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अपनी डफली अपना राग : भाग 1

“हाय, ब्रो, क्या हालचाल,”  किंजल ने मनीषा की पीठ पर हाथ मार कर पूछा, तो उस ने मुंह बना कर ‘पिच’ कर दिया. “क्या हुआ, यह समोसे की तरह मुंह क्यों बना रखा है, आज फिर से तेरा भाविन से झगड़ा हुआ क्या?“

“छोड़ न, उस की तो बात ही नहीं करनी मुझे.  स्टुपिड कहीं का. अरे  भाई,  मेरी ज़िंदगी है जैसे चाहे जिऊं.  उस की मम्मी  को क्या करना है.  बड़ी आई बोलने,”  यह बोल कर मनीषा ने कुशन उठा कर जमीन पर दे मारा.

“तू भी न, अब जानती तो है उन्हें, फिर उन की बातों को दिल से क्या लगाना. छोड़, जाने दे, तू अपना मूड मत खराब कर.  देख, भाविन के कितने मिस्डकौल हैं.  एक बार बात तो कर ले उस से.” लेकिन मनीषा  ने यह कह कर फोन उस तरफ फेंक दिया कि उसे उस से बात ही नहीं करनी अब.

“अच्छा ठीक है मत कर. पर कौफी तो पिएगी न मेरी पुच्चू,” किंजल ने प्यारा सा मुंह बनाया,  “छोटीछोटी बातों पर डिप्रैस हो जाती है पगली कहीं की.” लेकिन मनीषा  कहने लगी कि उसे काउफी नहीं पीनी.  वैसे भी, वजन कम नहीं हो रहा.

“अरे बुद्धू,” वह हंसी, “एक कप कौफी पीने से क्या तेरा वजन बढ़ जाना है.  चल, मैं तेरे लिए स्पैशल कौफी बना कर लाती हूं.” कौफी बन ही रही थी कि तब तक आकांक्षा भी आ गई.  हाथ का बैग एक तरफ फेंक वह निढाल बिछावन पर लुढ़क गई. “अब तुझे क्या हुआ?” किंजल  ने पूछा.

“कुछ नहीं यार, जिस जौब के लिए अप्लाई किया था, उस में भी नहीं हुआ मेरा.  अब क्या बोलूंगी मांपापा से. वे तो कहेंगे यहां चली आओ.  बेकार में 2 जगह पैसे खर्च हो रहे हैं.  सही भी तो है.  लेकिन वहां जा कर भी क्या होगा, बताओ न? नातेरिश्तेदार मेरे मांपापा के पीछे पड़ जाएंगे कि आकांक्षा की शादी कब कर रहे हो? कोई लड़कावड़का देखा या नहीं? अरे, लड़की तो पराया धन होती है, जितनी जल्दी अपने घर चली जाए, अच्छा… वगैरहवगैरह बोल कर मेरा दिमाग खराब कर देंगे.  और तो और, मेरे घर रिश्ता ले कर भी पहुंच जाएंगे. क्या करूं, बता न. मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है,” आकांक्षा   ने अपना सिर पकड़ लिया.

“अरे, तो इस में चिंता करने वाली क्या बात है. तू मेहनत तो कर ही रही है, तो आज न कल जौब तो लगनी ही है.  सब ठीक हो जाएगा, ले, कौफी पी.  और तू प्राइवेट जौब ढूंढने के साथसाथ सरकारी नौकरी की भी तैयारी कर रही है, तो फिर इतना टैंशन मत ले, हो जाएगा कहीं न कहीं,” किंजल ने ढाढ़स बंधाया.

लेकिन आकांक्षा कहने लगी कि 2 साल से वह जौब के लिए ट्राय कर रही है, पर कहीं हो नहीं पा रहा है.  उस के मांपापा भी कब तक उस का खर्चा उठाते रहेंगे.  छोटी बहन है, उस का भी इस साल मैडिकल में एडमिशन करवाना है.

“हां, तो सब हो जाएगा. तुम्हारे मांपापा ने कभी कहा क्या कि वे अब तुम्हारा खर्चा नहीं उठा सकते इसलिए जाओ कहीं नौकरी ढूंढ लो? बल्कि वे तो तुम्हारा कितना सपोर्ट करते हैं.  इसलिए चिल्ल कर, समझी और कौफी का मजा ले.”तीनों कौफी पी ही रही थीं कि दिव्या भी आ गई. “यह लो, दिव्या मैडम भी आ गईं.  आज तुम्हारा दिन कैसा गया,” किंजल  बोली तो दिव्या ने आंख चमकाया कि यह कैसा सवाल है. दिन तो बढ़िया ही जाता है.  “अरे, मेरे कहने का मतलब था कि औफिस में ज्यादा काम तो नहीं था?”

“अब काम नहीं होगा, तो पैसे किस बात के देंगे और पैसे नहीं देंगे, तो घरपरिवार कैसे चलेगा, बता?” बोल कर दिव्या हंसी, तो किंजल  भी खिलखिला उठी.   लेकिन आकांक्षा और मनीषा  का लटका हुआ मुंह देख कर वह बोली, “इन दोनों के मुंह पर बारह क्यों बजे हैं? सब ठीक तो है?”

इस पर किंजल ने बड़ी वाली हांफी लेते हुए कहा कि वही, अपनी डफली अपना राग…मनीषा का अपने बौयफ्रैंड से झगड़ा हो गया और आकांक्षा को जौब न मिलने की टैंशन. “यह तो पागल है. बेवकूफ कहीं की. अरे, जब तेरे मांपापा तेरी ज़िम्मेदारी उठा ही रहे हैं, तो चिल्ल कर न. इतनी क्या टैंशन है तुझे? और कौन सी जौब लग जाने के बाद तुझे राज सिंहासन मिल जाना है. और तू…” मनीषा की तरफ देख कर वह बोली, “सुबह उठ कर साइकिल चलाया कर मोटी, वरना तेरा यह पेट…. कार के टायर से ट्रक का टायर बनते देर नहीं लगेगी.” यह बोल कर दिव्या हंसी तो आकांक्षा और किंजल भी ठहाके लगाने लगीं.

