला वायनाड के एक छोटे से गांव में जन्मे थे, एकदम गरीब परिवार में. घर की स्थिति ऐसी थी कि पिता को चौथी तक पढ़ाई के बाद नौकरी करनी पड़ी. मां घरेलू महिला थीं, साथ ही घर में 2 छोटी बहनें भी थीं.
अभावों के चलते मुस्तफा ने गांव के स्कूल से 5वीं पास की. आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव के स्कूल में जाना पड़ा, जहां जाने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. इस के बावजूद मुस्तफा छठीं में फेल हो गए. लेकिन पढ़ाई के जुनून के चलते फिर भी स्कूल नहीं छोड़ा.
इस का नतीजा भी सार्थक रहा. पढ़ाई जारी रखते हुए मुस्तफा ने कोलकाता से एनआईआईटी और बेंगलुरु से आईआईएम की पढ़ाई की. घर का खर्च जैसेतैसे चल रहा था, लेकिन 3 बहनों की शादी की जिम्मेदारी मुस्तफा के कंधों पर थी.
मुस्तफा इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन बन गए बिजनैसमैन. हुआ यह कि एक दिन उन के चचेरे भाई शम्सुद्दीन ने एक दुकान पर देखा कि डोसा बनाने का घोल (डोसा बैटर) प्लास्टिक की थैलियों में बेचा जा रहा है. शम्सुद्दीन ने मुस्तफा से कहा कि इस काम को हम इस से बेहतर ढंग से कर सकते हैं.
बस मुस्तफा को आइडिया क्लिक कर गया. उन्होंने अपने 5 चचेरे भाइयों को साथ लिया और 25 हजार रुपए लगा कर एक कंपनी शुरू कर दी, जिस में डोसे का घोल बनाया जाता था. कंपनी का नाम रखा ‘आईडी फ्रैश’.
कंपनी की शुरुआत छोटी सी जगह, एक ग्राइंडर, एक मिक्सर और एक सीलिंग मशीन के साथ हुई.
शुरुआती दिनों में उन की कंपनी दिन में 10 पैकेट बेचा करती थी, लेकिन अब 10 साल बाद यह कंपनी प्रतिदिन 50 हजार पैकेट बेचती है. कंपनी में 11 सौ कर्मचारी काम करते हैं. पिछले साल अक्तूबर में इस कंपनी ने अपनी सफलता का जश्न मनाया.
मुस्तफा की खास बात यह है कि वह कंपनी में ज्यादातर अपने गांव के लोगों को ही काम देते हैं, जिस से बेरोजगारी की समस्या खत्म हो रही है. इस वक्त मुस्तफा सौ करोड़ की कंपनी के मालिक हैं.
प्रिया सेठ. यही नाम है उस भोलीभाली और खूबसूरत चेहरे वाली लड़का का. वह चंद पलों में नौजवानों के दिल में उतर जाती है. अपनी इसी खूबसूरती से प्रिया हजारों लोगों को शिकार बना चुकी है. पुलिस के रिकौर्ड में प्रिया के खिलाफ केवल 4 मामले दर्ज हैं. इन में एक हत्या, दूसरा एटीएम तोड़ने, तीसरा ब्लैकमेलिंग और चौथा पीटा एक्ट का.
वह पढ़ीलिखी है. राजस्थान के पाली जिले के छोटे से शहर फालना में नेहरू कालोनी की रहने वाली प्रिया के पिता अशोक सेठ सरकारी कौलेज में लेक्चरर हैं. मां अध्यापिका रही हैं. दादा सिरोही में प्रिंसिपल रहे. फूफा जोधपुर की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. एक बहन और एक भाई है.
इंगलिश मीडियम से 82 प्रतिशत अंकों के साथ प्रिया ने फालना से 10वीं कक्षा पास की थी. फिर सीनियर सेकैंडरी में 78 प्रतिशत नंबर आए. मातापिता अपनी इस लाडली बड़ी बेटी को प्रोफेसर बनाना चाहते थे. इसलिए कौलेज की पढ़ाई के लिए 20 साल की उम्र में ही जयपुर भेज दिया. यह सन 2011 की बात है.
