कुछ साल पहले रिलीज हुई अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘पीकू’ बूढे़ पिता और बेटी के बीच जिम्मेदारीभरे रिश्ते को दिखाती है. फिल्म की कहानी में अमिताभ बच्चन कब्ज की बीमारी से परेशान होते हैं. उन का डायलौग ‘मोशन से इमोशन जुड़ा होता है’ फिल्म के प्रचार में खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. कब्ज जैसे बहुत सारे रोग बुढ़ापे की परेशानियों के रूप में सामने आते हैं. आज के दौर में विज्ञान ने खूब तरक्की कर ली है. ऐसे में मनुष्य की औसत उम्र बढ़ गई है. उम्र के बढ़ने के साथ कुछ बीमारियां भी साथ आती हैं. समझदारी के साथ इन रोगों का मुकाबला करते हुए बुढ़ापे को स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है.

राजेंद्र नगर अस्पताल, लखनऊ की डा. सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘खानपान, ऐक्सरसाइज और समयसमय पर बीमारियों की जांच कराने से बुढ़ापे के रोगों से बचा जा सकता है. जरूरी है कि इस तरह की बीमारियों की जानकारी दी जाए जिस से उम्रदराज लोग स्वस्थ और सेहतमंद रह सकें.’’ डा. सुनीता चंद्रा बताती हैं, ‘‘बुढ़ापे की बीमारियां उम्र के हिसाब से आती हैं. अगर बुढ़ापे में समयसमय पर डाक्टरी जांच कराई जाए और बीमारियों का इलाज शुरुआती दौर में ही कर लिया जाए तो इन बीमारियों के प्रभाव को कम किया जा सकता है.’’

बुढ़ापे की प्रमुख बीमारियां

बुढ़ापे की ज्यादातर बीमारियां बचपन और जवानी में शरीर की अनदेखी के कारण होती हैं. कुछ बीमारियां शरीर के अंगों की शिथिलता और उन में आने वाले बदलावों के कारण होती हैं. इन का शुरुआत से ही ध्यान रखा जाए तो बुढ़ापे के प्रभाव को कम किया जा सकता है. 

मोटापा

बुढ़ापे की वह परेशानी है जो जवानी के दिनों से ही शुरू हो जाती है. बुढ़ापे में मोटापा एक रोग बन जाता है. इस के चलते शरीर की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं. हड्डियों में आर्थ्राइटिस, हाईब्लडप्रैशर, मधुमेह यानी डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल का बढ़ना, पथरी आदि प्रमुख हैं. महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मोटापा ज्यादा खतरनाक होता है. मोटापा अपने साथ कई तरह की बीमारियां ले कर आता है. हाईब्लडप्रैशर बुढ़ापे में बहुत परेशान करता है. कई बार हाईब्लडप्रैशर हाईपरटैंशन बन जाता है जिस के कारण सिरदर्द, जी मिचलाना, सांस फूलना और पैरों में सूजन जैसी परेशानियां आ जाती हैं.

मधुमेह

ये रोग बुढ़ापे की सब से बड़ी बीमारी के रूप में सामने आ रहा है. काम न करने, मोटापा बढ़ने, मानसिक तनाव, स्टीरौइड दवाएं खाने के कुप्रभाव के चलते मधुमेह का रोग हो जाता है. मधुमेह के चलते आंखों में अंधापन, किडनी, हार्ट अटैक और पक्षाघात यानी पैरालाइसिस का रोग हो जाता है.

हार्ट अटैक

ये बुढ़ापे की दूसरी बड़ी परेशानी है. हदय में रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में बहने वाला रक्त बाधित होने लगता है जिस की वजह से सीने में दर्द की शिकायत होती है. यह दर्द बाईं भुजा की ओर से शुरू हो कर कंधे की तरफ बढ़ता जाता है. दर्द के साथ तेजी से पसीना शरीर से निकलने लगता है. कई बार जब दिमाग तक रक्त नहीं पहुंच पाता तो पक्षाघात यानी पैरालाइसिस का अटैक हो जाता है.

बुढ़ापे में पेट की बीमारियां भी बहुत होती हैं. इस का सब से बड़ा कारण पाचन प्रक्रिया का कमजोर होना होता है. आंत में खाने को पचाने की क्षमता कम हो जाती है, जिस से एसिडिटी बनने लगती है. कई बार इन सब वजहों से पेप्टिक अल्सर हो जाता है. इस में पेट का दर्द तेज हो जाता है. पेट की बीमारियों में दूसरी बड़ी बीमारी कब्ज की होती है. बुढ़ापे में शरीर चलनेफिरने में शिथिलता का अनुभव करता है, जिस की वजह से खाना ठीक से हजम नहीं होता है. इस के  साथ ही, खाने में फाइबर की मात्रा कम होने से भी कब्ज की बीमारी हो जाती है. कब्ज अगर लंबेसमय तक बना रहे तो पाइल्स की बीमारी भी परेशान करती है.

मोतियाबिंद बुढ़ापे में आंखों की रोशनी को छीनने का काम करता है. इस के साथ ही, याददाश्त का कमजोर होना और कानों में सुनने की शक्ति का कमजोर होना आम परेशानियां हैं.

क्या होती हैं वजहें

आंत की गति धीमी हो जाती है. जिस के चलते पाचनक्रिया कमजोर हो जाती है. नतीजतन, बुढ़ापे में पेट की बीमारियां होने लगती हैं.

किडनी की परेशानी साफ पानी न मिलने के चलते होती है. किडनी की सक्रियता कमजोर होने से किडनी रोग बढ़ जाते हैं.

बुढ़ापे के दिनों में शरीर में हार्मोंस कम होने लगते हैं. इस से शरीर के तमाम अंगों की सक्रियता शिथिल होने लगती है. इस के चलते जबान में स्वाद लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है.

बुढ़ापे में कान सुनना कम कर देते हैं. इस से श्रवण शक्ति कमजोर होने लगती है.

हार्मोंस के कम होने के चलते शरीर की त्वचा ढीली होने लगती है. त्वचा पर झांइयां और दागधब्बे पड़ने लगते हैं. इस से चेहरे पर हलकेहलके रोएं आने लगते हैं.  

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...