“हां, हंसो, खूब ठहाके मार कर हंसो,”  मनीषा गुस्से से गुर्राई,  “बेशर्मों, यहां मैं टैंशन में हूं और तुम तीनों को हंसी आ रही है? वह मेरी होने वाली सास, भाविन की मम्मी  कहती है, कम खाया करो.  अब क्या मैं उन के कहने पर खाऊंपिऊं?  इस बार मैं भी सुना आई कि मैं जैसी हूं, ठीक हूं.  तो भाविन को बुरा लग गया.  मेरी बला से बुरा लगा तो,”  बोल कर मनीषा ने मुंह बिचकाया तो तीनों हंस पड़ीं.  वे बात कर ही रही थीं कि भाविन का फोन आ गया.  जाने उस ने उधर से क्या कहा कि मनीषा एकदम से चीख पड़ी और फोन पटक दिया.

किंजल ने फोन उठाया तो भाविन कहने लगा कि वह उस से बस इतना कह रहा था कि एक बार मम्मी  से सौरी बोल देने में क्या हर्ज़ है? और उसी बात पर वह भड़क गई. बेचारा, भाविन 2 पाटों के बीच में पिस रहा था.  न तो वह मनीषा को छोड़ सकता था और न ही अपनी मम्मी  से बहस लगा सकता था.

अपनी डफली अपना राग

अपनी डफली अपना राग : भाग 2

दिव्या, मनीषा, आकांक्षा और किंजल चारों पक्की सहेलियां हैं.   वैसे तो ये चारों लड़कियां 4 दिशाओं से आई हुई हैं.  जहां दिव्या और किंजल गुजरात के अलगअलग शहरों से है, वहीं आकांक्षा बिहार से है और मनीषा उत्तर पदेश की रहने वाली है.  ये चारों लड़कियां अहमदाबाद में 2 कमरे का घर ले कर 3 साल से एक परिवार की तरह रह रही हैं.  इन की अपनी ही एक अलग रंगबिरंगी दुनिया है जिसे ये चारों खूब एंजौय करती हैं.   मनीषा, दिव्या और किंजल जौब कर रही हैं मगर आकांक्षा अपनी पढ़ाई पूरी कर जौब की तैयारी में लगी हुई है.

चारों अनमैरिड हैं और इन की आपस में खूब बनती है.  खाना बनाना, घर की साफसफाई, बाहर से सामान लाने से ले कर हर काम ये चारों मिलबांट कर करती हैं और खुश रहती हैं.  छुट्टी के दिन ये चारों लड़कियां अपने दोस्त, सचिन, रुद्रेश, दीप और श्लोक के साथ ‘अपने अड्डे पर’ जो अहमदाबाद के थलतेज में है, चाय की चुसकियों के साथ खूब मस्ती करती नजर आती हैं.  इन का साथ में घूमनाफिरना, मूवी देखना, होटलों में खाना होता रहता है.  लंबी छुट्टियों में ये लड़कियां कभी अपने घर चली जाती हैं तो कभी इनके मांपापा यहां इन से मिलने आ जाते हैं.  वैसे तो ये चारों लड़कियां अपनीअपनी  ज़िंदगी में मस्त हैं  लेकिन फिर भी इन की ज़िंदगी में समस्याएं हैं जिन्हें ये मिलबांट कर सुलझा लिया करती हैं.

“ट्राय टू अंडरस्टैंड मनीषा, एक बार भाविन के बारे में तो सोच जरा. इन सब में उस की क्या गलती है,” आकांक्षा ने समझाना चाहा पर वह कहने लगी, “नो, यू अंडरस्टैंड. एंड प्लीज, लिव मी अलोन.”  यह कह कर उस ने अपना मुंह फेर लिया तो वे तीनों वहां से खिसक गईं  क्योंकि जानती हैं मनीषा शौर्ट टैंपर्ड लड़की है.  छोटीछोटी बातों पर उसे गुस्सा आ जाता है.  लेकिन फिर अपने आप शांत भी हो जाती है.

जब बारबार भाविन का फोन आने लगा तो एरिटेट हो कर उस ने फोन उठा लिया,  “मैं ने कहा न, मुझे तुम से कोई बात नहीं करनी, फिर क्यों परेशान कर रहे हो मुझे? जाओ न अपनी मम्मी  के पास.” लेकिन भाविन कहने लगा कि उस की मम्मी  से उस का झगड़ा हो गया.  और अगर वह भी उस से ऐसे बात करेगी तो वह कहीं भाग जाएगा, देख लेना.

उस की बात सुन मनीषा थोड़ा नरम पड़ गई  क्योंकि वह जानती है भाविन बहुत ही संवेदनशील लड़का है. जो कहता है, कर देगा और वह उसे खोना नहीं चाहती है. इधर तीनों ने जब उसे भाविन से फोन पर फुसफुसा कर बात करते देखा तो दबेपांव कमरे में घुस आईं.

“अच्छा जी, तो यह बात है, हमें भगा दिया ताकि चुपकेचुपके अपने मियां जी से बात कर सको, क्यों?” दिव्या बोली तो मनीषा मुसकरा पड़ी.

अगर आपका बच्चा भी करता है खाने में नानुकुर तो पढ़ें ये खबर 

बच्चे नखरीले होते हैं और थोड़े जिद्दी. वे खानेपीने को ले कर बहुत चूजी होते हैं. उन के ‘यह नहीं खाऊंगा, वह नहीं खाऊंगी’, शब्दों से मम्मी परेशान रहती हैं. रोजमर्रा की दाल, रोटी, चावल, सब्जी देख कर वे चिढ़ जाते हैं. नूडल्स, फास्टफूड, चटपटी चीजें उन्हें भाती हैं. ऐसा खाना स्वादिष्ठ हो सकता है पर सेहतमंद नहीं.

कई बार हम और आप बच्चों को इसलिए भी ऐसा खाना खाने से नहीं रोक पाते कि आखिर वे क्या खाएंगे, हर चीज तो उन्हें नापसंद ही होती है. यह भी होता है कि आप कितने ही चाव से कोई रैसिपी तैयार करती हैं और वे एक सिरे से उन्हें नकार देते हैं. यह स्थिति तो और भी खराब होती है. समझ में नहीं आता कि उन्हें क्या और कैसे खिलाएं.