छोटे से शहर फालना से जयपुर आ कर प्रिया ने मानसरोवर कालोनी के एक निजी कौलेज में प्रवेश लिया तो उस की आंखों में प्रोफेसर बनने के सपने तैर रहे थे. पहले वह रिश्तेदार के घर पर ठहरी. कौलेज जाने के बाद जब भी मौका मिलता, वह जयपुर में घूमती. कभीकभी दिन ढले घर लौटती.
जल्दी ही वह जयपुर महानगर की चकाचौंध में खो गई और उन्मुक्त जीवन जीने के बारे में सोचने लगी, जिस में ना किसी की रोकटोक हो और ना ही कोई बंधन.
प्रिया की उन्मुक्तता में प्रोफेसर बनने का सपना धुंधला सा गया. वह रिश्तेदार का घर छोड़ कर मानसरोवर में ही पेइंगगेस्ट के रूप में रहने लगी. वैसे तो मातापिता उसे जयपुर में रहनेखाने और पढ़ाई के खर्च के लिए पैसे भेज देते थे, लेकिन उन पैसों से उस की मनचाही आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाती थीं. अपने शौक पूरे करने के लिए प्रिया को पैसों की जरूरत महसूस होने लगी. अकेले रहते हुए दौलत की चाह में वह कब अनैतिक काम करते हुए अपराध की दलदल में उतर गई, उसे खुद पता नहीं चला.
आज प्रिया के हाथ खून से रंगे हुए हैं. उस ने जयपुर में रहते हुए 5 साल के दौरान हर तरह के हथकंडे अपनाए. आलीशान फ्लैट में रहना, लग्जरी कार में घूमना, महंगी शराब पीना, गांजे की सिगरेट का नशा और मौजमस्ती. उस ने सब तरह की ऐश की. अपने हुस्न की झलक दिखाने के लिए वेबसाइट भी बनाई.
वह करोड़पति और अरबपति लोगों को अपने हुस्न के जाल में फांसने की फिराक में रहती थी. बहुत से नवधनाढ्य उस की अदाओं पर फिदा हुए. प्रिया ने उन को अपने गोरे बदन की चमक दिखाई और पैसे झटकने के बाद उन को ही झटक दिया.
पहली मुलाकात में ही अपनी मोहक मुस्कान दिखा कर वह 20-25 हजार रुपए आराम से झटक लेती थी. बीच में कुछ समय के लिए वह दिल्ली और नोएडा में जा कर रहने लगी थी, लेकिन वहां से जल्दी ही वापस जयपुर लौट आई.
अब वह जयपुर के व्यवसायी दुष्यंत शर्मा की हत्या के मामले में अपने बौयफ्रैंड और एक दोस्त के साथ सलाखों के पीछे है. 3 बार पहले भी वह गिरफ्तार हो चुकी है. उसे ना तो दुष्यंत की हत्या का मलाल है और ना ही कोई अपराधबोध.
प्रिया कुख्यात लेडी डौन बनना चाहती है. वह कहती है, ‘मैं ने दुनिया का कोई पहला मर्डर नहीं किया है.’ शायद उसे पता नहीं है कि कोई मर्डर पहला या आखिरी नहीं होता. प्रिया कहती है, ‘मुझे सिर्फ दौलत चाहिए. मैं पैसे की बदौलत वे सब चीजें खरीदना चाहती हूं, जिस की मुझे ख्वाहिश है.’ वह यह भी कबूलती है कि 2 साल में उस ने डेढ़ करोड़ रुपया कमाया है.
प्रिया की घुमावदार राहें
प्रिया जितनी खूबसूरत है, उस की मेधावी लड़की से कातिल बनने और लेडी डौन बनने की तमन्ना रखने तक की कहानी उतनी ही घुमावदार है. अपनी तमन्नाओं को पूरा करने के लिए ही उस ने दुष्यंत का अपहरण कर लिया और फिरौती वसूलने के बाद भी उसे मौत के घाट उतार दिया.
जयपुर में शिवपुरी विस्तार झोटवाड़ा के रहने वाले रामेश्वर प्रसाद शर्मा सहकारिता विभाग में नौकरी करते हैं. उन का इकलौता बेटा दुष्यंत फ्लाई ऐश और बिल्डिंग मैटेरियल का काम करता था. दुष्यंत की शादी करीब 3 साल पहले विनीता से हुई थी. उन का करीब डेढ़ साल का एक बेटा है, जिस का नाम है कान्हा.
