रश्मि इस बात को ले कर बहुत परेशान रहती है कि उस का 12 साल का बेटा गुंजन झूठ बोलने लग गया है. बातबात पर उसे झूठ बोलने की लत लग गई है. खेलने के चक्कर में वह कह देता है कि उस ने स्कूल का होमवर्क कर लिया है जबकि स्कूल से टीचर का फोन आता है कि गुंजन ने होमवर्क नहीं किया. जब उस से इस का कारण पूछा गया तो उस ने बताया कि रात को वह मम्मीपापा के साथ पार्टी में चला गया था, इसलिए होमवर्क करने का समय ही नहीं मिला. यह सुन कर रश्मि हैरान रह गई कि कल गुंजन ने उस से कहा था कि उस ने होमवर्क पूरा कर लिया है.

कुछ ऐसा ही हाल सौम्या का है. उस ने अपने 16 साल के बेटे रोहन को इंजीनियरिंग की कोचिंग क्लास में ऐडमिशन दिलाया. रोहन रोज नियत समय पर कोचिंग जाने के लिए घर से निकलता. एक दिन उस के पापा ने उसे दोस्तों के साथ चौराहे के एक ढाबे में बैठा देख लिया. रोहन के घर लौटने पर उस के पापा ने पूछा कि वह कहां गया था तो उस ने बेबाकी से कहा कि कोचिंग के लिए गया था. यह सुन उस के पापा और सौम्या का माथा ठनक गया. वे समझ चुके थे कि उन का बेटा पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा, ऊपर से झूठ बोलने लगा है.

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अधिकतर मातापिता की यह आम परेशानी है कि उन के बच्चे उन से झूठ बोलने लगे हैं. स्कूल से भी टीचर की शिकायतें आती हैं कि बच्चा होमवर्क नहीं करता है और डांट एवं पिटाई से बचने के लिए रोज नए बहाने बनाता है. ऐसी शिकायतों को ले कर खुद का सिरदर्द बढ़ाने वाले अभिभावक को दरअसल खुद की आंखें खोलने की जरूरत है. अगर अभिभावक से कहा जाए कि अपने बच्चों को झूठा बनाने या बिगाड़ने में उन का बड़ा हाथ है तो एकबारगी वे चौंक जाएंगे और उलटा सवाल दागेंगे कि क्या हम खुद अपने बच्चों को बिगाड़ेंगे? अरे भई, हर कोई अपने बच्चों को अच्छा आदमी बनाना चाहता है.

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