क्या आप को पता है कि जानेअनजाने बच्चों के खाने की आदत हम स्वयं बिगाड़ देते हैं. एक शोध से यह बात सामने आई है कि बच्चों की स्वाद ग्रंथि बाद में विकसित होती है. जन्म के कुछ महीने तक उन्हें स्वाद के बारे में कुछ पता नहीं होता. उन्हें जो भी खिलायापिलाया जाता है, वे ग्रहण कर लेते हैं. यानी हमें शुरू से ही बच्चों को स्वादिष्ठ भोजन के बजाय सेहतमंद और पौष्टिक खाना खाने की आदत डलवानी चाहिए. ऐसा करने से वे बड़े हो कर खाना खाने में नखरे नहीं दिखाएंगे. सो, उन्हें स्वादिष्ठ नहीं, सेहतमंद आहार दें.

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डाक्टर कहते हैं कि शिशु को जब ठोस आहार देना शुरू करें, उन्हें संपूर्ण पौष्टिक आहार दें, जैसे दलिया, दाल का पानी, उबली सब्जी, खिचड़ी आदि. हम शिशु को पौष्टिक आहार देना शुरू करते भी हैं लेकिन होता ऐसा है कि जल्दी ही शिशु इन आहारों के बजाय घर के अन्य सदस्यों के लिए बना भोजन पसंद करने लगते हैं. हम भी खुश हो कर उन्हें वही खाना खिलाने लगते हैं. यहीं से शिशु चूजी होना शुरू होते हैं. वे सिर्फ वही खाना चाहते हैं जो उन्हें स्वादिष्ठ लगता है.

क्या आप ने गौर किया है कि उन में यह आदत कैसे विकसित हुई? आमतौर पर जब घर के अन्य सदस्य खाना खा रहे होते हैं तब वे लाड़ और स्नेह में बच्चों को अपने साथ खिलाते हैं. यही एकदो कौर उन्हें स्वाद की दुनिया से परिचय कराते हैं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जो आहार बच्चों के लिए बनाया जाए, सिर्फ वही उन्हें दिया जाए.

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फास्टफूड से न कराएं परिचय

शाक्या ढाई साल की है. उसे सिर्फ फास्टफूड पसंद है. घर का बना खाना खिलाने में उस की मम्मी के पसीने छूट जाते हैं. कई बार ऐसा होता है कि निवाला उस के मुंह के अंदर जाता ही नहीं, उसे उबकाई आने लगती है.

पौष्टिक खाना नहीं खाने की वजह से शाक्या अपने हमउम्र बच्चों के मुकाबले बेहद कमजोर है. अकसर बीमार पड़ जाती है. शाक्या को फास्टफूड की आदत स्वयं उस की मम्मी और घर के सदस्यों ने लगाई. वे लोग 6 महीने की उम्र से ही उसे चिप्स, नूडल्स, चटपटी चीजें देते रहे.

जेठानी अपने बच्चों को फास्टफूड देतीं तो थोड़ा सा उसे भी चखा देतीं. वह बड़े चाव से खाती और घर के लोग प्रसन्न होते. उस ने धीरेधीरे दलिया, खिचड़ी आदि खाना छोड़ दिया. वह हर समय कुछ चटपटी चीजों की डिमांड करती. ऐसा अकसर हर बच्चे के साथ होता है. जानेअनजाने हम स्वयं उन की खानपान संबंधी आदतों को बिगाड़ देते हैं और बाद में पछताते हैं. इसलिए जहां तक संभव हो, बच्चों को फास्टफूड और चटपटे खाद्य पदार्थ से दूर रखें.

नियम बनाएं और पालन करें

शिशु को आप जैसा आहार देंगी, उन में वैसा आहार खाने की आदत स्वयं विकसित हो जाएगी. रीमा का 6 साल का बेटा रौकी करेले की भुजिया भी स्वाद ले कर खाता है. रीमा की सहेली यह देख कर दंग रह गई. उस ने रीमा से कहा कि तुम्हारे बेटे जैसे ही सारे बच्चे हों तब हम मम्मियों को कितनी राहत मिलेगी. मैं तो रिक्की और सोनू के पीछे खाने की थाली ले कर भागती रहती हूं. वे कुछ खाना ही नहीं चाहते. रीमा ने रौकी के बारे में जो बताया वह भी कम चौंकाने वाला नहीं है.

उस ने कहा कि रौकी जब 2 महीने का था, पति का ट्रांसफर हो गया. इस वजह से मुझे लंबे समय तक मायके में रहना पड़ा. मेरे घर के आंगन में ढेर सारे पेड़पौधे हैं. मेरी छोटी बहन खेलखेल में रौकी को नीम की नई कोंपल तोड़ कर मुंह से लगा देती और वह उसे चूसता रहता. उसे उस की आदत लग गई. जब उस के दांत निकलने को होते, तब हम लोग उसे मसूढ़ों तले दबाने को नीम की पत्ती डाल देते. मेरे घर में सब को यकीन है कि रौकी इसी वजह से घर में बनी सारी शाकभाजी खाता है.

वाकई यह सुखद, सेहतमंद अनुभव है. वैसे भी हमें एक सख्त नियम बनाना चाहिए कि शिशु व बच्चों के खाने में भी हरी चटनी, सलाद, दाल, हरी सब्जी जरूर हो. ऐसा भोजन बैलेंस्ड डाइट होता है. भले ही वे थोड़ी मात्रा में खाएं लेकिन सभी चीजें खाएं जरूर. इन नियमों का बच्चों से पालन कराना आप की जिम्मेदारी है.

बचपन से ही आदत डालें

स्वाति अपनी 4 महीने की बेटी चिक्की को सुबहशाम उबली हुई सब्जियों का पानी देती है.

वह सभी मौसमी सब्जियों को एकसाथ काट कर उबाल लेती है. उस पानी को बोतल में भर कर बेटी को दे देती है बिना नमक या अन्य कोई सामग्री मिलाए.

वह कहती है कि मेरी दीदी भी अपने दोनों बच्चों को ऐसे ही सब्जी का पानी पिलाती थीं. दोनों बच्चे स्वस्थ तो हैं ही, अब बड़े हो कर भी हरी सब्जी खाते हैं. उन्हें उन का स्वाद बचपन से ही लगा है, शायद इसलिए वे उसे इग्नोर नहीं कर पाते.