इसी 2 मई की शाम करीब 6 बजे दुष्यंत अपने घर पहुंचा था. इस के कुछ देर बाद ही उस के मोबाइल पर फोन आया तो वह परिवार वालों से यह कह कर कार में बैठ कर घर से निकला कि जरूरी काम है, निपटा कर आता हूं. दुष्यंत देर रात तक घर नहीं लौटा तो पिता रामेश्वर ने उस की तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.
दुष्यंत अगले दिन सुबह भी घर वापस नहीं लौटा तो परिवार वाले चिंतित हो गए. वे उस के कारोबारी दोस्तों और अन्य लोगों से पता करने लगे. इस बीच, सुबह करीब सवा 10 बजे रामेश्वर प्रसाद शर्मा के मोबाइल पर दुष्यंत का फोन आया. दुष्यंत ने मोबाइल पर ही रोते हुए पिता से कहा, ‘ये लोग मुझे मार देंगे या रेप के केस में फंसा देंगे. इन को पैसे दे दो.’
रामेश्वर प्रसाद बेटे की बात समझ पाते, इस से पहले ही दुष्यंत से एक युवती ने फोन छीन लिया और रामेश्वर प्रसाद से कहा, ‘दुष्यंत हमारे कब्जे में है. अभी आधे घंटे में 10 लाख रुपए इस के खाते में जमा करा दो, पुलिस को बताया तो इस को मार डालेंगे.’
युवती की बात सुन कर रामेश्वर प्रसाद समझ गए कि बेटा दुष्यंत किसी संकट में है. वे दुष्यंत को मारने की धमकी दिए जाने से घबरा गए. उन्होंने युवती से फोन पर गिड़गिड़ाते हुए कहा कि इतने पैसे तो हमारे पास नहीं हैं. अभी मैं 3 लाख रुपए दे सकता हूं. इस पर वह युवती गालियां देने लगी और तुरंत पैसे जमा कराने को कहा.
रामेश्वर प्रसाद ने करीब एक घंटे में 3 लाख रुपए का इंतजाम कर दुष्यंत के खाते में डलवा दिए. फिर दुष्यंत के फोन पर उस युवती को 3 लाख रुपए जमा कराने की सूचना दी. इस पर युवती ने वाट्सऐप पर 3 लाख रुपए की रसीद मंगवाई और बाकी रुपए जल्दी से जल्दी डालने को कहा.
इस बीच, दुष्यंत की पत्नी विनीता को पति के अपहरण और हत्या की धमकी की बात पता चली, तो उस ने अपने भाई को यह बात बताई. विनीता के भाई ने पुलिस को सूचना दी.
दुष्यंत के अपहरण की सूचना पर पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) अशोक कुमार गुप्ता ने अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) रतन सिंह, झोटवाड़ा के सहायक पुलिस आयुक्त आस मोहम्मद, करघनी थानाप्रभारी अनिल जसोरिया, झोटवाड़ा थानाप्रभारी गुर भूपेंद्र सिंह, सबइंसपेक्ट हेमंत व मानसिंह और कांस्टेबल सुरेश, अमन एवं प्रवीण की एक टीम गठित की.
इस पुलिस टीम ने दुष्यंत की तलाश की. उस की मोबाइल लोकेशन और काल डिटेल्स निकलवाई गई. दुष्यंत के घरवालों, रिश्तेदारों, दोस्तों और कारोबारियों से पूछताछ की गई. दुष्यंत के मोबाइल की लोकेशन जयपुर में बजाजनगर, अनिता कालोनी के आसपास आ रही थी. इस पर पुलिस दोपहर करीब साढ़े 12 बजे अनिता कालोनी पहुंच गई और दुष्यंत व उस की कार को तलाशती रही, लेकिन कुछ पता नहीं चला.
पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी. उसे यह पता लग गया था कि दुष्यंत के अपहर्त्ताओं ने उस के बैंक खाते में रकम डलवाई है. इसलिए पुलिस उस के बैंक खाते पर भी नजर रखे हुए थी. इसी बीच, पता चला कि दुष्यंत के खाते से जयपुर में टोंक रोड पर नेहरू उद्यान के पास स्थित एक एटीएम से किसी युवती ने 20 हजार रुपए निकाले हैं.
