किरण आहूजा

वक्त आ गया है अब कोरोना को अपने ऊपर हावी न होने दें, बल्कि उस पर हमें हावी होना है. उसे हराना है और जिस तरह इस ने हमें अपनों से दूर किया है, हमें इसे अपने से दूर करना है. मेघा ने अपना पसंदीदा परफ्यूम निकाला और अपने पर स्प्रे किया लेकिन यह क्या, खुशबू नहीं आई. मेघा का माथा ठनक गया. कल से उसे अपनी तबीयत कुछ ढीलीढीली सी लग रही थी. अब उस के चेहरे पर जबरदस्त परेशानी छा गई थी. परसों बड़ा बेटा जिम गया था. रात में ठीकठाक सोया था, लेकिन सुबह उठा तो उस की आंखों से पानी आ रहा था और बदन में हलका सा दर्द था.

उस वक्त उस ने अपनी तकलीफ पर ज्यादा गौर नहीं किया लेकिन शाम को उसे बुखार आ गया. तब उस ने एक पैरासिटामोल टेबलेट ली और सो गया था. मेघा को अब यकीन हो गया था कि उस के बेटे को कोरोना के कारण बुखार चढ़ा है और उस के साथ होने से उसे भी कोरोना ने लपेटे में ले लिया है. वह ?ाट से बेटे के कमरे में गई. सोते बेटे को उठाया और पूछा कि उसे गंध आ रही है, तो वह बोला, ‘‘मम्मी, मुझे तो किसी चीज की गंध नहीं आ रही. न खुशबू, न बदबू.’’ मेघा बहुत घबरा गई. छोटा बेटा मेहुल अपने कमरे में सो रहा था. मेघा उस के कमरे में नहीं गई. उस ने मेहुल का मोबाइल मिलाया. उस ने सोतेसोते मोबाइल उठाया, तो मेघा ने घबराते हुए पूछा, ‘‘बेटा, तेरी तबीयत ठीक है? बुखार तो नहीं. चीजों की खुशबू आ रही है.’’ ‘‘हां मम्मी, मैं तो ठीक हूं. सब चीजों की खुशबू भी आ रही है.’’ ‘‘ओह, लगता है, इस का बचाव हो गया है,’’ मेघा ने सोचते हुए राहत की सांस ली. मेघा ने 3 दिन बाद अपना और अपने बड़े बेटे का कोविड टैस्ट करवाया और रिपोर्ट पौजिटिव आई. पता था, रिपोर्ट पौजिटिव ही आनी है. इसीलिए छोटे बेटे मेहुल को उस ने अपने ही कमरे में रहने को कह दिया था.

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