यह बात सौ फीसदी सही है कि बच्चों को जैसा स्वाद मुंह लगा होता है, वे बड़े हो कर भी उसे पसंद करते हैं. इसलिए जरूरी है कि हम शिशु को उन्हीं चीजों के स्वाद लगाएं जो सेहतमंद हों.

हैल्दी स्नैक्स की डालें आदत

बच्चों को हर वक्त कुछ खाने की आदत होती है. आमतौर पर हम उन्हें थोड़े अंतराल पर चिप्स, नमकीन, मिठाई, बिस्कुट, चौकलेट आदि देते हैं. वे उन्हें बड़े चाव से खाते भी हैं.

  • इस के बदले उन्हें केला, सेब, नाशपाती आदि फल या उस की फांकें या टुकड़े, बिना तेल में भुनी या कच्ची मूंगफली भी दे सकते हैं.
  • कभीकभी गुड़ की डली या टुकड़े, किशमिश, अन्य मेवे आदि व इसी तरह की अन्य हैल्दी चीजें उन्हें खाने को दे सकते हैं.

शिशु या छोटे बच्चों को स्वाद से ज्यादा मतलब नहीं होता. वे इन चीजों को आराम से खा सकते हैं और फिर ये पौष्टिक चीजें उन की डाइट में हमेशा के लिए शामिल हो जाएंगी.

20 टिप्स : बेरोजगारी में बेकार न हो शादी, जॉब छूटने के बाद ऐसे संभाले रिश्तों को

जौब छूट जाने का शादी और कौन्फिडैंस दोनों पर बुरा असर पड़ता है. मगर जौब खोना शादी का अंत नहीं है, बल्कि रिश्ते की मजबूत शुरुआत है. संकट के समय साथी से सलाह करें और हालात को संभालने की कोशिश करें. यही वह वक्त होता है जब आप अपने साथी के और करीब आ सकते हैं और अपने रिश्ते को पहले से भी ज्यादा गहरा कर संकट से बाहर आ कर न सिर्फ अपनी शादी बचा सकते हैं, बल्कि बेहतर नौकरी भी अपने लिए तलाश सकते हैं.

बेकारी में किस तरह बेकार होती है शादी

  1. बच्चों के स्कूल की फीस की चिंता.
  2. घर खर्च चलाने में मुश्किल.
  3. पतिपत्नी में पैसों को ले कर रोज चिकचिक होना.
  4. रिश्तेदारों के तानों से परेशानी.
  5. भविष्य अंधकारमय नजर आना.
  6. मन में नकारात्मक विचारों का आना.
  7. पत्नी कमा रही है तो खुद को परिवार पर बोझ समझना.
  8. हर वक्त अपनी बेकारी का जिक्र करना.
  9. कौन्फिडैंस का इस कदर टूट जाना कि आगे कभी नौकरी कर पाने का विश्वास खत्म हो जाना.
  10. डिप्रैशन में चले जाना.
  11. घर में खुशी की जगह निराशा छा जाना.
  12. एक साथी का शादी तोड़ने का फैसला ले लेना.

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साथी की नौकरी जाने पर क्या करें…..

  1. शादी को संभालने की जिम्मेदारी दोनों की

अगर पति की नौकरी चली गई है, तो उन्हें ऐसी नजरों से न देखें जैसेकि उन से कोई अपराध हो गया हो. अगर आप ऐसा करेंगी तो इस का असर आप की शादी पर पड़ना लाजिम है. अपनी शादी को बचाने और पहले जैसी स्थिति में चलाने की जिम्मेदारी अकेले पति की नहीं है. आप की भी है. यही वक्त है जब आप उन का साथ दे कर अपने रिश्ते की मजबूती और प्यार को साबित कर सकती हैं.

2. अपने किसी शौक को रोजगार बनाएं:

साथी की नौकरी चली गई तो क्या हुआ. आप चाहें तो अपने किसी हुनर को भी रोजगार बना सकती हैं. अगर आप को सिलाईकढ़ाई आती है, बच्चों को पढ़ाने का शौक है या फिर और कोई हुनर आप के पास है, तो उसे रोजगार का रूप दे कर पति सहित अपने पूरे परिवार की सहायता करें.

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3. अभी बच्चा प्लान न करें:

अगर आप बच्चा प्लान कर रहे थे और इसी बीच अचानक पति की नौकरी चली जाती है तो आप ऐसे में बच्चा प्लान न करें, क्योंकि अगर इस वक्त आप प्रैगनैंट हो गईं तो इस का असर आप के आने वाले बच्चे पर भी पड़ेगा. इसलिए इस वक्त केवल इस संकट से निकलने का तरीका सोचें.

4. अपने सपनों पर लगाम लगाएं:

हो सकता है कि जिंदगी को ले कर आप के कई सपने हों कि बड़ा घर लेना है, नई गाड़ी खरीदनी है और न जाने आप ने क्याक्या प्लानिंग की हो, लेकिन अगर पति की नौकरी नहीं है और अकेले आप के काम करने से गुजारा न हो रहा हो तो अपने सपनों के बारे में बारबार सोच कर अपनी फ्रस्ट्रेशन पति पर न निकालें. कुछ समय तक अपने सपनों को लगाम लगा कर पति का साथ दे कर अपनी शादी को पहले की तरह खुशहाल बनाए रखें.

5. नौकरी जाने का ताना न मारें:

पति की नौकरी चली गई है, तो उन्हें हर वक्त इस बात का ताना न मारें वरना वे टूट जाएंगे और अपने मन की परेशानी आप के साथ शेयर नहीं कर पाएंगे. इस से आप दोनों में दूरी बढ़ेगी और उस का आप की शादी पर असर पड़ेगा.

6. अपनी सहेली से खुद की तुलना न करें:

आप की सहेली का पति कितनी तरक्की कर रहा है, आगे बढ़ रहा है, नया घर ले रहा है और आप वहीं की वहीं हैं, ऊपर से नौकरी और चली गई, अगर ऐसी बातें आप अपने मन में लाएंगी तो इस का आप के रिश्ते पर नकारात्मक असर ही होगा. इसलिए किसी से भी अपनी स्थिति की तुलना न करें, बल्कि उस से बाहर आने में पति की हर संभव मदद करें.