एक तरफ पुलिस की टीमें दुष्यंत को तलाश कर रही थीं. दूसरी ओर 3 मई की देर शाम जयपुर के ही आमेर थाना इलाके में दिल्ली बाईपास पर नई माता मंदिर के पास सुनसान जगह पर ट्रौली वाले सूटकेस में एक युवक की लाश बरामद हुई. मृतक के सिर पर चोट के निशान मिले. गले पर भी 4-5 निशान थे.
वह दुष्यंत ही था
जहां सूटकेस मिला, वहां एक कार के पहियों के निशान भी नजर आए. ट्रौली सूटकेस में लाश मिलने की सूचना पर पुलिस उपायुक्त (उत्तर) सत्येंद्र सिंह मौके पर पहुंचे. युवक के हाथपैर चुनरी व स्कार्फ से बंधे हुए थे. उस के कपड़ों की जेब में ऐसी कोई चीज नहीं मिली, जिस से उस की शिनाख्त होती.
दूसरी ओर, पुलिस की एक टीम ने दुष्यंत की काल डिटेल्स के आधार पर कुछ मोबाइल नंबरों पर संपर्क किया तो पता चला कि दुष्यंत ने उन से पैसे मांगे थे, लेकिन वह पैसे लेने नहीं आया. एक मोबाइल नंबर पर पुलिस की बात दुष्यंत के दोस्त महेश से हुई.
महेश ने पुलिस को बताया कि दुष्यंत का एक युवती से प्रेमप्रसंग चल रहा था. वह युवती बजाजनगर अनिता कालोनी के ईडन गार्डन अपार्टमेंट में रहती है.
दुष्यंत की प्रेमिका का पता चलते ही झोटवाड़ा पुलिस 3 मई की रात अनिता कालोनी के ईडन गार्डन अपार्टमेंट स्थित 402 नंबर के फ्लैट पर पहुंची. वहां एक युवती और एक युवक कहीं जाने की तैयारी करते मिले. पुलिस ने फ्लैट की तलाशी ली तो वहां खून फैला हुआ था. दोनों से पूछताछ की गई, तो युवती का नाम प्रिया सेठ और युवक का नाम दीक्षांत कामरा पता चला. उन्होंने दुष्यंत का अपहरण करने के बाद उस की हत्या करने की बात बता दी.
दुष्यंत की हत्या होने का पता चलने पर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी सन्न रह गए. उन्होंने दुष्यंत की लाश के बारे में पूछा तो प्रिया व दीक्षांत ने बताया कि उन्होंने दुष्यंत की लाश एक ट्रौली सूटकेस में बंद कर के आमेर
इलाके में फेंक दी है. इस पर पुलिस ने दुष्यंत के परिजनों से लाश की शिनाख्त कराई. दुष्यंत की लाश मिलने के बाद मामला बेहद संगीन हो गया था.
पुलिस ने दुष्यंत के अपहरण और हत्या के मामले में प्रिया सेठ व दीक्षांत कामरा से पूछताछ के बाद एक दूसरे युवक लक्ष्य वालिया को भी हिरासत में ले लिया. बाद में तीनों को भादंसं की धारा 364ए एवं 302 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया.
प्रिया के अपार्टमेंट में खड़ी दुष्यंत की कार भी बरामद कर ली गई. गिरफ्तार आरोपियों में दीक्षांत कामरा श्रीगंगानगर जिले के पदमपुर कस्बे में इंद्रा कालोनी और लक्ष्य वालिया श्रीगंगानगर के चावला चौक पुरानी आबादी का रहने वाला था.
ऊंचे सपनों की चाह वाले बने कातिल
दीक्षांत कामरा मुंबई में मौडलिंग करता था. वह आजकल प्रिया सेठ के साथ लिवइन रिलेशनशिप में जयपुर के ईडन गार्डन अपार्टमेंट में रह रहा था. दीक्षांत के पिता सरकारी स्कूल में हैडमास्टर हैं. लक्ष्य वालिया जयपुर में मालवीय नगर स्थित तनिश अपार्टमेंट में रहता था. उस के पिता जीवित नहीं हैं. मां सेल्स टैक्स विभाग में कर्मचारी है. प्रिया सेठ ने ईडन गार्डन अपार्टमेंट में करीब डेढ़ महीने पहले ही दिल्ली निवासी हर्ष कुमार यादव से 402 नंबर का फ्लैट किराए पर लिया था.
तीनों आरोपियों से पूछताछ में दुष्यंत के अपहरण और हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—
प्रिया सेठ सोशल मीडिया टिंडर ऐप पर एक्टिव थी. इसी साल फरवरी-मार्च महीने में इसी ऐप पर दुष्यंत का प्रिया से संपर्क हुआ था. दुष्यंत ने खुद को दिल्ली निवासी विवान कोहली बता कर प्रिया से चैटिंग शुरू की थी. चैटिंग करते हुए दोनों के बीच दोस्ती हो गई. फिर मिलनाजुलना और घूमनाफिरना भी होने लगा.
दुष्यंत ने प्रिया से खुद को विवान कोहली के रूप में दिल्ली का अरबपति व्यापारी बताया था. उस ने प्रिया से कहा था कि उस के बिजनैस का सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से ज्यादा का है. दुष्यंत का रहनसहन करोड़पति व्यापारी जैसा था भी.
विवान कोहली को अरबपति व्यापारी समझ कर प्रिया उसे अपने हुस्न के जाल में फांसना चाहती थी. दरअसल, प्रिया के बौयफ्रैंड दीक्षांत कामरा पर काफी कर्जा हो गया था. इसलिए प्रिया ने दीक्षांत का कर्ज उतारने के लिए अपने दोस्तों के साथ मिल कर विवान कोहली को फांसने की योजना बनाई.
योजना के अनुसार, प्रिया ने 2 मई को विवान कोहली बने दुष्यंत को फोन कर के जयपुर में अपने फ्लैट पर बुलाया. दुष्यंत उस दिन शाम को प्रिया के ईडन गार्डन अपार्टमेंट स्थित फ्लैट पर पहुंचा तो प्रिया ने अपने दोस्तों दीक्षांत कामरा और लक्ष्य वालिया के साथ मिल कर उसे बंधक बना लिया.
दुष्यंत को बंधक बनाने के बाद प्रिया ने उस के कपड़ों की तलाशी ली, तो जेब में मिले दस्तावेजों से उसे पता चला कि वह दिल्ली का विवान कोहली नहीं, बल्कि जयपुर के झोटवाड़ा का रहने वाला दुष्यंत है. उस के बैंक खाते में भी ज्यादा रकम नहीं थी. इस पर तीनों ने मिल कर पहले दुष्यंत के परिजनों से फिरौती वसूलने की बात तय की. इसी के तहत 3 मई को सुबह करीब सवा 10 बजे दुष्यंत से उस के पिता रामेश्वर प्रसाद को फोन कर 10 लाख रुपए मांगे गए.
ऐसे लिखी गई खूनी स्क्रिप्ट
रामेश्वर प्रसाद ने बेटे दुष्यंत के खाते में 3 लाख रुपए डाल दिए, तो प्रिया सेठ ने कुछ देर बाद ही अपने फ्लैट से कुछ दूर स्थित एटीएम से 20 हजार रुपए निकाल भी लिए. बाद में प्रिया और उस के दोस्तों को यह डर लगा कि दुष्यंत को छोड़ देने से उन का भांडा फूट जाएगा.
इसलिए 3 मई की दोपहर में फ्लैट पर ही उन्होंने चाकू से गोद कर दुष्यंत को मार डाला. फिर उस के हाथपैर बांध दिए. इस के बाद ये लोग दुष्यंत के शव को एक ट्रौली सूटकेस में रख क र दुष्यंत की ही कार से उसी दिन दोपहर को आमेर इलाके में दिल्ली बाईपास पर फेंक आए.
प्रिया के लालच ने रामेश्वर प्रसाद शर्मा के घर का आखिरी चिराग भी बुझा दिया. 2 बेटों की अर्थियों को कंधा दे चुके रामेश्वर प्रसाद की आंखें पथरा गईं. उन का सबसे बड़ा बेटा हिमांशु 30 साल पहले महज डेढ़ साल की उम्र में ही चल बसा था. इस के बाद 2 बेटे दुष्यंत और पीयूष पैदा हुए, तो उन की जिंदगी फिर पटरी पर लौटने लगी.