7. पति की हिम्मत बढ़ाएं

मुश्किल समय में ही अपनों और परायों का पता चलता है. यही वक्त है जब आप अपने साथी को सपोर्ट कर उन का हर मुश्किल में साथ दे कर उन के प्रति अपने प्यार को जता सकती हैं. इसलिए उन्हें हारने न दें, बल्कि उन की हिम्मत बढ़ाएं. अगर आप ऐसा करेंगी तो उन्हें बहुत सहारा मिलेगा और जल्द ही वे इस संकट से उबर जाएंगे.

नौकरी जाने पर आप खुद क्या करें…….

8. खुद को न कोसें:

जौब जाने की वजह से हर वक्त खुद को कोसते रहना किसी समस्या का हल नहीं, बल्कि उस के प्रति नकारात्मक रवैया है. खुद को बुराभला कहने के बजाय इस स्थिति से बाहर निकलने का प्रयास करें. दूसरी जौब पाने की कोशिश करें. अभी आप के पास खाली समय है तो उस समय को अपना नौलेज बढ़ाने और इंटरव्यू की तैयारी करने में व्यतीत करें. हो सकता है कि जो जौब कर रहे थे आप को उस से भी बेहतर जौब मिल जाए.

9. आपस में बातचीत करें:

एकदूसरे के प्रति बेरुखी का व्यवहार करने और दुख मनाने से अच्छा है कि दोनों आपस में डिसकस करें कि वे घर को कैसे संभालेंगे. घर में दोनों के द्वारा बचत किया कितना पैसा है और उसे कैसे व कितना खर्च किया जा सकता है, इस बारे में बातचीत करें.

10. फाइनैंशियल प्लैनर से डिसकस करें:

इस स्थिति में फाइनैंशियल प्लैनर की मदद लें. इस स्थिति में बचत किए पैसे से, बिना किसी और अर्निंग के अपने घर का बजट कैसे बनाएं और कैसे खर्च करें, इस बारे में उस से डिसकस करें.

11. हैल्थ और रिलेशनशिप पर समय लगाएं:

जौब चले जाने के अपने इस समय को वेस्ट न समझें, बल्कि जौब की वजह से जो आप अपने साथी को कभी समय नहीं दे पाए वह समय देने और अपने रिश्ते को मजबूत बनाने का वक्त भी है यह. अत: अपने खाली समय में इस पर काम करें साथ ही अपनी हैल्थ पर भी ध्यान दें. सुबह टहलना और ऐक्सरसाइज करना शुरू करें.

12. जान देना समस्या का हल नहीं:

आए दिन अखबारों में पढ़ने को मिलता है कि नौकरी चले जाने पर आर्थिक तंगी के चलते युवक ने जान दे दी. लेकिन इस से कुछ हासिल नहीं होता है, बल्कि वह व्यक्ति अपने पूरे परिवार को रोतेबिलखते और भी अधिक परेशानी में डाल जाता है. पहले जो उम्मीद थी कि कभी तो नौकरी मिलेगी और घर के हालात सुधर जाएंगे वह नहीं रह जाती.

13. कोई भी काम करने में शर्म महसूस न करें:

कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता और फिर ऐसे में अगर बात आप की नौकरी छूट जाने की हो तो यह बात और भी लागू होती है. माना कि आप अपनी पहली नौकरी में 50 हजार कमा रहे थे और अब बहुत कोशिश करने पर भी उतने पैसों की नौकरी नहीं मिल पा रही, बल्कि उस से कम की नौकरी मिल रही है, तो इनकार न करें. इस वक्त आप को नौकरी की जरूरत है, इसलिए अपनी योग्यता के अनुसार कोई भी औफर स्वीकार करें और जौइन करने के बाद अपनी मनपसंद नौकरी की तलाश शुरू कर दें ताकि घर में बेकारी भी न आए और आप को अच्छी नौकरी भी मिल जाए, लेकिन अच्छी नौकरी की तलाश में बेरोजगार रहना आप के परिवार और शादी के लिए सही नहीं है.

14. पौजिटिव सोचें:

आप अपनी सोच जिस तरह की रखेंगे उसी तरह के रास्ते आप के आगे बनते चले जाएंगे. अगर आप हर वक्त नकारात्मक विचारों से घिरे रहेंगे तो चाह कर भी कुछ अच्छा नहीं कर पाएंगे. अगर आप सोचेंगे कि आप को इस बेकारी से बाहर आना ही है और आप इस के लिए प्रयास नहीं छोड़ेंगे तो इस के लिए रास्ता भी खुदबखुद बन जाएगा. इसलिए पौजिटिव सोचें.

15. सैक्स लाइफ ऐंजौय करें:

आप परेशान हैं, यह बात सही है लेकिन इस का असर आप की शादीशुदा जिंदगी पर नहीं पड़ना चाहिए. आप की पत्नी की भी आप से कुछ जरूरतें हैं. उन्हें पूरा करें और अपनी सैक्स लाइफ ऐंजौय करें. इस से आप को भी रिलैक्स मिलेगा और आप की शादीशुदा जिंदगी भी हंसीखुशी चलती रहेगी.

16. जौब का खोना भी एक सुअवसर है:

जौब का खोना आप के और साथी को करीब लाने का सुअवसर हो सकता है. जिन विषयों को ले कर पहले आप दोनों में कम्युनिकेशन गैप था अब आप उन्हें सुलटा सकते हैं और एकदूसरे के साथ समय बिता सकते हैं. अपने रिश्ते को मजबूत बनाने का यह एक अच्छा अवसर हो सकता है. रिश्ते की गहराई पता चलती है: यह कहावत कि बुरे वक्त में ही पता चलता है कि कौन अपना है और कौन पराया, यह बात शादी के रिश्ते पर भी लागू होती है. ऐसे समय में अगर नौकरी छूट जाने पर साथी आप को छोड़ कर जाने की बात करे तो इस से पता चलता है कि आप का रिश्ता सिर्फ नाम का है और इस रिश्ते में कुछ नहीं रखा है. नौकरी का आना और जाना तो लाइफ का एक पार्ट है, लेकिन जब ऐसे में बात शादी टूटने तक आ जाए तब पता चलता है कि आप के रिश्ते की स्ट्रैंथ क्या है.