लेकिन करीब 6 साल पहले सड़क दुर्घटना में पीयूष की मौत हो गई थी. दुखों का पहाड़ छंटा भी नहीं था कि इन लोगों ने दोस्त बन कर अपने लालच के लिए दुष्यंत को मौत की नींद सुला कर रामेश्वर के बुढ़ापे का आखिरी सहारा भी छीन लिया.
सन 2011 में कालेज की पढ़ाई करने जयपुर आई प्रिया अपनी रूममेट के साथ रहते हुए देह व्यापार से जुड़े गिरोह के संपर्क में आई थी. पहली बार जुलाई 2014 में जयपुर के श्याम नगर थाना इलाके में वह देह व्यापार में पकड़ी गई थी.
इस के 5 महीने बाद ही 30 नवंबर, 2014 की रात वह मानसरोवर इलाके में रजत पथ पर एक एटीएम तोड़ने के प्रयास में अपने साथी अनिल जांगिड़ के साथ पकड़ी गई. उस समय वह जयपुर में गजसिंहपुरा के सुंदर नगर में किराए पर रहती थी.
अनिल जांगिड़ अजमेर में किशनगढ़ के पास कासिर गांव का रहने वाला है. वह जयपुर में गजसिंहपुरा में रहता था और फर्नीचर का काम करता था. प्रिया ने एक दिन अनिल को अपने कमरे का फर्नीचर ठीक करने के लिए बुलाया था. इस के बाद दोनों मिलने लगे. प्रिया ने अनिल को मोटा पैसा कमाने का झांसा दिया और एटीएम लूटने की योजना बनाई.
कैसेकैसे खेल खेले प्रिया ने
योजनानुसार वे रैकी करने के बाद गैस कटर और जरूरी औजार ले कर टैक्सी से बैंक औफ इंडिया का एटीएम लूटने रजतपथ पर पहुंचे.
टैक्सी उन्होंने दूर खड़ी कर दी. उन्होंने गैस कटर से एटीएम को काट भी दिया. इस दौरान पुलिस का मोटरसाइकिल गश्ती दल आ गया. पुलिस को देख कर प्रिया भाग गई. पुलिस ने अनिल जांगिड़ को मौके पर ही पकड़ लिया. कई घंटे बाद मोबाइल लोकेशन के आधार पर पुलिस ने प्रिया सेठ को भी गिरफ्तार कर लिया.
एटीएम लूटने के मामले में जमानत पर छूटने के बाद प्रिया जयपुर छोड़ कर दिल्ली चली गई. वहां नोएडा में रहते हुए जयपुर के रहने वाले गजराज सिंह से उस की जानपहचान हुई. इस दौरान प्रिया व गजराज सिंह आपस में मिलनेजुलने लगे. बाद में प्रिया सेठ वापस जयपुर आ गई.
इसी साल जनवरी में जयपुर के वैशाली नगर में रहने वाले गजराज सिंह ने प्रिया के खिलाफ वैशाली नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा था कि 4 महीने पहले प्रिया ने गजराज को रेप केस में फंसाने की धमकी दे कर 10 लाख रुपए मांगे थे और कहा था कि पैसे नहीं दिए तो तेजाब फेंक कर जलवा भी दूंगी.
इस से घबरा कर गजराज ने प्रिया को साढ़े सात लाख रुपए दे दिए थे. पूरे 10 लाख रुपए नहीं मिलने पर वह आए दिन गजराज के घर आ कर हंगामा करने की धमकी देने लगी. तब गजराज ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई. गजराज की रिपोर्ट पर वैशाली नगर थाना पुलिस ने इसी साल 8 मार्च को प्रिया को गिरफ्तार किया था.
पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि प्रिया अनैतिक काम के लिए औनलाइन एस्कौर्ट सेवा भी चलाती थी. इस के अलावा ऐप की मदद भी लेती थी.
औनलाइन संपर्क होने के बाद प्रिया कार से अपने ड्राइवर गणेश के साथ ग्राहक के पास पहुंचती और वहां अनैतिक काम का 10 से 50 हजार रुपए में सौदा कर पैसे ले लेती. इस के बाद पैसे गाड़ी में रख कर आने की बात कह कर वह ड्राइवर के साथ अपनी कार से भाग जाती थी.
प्रिया ने पैसे के लिए सोशल मीडिया को बनाया मीडियम
सोशल मीडिया के जरिए प्रिया लोगों से दोस्ती करती और मिलने के लिए फ्लैट पर बुलाती. वह पहले महंगी शराब पिला ती और आवभगत करने के बाद खुद ही अपने कपड़े फाड़ कर रेप केस में फंसाने की धमकी देती और पैसों की डिमांड करती. पीडि़त लोग मजबूरन उसे पैसे दे कर पीछा छुड़ाते. लोकलाज के भय से पुलिस में शिकायत भी नहीं करते.
प्रिया सेठ ने इस तरह की सैकड़ों वारदातें की हैं, लेकिन वे पुलिस के रिकौर्ड में कहीं दर्ज नहीं हैं, क्योंकि पीडि़त लोगों ने ऐसे मामलों की शिकायत ही नहीं की.
प्रिया इतनी शातिर है कि जब उस ने अपने साथियों के साथ मिल कर 3 मई को दुष्यंत की हत्या की थी, तभी उस के पास एक व्यक्ति का अनैतिक काम के लिए फोन आया. उस व्यक्ति ने प्रिया को रेलवे स्टेशन के पास नामचीन होटल में बुलाया. प्रिया कैब ले कर उस होटल में पहुंच गई और उस व्यक्ति से रुपए ले कर भाग आई.
पूछताछ में सामने आया कि प्रिया और दीक्षांत का एक महीने का खर्चा करीब 2 लाख रुपए है. खाने से पहनने तक उन के लग्जरी शौक हैं. दीक्षांत 80 हजार के विदेशी ब्रांड के जूते और 45 हजार की घड़ी पहनता है. कपड़े भी ऐसे ब्रांड के पहनता है, जिन के स्टोर राजस्थान में नहीं हैं. प्रिया भी 45 हजार रुपए कीमत के सैंडल पहनती थी. उसे महंगे कपड़े, परफ्यूम, सौंदर्य प्रसाधन के अलावा कीमती शराब व नशीली सिगरेटों का शौक था. वह हमेशा हवाई जहाज में सफर करती थी.
यह भी विडंबना है कि प्रिया और उस का बौयफ्रैंड दीक्षांत लोगों को ही नहीं, एकदूसरे को भी धोखा दे रहे थे. वैसे तो दोनों ने अपने हाथों पर एकदूसरे के नाम के टैटू बनवा रखे थे. दोनों के ही कई लोगों से संबंध थे. प्रिया ने दीक्षांत का पासपोर्ट भी छीन कर अपने पास रखा हुआ था.
एक बार दीक्षांत प्रिया को छोड़ कर गंगानगर चला गया, तो प्रिया ने उसे रेप केस में फंसाने की धमकी दे कर ब्लैकमेल भी किया था. बाद में दीक्षांत वापस जयपुर आ कर प्रिया के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगा था. प्रिया ही उस का खर्च उठाती थी.
लक्ष्य इन दोनों का दोस्त था. ये तीनों मिल कर शराब पार्टी करते थे. 2 मई को भी लक्ष्य वालिया शराब पीने प्रिया के फ्लैट पर आया था. वहां दुष्यंत से मोटी रकम वसूलने की योजना बनाई गई. बाद में अगले दिन प्रिया और दीक्षांत का साथ देते हुए उस ने दुष्यंत की हत्या में सहयोग किया. दुष्यंत की लाश ठिकाने लगाने भी वह कार से प्रिया और दीक्षांत के साथ गया था.
दीक्षांत का ईवौलेट अकाउंट है. आरोपियों का दुष्यंत के बैंक खाते से 3 लाख रुपए ईवौलेट में ट्रांसफर कराने का इरादा था. यह काम करने से पहले ही वे पुलिस की पकड़ में आ गए. आरोपियों का इरादा दुष्यंत की कार ले कर जयपुर से बाहर भाग जाने का भी था. इस के लिए उन्होंने फरजी नंबर प्लेट भी तैयार करवा ली थी, लेकिन वे पुलिस की गिरफ्त में आ गए.
पुलिस ने तीनों आरोपियों को 5 मई को अदालत में पेश कर 11 मई तक रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में पुलिस ने प्रिया के फ्लैट से बैग, चाकू, खून से सने कपड़े, चादर, रस्सियां और सूटकेस आदि बरामद किए. इस के अलावा शराब की बोतलें, कागज में लिपटी नशीली सिगरेट आदि भी मिलीं.