17. बेकारी एक अस्थायी चीज है:

आप को समझना होगा कि बेकारी एक अस्थायी चीज है. आज आप बेकार हैं तो यह जरूरी नहीं कि हमेशा बेकार ही रहेंगे. हो सकता है कि आप को अगले महीने ही जौब मिल जाए. इसलिए इस बात के लिए अपनी शादी को ही बेकार कर लेना समझदारी नहीं है. आज वक्त बुरा है, लेकिन कल अच्छा भी होगा इसलिए इंतजार करें.

18. नौकरी जाने के कारणों का विश्लेषण करें:

जिन वजहों से आप की नौकरी गई है उन का विश्लेषण करने का यह सब से अच्छा समय है. पता करें कि नौकरी के दौरान आप से कौनकौन सी गलतियां हुई हैं जिन की वजह से नौकरी चली गई है. फिर उन सब को दूर करने के लिए थोड़ा समय लगाएं.

19. अपनी नौकरी की लाइन चेंज करें:

जिस फील्ड में आप नौकरी करना चाहते हैं, अगर उस में नौकरी नहीं मिल रही है तो अपनी लाइन चेंज कर के देखें. हो सकता है वहां और भी अच्छा मौका मिले. इसलिए समय को व्यर्थ न गवाएं, बल्कि मिलने वाली हर संभावना पर गौर करें.

20. सोशल वर्क करें और बिजी रहें:

यही वह वक्त है जब आप के पास बहुत सा खाली समय है. अपने इस समय को किसी जरूरतमंद के काम आने में लगाएं. फिर आप देखेंगे कि आप खुद को बेकार नहीं समझ रहे हैं, बल्कि आप को यह एहसास होगा कि कोई है जिस के आप काम आ सकते हैं. कुछ इसी तरह की समाजसेवी संस्था से जुड़ें. वहां आप नएनए लोगों से मिलेंगे और जिंदगी के कई रंग यहां आप को देखने को मिलेंगे. ऐसा कर के जिंदगी के प्रति आप का नजरिया ही बदल जाएगा और क्या पता यहीं से आप को अपने लिए कुछ नया काम भी मिल जाए. इस के अलावा भी आप चाहें तो औनलाइन वर्क शुरू कर सकते हैं या फिर गार्डनिंग, किताबें पढ़ने जैसा अपना कोई शौक खाली समय में पूरा कर सकते हैं. ऐसा कर के आप को अच्छा ही लगेगा.

दिल्ली में बार बालाओं की हुक्का, शराब और शबाब पार्टी

लेखक-उमेश त्रिवेदी

अगस्त माह के अंतिम हफ्ते में एक दिन दिल्ली के राजगढ़ एक्सटेंशन के रहने वाले मनु अग्निहोत्री के
मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रश्मि का था. उस ने अपनी खनकती आवाज में पूछा, ‘‘सर जी, काम कब से शुरू करवा रहे हो?’’ ‘‘उम्मीद है अगले हफ्ते से… और सुन तुम्हें कितनी बार कहा है इस नंबर पर फोन मत किया कर.’’ मनु डपटते हुए बोला.

‘‘क्या करूं, मजबूरी में करना पड़ा. कोई काम नहीं है. कर्ज भी बहुत हो गया है.’’ रश्मि बोली.
‘‘ठीक है, ठीक है. तुम्हारे संपर्क में कितनी और लड़कियां हैं?’’ मनु ने पूछा. ‘‘10-12 तो हो ही जाएंगी.’’
‘‘सब को तैयार कर लो. अगले हफ्ते से रेस्टोरेंट और बार खुलने वाले हैं. मैं ने पता कर लिया है.’’ मनु बोला. ‘‘वही पहले वाला काम करना है?’’ रश्मि ने पूछा.

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‘‘हांहां, वही. डांसिंग का है, साथ में थोड़ी शराब भी परोस देना. नशेडि़यों का दिल बहला देना.’’ ‘‘उस से अधिक कुछ और नहीं न! कितने पैसे मिल जाएंगे?’’ रश्मि तपाक से पूछ बैठी. ‘‘तुम सवाल बहुत करती हो. अभी तो मैं इंतजाम में लगा हुआ हूं.’’ मनु ने समझाया.‘‘फिर भी कुछ तो बताओ, तभी तो लड़कियों को तैयार रखूंगी.’’ ‘‘सभी फ्रैश होनी चाहिए. एकदम से झकास. लेटेस्ट मौडल की. पढ़ीलिखी दिखने वाली. समझ गई न.’’ मनु बोला.

‘‘मेरे पास अभी एक से बढ़ कर एक मौडल हैं, उन के सामने हीरोइनें और प्रोफैशनल मौडल फेल हो जाएंगी.’’ रश्मि चहकती हुई बोली. ‘‘चल, चल. अब फोन बंद कर, लगता है किसी क्लाइंट का फोन आ रहा है. बाद में बात करता हूं.’’ यह कहते हुए मनु ने आने वाले काल का फोन रिसीव कर लिया. ‘‘हैलो कौन?… अरे तुम. मैं तुम्हारे फोन का ही इंतजार कर रहा था. तुम ने नया नंबर ले लिया क्या? बताओ कुछ इंतजाम हुआ.’’ मनु ने जिज्ञासा से पूछा.

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‘‘हां, हो गया है, लेकिन सौरी यार पहाड़गंज या कनाट प्लेस में नहीं हो पाया.’’ फोन करने वाला मनु का खास दोस्त था. उस के भरोसे मनु के कई कामधंधे चलते थे. वह जिस काम में लगता था, उसे पूरा कर के ही दम लेता था. उसे मनु ने एक ऐसा रेस्टोरेंट रेंट पर लेने का काम सौंपा था, जहां वह पार्टियां आर्गनाइज कर सके. उसी बारे में उस के दोस्त ने फोन किया था.

मनु ने उस से उत्सुकता से पूछा, ‘‘तो कहां इंतजाम किया है?’’ ‘‘शाहदरा के पास कृष्णा नगर में. अच्छा रेस्टोरेंट है… और हम लोगों के काम के हिसाब से सेफ भी.’’ मनु को बताया. ‘‘नाम क्या है? लोकेशन कैसी है? …आसपास का माहौल किस तरह का है? ‘‘द टाउंस कैफे नाम का रेस्टोरेंट मंदिर मार्ग पर लाल क्वार्टर में स्थित है. वहीं पर फर्स्ट फ्लोर पर अपना काम चलेगा. वहां सब कुछ सही है. लेकिन एक ही समस्या है कि उस के पास अभी पूरे कागज नहीं है.’’

‘‘तो कैसे होगा?’’ मनु ने पूछा. ‘‘अरे वह सब तो उस के मालिक का मसला है, हमें क्या? हमें रेंट देना है.’’ दोस्त के कहने पर मनु ने आगे के अपने इंतजाम के बारे में जानकारी दी. बातोंबातों में लड़कियों के बारे में भी थोड़ी बातें बता दीं. ‘‘तू तो इस का बड़ा खिलाड़ी है. तो फिर बुकिंग शुरू कर दूं?’’ कहते हुए मनु का दोस्त हंसने लगा. मनु के धंधे में जितने भी लोग जुड़े हुए थे, उन से मनु के दोस्त की तरह ही संबंध रहते थे. मुन्ना भी उस के खास दोस्तों में से एक था.

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एक दिन मुन्ना दिल्ली के कनाट प्लेस में स्थित एक छोटे से रेस्टोरेंट में अपने दोस्त अमित के साथ डिनर कर रहा था. अमित केरल का रहने वाला था. वह किसी काम से दिल्ली आया था. उसी दौरान अमित ने उस से कहा, ‘‘यार, मुझे मिनिस्ट्री से एक प्रोजैक्ट पास कराना है.’’ मुन्ना ने उसे आश्वासन दिया था, ‘‘तू चिंता क्यों कर रहा है, हो जाएगा. क्योंकि मिनिस्ट्री में मेरी अच्छी जानपहचान है. मैं तेरा काम करा दूंगा.’’ मुन्ना ने भरोसा दिया.

‘‘जितनी जल्द हो सके, करा दे. वैसे एक बात बताऊं, जिस अधिकारी के हाथ में मेरा काम है, वह अय्याश किस्म का है. इसलिए उस के लिए शराब के साथसाथ कुछ और शबाब का इंतजाम भी करना होगा.’’
‘‘अभी तेरे सामने बात करता हूं.’’ यह कहते हुए मुन्ना ने बाएं हाथ से टेबल पर रखे अपने मोबाइल से एक नंबर पर काल लगाई. वह नंबर मनु का था. काल रिसीव होने के बाद तुरंत स्पीकर औन कर दिया. बोला, ‘‘हैलो मुन्ना भाई, कैसे हो?’’ उधर से आवाज आई, ‘‘अरे भाई तुम्हें मैं ने कितनी बार समझाया है स्पीकर औन कर बातें मत किया करो.’’

‘‘सौरी यार, दरअसल खाना खा रहा था.’’ इसी के साथ मुन्ना ने स्पीकर बंद किया और बाएं हाथ से ही फोन को कान से लगा लिया. ‘‘अरे मैं पूछ रहा था कि तुम्हारा बार में पार्टी वाला काम शुरू हुआ या नहीं?’’
‘‘बस, एक दिन और इंतजार कर लो.’’ ‘‘एक क्लाइंट से एडवांस ले लूं. हम 3 लोग रहेंगे. बाकी सब ठीक है न.’’ मुन्ना बोला. ‘‘उसे रेडी कर ले. बाकी बाद में बात करता हूं.’’ मनु ने कहा. मनु की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद मुन्ना अमित को देख कर बोला, ‘‘लीजिए, मैं ने आधे मिनट में इंतजाम कर दिया, और बोलो.’’

सब कुछ सही चलने लगा. उस ने बर्थडे पार्टी के नाम पर ग्राहकों को हुक्का, शराब और डांस के नाम पर बुलाना शुरू कर दिया था. बार में कुछ लड़कियों को देह दिखाने वाली ड्रैस पहना कर शराब परोसने के लिए लगा दिया गया था, जबकि कुछ लड़कियां म्यूजिक की धुन पर डांस करती थीं. इस के लिए बाकायदा डांसिंग फ्लोर बनाई थी. चारों तरफ से डांसर पर रंगीन रोशनियां बरस रही थीं, उस में लड़कियों के उभार, सुडौल जांघें, चिकनी कमर, अधखुली पीठ, सपाट पेट की नाभि की झलक दिख जाती थी. एकदो लड़कियों ने नाभि पर झुमकेनुमा जेवर लटका रखे थे. लड़कियां बीचबीच में उस की ओर अंगुली से अश्लील इशारे कर शराब पी रहे ग्राहकों को बुला लेती थीं.

2 सितंबर, 2021 को भी सामने की दीवार पर बड़ेबड़े उभरे सुनहरे अक्षरों में ‘हैप्पी बर्थडे’ लिखा हुआ था, लेकिन जन्मदिन किस का था, पता नहीं. कहीं किसी भी टेबल पर केक काटे जाने का नामोनिशान भी नहीं था. उस की जगह हुक्के जरूर रखे थे. टेबल के चारों ओर 2-3 की संख्या मे बैठे ग्राहक हुक्के की पाइप एकदूसरे के साथ शेयर कर रहे थे. बीचबीच में शराब परोसने वाली लड़कियां वहां से गुजर जाती थीं. कुछ समय बाद कुछ ग्राहक भी डांसिंग फ्लोर पर पहुंच चुके थे. उन के आते ही एक लड़की ने अपनी मादक अदा से नाचना शुरू कर दिया था.

एक ग्राहक उस की कमर में हाथ डालने वाला ही था कि दूसरी लड़की ने उस का हाथ पकड़ कर प्यार से अपने चारों ओर घुमा लिया. कुल मिला कर पूरा दृश्य किसी 80-90 के दशक की फिल्मों जैसा ही दिख रहा था. इस पार्टी की बात यहीं खत्म नहीं हुई. इस की भनक कृष्णानगर थाने के ड्यूटी औफिसर एसआई इमरोज को भी लग गई थी. उन्हें पता चला कि लाल क्वार्टर मार्केट में कुछ लड़के और लड़कियां शराब की पार्टी कर रहे हैं. ड्यूटी औफिसर ने यह जानकारी थानाप्रभारी रजनीश कुमार को दी. चूंकि मामला गंभीर था, इसलिए थानाप्रभारी ने एसीपी डा. चंद्रप्रकाश को भी इस से अवगत करा दिया.

इस के बाद थानाप्रभारी रजनीश कुमार एसआई नरेश कुमार, जयदीप, अरुण भाटी आदि के साथ रेस्टोरेंट पहुंच गए. उन्होंने देखा कि रेस्टारेंट के फर्स्ट फ्लोर पर कुछ लड़केलड़कियां एक साथ बैठे थे. एक बार काउंटर लगा था. कुछ लोग शराब पी रहे थे. टेबलों पर हुक्के भी रखे हुए थे. और लोग उस की पाईप से कश लगा रहे थे. कुछ लोगों से पूछने पर उन्होंने बताया कि वे पार्टी सेलिब्रेट करने आए थे. वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे थे. लेकिन डांस करती लड़कियां, हुक्के और शराब कुछ और ही कहानी बयां कर रही थीं.

इस के बाद रेस्टोरेंट में पुलिस टीम ने छापेमारी कर दी. छापेमारी में अवैध रूप से शराब व हुक्के की पार्टी का गंभीर मामला सामने आया. पुलिस ने मौके से हुक्के और शराब की बोतलें बरामद कीं.
साथ ही संचालक और कर्मचारियों के साथ ही मौके पर मौजूद कुल 32 लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जिन में 8 लड़कियां थीं. पुलिस सभी को थाने ले आई. उन से की गई पूछताछ में पता चला कि संचालक मनु अग्निहोत्री ने पार्टी दी थी, जिस में कर्मचारी और उस के जानकार शामिल हुए थे.

पुलिस ने वहां से भारी मात्रा में शराब की बोतलें, हुक्के आदि बरामद किए. इस की सूचना पुलिस को रात के 2 बजे मिली थी. इन में से कोई भी कोरोना नियमों का पालन नहीं कर रहा था. किसी के चेहरे पर मास्क नहीं था. पुलिस के अनुसार, संचालक मनु से शराब परोसने, हुक्का बार चलाने का लाइसैंस और देर रात तक पार्टी का अनुमति पत्र दिखाने को कहा गया तो उस के पास ये दस्तावेज नहीं थे. इस के बाद पुलिस ने रेस्तरां में मौजूद सभी लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 188, 269, 270, 285 के तहत गिरफ्तार कर सभी 32 लोगों के कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. बताया जाता है कि मनु अग्निहोत्री के दिल्ली के पहाड़गंज और कनाट प्लेस में कई रेस्तरां हैं.

Saif Ali Khan को महंगी शादियों से लगता है डर, द कपिल शर्मा शो में किया खुलासा

बॉलीवुड के नवाब सैफ अली खान हालिया रिलीज हुई फिल्म भूत पुलिस को लेकर काफी ज्यादा चर्चा में बने हुए हैं, इस फिल्म में सैफ अली खान ने विभूति नाम के  एक तांत्रिक का किरदार निभाया है, जिसे लोगों ने खूब प्यार भी दिया है.

इस फिल्म को डिजनी प्लस हॉट स्टार पर दिखाया गया है. जिसके बाद से फिल्म स्टार सैफ अली खान अपनी पूरी टीम के साथ इस फिल्म के प्रमोशन में जी जान से जुट गए हैं,

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सैफ अली खान हाल ही में अपनी फिल्म की स्टार यामी गौतम और जैकलीन फर्नाडिंश के साथ कपिल शर्मा शो में पहुंचे, जहां उन्होंने दर्शकों का जमकर मनोरंजन किया साथ ही में जब बात यामी गौतम की शादी पर होने लगी तो उन्होंने इस विषय पर कहां कि मुझे भी कम लोगों में शादी करना पसंद है, ज्यादा महंगी शादियां मुझे पसंद नहीं हैं.

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उन्होंने यह भी कहा कि मुझे महंगी शादियों से डर लगता है, दरअसल यामी गौतमम की शादी में सिर्फ 20 लोग ही मौजूद थें, सैफ ने बताया कि उन्होंने अपनी शादी में सिर्फ कुछ लोगों को ही बुलाया था, क्योंकि उनके खानदान में ही 200 से अधिक लोग है तो ज्यादा लोगों को बुलाने की जरुरत ही नहीं थी, इसलिए उन्होंने सिर्फ करीबी लोगों को ही शादी में न्योता दिया था,

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जिसके बाद कपिल ने मजाक बनाते हुए कहा कि इसलिए आपको डर लगता है क्योंकि आपके 4 बच्चें हैं. अगर सैफ की वर्कफ्रंट की बात करें तो वह जल्द ही साउथ एक्टर प्रभास के साथ भी नजर आने वाले हैं. फिल्म आदिपुरुष में वह रावण का रोल निभाते नजर आएंगे.

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करण जौहर का शो बिग बॉस ओटीटी लोगों को इन दिनोॆ खूब झटके दे रहा है. कभी एक ही दिन में 2 एलिमिनेशन सुनकर का जिक्र सुनकर फैंस हैरान हो गए तो कभी करण जौहर की बातों को सुनकर फैंस परेशान हो गए.

बुधवार को शो में अब तक का सबसे जबरदस्त एलिमिनेशन हुआ जिसमें करण ने शो के सबसे दावेदार कंटेस्टेंट को बाहर का रास्ता दिखा दिया. आपको बता दें कि शो से एक्टर नेहा भसीन बाहर हो गई हैं और इस एलिमिनेशन से लगभग हर कोई हैरान नजर आ रहा है.

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अब शो से ऐसी खबर आ रही है कि अब शमिता शेट्टी औऱ दिव्या अग्रवाल का पत्ता कट सकता है, हालांकि ऐसा हुआ नहीं है, खबर ये भी है कि प्रतीक सहगल का भई प्ता इस शो से कट सकता है.

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इससे पहले मूस जट्टान शो से एलिमिनेट हो गई थी, अगर बात बिग बॉस शो ओटीटी प्लेटफॉर्म की करें तो अब शो में सिर्फ पांच कंटेस्टेंट ही बचें हैं. ऐसे में सभी कंटेस्टेंट शो को जीतने के लिए जी जान लगा रहे हैं.

इससे पहले भी यह शो कई बार अपने निजी मामलों की वजह से विवादों में रह चुका है. इस शो को लोग देखना काफी ज्यादा पसंद करते हैं. एक सीजन खत्म नहीं होता है अगले सीजन का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है.

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खैर अब देखना यह है कि इस शो का विनर कौन बनता है. इस शो में करण जौहर कंटेस्टेंट को एंटरटेन करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं.

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